हीरामन की कहानी : बांग्ला/बंगाली लोक-कथा
The Story of a Hiraman : Lok-Katha (Bangla/Bengal)
एक बार की बात है कि एक बहेलिया था जो जंगली चिड़ियों का शिकार कर के अपना और अपनी पत्नी का पेट भरता था। उसके पास कभी खाने को पूरा नहीं पड़ता था।
एक दिन उसकी पत्नी ने उससे कहा — “प्रिय मैं बताती हूँ कि हम लोगों के पास हमेशा ही खाने की कमी क्यों रहती है। क्योंकि तुम हमेशा ही अपने जाल में पकड़ी सारी चिड़ियें बेच देते हो। जबकि अगर हम जो चिड़ियें तुम पकड़ते हो उनमें से कभी कभी कुछ खा लें तो शायद हमारी किस्मत ज़्यादा अच्छी हो जाये। मेरी सलाह यह है कि आज तुम जो चिड़ियें पकड़ कर ले कर आओ हम उन सबको बेचेंगे नहीं बल्कि उन्हें खा लेंगे।”
बहेलिया अपनी पत्नी की सलाह से राजी हो गया और चिड़ियें पकड़ने चला गया। वह अपनी पत्नी के साथ अपना चिड़ियाँ पकड़ने वाला जाल ले कर जंगल जंगल घूमा पर सब बेकार। उस दिन इत्तफाक से उससे सूरज डूबने तक एक भी चिड़िया नहीं पकड़ी गयी।
बस जब वे नाउम्मीद हो कर घर की तरफ लौट
रहे थे तो उन्होंने सुन्दर सा एक हीरामन पकड़
लिया। बहेलिये की पत्नी ने उसको अपने हाथ में ले
लिया और उसको चारों तरफ से सहलाते हुए बोली
— “ओह यह कितनी छोटी सी चिड़िया है। इस
बेचारी में से कितना माँस निकलेगा। इसको मारने से हमें क्या
फायदा।”
हीरामन बोला — “माँ मुझे मारना नहीं। मुझे तुम राजा के पास ले चलो वहाँ तुमको मुझे उसे बेचने पर बहुत सारे पैसे मिल जायेंगे।”
बहेलिया और उसकी पत्नी तो उस चिड़िया को बोलते सुन कर ही दंग रह गये। उन्होंने चिड़िया से ही पूछा कि वे राजा से उसकी क्या कीमत माँगें।
हीरामन बोला — “वह तुम मुझ पर छोड़ दो। बस तुम मुझे राजा के पास ले चलो और कहो कि तुम इस चिड़िया को उसे बेचने के लिये ले कर आये हो।
और जब राजा तुमसे मेरी कीमत पूछे तो उससे कहना कि “चिड़िया अपनी कीमत अपने आप ही बतायेगी।” और फिर मैं उसको अपनी बहुत बड़ी कीमत बताऊँगा।”
अगले दिन बहेलिया उस चिड़िया को ले कर राजा के पास गया और वहाँ जा कर बोला कि वह वह चिड़िया बेचने के लिये लाया है। चिड़िया बहुत सुन्दर थी। राजा उसकी सुन्दरता देख कर बहुत खुश हुआ और उसने बहेलिये से पूछा कि वह उसकी क्या कीमत चाहता है।
बहेलिया बोला कि यह चिड़िया अपनी कीमत अपने आप ही बतायेगी। राजा ने कहा एक चिड़िया भला क्या बोल सकती है। बहेलिया बोला — “आप इस चिड़िया से ही इसकी कीमत पूछ कर तो देखिये न।”
राजा ने कुछ मजाक में और कुछ गम्भीरता से उस चिड़िया से कहा — “तो हीरामन बोलो तुम्हारी कीमत क्या है।”
हीरामन बोला — “योर मैजेस्टी, मेरी कीमत केवल दस हजार रुपये है। आप यह न सोचें कि यह कीमत बहुत ज़्यादा है आप बस यह पैसे गिन कर इस बहेलिये को दे दें क्योंकि मैं आपके बहुत काम आने वाला हूँ।”
राजा ने फिर हँस कर पूछा — “तुम मेरे किस काम आने वाले हो हीरामन?”
