एक अनाथ लड़का और नरक के कुत्ते : एस्टोनिया लोक-कथा

The Orphan Boy and the Hell-Hounds : Lok-Katha (Estonia)

एक बार की बात है कि एक जगह एक गरीब मजदूर और उसकी पत्नी रहते थे। वह बेचारा अपनी गरीबी की ज़िन्दगी को रोज किसी तरह खींच रहा था। उनके तीन बच्चे हुए पर उन तीनों में से केवल एक सबसे छोटा वाला बच्चा ही बचा था।

यह लड़का भी जब केवल नौ साल का ही था जब उसने पहले अपने पिता को और फिर अपनी माँ को दफ़न किया। अब उसके पास सिवाय भीख माँगने के अपने खाने का और कोई साधन नहीं था सो वह घर घर जा कर भीख माँगा करता था।

एक साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि वह एक अमीर किसान के घर ऐसे मौके पर आया जब उनको एक गड़रिये की जरूरत थी। किसान तो बर्ताव में इतना बुरा आदमी नहीं था पर परेशानी यह थी कि घर के सारा मामलात उसकी पत्नी के हाथ में थे। और वह बहुत निर्दयी थी।

इसको अच्छी तरह से सोचा जा सकता है कि वह इस स्त्री के हाथों कैसे कैसे दर्द सहता होगा। वह उसको दिन में तीन बार काफी काफी मारती पर खाने को रोटी कभी काफी नहीं देती। पर वह तो बेचारा अनाथ था सो इसके आगे वह और सोचता भी क्या।

वह बेचारा अपने इन दुखों को सहता ही रहता।

एक दिन उसकी परेशानियों में एक और जुड़ गयी। एक दिन उससे एक गाय खो गयी। वह जंगल में चारों तरफ ऊपर से ले कर नीचे तक घूमता रहा पर उसकी गाय नहीं मिली।

हालाँकि उसको पता था कि घर जा कर क्या होने वाला था पर फिर भी वह क्या करता शाम को उसने अपने सारे जानवर इकठ्ठे किये और खोयी हुई गाय को लिये बिना ही घर चल दिया।

अभी सूरज पूरी तरह से डूबा नहीं था कि उसने अपनी मालकिन की आवाज सुनी — “अरे ओ आलसी कुत्ते। तू अभी तक जानवरों के साथ कहाँ घूमता फिर रहा था।”

वह और ज़्यादा इन्तजार नहीं कर सका और घर जल्दी पहुँचने पर मजबूर हो गया। जब वह घर के दरवाजे पर पहुँचा तो शाम का धुँधलका छा गया था पर मालकिन की तेज़ आँखों ने देख लिया कि आज एक गाय कम है।

बिना एक भी शब्द कहे उसने अपने मकान की बाड़ का पहला डंडा उखाड़ा और लड़के को उससे पीटना शुरू कर दिया। ऐसा लगता था जैसे कि वह मार मार कर उसकी जैली बना देगी।

उस समय उसको इतना गुस्सा आ रहा था कि लगता था कि वह उसको वहीं जान से मार देगी या फिर ज़िन्दगी भर के लिये अपाहिज कर देगी। वह तो यह कहो कि उसकी चीख चिल्लाहट सुन कर किसान वहाँ आ गया और उसने उसे बचा लिया।

पर क्योंकि उसको अपनी गुस्सैल पत्नी का स्वभाव मालूम था इसलिये वह सीधे सीधे तो बीच में बोल नहीं सकता था पर किसी तरह से उसने उसको मना कर लड़के को बचा लिया — “बच्चा है इसको इतनी ज़ोर से मत पीटो नहीं तो वह तुम्हारी खोयी हुई गाय ढूँढ कर भी कैसे लायेगा। अगर तुम इसे मारोगी नहीं तो हमें इससे बहुत फायदा होने वाला है।”

किसान की पत्नी बोली “यह तो तुम ठीक कह रहे हो। इसका तो सड़ा हुआ माँस भी किसी गाय के अच्छे माँस के बराबर नहीं होगा।” फिर उसने उसको दो–चार बार और मार कर कहा कि वह अब जाये और गाय ढूँढ कर लाये।

