तीन इच्छाऍं : आयरिश लोक-कथा
Three Wishes : Irish Folktale
बहुत पुरानी बात है कि एक गाँव में एक आदमी रहता था जिसका नाम बिल्ली डाउसन था। वह सब लोगों को बहुत तंग करता था और पूरे यूरोप में वह अपनी सुस्ती के लिये मशहूर था।
बिल्ली अपने माता पिता का अकेला बेटा था और यह सुस्ती उसको अपने माता पिता से विरासत में मिली थी। फिर उसके पिता ने उसको एक लोहार के यहाँ काम दिलवा दिया पर वह लोहार भी बिल्ली से बहुत तंग था।
कुछ सालों बाद बिल्ली बड़ा हो गया। उसकी शादी हो गयी। किस्मत से उसको उसकी पत्नी भी उसके बराबर की ही मिल गयी। अगर वह सुस्त था तो वह भी उससे कम सुस्त नहीं थी, अगर वह उससे लड़ता था तो वह भी उससे खूब लड़ती थी। ऐसा जोड़ा पहले कभी किसी ने न देखा था और न सुना था। जल्दी ही उन दोनों की चर्चा गाँव भर में फैल गयी।
लोग उसे सुबह सुबह ही पिये हुए पाते। उसकी कमीज की बाँहें मुड़ी होतीं, उसके आगे के बटन खुले रहते। इस पल वह गा रहा होता तो अगले पल वह अपनी पत्नी से झगड़ रहा होता।
उसकी पत्नी उसके चारों तरफ चक्कर काट रही होती। उसके सिर पर कहीं एक फटा सा गन्दा सा टोप होता, पैरों में बिल्ली के पुराने स्लिपर होते, गोद में रोता हुआ बच्चा होता। कभी वह बिल्ली को खींच रही होती तो कभी उसे प्यार कर रही होती।
मन को लुभाने वाली ऐसी सुन्दर घटनाएँ उस घर में अक्सर ही देखने को मिल जातीं।
एक दिन सुबह सुबह बिल्ली अपने घर की दीवार के सामने खड़ा था और सोच रहा था कि परिवार के लिये नाश्ते का इन्तजाम कैसे किया जाये।
उसकी पत्नी नीचे जमीन पर बैठी बच्चों को सँभालती उसको खाने के लिये चिल्ला रही थी। बिल्ली की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। कहाँ से लाये खाना?
इतने में एक बूढ़ा दुबला पतला भिखारी एक डंडे के सहारे चलता हुआ वहाँ आया। उसकी सफेद दाढ़ी काफी नीचे तक लटक रही थी और वह बहुत भूखा दिखायी दे रहा था।
बिल्ली उसको देख कर कुछ होश में आया और उसको उसके ऊपर कुछ तरस भी आया। वह बोला — “भगवान तुम्हारी रक्षा करें।”
भिखारी ने पलट कर कहा — “भगवान तुम्हारी मदद करे। इस बूढ़े को कुछ खाने को दे दो। तुम देख रहे हो कि मैं काम नहीं कर सकता इसी लिये मैं तुमसे माँगता हूँ।”
बिल्ली बोला — “अगर तुमको मालूम होता कि तुम किससे माँग रहे हो तो शायद तुम्हें पता चलता कि जैसे तुम किसी डंडे से कुछ माँग रहे हो।
मेरे घर में तो मेरे खुद के खाने को लिये कुछ नहीं है। मेरी पत्नी मुझे बुरा भला कह रही है और मेरे बच्चे उसे रो रो कर तसल्ली देने की कोशिश रहे हैं। तुम सच मानो अगर मेरे पास खाना या पैसा कुछ भी होता तो मैं तुम्हारी मदद जरूर करता।”
भिखारी बोला — “अरे, तुम तो मुझसे भी बुरी हालत में हो क्योंकि तुम्हारे पास तो खिलाने पिलाने के लिये एक परिवार भी है। कम से कम मेरे ऊपर यह जिम्मेदारी तो नहीं है। मै तो अकेला ही हूँ।”
बिल्ली बोला — “फिर भी तुम घर में आओ और मुझे बताओ कि मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ? तुम यहाँ आग के पास बैठो। आज बड़ा बर्फीला दिन है, तुमको इस आग से थोड़ी गर्मी मिलेगी।”