हीरामन बोला — “यह तो हुजूर समय आने पर ही देख पायेंगे।”
राजा तो पहले ही हीरामन को बोलते सुन कर बहुत प्रभावित हो चुका था और केवल बोलते हुए ही नहीं बल्कि ढंग से और होशियारी से बोलते हुए सुन कर तो वह उससे और भी ज़्यादा प्रभावित हो गया।
सो उसने अपने शाही खजांची से दस हजार रुपये निकलवा कर उस बहेलिये को दिलवा कर उससे हीरामन खरीद लिया। बहेलिया उतने पैसे ले कर खुशी खुशी घर चला गया।
राजा की छह रानियाँ थीं पर राजा को वह चिड़िया इतनी अच्छी लगी कि वह यह भूल ही गया कि उसकी रानियाँ भी महल में रहती थीं। उसके दिन और रात तो बस अब हीरामन के साथ ही बीतने लगे न कि अपनी रानियों के साथ।
राजा जो भी सवाल हीरामन से पूछता हीरामन उसकी बातों का न केवल इतनी अक्लमन्दी से जवाब देता था कि राजा उससे बहुत खुश होता बल्कि वह तैंतीस करोड़ देवताओं के नाम भी उसको गा कर सुनाता। और इनके नाम सुनना तो बहुत ही पुन्य का काम था। रानियों को लगा कि राजा तो उनसे अब बात ही नहीं करता वह केवल हीरामन से ही बात करता है सो वे उस चिड़िया से जलने लगीं। उन्होंने तय किया कि वे उसको मार देंगीं।
काफी समय बाद उनको उसको मारने का मौका मिला क्योंकि राजा हमेशा ही उसको अपने साथ रखता था।
एक दिन राजा शिकार के लिये गया और उसको वहाँ महल से दो दिन के लिये बाहर रहना था सो छहों रानियों ने इस मौके का फायदा उठाने का और उसको मारने का निश्चय किया।
उन्होंने आपस में बात की — “चलो चल कर उस चिड़िया से यह पूछते हैं कि हममें से सबसे बदसूरत कौन है। और जिस रानी को भी वह चिड़िया बदसूरत बतायेगी वही उसको गला घोट कर मार देगी।”
ऐसा सोच कर वे उस कमरे में गयीं जिसमें हीरामन था पर इससे पहले कि वे उससे कोई सवाल पूछतीं उसने बहुत ही मीठी और भक्ति भरी आवाज में तैंतीस करोड़ देवताओं के नाम बोलने शुरू कर दिये।
वे नाम सुन कर उनका दिल उसके लिये बहुत नम्र हो गया और वे बिना अपना काम पूरा किये वहाँ से चली आयीं।
पर अगले दिन उनकी बुरी अक्ल ने फिर से काम किया और उन्होंने अपने आपको हजार गालियाँ दीं कि उसके देवताओं के नाम बोलने ने उनका ध्यान उनके काम से क्यों बँटा दिया।
सो उस दिन उन्होंने सोचा कि आज वे अपना दिल लोहे की तरह से मजबूत रखेंगी और उस चिड़िया पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखायेंगी। उस दिन वह उसको जल्दी से जल्दी भी मार देंगी। ऐसा सोच कर वे फिर उसके कमरे में जा पहुँचीं और उससे बोलीं — “हीरामन, तुम एक बहुत ही अक्लमन्द चिड़िया हो और तुम्हारा फैसला भी ठीक होता है। तुम हमें यह बताओ कि हममें से कौन सी रानी सबसे सुन्दर है और कौन सी रानी सबसे बदसूरत।”
हीरामन जान गया कि वे रानियाँ उसके पास बुरे इरादे से आयी हैं। वह बोला — “मैं आपके इस सवाल का जवाब इस पिंजरे में बन्द रह कर कैसे दे सकता हूँ।
अगर आपको मेरा सही फैसला जानना है तो मुझे आप सबके शरीर के हर हिस्से को बारीकी से देखना पड़ेगा – सामने से भी और पीछे से भी। और अगर आपको वाकई मेरी राय जाननी है तो पहले मुझे इस पिंजरे से मुझे आजाद भी करना पड़ेगा।”
रानियाँ पहले तो चिड़िया को पिंजरे में से निकालने में डरती रहीं कि कहीं ऐसा न हो कि चिड़िया उड़ जाये पर बाद में कुछ सोच कर उन्होंने उस कमरे के दरवाजे खिड़कियाँ सब बन्द किये और उसे पिंजरे में से बाहर निकाल दिया।
