धब्बे वाला हिरन और चीता : चीनी लोक-कथा

The Spotted Deer and the Tiger : Chinese Folktale

एक बार एक धब्बे वाला हिरन था जिसका नाम था यू यू । वह अक्सर ही एक घने जंगल के बाहर की तरफ के मैदान में चरा करता था। वहाँ बरगद के पेड़ों की एक कतार लगी हुई थी जो उस घने जंगल की हद जैसी थी। उसने उस हद को भी कभी पार नहीं किया था।

एक बार एक किसान का कुत्ता उस मैदान में घूमता घूमता उधर आ निकला और यू यू का पीछा करने लगा। उस बेचारे हिरन का पहले किसी ने इस तरह से पीछा भी नहीं किया था सो वह डर गया और डर कर जंगल के अन्दर की तरफ भाग गया।

उसने पहले कभी इतना अँधेरा भी नहीं देखा था सो वह डर के मारे उस अँधेरे में ही भागता जा रहा था भागता जा रहा था। चारों तरफ पेड़ों से बेलें लटकी हुई थीं वह उन्हीं में से हो कर भागा जा रहा था कि उसका सिर एक पेड़ के तने से टकराया और वह काई से भरी जमीन पर गिर पड़ा।

जब उसकी आँखें जंगल में अँधेरे में देखने के लायक हो गयीं तो उसने अपने चरने वाले मैदान में लौटने का रास्ता ढूँढना शुरू किया पर वह मैदान की तरफ जाने की बजाय जंगल में और भी ज़्यादा गहरे जाता गया। वह अँधेरे में रास्ता भूल गया था।

भागते भागते आखिर वह थक गया और आराम करने के लिये रुक गया। तभी एक साही नीचे उगे हुए पौधों में से आ निकला और उसके खुरों को सूँघने लगा।

फिर उसने अपनी लम्बी नाक ऊपर उठायी और सूँघ कर उस अजनबी जानवर को पहचानने की कोशिश करने लगा। जब वह उसको न पहचान सका तो उसने उससे पूछा — “तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो?”

यू यू बड़ी नम्रता से बोला — “मैं यू यू धब्बे वाला हिरन हूँ।” उसने अपने शब्द खत्म किये ही थे कि एक लम्बी दुम वाली चिड़िया ऊपर से उड़ कर नीचे आ गयी।

जब वह चिड़िया नीचे उड़ कर आयी तो उसके पंख हिरन के सींगों से छू गये। वह चिड़िया बोली — “ओह तो तुम धब्बे वाले हिरन हो। मैंने उनके बारे में कुछ कुछ सुना है। पर क्या सारे धब्बे वाले हिरन तुम्हारे जैसे अजीब दिखायी देते हैं?”

“हाँ मैं धब्बे वाला हिरन हूँ और सारे धब्बे वाले हिरन मेरे जैसे ही दिखायी देते हैं। तुमने इससे पहले कभी कोई धब्बे वाला हिरन नहीं देखा क्या?”

एक घोंघा जो यू यू के सिर के ऊपर पाइन पेड़ के पत्ते पर आराम कर रहा था बोला — “शायद नहीं, हम लोगों ने ऐसा कोई हिरन पहले कभी नहीं देखा। पहले कोई ऐसा हिरन इस जंगल की तरफ कभी आया ही नहीं।”

यू यू ने सब जानवरों की तरफ देखा और बोला — “मेहरबानी कर के मेरी सहायता करो। मुझे तुम लोगों से जंगल की जिन्दगी के बारे में कुछ सीखना है।”

जंगल के जानवर इस अजीब जानवर यू यू की सहायता करने के लिये तुरन्त ही तैयार हो गये। उन्होंने उसको स्वाददार खाना बताया, आराम करने की जगहें बतायीं और फिर उसको अपने आप ही जंगल की ज़िन्दगी देखने के लिये छोड़ दिया।

कुछ देर बाद यू यू एक बड़े से साफ मैदान में घुसा। जैसे ही उसने इधर उधर देखने के लिये अपना सिर उठाया तो उसको चीते की हरी हरी आँखें दिखायी दीं।

यू यू तो डर के मारे काँप गया। यू यू को पता था कि यह चीता तो उसको अपने एक ही पंजे के वार से मार देगा। पर यह क्या? चीते ने तो अपना शरीर एक इंच भी नहीं हिलाया।

चीते ने भी धब्बे वाला हिरन पहले कभी नहीं देखा था सो वह उसकी अजीब सी शक्ल देख कर बोला — “तुम कौन हो और तुम इतने बदसूरत क्यों हो?”

