राजकुमारी और शीशे का पहाड़ : स्वीडिश लोक-कथा
The Princess and the Glass Mountain : Folktale Sweden
एक समय की बात है कि एक राजा था जिसको अपने शिकार को मारने की बजाय उसका पीछा करने में बहुत आनन्द आता था। वह कभी भी जंगल में जा कर अपने बाज़ और कुत्तों के साथ अपना कैम्प लगा लेता और फिर शिकार में उसको हमेशा ही कामयाबी मिलती।
मगर एक बार कुछ ऐसा हुआ कि उसको कोई शिकार नहीं मिला हालाँकि सुबह से वह हर दिशा में कोशिश कर चुका था। जब शाम होने लगी तो वह घर लौटने लगा तो उसको एक बौना या एक जंगली आदमी दिखायी दे गया। वह उसके आगे आगे दौड़ा जा रहा था।
राजा ने तुरन्त ही अपने घोड़े को एड़ लगायी और उस बौने का पीछा किया और उसको पकड़ लिया। इस अचानक पकड़े जाने से उसको बहुत आश्चर्य हुआ। वह एक ट्रौल जैसा छोटा और बदसूरत था और उसके बाल तिनकों की तरह खड़े हुए थे।
पर राजा ने उससे हर तरीके से कुछ भी बात करनी चाही पर वह कुछ नहीं बोला, एक शब्द भी नहीं।
एक तो राजा को सारा दिन कोई श्किार नहीं मिला था तो वह वैसे ही बहुत दुखी था और जब इस बौने ने इसको कोई जवाब नहीं दिया तो राजा को बहुत गुस्सा आ गया।
उसने अपने आदमियों को उस जंगली आदमी को पकड़ने का हुक्म दिया और उसकी ठीक से देखभाल करने के लिये कहा ताकि वह कहीं बच कर न भाग जाये। उसके बाद राजा घर आ गया।
राजा के उन आदमियों ने जो उसको पकड़ कर लाये थे राजा से कहा — “राजा साहब। आप इस आदमी को अपने दरबार में ही रख लें ताकि लोग इसको देख कर आपकी तारीफ कर सकें कि आप कितने ताकतवर आदमी हैं।
इसके अलावा आप ही उसके ऊपर पहरा रखें ताकि वह कहीं भाग न सके क्योंकि यह हमें बहुत ही चालाक और निर्दयी किस्म का आदमी लगता है।”
राजा ने जब यह सुना तो काफी देर तक तो वह बोला ही नहीं फिर बोला — “मैं ऐसा ही करूँगा जैसा तुमने कहा है। क्योंकि तब अगर यह भाग जायेगा तो कम से कम उसमें मेरी कोई गलती नहीं होगी। पर मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि जो कोई भी उसको भाग जाने देगा उसको मैं बिना किसी रहम के मार दूँगा फिर चाहे फिर वह मेरा अपना बेटा ही क्यों न हो।”
अगली सुबह जैसे ही राजा उठा तो उसको अपनी प्रतिज्ञा याद आयी। उसने तुरन्त ही लकड़ी और शहतीरें मँगवायीं।
उस लकड़ी और शहतीरों से उसने किले के पास ही एक छोटा सा घर बनवाया। उसको कई तरह के ताले और चटखनियों से सुरक्षित किया ताकि उसको कोई तोड़ न सके। दीवार के बीच में एक छेद बनवा दिया ताकि उसमें से उसे खाना दिया जा सके।
जब सब कुछ तैयार हो गया तो राजा उस बौने को उस मकान में ले गया वहाँ उसको रख कर घर आ गया। उस घर की चाभी उसके अपने पास थी। इस तरह वह बौना उस घर में दिन रात एक कैदी की तरह से रहने लगा।
बहुत सारे लोग उसको देखने के लिये पैदल या घोड़े पर चढ़ कर भी आते थे पर किसी ने उसे कभी कोई शिकायत करते नहीं सुना। शिकायत तो शिकायत किसी ने उसे एक शब्द बोलते हुए भी नहीं सुना।
कुछ समय तक इस तरह चलता रहा कि फिर देश में एक लड़ाई छिड़ गयी तो राजा को लड़ाई के मैदान में जाना पड़ा। जाते समय उसने अपनी रानी से कहा — “मेरी गैरहाजिरी में तुम मेरी जगह राजकाज सँभालना। मैं अपना देश और अपनी जनता तुम्हारी देखरेख में छोड़ कर जा रहा हूँ। फिर भी तुम मुझसे एक बात का वायदा करो कि तुम वह करोगी। तुम उस जंगली आदमी की ठीक से देखभाल करोगी ताकि जब मैं यहाँ नहीं हूँ तो वह मेरे पीछे कहीं भाग न जाये।”
