सफेद बिल्ली : फ्रेंच/फ्रांसीसी लोक-कथा
The White Cat : French Folk Tale in Hindi
यह लोक कथा हमने तुम्हारे लिये फ्रांस देश की लोक कथाओं से ली है। यह वहाँ की एक बड़ी मशहूर और बहुत ही लोकप्रिय लोक कथा है।
एक बार की बात है कि एक राजा था जिसके तीन बेटे थे। उसके तीनों बेटे बहुत सुन्दर और बहुत बहादुर थे।
एक बार उसने उड़ती उड़ती यह खबर सुनी कि वे तीनों उसके जीते जी उसका राज्य हथियाने की सोच रहे थे। वे उसके मरने का इन्तजार भी नहीं करना चाहते थे।
सो उसने यह निश्चय किया कि वह उनके दिमाग को किसी और तरफ लगा देगा और इस तरह से वे उसके राज्य लेने का विचार अपने मन से निकाल देंगे। वह इनसे ऐसे वायदे करेगा जिनको वह हमेशा ही पूरा नहीं कर पायेंगे।
यह सोच कर उसने अपने बेटों को बुलाया और उनसे कहा —
“मेरे प्यारे बेटों, तुम लोगों मेरी बात सुनोे। अब इस बड़ी उमर में मैं
अब अपने राज्य की देखभाल उस तरह से नहीं कर सकता जैसे मैं
पहले किया करता था। इसलिये मैं अब अपने काम से छुट्टी लेना
चाहता हूँ।
मैं चाहता हूँ कि कोई होशियार और वफादार कुत्ता मैं अपने साथ के लिये रख लूँ। मैं वायदा करता हूँ कि तुम लोगों में से जो कोई भी मुझे सबसे ज़्यादा सुन्दर कुत्ता ला कर देगा वही मेरे राज्य का वारिस बनेगा।”
तीनों बेटे पिता की यह अजीब सी इच्छा सुन कर आश्चर्यचकित रह गये पर उनकी बात मान कर उनके लिये एक सुन्दर होशियार और वफादार कुत्ता ढूँढने चल दिये।
राजा ने उनको कुछ पैसे दिये, कुछ जवाहरात दिये और कहा कि वह उन सबको एक साल के बाद उसी समय उसी जगह उसी दिन उनके लाये हुए कुत्तों के साथ ही मिलेगा। बेटों ने पिता को विदा कहा और चले गये।
उन तीनों बेटों ने महल से थोड़ी ही दूर पहुँच कर अपना डेरा डाला और वे भी एक साल बाद उसी जगह मिलने का वायदा कर के अलग अलग राह पकड़ कर अपने अपने रास्ते चल दिये।
दो बड़े वाले भाइयों को तो रास्ते में काफी कठिनाइयाँ उठानी पड़ीं पर सबसे छोटा भाई बहुत ही दयालु, खुशमिजाज और चतुर था। वह काफी लम्बा और सुन्दर भी था जैसा कि एक राजकुमार को होना चाहिये इसलिये उसको ज़्यादा परेशानी नहीं हुई।
शायद ही कोई दिन गया होगा जब उसने कोई कुत्ता नहीं खरीदा होगा – छोटा कुत्ता, बड़ा कुत्ता, खेल वाला कुत्ता, शिकारी कुत्ता आदि आदि।
पर राजकुमार क्योंकि इस सफर पर अकेला ही निकला था तो वह सैकड़ों कुत्तों की तो अकेले देखभाल नहीं कर सकता था इसलिये जब भी उसको कोई कुत्ता अच्छा लगता तो वह उसको खरीद तो लेता पर अगले दिन जब उसको कोई उससे भी अच्छा कुत्ता मिल जाता तो वह पहले वाले कुत्ते को जाने देता और उस दूसरे कुत्ते को अपने साथ रख लेता।
वह अपनी उसी सड़क पर चलता रहा चलता रहा कि एक रात बहुत ज़ोर का तूफान आ गया और बहुत ज़ोर की बारिश होने लगी।