यू यू की तो घबराहट की वजह से जान ही निकली जा रही थी पर फिर भी उसने हिम्मत बटोरी और धीरज रख कर विश्वास के साथ बोला — “मैं यू यू हूँ, धब्बे वाला हिरन।”

चीता गुर्राया — “ओह तो तुम धब्बे वाले हिरन हो। वह तो ठीक है, पर तुम यह तो बताओ कि तुम्हारे सिर पर ये कौन से पौधे उगे हुए हैं।”

जब यू यू इस सवाल का जवाब सोच ही रहा था कि चीते ने उसकी तरफ देख कर अपना चेहरा सिकोड़ा और उसकी तरफ झपटा। उसको देख कर यू यू डर गया पर तभी उसके दिमाग में एक विचार आया।

वह चीते से बोला — “लगता है कि तुम कोई बहुत अक्लमन्द जानवर नहीं हो। तुम्हारा यही मतलब है न कि तुम यह ही नहीं जानते कि ये सादा सी चीज़ें क्या हैं।

लगता है कि तुमको तो दुनियाँ की मामूली सी जानकारी भी नहीं है इसलिये अब तुम्हें मुझे ही बताना पड़ेगा कि ये क्या चीज़ हैं। ये चीता चौप स्टिक्स हैं।”

धब्बे वाला हिरन आगे बोला — “वैसे तो सारी चौप स्टिक्स सीधी होती हैं पर क्योंकि चीते का माँस बहुत चिकना होता है इसलिये उसको मुझे घुमावदार चौप स्टिक्स से खाना पड़ता है ताकि खाते समय मेरा खाना वापस कटोरे में न गिर जाये।”

यह सुन कर चीता तो सकते में आ गया। अपने इतने सालों के शिकार करने और इधर उधर घूमने में उसने यह कभी नहीं देखा और सुना था कि किसी ने कभी चीते का माँस खाने की हिम्मत की हो। उसको तो यह सुन कर ही बहुत अजीब लगा।

वह यू यू की ताकत का अन्दाजा लगाने के लिये उसके करीब खिसक आया और बोला — “तुम किसी चीते को मारने के लिये बहुत छोटे हो, ओ धब्बे वाले हिरन।”

यू यू की आँखें आश्चर्य से घूम गयीं। वह बोला — “क्या? मैं चीते को मारने के लिये बहुत छोटा हूँ? ज़रा तुम मेरी पीठ पर पड़े इन धब्बों को तो देखो।

मुझे विश्वास है कि तुमको तो यह पता ही नहीं है कि ये धब्बे होते किसलिये हैं। मेरे ये धब्बे उन चीतों की गिनती बताते हैं जिनको मैंने मारा है और खाया है।

तीन साल पहले मैं यह पूछने के लिये जेड बादशाह के पास गया था कि मैं किस तरह से अमर बन सकता हूँ तो उन्होंने मुझे बताया कि धरती पर मेरे आने का एक ही उद्देश्य था।

उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे धरती पर के हर उस चीते को खाना है जो किसी ज़िन्दा माँस को खाता है और हर चीते को खाने के लिये मुझे एक धब्बा मिल जायेगा। जब मैं एक हजार चीते खा लूँगा तब मैं अमर हो जाऊँगा। अब तुम मेरे इन धब्बों की तरफ देखो और बताओ कि क्या तुम मेरे शरीर के इन धब्बों को गिन सकते हो?”

जब यू यू यह सब कह रहा था वह खुद डर के मारे काँप रहा था। और जब तक यू यू ने अपनी बात खत्म की तब तक तो वह बुरी तरह काँपने लगा।

चीते को एक बार फिर से शक हुआ कि यह हिरन कुछ अजीब सी बात कर रहा है तो उसने हिरन से फिर पूछा — “जब तुमने इतने सारे चीते मारे और खाये हैं तो फिर तुम इतने काँप क्यों रहे हो?”

