तीन कुत्ते : स्वीडिश लोक-कथा

The Three Dogs : Folktale Sweden

एक बार की बात है कि एक राजा दुनियाँ में बाहर घूमने गया तो वहाँ से एक बहुत सुन्दर राजकुमारी ले कर लौटा। उसने उससे शादी कर ली। शादी के कुछ समय बाद ही भगवान ने उनको एक प्यारी सी बच्ची दी।

राजकुमारी के जन्म की सारे शहर में ही नहीं बल्कि सारे देश में बहुत खुशियाँ मनायी गयीं क्योंकि राजा की जनता राजा का सब तरह से अच्छा ही चाहती थी क्योंकि वह खुद बहुत अच्छा था। वह सब पर दया करता था और सबसे न्यायपूर्ण व्यवहार करता था।

जब बच्ची अपने पालने में ही थी कि एक अजीब सी दिखायी देने वाली स्त्री उसके कमरे में घुसी। उसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था कि वह कौन है और कहाँ से आयी है।

उस बुढ़िया ने उस बच्ची के ऊपर एक कविता पढ़ी और कहा कि उसको खुले आसमान में नहीं जाना चाहिये जब तक कि वह पूरे पन्द्रह साल की न हो जाये। अगर वह गयी तो एक पहाड़ी ट्रौल1 उसको पकड़ कर ले जायेगा।

(1. ट्रौल=नॉर्स पौराणिक कथाओं और स्कैंडिनेवियाई लोककथाओं में ट्रोल एक अलौकिक प्राणी है। मूल रूप से, ट्रोल नॉर्स पौराणिक कथाओं में एक नकारात्मक प्राणी रहा होगा। ट्रोल कहे जाने वाले प्राणी अलग-थलग चट्टानों, पहाड़ों या गुफाओं में रहते हैं, छोटे परिवारों में एक साथ रहते हैं, और शायद ही कभी मनुष्यों के लिए मददगार होते हैं।)

राजा ने जब यह सुना तो यह बात उसके दिल में बैठ गयी। उसने तुरन्त ही अपनी बेटी के चारों तरफ पहरेदार लगा दिये ताकि वे सब इस बात का पूरा ध्यान रखें कि वह पन्द्रह साल की होने तक खुले आसमान के नीचे न जाये।

कुछ समय बीतने के बाद राजा और रानी के एक और बेटी हुई। सारे राज्य में फिर से ढेर सारी खुशियाँ मनायी गयीं। पर वह अक्लमन्द बुढ़िया एक बार फिर से वहाँ प्रगट हुई और राजा को सावधान किया कि इस बच्ची को भी वह खुले आसमान के नीचे न ले जाये जब तक कि वह पूरे पन्द्रह साल की न हो जाये।

कुछ समय बाद भगवान ने उनको एक तीसरी बेटी दी। इस बार भी वह बुढ़िया वहाँ आयी और इसके लिये भी वही कहा जो उसने उसकी पहली दोनों बेटियों के लिये कहा था।

इस बार यह सुन कर राजा को बहुत दुख हुआ क्योंकि वह अपने बच्चों को दुनियाँ की किसी भी चीज़ से बहुत ज़्यादा प्यार करता था। उसलिये उसका यह सख्त हुक्म था कि उसकी बच्चियों को महल की छत के नीचे ही रखा जाये और कोई उसके हुक्म को टाल नहीं सकता था।

समय बीतता गया और राजा की बेटियाँ बड़ी होती गयीं। बड़ी हो कर सब बहुत सुन्दर हो गयीं।

अब एक ऐसा समय आया जब राज्य में लड़ाई छिड़ गयी और राजा को उनको छोड़ कर लड़ाई पर जाना पड़ा।

एक दिन जब वह लड़ाई पर बाहर था तो तीनों राजकुमारियाँ खिड़की में बैठी बाहर झाँक रही थीं। बाहर सुन्दर धूप खिली हुई थी जिसमें बागीचे के फूल खूब चमक रहे थे। उन सबकी बहुत इच्छा हुई कि वे बाहर जा कर उन फूलों से खेलें।

सो उन्होंने अपने पहरेदारों से विनती की कि वे बाहर बागीचे में जा कर थोड़ी देर के लिये खेलना चाहती हैं। पर उनके पहरेदारों ने उनको इस बात की इजाज़त नहीं दी क्योंकि वे राजा से डरते थे।

इस पर भी राजकुमारियों ने उनसे बड़े मीठे शब्दों में जिद की कि वे उनको बस थोड़ी देर के लिये जाने दें। फिर वे उनकी विनती को ठुकरा नहीं सके और उनको बाहर जाने दिया।

राजकुमारियाँ अभी बहुत दूर नहीं गयी थीं और जैसे ही वे खुले आसमान के नीचे आयीं कि अचानक एक बादल नीचे आया और उनको वहाँ से उठा ले गया। हालाँकि उनको चारों तरफ ढूँढा गया पर फिर भी उनको वापस लाने की सारी कोशिशें बेकार गयीं। सारे राज्य में दुख और उदासी छा गयी।

जब राजा घर आया तो यह सब सुन कर बहुत दुखी हुआ। उसका यह दुख तो बस सोचा ही जा सकता है। पर जो हो गया था वह तो हो गया था उसको तो वापस नहीं किया जा सकता था। आखीर में उन्होंने उसको पाने की अपनी आशा छोड़ दी।

राजा को पता ही नहीं था कि वह अपने आपको तसल्ली देने के लिये क्या करे सो उसने राज्य भर में यह मुनादी पिटवा दी कि जो कोई भी उसकी तीनों बेटियों को पहाड़ के ट्रौल से छुड़ा कर ले आयेगा तो उन तीनों में से एक की शादी उससे कर दी जायेगी। साथ में उसके उसको आधा राज्य भी दे दिया जायेगा।

