सोने के तीन पहाड़ों की रानी : इतालवी लोक-कथा
The Queen of the Three Mountains of Gold : Italian Folk Tale
एक बार एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसके तीन बेटे थे। यह आदमी बहुत बीमार था और बहुत दर्द में था।
एक दिन उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और बोला — “मेरे बेटों, तुम खुद देख रहे हो कि मैं बहुत बीमार हूँ और मरने वाला हूँ। मुझे बहुत अफसोस है कि मेरे पास तुम लोगों को देने के लिये कुछ भी नहीं है।
मैं बस तुम लोगों से इतना कहना चाहता हूँ कि तुम लोग अच्छे इन्सान बन कर रहना और ऐसे ही काम करना जैसे मैं करता रहा हूँ। भगवान तुम्हारी सहायता जरूर करेंगे।” और इतना कह कर वह आदमी मर गया।
सबसे बड़े लड़के ने कहा — “चलो बाहर चल कर कहीं काम ढूँढते हैं जैसा कि पिता जी ने कहा है।” सो वे तीनों दुनिया में अपनी रोजी रोटी कमाने के लिये बाहर निकल गये।
चलते-चलते जब रात हुई तो उन्होंने देखा कि वे एक बहुत सुन्दर महल के पास खड़े हैं। सो रात को सोने के लिये उन्होंने उस महल का दरवाजा खटखटाया।
उन्होंने आवाज भी लगायी और चारों तरफ देखा भी पर वहाँ उनको कोई दिखायी नहीं दिया। सो वे अन्दर चले गये। उन्होंने अन्दर जा कर देखा तो अन्दर एक मेज पर बहुत अच्छे-अच्छे खाने सजे हुए थे।
उन खानों को देख कर वे भौंचक्के रह गये पर फिर सबसे बड़ा बेटा बोला — “क्योंकि घर में कोई भी नहीं है तो चलो बैठ कर खाना खाते हैं। अगर कोई आयेगा भी है तो हम उससे इजाज़त माँग लेंगे।”
सो वे तीनों खाना खाने बैठ गये। उन्होंने पेट भर खाना खाया और मन भर कर पिया। खा पी कर वे महल देखने के लिये निकले।
घूमते-घूमते वे एक कमरे में आये जिसमें एक पलंग बिछा हुआ था और उसके ऊपर फूलों की माला पड़ी हुई थी। फिर वे एक दूसरे कमरे में आये। उसमें भी एक पलंग था और उसके ऊपर सोने की पत्तियों का सिरहाना लगा हुआ था।
लड़कों ने आपस में कहा — “ऐसा लगता है कि ये पलंग हमारे लिये ही लगे हैं सो इन पर सोया जाये।” उन्होंने अपने-अपने सोने के लिये एक-एक कमरा चुन लिया।
सबसे बड़े लड़के ने कहा — “ध्यान रखना कि तुम लोग यहाँ से जाने के लिये सुबह सवेरे जल्दी ही उठ जाना। मैं यहाँ से जाने के लिये किसी का इन्तजार नहीं करूँगा।”
सुबह को सबसे बड़ा लड़का काफी जल्दी उठ गया और किसी से बिना कुछ कहे ही वहाँ से चला गया। हालॉकि यह उसके लिये कुछ अजीब सी बात थी क्योंकि वह ऐसा कभी करता नहीं था।
जब बीच वाला लड़का उठा तो वह अपने बड़े भाई के कमरे में उसको देखने के लिये गया। वहाँ जा कर उसने देखा तो वह तो वहाँ था नहीं। वह वहाँ से चला गया था सो वह भी तैयार हुआ और वह भी घर छोड़ कर चला गया।
सबसे छोटा भाई काफी देर तक सोता रहा। जब वह उठा तो उसने देखा कि उसके दोनों भाई तो पहले ही जा चुके हैं।
फिर उसने देखा कि मेज पर नाश्ता लगा हुआ है सो उसने नाश्ता किया और बाहर देखने के लिये खिड़की पर जा खड़ा हुआ। उसके सामने बहुत सुन्दर बागीचा था। उसको लगा कि उसे उस बागीचे को जा कर देखना चाहिये।
सबसे छोटा भाई जिसका नाम सैन्ड्रीनो था एक बहुत ही सुन्दर नौजवान था। जब वह बागीचे में घूम रहा था तो उस रास्ते के आखीर में जिस पर वह चल रहा था उसको एक बड़ा सा तालाब दिखायी दे गया।
उस तालाब में पानी की सतह के ऊपर गरदन तक एक सुन्दर लड़की का सिर निकला हुआ था जो बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था।
सैन्ड्रीनो आश्चर्य से बोला — “मैम, आप यहाँ क्या कर रही हैं?”