रानी ने वायदा किया कि वह वैसा ही करेगी। राजा ने उसे उस घर की चाभी दे दी और अपनी बड़ी सी सेना ले कर समुद्र के रास्ते हो कर अपने जहाज़ दूसरे देश की तरफ खे दिये।
राजा और रानी के केवल एक ही बच्चा था – एक राजकुमार जो अभी उम्र में तो बहुत छोटा था पर होशियार बहुत था।
अब एक दिन ऐसा हुआ कि वह बाहर खेल रहा था कि खेलते खेलते वह उस जंगली आदमी के घर की तरफ निकल आया। वह सोने के एक सेब के साथ खेल रहा था। और फिर कुछ ऐसा हुआ कि उसका सोने का सेब उस मकान की खिड़की से हो कर उस मकान के अन्दर जा पड़ा।
जंगली आदमी तुरन्त ही वहाँ आया और उसने उसका सेब वापस उसको फेंक दिया। छोटे बच्चे को यह एक खेल जैसा लगा तो उसने वह सेब फिर से मकान के अन्दर फेंक दिया। जंगली आदमी ने भी वह सेब फिर से उसको वापस फेंक दिया।
यह खेल कुछ देर तक चलता रहा। सारा खेल खुशी खुशी चलता रहा कि उसका अन्त बुरा हो गया। एक बार जब राजकुमार ने वह सेब उस मकान के अन्दर फेंका तो उस आदमी ने उसको वह वापस नहीं फेंका। वह सेब उसने रख लिया और वह उसको किसी तरह भी वापस न दे।
उससे कई बार विनती की गयी कई बार धमकी दी गयी कोई चीज़ काम नहीं कर रही थी तो राजकुमार ने रोना शुरू कर दिया।
उस समय उसने राजकुमार से कहा — “तुम्हारे पिता ने मुझे बन्दी बना कर मेरे साथ बुरा किया। अब तुम अपना यह सोने का सेब मुझसे कभी वापस नहीं ले पाओगे जब तक कि तुम मुझे इस घर में से बाहर नहीं निकालोगे।”
राजकुमार बोला — “मैं तुम्हें बाहर कैसे निकाल सकता हूँ। तुम मेरा सोने का सेब मुझे वापस कर दो। मेरा सोने का सेब मुझे दे दो।”
जंगली आदमी बोला — “अब जो मैं तुमसे कह रहा हूँ उसे तुम सुनो और तुम वही करना जो मैं तुमसे कहूँ। तुम अपनी माँ के पास जाओ और उससे कहना कि वह तुम्हारे बालों में कंघी करे। उस समय तुम उसकी कमर से इस घर की चाभी निकाल लेना। उस चाभी को ले कर यहाँ आ जाना और यहाँ आ कर इस घर का दरवाजा खोल देना।
इसके बाद तुम उसे फिर से वैसे ही वापस रख देना जैसे तुमने उसे ली थी। इस तरह इस बारे में कोई जान भी नहीं पायेगा।”
जब जंगली आदमी ने उसे यह बता दिया तो उसने वैसा ही किया जैसा उसने कहा था। वह अपनी माँ के पास गया और उससे अपने सिर में कंघी करने के लिये कहा। जब वह कंघी कर रही थी तो उसने उसकी कमर से चाभी निकाल ली।
चाभी निकाल कर वह उस घर की तरफ भागा जिसमें वह जंगली आदमी बन्द था। वहाँ पहुँच कर उसने मकान का दरवाजा खोल दिया।
जब वे दोनों अलग हुए तो बौना बोला — “लो यह लो तुम अपना सोने का सेब लो जिसका मैंने तुम्हें वापस दे देने का वायदा किया था। मुझे आजाद करने के लिये तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। फिर कभी जब तुम्हें जरूरत पड़ेगी तो मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”
और यह कह कर वह वहाँ से अपने रास्ते चला गया।
राजकुमार अपना सोने का सेब ले कर अपने घर आ गया। चाभी उसने अपनी माँ की कमर में वापस रख दी।
जब राजा के दरबारियों को यह पता चला कि जंगली आदमी जेल तोड़ कर भाग गया है। सारे दरबार में हलचल मच गयी। रानी ने उनको पहाड़ियों और खाइयों सबमें उसको ढूँढने के लिये अपने आदमी भेजे। पर वह तो चला गया था और फिर दिखायी ही नहीं दिया।
यह खोज कुछ दिन तक चलती रही। रानी रोज रोज दुखी होती रही क्योंकि उसको लग रहा था कि अब किसी भी दिन राजा घर वापस आते होंगे।