वह रास्ते से भटक गया और चलते चलते एक किले के पास आ पहुँचा। उस किले में उसको कोई दिखायी नहीं दे रहा था सिवाय बारह हाथों के जिनमें मशाल लगी हुई थी।
दूसरे कुछ हाथों ने उसको पीछे से धक्का दिया और उसको उस किले के अन्दर ले चले।
वह एक कमरे में से दूसरे कमरे में चलता जा रहा था और सारे कमरे बहुत ही कीमती पत्थरों और तस्वीरों से सजे हुए थे। उसको तो ऐसा लग रहा था कि वह किसी जादू के महल में आ गया हो।
साठ कमरों में से गुजरने के बाद उन हाथों ने उसे रोक दिया। वहाँ उसके गीले कपड़े उतार लिये गये और उसको बहुत कीमती और बढ़िया कपड़े पहना दिये गये।
फिर वे हाथ उसको खाने के कमरे में ले गये। वहाँ कोई काले कपड़ों से ढका करीब दो फुट लम्बा कोई आया जिसके चेहरे पर काले क्रेप का परदा पड़ा हुआ था। उसके पीछे पीछे बहुत सारे बिल्ले थे।
राजकुमार तो यह सब देख कर इतना चकित हो गया कि हिल भी न सका। इतने में वह दो फुट की छोटी शक्ल आगे बढ़ी और उसने अपने चेहरे से परदा हटाया।
राजकुमार ने देखा कि वह तो दुनियाँ की सबसे सुन्दर सफेद बिल्ली थी। उतनी सुन्दर बिल्ली तो उसने पहले कभी कहीं नहीं देखी थी।
वह बिल्ली राजकुमार से बोली — “ओ राजकुमार, तुम्हारा यहाँ स्वागत है। मैरी फैलीन तुमको यहाँ देख कर आज बहुत खुश है।”
राजकुमार बोला — “मैडम बिल्ली, यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने मेरा यहाँ इस तरह से स्वागत किया। बहुत बहुत धन्यवाद। पर क्योंकि तुम बोल सकती हो और तुम्हारे पास इतना बड़ा किला है इसलिये तुम मुझको कोई मामूली बिल्ली तो लगती नहीं। बताओ तुम कौन हो।”
फिर वे दोनों कुछ देर तक बात करते रहे। उसके बाद खाना परोसा गया। खाने के बीच में राजकुमार उस बिल्ली को दुनियाँ भर की खबरें सुना सुना कर उसका दिल बहलाता रहा।
इस सब में उसको पता चल गया कि उस बिल्ली को दुनियाँ के बारे में काफी कुछ पता था कि दुनियाँ में क्या हो रहा था। जब खाना खत्म हो गया तो बहुत सारे बिल्ले फैन्सी पोशाक पहन कर आये और उन्होंने एक बैले नाच किया। नाच के बाद उस सफेद बिल्ली ने अपने मेहमान को विदा कहा और चली गयी। जिन हाथों ने राजकुमार को यहाँ तक आने में सहायता की थी वे ही हाथ उसको उसके सोने वाले कमरे तक ले गये। अगली सुबह उन्हीं हाथों ने उसको उठाया और शिकारियों वाले बहुत सुन्दर कपड़े पहना कर बाहर आँगन में ले गये।
वहाँ जा कर राजकुमार ने देखा कि वह सुन्दर बिल्ली एक बन्दर पर बैठी हुई है और करीब पाँच सौ बिल्ले उसके आस पास खड़े हैं। वे सब शिकार का पीछा करने के लिये बिल्कुल तैयार हैं। राजकुमार को यह देख कर बहुत अच्छा लगा। ऐसा आनन्द तो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था। वे सब शिकार के लिये चले गये। उसके सवार होने के लिये एक लकड़ी का घोड़ा था पर वह लकड़ी का घोड़ा भी बहुत तेज़ी से भाग रहा था।
