तोता - कहानी दो रूपों में : इतालवी लोक-कथा

The Parrot - (Story in two Versions) : Italian Folk Tale

तोता–पिसा संस्करण

एक बार एक सौदागर था जिसके एक सुन्दर बेटी थी जिसको राजा और वाइसराय दोनों ही बहुत प्यार करते थे। राजा को मालूम था कि सौदागर जल्दी ही अपने काम पर बाहर जाने वाला है तो उसको लगा कि तब उसको उस लड़की से बात करने का मौका मिलेगा।

वायसराय भी इस बात को जानता था। वह इस सोच में था कि वह किस तरह वह राजा को उस लड़की से मिलने से कैसे रोके।

वह एक जादूगरनी को जानता था। वह उसके पास गया उसको निडर किया बहुत सारा पैसा देने का वायदा किया और उससे पूछा कि वह अपने आपको एक तोते में कैसे बदल सकता है। उसने उसको यह सिखा दिया। सौदागर ने उस तोते को अपनी बेटी के लिये खरीद लिया।

जब तोता ने सोचा कि अब राजा आता ही होगा तो उसने लड़की से कहा — “अब तुम्हारा मन बहलाने के लिये मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ पर जब मैं तुम्हें कहानी सुना रहा होऊँगा तो बीच में तुम किसी से न बात करोगी और न किसी से मिलोगी।”

उसके बाद उसने अपनी कहानी कहनी शुरू की। उसने अभी कुछ ही देर तक कहानी सुनायी होगी कि उसकी नौकरानी एक सन्देश ले कर आयी कि उसके लिये एक चिठ्ठी आयी है।

तोता बोला — “उससे कहो कि वह थोड़ी देर में ले कर आये। अब तुम मेरी बात सुनो।”

लड़की ने भी कहा — “जब तक मेरे पिता नहीं हैं मैं तब तक किसी की चिठ्ठी स्वीकार नहीं कर सकती।”

उसने फिर कहानी कहनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद फिर कोई बीच में आया। नौकरानी ने कहा कि “आपसे आपकी कोई चाची मिलने आयी हैं।” वास्तव में तो वह उसकी चाची वाची नहीं थी बल्कि एक स्त्री थी जिसे राजा ने भेजा था।

तोता बोला — “तुम उसको मत बुलाओ। अभी तो हमारी कहानी का बहुत ही मजेदार हिस्सा आने वाला है।” तो वह लड़की अपनी दासी के हाथ यह खबर भेज देती है कि इस समय वह किसी मेहमान से नहीं मिल सकती। तोता फिर अपनी कहानी सुनाता रहता है।

जब उसकी कहानी खत्म हो गयी तो वह लड़की उससे इतनी खुश हुई कि वह तब तक किसी को नहीं सुनना चाहती थी जब तक उसके पिता नहीं आ जाते।

उनके आने के बाद तोता गायब हो जाता है और वायसराय उससे मिलने के लिये आता है और सौदागर से उसकी बेटी का हाथ माँगता है। सौदागर राजी हो जाता है और शादी होती है। पर शादी की रस्में अभी खत्म भी नहीं होती हैं कि एक भला आदमी लड़की का हाथ राजा के लिये माँगने के लिये आता है।

पर अब तो बहुत देर हो गयी होती है और बेचारा राजा जो उस लड़की को बहुत प्यार करता है दिल टूटने की वजह से मर जाता है। लड़की वायसराय की पत्नी बन जाती है जो राजा से कहीं ज़्यादा चालाक था।

(इस कहानी में हमने तोते के द्वारा सुनायी गयी कहानियाँ नहीं दी हैं क्योंकि हम उन्हें सिसिली में कहे सुने जाने वाले रूप में देने वाले हैं। और इसके फ्लोरैन्स वाले रूप में भी। यह कहानी हमने केवल इसलिये यहाँ दी है क्योंकि इस कहानी का यह रूप जिस संग्रह में दिया हुआ है वह बहुत मुश्किल से मिलता है।)