और जब राजा किनारे पर उतरे तो सबसे पहले उसने यही पूछा कि क्या उस जंगली आदमी की रक्षा ठीक से की गयी।
रानी को सारा मामला स्वीकर करना पड़ा कि वहाँ क्या हुआ था और सब कुछ बताना पड़ा। राजा यह सब सुन कर बहुत गुस्सा हो गया। उसने कहा कि चाहे जो कोई भी क्यों न हो वह उसको सजा अवश्य ही देगा।
उसने अपने दरबार के सब लोगों से उसके बारे में पूछा पर किसी को उसके बारे कुछ पता नहीं था। अन्त में राजकुमार को भी बुलाया गया। राजकुमार ने राजा के सामने आ कर कहा — “मुझे मालूम है कि मेरे पिता मुझसे इस बात पर बहुत गुस्सा होंगे फिर भी मैं सच को नहीं छिपाऊँगा। मैंने ही उस जंगली आदमी को भगाया है।”
यह सुन कर रानी का चेहरा तो सफेद पड़ गया। दूसरे लोग भी यह सुन कर परेशान हो गये क्योंकि ऐसा कोई नहीं था जो राजकुमार को प्यार न करता हो।
आखिर राजा बोला — “यह बात मेरे बारे में कोई भी कभी नहीं कहेगा कि मैंने जो प्रतिज्ञा की उसे पूरा नहीं किया चाहे वह मेरा अपना खून या माँस ही क्यों न हो। इसलिये तुमको वही मौत मरना पड़ेगा जो ऐसे आदमी के लिये तय की गयी थी।”
इसके साथ ही उसने लोगों को हुक्म दिया कि वे राजकुमार को जंगल ले जायें और वहाँ ले जा कर उसे मार दें। उनको यह भी कहा गया कि वह राजकुमार का दिल ला कर उसे दें जिससे उसे यह पता चल जाये कि उसके हुक्म का पालन कर दिया गया है।
लोग बेचारे खुले रूप से तो कुछ कह नहीं सकते थे पर दिल ही दिल में सब बहुत दुखी थे। सबने राजकुमार को माफ कर देने की बहुत विनती की पर राजा ने जो कह दिया था सो कह दिया था अब उसे वापस नहीं लिया जा सकता था।
उसके नौकर चाकर तो उसके हुक्म को टालने की हिम्मत ही नहीं कर सकते थे। सो उन्होंने राजकुमार को अपने बीच में लिया और जंगल की तरफ चल दिये। जब वे जंगल में काफी दूर तक चल लिये तो उन्होंने एक सूअर चराने वाला सूअर चराता हुआ दिखायी दिया।
तो उनमें से एक आदमी ने दूसरे से कहा — “मुझे यह ठीक नहीं लगता कि हम राजा के बेटे के ऊपर हाथ उठायें। क्यों न हम एक सूअर खरीद लें और उसका दिल ले जा कर राजा को दे दें। वे लोग यह विश्वास कर लेंगे कि वह राजकुमार का दिल है।”
राजा के दूसरे नौकरों ने सोचा कि यह आदमी तो अक्लमन्दी की बात कर रहा है सो उन्होंने राजकुमार को तो छोड़ दिया और उस सूअर चराने वाले से एक सूअर खरीदा उसे जंगल में ले जा कर मारा और उसका दिल ले कर किले चले गये।
राजकुमार से उन्होंने कहा कि वह वहाँ से कहीं चला जाये और फिर उधर कभी न लौटे। अब यह सोचना तो बहुत आसान है कि जब उन्होंने यह कहा होगा कि “हमने राजकुमार को मार दिया है।” तो घर में कितना कोहराम मचा होगा।
राजा के बेटे ने वही किया जो राजा के नौकरों ने उससे करने के लिये कहा था। वह बहुत दूर दूर तक घूमता रहा। उसके पास कोई खाना नहीं था सिवाय गिरियों के और बैरीज़ के जो अक्सर जंगलों में उगती हैं। बहुत देर तक घूमने के बाद वह एक पहाड़ के पास आया जिसकी चोटी पर फ़र का एक पेड़ खड़ा था।
उसने सोचा कि अगर मैं यहाँ चढ़ जाऊँ तो शायद मैं देख सकूँ कि कौन सा रास्ता किधर जाता है। वह तुरन्त ही पेड़ की तरफ चल दिया। जैसे ही वह फ़र के पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर पहुँचा और नीचे चारों तरफ देखा तो उसको दूर एक बहुत ही शानदार किला दिखायी दिया। धूप में वह चमक रहा था।