दिन पर दिन ऐसे ही आनन्द में बीतते जा रहे थे और इस आनन्द के समय में वह राजकुमार अपना देश तो भूल ही गया था। उसने सफेद बिल्ली से बार बार कहा — “जब भी मैं तुमको छोड़ कर जाऊँगा तब मैं कितना दुखी होऊँगा। मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ इसलिये या तो तुम लड़की में बदल जाओ या फिर मुझे बिल्ला बना लो।”
जब आदमी को कोई तकलीफ या परेशानी नहीं होती तो एक साल बीतने में कितनी देर लगती है। राजकुमार का भी एक साल बहुत जल्दी ही पूरा होने को आया और उसको पता ही नहीं चला। राजकुमार तो यह भी भूल गया था कि उसको वहाँ से कब जाना है पर उस बिल्ली को मालूम था कि राजकुमार को वहाँ से कब जाना है।
एक दिन बिल्ली ने राजकुमार से कहा — “राजकुमार, क्या तुम को मालूम है कि अपने पिता के लिये कुत्ता ढूँढने के लिये तुम्हारे पास अब केवल तीन दिन रह गये हैं? और तुम्हारे भाइयों को तो बहुत सुन्दर कुत्ते मिल भी गये होंगे।”
जब बिल्ली ने उसको इस बात की याद दिलायी तो उसको याद आया कि उसको तो कुत्ता ले कर अपने पिता के पास जाना है। यह सोच कर वह तो रो ही पड़ा।
रोते रोते वह बोला — “तुमने मेरे ऊपर कौन सा जादू डाला कि मैं इतना मुख्य काम भूल गया? अब मैं अपने पिता के लिये एक कुत्ते को और एक तेज़ दौड़ने वाले घोड़े को जो मुझे मेरे देश ले जा सके कहाँ ढूँढू?” और यह सब कह कर वह बहुत दुखी हो गया। सफेद बिल्ली ने उसको दिलासा दी कि अपने देश जाने के लिये वह उसका लकड़ी का घोड़ा ले जा सकता है। वह उसको काफी जल्दी उसके देश ले जायेगा और एक कुत्ता वह खुद उसको दे देगी।
फिर उसने उसको एक ऐकौर्न दे कर कहा
— “तुम अपना कान इसके ऊपर रख कर सुनने
की कोशिश करो तो तुम उस कुत्ते का भौंकना
सुन पाओगे।”
राजकुमार ने उससे वह ऐकौर्न लिया और उस पर अपना कान लगा कर सुनने की कोशिश की तो उसमें तो उसको कुत्ते का भौंकना साफ सुनायी दे रहा था।
राजकुमारी बोली — “इस ऐकौर्न के अन्दर दुनियाँ का सबसे सुन्दर कुत्ता बन्द है पर ख्याल रखना कि तुम इसको तब तक नहीं तोड़ना जब तक तुम राजा के सामने न पहुँच जाओ।”
फिर उसने उसको एक बहुत ही बदसूरत सा कुत्ता दिया और राजा के पास जाने के लिये कहा।
राजकुमार ने वह ऐकौर्न लिया, वह बदसूरत कुत्ता लिया और उस लकड़ी के घोड़े पर सवार हो कर नियत समय पर अपने भाइयों के पास आ गया।
भाइयों ने जब अपने सबसे छोटे भाई के पास वह लकड़ी का घोड़ा और बदसूरत कुत्ता देखा तो उसकी बहुत हँसी उड़ायी। वे सोचने लगे कि क्या उनका भाई उन चीज़ों से पिता का इनाम जीत पायेगा?