बूढ़ा भिखारी घर के अन्दर आ गया और आग के पास बैठता हुआ बोला — “हाँ आज का दिन बहुत ही ठंडा है। यह आग मुझे बहुत ही अच्छी लग रही है।”
थोड़ी देर तक वह भिखारी आग के पास बैठा रहा फिर वह चलने के लिये खड़ा हो गया और बिल्ली से बोला — “तुमने मुझे खाना तो खाने के लिये दिया नहीं पर जो कुछ तुम मुझे दे सकते थे वह तुमने मुझे दिया। इसके बदले में तुम मुझसे अपनी कोई भी तीन इच्छाऍं पूरी करवा सकते हो।”
अब सच तो यह था कि बिल्ली अपने आपको बहुत ही अक्लमन्द समझता था परन्तु ऐसे समय में तो उसकी समझ में कुछ नहीं आया और वह वहीं सिर खुजलाता खड़ा रहा। उसकी समझ में यही नहीं आ रहा था कि वह उससे अपनी कौन सी तीन इच्छाऍं पूरी करवाये।
बूढ़ा बोला — “तुम जल्दी ही माँग लो क्योंकि मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है और मैं ज़्यादा समय तक यहाँ रुक भी नहीं सकता।”
बिल्ली बोला — “अच्छा ठीक है तो सुनो। यह जो मेरे स्ले का हथौड़ा तुम देख रहे हो न? मेरी पहली इच्छा यह है कि इसको जो कोई भी अपने हाथ में उठा ले यह तब तक उसके हाथ में से न छूटे जब तक मैं न चाहूँ। और अगर वह इसको स्ले पर चलाने लगे तो यह तब तक न रुके जब तक मैं उसको रुकने को न बोलूँ।”
बिल्ली फिर बोला — “मेरी दूसरी इच्छा यह है कि मेरे पास एक आराम कुर्सी है। उस कुर्सी पर जो कोई भी बैठ जाये वह बिना मेरी इच्छा के उस पर से न उठ सके। और मेरी तीसरी इच्छा यह है कि जो कुछ पैसे मैं अपने बटुए में रखूँ वह मेरे सिवा उसमें से और कोई न निकाल सके।”
ऐसी इच्छाएँ सुन कर बूढ़े को गुस्सा आ गया। वह बोला — “तुम्हारी नीयत अच्छी नहीं है। तुमने मुझसे कोई ऐसी चीज़ क्यों नहीं माँगी जो तुम्हारी यह दुनियाँ और दूसरी दुनियाँ दोनों ही सुधार देती?”
बिल्ली अपने माथे पर हाथ मारता हुआ बोला — “ओह यह तो मैं भूल ही गया था। क्या तुम मेरी एक इच्छा को बदलने दोगे? एक मौका मुझे और दो न बस एक मौका और।”
बूढ़ा बोला — “नहीं, तुम बहुत नीच हो। तुम्हारे भले दिन गुजर चुके हैं। तुम जानते ही नहीं कि अब तक तुमसे कौन बात कर रहा था।
मेरा नाम सेन्ट मोरोकी है। मैंने तुमको एक मौका दिया था कि तुम अपने और अपने परिवार के लिये कुछ कर सको परन्तु तुमने कुछ ध्यान ही नहीं दिया।
अब वह सब तुम्हारी किस्मत में नहीं है। इसी लिये तुम इतने मशहूर हो। तुम अगर अब मेरे सामने भी आये तो मैं तुमको ऐसी जगह भेज दूँगा जहाँ तुम शान्ति से मर भी नहीं पाओगे।” और गुस्से में भरा वह बूढ़ा अपने पैर पटकता हुआ वहाँ से चला गया।
कुछ पल बाद जब बिल्ली को होश आया तो वह बड़ा पछताया कि उसने एक इच्छा में बहुत सारी दौलत उस बूढ़े से क्यों नहीं माँग ली। पर अब क्या हो सकता था अब तो उसे अपनी इन तीन इच्छाओं के वरदान से ही सब कुछ हासिल करना था।