लड़का बेचारा रोता हुआ दरवाजे से तुरन्त ही बाहर निकल गया और जंगल में उसी जगह चला गया जहाँ वह दिन में गायें चराने गया था। वहाँ वह वह सारी रात गाय ढूँढता रहा पर उसे कहीं उसका नामो निशान तक भी नहीं मिला।

पर अगले दिन जब सूरज उगा तो उसने अपने मन में तय कर लिया कि उसे क्या करना है – “अब चाहे कुछ भी हो मैं घर वापस नहीं जाऊँगा।” यह सोच कर वह वहाँ से वह सीधा बहुत ज़ोर से भाग गया जब तक कि वह घर से बहुत दूर नहीं पहुँच गया। उसको खुद भी नहीं पता था कि वह घर से कितनी दूर भाग आया है जब तक कि वह थक कर चूर नहीं हो गया। तब तक दोपहर हो गयी थी वह आराम करने के लिये बैठ गया और सो गया।

काफी देर बाद जब वह सो कर उठा तो उसे अपने मुँह में कुछ ठंडा जाता हुआ महसूस हुआ। उसने आँखें खोल कर देखा तो एक छोटा सा बूढ़ा जिसकी लम्बी सफेद दाढ़ी थी अपना चमचा दूध के डिब्बे की तरफ वापस ले जा रहा था।

लड़का बोला — “मेहरबानी कर के मुझे थोड़ा सा और दीजिये।”

बूढ़ा बोला — “इतना तुम्हारे लिये आज के लिये काफी है। अगर मैं इत्तफाक से इधर से न गुजर रहा होता तब तुम अपनी यह आखिरी नींद सो रहे होते। क्योंकि जब मैंने तुम्हें देखा तब तुम बिल्कुल अधमरे हो रहे थे।”

इसके बाद बूढ़े ने लड़के से पूछा कि वह कहाँ से आया था और किधर जा रहा था। लड़के ने जहाँ तक उसे याद था उसे वह सब कुछ बता दिया जो भी उसके साथ हुआ था।

बूढ़े ने उसकी कहानी बिना कुछ बीच में बोले ध्यान से सुनी। फिर थोड़ी देर बाद बोला — “बच्चे। उन दूसरे लोगों की तुलना में जिनके दोस्त और रक्षा करने वाले जमीन के नीचे सोते हैं न तो तुमने कुछ बहुत अच्छा किया है और न ही खराब किया है। अब क्योंकि तुम भाग आये हो तो तुम्हें अपनी किस्मत दुनियाँ में कहीं और आजमानी चाहिये।

पर क्योंकि मेरे पास न तो कोई घर ही है और न ही कोई खेत न मेरे पास कोई पत्नी है और न ही कोई बच्चा तो मैं ऐसे तो तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता पर मैं तुम्हें एक अच्छी सलाह जरूर दे सकता हूँ।

आज की रात तो तुम यहीं सोओ। पर कल सुबह देखना कि सूरज किस जगह उगता है। जिस दिशा में वह उगता है तुम उसी दिशा में चले जाना ताकि जाते समय हर सुबह सूरज तुम्हारे सामने रहे और हर शाम सूरज तुम्हारी पीठ के पीछे रहे।

हर दिन तुम अपने आपको ज़्यादा ताकतवर पाओगे। हर सात साल बाद तुम्हें अपने सामने एक पहाड़ मिलेगा। वह पहाड़ इतना ऊँचा होगा कि कि उसकी चोटियाँ बादलों को छू रही होंगी। वहाँ तुमको अपना भविष्य बनाने को मिलेगा।

तुम मेरा यह थैला और यह थरमस ले जाओ। इनमें तुम्हें जितना चाहोगे खाने पीने के लिये मिल जायेगा। लेकिन हमेशा ही एक टुकड़ा खाने का और एक बूँद पानी बिना छुआ छोड़ देना नहीं तो इसके खाने और पीने का खजाना खाली हो जायेगा।