लड़की ने जवाब दिया — “तुम तो भगवान के भेजे हुए नौजवान लग रहे हो। मैं सोने के तीन पहाड़ों की रानी हूँ।
मेरे ऊपर जादू डाल दिया गया था कि मैं तब तक यहीं इसी पानी में रहूँ जब तक कि मैं किसी ऐसे आदमी से न मिलूँ जो कि इतनी हिम्मतवाला हो जो इस महल में तीन रात लगातार सो सके।”
सैन्ड्रीनो ने जवाब दिया — “अगर तुम्हारा जादू तोड़ने के लिये यही कुछ करना है तो मैं खुद यहाँ लगातार तीन दिन तक सोऊंगा। तुम बिल्कुल चिन्ता न करो।”
लड़की बोली — “जो भी यहाँ लगातार तीन दिनों तक सोयेगा मैं उस आदमी से शादी कर लूँगी। जब तुम यहाँ सोओगे तो तुमको अगर कुछ सुनायी दे या जंगली जानवर अपने कमरे में आते दिखायी दें तो तुम डरना नहीं।
अगर तुम जहाँ होगे वहीं रहोगे तो वे तुमको छुएँगे भी नहीं और तुम्हारे पास से चले जायेंगे।”
“तुम चिन्ता न करो मैं बिल्कुल नहीं डरूँगा और मैं वैसा ही करूँगा जैसा तुमने कहा है।”
रात को सैन्ड्रीनो सोने के लिये चला गया। जैसे ही रात के बारह बजे उसे कुछ आवाजें सुनायी दीं तो उसको लगा कि वह तो जंगली जानवरों के चिल्लाने की आवाजें थीं।
सैन्ड्रीनो ने सोचा कि अब वह देखेगा कि वहाँ क्या होता है।
इतने में उसके कमरे में भेड़िये, भालू, चीलें, सांप और अनगिनत दूसरे किस्म के जंगली और बहुत भयानक जानवर आ कर उसके पलंग के चारों तरफ इकठ्ठा हो गये। पर सैन्ड्रीनो बिल्कुल भी नहीं डरा।
कुछ पल में ही वे सब जानवर वहाँ से बाहर चले गये, और बस उनके जाने के बाद सब कुछ शान्त हो गया। सुबह होने पर वह लड़का तालाब पर वापस आया।
उसने देखा कि रानी अब पानी से कमर तक बाहर निकल आयी है। वह बहुत खुश थी और उसकी बहुत तारीफ कर रही थी।
अगली रात को सैन्ड्रीनो के कमरे में और ज़्यादा जानवरों का संगीत गूँज उठा पर उस रात भी सैन्ड्रीनो डरा नहीं और चुपचाप वहीं लेटा रहा।
अगली सुबह जब वह तालाब पर आया तो रानी केवल आधी टॉगों तक ही पानी में थी। उस दिन तो रानी ने उसकी तारीफ में आसमान तक पुल बाँध दिये। सैन्ड्रीनो मुस्कुराता हुआ नाश्ते के लिये चला गया।
आज उसके वहाँ सोने की आखिरी रात थी। उस रात जानवर बहुत ज़ोर से चिल्लाये और उसके पलंग के बहुत पास भी आ गये। पर उस दिन भी सैन्ड्रीनो डरा नहीं और वे उसे ऐसा का ऐसा ही छोड़ कर चले गये।
अगले दिन सुबह जब वह तालाब पर गया तो रानी के केवल पैर ही पानी में थे। उसने रानी का हाथ पकड़ा और उसको तालाब से बाहर निकाल लिया।
रानी की दासियाँ भी वहाँ आ गयीं और फिर सब लोग नाश्ते के लिये चले गये। तीन दिन के बाद की उनकी शादी की तारीख भी पक्की हो गयी।
शादी के दिन सुबह रानी ने सैन्ड्रीनो से कहा — “शादी से पहले मैं तुमको एक बहुत ही जरूरी बात बता देना चाहती हूँ। जब तुम चर्च में प्रार्थना वाली बैन्च पर अपने घुटने टेकोगे तब तुम सो नहीं जाना क्योंकि अगर तुम सो गये तो मैं वहाँ से भाग जाऊंगी और फिर तुमको मैं कहीं दिखायी नहीं दूँगी।”
सैन्ड्रीनो हॅंस कर बोला — “अरे बस यही बताना था? मैं वहाँ उस जगह सो कैसे सकता हूँ?”
