तीन सुनहरे सन्तरे : स्पेनी लोक-कथा

The Three Golden Oranges : Spanish Folk Tale in Hindi

डूबता हुआ सूरज अपना सुनहरा साया एक सादे से कलई किये गये मकान पर पड़ रहा था कि उस समय तीन भाई सैनटियागो, टोमस और मैटियास खेतों से अपने घर की तरफ लौट रहे थे।

दोनों बड़े भाई आगे आगे जल्दी जल्दी चल रहे थे क्योंकि उनके पास ले जाने के लिये कोई बोझा नहीं था और उनका छोटा भाई उनके पीछे धीरे धीरे चल रहा था क्योंकि उसके कन्धे पर गेंहू की बालियाँ रखी हुई थीं।

जब वे तीनों घर पहुँचे तो उनकी माँ सैरा ने कहा — “बैठ जाओ बेटे और थोड़ा आराम कर लो। मैं तुम तीनों से कुछ बात करना चाहती हूँ।”

जब वे थोड़ी देर आराम कर चुके तो वह बोली — “मैं अब दादी बनना चाहती हूँ। इसलिये मैंने तय कर लिया है कि अब समय आ गया है जबकि तुम्हारे लिये लड़कियाँ ढूँढी जायें ताकि तुम लोग अपना परिवार शुरू कर सको। इसलिये तुम लोग अपने लिये तुरन्त ही लड़कियाँ ढूँढना शुरू कर दो।”

तीनों भाइयों ने कुछ सोचते हुए एक दूसरे की तरफ देखा। वे जानते थे कि सारी घाटी में जो पहाड़ों से ले कर समुद्र तक फैली हुई थी एक भी लड़की ऐसी नहीं थी जिसकी शादी न हुई हो।

जब वे अगले दिन खेतों पर गये तब भी यह मामला उनके दिमाग में घूम रहा था। मैटियास बोला — “क्यों न हम चल कर उस बुढ़िया से पूछें जो समुद्र के किनारे वाली पहाड़ी पर रहती है।”

मैटियास के आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसके भाई उसकी कही बात पर राजी हो गये क्योंकि वे तो कभी उसकी बात सुनते भी नहीं थे।

तीनों भाई उस पहाड़ी पर जाने वाले तंग रास्ते पर चढ़ते चले गये जहाँ से समुद्र दिखायी देता था। वह बुढ़िया अपनी गुफा के सामने जहाँ वह रहती थी बैठी बैठी ऊन कात रही थी।

उसने अपना काम जारी रखते हुए उन भाइयों से पूछा — “कैसे आये हो?”

मैटियास ने सादे और नम्र तरीके से उसको बताया — “हम शादी करना चाहते हैं और इस बारे में हम आपसे सलाह लेने आये हैं।”

बुढ़िया ने पूछा — “और तुमको कैसी पत्नियाँ चाहिये?”

सैनटियागो तुरन्त बोला — “मुझको बहुत सुन्दर लड़की चाहिये।”

टोमस भी तुरन्त बोला — “मुझे ऐसी लड़की चाहिये जो अमीर हो और सुन्दर हो।”

बुढ़िया ने देखा कि मैटियास कुछ नहीं बोला तो उसने उसकी तरफ मुँह करके पूछा — “और तुम्हें?”

मैटियास बोला — “मुझे तो एक ऐसी जवान लड़की चाहिये जो दयालु हो, खुशमिजाज हो और ऐसी हो जिसको मैं बहुत प्यार कर सकूँ।”

बुढ़िया जवाब में बोली — “तुममें से हर एक को तुम्हारी पसन्द की लड़की मिल जायेगी पर तुम लोगों को इसके लिये एक साथ काम करना पड़ेगा।”

फिर वह एक नंगी ढालू जमीन जिसकी चोटी बादलों में छिपी हुई थी की तरफ इशारा करते हुए बोली — “तीन दिन तक तुम लोग उस पहाड़ी की तरफ जाओगे। उस पहाड़ी के दूसरी तरफ एक किला है जो सन्तरे के बाग से घिरा हुआ है। उसमें सारे सन्तरे अभी हरे होंगे पर उनमें से एक पेड़ पर केवल एक शाख पर तुमको तीन सुनहरे सन्तरे लटके दिखायी देंगे। वे तीनों सन्तरे तुम शाख को बिना कोई नुकसान पहुँचाये तोड़ लेना और तोड़ कर उनको मेरे पास ले आना तो तुमको अपनी अपनी पसन्द की पत्नियाँ मिल जायेंगी। पर याद रखना अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो पछताओगे।”