तुम किसी भी भूखी चिड़िया को आराम से खिला सकते हो या किसी भी प्यासे जानवर को पानी पिला सकते हो क्योंकि भगवान उन लोगों से खुश रहता है जो उसके बनाये दूसरे प्राणियों की सहायता करते हैं।

इस थैले की तली में तुमको प्लान्टेन का एक मुड़ा हुआ पत्ता मिलेगा। उसकी तुमको बहुत अच्छे से देखभाल करनी है। जब तुम अपनी यात्रा में किसी नदी या झील के पास आओ तो उस पत्ते को उसके ऊपर बिछा देना तो वह तुरन्त ही एक नाव बन जायेगी जो तुम्हे उस नदी या झील के उस पार उतार देगी। उसके बाद उस पत्ते को फिर से मोड़ कर अपने थैले में रख लेना।”

इस तरह से उसको बताने के बाद उसने अपना थैला और थरमस दोनों उसको दे दिये और बोला “भगवान तुम्हारी रक्षा करे।” यह कह कर वह वहाँ से गायब हो गया।

लड़के को मान लेना चाहिये था कि यह सब सपना था अगर उसके हाथ में वह थैला और थरमस नहीं होता तो। वह उसको विश्वास दिला रही थी कि वह सपना नहीं बल्कि सच था।

तब उसने वह थैला देखा तो उसमें आधी डबलरोटी रखी हुई थी थोड़ी से नमकीन मछली रखी थी कुछ मक्खन और एक टुकड़ा सूअर के माँस का रख हुआ था।

जब लड़के का खा कर पेट भर गया तो वह सोने के लिये लेट गया। थैला और थरमस उसने अपने सिर के नीचे रख लिया ताकि कोई चोर उससे उन्हें न ले सके।

अगली सुबह जब वह उठा तो सूरज निकल आया था। उसने अपना नाश्ता पानी किया और फिर अपनी यात्रा पर चल दिया। यह बड़ी अजीब सी बात थी कि उसको थकान बिल्कुल भी नहीं लग रही थी। केवल भूख प्यास से ही उसे पता चला कि अब दोपहर हो गयी है।

उसने खाना खाया और उसे वह अच्छा भी लगा। फिर वह थोड़ी सी देर के लिये आराम करने के लिये लेट गया। जब वह सो कर उठा तो फिर अपनी यात्रा पर चल दिया। जब सूरज ठीक उसके पीछे डूबा तो उसे पता चल गया कि वह ठीक रास्ते पर ही चला जा रहा था।

उसी दिशा में वह बहुत दिनों तक चलता रहा। चलते चलते वह एक छोटी सी झील के पास आया। अब उसके पास मौका था कि वह उस पत्ते के गुणों को परखे। जैसा कि बूढ़े ने कहा था उसी कहना हुआ।

जैसे ही उसने प्लान्टेन का पत्ता पानी के ऊपर रखा तो वह एक छोटी सी नाव में बदल गया। उसने कुछ बार ही उसकी पतवार चलायी होगी कि वह झील के उस पार पहुँच गया। वहाँ पहुँच कर नाव फिर से पत्ते में बदल गयी। लड़के ने पत्ता मोड़ कर अपने थैले में रख लिया और आगे चल दिया।

इस तरह लड़का कई साल तक चलता रहा। उसको थैले में से खाना मिलता रहा और थरमस से शराब मिलती रही। उसको घूमते घूमते सात साल हो गये थे अब तो वह एक नौजवान आदमी भी बन गया था।

एक दिन उसे अपने सामने एक बहुत बड़ा पहाड़ दिखायी दिया। लग रहा था कि उसकी चोटियाँ आसमान को छू रही थीं। पर उसको उसकी तली तक पहुँचने में भी एक हफ्ता लग गया। वहाँ जा कर वह थोड़ा आराम करने बैठ गया और सोचने लगा कि उस बूढ़े की भविष्यवाणी सही होगी या नहीं।