यह खबर विदेशों में भी पहुँची। बहुत सारे नौजवान अपने अपने घोड़ों पर सवार हो कर राजकुमारियों की खोज में निकले। राजा के अपने दरबार में भी दो राजकुमार थे जो यह देखने के लिये राजकुमारियों को खोजने के लिये निकले कि उनकी किस्मत इस मामले में काम करती है या नहीं।

उन्होंने अपने आपको सबसे अच्छे तरीके से तैयार किया। सब तरह के कीमती सबसे अच्छे हथियार लिये और शान बघारते हुए वहाँ से चले कि वे बिना राजकुमारियों को लिये हुए वापस नहीं लौटेंगे।

अब हम राजा के बेटों को राजकुमारियों को ढूँढते हुए यहाँ छोड़ते हैं और दूसरे लोगों की तरफ चलते हैं।

बहुत दूर एक जंगल में एक गरीब विधवा रहती थी जिसके एक बेटा था। वह रोज अपनी माँ के सूअर चराने ले जाया करता था।

जब वह मैदानों से हो कर गुजरता था तो उसके पास एक बाँसुरी थी जिसको वह अक्सर बजाता जाता था। वह वह बाँसुरी इतनी अच्छी बजाता था कि जो कोई उसको सुनता था वह उसी को अच्छी लगती थी। वह उसको सुन कर मग्न हो जाता था।

एक बार ऐसा हुआ कि वह नौजवान चरवाहा जंगल में बैठा अपनी बाँसुरी बजा रहा था और उसके तीन सूअर एक पाइन के पेड़ की जड़ें खोद रहे थे कि उसको एक बहुत ही बूढ़ा आता दिखायी दिया। उसकी दाढ़ी बहुत ही घनी थी और लम्बी तो इतनी थी कि वह उसकी कमर से भी नीचे लटक रही थी।

उस बूढ़े के पास एक बहुत बड़ा कुत्ता था। जब नौजवान ने वह बड़ा सा कुत्ता देखा तो सोचा कि इस बूढ़े के पास जंगल के अकेलेपन में यह इतना बड़ा कुत्ता है तो यह तो अपने आपको कितना खुशकिस्मत समझ रहा होगा।

जब बूढ़े ने नौजवान को देखा तो वह समझ गया कि वह क्या सोच रहा होगा। उसने उससे कहा — “मैं यहाँ इसी लिये तो आया हूँ। मैं अपना कुत्ता तुम्हारे एक सूअर से बदलना चाहता हूँ।”

वह नौजवान तो तैयार था ही। उसकी यह बात सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने तुरन्त ही अपना एक सूअर उसको दे दिया और उसका कुत्ता खुद ले लिया।

जब वह बूढ़ा वहाँ से जाने लगा तो उससे बोला — “मुझे पूरा विश्वास है कि तुम इस कुत्ते से बहुत खुश और सन्तुष्ट रहोगे।

क्योंकि यह कोई दूसरे कुत्तों जैसा मामूली कुत्ता नहीं है। इसका नाम है “पकड़ लो” । और जिस चीज़ को भी तुम इससे पकड़ लेने के लिये कहोगे यह उसी को पकड़ कर रखेगा चाहे वह कोई कितना भी भयंकर ट्रौल ही क्यों न हो।”

यह कह कर बूढ़ा चला गया। नौजवान ने सोचा कि उसकी खुशकिस्मती थी कि उसको ऐसा अच्छा कुत्ता मिल गया। शाम को उसने अपने कुत्ते को बुलाया और अपने सूअर ले कर घर चला आया।

जब उसकी बूढ़ी माँ ने सुना कि वह एक सूअर दे कर एक कुत्ता ले आया है वह तो गुस्से से पागल सी हो गयी और उसने अपने बेटे को बहुत डाँट लगायी।

बेटे ने उससे बहुत कहा कि वह शान्त हो जाये पर उसके कहने का कोई असर ही नहीं हो रहा था। जितनी देर होती जा रही थी उसका गुस्सा उतना ही ज़्यादा बढ़ता जा रहा था।

बेटे की समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे सो उसने अपने कुत्ते को पुकारा और कहा “इसे पकड़ ले।”

कुत्ता तुरन्त ही उसकी माँ की तरफ दौड़ पड़ा और जा कर उसे पकड़ लिया। उसको उसने इतनी ज़ोर से पकड़ा कि वह तो हिल भी नहीं सकी पर उसने उसको कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। उसने उनके पास जो कुछ था उसका ठीक इस्तेमाल करने का वायदा किया और फिर उन दोनों में सुलह हो गयी।

अगले दिन बेटा फिर से अपने दोनों सूअरों को चराने को लिये अपने कुत्ते को साथ ले कर मैदान में गया। कुछ देर बाद वह बैठ गया और अपनी बाँसुरी बजाने लगा। कुछ देर बाद ही उसका कुत्ता उसकी बाँसुरी की धुन पर इतने अच्छे तरीके से नाचने लगा कि यह उसको एक जादू जैसा लगा।

और जब वह अपनी बाँसुरी बजा रहा था तो पहले दिन वाला सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा वहाँ फिर से आ पहुँचा। अबकी बार उसके पास एक और कुत्ता था। यह कुत्ता उस कुत्ते से भी बड़ा था जो उसने उससे पहले दिन लिया था।

जब उसने उसके इस कुत्ते को देखा तो उसने अपने मन में सोचा “अगर ऐसे अकेलेपन में किसी के पास ऐसा कुत्ता हो तो उसको तो डरने की कोई जरूरत ही नहीं है।”

जब बूढ़े ने यह देखा कि वह लड़का क्या सोच रहा था तो वह उससे बोला — “इसी लिये तो मैं यहाँ आया हूँ। मैं चाहता हूँ कि मैं अपने इस कुत्ते को तुम्हें दे कर तुम्हारा एक सूअर ले लूँ।”

नौजवान ने बिल्कुल भी वक्त नहीं गँवाया और तुरन्त ही उसको अपना एक सूअर दे कर उससे उसका वह शानदार कुत्ता ले लिया।