उसे देख कर वह बहुत खुश हुआ और उधर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में उसे एक किसान मिला जिससे उसने विनती की कि वह उससे अपने कपड़े बदलना चाहता है। किसान ने उसे अपने कपड़े दे दिये और वह उनको पहन कर किले चल दिया।
वहाँ जा कर उसने राजा से उससे काम माँगा तो उसने उसको एक गड़रिये का काम दे दिया। अब वह राजा के जानवर चराने लगा। वह जंगल कभी जल्दी चला जाता कभी देर से जाता। समय के साथ वह अपने दुख भूल गया।
समय के साथ साथ वह बड़ा होने लगा और इतना लम्बा और बहादुर हो गया कि उस जैसा वहाँ कोई नहीं था।
अब हमारी कहानी उस राजा की तरफ मुड़ती है जो इस शानदार किले में रह कर राज करता था। उसकी शादी हो गयी थी और उसके एक बेटी थी। वह दूसरी बहुत सारी लड़कियों से कहीं ज़्यादा सुन्दर थी।
वह इतनी खुशमिजाज और दयालु थी कि हर आदमी यही सोचता कि जो कोई भी उसको अपने घर ले जायेगा वह दुनियाँ का एक बड़ा खुशकिस्मत आदमी होगा।
जब राजकुमारी पन्द्रह साल की हो गयी तो उसके लिये बहुत सारे उम्मीदवारों की एक भीड़ सी लग गयी। जैसा कि सोचा जा सकता है उस लड़की ने सबको शादी करने से मना कर दिया था। पर आने वालों की गिनती तो बढ़ती ही रही।
आखिर राजकुमारी ने कहा — “मुझसे केवल वही शादी करेगा जो पूरा जिरहबख्तर37 पहन कर शीशे के पहाड़ पर चढ़ जायेगा।”
राजा ने सोचा कि यह तो अच्छा विचार है। उसने अपनी बेटी की इच्छा को बढ़ावा दिया और अपने सारे राज्य में यह मुनादी पिटवा दी कि जो कोई भी पूरा जिरहबख्तर पहन कर शीशे के पहाड़ पर चढ़ेगा मेरी बेटी उसी से शादी करेगी।
जब राजा का नियत किया हुआ दिन आया तो राजकुमारी को शीशे के पहाड़ पर ले जाया गया। वहाँ उसको उसकी सबसे ऊँची चोटी पर बिठा दिया गया। उसके सिर पर सोने का ताज था और हाथ में एक सोने का सेब था।
वह इतनी ज़्यादा सुन्दर दिखायी दे रही थी कि वहाँ पर कोई ऐसा नहीं था जो उसके लिये अपनी ज़िन्दगी को दाँव पर न लगाना चाहता हो।
पहाड़ी के नीचे उससे शादी करने वाले उम्मीदवार अपने चमकदार जिरहबख्तर पहिने अपने अपने घोड़ों पर सजे खड़े हुए थे। उनके जिरहबख्तर धूप में सोने जैसे चमक रहे थे। इनके अलावा और बहुत सारे लोग इस मुकाबले को देखने के लिये वहाँ आ कर खड़े हो गये थे।
बिगुल बजा कर उनको पहाड़ पर चढ़ने का सिगनल दिया गया और उन सबने अपनी पूरी ताकत के साथ उस पहाड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया। पर पहाड़ ऊँचा था और बर्फ की तरह फिसलना था। साथ में उसकी चढ़ाई बहुत खड़ी थी।
कोई भी उम्मीदवार उस पहाड़ पर थोड़ी दूर से ज़्यादा नहीं चढ़ पाता था कि नीचे गिर जाता था। कइयों की तो इस चढ़ाई में हाथ पैरों की हड्डियाँ भी टूट गयीं।
घोड़े भी हिनहिनाने लगे लोग चिल्लाने लगे इस सबने इतना शोर मचाया कि उसे दूर तक सुना जा सकता था।
जब यह सब चल रहा था तब राजा का बेटा अपने बैल चरा रहा था। जब उसने यह शोर सुना तो वह एक पत्थर पर बैठ गया। अपना गाल अपने हाथ पर रख लिया और विचारों में खो गया। उसको लग रहा था कि वह दूसरों के साथ इस मुकाबले में हिस्सा नहीं ले पायेगा।
कि अचानक उसने किसी के पैरों की आहट सुनी। आहट पर उसने अपना सिर उठा कर ऊपर देखा तो वह जंगली आदमी वहाँ खड़ा था जिसको एक बार उसने अपने पिता के घर से आजाद किया था और जिसकी वजह से वह आज यहाँ इस हाल में था।
वह बोला — “उस दिन के लिये तुम्हारा धन्यवाद। और तुम यहाँ अकेले दुखी से क्यों बैठे हो?”