उसको वहाँ बैठे बहुत देर नहीं हुई थी कि एक अजीब तरह कै हिस्स्स्स्स उसको सुनायी दी। तुरन्त बाद ही एक बहुत बड़ा साँप उसके सामने था। वह करीब करीब बारह फ़ैथम लम्बा था और उसके सामने खड़ा था। उसको देख कर वह तो डर के मारे वहीं बैठा का बैठा रह गया हिल भी नहीं सका। पर साँप पल भर में ही उसके पास से गुजर गया। फिर कुछ देर के लिये बिल्कुल शान्त हो गया।

फिर कुछ देर बाद में उसको लगा जैसे कोई धीरे धीरे कूदता हुआ उसके पास आ रहा हो। यह एक बड़ा सा मेंढक निकला। यह मेंढक भी किसी घोड़े के दो साल के बच्चे के बराबर था। यह भद्दा सा दिखायी देने वाला जानवर भी उसकी तरफ बिना देखे उसके पास से निकल गया।

उसके बाद उसको लगा जैसे कोई उसके ऊपर से चला गया हो जैसे कोई तूफान आ गया हो। उसने ऊपर देखा तो वह तो एक बहुत बड़ा गरुड़ था जो उसके ऊपर से उड़ गया। वह भी उड़ता हुआ उसी दिशा में ही चला गया था जिसमें साँप और मेंढक गये थे।

नौजवान ने सोचा कि क्या ऐसी चीज़ें मेरे लिये खुशकिस्मती ले कर आयेंगी। अचानक उसने देखा कि आदमी काले घोड़े पर सवार हो कर आ रहा है। घोड़े के खुरों में पंख लगे दिखायी दे रहे थे क्योंकि वह हवा की तरह से उड़ता हुआ आ रहा था।

जब आदमी ने एक नौजवान को पहाड़ की तलहटी में बैठे देखा तो उसने अपने घोड़े को लगाम दे कर उस नौजवान से पूछा — “यहाँ से कौन कौन गया?”

नौजवान बोला — “पहले तो यहाँ से एक साँप गया जो करीब करीब बारह फ़ैथम लम्बा था। फिर एक मेंढक गया जो एक दो साल के घोड़े के बच्चे जितना बड़ा था। और फिर मेरे सिर के ऊपर से एक गरुड़ गया। मैं उसका साइज़ तो नहीं देख सका पर उसके पंखों की आवाज किसी तूफान की आवाज से कम नहीं थी।”

अजनबी बोला — “तुमने ठीक देखा। ये मेरे सबसे बड़े दुश्मन थे। मैं इस समय इन्हीं का पीछा कर रहा था। अगर तुम्हारे पास इससे ज़्यादा अच्छा करने के लिये कुछ नहीं है तो मैं तुम्हें अपनी सेवा में ले सकता हूँ।

तुम पहाड़ पर आ जाओ वहीं मेरा मकान है। अगर तुमसे जल्दी नहीं तो उस समय तक मैं भी वहाँ पहुँच जाऊँगा जिस समय तुम वहाँ पहुँचोगे।”

नौजवान ने वहाँ आने का वायदा किया और वह अजनबी फिर से हवा की चाल से उड़ता हुआ चला गया।

वह पहाड़ चढ़ना नौजवान के लिये कोई आसान काम नहीं था। पहाड़ पर चढ़ने के लिये उसे तीन दिन लगे फिर उसके दूसरी तरफ की तलहटी की तरफ पहुँचने में उसको तीन दिन और लग गये।

जब वह उस अजनबी के घर पहुँचा तो उसका नया साथी अपने घर के सामने ही बैठा हुआ था। उसने नौजवान को बताया कि उसने साँप और मेंढक को तो मार दिया है पर गरुड़ का अभी पता नहीं चला है।

