प्यार के तीन सन्तरे : पुर्तगाली लोक-कथा
The Three Citrons of Love: Lok-Katha (Portugal)
एक बार की बात है कि पुर्तगाल के एक राजा को शिकार का बहुत शौक था। एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गया। वहाँ उसको एक बहुत दुखी बुढ़िया मिली। वह भूख से मरी जा रही थी।
उस राजकुमार के पास उसको देने के लिये उस समय पैसे तो नहीं थे पर उसके पास काफी सारा खाना था जो वह अपने महल से रास्ते में खाने के लिये लाया था।
उसने अपने नौकरों को बुलाया और उनको उस बुढ़िया को जो कुछ भी वह अपने साथ खाना ले कर आया था वह सब उसको देने के लिये कहा।
बुढ़िया ने खूब पेट भर कर खाया पिया और खाने पीने के बाद राजकुमार को बहुत धन्यवाद दिया। वह बोली कि वह उसको उसके बदले में कुछ और नहीं दे सकती थी क्योंकि उसके पास कुछ और था ही नहीं।
पर फिर भी उसके पास तीन सन्तरे थे जो उसने राजकुमार को दिये और उससे कहा कि वह किसी भी हालत में उनको न खोले और जब खोले तो किसी पानी की जगह के पास ही खोले और लम्बा लम्बा खोले, न कि चौड़ाई में। राजकुमार ने उससे वे सन्तरे ले लिये उसको धन्यवाद दिया और फिर अपने रास्ते चल दिया।
कुछ दूर जाने पर राजकुमार को लगा कि उसको एक सन्तरा खोल कर देखना चाहिये कि उसमें क्या था। पर वह यह भूल गया कि उस बुढ़िया ने उसको वह सन्तरा पानी के पास खोलने के लिये कहा था।
जैसे ही उसने वह सन्तरा खोला उसमें एक बहुत सुन्दर लड़की निकली। सन्तरे में से निकलते ही उसने पीने के लिये पानी माँगा। उसने कहा कि अगर उसको पीने के लिये पानी नहीं मिला तो वह मर जायेगी।
अब राजकुमार के पास पानी तो था नहीं सो वह उसको पानी नहीं दे सका सो वह बेचारी लड़की मर गयी। राजकुमार को उसके मरने का बहुत दुख हुआ। पर क्योंकि उसके पास अभी दो सन्तरे और बचे थे इसलिये वह इस लड़की की मौत को झेल गया।
वह अपनी यात्रा पर और आगे बढ़ा। आगे चल कर उसने एक सन्तरा और खोला पर इस बार भी वह यह भूल गया कि उसको उसे पानी के पास खोलना था।
उसने जैसे ही दूसरा सन्तरा खोला उसमें से भी एक पहले से भी सुन्दर लड़की निकली। बाहर निकलते ही उसने भी राजकुमार से पानी माँगा पर राजकुमार के पास पहले की तरह से पानी नहीं था और इस तरह बिना पानी के पहले की तरह से वह लड़की भी मर गयी। अबकी बार राजकुमार को बहुत दुख हुआ।
पर वह फिर अपनी यात्रा पर आगे चल दिया। पर अबकी बार उसको तीसरा सन्तरा बिना पानी की जगह के खोलने की हिम्मत नहीं हुई कि कहीं ऐसा न हो कि इसमें से भी कोई लड़की निकले और वह भी बिना पानी के मर जाये।
पर उसको यह जानने की इच्छा बहुत ज़्यादा थी कि इस तीसरे सन्तरे में क्या हो सकता था सो उसने पानी ढूँढना शुरू किया ताकि उसके पास वह यह तीसरा सन्तरा खोल कर यह देख सके कि उसमें क्या था।
पानी मिलने पर उसने वह तीसरा सन्तरा खोल दिया। उसमें से भी एक लड़की निकली जो पहले वाली लड़कियों से कहीं ज्यादा सुन्दर थी। उसने भी निकलते ही पानी माँगा। इस बार राजकुमार के पास पानी था सो उसने तुरन्त ही उसको पानी पिला दिया।
पर क्योंकि वह लड़की बहुत ही पतली और नाजुक सी थी राजकुमार उसको अपने साथ अपनी यात्रा पर आगे नहीं ले जा सकता था सो उसने महल लौटने का विचार किया।