तीनों भाई अगले दिन के सफर की तैयारी करने के लिये जल्दी ही घर लौट आये। अगले दिन उन सबने अपनी अपनी जेबें गिरियों, खजूरों और डबल रोटियों से भरीं और अपने सफर पर चल दिये। वे सारे दिन चले। जब रात हुई तो रात काटने के लिये वे एक अनाज रखने वाली जगह में रुक गये। वहाँ वे एक भूसे का बिस्तर बना कर सो गये।

पर थोड़ी ही देर में सैनटियागो चाँद की एक किरन के अन्दर आने से जाग गया। वह किरन उस अनाजघर के दरबाजे से हो कर अनाजघर में आ रही थी।

उसने अपने आपसे पूछा — “मैं यहाँ अपने भाइयों के साथ अपना समय क्यों बरबाद कर रहा हूँ? जब हमको सन्तरे मिलेंगे तो शायद हम लोग उनमें से सबसे अच्छा सन्तरा लेने के लिये लड़ें। अगर मैं वहाँ सबसे पहले पहुँच जाता हूँ तो मैं उनमें से जो भी मुझे सबसे अच्छा सन्तरा लगेगा मैं वह सन्तरा ले लूँगा। फिर मेरे भाई लोग उन दो सन्तरों के ऊपर लड़ते रहें।”

यह सोच कर सैनटियागो उठा और सारी रात चलता रहा। तीसरे दिन सुबह सवेरे ही वह किले पर आ गया। तब तक सूरज की किरनें भी उस सन्तरे को बाग पर नहीं पड़ी थीं।

सन्तरे के सफेद फूल सुबह की रोशनी में चमक रहे थे। और जैसा उस बूढी स्त्री ने कहा था सारे सन्तरे अभी भी हरे थे।

सैनटियागो उन सुनहरे सन्तरों की खोज में लग गया। तभी एक पेड़ की सुनहरी चमक ने उसका ध्यान खींचा जो किले के दरवाजे के पास लगा था।

वे तीनों सन्तरे पेड़ की सबसे ऊँची शाख पर असली सोने के सन्तरों की तरह चमक रहे थे। यह शाख बहुत ऊँची थी वह उस शाख तक नहीं पहुँच सकता था पर वह उनको छोड़ने वाला भी नहीं था।

उसने पेड़ को पकडा, और यह देखने की कोशिश की कि वह उसको हिला कर वे सन्तरे तोड़ सकता था कि नहीं। पर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने देखा कि उसका तो हाथ ही उस पेड़ के तने से चिपक गया। वह तो वहाँ फँस गया था।

उसी समय किले में से निकल कर एक बूढ़ा बहुत सारे चौकीदारों के साथ वहाँ आया। उसने अपनी जादू की छड़ी उस पेड़ से धीरे से छुआई और सैनटियागो को पेड़ से छुड़ा दिया। पर फिर उसको तुरन्त ही उन चौकीदारों ने पकड़ लिया और एक तहखाने में डाल दिया।

उस तहखाने से सैनटियागो ने सुना कि वह बूढ़ा अपने आपसे रो रो कर कह रहा था — “ओ मेरी प्यारी पत्नी, मेरी कीमती बेटियाँ। तुम कब तक इस तरह से कैद रहोगी?”

उधर अगले दिन टोमस और मैटियास सो कर उठे तो उन्होंने देखा कि सैनटियागो तो उनको धोखा दे कर भाग गया था। वे उठ कर अपने सफर पर चल दिये। उस दिन शाम को रात को ठहरने के लिये उनको पहाड़ी के एक तरफ एक गुफा मिली सो वे लोग वहीं ठहर गये।

जब मैटियास सो गया तो टोमस दबे पाँव उठा और यह सोच कर वहाँ से चल दिया — “सैनटियागो तो पहले ही चला गया है पर मैं उसको पकड़ लूँगा। मैं इस बेवकूफ मैटियास को यहीं छोड़ जाऊँगा फिर यह जो चाहे करे।”

तीसरे दिन दोपहर को टोमस किले पर पहुँच गया पर उसको सैनटियागो वहाँ कहीं नहीं दिखायी दिया। टोमस को वहाँ की सन्तरों की खुशबू बहुत ही अच्छी लगी।

