चूहा और हाथी : तुर्किस्तान/तुर्की लोक-कथा

The Mouse and the Elephant : Turkish Folk Tale

एक छोटे से चूहे ने जंगल की जमीन पर अपना पैर मारा, फिर उसके ऊपर अपना कान लगा कर यह सुनने की कोशिश की कि उसके पैर मारने से दुनियाँ हिल रही थी या नहीं। उसको लगा कि उसके पैर मारने से सारी दुनियाँ हिल गयी थी।

वह चिल्लाया — “मैं दुनियाँ का सबसे ज़्यादा ताकतवर जानवर हूँ। मेरे तो केवल पैर मारने से ही सारी जमीन हिल गयी।”

चूहे का चाचा वहीं बैठा था बोला — “ज़रा धीरे बोल कहीं ऐसा न हो कि हाथी सुन ले। हाथी बहुत ताकतवर होता है उसको तेरी यह डींग सुन कर अच्छा नहीं लगेगा।”

छोटे चूहे ने पूछा — “कहाँ है हाथी? मैं उसको ढूँढ कर यह दिखा दूँगा कि कौन सबसे ज़्यादा ताकतवर है, वह या मैं। मैं उसको हरा दूँगा आप देखियेगा चाचा जी।” यह कह कर वह छोटा चूहा हाथी को ढूँढने चल दिया।

चलते चलते उसको एक गिरगिट मिला तो उसने उससे पूछा — “क्या तुम हाथी हो?”

गिरगिट बोला — “नहीं मैं गिरगिट हूँ।”

छोटा चूहा बोला — “तुम खुशकिस्मत हो कि तुम गिरगिट हो वरना मैं तुमको अभी हरा देता। मुझे जब हाथी मिल जायेगा तो मैं उसको हरा दूँगा।”

गिरगिट उस डींग मारने वाले चूहे पर बहुत ज़ोर से हँसा। पर चूहे ने अपना पैर फिर जमीन पर पटका तो उसके पैर पटकते ही बादलों में गरज की आवाज गूँज गयी। उसको लगा कि वह गरज की आवाज चूहे के पैर पटकने की आवाज थी।

यह आवाज सुन कर गिरगिट डर गया और भाग गया। चूहे ने सोचा — “मैंने उसको दिखा दिया कि मैं कितना ताकतवर हूँ।”

और वह फिर हाथी की खोज में चल दिया।

आगे जा कर उसको एक कुत्ता मिला। उसने कुत्ते से पूछा — “क्या तुम हाथी हो?”

कुत्ता बोला — “नहीं, मैं हाथी नहीं हूँ मैं तो कुत्ता हूँ।”

छोटा चूहा बोला — “तुम खुशकिस्मत हो कि तुम कुत्ता हो वरना मैं तुमको हरा देता। मुझे जब हाथी मिल जायेगा तो मैं हाथी को हरा दूँगा।”

कुत्ते ने भी चूहे की घमंड भरी बातें सुन कर हँसना शुरू कर दिया। पर चूहे ने एक बार फिर अपना पैर जमीन पर मारा और जैसे ही उसने अपना पैर जमीन पर मारा कि कुत्ते के मालिक ने अपनी सीटी बजायी।

सीटी की आवाज सुन कर कुत्ता बड़ी तेज़ी से दूसरी तरफ भाग गया। चूहे ने सोचा — “मैंने उस कुत्ते को भी दिखा दिया कि मैं कितना ताकतवर हूँ।” और वह फिर हाथी की खोज में चल दिया।

चलते चलते वह एक नदी के पास आया। वहाँ भूरे रंग का एक बहुत बड़ा जानवर खड़ा हुआ था। वह तो पहाड़ जितना बड़ा था। उसकी टाँगें पेड़ जितनी बड़ी थीं। उसके बहुत बड़े बड़े कान थे और उसकी बहुत लम्बी नाक थी।

वह हाथी नदी के ऊपर झुका हुआ पानी पी रहा था जब उसने चूहे को देखा। उसको वह चूहा एक बहुत छोटे सी बिन्दी की तरह घूमता नजर आ रहा था।

चूहा उससे बोला — “क्या तुम हाथी हो? मैं दुनियाँ का सबसे ज़्यादा ताकतवर जानवर हूँ। अगर तुम हाथी हो तो मैं तुमको हरा दूँगा।”

यह सुन कर हाथी बहुत ज़ोर से हँस पड़ा। जैसे ही वह हँसा तो उसकी नाक से पानी उछला और इधर उधर बिखर गया। उस पानी के ज़ोर ने चूहे को गिरा दिया और वह लुढ़कता हुआ रास्ते पर नीचे की तरफ गिरता चला गया। उसको लगा कि वह पानी में डूबता जा रहा है।

जब तक वह सँभल कर उठ कर खड़ा हुआ तब तक हाथी जा चुका था। उसने सोचा — “मुझे लगता है कि हाथी यह जान गया था कि मैं कितना ताकतवर हूँ। इसी लिये वह इस भयानक तूफान से डर कर भाग गया। वह जान गया था कि मैं उसको हरा दूँगा।”

छोटा चूहा अपने चाचा के पास गया और उसको बताया कि बजाय लड़ने के हाथी किस तरह उससे डर कर भाग गया। यह सुन कर चूहे के चाचा ने यह सब अपने दोस्तों को बताया कि किस तरह से उसके भतीजे ने एक हाथी को डरा कर भगा दिया। उसके दोस्तों ने अपने जानने वालों को बताया ।और फिर उन्होंने अपने जानने वालों को बताया। यहाँ तक कि चूहे की यह कहानी आदमी लोगों ने भी सुनी कि एक हाथी एक चूहे से डर कर भाग गया।

इसके बाद सब लोग जान गये कि हाथी चूहों से डरते हैं। पर यह तो हाथी को ही ज़्यादा पता था कि असलियत क्या थी। अब जब भी हाथी पानी पीता है वह हमेशा हँसता है और अपनी नाक से पानी बिखेर देता है और चूहा अपने घमंड में यह सोचता है कि उसने हाथी को डरा दिया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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