लाल का जन्म : बांग्ला/बंगाली लोक-कथा

The Origin of Rubies : Lok-Katha (Bangla/Bengal)

एक बार की बात है कि एक राजा था जो अपनी रानी और चार बेटों को छोड़ कर मर गया था। रानी अपने चारों बेटों में से अपने सबसे छोटे बेटे को बहुत ज़्यादा प्यार करती थी।

वह हमेशा उसको सबसे अच्छे कपड़े पहनाती, सबसे अच्छे घोड़े देती, सबसे अच्छा खाना देती और सबसे अच्छा फर्नीचर देती। यह देख कर उसके तीनों बड़े भाई हमेशा उससे जलते रहते और अपने उस भाई और माँ के लिये कुछ न कुछ साजिश करते रहते। इसी वजह से वे एक अलग घर में रहते थे और उन्होंने राज्य भी सँभाल रखा था।

इस तरह के बर्ताव ने सबसे छोटे बेटे को बहुत ही जिद्दी बना दिया था। वह कभी किसी की सुनता नहीं था। यहाँ तक कि वह अपनी माँ की भी नहीं सुनता था। वह सब जगह अपनी अपनी ही चलाता था।

एक दिन वह अपनी माँ के साथ नदी पर नहाने गया। तो वहाँ एक बहुत बड़ी नाव लंगर पर खड़ी हुई थी। उसमें कोई नाविक नहीं था। सो राजकुमार उस नाव में गया और अपनी माँ को भी उसमें आने के लिये कहा। उसकी माँ ने उससे उस नाव में से नीचे उतर आने के लिये कहा क्योंकि वह नाव उसकी नहीं थी।

पर राजकुमार ने कहा — “नहीं माँ मैं इस नाव में से नीचे नहीं आ रहा। मुझे तो इसी में बैठ कर समुद्री यात्रा पर जाना है। और अगर तुम्हें भी मेरे साथ जाना है तो देर मत करो जल्दी ही इस नाव पर आ जाओ नहीं तो मैं बस जल्दी ही जा रहा हूँ,।”

रानी ने उससे बहुत कहा कि उसको ऐसा नहीं करना चाहिये बल्कि उसे तुरन्त ही उस नाव से नीचे उतर आना चाहिये पर राजकुमार ने उसके कहे पर ध्यान ही नहीं दिया और उसका लंगर उठा दिया।

रानी बेचारी क्या करती। वह उसको अकेले जाने नहीं देना चाहती थी सो वह भी जल्दी से उस नाव में चढ़ गयी। जैसे ही वह नाव पर चढ़ी नाव चल पड़ी। पानी की धारा तेज़ थी सो वह उसके बहाव से तीर की तरह से चलने लगी।

जब नाव खुले समुद्र में कई फर्लांग चल चुकी तो वह एक भँवर के पास आ पहुँची जहाँ राजकुमार ने बहुत बड़े साइज़ के लाल निकलते देखे।

इतने बड़े साइज़ के लाल तो पहले कभी किसी ने नहीं देखे थे। वहाँ वह एक एक लाल इतना बड़ा था कि उससे सात सात राजाओं का राज्य खरीदा जा सकता था। राजकुमार ने वहाँ से छह लाल उठा लिये और अपनी नाव पर रख लिया।

उसकी माँ ने कहा — “बेटा ये लाल टुकड़े मत उठाओ। ये किसी और के होंगे जिसका जहाज़ टूट गया होगा। अगर उसने हमको ढूँढ लिया तो फिर वह हमको चोर बना देगा।”

जब राजकुमार की माँ ने उससे यह कई बार कहा तो उसने उनको वहीं पानी में फेंक दिया पर एक लाल उसने फिर भी अपने कपड़े में बँधा छोड़ दिया।

नाव अब वहाँ से किनारे की तरफ चली और राजकुमार और रानी एक बन्दरगाह पर आ गये जहाँ वे उतर गये। जिस बन्दरगाह पर वे उतरे थे वह बन्दरगाह कोई छोटी जगह नहीं थी। वह एक बहुत बड़े राजा की बहुत बड़ी राजधानी थी।

बन्दरगाह के पास ही रानी और उसके बेटे ने एक मकान किराये पर ले लिया और वे दोनों वहीं रहने लगे। राजकुमार क्योंकि अभी लड़का ही था तो उसको कंचे खेलने का बहुत शौक था।

जब भी राजा के बेटे महल से बाहर अपने लौन में खेलने के लिये आते तो यह राजा का बेटा भी उनके साथ खेलने के लिये बाहर आ जाता। पर उसके पास कंचे तो थे नहीं तो वह अपने लाल से ही खेलता था जो उसके पास था।