उसने भी देखा कि जैसा कि उस बुढ़िया ने कहा था अभी सारे सन्तरे कच्चे थे। तभी उसकी निगाह किले के दरवाजे के पास लगे एक पेड़ पर पड़ी जिससे रोशनी निकल कर आ रही थी। वह उधर ही खिंचा चला गया।

वहाँ जा कर उसने देखा कि वह रोशनी तो उस पेड़ पर लगे तीन सुनहरी सन्तरों में से आ रही थी। उन सुनहरे सन्तरों को देख कर तो वह पागल सा हो गया और पेड़ की तरफ लपका। जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ने के लिये पेड़ से लिपटा उसका सारा शरीर पेड़ से चिपक गया और वह तो हिल भी नहीं सका।

कुछ पल बाद ही वह पहले वाला बूढ़ा फिर वहाँ अपने चौकीदारों के साथ आया और अपनी जादू की छड़ी टोमस के शरीर से छुआ कर उसको पेड़ पर से छुड़ा लिया।

उसके चौकीदारों ने उसको भी ले जा कर उसी तहखाने में डाल दिया जहाँ उसका बड़ा भाई सैनटियागो पड़ा हुआ था।

इस बार दोनों ने उस बूढ़े को रोते हुए सुना — “ओ मेरी पत्नी, ओ मेरी कीमती बेटियों। एक भयानक जादूगर ने तुमको इस तरह कैद कर रखा है। कब आजाद होगी तुम?”

उधर अगले दिन जब मैटियास सो कर उठा तो उसने देखा कि टोमस भी उसको छोड़ कर भाग गया है। उसने सोचा कि अब उसको जल्दी करनी चाहिये क्योंकि उस समुद्र के किनारे वाली बुढ़िया ने कहा था कि सबको साथ साथ रहना है।

फिर भी किले पर पहुँचते पहुँचते उसको तीसरे दिन का तीसरा पहर हो गया। उसको भी सन्तरों के फूलों की खुशबू आयी तो उनका पीछा करते करते वह भी उन सुनहरे सन्तरों के पेड़ के सामने आ पहुँचा।

उसने सोचा कि उसको वे सन्तरे जल्दी से तोड़ लेने चाहिये और फिर उसको अपने भाइयों को ढूँढना चाहिये। वह सन्तरे तोड़ने के लिये उछला और उछल कर वह शाख पकड़ ली जिस पर सन्तरे लगे हुए थे।

उसके पकड़ने से वह शाख टूट गयी और पेड़ चिल्ला उठा। उस पेड़ के चिल्लाते ही वह बूढ़ा आदमी अपने कई चौकीदारों के साथ एक बार फिर से बाहर आ गया।

वह बूढ़ा आदमी बोला — “तुमने तो सन्तरे पहले ही तोड़ लिये इसलिये अब मैं तुमको गिरफ्तार नहीं कर सकता।”

मैटियास ने पूछा — “मेरे भाई कहाँ हैं?”

बूढ़ा आदमी बोला — “ये सन्तरे सारे दरवाजे खोल देंगे। तुम केवल डबल रोटी और पानी ले लो और कुछ नहीं। और हाँ देखो इन सन्तरों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाना नहीं तो वे सारे दरवाजे बन्द हो जायेंगे।”

मैटियास किले की तरफ दौड़ा तो उस बूढ़े के कहे अनुसार किले के लोहे के भारी दरवाजे उसके आगे आगे अपने आप खुलते चलते गये।

किले के अन्दर किले की ऊँची ऊँची दीवारें बढ़िया परदों से ढकी हुई थीं। मैटियास का ध्यान एक खास परदे की तरफ गया जिसमें एक नौजवान लड़की एक घाटी में एक सन्तरे के बागीचे में खड़ी थी।

हाालाँकि उसका मन वहाँ से हटने के लिये नहीं कर रहा था पर फिर भी वह अपने भाइयों की खोज जारी रखने के लिये वहाँ से आगे बढ़ा। आखिर उसने उनको पा ही लिया। उस तहखाने का दरवाजा जिसमें उसके भाई कैद थे अपने आप ही खुल गया था। सैनटियागो और टोमस दोनों उसके सामने गिड़गिड़ाये — “तुमको अकेला छोड़ने के लिये हमें माफ कर दो।”

मैटियास बोला — “अब इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है। अब तो बस हमें इन सन्तरों को समुद्र के पास रहने वाली उस बुढ़िया के पास ले कर जल्दी ही पहुँचना चाहिये।”