वह सोचता रहा, सोचता रहा तो उसके दिमाग में एक तरकीब आयी और उसने अपने शहर के सबसे अमीर आदमी को बुला भेजा कि वह उससे कुछ बिज़नेस करना चाहता है। जब वह आया तो उसने उसको आदर सहित अपनी आराम कुर्सी पर बिठा दिया। अब बिल्ली सुरक्षित था क्योंकि अब वह अमीर आदमी बिना उसकी मर्जी के उस कुर्सी से उठ ही नहीं सकता था और उसको उस कुर्सी पर से उठने के लिये काफी पैसा देना पड़ा।
ऐसा उसने वहाँ के काफी अमीर लोगों के साथ किया। वहाँ के सभी लोग उससे परेशान हो गये थे। परन्तु यह सब कुछ ही दिनों तक रहा क्योंकि उसकी कुर्सी वाली बात जल्दी ही चारों तरफ फैल गयी और लोगों को उसकी चालाकी का पता चल गया।
इसके बाद उसने अपनी स्ले के हथौड़े वाला वरदान का इस्तेमाल किया तो उसकी स्ले वाली बात भी चारों तरफ फैल गयी तो क्या आदमी क्या औरत, क्या बूढ़ा और क्या बच्चा सभी ने उसके घर आना छोड़ दिया।
इस तरह से उसे अपनी आराम कुर्सी से पैसे मिलने भी बन्द हो गये और उसका बटुआ भी खाली होता चला गया।
इन सब बातों के साथ साथ उसका चाल चलन भी खराब होता चला गया। घर में फिर से हर समय झगड़ा रहने लगा। हर कोई उससे नफरत करता, उसको बुरा भला कहता और उससे बचने की कोशिश करता।
एक दिन बिल्ली ऐसे ही घूम रहा था और सोच रहा था कि ऐसी दशा से कैसे छुटकारा पाया जाये कि उसने अपने आपको कुछ घनी झाड़ियों के बीच खड़ा पाया।
उसने सोचा कि जब पैसे मिलने के सारे रास्ते बन्द हो चुके हैं तो शैतान से ही कुछ क्यों न कमाया जाये सो वह ज़ोर से बोला — “ओ निक, ओ पापी, अगर तुम्हारी इच्छा है तो तुम सामने आओ, मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूँ।”
इन शब्दों के उसके मुँह से निकालने की देर थी कि एक वकील जैसा साँवला भला आदमी उसके सामने आया। बिल्ली ने उसके पैरों की तरफ देखा तो उनमें उसे खुर दिखायी दिये। यानी कि वह शैतान ही था।
बिल्ली बोला — “नमस्ते।”
निक बोला — “नमस्ते, कहो बिल्ली क्या खबर है?”
बिल्ली बोला — “मुझे पैसे चाहिये और मैं उसके लिये सौदा करने के लिये तैयार हूँ।”
निक बोला — “पर अगर मैं तुमको बेचूँगा भी तो मुझको क्या मिलेगा?”
बिल्ली बोला — “अगर मेरी और तुम्हारी दोनों की नीलामी लगायी जाये तो देख लेना कि लोग मेरे लिये ही ज़्यादा पैसा देंगे।”
निक बोला — “खैर, छोड़ो इन बातों को। पर अगर तुम सात साल तक मेरा रहने का वायदा करो तो मैं तुमको इतना सारी दौलत दे सकता हूँ जिसके तुम लायक भी नहीं हो।”
बिल्ली बोला — “ठीक है। पर पहली बात यह कि मेरे परिवार से तुम्हारा कोई लेना देना नहीं होगा। और दूसरी बात यह कि मैं पैसा नकद लूँगा।”
निक ने बिल्ली को पैसे गिन कर दे दिये। अब क्योंकि वहाँ कोई भी नहीं था इसलिये निक ने बिल्ली को कितने पैसे दिये यह तो पता नहीं चल सका।
पर निक पैसे गिनने के बाद बोला — “क्या तुम मुझे लकी पैनी नहीं दोगे?”
बिल्ली बोला — “उँह, तुम इतने अमीर हो कि तुमको उसकी जरूरत ही नहीं है। भगवान करे तुम बदकिस्मत रहो और हाँ अब तुम यहाँ से दफा हो। कोई भी तुम्हारा साथ पसन्द नहीं करता। अपने साथ से तो तुमने मुझे भी बिगाड़ दिया है।”
निक बोला — “बिल्ली क्या यही तुम्हारी वफादारी है?”