कुत्ता दे कर जब वह जाने लगा तो वह उससे बोला — “मुझे पूरा विश्वास है कि तुम इस कुत्ते से बहुत खुश और सन्तुष्ट रहोगे। क्योंकि यह कोई दूसरे कुत्तों जैसा मामूली कुत्ता नहीं है। इसका नाम है “फाड़ दो” । तुम इसे कोई भी चीज़ दे कर अगर इससे कहोगे “फाड़ दो” तो तुरन्त ही यह उसके टुकड़े टुकड़े कर देगा।”

यह कह कर उसने उससे सूअर लिया और अपने रास्ते चला गया। पर वह लड़का बहुत खुश था क्योंकि वह समझ रहा था कि उसने एक बहुत ही अच्छा सौदा कर लिया है हालाँकि उसको यह भी पता था कि उसकी बूढ़ी माँ इस सौदे से बिल्कुल भी सन्तुष्ट नहीं होगी।

जब शाम हुई तो उसने बचे हुए सूअर को बुलाया दोनों कुत्ते साथ लिये और घर चला गया। माँ तो उस कुत्ते को देख कर बहुत ही गुस्सा हो गयी। पर इस बार वह अपने बेटे को मारने की हिम्मत नहीं कर सकी क्योंकि वह बड़े बड़े कुत्तों से बहुत डरती थी।

पर फिर भी जैसा कि होता है काफी डाँटने के बाद लोग अपने आप ही चुप हो जाते हैं ऐसा ही उसके साथ भी हुआ। उसको काफी डाँटने के बाद वह अपने आप ही चुप हो गयी और फिर दोनों में सुलह हो गयी। क्योंकि माँ को भी लगा कि जो नुकसान उसके बेटे ने कर दिया है उसको वापस तो नहीं लाया जा सकता।

अगले दिन बेटा फिर से अपने दो कुत्तों और एक सूअर को अपने साथ ले कर मैदान में गया। वह बहुत खुश था। कुछ देर बाद वह फिर बैठ गया और अपनी बाँसुरी बजाने लगा। इस बार उसके दोनों कुत्ते उसकी बाँसुरी की धुन पर इतने अच्छे से नाचने लगे कि लड़के को उनका नाच देखने में बहुत अच्छा लगने लगा।

जब यह लड़का शान्ति से बैठा हुआ था तो पहले दो दिनों वाला सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा वहाँ फिर आ पहुँचा।

इस बार भी उसके साथ के लिये उसके पास एक शानदार कुत्ता था जिसको देख कर वह लड़का यह सोचे बिना न रह सका कि “अगर किसी के पास जंगल के इस अकेलेपन में ऐसा कुत्ता हो तो उसके पास तो शिकायत करने के लिये कुछ है ही नहीं।”

बूढ़े ने जब यह देखा तो वह उस लड़के से बोला — “इसी लिये तो मैं यहाँ हूँ। मैं अपना यह कुत्ता तुम्हें दे कर तुम्हारे आखिरी सूअर से बदलने आया हूँ।”

लड़का भी तुरन्त ही अपने सूअर के बदले में उसका कुत्ता लेने के लिये तैयार हो गया।

बूढ़े ने वह कुत्ता उसको दिया और बोला — “तुमको इस सौदे से कोई शिकायत नहीं होगी क्योंकि यह कुत्ता दूसरे मामूली कुत्तों जैसा कुत्ता नहीं है। इसका नाम है “ध्यान से सुनो” । इसकी सुनने की ताकत इतनी ज़्यादा है कि यह कई मील दूर तक की आवाज भी आसानी से सुन सकता है और घास और पेड़ों को बढ़ते हुए भी सुन सकता है।”

इसके बाद वे दोनों एक दोस्त की तरह से अलग हो गये पर ये कुत्ते पा कर वह लड़का बहुत खुश था कि अब उसे दुनियाँ में किसी चीज़ से डरने की जरूरत नहीं है।

जब शाम हुई तो उसने अपने तीनों कुत्ते लिये और घर की तरफ चल पड़ा। उसकी माँ यह देख कर बहुत दुखी थी कि उसने उनके घर की सारी चीज़ें बेच दी थीं।

बेटे ने उसको बहुत समझाया कि वह हिम्मत रखे। वह इस बात को ठीक से देखेगा कि उन लोगों को किसी बात की कोई कमी न रहे। जब वह खुशी खुशी यह सब अपनी माँ से कह रहा था तो उसको थोड़ी सी तसल्ली मिली। उसको लगा कि उसका बेटा अब बड़े आदमियों की तरह से अक्लमन्दी और जिम्मेदारी से बात कर रहा था।

अगली सुबह लड़का शिकार करने के लिये जंगल गया तो वह अपने तीनों कुत्तों को अपने साथ ले गया। और शाम को जब वह घर वापस लौटा तो उसके पास इतना शिकार था जितना वह ला सकता था। इस तरह से वह रोज शिकार कर के घर लाना शुरू कर दिया जब तक कि उसकी माँ का भंडारघर खाने और दूसरी चीज़ों से अच्छी तरह भर नहीं गया।

तब उसने अपने तीनों कुत्तों को बुलाया माँ को विदा कहा और उससे कहा कि वह अब बाहर जा कर अपनी किस्मत आजमाना चाहता है। माँ ने उसे इजाज़त दे दी।

वह टेढ़े मेढ़े रास्तों से हो कर पहाड़ के ऊपर की तरफ जाने लगा। धीरे धीरे वह एक जंगल के बीच में आ गया। वहाँ उसे फिर वही सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा मिल गया जिससे उसने अपने ये तीनों कुत्ते खरीदे थे। उससे मिल कर नौजवान बहुत खुश हुआ।

वह बोला — “गुड डे बाबा। पिछली बार के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।”

बूढ़ा बोला — “तुमको भी गुड डे। किधर जाते हो?”

