एक चूहा : पोलैंड/पोलिश की लोक-कथा

The Mouse : Poland Folktale/Folklore

यह एक ऐसी छोटी सी लड़की की कहानी है जो किसी से नहीं डरती थी जब तक कि वह कुछ बड़ी नहीं हो गयी।

यह छोटी लड़की अपने माता पिता और एक बड़े भाई के साथ रहती थी। यह अपने बड़े भाई को बहुत प्यार करती थी। यह परिवार एक बहुत ही सुन्दर शहर में रहता था जो न बहुत बड़ा था और न बहुत छोटा न बहुत अमीर था और न बहुत गरीब। यह शहर उत्तर पश्चिमी पोलैंड की तरफ स्थित था।

वहाँ बहुत सारे शहर ऐसे थे जिनमें लोग रहना पसन्द करते थे। यह शहर भी कुछ ऐसा ही था। असल में उस शहर में जिधर भी जाओ तो अगर तुम बहुत शान्त हो और बहुत ध्यान से देखो तो तुमको वहाँ बहुत सारे ऐसे प्राणी मिल जाते जो हमारे तुम्हारे शहरों में होते हैं।

तुम्हारे चारों तरफ लोमड़ियाँ गिलहरियाँ चूहे छोटी चिड़ियें कबूतर कभी कभी कछुए या तोते भी होते हैं जो अपने अपने घरों से सड़कों और छतों पर घूमने आ जाते हैं।

छोटी लड़की और उसके भाई को ये सारे जानवर बहुत पसन्द थे – और वे जानवर भी जो उनके शहर में दिखायी देते थे और वे जानवर भी जो दूर जंगल में रहते थे और वे जानवर भी जो सारी दुनियाँ के रेगिस्तानों में रहते थे।

इन बच्चों को इन जानवरों के बारे में जानने में भी बहुत अच्छा लगता था। वे आपस में ऐसे खेल भी खेलते थे जिससे वे इन जानवरों के बारे में एक दूसरे की जानकारी का इम्तिहान लिया करते थे।

हालाँकि बड़ा भाई इन इम्तिहानों को जल्दी पास कर लिया करता था पर छोटी लड़की भी इस जानकारी में धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी।

भाई पूछता — “बड़ा खरगोश कितनी तेज़ भागता है?”

इस पर छोटी लड़की जवाब देती — “मैं तुम्हें बता दूँगी कि बड़ा खरगोश कितनी तेज़ भागता है अगर तुम मुझे यह बता दो कि दुनियाँ का सबसे ज़्यादा जहरीला साँप कौन सा है।”

हालाँकि छोटी लड़की अपने बड़े भाई की तरफ इम्तिहान लेने की नजर से देखती पर यह कोई बहुत अच्छी बात नहीं थी।

हालाँकि बड़ा भाई सब जानवरों को बहुत प्यार करता था पर वह चूहों से बहुत डरता था। और इसकी वजह से छोटी लड़की ने देखा कि वह भी चूहों से डरने लगी थी। हालाँकि उसको यह पता नहीं चला कि ऐसा क्यों था।

एक साल जब शहर में गरमियाँ आयीं तो बड़ा भाई इतना बड़ा हो गया था कि उसको अपने दोस्तों के साथ कैम्प में रहने की इजाज़त मिल गयी थी। सो उसको तो कैम्प भेज दिया गया और छोटी लड़की को उसकी नाना नानी के घर भेज दिया गया जो पास के एक गाँव में रहते थे।

छोटी लड़की को अपनी नानी के साथ खेतों में इधर उधर घूमना और पौधों के नाम जानना बहुत अच्छा लगता था। उसको वहाँ की पास की झील में अपने नाना के साथ तैरना और अपने हाथों से छोटी छोटी मछलियाँ पकड़ना भी बहुत अच्छा लगता था।

पर सबसे अच्छा उसको उन दोनों के साथ जंगल में घूमने जाना लगता था। जब भी वे घूमने जाते तो सबसे पहले वे मुशरूम देखते जो बारिश के बाद जमीन में से निकल आते।