उसके बाद वे दोनों चर्च चले गये। जैसे ही वह वहाँ प्रार्थना वाली बैन्च पर घुटनों के बल बैठा तो उसको इतनी ज़ोर की नींद आयी कि वह तो पल भर में ही सो गया। उसको तो पता ही नहीं चला कि कब उसकी आँख लग गयी। उसके सोते ही रानी वहाँ से भाग गयी।
कुछ मिनट बाद ही सैन्ड्रीना की आँख खुल गयी। उसने देखा तो रानी तो वहाँ पर नहीं थी। उसने कई बार उफ़ उफ़ कहा। फिर वह महल वापस आ गया। वहाँ भी उसने रानी को ढूँढा पर वह वहाँ भी नहीं थी। अब उसकी समझ में आया कि वह रानी उससे क्या कहना चाह रही थी।
उसने वहाँ से पैसों का एक थैला उठाया और रानी को ढूँढने चल दिया।
सारा दिन चलने के बाद रात को वह एक सराय में आया। वहाँ उसने उस सराय वाले से पूछा कि क्या उसने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को कहीं देखा है।
वह बोला — “मैंने खुद तो उसको नहीं देखा पर क्योंकि मैं दुनिया के सारे जानवरों का मालिक हूँ इसलिये मैं उनसे पूछूँगा अगर उन्होंने उसे कहीं देखा हो तो।”
उसने एक सीटी बजायी और तुरन्त ही कुत्ते, बिल्ले, चीते, शेर, बन्दर और बहुत सारे और जानवर वहाँ आ गये। सराय के मालिक ने उन सबसे पूछा — “क्या तुम लोगों में से किसी ने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को देखा है?”