“अच्छा अच्छा अब तुम यहाँ से दफा हो जाओ।” कहता हुआ बिल्ली एक तरफ को चला गया और निक भी यह सुन कर दूसरी तरफ चला गया।
अब क्या था कुछ ही समय में बिल्ली एक बहुत बड़ा आदमी बन गया। जो लोग पहले कभी उससे बचते फिरते थे अब उसके दरवाजे पर आ कर नाक रगड़ते थे। इस बात को सोच कर ही वह मन ही मन बहुत खुश होता था।
पर इतना अमीर हो जाने के बाद भी उसके रहने सहने के ढंग में कोई फर्क नहीं आया था। तीन साल बाद उसके पास गाड़ी थी, शिकारी थे। वह अब जुआ भी खेलने लग गया था। घोड़ों पर दाँव भी लगाने लग गया था।
पर इन सबको एक दिन तो जाना ही था। दो साल बाद यह सब धीरे धीरे कम होना शुरू हो गया। लोग उसके पास से हटने लगे। शिकारी, गाड़ी सभी कुछ खत्म होने लगा। बटुए में पैसे कम रहने लगे और फिर एक दिन ऐसा आया जब उसको फिर से अपना चमड़े का ऐप्रन पहन कर हथौड़ा उठा लेना पड़ा।
कोई भी हालात उसको कुछ भी नहीं सिखा पा रहे थे सो वह अपने पुराने काम पर वापस आ गया था। यानी पत्नी से लड़ाई पर वापस आ गया था।
एक दिन वे सात साल भी खत्म हो गये और एक सुबह बिल्ली और उसका परिवार फिर से भूखा बैठा हुआ था। उसकी पत्नी उस पर चिल्ला रही थी और बच्चे भूखे रो रहे थे।
वह यह सोच ही रहा था कि किस तरह वह अपने किसी पड़ोसी को धोखा दे कर सुबह के नाश्ते का इन्तजाम करे कि निक अपना सौदा पूरा करने उसके सामने आ खड़ा हुआ।
निक बोला — “नमस्ते बिल्ली।”
बिल्ली बोला — “ओ शैतान आओ आओ। पर मानना पड़ेगा तुम्हारी याद बहुत अच्छी है।”
निक बोला — “भाई, ईमानदारों के बीच सौदा तो सौदा ही होता है। जब मैं ईमानदारों की बात करता हूँ तो उससे मेरा मतलब है अपने आपसे और तुमसे।”
बिल्ली बोला — “निक तुम मेरे साथ कोई गन्दी हरकत नहीं करोगे। तुम मुझ जैसे गिरे हुए आदमी के ऊपर और ज़्यादा बोझा नहीं डालोगे। तुम जानते हो कि इस तरह नीचे आने का क्या मतलब होता है इसलिये अच्छा हो अगर तुम यहाँ से दफा हो जाओ।”
निक बोला — “इतना नाराज होने से कोई फायदा नहीं बिल्ली। तुम्हारी ये चालाकियाँ किसी और को धोखा देने के लिये तो ठीक हैं परन्तु मुझे तुम इन चालाकियों से नहीं बहका सकते। तुमको मेरे साथ दूसरे देशों में भी जाना होगा।”
बिल्ली बोला — “ठीक है। तुम यह स्ले वाला हथौड़ा लो और ज़रा मेरे इस घोडे, की नाल बना कर तैयार करो मैं तब तक तैयार हो कर और अपनी पत्नी और बच्चों से मिल कर आता हूँ।”
यह कह कर बिल्ली कनखियों से उसकी तरफ देखता हुआ बाहर की तरफ चला गया। वह अपने मन में कहता जा रहा था “मैंने अच्छे अच्छों को सीधा कर दिया है तुम क्या चीज़ हो निक जी।”
इधर निक ने जैसे ही वह हथौड़ा हाथ में पकड़ा तो वह तो उस हथौड़े से जैसे चिपक ही गया। अब वह उसे अपने आप छोड़ना चाह कर भी नहीं छोड़ पा रहा था।
उधर बिल्ली एक महीने के बाद चारों तरफ घूम घाम कर आया तो उसने देखा कि शैतान गुस्से में भरा पसीने में तर बतर उसका स्ले का हथौड़ा चलाये ही जा रहा है चलाये ही जा रहा है।
बिल्ली ने बड़ी शान्ति से उससे कहा — “गुड मौर्निंग निक।”