उसने उससे पास के एक पेड़ पर चढ़ जाने के लिये कहा और खुद उसके लिये एक गाड़ी लाने चला गया। सो वह लड़की तो पेड़ पर चढ़ गयी और राजकुमार वहाँ से अपने महल चला गया। कुछ देर बाद एक नीग्रो स्त्री जो बहुत ही बदसूरत थी अपने मालिक के लिये वहाँ पानी भरने आयी। उसने पानी में झाँका। पानी बहुत साफ और शान्त था। उस पानी में उसको उस सुन्दर लड़की की जो पेड़ पर बैठी थी परछाईं दिखायी दी।
उसको लगा कि वह उसका खुद का चेहरा था सो वह कह उठी — “अरे तुम तो इतनी सुन्दर हो फिर तुम किसी का पानी क्यों भरती हो? तोड़ दो इस घड़े को।” और यह कह कर उसने उस घड़े को जमीन पर मार मार कर तोड़ दिया।
उधर पेड़ पर बैठी लड़की यह सब देख कर मुस्कुरा रही थी। केवल मुस्कुराना ही नहीं बल्कि वह तो ज़ोर से हँसना भी चाह रही थी पर कहीं वह नीग्रो स्त्री उसको सुन न ले और देख न ले इस वजह से डर रही थी। पर फिर उससे रहा नहीं गया और वह ज़ोर से हँस पड़ी।
उसकी हँसी की आवाज सुन कर उस नीग्रो स्त्री ने चारों तरफ देखा कि कौन हँसा पर उसको कोई दिखायी नहीं दिया। काफी देर के बाद उसको पेड़ पर बैठी वह लड़की दिखायी दी।
उसको देख कर उसने कई तरह के इशारों से उसको पेड़ से नीचे आने के लिये कहा पर उस लड़की ने यह कहते हुए उसको नीचे आने से मना कर दिया कि वह वहाँ राजकुमार का इन्तजार कर रही थी और वह तब तक नीचे नहीं आ सकती थी जब तक राजकुमार न आ जाये।
पर उस नीग्रो स्त्री ने जो एक जादूगरनी भी थी उसको फिर से नीचे आने की जिद की — “आओ तुम नीचे आ जाओ ताकि मैं कम से कम तुम्हारा मुँह तो साफ कर दूँ।”
उसने इतनी जिद की कि उस लड़की को पेड़ से नीचे उतरना ही पड़ा। उसके नीचे उतरते ही उस स्त्री ने उसको पकड़ लिया और उसका मुँह और सिर धोने का बहाना करने लगी।
उसने उससे बहुत सारे सवाल भी पूछे। उस लड़की ने उसके सब सवालों के सही सही जवाब दे दिये।
जब उस जादूगरनी को सब कुछ मालूम चल गया जो वह जानना चाहती थी तो उसने अपने पास से एक पिन निकाली और उस लड़की के सिर में घुसा दी। जैसे ही उसने वह पिन उसके सिर में घुसायी उसी समय वह लड़की एक फाख्ता बन गयी और उड़ गयी।
उसके बाद वह नीग्रो स्त्री उस लड़की की जगह उस पेड़ पर जा कर बैठ गयी और राजकुमार का इन्तजार करने लगी। इस सबके जल्दी ही बाद राजकुमार भी वापस आ गया।
उसने पेड़ के ऊपर देखा तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह तो वहाँ एक बहुत सुन्दर लड़की छोड़ कर गया था और वहाँ तो यह नीग्रो स्त्री बैठी हुई है।
वह उस पर बहुत गुस्सा हुआ तो वह नीग्रो स्त्री रोने लगी और बोली कि किसी ने उसके ऊपर एक ऐसा जादू कर दिया है जिससे वह कभी तो सुन्दर हो जाती है और कभी ऐसी नीग्रो जैसी हो जाती है।
राजकुमार ने उसके ऊपर विश्वास कर लिया और उसको पेड़ से नीचे उतरने के लिये कहा। फिर उसके ऊपर दया करके वह उसको घर ले आया।
अगले दिन वह सुबह सवेरे बहुत जल्दी उठा और अपने बागीचे में टहलने के लिये चला गया। कुछ देर बाद ही उसने एक सफेद फाख्ता देखी जो उसको बागीचे के माली से बात कर रही थी — “राजकुमार उस काली, बदसूरत और बुरी नीग्रो स्त्री के साथ कैसे अपने दिन गुजार रहे हैं?” और यह कह कर वह उड़ गयी।
माली ने उसको तो कोई जवाब नहीं दिया पर वह राजकुमार के पास पहुँचा और उससे यह सब कह कर उसके हाल चाल पूछे — “आप मुझसे उसे क्या जवाब दिलवाना चाहते हैं?”
राजकुमार बोला — “उसको कहना कि मैं ठीक हूँ और खुशी खुशी रह रहा हूँ।”
अगले दिन वह फाख्ता फिर वापस आयी और माली से बोली — “ओ मेरे बागीचे के माली, राजकुमार उस काली बदसूरत नीग्रो के साथ कैसे रह रहे हैं?”