तोता–फ्लोरेंस संस्करण

एक बार की बात है कि एक सौदागर था जो अपने काम के सिलसिले में एक लम्बी यात्रा पर जा रहा था सो उसने अपनी पत्नी को उसके मन बहलाने के लिये एक तोता ला दिया। पत्नी बहुत दुखी थी कि उसका पति जल्दी ही चला जायेगा। उसने चिड़िया को एक कोने में फेंक दिया और फिर उसके बारे में दोबारा सोचा भी नहीं।

शाम को वह अपनी खिड़की पर गयी तो उसको एक नौजवान गुजरता हुआ दिखायी दिया। उस नौजवान ने जैसे ही सौदागर की पत्नी को देखा तो उसको उससे प्यार हो गया।

पहली मंजिल पर एक स्त्री रहती थी जो कोयला बेचती थी। उस नौजवान ने उससे विनती की वह उस लड़की के साथ अपने सम्बन्ध बनाने में उसकी सहायता कर दे।

उसने वायदा तो नहीं किया क्योंकि सौदागर की शादी को अभी कुछ ही दिन हुए थे और वह एक ईमानदार लड़की थी। फिर उसने कहा कि एक तरीका है। उसकी अपनी बेटी की शादी होने वाली थी तो वह सौदागर की पत्नी को उसमें बुलायेगी तो वह उसको भी बुला लेगी पर फिर उसे खुद ही सँभालना पड़ेगा।

सो उस स्त्री ने अपनी बेटी की शादी के मौके पर सौदागर की पत्नी को बुलाया और उसने उसका बुलावा स्वीकार भी कर लिया। पत्नी ने अपने सबसे अच्छे कपड़े पहने और जाने के लिये तैयार ही थी कि तोता जिसे उसने कोने में फेंक दिया था बोला — “मैडम कहाँ जा रही हो। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाना चाहता हूँ अगर तुमको अच्छा लगे तो।”

सौदागर ने उस कोयले वाली को विदा किया। कोयले वाली स्त्री ने भी बात को बिगाड़ना नहीं चाहा सो उसने शादी को टालने का वायदा किया और अगले दिन आने का वायदा किया। तब तोते ने अपनी कहानी शुरू की —

“एक बार की बात है कि एक राजा का एक बेटा था जिसका गुरू जादू में इतना होशियार था कि वह कुछ शब्द बोलने पर ही अपने आपको अलग अलग जानवरों में बदल सकता था।

राजकुमार ने चाहा कि उसका गुरू उसको भी वे शब्द सिखा दे पर जादूगर कुछ हिचकिचा रहा था सो उसने मना कर दिया। पर फिर उसे राजकुमार की इच्छा पूरी करनी ही पड़ी।

सो राजकुमार कौआ बन गया और उड़ कर एक दूर देश में चला गया। वह वहाँ के राजा के बागीचे में पहुँच गया। वहाँ उसने एक बहुत सुन्दर लड़की देखी जिसके हाथ में एक शीशा था और जिसमें उसकी तस्वीर लगी हुई थी। कौए ने उसके हाथ से वह तस्वीर छीन ली और अपने घर उड़ गया।

घर पहुँच कर उसने अपना रूप बदल लिया। वह अपने असली रूप में आ गया। पर वह उस अनजान लड़की को इतना प्यार करने लगा था कि वह उसकी याद में बीमार पड़ गया।

इस बीच वह लड़की जो राजा की बेटी थी अपनी तस्वीर अपने हाथ से छीनी जाती देख कर बहुत परेशान थी। उसके दिमाग को शान्ति नहीं थी। उसने अपने पिता से विनती की कि वह उसको उसकी तस्वीर की खोज में जाने दें। पिता ने उसे इजाज़त दे दी।