हीरामन ने कमरे में चारों तरफ निगाह दौड़ायी और देखा कि उस कमरे में पानी जाने का एक रास्ता था जिससे जरूरत पड़ने पर वह वहाँ से भाग सकता था।
जब रानियों ने अपना सवाल कई बार पूछा तो हीरामन बोला
— “तुममें से किसी की भी सुन्दरता की उस लड़की की छोटी उंगली
से भी तुलना नहीं की जा सकती जो सात समुद्र और तेरह नदियों के
रानियाँ अपनी सुन्दरता के बारे में इस तरह का जवाब सुन कर
बहुत गुस्सा हुईं और चिड़िया के टुकड़े टुकड़े करने के लिये दौड़ीं
पर चिड़िया ने तो अपने भागने का रास्ता पहले से ही ढूँढ रखा था
सो वह उस पानी के रास्ते से निकल कर उनसे बच कर भाग गयी
और पास में बनी एक लकड़हारे की कुटिया में जा कर शरण ले
ली।
अगले दिन राजा शिकार से घर वापस आ गया। आ कर उसने हीरामन को उसके पिंजरे में ढूँढा पर वह उसे जब वहाँ नहीं मिला तो वह दुख से पागल सा हो गया।
उसने अपनी रानियों से पूछा पर उन्होंने कहा कि उन्हें उसके बारे में कुछ नहीं पता। राजा बेचारा अपनी चिड़िया के लिये दिन रात रोता रहा क्योंकि वह उसको बहुत प्यार करता था।
उसके मन्त्री लोग बहुत परेशान थे। उनको डर था कि इस दुख की वजह से कहीं राजा का दिमाग ही खराब न हो जाये क्योंकि वह सारा दिन रोता रहता था — “ओ हीरामन ओ हीरामन। तुम कहाँ गये।”
उसने फिर ढोल बजवा कर सारे शहर में मुनादी पिटवा दी कि जो कोई भी आदमी उसकी पालतू चिड़िया हीरामन को ला कर उसे देगा उसको वह दस हजार रुपये देगा।
लकड़हारा यह मुनादी सुन कर बहुत खुश हुआ और उसने सोचा कि अगर वह उस चिड़िया को राजा को दे देगा तो उसको इनाम मिल जायेगा और वह ज़िन्दगी भर के लिये आजादी से रह पायेगा। बस वह हीरामन को राजा को दे आया और अपने इनाम के दस हजार रुपये उससे ले आया।
जब हीरामन ने राजा को बताया कि उसकी रानियों ने उसको मारने की कोशिश की थी तब तो वह तो गुस्से से पागल सा ही हो गया।
उसने उन सबको महल से बाहर निकालने का हुक्म दे दिया और उनको एक अकेली जगह में जहाँ खाना भी नहीं मिलता था रहने के लिये भेज दिया। राजा के हुक्म का पालन किया गया। कुछ ही दिनों में उसकी सब रानियों को जंगली जानवरों ने खा लिया।
कुछ दिनों बाद राजा ने हीरामन से कहा — “हीरामन तुमने रानियों से कहा कि उनमें से किसी की भी सुन्दरता की उस लड़की की छोटी उँगली से भी तुलना नहीं की जा सकती थी जो सात समुद्र और तेरह नदियों के उस पार रहती है। क्या तुम्हें पता है कि मैं उस लड़की तक कैसे पहुँच सकता हूँ।”
हीरामन बोला — “हाँ हाँ बिल्कुल। मैं योर मैजेस्टी को उसके महल के दरवाजे तक ले जा सकता हूँ जिसमें वह रहती है। और अगर योर मैजेस्टी मेरी सलाह मानें तो मैं यह जिम्मेदारी भी लेता हूँ कि वह लड़की आपकी बाँहों में होगी।”
राजा बोला — “तुम जो कहोगे मैं वह करूँगा। बताओ तुम क्या चाहते हो कि मैं क्या करूँ ताकि मुझे वह लड़की मिल जाये।”
हीरामन बोला — “इस काम के लिये पक्षीराज नस्ल के घोड़े की जरूरत है। अगर आप कोई पक्षीराज नस्ल का घोड़ा ला सकते हैं तो आप उस पर सवार हो कर बहुत ही थोड़े समय में सात समुद्र और तेरह नदियाँ पार पहुँच जायेंगे और उस लड़की के महल के दरवाजे पर भी पहुँच जायेंगे।”