सो सैनटियागे और टोमस उस किले की शान से प्रभावित होते हुए बेमन से मैटियास के पीछे पीछे हो लिये। मैटियास बोला — “हमको किसी चीज़ को छूना नहीं है। सफर के लिये केवल डबल रोटी और पानी ले लो।”

पर जब वे मैटियास के पीछे किले के बाहर जा रहे थे तो उन्होंने अपनी जेबें जो भी सोने और चाँदी की चीजें , उनके हाथ लगीं उनसे भर लीं।

मैटियास जल्दी जल्दी बिना खाने और पीने के लिये रुके चला जा रहा था। हालाँकि सूरज बहुत गर्म था पर सन्तरे ताजा ही रहे। पर इससे पहले कि वे किले से बहुत दूर पहुँचें मैटियास के दोनों भाइयों ने अपनी डबल रोटी पहले ही खा ली थी और अपना सारा पानी खत्म कर लिया था। उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि सफर के अभी दो दिन और बचे हैं।

वह रात तीनों भाइयों ने एक चरवाहे की झोंपड़ी में बिताने का निश्चय किया पर सैनटियागो को रात भर नींद नहीं आयी।

वह इस बात से बहुत दुखी था कि उसका सबसे छोटा भाई वे सन्तरे ले कर जा रहा था जबकि वह सबसे बड़ा था और वह इस काम को नहीं कर सका।

सो आधी रात को वह उठा और अपने छोटे भाई के हाथ में लगी सन्तरों की शाख में से सबसे बड़ा सन्तरा तोड़ा और अपने सफर पर चल दिया।

सैनटियागो सारी रात चला और फिर अगली सारी सुबह चला। जल्दी ही सूरज ज़ोर से चमकने लगा और सैनटियागे को प्यास लग आयी। उसको लगा कि वह तो प्यास के मारे मर ही जायेगा।

जब वह प्यास और नहीं सह सका तो उसने वह रसीला सन्तरा खाने का निश्चय किया। पर जब उसने सन्तरे को बीच में से फाड़ा तो उसमें से एक बहुत ही सुन्दर जवान लड़की निकल पड़ी।

सन्तरे में से निकलते ही उसने उससे डबल रोटी माँगी।

सैनटियागो केवल यही कह सका — “डबल रोटी तो मेरे पास नहीं है वह तो मैंने सारी खा ली।” फिर उसने उससे थोड़ा सा पानी माँगा।

वह फिर बोला — “मैंने तो पानी भी सारा पी लिया।”

“तो मैं अपने सन्तरे में वापस जाती हूँ और फिर अपने पेड़ में।”

यह कह कर वह लड़की उसी सन्तरे में गायब हो गयी और फिर सन्तरा भी उसके हाथ से निकल कर गायब हो गया।

उसके जाने के बाद बाद वह धूल के एक तेज़ तूफान में फँस गया। अचानक उसके चारों तरफ किले की दीवारें खड़ी हो गयीं।

उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा था। इतने में ही वे चौकीदार फिर से आ गये और उन्होंने उसको फिर से पकड़ कर उसी तहखाने में डाल दिया।

इस बीच टोमस सुबह उठा। जब उसने देखा कि सैनटियागो एक सन्तरा ले कर वहाँ से गायब है तो उसने भी अपने बड़े भाई की देखा देखी वही करने की सोची।

उसने भी बचे हुए दो सन्तरों में से बड़ा वाला सन्तरा शाख पर से तोड़ा और वहाँ से चल दिया। मैटियास आराम से सोता रहा।

टोमस को भी पथरीला रास्ता और खूब गर्म सूरज मिला। जब उससे भी वह गर्मी नहीं सही गयी तो उसने भी मरने की बजाय सन्तरा खाना ज़्यादा अच्छा समझा।

जब उसने सन्तरा छीलना शुरू किया वह भी आश्चर्यचकित रह गया जब अचानक ही उसके सामने एक बहुत ही सुन्दर लड़की उसमें से निकल कर खड़ी हो गयी।

इतनी सुन्दर लड़की तो उसने पहले कभी देखी नहीं थी। उसके कीमती जवाहरातों और कपड़ों से लग रहा था कि वह बहुत अमीर थी।

निकलते ही उस लड़की ने उससे कहा — “मेहरबानी करके मुझे थोड़ी डबल रोटी दो।”