वहाँ से वे सब अपने पिता के पास आ गये। राजा ने देखा कि उसके दोनों बड़े बेटों के पास तो इतने सुन्दर, छोटे और कोमल कुत्ते थे कि उनको छूने में भी डर लगता था पर उसके छोटे बेटे के पास तो बहुत ही बदसूरत कुत्ता था जिसकी तरफ देखा भी नहीं जा रहा था।
राजा यह निश्चय ही नहीं कर पा रहा था कि राज्य किसको दिया जाये।
फिर उसके सबसे छोटे बेटे ने अपनी जेब से एक एैकौर्न निकाला जो उसको बिल्ली ने दिया था। उसने उसे तोड़ा तो उसमें से तो एक इतना छोटा सा कुत्ता निकला जो एक अँगूठी के अन्दर से उसके किनारों को बिना छुए ही निकल सकता था।
इसके अलावा वह कान्स्टानैट्स भी बजा सकता था। उसके कान जमीन को छू रहे थे और वह एक सफेद साटिन की गद्दी पर बैठा था।
राजा तो उस कुत्ते को देख कर यही सोचने लगा कि वह उस कुत्ते में क्या कमी निकाले क्योंकि उस छोटे से जीव में कोई भी कमी निकालना बहुत मुश्किल था। उसको लगा कि दुनियाँ में उससे सुन्दर कुत्ता और कोई था ही नहीं।
खैर वह अपना राज्य तो अभी किसी को देना नहीं चाहता था सो उसने उन तीनों से कहा कि वे तीनों अपनी खोज में इतने ज़्यादा सफल रहे कि अब वह उनको धरती और समुद्र कहीं से भी एक ऐसे कपड़े की खोज में भेजना चाहता था जो एक बहुत ही छोटी सुई के छेद में से निकल सके।
इस काम के लिये उसने फिर से उन तीनों को एक साल का समय दिया और कहा कि वह उन सबको उसी समय उसी जगह उसी दिन एक साल के बाद उनके लाये हुए कपड़ों के साथ ही मिलेगा। बेटों ने पिता को विदा कहा और चले गये।
तीनों राजकुमार एक बार फिर से अपने सफर के लिये निकले। तीनों राजकुमार अपनी पुरानी जगह से फिर से उसी वायदे के साथ अपने अपने रास्तों पर चल दिये कि एक साल बाद वे तीनों वहीं आ कर मिलेंगे।
सबसे छोटे राजकुमार ने अपना लकड़ी का घोड़ा उठाया और सीधा सफेद बिल्ली के पास पहुँचा। सफेद बिल्ली तो उसको देख कर बहुत खुश हो गयी।
जब राजकुमार ने उसको बताया कि इस बार उसके पिता को क्या चाहिये था तो सफेद बिल्ली बोली कि वह बिल्कुल चिन्ता न करे और आराम से रहे। उसने कहा कि उसके महल में बहुत ही बढ़िया सूत कातने वाले मौजूद थे वे उसके लिये ऐसा कपड़ा जरूर बुन देंगे।
अब तक राजकुमार को यह विश्वास हो गया था कि यह सफेद बिल्ली कोई साधारण बिल्ली नहीं थी पर जब भी राजकुमार ने उससे अपनी कहानी सुनाने के लिये कहा तब तब उसने उसको टाल दिया। इस तरह से राजकुमार का दूसरा साल भी वहाँ आनन्द मनाते गुजर गया।
और फिर वह दिन भी आया जब उन तीनों राजकुमारों को अपने पिता को उनका मँगाया हुआ कपड़ा देना था।