उसने एक डाक्टर का रूप रखा और चल दी। वह एक देश में आयी जहाँ के राजा ने मुनादी पिटवा रखी थी कि जो कोई डाक्टर उसके देश से गुजरे उसे उसके पास आना पड़ेगा क्योंकि उसकी बेटी बहुत बीमार है।

सो इस नये डाक्टर को महल जाना पड़ा पर वह उसकी उस बीमारी की को दवा नहीं खोज सकी। रात को वह राजकुमारी के बिस्तर के पास बैठी हुई थी कि रोशनी चली गयी। सो वह कमरे में रोशनी लाने के लिये बाहर चली गयी।

बार उसने एक छोटा सा मकान देखा तो उसने देखा कि वहाँ तीन बुढ़ियें एक बर्तन के चारों तरफ बैठी हैं जो आग पर रखा है और उसमें पानी उबल रहा है।

उसने उनसे पूछा — “क्या आप कुछ धो रही हैं।”

वे बोलीं — “क्या धोना? ये तीन सिर इसमें उबल रहे हैं। जब ये उबल जायेंगे तब राजकुमारी मर जायेगी।”

डाक्टर ने कहा — “अरे वाह भली स्त्रियों। आप लकड़ी और ले आयें मैं भी आपकी सहायता करता हूँ।”

वह वहाँ कुछ देर तक तो बैठी रही पर फिर फिर से आने का वायदा कर के चली गयी। आग जितनी तेज़ जलती जाती थी राजकुमारी के मरने का समय पास आता जाता था। डाक्टर ने राजा को तसल्ली दी और उसको बढ़िया खाना तैयार करने के लिये कहा।

अगली रात उसने वह खाना लिया और बहुत बढ़िया वाइन ली और उन बुढ़ियों के पास चल दी। जब वे उसको पी कर बेहोश सी हो गयीं उसने उन तीनों बुढ़ियों को आग में डाल दिया और वह बर्तन जिसमें तीनों सिर उबल रहे थे आग पर से उतार दिया। उस बर्तन के आग पर से हटाते ही राजकुमारी ठीक होने लगी। राजा अपनी बेटी को उसको देना चाहता था और सोना और जवाहरात देना चाहता था पर डाक्टर ने कुछ नहीं लिया और वहाँ से चला गया।”

तोता बोला — “मैडम। बहुत देर हो गयी है। देखो न मैं अब थक गया हूँ। बाकी की बची हुई कहानी मैं तुम्हें कल सुनाऊँगा।”

अगले दिन कोयला बेचने वाली स्त्री फिर आयी। सौदागर की पत्नी फिर से उसके साथ जाने के लिये तैयार थी पर तोते ने उसे रोक लिया और उससे वायदा किया कि वह उस दिन अपनी कहानी खत्म कर देगा।

सो कोयला बेचने वाली स्त्री गुस्से में भरी लौट गयी और तोते ने अपनी कहानी आगे बढ़ायी —

“इस तरह डाक्टर के वेश में राजकुमारी वहाँ से चल कर एक दूसरे देश में आयी। वहाँ के राजा ने एक मुनादी पिटवा रखी थी कि जो कोई भी डाक्टर उसके राज्य से गुजरे वह उससे जरूर ही मिले क्योंकि उसके बेटे की तबियत बहुत खराब थी।

सो इस नये डाक्टर को यहाँ भी राजा के पास जाना पड़ा। यहाँ भी वह राजकुमार की बीमारी के इलाज का पता नहीं चला सका। पर रात को जब वह राजकुमार के बिस्तर के पास बैठा हुआ था तो उसने साथ वाले में कमरे में बहुत ज़ोर का शोर सुना। सो वह दरवाजे के पास गया और देखा तो वहाँ तीन बुढ़ियें दावत की तैयारी कर रही थीं।

बाद में वे बीमार राजकुमार के पास गयीं उसको सिर से पैर तक तेल लगाया और उसको मेज तक ले गयीं। फिर उन्हाहेंने शराब पीनी शुरू की और आनन्द मनाना शुरू किया। उन्होंने फिर से उसे तेल लगाया और पहले से भी बुरी हालत में उसे छोड़ गयीं।