यू यू ने काँपती हुई आवाज में जवाब दिया — “मैं काँप नहीं रहा हूँ। असल में चीते को खाने से पहले मुझे उसको खाने के लिये ताकत बनानी पड़ती है तो मैं वह ताकत बना रहा हूँ और मैं उसी ताकत की वजह से हिल रहा हूँ न कि डर की वजह से।”

चीता अब इससे ज़्यादा नहीं सुन सकता था। वह तुरन्त ही पलटा और बिना पीछे देखे घने जंगल की तरफ भाग गया।

वह तब तक भागता रहा जब तक कि उसको इस बात का यकीन नहीं हो गया कि हिरन अब उसका पीछा नहीं करेगा। थक कर वह एक पाइन के पेड़ की शाख के नीचे गिर पड़ा।

पाइन के पेड़ की एक शाख पर से एक आवाज बोली — “हलो चीते राजा। लगता है तुम किसी से भागने की कोशिश कर रहे हो। किससे डर रहे हो तुम?”

आवाज सुन कर चीते ने ऊपर देखा तो देखा कि वहाँ एक बन्दर एक शाख से उलटा लटका हुआ मुस्कुरा रहा था। वह चीते की कहानी सुनना चाहता था इसलिये उसने अपनी पूँछ खोली और जमीन पर कूद पड़ा। वह चीते के पैरों के पास आ कर बैठ गया।

चीते ने हकलाते हुए और काँपते हुए अपनी वह अजीब सी कहानी बन्दर को सुना दी। बन्दर को इस कहानी पर विश्वास ही नहीं हुआ।

पूरी कहानी सुनने के बाद उसने चीते से कहा कि वह खुद भी उस धब्बे वाले हिरन को देखना चाहता था इसलिये वह उसको उस हिरन के पास ले चले।

चीता बोला — “नहीं नहीं, मैं वहाँ नहीं जाऊँगा। अगर उस हिरन ने मेरे ऊपर हमला कर दिया तो मेरे पास तो बचने का कोई रास्ता भी नहीं है। तुम कम से कम पेड़ पर तो चढ़ सकते हो।”

पर बन्दर को तो ना सुनना नहीं था। उसने चीते से इतनी प्रार्थना की कि चीते को उसको उस हिरन के पास ले कर जाना ही पड़ा। पर वह उसको एक शर्त पर ले जाने के लिये तैयार हुआ। बन्दर अपने आपको चीते की कमर से बाँध लेगा ताकि जब बन्दर उस हिरन से बच कर शाख पर चढ़े तो वह चीते को भी अपने साथ ले ले। सो बन्दर ने अपने आपको मोटी मोटी बेलों से चीते की पीठ से बाँध लिया और वे दोनों उस हिरन के पास चल दिये।

यू यू ने जंगल में किसी के आने की आवाज सुनी तो उसने उस तरफ देखा तो अँधेरे में उसको चीते के शरीर के धारियाँ दिखायी दीं जो धूप की एक धारी की रोशनी में चमक रही थीं।

यू यू तो आश्चर्य से कूद पड़ा और चीता डर के मारे जम सा गया। चीते को लगा कि वह हिरन उसको मारने के लिये अपनी सारी ताकत इकठ्ठी कर रहा था।

सो एक बार फिर वह अन्धाधुन्ध जंगल के काँटों में गड्ढों में झाड़ियों में होता हुआ भाग गया और इस पूरे समय बन्दर उसकी पीठ से बँधा रहा।

इतनी तेज़ी से अन्धाधुन्ध भागने की वजह से बन्दर तो बेहोश हो गया और चीता भी गिर पड़ा। जब चीता कुछ होश में आया तो बन्दर से बोला — “मैंने तुमसे कहा था न कि वह धब्बे वाला हिरन कितना भयानक है पर तुम मेरी बात ही नहीं मान रहे थे।”

उस दिन से बन्दर अपना समय केवल पेड़ों की ऊपर वाली शाखों पर ही बिताता है और चीता अपने घने जंगल से बाहर नहीं जाता।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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