माली ने कहा कि वह खुशी से रह रहे हैं और अच्छी जिन्दगी बिता रहे हैं।
इस पर वह फाख्ता बोली — “और मैं बेचारी दुनियाँ में बिना किसी काम के इधर उधर उड़ती फिर रही हूँ।” इस पर माली फिर से राजकुमार के पास गया और राजकुमार से जा कर वह कहा जो उस फाख्ता ने उससे कहा था।
तब राजकुमार ने माली को एक रिबन का जाल बिछाने के लिये कहा ताकि वह उस फाख्ता को उस जाल में फाँस कर पकड़ सके। क्योंकि वह उसको बहुत अच्छी लग गयी थी। माली ने उसको पकड़ने के लिये रिबन का जाल बिछाया।
अगले दिन वह फाख्ता फिर वहाँ आयी और उसने माली से फिर वही पूछा तो माली ने फिर वही जवाब दिया।
फिर उसने इधर उधर देखा तो खुद को फाँसने के लिये रिबन का जाल देख कर ज़ोर से हँसी और बोली — “यह रिबन का जाल मेरी टाँगों को फँसाने के लिये नहीं हो सकता।” और यह कह कर वह उड़ गयी।
माली फिर राजकुमार के पास गया और फाख्ता ने जो कहा था वह उससे जा कर कह दिया। अबकी बार राजकुमार ने उसको पकड़ने के लिये चाँदी के तारों का जाल बिछवाया। सो माली ने उसको पकड़ने के लिये इस बार चाँदी के तारों का जाल बिछाया।
अगले दिन वह फाख्ता फिर आयी और उसने माली से फिर वही कहा जो वह पहले से कहती चली आ रही थी और माली ने भी उसको वही जवाब दिया जो राजकुमार उससे कहलवाता चला आ रहा था।
फिर वह चाँदी के तारों का जाल देख कर बोली — “हा हा हा हा, यह चाँदी के तारों का जाल मुझे पकड़ने के लिये नहीं हो सकता।” और यह कह कर वह फिर उड़ गयी।
माली फिर राजकुमार के पास गया और उसको वह सब कुछ बताया जो फाख्ता ने उससे कहा था। इस बार राजकुमार ने उसको सोने के तारों का जाल बिछाने के लिये कहा। माली ने इस बार सोने के तारों का जाल बिछाया।
अगले दिन वह फाख्ता फिर आयी और उसने माली से फिर वही कहा जो वह पहले से कहती चली आ रही थी और माली ने भी उसको वही जवाब दिया जो राजकुमार उससे कहलवाता चला आ रहा था।
फिर वह सोने के तारों का जाल देख कर बोली — “हा हा हा हा, यह सोने के तारों का जाल मुझे पकड़ने के लिये नहीं हो सकता।” और यह कह कर वह फिर उड़ गयी।
माली फिर राजकुमार के पास गया और उसको वह सब कुछ बताया जो फाख्ता ने उससे कहा था। इस बार राजकुमार ने उसको हीरों का जाल बिछाने के लिये कहा। माली ने इस बार हीरों का जाल बिछाया।
अगले दिन वह फाख्ता फिर आयी। पर अबकी बार उसने इधर उधर नहीं देखा और उस जाल में आ कर फँस गयी और बोली — “हाँ, यह जाल मुझे पकड़ने के लिये ठीक है।” और इस तरह उस फाख्ता ने अपने आपको उस जाल में फँस कर पकड़वा लिया ।
माली उस फाख्ता को पकड़ कर राजकुमार के पास ले गया। जैसे ही उस नीग्रो स्त्री ने देखा कि उसकी वह फाख्ता पकड़ी गयी वह राजकुमार से बोली कि वह अपने आपको बहुत बीमार महसूस कर रही थी और उस बीमारी को ठीक करने के लिये उसको उसी फाख्ता का सूप चाहिये जो उसने अभी पकड़ी है।
यह सुन कर राजकुमार ने कहा कि यह फाख्ता मारे जाने के लिये नहीं थी और वह उस फाख्ता को प्यार से सहलाने लगा।
उसने उसके सिर पर हाथ फेरा तो उसको लगा कि उसके सिर में तो एक पिन घुसी हुई थी। उसने उस पिन को तुरन्त ही खींच कर बाहर निकाल दिया।
पिन के बाहर निकलते ही वह फाख्ता फिर से एक सुन्दर लड़की में बदल गयी और उसी शक्ल में आ गयी जिस शक्ल में राजकुमार उसको पेड़ पर चढ़ा कर गया था। उसको अचानक अपने सामने देख कर राजकुमार को बड़ा आश्चर्य हुआ।
तब उसने राजकुमार को वह सब बताया जो उस नीग्रो स्त्री ने उसके साथ किया था। यह सुनते ही राजकुमार ने उस नीग्रो स्त्री को मरवाने का हुकुम दे दिया। मरने के बाद उस नीग्रो स्त्री की खाल का एक ढोल बनवा दिया गया और उसकी हड्डियों की सीढ़ियाँ बनवा दी गयीं जिनसे हो कर उसकी रानी अपने पलंग पर चढ़ती थी। उसने उस लड़की से शादी कर ली और वे दोनों खुशी खुशी रहने लगे।
(साभार : सुषमा गुप्ता)