राजा बोला — “तुम्हें तो मालूम है कि मेरे पास बहुत सारे घोड़े हैं। हम चल कर देखते हैं कि उनमें कोई पक्षीराज नस्ल का घोड़ा है या नहीं।”
सो राजा और हीरामन दोनों घुड़साल में घोड़े देखने गये। हीरामन उन सब घोड़ों के सामने से गुजरा जो बहुत अच्छे घोड़े थे और जो ऊँची नस्ल के थे पर फिर वह एक छोटे से और नीची सी नस्ल वाले पतले से घोड़े के सामने जा कर रुक गया।
वहाँ रुक कर वह राजा से बोला — “यह है वह घोड़ा जो मुझे चाहिये। यह घोड़ा असली पक्षीराज नस्ल का घोड़ा है। पर इसको पूरे छह महीने तक खूब अच्छा खाना खिलाना होगा ताकि यह हमारा काम कर सके। अभी यह कमजोर है।”
राजा ने उस घोड़े को घुड़साल में एक तरफ को रख दिया और वह खुद अपनी निगरानी में उसको छह महीने तक उसके राज्य में मिलने वाला सबसे अच्छा दाना खिलाता रहा। इस तरह का खाना खाने से वह घोड़ा जल्दी ही शक्ल सूरत में अच्छा होने लगा।
छह महीने बाद हीरामन ने कहा कि अब वह घोड़ा उनका काम करने के लिये तैयार है। फिर उसने शाही चाँदी का काम करने वाले से कहा कि वह चाँदी की कुछ खाई बनाये। बहुत थोड़े समय में ही बहुत सारी खाई बन गयीं।
जब वे अपनी यात्रा शुरू करने वाले थे तो हीरामन ने राजा से
कहा — “मुझे आपसे एक प्रार्थना करनी है। जब हम लोग इस पर
सवार हो कर जायेंगे तब आप इस घोड़े को शुरू में ही केवल एक
बार ही चाबुक मारेंगे।
क्योंकि अगर आप इसको एक बार से ज़्यादा बार चाबुक मारेंगे
तो हम लोग उस लड़की के महल के रास्ते के बीच तक ही पहुँच
पायेंगे और फिर वहीं रुक जायेंगे।
और जब हम उस लड़की को ले कर घर लौटेंगे तभी भी
आपको उसको शुरू में ही केवल एक ही बार चाबुक मारना है।
अगर आप इसको एक बार से ज़्यादा बार चाबुक मारेंगे तो हम लोग
फिर रास्ते के बीच तक ही पहुँच पायेंगे और फिर वहीं रुक
जायेंगे।”
“ठीक है।” कह कर राजा हीरामन और चाँदी की खाइयों के साथ पक्षीराज पर बैठ गया और उसने घोड़े को धीरे से एक बार चाबुक मारा। घोड़ा बिजली की गति से हवा में उड़ चला। उसने कई देश पार किये, कई राज्य पार किये, कई समुद्र पार किये और फिर तेरह नदियाँ पार कीं। शाम को वह एक सुन्दर महल के दरवाजे पर आ खड़ा हुआ।
महल के दरवाजे के पास एक बहुत ही बड़ा पेड़ खड़ा हुआ था। हीरामन ने राजा से कहा कि वह अपना घोड़ा पास में बनी घुड़साल में बाँध दे। फिर वह उस पेड़ पर चढ़ जाये और वहाँ छिप कर बैठ जाये।
हीरामन ने चाँदी की खाइयाँ लीं और पेड़ की जड़ के पास से उनको अपनी चोंच से एक एक कर के महल के सारे बरामदों और रास्तों पर जो उस लड़की के सोने के कमरे तक जाते थे गिराना शुरू कर दिया।
इसके बाद हीरामन जहाँ राजा छिपा बैठा था वहीं पेड़ पर जा कर बैठ गया।
आधी रात के कुछ घंटे बाद लड़की की दासी ने जो उसी के कमरे में सोती थी बाहर निकलने के लिये दरवाजा खोला तो देखा कि रास्तों पर चाँदी की खाइयाँ पड़ी हुई हैं। उसने उनमें से कुछ उठा लीं और यह न जानते हुए कि वे क्या थीं उसने उनको उस लड़की को दिखाया।
उस लड़की को लगा कि वे छोटी छोटी चाँदी की बन्दूक की गोलियाँ थीं पर उसको यह आश्चर्य हुआ कि वे वहाँ आयीं कहाँ से और कैसे।