डाक्टर ने राजा को बहुत तसल्ली दी। दूसरी रात को उसने उनको राजकुमार को वहाँ से हटाने दिया। फिर वह वहाँ कमरे में प्रगट हो कर राजा के गुस्से की धमकी दे कर उन सबको भगा दिया और राजा के बेटे को राजा को दे आया।

राजा उससे बहुत खुश हुआ और उसने उसे बहुत सा इनाम देना चाहा पर डाक्टर ने उससे कुछ नहीं लिया और वहाँ से चला गया।”

तोता बोला — “अब बहुत देर हो चुकी है सो अब मैं तुम्हें यह कहानी कल सुनाऊँगा। अभी मैं बहुत थक गया हूँ।”

अगले दिन कोयला बेचने वाली फिर से वापस आयी। सौदागर की पत्नी इसके साथ जाने ही वाली थी कि तोते ने उसे रोक लिया और कहानी खत्म करने का वायदा किया। कोयला बेचने वाल्ी स्त्री वहाँ से फिर से गुस्सा हो कर चली गयी।

तोते ने फिर अपनी कहानी शुरू की —
“लम्बी यात्रा के बाद राजकुमारी जिसने एक डाक्टर का वेश रखा हुआ था एक और देश में आ गयी। यहाँ भी उसने राजा की एक मुनादी सुनी कि जो कोई डाक्टर इस राज्य से गुजरे तो वह राजा के पास मिल कर जाये। सो यहाँ भी उसे राजा के पास जाना ही पड़ा।

यहाँ भी उसका बेटा बीमार था। इसकी बाीमारी का इलाज भी यहाँ का कोई डाक्टर पता नहीं चला सका। राजकुमार किसी से बोलता नहीं था बल्कि अपनी बीमारी किसी को बताता भी नहीं था। पर आखिर उसने डाक्टर को वह राज़ बता ही दिया जिसकी वजह से वह बीमार था। उसने उस तस्वीर की बात उसको बता ही दी जिसको ले कर वह बीमार पड़ा था।

डाक्टर ने राजा को बहुत तसल्ली दी। उसने वैसे ही कपड़े और गहना बनवाया जैसा कि उस तस्वीर में उस लड़की ने पहन रखा था। फिर वह उनको पहन कर राजकुमार के सामने गयी। जैसे ही राजकुमार ने उसे देखा तो वह तो बिस्तर से कूद कर जमीन पर खड़ा हो गया और अपने प्यार को गले लगा लिया।”

यहाँ इस समय पत्नी अपने पति के आने की आवाज सुनती है। वह बहुत खुश हो जाती है। वह बेचारे तोते को खिड़की से बाहर फेंक देती है जिसको वह अब अपना एक थका देने वाला साथी समझती है।

सौदागर आ कर तोते के बारे में पूछता है। देखता है कि उसका तोता पड़ोसी की छत पर घायल सा पड़ा है तो वह उसे बड़ी नर्मी से उठा कर लाता है।

तब तोता उसको कोयला बेचने वाली की चालाकी बताता है और साथ में जो कुछ उसने किया वह भी बताता है। वह सौदागर को विश्वास दिलाता है कि उसकी पत्नी ने कोई गलती नहीं की है। पर वह इस बात की शिकायत करता है कि उसकी पत्नी बहुत ही कृतघ्न है। उसने उसको एक सोने का पिंजरा देने का वायदा किया था पर उसने उसके लिये वह तो बनवाया नहीं बल्कि उलटे उसके साथ ऐसा व्यवहार किया।

सौदागर मरती हुई चिड़िया को तसल्ली देता है और बाद में उसके शरीर को दवाओं से सुरक्षित कर के सोने के पिंजरे में रख देता है। अपनी पत्नी को वह और भी ज़्यादा प्यार करने लगता है।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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