जाने से एक दिन पहले राजकुमारी ने उसको एक अखरोट दिया और कहा — “देखो, इसमें दुनियाँ की सबसे बढ़िया मलमल बन्द है पर ध्यान रहे इसको भी तुम राजा के सामने ही तोड़ना।” और उसको विदा कहा।
इस बार दोनों बड़े राजकुमारों ने अपने तीसरे भाई का इन्तजार नहीं किया और राजा के सामने अपना कपड़ा ले कर आ गये। उन दोनों भाइयों का लाया हुआ कपड़ा बहुत ही सुन्दर बारीक और हल्का था। हालाँकि वे कपड़े राजा की बड़ी सुई के छेद में से तो बड़े आराम से निकल रहे थे पर उसके पास जो छोटी सुई थी उसके छेद में से हो कर वे नहीं जा पा रहे थे।
इस बारे में अभी काफी कानाफूसी हो रही थी कि उन सबको मीठे संगीत की आवाज सुनायी पड़ी। सबसे छोटा राजकुमार रथ पर बैठा हुआ बहुत सारे नौकरों के साथ चला आ रहा था। यह सब उसको सफेद बिल्ली ने दिया था।
आ कर उसने पिता को प्रणाम किया, भाइयों से गले मिला और एक रत्नों से जड़ा बक्सा निकाला। उसमें से उसने एक अखरोट निकाला और उसको राजा के सामने ही तोड़ दिया।
उस अखरोट में से चैरी फल की एक गुठली निकली। गुठली को तोड़ने पर उसमें से एक और दाना निकला और उस दाने को छीलने पर उसमें से एक मक्का का दाना निकला।
राजकुमार को अबकी बार सफेद बिल्ली पर कुछ शक सा होने लगा था। पर फिर भी उसने उस मक्का के दाने को तोड़ा तो उसमें से बाजरे का एक दाना निकला और उस बाजरे के दाने में से निकला इतना बढ़िया कपड़ा जो राजा के पास जो छोटी वाली सुई थी उसके छेद में से भी उसकी छह परतें निकल सकती थीं। वह कपड़ा कम से कम चार सौ ऐल लम्बा था। वह कपड़ा इतना बारीक ही नहीं था बल्कि उस पर अनगिनत आदमियों और जगहों की पेन्टिंग भी बनी हुईं थीं।
राजा ने एक लम्बी साँस भरी और अपने बच्चों से बोला — “इस बुढ़ापे में मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। तुम लोगों ने मेरी इच्छाओं को पूरा तो किया है पर मैं चाहता हूँ कि तुम लोग एक बार अपने आपको और साबित करो।
एक बार और एक साल तक सफर करो और साल के आखीर में मुझे जो कोई भी मुझे सबसे सुन्दर लड़की ला कर देगा वही उससे शादी करेगा और उसी को मैं अपना राज्य दे दूँगा।
मैं तुम लोगों से वायदा करता हूँ कि इस बार मैं इस इनाम को और आगे नहीं बढ़ाऊँगा।”
तीसरे राजकुमार को राजा की यह बात अच्छी नहीं लगी। उसका कुत्ता और उसका कपड़ा दोनों एक ही नहीं बल्कि दस दस राज्यों से भी ज़्यादा कीमती थे पर वह इस तरीके से बड़ा हुआ था कि वह अपने पिता की इच्छाओं के खिलाफ नहीं जा सकता था।
सो वह अपने रथ पर सवार हुआ, अपने नौकरों को साथ लिया और एक बार फिर से उस सफेद बिल्ली के किले में आ पहुँचा।
सफेद बिल्ली ने आश्चर्य से उससे पूछा — “अरे, तुम फिर से बिना ताज पहने ही आ पहुँचे?”