राजकुमार बोला — “मेरे पास कोई और चारा नहीं है सिवाय इसके कि मैं दुखी और नाखुश बैठा रहूँ। तुम्हारी वजह से मैं अपने देश से बाहर भागा भागा फिर रहा हूँ। और अब मेरे पास न तो कोई जिरहबख्तर है और ना ही कोई घोड़ा है जो मैं शीशे के पहाड़ पर चढ़ सकूँ और राजकुमारी को जीत सकूँ।”
जंगली आदमी बोला — “ओह बस इतनी सी बात। अगर तुम्हें बस यही चाहिये तो मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। तुमने एक बार मेरी सहायता की थी उसके बदले में आज मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।”
कह कर उसने राजकुमार को हाथ पकड़ कर उठाया और उसको धरती के नीचे अपनी गुफा में ले गया तो लो देखो वहाँ तो एक बहुत सुन्दर जिरहबख्तर था जो सबसे मजबूत लोहे का बना हुआ था।
उसके पास ही एक बहुत सुन्दर शानदार घोड़ा खड़ा था जिस पर बढ़िया किस्म की जीन कसी हुई थी। उसके खुरों में स्टील के बढ़िया जूते लगे थे और वह कभी कभी अपना मुँह चलाता था जिससे उसके मुँह से सफेद झाग नीचे गिरता था।
जंगली आदमी बोला — “लो तुम यह जिरहबख्तर जल्दी से पहन लो और इस घोड़े पर सवार हो कर अपनी किस्मत आजमाओ। तुम्हारे बैलों को खाना मैं खिला दूँगा।”
राजकुमार ने उसके दूसरी बार कहने का इन्तजार नहीं किया। तुरन्त ही उसने जिरहबख्तर और हैल्मैट पहना तलवार अपने एक तरफ लटका ली और घोड़े पर बैठ कर पहाड़ की तरफ हवा की तरह उड़ गया।
राजकुमारी के उम्मीदवार अब इस मुकाबले को छोड़ने ही वाले थे क्योंकि अभी तक कोई भी शीशे के पहाड़ पर नहीं चढ़ पाया था। हालाँकि सबने अपनी अपनी तरह से अपनी सबसे अच्छी कोशिश की थी पर फिर भी।
जब वहाँ वे लोग यही सब सोचते हुए खड़े हुए थे कि शायद उनकी किस्मत किसी दूसरे समय पर काम आये कि अचानक उनको एक नौजवान घोड़े पर सवार जंगल की तरफ से सीधा पहाड़ की तरफ ही आता दिखायी दिया।
वह सिर से पैर तक लोहा पहने था। उसके सिर पर हैल्मैट था। बाँह पर ढाल थी और वह अपने घोड़े पर इतनी शान से बैठा हुआ था कि उसको देख कर ही दिल खुश होता था। सबकी निगाहें उसकी तरफ घूम गयीं।
लोगों ने आपस में पूछा कि वह कौन था क्योंकि उसको पहले किसी ने नहीं देखा था। फिर भी उनके पास बात करने के लिये और सवाल करने के लिये वक्त बहुत कम था। जैसे ही उसने जंगल पार किया उसने अपने घोड़े को एक चाबुक मारा और सीधा शीशे के पहाड़ पर चढ़ गया।
वह एक साथ ही उस पर नहीं चढ़ गया बल्कि जब वह बीच चढ़ाई पर पहुँचा तो वह वहाँ से नीचे उतर आया इससे उसके घोड़े के खुरों से चिनगरियाँ निकलने लगीं। नीचे उतर कर वह फिर जंगल की तरफ चला गया और वहाँ जा कर ऐसे गायब हो गया जैसे चिड़िया फुर्र हो जाती है।
यह देख कर लोगों को कितनी खुशी हुई होगी यह आसानी से सोचा जा सकता है। वहाँ कोई भी ऐसा नहीं था जो उस नाइट38 की तारीफ न कर रहा हो। सब यही कह रहे थे कि उन्होंने इतना बहादुर नाइट पहले कभी कहीं नहीं देखा।
समय गुजरता गया। राजकुमारी के उम्मीदवारों ने सोचा कि वे फिर से उस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करें। सो राजा की बेटी एक बार फिर से अपने शानदार कीमती कपड़ों में पहाड़ की चोटी पर आ कर बैठी।
उसके सिर पर सोने का ताज था और हाथ में सोने का सेब था और पहाड़ी के नीचे सब उम्मीदवार अपने चमकदार जिरहबख्तरों में सुन्दर घोड़ों पर सवार जमा थे।
जब सब तैयार हो गये तब दौड़ शुरू करने के लिये बिगुल बजाया गया और सब सवार एक के बाद एक उस पहाड़ी पर चढ़ने लगे। पर सब पहले की ही तरह से हुआ। पहाड़ी ऊँची थी बरफ जैसी फिसलनी थी और बहुत ढालू थी। कोई भी आदमी अपने घोड़े को उस पर थोड़ी दूर से ज़्यादा ऊपर तक नहीं चढ़ा पाया कि लुढ़क गया।
इस बीच पहले की तरह से फिर से वहाँ शोर मचने लगा – घोड़ों के हिनहिनाने का लोगों के चिल्लाने का उनके जिरहबख्तरों के आपस में टकराने का। और यह शोर इतना ज़्यादा था कि पहले की तरह से यह फिर से जंगल तक पहुँच गया।
और जब यह सब यहाँ हो रहा था तो नौजवान राजकुमार अपने बैल चरा रहा था जो उसका काम था। पर जब उसने शोर सुना तो वह फिर एक पत्थर पर बैठ गया अपना गाल अपने हाथ पर रख लिया और रोने लगा।
उस समय वह राजा की बेटी के बारे में सोच रहा था। उसको लगा कि वह कितना चाहता था कि वह भी उस मुकाबले में हिस्सा ले। तभी उसको किसी के पैरों की आहट सुनायी दी। आहट सुन कर उसने ऊपर जो देखा तो उसने देखा कि वही जंगली आदमी वहाँ खड़ा है।
वह आदमी बोला — “गुड डे। तुम यहाँ इतने अकेले उदास क्यों बैठे हो?”