छोटी लड़की वहाँ से कुछ रसभरी भी चुनती कुछ रोज़बैरी चुनती जिनसे उसकी नानी जाड़ों के लिये जैम बना कर रखती।

जब वे लोग घर आ जाते तो छोटी लड़की मुशरूम के टुकड़ों में छेद करके उनको एक धागे में पिरोती जिससे उनकी एक माला सी बन जाती। उस माला को वह अपने गले में पहन लेती।

उसके नाना शाम के खाने के लिये मछली तैयार करते और वह खुद अपनी नानी के साथ हँसती और खेलती। कभी कभी वे सोचते कि क्रिसमस पेड़ को बहुत सारे मुशरूम की मालाओं से सजाने में कितना मजा रहता।

जब वे लोग जंगल में घूमते रहते तो कभी कभी नाना नानी और छोटी लड़की को कोई हिरन दिखायी दे जाता या फिर कोई सोया सोया सा उल्लू जो रात भर अपने खाना ढूँढने के लिये इधर उधर घूमने की वजह से उनींदा उनींदा रहता।

यह सब अक्सर नहीं होता क्योंकि ऐसी जगहों पर ऐसे जानवरों को देखने के लिये बहुत शान्त रहना पड़ता है और छोटी लड़की अपनी नानी के साथ हमेशा गाती ही रहती या फिर एक ऐसी भाषा में कहानियाँ सुनाती रहती जो उन्होंने बरसों में सीखी थी।

इसके अलावा शान्त रहना भी तो बहुत मुश्किल काम था जब नानी के साथ आनन्द करना हो तो।

अब तुम सोच सकते हो नानी के आश्चर्य का क्या ठिकाना रहा होगा जब एक दिन छोटी लड़की रसोईघर में डर के मारे चिल्लायी।

नानी यह सोच कर छोटी लड़की के पीछे भागी कि कहीं कोई ऐक्सीडैन्ट न हो गया हो पर जब वह रसोईघर में आयी तो उसने देखा कि छोटी लड़की को तो कोई चोट नहीं आयी बल्कि वह तो खाने की मेज के ऊपर बहुत डरी हुई खड़ी है और कोने में रखी एक झाड़ू की तरफ इशारा कर रही है।

नानी ने पूछा — “क्या बात है बेटी?”

छोटी लड़की चिल्लायी — “मैंने एक चूहा देखा नानी।”

नानी हँसी और बोली — “अरे क्या तुम एक छोटे से चूहे से डर गयीं। क्या इस चूहे के बडे बड़े दाँत थे या लाल लाल अंगारे जैसी आँखें थीं या बड़े तेज़ पंजे थे जिनसे उसने तुम्हारे ऊपर हमला किया?”

छोटी लड़की बोली — “नहीं नानी यह तो छोटा सा फूला हुआ चूहा था जैसा कि कोई साधारण चूहा होता है।”

नानी हँसती रही तो जल्दी ही छोटी लड़की भी उसके साथ हँसने लगी। नानी ने फिर छोटी लड़की को मेज पर से नीचे उतारा और पूछा — “मेरी उस निडर बेटी को क्या हुआ जो सारे जानवरों को प्यार करती है और हर चीज़ को जानने की इच्छा रखती है। वह लड़की तो कभी चूहे से नहीं डरेगी।”

छोटी लड़की ने इस सवाल पर कुछ सोचा और फिर जवाब दिया — “हर बार जब भी मेरा भाई कोई चूहा देखता है तो वह बहुत डर जाता है। मैंने सोचा अगर वह चूहों से डरता है तो जरूर ही वे भयानक होते होंगे क्योंकि वह तो बहुत बहादुर है। और क्योंकि वह डरता है तो मैं भी डरती हूँ।”

नानी ने पूछा — “पर क्या तुम सचमुच डरती हो या फिर तुम जैसे ही कोई चूहा देखती हो तो तुम उससे डरने का नाटक करती हो। चूहा तुम्हारे हाथ से कोई बड़ा तो नहीं है।”