राजकुमार बोला — “मैडम, तुम्हारी सब भेंटों ने मुझे वह ताज दे दिया होता पर मुझे लगता है कि राजा को उसे छोड़ते हुए कुछ ज़रा ज़्यादा ही तकलीफ हो रही है बजाय मेरी उस खुशी के जो मुझे उसे पहन कर होती। अब मेरे पिता जी को सबसे सुन्दर बहू चाहिये।”
बिल्ली बोली — “तुम चिन्ता न करो। तुमको ऐसे किसी भी काम को नहीं छोड़ना चाहिये जिससे तुमको वह ताज मिल सके। तुमको एक सुन्दर लड़की ले कर अपने पिता के पास जाना ही चाहिये।
कोई बात नहीं मैं तुम्हारे लिये एक ऐसी लड़की ढूँढूँगी जिससे तुमको वह ताज मिल सके। मैं तुम्हारे लिये दुनियाँ की सबसे सुन्दर लड़की ढूँढूँगी। तब तक तुम यहाँ आनन्द से रहो।”
इस बार भी अगर बिल्ली ने उसके जाने के समय का ध्यान न रखा होता तो राजकुमार अपने जाने का समय ही भूल गया होता।
जाने के दिन के पहले दिन की शाम को बिल्ली ने कहा मैं तुम्हारे लिये दुनियाँ की सबसे सुन्दर लड़की ले कर आऊँगी। अब वह समय आ गया है जब उस नीच परी का काम खत्म होगा।
उसने राजकुमार से कहा कि इस काम को पूरा करने के लिये उसको अपने मन को सख्त कर के उसका यानी बिल्ली का सिर और पूँछ काट कर आग में फेंकना पड़ेगा।
राजकुमार यह सुन कर रो पड़ा और बोला — “क्या? यह तुम क्या कह रही हो? क्या तुम सोचती हो कि मैं इतना बेरहम हो सकता हूँ कि मैं जिसको प्यार करता हूँ उसी को मारूँ? क्या तुम यह चाहती हो कि मैं तुमको यह साबित कर के बताऊँ कि तुमने जो कुछ भी मेरे ऊपर मेहरबानियाँ की हैं वे मैं सब भूल गया हूँ?”
बिल्ली उसको समझाते हुए बोली — “नहीं ऐसी बात नहीं है राजकुमार। तुम कृतघ्न बिल्कुल भी नहीं हो। तुम इस काम को इसलिये करोगे ताकि हम और तुम सुख से रह सकें। एक बिल्ली का विश्वास करो मैं अभी भी तुम्हारी दोस्त हूँ।”
फिर भी राजकुमार का मन नहीं माना। यह सोच कर ही राजकुमार की आँखों से आँसू बहने लगे कि वह बिल्ली को मार डालेगा।
उसने इस सबको न करने के लिये बिल्ली से बहुत कुछ कहा पर फिर बिल्ली के बार बार कहने पर उसने अपनी तलवार उठायी और काँपते हाथों से उस बिल्ली का गला और पूँछ दोनों काट डाले।
उसी पल एक बड़ी आश्चर्यजनक घटना घटी – उस सफेद बिल्ली का शरीर बढ़ने लगा और फिर वह एक बहुत ही सुन्दर लड़की में बदल गया। ऐसा कैसे हुआ यह तो कोई नहीं कह सकता था पर बस उसको वह बदलते देख सका।
उस लड़की का शरीर इतना सुन्दर था जिसको शब्दों में नहीं कहा जा सकता था। तभी वहाँ लौर्ड और लेडीज़ अपनी अपनी बिल्लियों की खालें अपने कन्धों पर डाले हुए आये और उस राजकुमारी के पैरों पर आ कर गिर गये।
वे सब भी उस राजकुमारी को उसके असली रूप में देख कर बहुत खुश थे। उसने सबका प्रेम से स्वागत किया जिससे ऐसा लगता था कि वह दिल की कितनी अच्छी थी।
फिर उसने राजकुमार को अपनी कहानी सुनायी कि किस तरह से वह एक नीच जादूगरनी के जादू से बिल्ली के रूप में बदल गयी थी। राजकुमार को तो उसको देखते ही उससे प्रेम हो गया।
कहानी सुना कर उसने कहा — “मगर राजकुमार तुमने मुझे इस हालत से आजाद किया मैं तुम्हारी बहुत कृतज्ञ हूँ। असल में जब मैंने तुमको पहली बार देखा था तभी मुझे लगा था कि तुम ही मेरी सहायता करोगे।”
