चतुरायी की खोज : ब्राज़ील की लोक-कथा
The Quest of Cleverness : Lok-Katha (Brazil)
यह बहुत पुरानी बात है कि एक राजा था जिसके एक बहुत ही बेवकूफ बेटा था। उसके पिता ने उसको कई साल तक स्कूल भेजा ताकि वह कुछ सीख सके पर उसके सब मास्टरों ने उसके पढ़ने की उम्मीद छोड़ दी कि वह तो बहुत ही बेवकूफ था उसको किसी तरह भी नहीं पढ़ाया जा सकता था।
उन्होंने सबने एक आवाज में कहा — “इस लड़के को किताबों से कुछ भी सिखाने की तो कोशिश भी करना बेकार है। इसको सिखाना पढ़ाना तो हमारा कीमती वक्त भी बर्बाद करना है।”
आखिर राजा ने अपने राज्य के सभी अक्लमन्द लोगों को बुलाया और उनसे सलाह माँगी कि राजकुमार को अक्लमन्दी सिखाने के लिये उसको क्या करना चाहिये।
वे सब एक साल और एक दिन तक सोचते रहे। उन अक्लमन्द लोगों की एक राय यह थी कि राजकुमार को किसी यात्रा पर भेज दिया जाये जिसमें वह कई देशों में जाये। हो सकता है कि इस यात्रा से वह कुछ सीख पाये जो उसके मास्टर लोग उसको किताबों से न सिखा पा रहे हों।
यह सुन कर राजा ने उसकी यात्रा का इन्तजाम किया। उसको बहुत अच्छे कपड़े दिये। सवारी के लिये एक बहुत ही शानदार काला घोड़ा दिया और एक बड़ा सा थैला भर कर पैसे दिये।
इस तरह से एक सुबह राजकुमार पूरी तरीके से अपनी यात्रा के लिये तैयार हो कर अपने पिता राजा और अपने राज्य के सब अक्लमन्दों का आशीर्वाद ले कर अपनी यात्रा पर चल दिया।
उसने एक देश में एक चीज़ सीखी। दूसरे देश में दूसरी चीज़ सीखी। कोई ऐसा देश या राज्य नहीं था, छोटा या बड़ा, गरीब या अमीर, जिसने राजकुमार को कुछ न कुछ न सिखाया हो। और वह राजकुमार जो किताबों से सीखने में इतना बेवकूफ था अपनी यात्रा में खुले दिमाग से कुछ न कुछ सीखता चला गया।
काफी इधर उधर घूमने के बाद राजकुमार एक शहर में आया जहाँ एक गाने वाली चिड़िया नीलाम हो रही थी। उसने पूछा कि इस गाने वाली चिड़िया की क्या खासियत है।
बेचने वाले ने जवाब दिया कि यह चिड़िया अपने मालिक के हुक्म पर एक ऐसा गाना गाती है जो सुनने वाले को सुला देता है। राजकुमार ने सोचा कि यह चिड़िया तो खरीदने लायक है। सो उसने वह चिड़िया खरीद ली।
फिर उसने देखा कि एक बीटिल नीलाम हो रही थी। राजकुमार ने पूछा कि इस बीटिल की क्या खासियत है तो बेचने वाले ने जवाब दिया कि यह बीटिल किसी भी दीवार में छेद करने की ताकत रखती है। सो राजकुमार ने वह बीटिल भी खरीद ली।
उसके बाद एक तितली बेचने के लिये रखी गयी। राजकुमार ने पूछा कि इस तितली की क्या खासियत है तो जवाब मिला कि यह तितली अपने पंखों पर उतना बोझा उठा कर ले जा सकती है जितना कि इसके पंखों पर रखा जा सकता है।
राजकुमार ने सोचा कि वह तितली भी खरीदने लायक है सो उसने उसको भी खरीद लिया।
अब राजकुमार अपनी चिड़िया बीटिल और तितली के साथ अपनी यात्रा पर और आगे चल दिया। चलते चलते वह एक जंगल में आ गया पर वहाँ आ कर वह उस जंगल में रास्ता भूल गया और खो गया।
उस जंगल में पेड़ पौधे इतने सारे थे कि उसको कहीं रास्ता ही दिखायी नहीं दे रहा था।
सो वहाँ जो कोई भी उसको सबसे ऊँचा पेड़ मिला वह उसी पेड़ पर चढ़ गया। वहाँ से उसको एक ऐसी चीज़ दिखायी दी जो एक पहाड़ की तरह दिखायी दे रही थी पर जब वह उसके पास पहुँचा तो उसने देखा कि वह तो एक दीवार थी जो बड़े साइज़ के लोगों के देश के चारों तरफ बनी हुई थी।
उस दीवार पर एक बहुत बड़ा बड़े शरीर वाला आदमी खड़ा था जिसका सिर बादलों तक पहुँच रहा था। वह उस शहर का चौकीदार था।