छोटी लड़की ने फिर इसके बारे में सोचा और बोली — “नहीं मैं सचमुच तो नहीं डरती पर पता नहीं।”

नानी वहीं मेज के पास पड़ी एक कुरसी पर बैठ गयी और छोटी लड़की वहीं उसकी गोद में बैठ गयी। नानी बोली — “बहुत सारे लोग बहुत सारी बेवकूफी वाली चीज़ों से डरते रहते हैं जिनकी कोई वजह नहीं होती। मैं नहीं चाहती कि तुम वैसे लोगों में से एक बनो।

ऐसी आदतें जब लोग बड़े हो जाते हैं तो वे उनको बहुत परेशान करने वाली हो जाती हैं। अब अगर तुम ऐसी बातों की ठीक से परवाह नहीं करोगी तो कल को तुम अपने तहखाने से शराब लाने में भी डर सकती हो क्योंकि वहाँ पर कोई चूहा हो सकता है। या फिर तुम अपने बागीचे से डर सकती हो जहाँ रात में कुछ चूहे चक्कर काट रहे हो सकते हों।

या फिर तुम किसी ऐसे आदमी से भी डर सकती हो जो तुमसे कुछ अलग सा दिखायी देता हो या फिर वह किसी और देश से आया हो।

इस तरह के डरने का कोई मतलब नहीं होता जब तक कि उसकी कोई ठीक वजह न हो।

इसके अलावा क्या तुमको यह कुछ अजीब सा नहीं लगता कि तुम जंगल या झील से तो डरती नहीं हो और एक छोटे से चूहे से डरती हो।”

छोटी लड़की कुछ हिचकिचाती हुई बोली — “मुझे मालूम है नानी पर मैं क्या करूँ मैं मजबूर हूँ। हर बार जब भी मैं कोई चूहा देखती हूँ तो मैं चिल्लाना चाहती हूँ। असल में मुझे वे अच्छे नहीं लगते जैसे कि वे दिखते हैं या फिर जिस तरीके से वे इधर उधर घूमते फिरते हैं।”

नानी मुस्कुरायी और बोली — “यह कोई अच्छी बात नहीं है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं है कि वे कैसे दिखायी देते हैं या फिर कैसे घूमते हैं। वे इसी तरह से इस दुनियाँ में आये हैं। और फिर वे जैसे दिखते हैं उससे वे अपनी शक्ल बदल भी तो नहीं सकते। क्या वे बदल सकते हैं?

मुझे मालूम है कि अगर एक बार किसी के खिलाफ कोई विचार बना लिया जाये तो उसको बदलना बहुत मुश्किल है पर तुम उसकी उन बुरी बातों की बजाय उनकी अच्छी बातों पर अपना ध्यान दे सकती हो जिनसे तुम उनकी बड़ाई कर सको।

अगर तुम ऐसा करोगी तो उनकी डरावनी चीज़ें छोटी और बहुत छोटी होती जायेंगी और जल्दी ही फिर सब गायब भी हो जायेंगी।”

छोटी लड़की की अभी भी यह बात कोई खास समझ में नहीं आयी थी इसलिये उसने नानी से पूछा — “नानी आप मुझे यह बतायें कि चूहे आपको इतने अच्छे क्यों लगते हैं आप उनके अन्दर क्या देखती हैं?”

नानी ने मेज पर से अपनी चाय की केटली उठायी अपने प्याले में एक प्याला चाय पलटी और बोली — “लगता है कि अब मुझे तुम्हें एक कहानी सुनानी पड़ेगी।

तुम्हें याद होगा कि मैंने तुमसे कहा था कि जब मैं तुमसे जितनी बड़ी तुम अब हो उससे बस थोड़ी सी ही बड़ी थी तब हमारे देश में एक लड़ाई छिड़ी थी।”

छोटी लड़की ने हाँ में सिर हिलाया पर ध्यान से कहानी सुनती रही। नानी ने अपनी कहानी जारी रखी — “उन दिनों बच्चों के लिये सड़क पर खेलना बहुत ही खतरनाक था क्योंकि जिस राज्य की सेना ने हम पर हमला किया था उसके सिपाही बहुत ही गुस्से वाले थे अगर हमने ज़्यादा शोर मचाया या उनको परेशान किया तो वह हमको पीट भी सकते थे।