तब उस अजनबी ने नौजवान से पूछा कि क्या वह उसका नौकर बनना पसन्द करेगा। उसने कहा — “तुमको जितना चाहिये और जितना अच्छा खाना चाहिये रोज तुमको उतना ही अच्छा खाना खाने को मिलेगा। अगर तुम मेरा काम वफादारी से करोगे तो मैं तुम्हें बहुत सारी तनख्वाह भी दूँगा।”

नौजवान को यह सौदा मंजूर था। मालिक अपने नौकर को घर के अन्दर ले गया। उसने उसको दिखाया कि उसको क्या करना था।

वहाँ एक चट्टान में से एक कमरा काटा गया था जिसमे तीन लोहे के दरवाजे लगे हुए थे। उसने बताया कि मेरे जंगली कुत्ते यहाँ बँधे रहते हैं और तुमको इस बात का ध्यान रखना है कि यहाँ से ये अपने पंजों से दरवाजे के नीचे की जमीन खोद कर कहीं बाहर न निकल जायें।

क्योंकि तुम एक बात जान लो कि अगर इनमें से एक कुत्ता भी यहाँ से छूट कर बाहर चला गया तो बचे हुए कुत्तों को यहाँ पकड़ कर रखना नामुमकिन है क्योंकि हर एक कुत्ता दूसरे के पीछे भागेगा और फिर बाहर निकल कर जो कुछ भी दुनियाँ में है सब चीज़ों का नाश करेगा। जब आखिरी कुत्ता छूटेगा तो समझो कि दुनियाँ ही खत्म हो जायेगी। सूरज आखिरी बार चमकेगा।”

फिर वह अपने नौकर को एक पहाड़ी पर ले गया जो भगवान की बनायी नहीं थी बल्कि आदमियों ने बड़े बड़े पत्थर एक जगह रख कर बना दी थी।

मालिक ने कहा — “ये पत्थर यहाँ ला कर इकठ्ठा किये गये हैं ताकि एक नया पत्थर हमेशा ही इसके ऊपर रखा जा सके जब कभी भी कोई कुत्ता गड्ढा खोदे। आओ अब तुम्हें मैं एक बैलों के घर में रखे हुए वे बैल दिखाता हूँ जो ये पत्थर खींचते हैं और फिर दूसरी बातें समझाता हूँ जो तुम्हें करनी हैं।”

उस बैल रखने की जगह में करीब सौ काले बैल थे। जिनमें से हर एक के सात सींग थे। वे सब इतने बड़े बैल थे जितने कि यूक्रेन का कोई भी सबसे बड़ा बैल हो सकता है। एक वैगन के आगे छह बैल लगते हैं तब कहीं जा कर वे एक पत्थर को आसानी से खींच पाते हैं। मैं तुम्हें एक क्रोबार दूँगा। जब तुम उससे किसी पत्थर को छुओगे तो वह पत्थर लुढ़क कर अपने आप ही वैगन में चला जायेगा।

तुम देखोगे कि तुम्हारा काम में कोई ज़्यादा मेहनत नहीं है पर उसमें तुम्हारी पहरेदारी की बहुत ज़्यादा जरूरत है। तुमको दरवाजे की तरफ कम से कम तीन बार दिन में देखना पड़ेगा और एक बार रात में। कहीं ऐसा न हो कि कहीं कोई गड़बड़ न हो जाये। क्योंकि उस गड़बड़ का जवाब तुम्हें मुझे देना बहुत भारी पड़ेगा।”

नौजवान ने अपना काम सब बहुत अच्छी तरह से समझ लिया। यह काम उसकी पसन्द का भी था। रोज उसको सबसे अच्छा खाना पीना मिलता जिसकी कोई आदमी इच्छा कर सकता था।

दो–तीन महीने बाद एक कुत्ते ने दरवाजे के नीचे कुछ खुरच लिया – इतना बड़ा कि उसमें उनकी पूँछ आ सकती थी। पर एक पत्थर तुरन्त ही नीचे गिर पड़ा जिससे कुत्तों को अपना काम फिर से शुरू करना पड़ता।