नौजवान बोला — “मैं दुनियाँ में यह देखने के लिये बाहर निकला हूँ कि चलूँ देखूँ मेरी किस्मत में क्या लिखा है।”

बूढ़ा बोला — “तुम यहाँ से सीधे चले जाओ जब तक कि एक शाही महल न आ जाये। वहाँ जा कर तुम्हारी किस्मत पलटा खा जायेगी।” यह कह कर बूढ़ा चला गया।

बूढ़े को धन्यवाद दे कर और उसकी सलाह मान कर वह भी सीधे शाही महल की तरफ चल दिया। धीरे धीरे वह एक सराय तक आ पहुँचा।

वहाँ आ कर उसने अपनी बाँसुरी निकाल ली और उसे बजाने लगा। उसके कुत्ते उसकी बाँसुरी की धुन पर नाचने लगे। यह देख कर सराय वाले ने खुश हो कर उसे खाना और रहने की जगह दे दी। और भी बहुत कुछ दे दिया जो उसको चाहिये था। अगले दिन वह फिर चल दिया।

जब वह बहुत दूर तक चल लिया तब वह एक बड़े शहर में आ पहुँचा जहाँ की सड़कें लोगों से भरी हुई थीं। यह देख कर नौजवान को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह सब क्या था।

चलते चलते वह एक ऐसी जगह पहुँच गया जहाँ राजा के हुक्म की एक मुनादी पिट रही थी कि जो कोई भी राजा की तीन बेटियों को पहाड़ वाले ताकतवर ट्रौल से छुड़ा कर लायेगा उसके साथ एक राजकुमारी की शादी होगी और आधा राज्य दिया जायेगा।

यह सुन कर उसकी समझ में आ गया कि उस बूढ़े ने उससे ऐसा क्यों कहा था। क्यों उसने उसे यहाँ भेजा था।

उसने अपने कुत्ते बुलाये और राजा के किले की तरफ चल पड़ा। पर जिस दिन से वहाँ से राजकुमारियाँ गायब हुई थीं सारा राजभवन दुख के समुद्र में डूबा पड़ा था। और राजा और रानी का तो रोते रोते बुरा हाल था।

वह लड़का महल के चौकीदार के पास गया और उससे इजाज़त माँगी कि क्या वह राजा के सामने अपनी बाँसुरी बजा सकता है और उन्हें अपने कुत्तों को दिखा सकता है।

दरबारी लोग तो इस बात के लिये राजी थे क्योंकि वे सोच रहे थे कि यह शायद राजा को कुछ खुश कर सके। सो उसको अन्दर जाने की इजाज़त मिल गयी और उसको अन्दर बुला लिया गया।

जब राजा ने उसको बाँसुरी बजाते सुना और उसके कुत्तों का सुन्दर नाच देखा तो उसका दिल खुश हो गया। किसी ने उसको पिछले सात सालों में जबसे उसकी बेटियाँ गायब हुई थीं इतना खुश कभी नहीं देखा था।

जब कुत्तों का नाच खत्म हो गया तो राजा ने उससे पूछा कि उसको राजा को खुश करने के लिये क्या इनाम चाहिये। नौजवान बोला — “आदरणीय राजा। मैं आपके पास कोई सोना या कपड़ा माँगने नहीं आया। मैं आपसे केवल इस बात की इजाज़त माँगने आया हूँ कि आप मुझे अपनी बेटियों को पहाड़ के ट्रौल से छुड़ा लाने की इजाज़त दें।”

जब राजा ने यह सुना तो राजा और उदास हो गया।

राजा बोला — “तुम मेरी बेटियों को उस ट्रौल से छुड़ा कर लाने की तो सोचना भी मत। यह कोई बच्चों का खेल नहीं है। तुमसे अच्छे अच्छे लोग अब तक कोशिशें कर चुके हैं पर अब तक सबकी कोशिशें बेकार गयी हैं। पर अगर तुम मेरी एक भी बेटी को वहाँ से छुड़ा कर ला सके तो मैं अपने वायदे से नहीं मुकरूँगा।”

सो उसने राजा से इजाज़त ली और पहाड़ के ट्रौल की तरफ चल दिया। उसने निश्चय किया कि वह जब तक वह जो कुछ ढूँढ रहा है वह उसे नहीं मिल जायेगा वह चैन से नहीं बैठेगा।

उसने कई बड़े बड़े राज्य बिना किसी खास घटना के पार किये। वह जहाँ भी गया उसके कुत्ते उसके साथ ही रहे। ध्यान से सुनो उसके बिल्कुल साथ साथ चल रहा था ताकि वह उसके आस पास की हर चीज़ को ध्यान से सुन सके जो उसको सुननी चाहिये।

पकड़ कर रखो अपने मालिक का थैला पकड़ कर ले जा रहा था और फाड़ दो जो इन सब कुत्तों में सबसे ज़्यादा ताकतवर था अपने मालिक को तब उठा कर ले जाता था जब वह चलते चलते थक जाता था।

एक दिन ध्यान से सुनो लड़के के पास दौड़ता हुआ आया और बोला कि वह एक ऊँचे से पहाड़ पर गया था जहाँ उसने राजकुमारी को सुना। उस समय ट्रौल घर में नहीं था और वह वहीं आस पास में ही घूम रहा था। यह सुन कर लड़का बहुत खुश हुआ। वह तुरन्त ही अपने तीनों कुत्तों के साथ उस पहाड़ की तरफ चल दिया।

जब वे लोग वहाँ पहुँचे तो ध्यान से सुनो बोला — “अब समय बरबाद करने का समय नहीं है। जो कुछ करना है जल्दी करो। ट्रौल अभी यहाँ से दस मील दूर है। और मैं पत्थरों पर उसके सोने के खुरों की आवाज सुन पा रहा हूँ।”

लड़के ने अपने कुत्तों को पहाड़ में एक दरवाजा तोड़ने के लिये कहा जो उन्होंने किया। जब वह उसके अन्दर घुसा तो उसने एक बहुत सुन्दर लड़की देखी जो उस पहाड़ के एक कमरे में बैठी थी और सोने का धागा एक सोने की तकली51 पर लपेट रही थी।