वह लाल इतना सख्त था कि वह जिससे भी टकराता था उसी को कई टुकड़ों में तोड़ देता था।

राजा की बेटी अपने महल के छज्जे से खड़ी खड़ी यह खेल देखती रहती थी तो वह एक अजनबी लड़के के हाथ में लाल गेंद देख कर बड़ी आश्चर्यचकित होती। वह उसको बहुत अच्छी लगी तो वह उसको लेना चाहती थी।

उसने अपने पिता से कहा कि सड़क के एक अजनबी लड़के के पास अजीब सा चमकीले लाल रंग का एक पत्थर है वह उसको चाहिये वरना वह भूखी रह कर अपनी जान दे देगी। राजा ने तुरन्त ही अपने नौकरों को हुक्म दिया कि वे उस लड़के को उसके उस कीमती पत्थर के साथ उसके पास ले कर आयें।

जब लड़के को उसके सामने लाया गया तो उसने उसका वह लाल पत्थर देखा तो वह तो उस लाल का साइज़ और उसका चमकीलापन देख कर ही दंग रह गया। उसने इससे पहले ऐसी कोई चीज़ देखी नहीं थी। उसको तो बल्कि यह भी शक था कि दुनियाँ में किसी राजा के पास ऐसा खजाना होगा।

उसने लड़के से पूछा कि वह उसे कहाँ से मिला तो लड़के ने जवाब दिया “समुद्र से।”

राजा ने उसको उस लाल के बदले में एक हजार रुपये देने चाहे तो क्योंकि लड़के को तो उस पत्थर के टुकड़े की असली कीमत का अन्दाज नहीं था सो उसने उसको वह पत्थर का टुकड़ा एक हजार रुपये में दे दिया।

वह उस पैसे को ले कर अपनी माँ के पास गया तो वह यह सोच कर थोड़ा डर गयी कि शायद उसके बेटे ने वे पैसे किसी अमीर आदमी के घर से चुराये हैं।

पर जब उसके बेटे ने उसको यह बताया कि वे पैसे उसको राजा ने उस लाल गेंद के बदले में दिये हैं जो उसने समुद्र में से उठायी थी तो वह चुप हो गयी।

राजा ने वह लाल उस लड़के से खरीद कर अपनी बेटी को दे दिया और उसकी बेटी ने उसको अपने बालों में लगा लिया।

फिर वह अपने पालतू तोते के पास गयी और उससे बोली — “क्या मैं इस लाल को अपने बालों मे लगा कर बहुत सुन्दर दिखायी नहीं दे रही?”

तोता बोला — “सुन्दर सुन्दर। तुम तो बहुत सुन्दर दिखायी दे रही हो। पर क्या राजकुमारियाँ अपने बालों में केवल एक ही लाल पहनती हैं? यह जब और बहुत अच्छा लगता जब तुम कम से कम दो लाल पहनतीं।”

राजकुमारी को तोते से यह सुन कर अपनी कुछ बेइज़्ज़ती लगी सो उसको बहुत शर्म आयी। वह अपने महल के दुख वाले कमरे में चली गयी। अब वहाँ वह न तो कुछ खाये और न पिये।

राजा ने जब यह सुना कि उसकी बेटी दुख वाले कमरे में है तो उसको चिन्ता हुई तो वह उसके पास गया और उससे उसके दुख की वजह पूछी।

तो राजकुमारी ने उसको बताया कि उसके तोते ने उससे सुबह क्या कहा और साथ में यह भी कहा “पिता जी अगर आप मेरे लिये ऐसा ही एक दूसरा लाल ला कर नहीं देंगे तो मैं अपने हाथों से अपना गला घोट लूँगी।”

राजा यह सुन कर बहुत दुखी हो गया। वह ऐसा दूसरा लाल कहाँ से ले कर आये। पहली बात तो उसको यही शक था कि दुनियाँ में किसी के पास ऐसी कोई चीज़ थी भी पर दूसरा लाल? दूसरा लाल वह कहाँ से लाये।

यह तो उसको बिल्कुल नामुमकिन ही लग रहा था। उसको तो यही शक था कि ऐसा दूसरा लाल दुनियाँ में कहीं और होगा भी। उसने उस लड़के को फिर से बुलाया और उससे पूछा — “ओ नौजवान क्या तुम्हारे पास वैसा ही एक और लाल है जैसा कि तुमने मुझे अभी बेचा था?”