निक हथौड़ा चलाते हुए बोला — “तुम तो बड़े ज़ोर का धोखा देने वाले निकले। तुमको तो धोखेबाजों का राजा कहा जाना चाहिये।”
बिल्ली फिर बोला — “निक तुम बहुत अच्छे हो। पर यह तो तुम अपनी मर्जी से बैठे थे। मैंने तुमको खाली हथौड़ा चलाने के लिये तो नहीं कहा था। फिर मुझे काम करने वाले लोग पसन्द हैं इसलिये तुम अपना काम जारी रखो। और फिर तुमको काम करने का मौका ही कहाँ मिलता होगा। आज मिला है तो थोड़ा काम कर लो।”
निक बोला — “बिल्ली थोड़ा तरस खाओ। तुम तो गिरते आदमी के ऊपर और बोझा नहीं डालते हो। तुम तो बहुत ही दयावान हो। बिल्ली मुझे इस हथौड़े से छुड़ाओ।”
बिल्ली बोला — “अच्छा तो मुझे उतना ही पैसा सात साल के लिये फिर से दे दो जितना तुमने मुझे पहले दिया था।”
“हाँ हाँ जो भी तुम कहो।”
बिल्ली ने निक को छोड़ दिया और निक उसको फिर से पैसे दे कर चला गया। अब बिल्ली फिर से अमीर हो गया और लोग फिर से उसके पास आने लगे।
सात साल गुजरते कितनी देर लगती है। सात साल शुरू हुए और चले गये। बिल्ली का सारा पैसा फिर खतम हो गया था। सात साल बाद बिल्ली फिर से गरीब हो गया था।
पर इतने समय ने उसको कम से कम यह सिखा दिया था कि आदमी को केवल अपनी मेहनत पर ही भरोसा करना चाहिये केवल दिये हुए पैसे पर नहीं। सो उसने एक नौकरी कर ली।
पर एक सुबह फिर पति पत्नी में फिर से झगड़ा हो गया और उन दोनों में खूब ज़ोर ज़ोर से लड़ाई होने लगी कि शैतान ने सोचा कि पति पत्नी की यह लड़ाई तो ठीक नहीं है सो वह वहाँ पहुँचा और बिल्ली की पत्नी की तरफ से बिल्ली से लड़ा और बिल्ली को एक घूँसा मार कर गिरा दिया।
जब पत्नी ने यह देखा कि शैतान ने उसके पति को गिरा दिया तो उसने शैतान को ज़ोर से एक डंडा मारा जिससे शैतान नीचे गिर गया।
पत्नी ने शैतान को ज़ोर की डाँट लगायी तो वह पीछे की तरफ भागा। पत्नी आगे बढ़ती आयी और शैतान पीछे हटता चला गया और पीछे पीछे हटते हटते आखिर वह बिल्ली की आराम कुर्सी में जा कर गिर गया।
बिल्ली ने जब शैतान को अपनी आराम कुर्सी में गिरे हुए देखा तो समझ गया कि अब वह और उसका दुश्मन दोनों सुरक्षित हैं।
वह अपनी पत्नी के पास आया और प्यार से बोला — “क्यों नाराज होती हो प्रिये। मुझे बेरहमी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती। तुम ज़रा जा कर आग में चिमटा गर्म कर के ले आओ।”
यह सुन कर शैतान ने उठने की कोशिश की पर उसको यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह तो उस कुर्सी से उठ ही नहीं पा रहा है।
बिल्ली बोला — “क्या बात है निक़ तुम्हारी कुछ तबियत खराब लगती है।”
निक ने एक बार फिर उठने की कोशिश की परन्तु वह तो जैसे उस कुर्सी से चिपक सा गया था।
बिल्ली फिर बोला — “मुझे खुशी है कि तुम यहाँ आ गये। मुझे दूर देशों की यात्रा का बड़ा शौक है। तुम उठो तो ज़रा घूमने चलते हैं। तुमको तो मालूम ही है कि ईमानदारों के बीच में सौदा तो सौदा ही होता है और ईमानदारों का मतलब होता है हम और तुम। अरे हाँ जूडी, चिमटा गर्म हो गया क्या?”