लड़का उसकी तरफ बढ़ा और उसको बड़े मीठे शब्दों में नमस्ते की। राजा की बेटी को उस लड़के को वहाँ देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। वह बोली — “तुम कौन हो जिसने यहाँ पहाड़ वाले ट्रौल के कमरे में आने की हिम्मत की। पिछले सात सालों से मैं यहाँ इस पहाड़ में बैठी हुई हूँ पर मैंने आज तक कोई आदमी यहाँ नहीं देखा।”

वह आगे बोली — “भगवान के लिये तुम ट्रौल के घर से जल्दी से जल्दी चले जाओ वरना तुम्हारी जान खतरे में है।”

पर हमारा नौजवान बिल्कुल निडर था। उसने कहा कि वह किसी से डरता नहीं और वह उस ट्रौल के आने का इन्तजार करेगा।

जब वे लोग बातें कर रहे थे तभी ट्रौल अपने घोड़े पर सवार वहाँ आ पहुँचा। उसके घोड़े पर सोने का साज सजा था। जब उसने देखा कि उसका दरवाजा खुला पड़ा है तो वह बहुत गुस्सा हुआ और इतने ज़ोर से चिल्लाया कि सारा पहाड़ काँप उठा —
“किसने मेरे पहाड़ का दरवाजा तोड़ा?”

नौजवान ने बिना किसी डर के जवाब दिया — “मैंने तोड़ा। और अब मैं तुम्हें भी तोड़ दूँगा। ओ पकड़ने वाले पकड़ ले इसको। फाड़ने वाले और ध्यान से सुनने वाले इसके हजारों टुकड़े कर दो।”

जैसे ही उसने यह बोला वैसे ही उसके तीनों कुत्ते भागे और उसके हजारों टुकड़े कर के फेंक दिये। राजकुमारी तो यह देख कर बहुत खुश हुई — “भगवान की जय हो। आखिर मैं यहाँ से छुटकारा पा ही गयी।”

खुशी के मारे वह नौजवान के गले से लिपट गयी और उसको चूम लिया। पर नौजवान वहाँ एक मिनट के लिये भी रुकना नहीं चाहता था। उसने ट्रौल के घोड़े पर जीन कसी उस पर जितना भी उसको सोना और कपड़ा लादना था लादा और राजकुमारी को ले कर तुरन्त ही राजा के पास दौड़ गया।

वो सब बहुत दूर तक चलते रहे। एक दिन ध्यान से सुनो जो हमेशा लड़के के घोड़े के आगे आगे चला करता था जल्दी से दौड़ता हुआ अपने मालिक के पास आया और बोला कि वह अभी अभी एक ऊँचे से पहाड़ के पास था जब उसने दूसरी राजकुमारी की आवाज सुनी। वह भी उसके अन्दर बैठी बैठी सोने का धागा लपेट रही थी और ट्रौल उस समय वहाँ नहीं था।

नौजवान के लिये तो यह बहुत ही अच्छी खबर थी। वह अपने कुत्तों को ले कर तुरन्त ही उस पहाड़ की तरफ चल दिया।

जब वे उस पहाड़ के पास पहुँचे तो ध्यान से सुनो ने उससे कहा —
“अब समय गँवाने का नहीं है। ट्रौल यहाँ से केवल आठ मील दूर है और मैं उसके घोड़े के सोने के खुरों की आवाज पत्थरों पर साफ सुन रहा हूँ।”

नौजवान ने अपने कुत्तों को कहा कि वह पहाड़ का दरवाजा तोड़ दें। बस कहने की देर थी कि उन्होंने पहाड़ का दरवाजा तोड़ दिया। जब वह उसके अन्दर घुसा तो उसने देखा कि उसमें एक बहुत सुन्दर लड़की बैठी हुई सोने का धागा एक सोने की तकली पर लपेट रही है।

राजा की यह बेटी भी लड़के को देख कर आश्चर्यचकित रह गयी बोली — “अरे तुम? तुम कौन हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ इस कमरे में आने की। पिछले सात साल से मैं यहाँ बैठी हुई हूँ पर मैंने अभी तक किसी आदमी को यहाँ आते नहीं देखा।”

उसने आगे कहा — “अगर तुम ट्रौल से अपनी ज़िन्दगी बचाना चाहते हो तो भगवान के लिये यहाँ से तुरन्त चले जाओ।”

तब नौजवान ने उसे बताया कि वह वहाँ क्यों आया था और वह वहाँ बिना किसी परेशानी के ट्रौल के आने का इन्तजार करेगा।

वे लोग अभी बातें कर ही रहे थे कि ट्रौल वहाँ आ पहुँचा और पहाड़ का दरवाजा टूटा हुआ देख कर बहुत गुस्सा हुआ। वह चिल्लाया — “किसने तोड़ा मेरे पहाड़ का दरवाजा?”

नौजवान बोला — “मैंने तोड़ा। और अब मैं तुम्हें भी तोड़ने जा रहा हूँ।” कह कर उसने अपने तीनों कुत्तों को बुलाया और उनसे उसके हजारों टुकड़े कर देने के लिये कहा। बस उसके कहने की देर थी कि तीनों कुत्तों ने मिल कर उसके हजारों टुकड़े कर दिये और उन्हें ऐसे बिखेर दिया जैसे पतझड़ में पत्तियाँ बिखर जाती हैं।

राजा की यह बेटी भी ट्रौल को इस तरह मरा देख कर बहुत खुश हुई। वह भी लड़के के गले लगते हुए और उसे चूमते हुए बोली — “ओह अब मैं आजाद हो गयी।”

लड़का उसको उसकी बहिन के पास ले गया। कोई बस सोच ही सकता है कि वे दोनों बहिनें आपस में एक दूसरे को देख कर कितनी खुश हुई होंगी।

लड़के ने जितना भी खजाना उस पहाड़ में पाया सब बटोरा उसे ट्रौल के घोड़े पर लादा और राजा की दो बेटियों के साथ राजा के घर की तरफ चल पड़ा।