लड़का बोला — “नहीं जनाब। मेरे पास तो नहीं है पर आपको दूसरा क्यों चाहिये। वैसे मैं आपको वैसे लाल बहुत सारे दे सकता हूँ अगर आपको वे चाहिये हीं। ये समुद्र में बहुत बहुत दूर समुद्र के भँवर में मौजूद हैं। मैं वहाँ जा कर उनको आपके लिये ला सकता हूँ।”

लड़के के जवाब पर राजा तो कुछ बोल ही नहीं सका। लेकिन फिर उसने उसको भारी इनाम देने का वायदा किया अगर वह उसको वैसा ही लाल ला कर दे सका तो।

लड़का अपने घर गया और माँ को सब बताया तो उसने कहा कि वह वहाँ न जाये पर लड़के ने तो सोच रखा था कि वह वहाँ जायेगा और उसे वहाँ जाने से कोई रोक नहीं सका।

वह अकेला ही अपनी उसी नाव पर चढ़ा जिससे वह वहाँ अपनी माँ के साथ आया था और वह लाल समुद्र में से वहाँ लाया था। इस बार उसने ठीक उसी जगह पर जाने का विचार किया जहाँ से वे लाल निकल रहे थे।

वह भँवर के बीच में गया तो उसे वहाँ समुद्र की तली तक एक नली सी जाती दिखायी दी। वह अपनी नाव भँवर के चारों तरफ घूमती हुई छोड़ कर उसके अन्दर कूद गया।

जब वह समुद्र की तली में पहुँचा तो वहाँ उसको एक बहुत बड़ा और सुन्दर महल दिखायी दिया। वह उस महल में घुस गया और उसके बीच वाले कमरे तक पहुँच गया।

वहाँ जा कर उसने देखा कि वहाँ तो भगवान शिव बैठे हुए हैं। उनकी आँखें बन्द हैं और वह ध्यान में पूरी तरह मग्न हैं।

उनसे कुछ फीट ऊपर एक चबूतरा ही जिस पर एक बहुत ही सुन्दर स्त्री लेटी हुई है।

लड़का उस चबूतरे तक गया तो उसने देखा कि उस स्त्री का सिर तो उसके शरीर से अलग है। यह देख कर वह लड़का डर गया और सोच ही नहीं पाया कि वह क्या करे।

उसने देखा कि उस सिर से खून टपक रहा है जो शिव के जटाओं वाले सिर पर गिर रहा है और लाल के रूप में समुद्र में बह रहा है।

कुछ देर बाद उसका ध्यान दो छोटी डंडियों की तरफ गया जो एक सोने की थी और एक चाँदी की। वे उस स्त्री के सिर के पास ही पड़ी थीं।

उत्सुकता से उसने वे दोनों डंडियाँ उठा लीं। जैसे ही उसने वे डंडियाँ उठायीं तो उसके हाथ से सोने की डंडी उस स्त्री के कटे हुए सिर पर गिर पड़ी।

इससे उस स्त्री का सिर उसके शरीर से अपने आप ही जुड़ गया और वह स्त्री उठ कर बैठी हो गयी। उसको वहाँ एक आदमी को देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने उस लड़के से पूछा “तुम कौन हो और तुम यहाँ आये कैसे?”

राजकुमार ने तब उसको अपनी कहानी बतायी तो वह बोली
— “ओ नाखुश राजकुमार, तुम यहाँ से तुरन्त ही चले जाओ। क्योंकि जब शिव का ध्यान खत्म हो जायेगा तो वह अपनी एक ही नजर से तुमको भस्म कर देंगे।”

पर वह राजकुमार तो वहाँ से जाने वाला नहीं था जब तक वह स्त्री उसके साथ नहीं जायेगी क्योंकि वह उसको प्यार करने लगा था। आखिर वह स्त्री उसके साथ उस महल से भागने के लिये तैयार हो गयी।

वे दोनों पानी की सतह पर आये और उस नाव में चढ़ गये जिसको राजकुमार भँवर के पास ही घूमती हुई छोड़ गया था। उस नाव में उन्होंने पहले से ही बहुत सारे लाल भर लिये थे।

वहाँ से वे जमीन तक आये और राजकुमार उस स्त्री को अपनी माँ के पास ले गया। उस सुन्दर लड़की को देख कर राजकुमार की माँ को जो आश्चर्य हुआ होगा उसको तो तुम लोग बहुत अच्छी तरह समझ सकते हो।

अगले दिन सुबह ही राजकुमार ने एक नौकर के हाथ एक बड़ा बर्तन भर कर लाल राजा के पास भिजवा दिये। राजा तो उनको देख कर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया।

जब उसकी बेटी ने इतने सारे लाल देखे तो वह उस लड़के से शादी करने के लिये तैयार हो गयी जिसने वे उसको भेंट किये थे। हालाँकि अब राजकुमार के एक पत्नी थी जिसको वह समुद्र की गहराइयों से निकाल कर लाया था पर उस राजकुमारी की इच्छा के अनुसार उसने उसको अपनी दूसरी पत्नी बना लिया।

उन दोनों की शादी हो गयी और फिर वे तीनों बहुत दिनों तक खुशी खुशी रहे। उनके बहुत सारे बच्चे हुए।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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