जानवर बोले — “नहीं। हमने नहीं देखा।”
यह सुन कर सराय के मालिक ने सब जानवरों को वापस भेज दिया। फिर वह सैन्ड्रीनो से बोला — “कल सुबह मैं तुमको अपने भाई के पास भेजूँगा। वह सारी मछलियों का मालिक है। वहाँ जा कर उससे पूछना कि उसकी मछलियाँ क्या कहती हैं।”
अगली सुबह सैन्ड्रीनो ने सराय के मालिक को पैसों का एक थैला दिया और उसके भाई के घर चला गया। जब सराय के मालिक के भाई ने सुना कि सैन्ड्रीनो को उसके भाई ने भेजा है तो उसने उसको अपनी सराय में बुलाया और उससे कहा कि अगर वह वहाँ थोड़ा सा रुके तो वह अभी अपनी सारी मछलियों को बुलाता है और उनसे पूछता है कि अगर उनमें से किसी ने उसे देखा हो तो।
उसने भी एक सीटी बजायी और सब तरह की मछलियाँ वहाँ आ पहुँची। पूछने पर कि क्या उन्होंने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को देखा है उन सबने भी एक आवाज में कहा कि उन्होंने तो उसको नहीं देखा।
यह सुन कर उसने उन सब मछलियों को वापस भेज दिया और सैन्ड्रीनो से कहा — “कल तुमको मैं अपने दूसरे भाई को पास भेजूँगा। वह चिड़ियों का मालिक है। शायद उसकी किसी चिड़िया ने उसे देखा हो।”
सैन्ड्रीनो अगले दिन का बड़ी बेसब्री से इन्तजार करने लगा। जैसे ही सुबह हुई उसने उस भाई को भी पैसों का एक थैला दिया और वहाँ से चल दिया। चलते चलते वह तीसरी सराय में पहुँचा।
वहाँ के मालिक ने कहा मैं अभी तुम्हारा काम करता हूँ। कह कर उसने भी एक बार सीटी बजायी तो दुनिया भर की सारी चिड़ियें वहाँ आ गयीं। बस उनमें एक चिड़िया एक गरुड़ गायब था।
सराय के मालिक ने दूसरी सीटी बजायी तब वह आया और बोला — “अफसोस मुझे थोड़ी सी देर हो गयी। मैं राजा मरोन के दरबार में एक दावत में गया हुआ था। वहाँ वह सोने के तीन पहाड़ों की रानी के साथ शादी कर रहे हैं।”
यह सुन कर तो सैन्ड्रीनो की सब उम्मीदें खत्म हो गयीं पर तब सब चिड़ियों के मालिक ने उससे कहा — “तुम दुखी न हो। हम इसका भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेंगे।”
उसने गरुड़ से पूछा — “क्या तुम इस नौजवान को राजा मरोन के दरबार में ले जा सकते हो?”
गरुड़ बोला — “मैं इसको अभी ले जाता हूँ। पर मेरी एक शर्त है कि जब भी मैं पानी माँगू तो यह मुझे पानी दे। जब भी मैं रोटी माँगू तो यह मुझे रोटी दे। और जब भी मैं माँस माँगू तो यह मुझे माँस दे। नहीं तो मैं इसको समुद्र में फेंक दूँगा।”
उस नौजवान ने 2 टोकरी भर कर रोटी रखीं। 2 डिब्बे भर कर पानी रखा। और 2 पौंड माँस रखा। सैन्ड्रीनो और यह सब ले कर वह गरुड़ हवा में उड़ चला। रास्ते में गरुड़ की हर चीज़ की माँग तुरन्त ही पूरी कर दी गयी।
पर माँस खत्म हो चुका था और उनको तो अभी समुद्र पार करना था। सो अगली बार गरुड़ ने जब माँस माँगा तो सैन्ड्रीनो कुछ और तो सोच नहीं सका उसने अपनी टांग का माँस काट कर उसको खिला दिया।
रानी ने उसको पहले से ही जादू का एक मरहम दे रखा था। माँस काटने के बाद उसने वह मरहम अपनी टांग पर लगा लिया तो उस मरहम से उसकी टांग तुरन्त ही ठीक हो गयी।
गरुड़ उसको सीधे रानी के कमरे में ले गया। जैसे ही उन दोनों ने एक दूसरे को देखा वे एक दूसरे से खुशी के मारे लिपट गये। फिर दोनों ने एक दूसरे से अपनी अपनी कहानी कही।
रानी सैन्ड्रीनो को राजा के पास ले गयी और उसको अपना बचाने वाला और दुल्हा कह कर उसका परिचय कराया।
राजा ने भी सोचा कि यह नौजवान तो उसकी लड़की के लिये बिल्कुल ठीक दुल्हा है सो उसने उन दोनों की शादी की घोषणा कर दी और शादी की तैयारियाँ शुरू हो गयीं।
दोनों की शादी हो गयी। शादी की ये तैयारियाँ और खुशियाँ एक महीना और एक हफ्ते तक चलीं। शादी के बाद वे दोनों खुशी खुशी रहे।
(साभार : सुषमा गुप्ता)