टोमस तो बस इतना ही बोल सका — “मेरे पास तो कोई डबल रोटी नहीं है। मैंने तो अपनी सारी डबल रोटी खा ली।”

वह लड़की फिर बोली — “तो फिर थोड़ा सा पानी ही दे दो।”

वह दुखी हो कर बोला — “मेरे पास तो वह भी नहीं है। मैंने तो वह भी सारा पी लिया।”

वह लड़की बोली — “तब मैं पहले अपने सन्तरे में और फिर अपने पेड़ में वापस जाती हूँ।” यह कह कर वह उस सन्तरे में गायब हो गयी और सन्तरा वापस पेड़ पर चला गया।

उसके गायब हो जाने के बाद टोमस ने भी अपने आपको धूल के तूफान में घिरा पाया। उसके चारों तरफ भी किले की दीवार खड़ी हो गयीं और वे चौकीदार उसको भी पकड़ कर उसी तहखाने में डाल आये जहाँ सैनटियागो पड़ा हुआ था।

जब मैटियास सुबह जागा तो उसने देखा कि उसकी शाख पर अब केवल एक ही सन्तरा रह गया है। वह अपने भाइयों के लिये बहुत दुखी हुआ। उसने सोचा कितने जल्दबाज हैं ये लोग।

डबल रोटी और पानी जो उसने बचा कर रखा था उसके सहारे मैटियास वह गर्म सूखी घाटी पार कर गया। शाम तक वह समुद्र के पास और फिर उस बूढ़ी स्त्री की गुफा तक पहुँच गया।

वह बूढ़ी स्त्री बोली — “मैं देख रही हूँ कि तुम तो पूरी शाख की शाख ही तोड़ लाये हो और तुमने तीनों सन्तरों को अलग अलग कर दिया है।

क्योंकि तुमने मेरा कहा नहीं माना इसलिये इससे जो आफत आने वाली है उससे मैं तुममें से किसी को नहीं बचा पाऊँगी।”

मैटियास ने पूछा — “पर मेरी पत्नी का क्या होगा? और मेरे भाई?”

वह बूढ़ी स्त्री बोली — “अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। तुम अपने घर वापस जाओ और अपने खेतों पर जाओ। इन्तजार करो और हमेशा अपने दिल की सुनो।” इतना कह कर वह अपनी गुफा में चली गयी।

मैटियास दुखी हो कर अपने घर लौट आया और अपनी माँ को आ कर उसने अपने सफर का हाल और अपनी मुसीबतों के बारे में बताया।

हालाँकि सैरा अपने बड़े बेटों के गायब हो जाने के बारे में सुन कर बहुत दुखी हुई पर वह मैटियास को वापस आया देख कर खुश भी थी।

हर सुबह जब मैटियास खेतों पर चला जाता तो एक सफेद फाख्ता आ कर सैरा के कन्धे पर बैठ जाती जैसे वह उसको तसल्ली दे रही हो।

जब सैरा अपने घर का काम करती रहती तो वह फाख्ता उसके साथ सारा दिन रहती। इससे सैरा को ऐसा लगता कि सब कुछ ठीक हो जायेगा।

एक सुबह जब गर्मियाँ खत्म हो रही थीं तो मैटियास खेत छोड़ कर जल्दी ही घर आ गया और माँ से बोला — “माँ मैं एक बार फिर से उस किले पर जाना चाहता हूँ जहाँ में पहले गया था। मैं जा कर देखता हूँ कि मैं अपने बड़े भाइयों को वहाँ फिर से पा सकता हूँ या नहीं।”

फिर उसकी निगाह उस फाख्ता पर जा कर ठहर गयी जो उसकी माँ के कन्धे पर बैठी हुई थी।

उसने माँ से पूछा — “माँ यह फाख्ता कहाँ से आयी?”