वह भी अपने कमरे से बाहर निकल आयी और चारों तरफ देखा तो देखा कि वे उसके सोने के कमरे के दरवाजे के पास से ही लगातार आ रही थीं और पता नहीं कितनी दूर जा रही थीं। उसको वे गोलियाँ बहुत अच्छी लगीं सो उसने वे चमकीली खाइयाँ सब रास्तों और बरामदों से उठा कर एक टोकरी में रख लीं।
खाइयाँ उठाते उठाते वह उस पेड़ की जड़ तक आ पहुँची जिसके ऊपर राजा छिपा बैठा था। हीरामन ने राजा को पहले ही बता रखा था सो जैसे ही वह लड़की पेड़ के नीचे तक आयी वह पेड़ के ऊपर अपने छिपने की जगह से नीचे कूद गया और उसने उस लड़की को पकड़ लिया।
उसको उसने घोड़े पर बिठा लिया और फिर खुद भी बैठ गया। उस समय हीरामन राजा के कन्धे पर बैठा हुआ था। तुरन्त ही उसने घोड़े को बहुत ही धीरे से एक चाबुक मारा और उसका घोड़ा हवा से बातें करने लगा।
अपने इस कीमती इनाम के साथ राजा अपने घर बहुत जल्दी पहुँचना चाहता था सो वह हीरामन की बात बिल्कुल ही भूल गया कि उसको घोड़े को केवल एक ही बार चाबुक मारना है। घर पहुँचने की जल्दी में उसने घोड़े को दोबारा चाबुक मार दिया। दूसरा चाबुक खाते ही वह घोड़ा तुरन्त ही शहर के बाहर एक जंगल में उतर गया।
हीरामन चिल्लाया — “योर मैजेस्टी यह आपने क्या किया? क्या मैंने आपसे नहीं कहा था कि इस घोड़े को केवल एक बार ही चाबुक मारना है और आपने इसको दो बार चाबुक मार दिया। बस अब यह और आगे नहीं जायेगा। अब हम लोग शायद यहीं मर जायेंगे।”
पर जो कुछ होना था वह तो हो चुका था। अब इसको बदला नहीं जा सकता था। पक्षीराज की ताकत दूसरी बार चाबुक मारने से अब खत्म हो चुकी थी और अब वे लोग घर नहीं लौट सकते थे। वे सब उस घोड़े से उतर गये पर उनको कहीं किसी आदमी के रहने की जगह नहीं दिखायी नहीं दी। वहाँ उन्होंने कुछ फल और जड़ें खायीं और रात जमीन पर सो कर गुजारी।
अगली सुबह कुछ ऐसा हुआ कि उस देश का राजा उधर शिकार खेलने के लिये आया। वह एक बारहसिंगे का पीछा कर रहा था।
उसने उसको एक तीर मारा और उसके पीछे भागा तभी उसने उस राजा और उसके साथ एक बहुत सुन्दर लड़की को देखा। वह उस लड़की को देखता का देखता रह गया और सोचा कि वह उसको पकड़ ले। उसने सीटी बजायी तो उसके सारे नौकर चाकर उसके चारों तरफ आ गये।
उन्होंने उस लड़की को पकड़ लिया और उसका प्रेमी जो उसको सात समुद्र और तेरह नदियों के पार से उसके महल से यहाँ तक लाया था उसने उसको मारा तो नहीं पर उसकी आँखें निकाल कर उसको अन्धा कर के वहीं जंगल में अकेला छोड़ दिया।
अकेला? नहीं नहीं बिल्कुल अकेला नहीं। क्योंकि अपना भला हीरामन उसके साथ था।
उस देश का राजा उस सुन्दर लड़की को और उसके प्रेमी के घोड़े को अपने महल ले गया।
वहाँ जा कर लड़की ने राजा से कहा कि उसने एक कसम खा रखी है जो छह महीने में पूरी हो जायेगी इसलिये उसको उसके पास छह महीने तक नहीं आना चाहिये।
उसने यह छह महीने का समय उसको इसलिये दिया था कि पक्षीराज घोड़े को अपनी ताकत वापस लाने में छह महीने लगते। वह लड़की अब रोज ही किसी न किसी पूजा में लगी रहती। उसकी इस कसम की वजह से उसको एक दूसरा घर दे दिया गया। वह वहाँ पक्षीराज घोड़े को भी ले गयी। वह वहाँ उसको सबसे अच्छा दाना खिलाती रही।