इस पर राजकुमार ने जवाब दिया — “मेरे पास दुखी और नाखुश होने के सिवा और कोई चारा ही नहीं है। क्योंकि तुम्हारी वजह से मैं अपने राज्य से निकाल दिया गया हूँ और अब मेरे पास न तो कोई घोड़ा है और ना ही कोई जिरहबख्तर है जिससे मैं राजकुमारी के लिये मुकाबले में हिस्सा ले सकूँ।”
जंगली आदमी बोला — “ओह अगर तुम यही चाहते हो तो मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ। तुमने एक बार मेरी सहायता की थी उसके बदले में अब मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।”
कह कर उसने राजकुमार का हाथ पकड़ कर उठाया और उसको धरती के नीचे बनी अपनी गुफा में ले गया। वहाँ असली चाँदी का बना एक जिरहबख्तर टँगा हुआ था। वह इतना चमकदार था कि उसकी चमक दूर दूर तक जा रही थी।
उसके पास ही एक बर्फ जैसा सफेद घोड़ा खड़ा था जिसके ऊपर जीन कसी हुई थी। वह अपने चाँदी के खुरों से जमीन खुरच रहा था और मुँह से सफेद झाग गिरा रहा था।
जंगली आदमी बोला — “लो जल्दी से अपना यह जिरहबख्तर पहन लो इस घोड़े पर चढ़ जाओ और जा कर अपनी किस्मत आजमाओ। इस बीच तुम्हारे बैल मैं चरा दूँगा।”
राजकुमार ने उसके दूसरी बार कहने का इन्तजार नहीं किया। उसने तुरन्त ही अपना जिरहबख्तर पहना अपनी कमर से तलवार लटकायी घोड़े पर सवार हुआ उसकी गर्दन में लगाम डाली उसे एड़ लगायी और शीशे के पहाड़ की तरफ हवा में चिड़िया की तरह उड़ गया।
राजकुमारी के लिये जो उम्मीदवार वहाँ इकठ्ठे हुए थे वे सब नाउम्मीद हो कर जाने वाले ही थे और यह सोच ही रहे थे कि शायद अगली बार उनकी किस्मत चमक जाये कि तभी उन्होंने जंगल की तरफ से एक नौजवान घुड़सवार आता देखा।
वह सिर से पैर तक चाँदी से ढका हुआ था। उसके सिर पर हैल्मैट था बाँह पर ढाल थी और वह घोड़े पर एक नाइट की शान से बैठा था। उनको लगा कि शायद उन्होंने उससे ज़्यादा बहादुर नाइट पहले कभी कोई नहीं देखा।
तुरन्त ही सबकी आँखें उसकी तरफ घूम गयीं। लोगों ने देखा कि यह तो वही नाइट था जो पिछली बार आया था। मगर राजकुमार ने उनको आश्चर्य करने के लिये बहुत समय तक नहीं छोड़ा क्योंकि जैसे ही वह मैदान में आया वह तुरन्त ही पहाड़ पर चढ़ गया।
हालाँकि वह बिल्कुल ऊपर तक तो नहीं पहुँच सका पर जैसे ही वह चोटी के पास तक पहुँचा उसने राजकुमारी को बड़ी इज़्ज़त से सिर झुकाया और नीचे उतर आया। नीचे उतरने में उसके घोड़े के खुरों से चिनगारियाँ निकल रही थीं। उसके बाद वह जंगल की तरफ जा कर तूफान की तरह वहीं गायब हो गया। इस बार लोग पहले से भी ज़्यादा खुश थे।
कोई भी ऐसा नहीं था जो उसके इस हिम्मत के काम से उसकी तारीफ न कर रहा हो। सब इस बात पर एक राय थे कि ऐसा शानदार घोड़ा और ऐसा सुन्दर नौजवान उन्होंने पहले कभी कहीं नहीं देखा।
फिर कुछ दिन बीत गये। राजकुमारी के उम्मीदवारों ने सोचा कि वे फिर से उस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करें। सो राजा की बेटी एक बार फिर से अपने शानदार कीमती कपड़ों में पहाड़ की चोटी पर आ कर बैठी। उसके सिर पर सोने का ताज था और हाथ में सोने का सेब था। पहाड़ी के नीचे सब उम्मीदवार अपने चमकदार जिरहबख्तरों में सुन्दर घोड़ों पर सवार जमा थे।
जब सब तैयार हो गये तब दौड़ शुरू करने के लिये बिगुल बजाया गया और सब सवार एक के बाद एक उस पहाड़ी पर चढ़ने लगे। पर सब पहले की ही तरह से हुआ। पहाड़ी ऊँची थी बरफ जैसी फिसलनी थी और बहुत ढालू थी। कोई भी आदमी अपने घोड़े को उस पर थोड़ी दूर से ज़्यादा ऊपर तक नहीं चढ़ा पाया कि लुढ़क गया।
इस बीच पहले की तरह से फिर से वहाँ शोर सुनायी देने लगा – घोड़ों के हिनहिनाने का लोगों के चिल्लाने का उनके जिरहबख्तरों के आपस में टकराने का। और यह शोर इतना ज़्यादा था कि पहले की तरह से यह फिर से जंगल तक पहुँच गया।
और जब यह सब यहाँ हो रहा था तो नौजवान राजकुमार अपने बैल चरा रहा था जो उसका काम था। पर जब उसने शोर सुना तो वह फिर एक पत्थर पर बैठ गया अपना गाल अपने हाथ पर रख लिया और रोने लगा।
उस समय वह राजा की बेटी के बारे में सोच रहा था। उसको लगा कि वह कितना चाहता था कि वह उस मुकाबले में हिस्सा ले। तभी उसको किसी के पैरों की आहट सुनायी दी। आहट सुन कर उसने ऊपर जो देखा तो उसने देखा कि वही जंगली आदमी वहाँ खड़ा है।
वह आदमी बोला — “गुड डे। तुम यहाँ इतने अकेले उदास क्यों बैठे हो?”