बस राजकुमार ने अपनी चिड़िया को हुक्म दिया कि वह गाना गाना गाये। तो चिड़िया ने एक ऐसा गाना गाया कि वह चौकीदार तुरन्त ही सो गया।
फिर उसने अपनी बीटिल को भेजा तो उसने उस दीवार में एक छेद कर दिया। इसी छेद से हो कर राजकुमार उस बड़े साइज़ वाले लोगों की दुनियाँ में दाखिल हुआ तो वह एक तहखाने में आ निकला।
वहाँ पहुँच कर पहला आदमी जो राजकुमार ने देखा वह थी एक बहुत ही प्यारी सी राजकुमारी जो वहाँ कैद थी।
बीटिल ने उस दीवार में जो वहाँ छेद बनाया था उससे सीधा रास्ता उस तहखाने को जाता था जहाँ वह राजकुमारी कैद थी इसी लिये वह तहखाने में आ निकला था और उसने सबसे पहले राजकुमारी को ही देखा ।
राजकुमार ने अपनी यात्रा में बहुत सारी बातें सीखी थीं। उन बातों में एक बात यह भी थी कि “जब भी कभी कोई सुन्दर लड़की दुखी हो तो उसका दुख जरूर दूर करो।”
सो उसने राजकुमारी से पूछा कि वह उसको वहाँ से कैसे बचा सकता है। राजकुमारी बोली — “तुम मुझे यहाँ से कभी नहीं छुड़ा सकते। क्योंकि इस महल के दरवाजे पर एक बड़े साइज़ का आदमी खड़ा है जो कभी नहीं सोता।”
राजकुमार बोला — “तुम उसकी चिन्ता न करो उसको तो मैं सुला दूँगा।”
उसी पल वह बड़े शरीर वाला आदमी उस तहखाने में आया जिसने उस राजकुमारी को कैद कर रखा था क्योंकि उसने वहाँ बात करने की कुछ आवाजें सुनी।
तभी राजकुमार ने अपनी गाने वाली चिड़िया से कहा — “गा मेरी चिड़िया गा।”
राजकुमार के यह कहते ही चिड़िया ने गाना शुरू कर दिया और चिड़िया के गाना शुरू करते ही वह बड़े साइज़ का आदमी भी सो गया। हालाँकि उस बड़े साइज़ के आदमी ने सारी ज़िन्दगी कभी अपनी पलक भी नहीं झपकायी थी पर फिर भी वह उस चिड़िया का गाना सुनते ही सो गया।
तब राजकुमार ने राजकुमारी से कहा — “मेरी इस बीटिल ने इस बड़े साइज़ के आदमी के शहर के चारों तरफ बनी बड़ी दीवार को काट कर मेरे यहाँ आने के लिये रास्ता बनाया था। सो यहाँ से भागने के लिये हमको अब उस बड़ी दीवार के ऊपर चढ़ना नहीं पड़ेगा। हम लोग उसी छेद से हो कर यहाँ से भाग सकते हैं।”
राजकुमारी तुरन्त बोली — “और उस चौकीदार का क्या जो उस दीवार पर खड़ा है और जिसका सिर बादलों तक पहुँचता है।”
“मेरी इस गाने वाली चिड़िया ने उसको भी सुला दिया है। अगर हम जल्दी से यहाँ से भाग निकलेंगे तो शायद तब तक वह सोता ही रहेगा जागेगा भी नहीं।”
राजकुमारी बोली — “मैं तो यहाँ इस तहखाने में इतने दिनों तक कैद रही हूँ कि मैं तो यह भी भूल गयी हूँ कि कैसे चला जाता है।”
राजकुमार बोला — “तुम चिन्ता न करो। मेरी तितली तुमको अपने पंखों पर बिठा कर तुम्हें यहाँ से ले चलेगी।”
कह कर उसने राजकुमारी को अपनी तितली के पंखों पर बिठा दिया और उसको ले कर वह बड़े साइज़ के लोगों के राज्य से तुरन्त ही भाग लिया।
जब उन्होंने उस दीवार वाले बड़े साइज़ के आदमी की तरफ देखा तो वह वहाँ जँभाइयाँ ले रहा था।
उसको इस तरह से जँभाइयाँ लेते देख कर राजकुमार बोला — “यह तो अभी एक घंटा और सोता रहेगा।”
राजकुमार राजकुमारी गाने वाली चिड़िया दीवार काटने वाली बीटिल और बोझा ले कर उड़ने वाली तितली ले कर अपने पिता के राज्य वापस आ गया।
उसके पिता ओर दूसरे लोगों ने बड़ी खुशी से उसका स्वागत किया। अक्लमन्द लोगों ने जब राजकुमार की यात्रा का हाल सुना तो कहा — “अब हमारे राज्य के राजकुमार को कोई भी बेवकूफ नहीं कहेगा।
गाने वाली चिड़िया दीवार काटने वाली बीटिल और बोझा ले कर उड़ने वाली तितली के साथ अब राजकुमार वहाँ का सबसे अक्लमन्द राजा बन गया था।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)