माँ बोली — “यह तो मेरे पास रोज आती है और जब तुम खेतों पर होते हो तो यह सारा दिन मेरे साथ ही रहती है। मैं इसको ब्लैनक्विटा कह कर पुकारती हूँ।”

मैटियास ने अपना हाथ बढ़ाया तो वह फाख्ता उसके हाथ पर आ कर बैठ गयी। वह उसके ऊपर प्यार से हाथ फेरने लगा तो उसने उसकी गरदन में एक काँटा सा चुभा हुआ महसूस किया।

उसने वह काँटा बड़ी सावधानी से खींच कर निकाल दिया तो वह फाख्ता तो एक लड़की बन गयी।

वह लड़की बोली — “मेरा नाम ब्लैन्काफ्लोर है” हम लोगों को यहाँ से तुरन्त ही चलना चाहिये। हमारे पास समय नहीं है। मैं खुद तुम्हारे साथ उस किले तक चलूँगी।”

सो वे दोनों किले की तरफ चल दिये। इस बार वहाँ तक का सफर मैटियास को बहुत छोटा लगा।

जब वे दोनों किले की तरफ जा रहे थे तो ब्लैन्काफ्लोर ने मैटियास को बताया कि कैसे उसकी दो बहिनें और माँ और वह खुद भी एक नीच जादूगर के शाप में जकड़ी हुई थीं क्योंकि उसके पिता ने अपनी किसी भी लड़की की शादी उससे करने से मना कर दिया था।

वह लड़की आगे बोली — “यह तो स्त्री का अधिकार है न कि वह किसी से भी शादी करे जिससे उसका मन करे। क्या तुम ऐसा नहीं सोचते?”

मैटियास की समझ में नहीं आया कि वह उसको उसकी इस बात का क्या जवाब दे जो वह उसको चुन ले।

जब वे उस सन्तरे के बाग में पहुँच गये तो उन्होंने देखा कि बाग के सारे सन्तरे पक गये हैं पर ब्लैन्काफ्लोर मैटियास को सीधे उसी पेड़ के पास ले गयी जिस पेड़ की शाखा वह पहले तोड़ कर लाया था। वहाँ दो सन्तरे लटके हुए थे।

मैटियास ने ब्लैन्काफ्लोर को ऊपर उठाया ताकि वह उस शाख तक पहुँच सके। ब्लैन्काफ्लोर ने सावधानी से वे दोनों सन्तरे तोड़ लिये और उनको घास पर रख दिया।

जैसे ही उसने उनको घास पर रखा वे दोनों दो लड़कियों में बदल गये। ये दोनों लड़कियाँ ब्लैन्काफ्लोर की बहिनें थीं। उसी समय वह बूढ़ा भी किले में से बाहर आ गया और अपनी तीनों बेटियों को देख कर बहुत खुश हुआ।

इतने में वह पेड़ भी हिला और सबकी आँखों के सामने देखते देखते वह एक स्त्री बन गया। तीनों बहिनें चिल्लायीं “माँ”।

उस बूढ़े आदमी ने भी अपनी पत्नी को गले से लगाया और अपनी बेटियों को उनके दोनों गालों पर चूमा।

ब्लैन्काफ्लोर बोली — “मेरे माता पिता से मिलो और मेरी बहिनों से – ज़ैनाइडा और ज़ोराइडा ।”

मैटियास बोला — “अब मुझे अपने भाइयों को ढूँढना है।”

बूढ़े ने किले के दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा — “अब किले के सारे दरवाजे खुले हैं तुम अन्दर जा सकते हो।”

मैटियास ने देखा कि उसके भाई सैनटियागो और टोमस दोनों उस किले के दरवाजे में से बाहर चले आ रहे हैं।

मैटियास और ब्लैन्काफ्लोर दोनों ने दोनों भाइयों को नमस्ते की पर जब सैनटियागो ने ज़ैनाइडा से पूछा कि क्या वह उससे शादी करेगी तो उसने जवाब दिया — “एक बेवकूफ बेकार के आदमी से शादी करने की बजाय तो मैं अकेला रहना ज़्यादा पसन्द करूँगी।”

और जब टोमस ने ज़ोराइडा से पूछा कि क्या वह उससे शादी करेगी तो उसने भी यही कहा — “मैं किसी बेवकूफ लालची आदमी से शादी करने की बजाय अकेला रहना ज़्यादा पसन्द करूँगी।” इसलिये महल में केवल एक ही शादी हुई।

शादी के बाद मैटियास और ब्लैन्काफ्लोर दोनों अपने उस सफेद घर को लौट आये जो समुद्र के पास था जहाँ की खिड़कियों के पत्थरों पर उन्होंने जिरेनियम के फूलों से भरे गमले रखे और सैरा का दिल खुशियों से भर दिया।

किसी को नहीं पता कि सैनटियागो और टोमस का क्या हुआ पर अगर हमें उनके बारे में कुछ भी पता चला तो हम तुम लोगों को उनके बारे में जरूर बतायेंगे।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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