इस पर राजकुमार ने जवाब दिया — “मेरे पास दुखी और नाखुश होने के सिवा और कोई चारा ही नहीं है। क्योंकि तुम्हारी वजह से मैं अपने राज्य से निकाल दिया गया हूँ और अब मेरे पास न तो कोई घोड़ा है और ना ही कोई जिरहबख्तर है जिससे मैं राजकुमारी के लिये मुकाबले में हिस्सा ले सकूँ।”
जंगली आदमी बोला — “ओह अगर तुम यही चाहते हो तो मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ। तुमने एक बार मेरी सहायता की थी उसके बदले में अब मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।”
कह कर वह उसको हाथ पकड़ कर जमीन के अन्दर बनी अपने गुफा में ले गया। वहाँ उसके पास एक बहुत सुन्दर खालिस सोने का बन हुआ जिरहबख्तर था जो इतना चमक रहा था कि उसकी चमक की रोशनी बहुत दूर दूर तक जा रही थी।
उसके बराबर में ही एक शानदार घोड़ा खड़ा था जिस पर जीन कसी हुई थी। वह अपने सोने के खुरों से जमीन खुरच रहा था और मुँह चला रहा था और झाग उगल रहा था।
जंगली आदमी बोला — “लो तुम तुरन्त ही इस जिरहबख्तर को पहन लो घोड़े पर सवार हो जाओ और जा कर अपनी किस्मत आजमाओ। इस बीच तुम्हारे बैल मैं चरा देता हूँ।”
अब सच कहो तो राजकुमार इतना भी सुस्त नहीं था। उसने तुरन्त ही जिरहबख्तर पहना अपना हैल्मैट लगाया सोने के बक्सुए39 लगाये कमर में तलवार लटकायी और चिड़िया की तरह से उड़ कर पहाड़ की तरफ चल दिया।
राजकुमारी के लिये जो उम्मीदवार वहाँ इकठ्ठे हुए थे वे सब नाउम्मीद हो कर जाने वाले ही थे क्योंकि अभी तक किसी ने भी इनाम नहीं जीता था। और यह सोच ही रहे थे कि अगर इस बार न सही शायद अगली बार उनकी किस्मत चमक जाये कि तभी उन्होंने जंगल की तरफ से एक नौजवान घुड़सवार आता देखा।
सबका ध्यान उधर चला गया। वह सिर से पैर तक सोने से ढका हुआ था। उसके सिर पर हैल्मैट था बाँह पर ढाल थी और वह एक बहुत ही शानदार घोड़े पर एक नाइट की शान से बैठा था। उनको लगा कि शायद उससे ज़्यादा बहादुर नाइट उन्होंने पहले कभी कोई नहीं देखा था।
तुरन्त ही सबकी आँखें उसकी तरफ घूम गयीं। लोगों ने देखा कि यह तो वही नाइट था जो पिछली बार आया था। इस बार वह सारा का सारा सोने से ढका हुआ था – ऊपर से ले कर नीचे तक।
उसका सोने का हैल्मैट था सोने का जिरहबख्तर था उसकी बाँह पर सोने की ढाल थी और उसकी कमर से सोने की तलवार लटक रही थी। वह इतनी शान से घोड़े पर बैठा था जैसा कि दुनियाँ भर में कोई और नहीं बैठ सकता था।
मगर राजकुमार ने उनको आश्चर्य करने के लिये बहुत समय तक नहीं छोड़ा क्योंकि जैसे ही वह मैदान में आया वह तुरन्त ही बिजली की सी तेज़ी के साथ पहाड़ पर चढ़ गया और सीधा पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया।
उसने राजकुमारी को बहुत ही नम्रता से सिर झुकाया और उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया। राजकुमारी से उसने सोने का सेब लिया और अपने घोड़े पर बैठ कर नीचे उतर आया।
जब वह पहाड़ी से नीचे उतर रहा था तो उसके घोड़े के सोने के खुरों से आग की चिनगारियाँ निकल रही थीं। इस तरह की चमकीली धारी छोड़ता हुआ वह वहाँ से जंगल की तरफ चला गया। वहाँ जा कर वह एक तारे की तरह गायब हो गया।