इस समय शैतान की हालत देखने लायक थी पर वह सँभल कर बोला — “देखो बिल्ली मैंने पहले भी तुहारी सहायता की है और आज भी करने को तैयार हूँ। चलो मैं तुमको सात साल और देता हूँ।” पर बिल्ली को तो जैसे कुछ सुनायी ही नहीं दे रहा था।
शैतान फिर बोला — “बिल्ली देखो मैंने हमेशा ही तुम्हारे परिवार की सहायता की है।”
बिल्ली बीच में ही बोला — “बस बस रहने दो और अब तुम अपनी नाक बनवाने के लिये तैयार हो जाओ।”
निक बोला — “मैं ज़िन्दगी भर तुम्हारे बच्चों का पालन पोषण करूँगा और उनको दुनियाँ में सबसे बड़ा आदमी बनाऊँगा चाहे वे बनना चाहें या न चाहें।”
बिल्ली बोला — “और मैं भी तुम्हारी नाक के साथ यही करूँगा।” कहते हुए अपने हाथ में लिया हुआ गर्म चिमटा उसने उसकी नाक से छुआ दिया और उसकी नाक खींच ली।
चिमटा उसने अपनी पत्नी को दे दिया और उसकी नाक उसने दीवार पर पाँच फुट ऊँची जगह पर चिपका कर उस पर अपना टोप टाँग दिया।
फिर वह बोला — “अब तुम मुझे उतने ही पैसे दो जितने तुमने मुझे पहले दिये थे और दफा हो जाओ।”
निक बोला — “ठीक है।” और तुरन्त ही उतने ही पैसे बिल्ली के पैरों के पास आ गिरे जितने उसने उसको पहले दिये थे।
बिल्ली ने पैसे उठाये और निक को छोड़ दिया। निक चला गया। बिल्ली एक बार फिर सात साल के लिये अमीर हो गया था और सात साल के बाद फिर गरीब हो गया।
ऐसी ही हालत में फिर एक दिन सुबह बिल्ली खड़ा सोच रहा था कि परिवार के लिये नाश्ते का इन्तजाम कैसे किया जाये कि शैतान फिर उसके पास आया।
अबकी बार शैतान यह सोच रहा था कि वह बिल्ली के सामने कैसे जाये सो उसने एक सोने के सिक्के का रूप रखा और एक ऐसी जगह जा कर बैठ गया जहाँ बिल्ली उसको आसानी से देख सकता था। वह इस ताक में था कि बस बिल्ली एक बार मुझे उठा ले फिर देखता हूँ मैं उसको।
बिल्ली ने उसे देखा और खुशी खुशी उठा कर उसे अपने बटुए में रख लिया। बटुए में घुसते ही शैतान एक ज़ोर की हँसी हँसते हुए बोला — “ओह बिल्ली आखिर आज मैंने तुम्हें पकड़ ही लिया। अपने सामने पड़ी चीज़ ज़रा सोच समझ कर उठाया करो। इतना लालच भी किस काम का।”
बिल्ली ने एक ज़ोर का ठहाका लगाया और बोला — “अरे बदकिस्मत, तो यह तुम हो? तुम हमेशा ही मेरे जाल में फँसने के लिये क्यों तैयार बैठे रहते हो?”
शैतान ने बिल्ली के बटुए में से निकलने की लाख कोशिश की पर सब बेकार। निक ने सोचा कि आज वह बैठे बिठाये फिर बिल्ली के जाल में कहाँ से फँस गया।
निक फिर बोला — “बिल्ली अब तो हम एक दूसरे को अच्छी तरह से जान गये हैं। चलो मैं तुमको सात साल और उतना ही पैसा और दूँगा। मुझे यहाँ से निकालो।” बिल्ली बोला — “आराम से आराम से, निक आराम से। निक तुम्हें मेरे उस स्ले वाले हथौड़े का वजन तो याद होगा। तुम्हारे लिये उतना ही काफी है।”
निक बोला — “मैं मानता हूँ कि मैं तुम्हारी टक्कर का नहीं हूँ। तुम मुझे छोड़ दो मैं तुम्हें दोगुना पैसा दूँगा। मैं सिक्का बन कर तुमसे तो केवल मजाक कर रहा था।”
बिल्ली बोला — “तो मैं भी तो कुछ मजाक कर लूँ न।”
निक बोला — “मैं तुम्हारे सामने एक सलाह रखता हूँ।”
बिल्ली बोला — “कुछ नहीं। मैं तुम्हारी कोई सलाह नहीं सुनने वाला।”
इस बार बिल्ली की पत्नी बोली — “इस पापी की बात भी एक बार सुन लो न कि यह क्या कहना चाहता है।”