वे लोग फिर बहुत दूर तक चलते रहे कि एक दिन ध्यान से सुनो फिर से दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला कि वह अभी अभी एक ऊँचे से पहाड़ के पास था जब उसने तीसरी राजकुमारी की आवाज सुनी। वह भी उसके अन्दर बैठी बैठी सोने के धागे से जाल बुन रही थी और ट्रौल उस समय वहाँ नहीं था।

नौजवान के लिये यह तो बहुत अच्छी खबर थी। वह अपने कुत्तों को ले कर तुरन्त ही उस पहाड़ की तरफ चल दिया। जब वे उस पहाड़ के पास पहुँचे तो ध्यान से सुनो ने उससे कहा — “अब समय गँवाने का नहीं है। ट्रौल यहाँ से केवल पाँच मील दूर है और मैं उसके घोड़े के सोने के खुरों की आवाज पत्थरों पर साफ सुन रहा हूँ।”

नौजवान ने अपने कुत्तों को कहा कि वह पहाड़ का दरवाजा तोड़ दें। बस कहने की देर थी कि उन्होंने पहाड़ का दरवाजा तोड़ दिया। जब वह उसके अन्दर घुसा तो उसने देखा कि उसमें एक बहुत सुन्दर लड़की बैठी हुई सोने के धागे से एक जाल सा बुन रही है। राजा की यह बेटी उसकी तीनों बेटियों में सबसे सुन्दर थी।

राजा की यह बेटी भी लड़के को देख कर आश्चर्यचकित रह गयी बोली — “अरे तुम? तुम कौन हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ इस कमरे में आने की। पिछले सात साल से मैं यहाँ बैठी हुई हूँ पर मैंने अभी तक किसी आदमी को यहाँ आते नहीं देखा।”

उसने आगे कहा — “अगर तुम ट्रौल से अपनी ज़िन्दगी बचाना चाहते हो तो भगवान के लिये यहाँ से तुरन्त चले जाओ।”

तब नौजवान ने उसे बताया कि वह वहाँ क्यों आया था और वह वहाँ बिना किसी परेशानी के ट्रौल के आने का इन्तजार करेगा।

वे लोग अभी बातें कर ही रहे थे कि ट्रौल अपने सोने के खुर वाले घोड़े पर सवार वहाँ आ पहुँचा। जब उसने पहाड़ का दरवाजा टूटा हुआ देखा और बिन बुलाये मेहमान देखे तो वह बहुत डर गया।

उसके दोनों भाइयों के साथ क्या हुआ था यह उसको पता था सो उसने सोचा कि मामला अगर बिना लड़े ही चालाकी से सिलटा लिया जाये तो अच्छा है।

यह सोच कर वह लड़के से बहुत मीठा मीठा बोला। फिर उसने राजा की बेटी से मेहमान को मेहमाननवाजी दिखाने के लिये खाना बनाने के लिये कहा।

क्योंकि इस ट्रौल को बातें बहुत अच्छी करनी आती थीं हमारे नौजवान ने भी उसको बात करने का मौका दिया। इस बात करने में वह इतना घुल मिल गया कि वह अपनी रक्षा की बात बिल्कुल ही भूल गया।

जब खाना मेज पर लगा तो वह उस ट्रौल के साथ मेज पर बैठ गया। पर राजा की बेटी छिप छिप कर रोती रही। उसके कुत्ते भी बहुत बेचैन रहे हालाँकि किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया।

जब ट्रौल और उसके मेहमान ने खाना खत्म कर लिया तो नौजवान ने अपने मेजबान से कहा — “मैंने अपना खाना खत्म कर लिया अब मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिये कुछ पीने के लिये चाहिये।

ट्रौल बोला — “पहाड़ की चोटी पर एक स्रोत है जिसमें से बहुत साफ शराब निकलती है। पर मेरे पास वहाँ से उसे लाने के लिये कोई नहीं है।”

नौजवान बोला — “अगर यही बात है तो मेरे कुत्तों में से एक कुत्ता वहाँ जा कर उसे ला सकता है।”

ट्रौल तो यह सुन कर बहुत खुश हो गया क्योंकि वह तो दिल ही दिल में यही चाहता था कि उसके कुत्ते वहाँ से चले जायें। नौजवान ने अपने पकड़ कर रखो से पहाड़ की चोटी पर जाने और वहाँ से शराब लाने के लिये कहा।

ट्रौल ने उसको शराब भरने के लिये एक बहुत बड़ा डिब्बा दे दिया और कुत्ता उसको ले कर चला गया पर कोई भी देख सकता था कि वह वहाँ से खुशी खुशी नहीं गया।

समय गुजरता गया पर कुत्ता लौट कर नहीं आया। कुछ देर बाद ट्रौल बोला — “क्या हुआ तुम्हारे कुत्ते को वह अभी तक लौट कर क्यों नहीं आया। शायद तुम अगर अपने दूसरे कुत्ते को उसके पीछे भेजो तो वह उसको वहाँ से ले आये क्योंकि एक तो बर्तन भारी है दूसरे रास्ता लम्बा है।”

नौजवान को इसमें कोई चाल नजर नहीं आयी तो उसने अपने दूसरे कुत्ते फाड़ दो से कहा कि वह जाये और देखे कि पकड़ कर रखो अभी तक क्यों नहीं आया।

कुत्ते ने अपनी पूँछ हिला कर वहाँ से जाने की अपनी अनिच्छा प्रगट की कि वह अपने मालिक को छोड़ कर वहाँ से जाना नहीं चाहता था पर नौजवान ने उसको अपने हाथ से उसे बाहर की तरफ धकेल दिया सो उसे जाना ही पड़ा।

अबकी बार ट्रौल को बहुत ज़ोर की हँसी आ गयी और राजा की बेटी और ज़ोर से रो पड़ी। पर नौजवान ने उनके हँसने और रोने पर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि वह बहुत खुश था और बहुत आराम से बैठा था। वह अपनी तलवार से खेल रहा था अ‍ैर उसे आने वाले खतरे का कोई अन्दाज़ा भी नहीं था।