अब तो पहाड़ के पास क्या हल्ला गुल्ला मचा। लोगों ने क्या खुशी से तालियाँ बजायीं। बिगुल बजने लगे। घोड़े हिनहिनाने लगे। ये आवाजें बहुत दूर तक सुनायी पड़ रही थीं। राजा ने सब जगह मुनादी पिटवा दी कि एक अनजान सुनहरे नाइट ने इनाम जीत लिया है।
अब तो बस यही बचा था कि उस सुनहरे अनजान नाइट के बारे में कुछ बातें जानी जायें क्योंकि उसको तो कोई जानता ही नहीं था। सारे लोगों को यही आशा थी कि वह अब किले में आयेगा पर वह तो आया ही नहीं।
यह देख कर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। राजकुमारी पीली पड़ गयी और बीमार हो गयी। राजा भी उदास हो गया। लोग कुछ कुछ गलत बोलने लगे। कुछ समय बाद उनकी वे बातें भी खत्म हो गयीं।
एक दिन राजा ने अपने किले में एक बहुत बड़ी मीटिंग की। इस मीटिंग में सबको आना था चाहे कोई छोटा हो या बड़ा ताकि राजकुमारी उनमें से अपने आप ही किसी को चुन सके।
सारे लोग बहुत खुश थे क्योंकि उनको राजकुमारी के सामने आने का मौका मिल रहा था। इसके अलावा यह एक शाही हुक्म था सो अनगिनत लोग वहाँ इकठ्ठे हुए थे।
जब वहाँ सब इकठ्ठे हो गये तो बड़ी शानो शौकत के साथ राजकुमारी अपने महल से बाहर आयी। उसके साथ उसकी दासियाँ भी थीं। वह सारे लोगों के बीच से हो कर गयी पर वह कितना भी अपने चारों तरफ ढूँढती उसको वह कहीं नहीं मिला जिसको वह ढूँढ रही थी।
जब वह आखिरी लाइन में पहुँची तब उसने एक आदमी को देखा जो भीड़ से छिप कर बैठा हुआ था। वह एक टोपी पहने बैठा था जो थोड़ी सी आगे को निकली हुई थी और एक भूरे रंग का शाल पहना हुआ था जैसी गड़रिये लोग पहनते हैं। उससे उसका चेहरा कुछ छिपा हुआ था।
उसको देखते ही राजकुमारी उसकी तरफ दौड़ पड़ी। उसने उसकी टोपी ऊपर उठायी और उसके गले से लिपट गयी चिल्ला कर बोली — “वह यहाँ है। वह यहाँ है।”
यह देख कर सारे लोग हँस पड़े क्योंकि उन्होंने देखा कि वह तो
राजा का गड़रिया है। इसको देख कर तो राजा भी चिल्ला पड़ा —
“हे भगवान मुझे हिम्मत देना क्योंकि मेरा दामाद अब मेरा हिस्सा
बनने जा रहा है।”
पर इस बात से उस आदमी को ज़रा सी भी शर्म नहीं आयी। बल्कि वह बोला — “ओह उसके लिये आपको चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है। जैसे आप राजा हैं वैसे ही मैं भी एक राजा का बेटा हूँ।”
कह कर उसने अपना शाल उतार दिया।
अब उस पर कोई नहीं हँस रहा था क्योंकि अब वहाँ भूरे गड़रिये की बजाय एक सुन्दर राजकुमार खड़ा था जो अपने हाथ में राजकुमारी का दिया हुआ सोने का सेब लिये ऊपर से ले कर नीचे तक सोने से ढका हुआ था।
लोगों ने देखा कि वह तो वही नौजवान था जो शीशे के पहाड़ पर चढ़ा था।
बस उसके बाद तो शादी की दावत की तैयारी शुरू हो गयीं जैसी कि पहले कभी नहीं देखी गयी थीं। राजकुमार की शादी राजकुमारी से हो गयी और उसको राजा का आधा राज्य भी मिल गया।
शादी के बाद वे अपने राज्य में खुशी खुशी रहे। अगर वे मर नहीं गये होंगे तो वे अभी भी वहाँ रह रहे होंगे। पर उसके बाद उस जंगली आदमी के बारे में कुछ नहीं सुना गया। बस यही इस कहानी का अन्त है।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)