इस तरह से बहुत साल गुजर गये। नौजवान के पास अब बहुत सारा पैसा हो गया था। अब एक दिन उसकी इच्छा हुई कि वह दूसरे लोगों के साथ मिले जुले क्योंकि कई सालों से उसने अपने मालिक के अलावा किसी दूसरे आदमी को देखा तक नहीं था। हालाँकि उसका मालिक बहुत दयालु था फिर भी नौजवान को इस बात की इजाज़त लेने में बहुत दिन लग गये क्योंकि अब उसके मालिक को बहुत देर तक सोने की आदत पड़ गयी थी। अपनी लम्बी नींद लेने के लिये वह कभी कभी सात सात हफ्ते तक सोता था। इस बीच वह जागता भी नहीं था और बाहर भी नहीं निकलता था।

एक बार ऐसा हुआ कि मालिक अपनी गहरी नींद में सो रहा था कि एक दिन एक बहुत बड़ा गरुड़ उस पत्थरों वाली पहाड़ी पर आ कर बैठ गया और बोला — “क्या तुम बहुत बड़े बेवकूफ नहीं हो कि तम अपनी ज़िन्दगी के आनन्द को अच्छी तरह ज़िन्दगी बिताने के लिये कुर्बान कर रहे हो।

यह जो पैसा तुमने कमाया है यह बिल्कुल बेकार है क्योंकि यहाँ कोई आदमी ऐसा नहीं जिसे इसकी जरूरत हो। तुम अपने मालिक की घुड़साल से उसका सबसे तेज़ भागने वाला घोड़ा निकालो अपने पैसे का थैला उसकी गर्दन से बाँधो और उस दिशा में भाग जाओ जिसमें सूरज डूबता है। कुछ हफ्ते बाद तुम दूसरे आदमियों को देख पाओगे।

पर तुम उस घोड़े को लोहे की जंजीरों से बाँध कर रखना कि कहीं वह भाग न जाये। नहीं तो वह अपने पुराने मालिक के पास आ जायेगा और फिर तुम्हारा पुराना मालिक तुमको ढूँढ लेगा और तुमसे आ कर लड़ेगा। पर अगर उसके पास घोड़ा नहीं है तब वह तुमको नहीं ढूँढ पायेगा।”

नौजवान ने तुरन्त पूछा — “मेरा मालिक तो सोया हुआ है। अगर में उसके सोते में चला गया तो फिर मालिक के कुत्तों की पहरेदारी कौन करेगा।”

गरुड़ बोला — “तुम बेवकूफ हो और बेवकूफ ही रहोगे। क्या तुम्हें अभी तक पता नहीं चला कि भगवान ने उसे नरक के कुत्तों की पहरेदारी के लिये बनाया है। यह केवल उसका आलस है कि वह सात सात हफ्ते तक सोता है। जब उसके पास कोई काम करने वाला नहीं होगा तो वह अपना काम अपने आप ही करेगा।”

यह सलाह तो नौजवान को बड़ी अच्छी लगी। उसने उसकी सलाह मानने का फैसला कर लिया। उसने मालिक का तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा निकाला अपना पैसा एक थैले में भर कर उसकी गर्दन में बाँधा उस पर कूद कर सवार हुआ और दौड़ चला।

अभी वह पहाड़ से कुछ ज़्यादा दूर नहीं गया था कि उसने अपने मालिक की आवाज सुनी — “अपना पैसा तो लेते जाओ भगवान के नाम पर। फिर चले जाना। और मेरा घोड़ा तो मेरे पास छोड़ते जाओ।”

पर नौजवान ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया सीधा उस पर दौड़ा चला गया। कुछ हफ्तों बाद वह अपनी दुनियाँ में आ गया था।

दुनियाँ में आ कर उसने एक बहुत बढ़िया घर बनवाया एक सुन्दर सी लड़की से शादी की और एक अमीर आदमी की तरह से शान से रहा।

अगर वह मरा नहीं है तो वह अभी भी हँसी खुशी रह रहा होगा। हाँ उसका घोड़ा तो बहुत दिन हुए मर गया।

Plantain is like banana but much bigger than it.

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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