शैतान बोला — “तुम जितने चाहोगे मैं तुम्हें उतने पैसे दूँगा, बस इस बार तुम मुझे आजाद कर दो।”
बिल्ली बोला — “तुम मुझे पिछली बार से दोगुने पैसे दे दो और दफा हो जाओ।”
तुरन्त ही उसके सामने सोने के चमकते सिक्कों का ढेर लग गया। बिल्ली ने अपना बटुआ खोला, सोने के वे चमकते सिक्के उसमें डाले और निक को आजाद कर दिया।
बिल्ली की पुरानी आदतें फिर से लौट आयीं। उसके दो लड़के थे। उनमें से एक को विरासत में उसी की आदतें मिली थीं, यहाँ तक कि नाम भी।
उसके दूसरे बेटे का नाम जेम्स था। वह बहुत ईमानदार और मेहनती लड़का था। वह अपने पिता को छोड़ गया और उसने अपनी मेहनत से खूब नाम कमाया, खूब पैसा कमाया और फिर कैसिल डाउसन नाम का शहर बसाया।
और फिर एक दिन बिल्ली मर गया। वैसे तो जब कोई आदमी मर जाता है तो उसकी ज़िन्दगी की कहानी उसी के साथ ही खत्म हो जाती है पर बिल्ली के बारे में ऐसा नहीं है। उसकी कहानी आगे भी बढ़ी सो अब हम पढ़ते हैं उसकी आगे की कहानी।
* * * * *
जैसे ही बिल्ली मरा वह सेन्ट मोरोकी के पास गया। यह वही सेन्ट था जिसने बिल्ली को तीन इच्छाओं का वरदान दिया था। वहाँ जा कर उसने धीरे से उसका दरवाजा खटखटाया। सेन्ट मोरोकी ने दरवाजा खोला।
बिल्ली धीरे से बोला — “भगवान आपकी इज़्ज़त बनाये रखे।”
सेन्ट मोरोकी बोले — “जाओ जाओ, तुम्हारे जैसे गरीब आदमी के लिये यहाँ कोई जगह नहीं है।”
बिल्ली बहुत थक गया था सो उसको अब आराम चाहिये था। वह चलते चलते एक काले फाटक पर पहुँचा और उसे खटखटाया तो उससे कहा गया कि जब वह अपना नाम बतायेगा तभी उसे अन्दर आने की इजाज़त मिल पायेगी।
बिल्ली बोला — “बिल्ली डाउसन।”
चौकीदार ने अपने साथी से कहा — “तुरन्त जाओ और मालिक को खबर करो कि वह जिससे इतना डरते हैं वही उनके दरवाजे पर खड़ा है।
बिल्ली का पुराना साथी जल्दी जल्दी बाहर निकला और चिल्लाया — “उसको अन्दर मत घुसने देना। फाटक पर ताला लगा दो। क्योंकि अगर वह अन्दर आ गया तो मैं खतरे में पड़ जाऊँगा। और बल्कि फिर इस घर में कोई और भी नहीं बचेगा।”
फिर वह बिल्ली से बोला — “जाओ जाओ, मैं तुम्हें बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। तुम यहाँ अन्दर नहीं आ पाओगे।”
बिल्ली मुस्कुरा कर शैतान से बोला — “ओह तो तुम यहाँ रहते हो। तुम मुझसे डरते हो?”
तुरन्त ही उस शैतान ने बिल्ली की नाक नोच ली और बिल्ली को ऐसा लगा जैसे उसकी नाक उसी लाल गर्म चिमटे से पकड़ ली गयी हो जैसे लाल चिमटे से उसने एक बार निक की नाक पकड़ी थी।
उसके बाद बिल्ली वहाँ से चला तो गया परन्तु हमेशा उसको यही लगता रहा कि उसकी नाक बराबर जल रही है। गर्मी हो या सर्दी, दिन हो या रात, और वह आज तक जल रही है। और उसकी वजह से तभी से वह तड़पता सा इधर से उधर घूमता फिर रहा है।
उसकी दाढ़ी बढ़ कर चिपक गयी है। अपनी नाक को ठंडा करने के लिये आजकल वह भले यात्रियों की नाक लेने के लिये रात को उनको उनके रास्तों से भटका देता है पर अभी तक वह किसी की नाक नहीं ले पाया है।
बच्चों तुम अपनी नाक संभाल कर रखना कभी तुम कहीं रास्ता भटक जाओ और वह तुम्हारी नाक ले कर रफूचक्कर हो जाये।
1. Nick – another name of Satan. It is the colloquial word for Satan.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)