उन दिनों समय बड़ा खराब था। हमारे सबके पास कभी काफी खाना नहीं होता था। चूहों को देखना एक तमाशा रहता था क्योंकि इससे हम अपनी मुश्किलों को भूल जाते थे।

उन्होंने मुझे सिखाया कि बिना आवाज किये कैसे चलना चाहिये और इस तरह से दूसरे की निगाहों से कैसे बचना चाहिये। उस छोटी सी चालाकी सिखाने के लिये उनका बहुत बहुत धन्यवाद।

इस कला को सीखने से मैं अपनी दोस्तों से जो सड़क के उस पार रहती थीं दबे पाँव मिलने चली जाती थी और हम लड़कों के बारे में गपशप मारते थे।”

छोटी लड़की ने देखा कि यह कहते कहते नानी के चेहरे पर एक मुस्कान खेल गयी। जब नानी ने देखा कि छोटी लड़की उसकी तरफ देख रही है तो उसने अपने चाय के प्याले में से एक घूँट चाय का पिया और यह दिखाया कि वह बिल्कुल भी नहीं मुस्कुरा रही थी।

नानी आगे बोली — “उन्होंने मुझे एक चीज़ और सिखायी और वह था किसी भी बदलाव की स्थिति में तुरन्त ही यह सोचना कि क्या करना चाहिये और फिर उसको करना। तुमने देखा होगा कि जब उनके चारों ओर कुछ भी बदलाव होता है तो चूहा कितनी जल्दी अपने बिल में छिप जाता है या फिर लम्बी घास में छिप जाता है।

चूहों को इस तरह छिपते देख कर मैंने भी सिपाहियों से छिपना और मुश्किलों को दूर रखना सीख लिया था। उनसे मैंने यह भी सीखा कि किस तरीके से सिपाहियों को धोखा दे कर उनके सामने सामने से ज़्यादा खाना ले लेना चाहिये।

अगर हम चूहों का पीछा करते तो हमें अनाज के कुछ और दाने मिल जाते थे जिनसे हम ज़्यादा रोटी बना सकते थे। क्या पता हम लोग शायद इन चूहों की वजह से ही लड़ाई का वह समय ठीक से निकाल पाये हों।”

छोटी लड़की तो नानी की यह बातें सुन कर भौंचक्की रह गयी कि नानी जब छोटी थी तब वह कैसे लड़कों के बारे में बात किया करती थी या सिपाहियों के पास से खाना ले आती थी। और यह सब उसने केवल चूहों से सीखा।

छोटी लड़की ने सोचा शायद चूहे इतने बुरे भी नहीं हैं। उसी समय उस चूहे को जिसने उस लड़की को डरा दिया था लगा कि अब उसका मन उसकी तरफ से बदल गया है सो उसने अपने छिपने की जगह यानी झाड़ू के पीछे से अपना सिर बाहर निकाला।

छोटी लड़की ने उसको हवा में सूँघते हुए देखा। उसकी मूँछें चारों तरफ को हिल रही थीं। उसकी छोटी सी पूँछ भी मुड़ी जा रही थी।

यह देख कर छोटी लड़की ने सोचा शायद नानी का ऐसी डरावनी चीज़ों को देखने का अपना तरीका होगा तभी तो मेरी नानी किसी से डरती नहीं हैं।

अचानक चूहे ने भाग कर फर्श पार किया और रसोईघर के दरवाजे से हो कर बागीचे की तरफ भाग गया। जब उसने उस चूहे को बाहर भागते देखा तो उसने सोचा कि वह चूहे को और ज़्यादा दया से देखेगी अब वह उससे डरेगी नहीं।

और जब वह घर जायेगी तो वह यह कहानी अपने बड़े भाई को भी सुनायेगी ताकि उसके भाई का दिमाग भी इन चूहों की तरफ से बदल सके।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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