पर उसकी यह सब मेहनत बेकार जाती अगर वह हीरामन से न मिलती। पर वह उससे कैसे मिले? उसको एक तरकीब सूझी। उसने अपने नौकरों को चिड़ियों के खाने के लिये अपने घर की छत पर बहुत सारा धान दाना दाल आदि बिखरा देने का हुक्म दिया। सो बहुत सारी चिड़ियें वहाँ खाना खाने आने लगीं। अब वह लड़की रोज उन चिड़ियों में रोज हीरामन को ढूँढती।
उधर हीरामन जंगल में रह कर बहुत परेशान था। उसको न केवल अपनी देखभाल करनी होती थी बल्कि नये अन्धे हुए राजा की भी देखभाल करने होती थी।
वह उसके लिये जंगल से कुछ पके फल तोड़ता। उनमें से कुछ वह राजा को खाने के लिये देता और कुछ वह खुद खाता।
इस तरह से हीरामन अपनी ज़िन्दगी गुजार रहा था कि एक दिन उस जंगल की दूसरी चिड़ियों ने उससे कहा — “ओ हीरामन तुम यहाँ जंगल में बड़ी खराब ज़िन्दगी गुजार रहे हो। तुम हमारे साथ बहुत बड़ी दावत खाने क्यों नहीं चलते।
वहाँ एक धार्मिक स्त्री हम लोगों के लिये अपने घर की छत पर बहुत सारा धान दाना दाल डालती है। हम लोग तो वहाँ सुबह सुबह ही चले जाते हैं और फिर हजारों चिड़ियों के साथ पेट भर कर वह दाना खा कर शाम को ही घर लौटते हैं।”
यह सुन कर हीरामन ने भी निश्चय किया कि वह भी अगले दिन उनके साथ जायेगा। उसको लगा कि वह स्त्री चिड़ियों के लिये दान ज़्यादा दे रही थी बजाय इसके कि वे चिड़ियाँ उस दाने में अपने लिये जो कुछ सोच रहीं थीं।
हीरामन ने उस लड़की को देखा तो वह उसको पहचान गया और उसने उससे राजा के बारे में बहुत सारी बातें कीं – उसकी तन्दुरुस्ती के बारे में, उसके अन्धेपन को दूर करने के बारे में, उस लड़की के अपने वहाँ से बच कर निकल भागने के बारे में। सब सोच विचार के बाद यह प्लान बनाया गया।
घोड़ा कुछ ही दिनों में राजा के महल जाने के लायक हो जायेगा क्योंकि छह महीने में से काफी दिन तो गुजर ही चुके थे। उधर राजा का अन्धापन भी दूर हो जायेगा अगर हीरामन बिहंगम और बिहंगामी चिड़ियों के बच्चों की बीट ले आये जिनका घोंसला उस लड़की के सात समुद्र और तेरह नदियों के उस पार वाले घर के दरवाजे के पास वाले पेड़ पर था।
उनकी गर्म ताजा बीट राजा की आँखों की पुतलियों के ऊपर लगाने से उसकी देखने की ताकत वापस आ जायेगी।
सो अगली सुबह हीरामन अपने काम पर चल दिया। रात को वह उस लड़की के महल के पास वाले पेड़ पर रहा। अगले दिन सुबह को उसने अपनी चोंच में एक पत्ता ले कर बिहंगम और बिहंगामी के घोंसले के नीचे उनके बच्चों की बीट का इन्तजार किया।
जब उनके बच्चों ने उस पत्ते में बीट कर ली तो वह उसको ले कर वापस उसी जंगल की तरफ उड़ चला जहाँ राजा रहता था। जैसे ही वह समुद्र और नदियाँ पार कर के जंगल में आया और उसने वह कीमती दवा राजा की आँखों में लगायी तो राजा की देखने की ताकत तुरन्त ही वापस आ गयी। राजा ने अपनी आँखें खोलीं और देखने लगा।
कुछ दिनों में पक्षीराज की ताकत भी वापस आ गयी। वह लड़की भी वहाँ के देश के राजा के महल से बच कर जंगल में आ गयी। पक्षीराज ने राजा और लड़की और हीरामन को अपने ऊपर बिठाया और वे सब राजा के देश आ गये।
राजा ने अपने देश आ कर उस लड़की से शादी कर ली। वे लोग बहुत साल तक खुशी खुशी रहे और उनके कई लड़के और लड़कियाँ हुए।
हीरामन हमेशा ही उन सबको तैंतीस करोड़ देवताओं के नाम सुनाता रहा।
1. Khai is fried paddy.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)