फिर काफी समय बीत गया पर न तो कुत्ते ही आये और न शराब ही आयी। तब ट्रौल बोला — “मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारे कुत्ते तुम्हारा कहना नहीं मानते वरना तुम यहाँ प्यासे नहीं बैठे रहते। मुझे लगता है कि अब तुमको अपने तीसरे कुत्ते को उनके पीछे यह देखने के लिये भेजना पड़ेगा कि वे वापस क्यों नहीं आये। कहाँ रह गये वे।”

नौजवान राजी हो गया। उसने अपने तीसरे कुत्ते ध्यान से सुनो को जाने के लिये कहा। पर ध्यान से सुनो भी वहाँ से बिल्कुल भी जाना नहीं चाहता था। वह आवाज करता हुआ अपने मालिक के पैरों के पास खिसक गया।

इस पर नौजवान गुस्सा हो गया और उसको धक्का दे कर बाहर निकाल दिया। जब वह पहाड़ी की चोटी पर पहुँचा तो उसके साथ भी वही हुआ जो उसके दूसरे दोनों साथियों के साथ हुआ था। यानी उसके ऊपर पहुँचते ही ट्रौल के जादू से उसके चारों तरफ ऊँची ऊँची दीवार खड़ी हो गयी और वह उसमें कैद हो गया।

अब नौजवान के तीनों कुत्ते वहाँ से जा चुके थे और उसके तीनों कुत्ते कैद हो चुके थे।

सो ट्रौल उठा। अचानक ही उसकी शक्ल बिल्कुल ही बदल गयी। उसने दीवार पर टँगी हुई अपनी एक लम्बी तलवार उठायी और बोला — “अब मैं वह करूँगा जो मेरे भाई नहीं कर पाये। तुमको बस अब तुरन्त ही मरना है क्योंकि तुम अब मेरे काबू में हो।”

यह देख कर नौजवान तो डर गया। अब उसे बहुत अफसोस हो रहा था कि उसने अपने तीनों कुत्तों को वहाँ से क्यों जाने दिया।

फिर भी वह बोला — “मैं तुमसे अपनी जान की भीख नहीं माँगता क्योंकि कभी तो समय आयेगा जब मुझे मरना पड़ेगा पर मैं तुमसे मरने से पहले मैं भगवान की प्रार्थना करने की और अपनी बाँसुरी पर एक साम बजाने की इजाज़त जरूर चाहूँगा। यह हमारे देश का नियम है।”

ट्रौल ने उसकी प्रार्थना स्वीकार तो कर ली पर उसने कहा कि वह यह सब जल्दी कर ले वह बहुत देर तक उसका इन्तजार नहीं करेगा।

सो नौजवान घुटनों के बल बैठ गया और उसने अपनी बाँसुरी बजानी शुरू की। धीरे धीरे उसकी आवाज इतनी तेज़ हो गयी कि वह सारे पहाड़ पर और घाटियों में गूँजने लगी। बस उसी समय ट्रौल की बनायी हुई जादू की दीवार टूट गयी।

उसके कुत्ते जो उनमें बन्द थे आजाद हो गये। वे तुरन्त ही वहाँ से तूफान की तरह से भागे भागे चले आये और आते ही ट्रौल पर कूद पड़े। नौजवान भी उठ खड़ा हुआ और अपने एक कुत्ते से बोला — “पकड़ कर रखो इस ट्रौल को पकड़ लो। फाड़ डालो और ध्यान से सुनो तुम लोग उसके हजारों टुकड़े कर दो।”

बस उसके कहने की देर थी कि उसके तीनों कुत्ते ट्रौल पर कूद पड़े और उन तीनों ने मिल कर उसके हजारों टुकड़े कर दिये। तब नौजवान ने उसके किले का सारा खजाना उठाया ट्रौल के घोड़ों को एक गाड़ी में जोता और तीनों राजकुमारियों को ले कर राजा के किले की तरफ चल दिया।

जैसा कि सोचा जा सकता है जब राजा की तीनों बेटियाँ फिर से मिलीं तो वह बहुत खुश हुईं। सबने नौजवान को उसके उन्हें पहाड़ के ट्रौल से आजाद कराने के लिये धन्यवाद दिया। पर नौजवान को राजा की सबसे छोटी बेटी से प्यार हो गया था। दोनों ने आपस में एक दूसरे के ज़िन्दगी भर साथ रहने की कसम खायी।

इस तरह राजा की बेटियाँ रास्ते भर आनन्द मनाती जा रही थीं। नौजवान भी उनकी ठीक से वैसी ही सेवा करता जा रहा था जैसी कि राजकुमारियों की करनी चाहिये थी।

जब वे सब लोग इस तरह से जा रहे थे तो राजकुमारियाँ नौजवान के बालों से खेल रही थीं। हर राजकुमारी ने अपनी अपनी सोने की अँगूठी उसके बालों में बाँध दी ताकि वे उसे याद रहें।

एक दिन जब वे अभी भी यात्रा कर रहे थे कि उसी सड़क से जाते हुए उनको दो यात्री मिले। उन दोनों यात्रियों के कपड़े फटे हुए थे और पैरों में छाले पड़ गये थे। उनका हुलिया बता रहा था कि वे कोई लम्बी यात्रा कर के आ रहे हैं।

नौजवान ने अपनी गाड़ी रोकी और उनसे पूछा कि वे कौन थे और कहाँ से आ रहे थे। उन्होंने जवाब दिया कि वे दोनों राजकुमार थे और उन तीनों लड़कियों की खोज में निकले थे जिनको पहाड़ का ट्रौल उठा कर ले गया था। पर किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया सो अब उनको बजाय राजकुमार जैसे के यात्री की तरह से वापस जाना पड़ रहा है।

नौजवान ने जब उनकी कहानी सुनी तो वह उनके लिये बहुत दुखी हुआ। उसने उनसे पूछा कि क्या वे उसके साथ उसकी सुन्दर गाड़ी मैं बैठ कर चलना पसन्द करेंगे। राजकुमारों ने उसके इस प्रस्ताव के लिये उसको बहुत बहुत धन्यवाद दिया।