फिर वे दोनों एक शानदार गाड़ी मे चढ़े और उधर चल दिये जहाँ राजकुमार के दोनों भाई उसका इन्तजार कर रहे थे।
जैसे ही वे उस जगह पहुँचे तो वह राजकुमारी एक क्रिस्टल पत्थर में घुस गयी जो रत्नों से जड़ा हुआ था। इस पत्थर को कुछ बहुत ही बढ़िया कपड़े पहने आदमी उठा कर ले जा रहे थे। राजकुमार अभी भी अपनी गाड़ी में बैठा हुआ था। उसने देखा कि उसके दोनों भाई अपनी अपनी लायी हुई लड़कियों के साथ उसी की तरफ आ रहे थे।
जब उन्होंने उससे उसकी लायी हुई लड़की के बारे में पूछा तो उसने उनको बताया कि वह तो केवल एक बिल्ली ही ले कर आया था।
इस बात पर उनको खूब हँसी आयी। फिर वे अपने घर की तरफ चल दिये। सबसे छोटा भाई उन दोनों के पीछे था और उसके पीछे था वह रत्नजटित पत्थर।
महल आने पर दोनों बड़े राजकुमारों ने अपनी अपनी लायी हुई लड़कियों को गाड़ी से उतारा और महल में अन्दर ले गये। राजा ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया पर वह यह निश्चय नहीं कर सका कि वह उनमें से किसको इनाम दे।
फिर उसने अपने सबसे छोटे बेटे की तरफ देखा और पूछा —
“तो इस बार तुम अकेले ही आये हो?”
राजकुमार ने उस रत्नजटित पत्थर को दिखाते हुए जवाब दिया
— “नहीं जनाब, मैं अकेला नहीं आया बल्कि यह पत्थर साथ लाया
हूँ। इस पत्थर में आप एक छोटी से सफेद बिल्ली देखेंगे जो बहुत
मीठी मीठी म्याऊँ करती है और जिसके मखमली मुलायम पंजे हैं।”
यह सुन कर राजा मुस्कुराया और खुद उस पत्थर को खोलने के लिये उठा। जैसे ही वह उस पत्थर के पास आया और उसे छुआ वह पत्थर टूट कर बिखर गया और उसमें से एक बहुत सुन्दर लड़की ऐसे निकल आयी जैसे बादलों में से सूरज निकलता है। उसके सुन्दर बाल उसके कन्धों पर बिखर कर लहराते हुए उसके पैरों तक पहुँच रहे थे और उसने सफेद और गुलाबी रंग की पोशाक पहनी हुई थी। उसने राजा को काफी नीचे तक झुक कर नमस्ते की।
राजा उसको देख कर उसकी तारीफ में यह कहे बिना न रह सका — “यही है वह जिसका कोई जवाब नहीं। यही मेरे ताज की अधिकारी है।”
वह लड़की बोली — “पिता जी, मैं यहाँ आपकी राजगद्दी लेने नहीं आयी हूँ। वह तो आपकी शान है उस पर तो आप ही बैठे अच्छे लगते हैं। मैं तो खुद ही छह राज्यों की वारिस हूँ। उसमें से एक राज्य मैं आपको देती हूँ और एक एक राज्य आपके सब बेटों को देती हूँ।
इसके बदले में मैं बस इतना चाहती हूँ कि मैं आपके सबसे छोटे बेटे से शादी कर सकूँ। हमारे पास फिर भी तीन राज्य रहेंगे।” यह सुन कर राजा और उनके दरबारी सब खुशी से चिल्ला पड़े।
सबसे छोटे राजकुमार और उस राजकुमारी की तुरन्त ही शादी हो गयी। दूसरे दोनों बड़े राजकुमारों की भी उनकी लायी हुई लड़कियों से शादी कर दी गयी। इस तरह से उस राज्य में बहुत दिनों तक खुशियाँ मनायीं गयीं।
बाद में फिर सब राजकुमारों को उनके राज्यों में भेज दिया गया ताकि वे अपना अपना राज्य सँभाल सकें। सफेद बिल्ली अपनी सुन्दरता, दया और मीठे स्वभाव के लिये हमेशा याद की गयी।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)