वे सब एक साथ चलते चलते उस राजा के किले में आ पहुँचे जिस राजा की वे राजकुमारियाँ थीं।

जब राजकुमारों ने यह सुना कि नौजवान उन तीनों लड़कियों को ट्रौल के चंगुल से छुड़ा लाया है तो उससे उन दोनों राजकुमारों को बहुत जलन हुई कि किस तरीके से वे अपने काम में असफल रहे और वह नौजवान अपना काम कर लाया।

दोनों ने आपस में सलाह की कि किस तरीके से उनको उस नौजवान का सबसे अच्छा इस्तेमाल करना चाहिये ताकि उनकी अपनी ताकत और शान बढ़ सके।

पर उन्होंने अपने इस नीच प्लान को जब तक के लिये छिपा कर रखा जब तक उनको कोई ठीक मौका नहीं मिल जाता।

अचानक वे दोनों अपने साथी के ऊपर कूद पड़े उसको गले से पकड़ कर उसको बाँध दिया और राजकुमारियों को धमकी दी कि अगर उनमें से कोई भी कुछ भी बोला तो वे उनको मार देंगे।

और क्योंकि राजकुमारियाँ अब राजकुमारों के कब्जे में थीं तो वे तो उनको मना कर ही नहीं सकती थीं। पर वे उस नौजवान के लिये बहुत दुखी थीं जिसने उनकी ज़िन्दगी बचाने के लिये अपनी ज़िन्दगी दाँव पर लगा दी थी।

उनमें से सबसे छोटी राजकुमारी तो दिल ही दिल में बहुत ज़ोर से रो रही थी क्योंकि ऐसा लग रहा था जैसे अब उसकी हर खुशी खत्म होने जा रही हो।

इतनी बड़ी गलती करने के बाद राजकुमार शाही किले के अन्दर घुसे। अब यह तो केवल सोचा ही जा सकता है कि राजा अपनी तीनों बेटियों को देख कर कितना खुश हुआ होगा।

इस बीच नौजवान अधमरा सा जंगल में पड़ा रहा पर वह अभी पूरा नहीं मरा था। उसके वफादार कुत्ते उसको गर्म रखने के लिये उसके पास ही लेटे हुए थे और उसके घावों को चाट रहे थे। ऐसा वे तब तक करते रहे जब तक उनका मालिक ढंग से होश में नहीं आ गया।

जब वह बिल्कुल ठीक हो गया तो वह अपने कुत्तों को साथ ले कर राजा के किले की तरफ चला। काफी तकलीफें उठाने के बाद वह शाही किले में आया जहाँ राजकुमारियाँ रहती थीं।

जब वह दरबार में घुसा तो उसने देखा कि लोग तो वहाँ बहुत खुश थे और राजा के कमरे से तो गाने और नाचने की आवाजें आ रही थीं। उसको यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने पूछा कि इस सबका क्या मतलब था।

राजा के नौकर बोले — “लगता है कि तुम कहीं बहुत दूर से आ रहे हो इसलिये तुम्हें पता नहीं है कि राजा की बेटियाँ उस पहाड़ वाले ट्रौल के चंगुल से निकल कर वापस आ गयी हैं जो उनको उठा कर ले गया था। आज राजा की सबसे बड़ी बेटी की शादी है।”

नौजवान ने फिर सबसे छोटी राजकुमारी के बारे में पूछा और पूछा कि उसकी शादी कब होगी तो नौकरों ने बताया कि वह शादी करना नहीं चाहती और दिन भर रोती रहती है। हालाँकि किसी को यह पता नहीं है कि वह क्यों रोती रहती है। यह सुन कर नौजवान बहुत खुश हुआ कि वह अभी भी उसको प्यार करती है।

नौजवान फिर राजा के दरबान के पास गया और उससे राजा को यह कहने के लिये कहा कि उनसे कहो कि मेहमान आया है जो शादी की खुशी में अपने कुत्तों का तमाशा दिखा कर लोगों का दिल बहलाना चाहता है।

यह राजा की पसन्द की चीज़ थी सो उसने हुक्म दिया कि अजनबी को बहुत अच्छे से अन्दर लाया जाये और उसकी ठीक से खातिर की जाये।

जब वह नौजवान अन्दर आया और उसने अपने कुत्तों का नाच दिखाया तो शादी में आये वहाँ बैठे सारे लोगों ने दाँतों तले उँगली दबा ली। सबने उसकी बहुत तारीफ की कि इतना सुन्दर आदमी उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।

पर जैसे ही तीनों राजकुमारियों ने उसे देखा तो तुरन्त ही उसे पहचान लिया कि यह तो वही नौजवान था जो उन सबको ट्रौल के चंगुल से छुड़ा कर लाया था। वे तुरन्त ही मेज पर से उठीं और उसके गले से लिपट गयीं।

उस समय उन दोनों राजकुमारों को लगा कि उनके लिये उस समय यही सबसे अच्छा रहेगा कि वे वहाँ से भाग जायें पर राजा की बेटियों ने राजा को बताया कि किस तरह से उस नौजवान ने उनको ट्रौल के चंगुल छुड़ाया और फिर रास्ते में क्या क्या हुआ। इस बात को साबित करने के लिये वे उसके बालों में अपनी अपनी अंगूठियाँ ढूँढने लगीं।

जब राजा को उन दोनों राजकुमारों की चालबाजी का पता चला तो वह तो बहुत गुस्सा हो गया और उनको बड़ी बेरहमी से किले के बाहर निकलवा दिया। लेकिन इस नौजवान को उसने वह इज़्ज़त दी जो उसको मिलनी चाहिये थी। उसने अपनी सबसे छोटी बेटी की शादी उससे कर दी।

राजा के मरने के बाद यह नौजवान उसके पूरे राज्य का राजा बन गया। क्या ही शानदार राजा बना वह। वह और उसकी सुन्दर रानी अभी तक वहाँ राज कर रहे हैं।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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