सबसे सुन्दर राजकुमारी : ब्राज़ील की लोक-कथा

The Most Beautiful Princess : Lok-Katha (Brazil)

यह बहुत पुरानी बात है कि एक राजा था। एक बार वह बहुत बीमार पड़ गया तो उसकी इच्छा हुई कि वह एक बड़े खरगोश का पानी पिये।

उसके एक अकेला बेटा था सो वह अपने पिता के लिये एक बड़ा खरगोश ढूँढने के लिये निकला। जब राजकुमार उसको ढूँढने के लिये जंगल की तरफ सड़क पर जा रहा था तो सड़क पर लगी हैज के पास से एक बड़ी खरगोश भागी और उसका रास्ता काट कर जंगल की तरफ भाग गयी।

राजकुमार ने उसका पीछा किया। वह बड़ी खरगोश तो बहुत ही तेज़ भागने वाली थी फिर भी वह उसके पीछे जंगल में भागा चला गया कि अचानक वह बड़ी खरगोश जमीन में बने एक छेद में घुस गयी।

राजकुमार उसको देखता रहा और उसके पीछे पीछे ही भागता रहा कि उसको लगा कि वह तो एक बहुत बड़ी गुफा में है। उस गुफा में पीछे की तरफ एक बहुत ही बड़ा बड़े साइज़ का आदमी है। इतना बड़े साइज़ का आदमी तो उसने पहले कभी देखा ही नहीं था। उसको देख कर राजकुमार डर गया।

बड़े साइज़ का आदमी अपनी इतनी जंगली गहरी आवाज में बोला कि उसकी आवाज तो सारी गुफा में कई बार गूँज गयी — “ओहो। तो तुम क्या समझते हो कि तुम मेरीे बड़े खरगोश को पकड़ लोगे? देखो बजाय इसके कि तुम उसे पकड़ो मैंने तुम्हें पकड़ लिया है।”

कहते हुए बड़े साइज़ के आदमी ने अपना बड़ा सा हाथ बढ़ा कर राजकुमार को पकड़ लिया और धीरे से उसको एक बक्से में फेंक दिया जो उसी गुफा के एक कोने में रखा हुआ था। फिर उसने उस बक्से का ढक्कन बन्द किया और एक बड़ी से चाभी से उसका ताला भी लगा दिया।

राजकुमार को अब उस बक्से में बहुत ही ज़रा सी हवा मिल रही थी जो उस बक्से के ढक्कन के एक बहुत ही छोटे से छेद में से आ रही थी। अपनी इस हालत से राजकुमार को लगा कि वह अब ज़्यादा देर तक ज़िन्दा नहीं बचेगा।

घंटों गुजर गये। कभी तो राजकुमार सो गया पर अक्सर वह लेटा हुआ अपने बीमार पिता के बारे में सोचता रहा और यह सोचता रहा कि वह वहाँ से कैसे निकल सकता है और फिर कैसे अपने पिता के पास वापस जा सकता है।

अचानक उसने ताले के छेद में चाभी घूमने की आवाज सुनी। उसने देखा कि बक्से का ढक्कन खुला और उसके सामने एक बहुत ही सुन्दर लड़की खड़ी है जैसी उसने कभी दुनियाँ में तो देखना तो दूर सपने में भी नहीं देखी थी।

वह मुस्कुरा कर बोली — “मैं ही वह बड़ी खरगोश हूँ जिसका पीछा करते हुए तुम इस गुफा तक आये थे। मैं एक राजकुमारी हूँ जिस पर जादू डाल दिया गया है। हालाँकि दिन में मुझे एक बड़ी खरगोश बन जाना पड़ता है पर रात में मैं अपने रूप में इस गुफा में घूमने के लिये आजाद हूँ।

तुम इस मुसीबत में केवल इसी लिये पड़े क्योंकि तुमने मेरा पीछा किया और मुझे तुम्हारे लिये इस बात का बहुत दुख है। पर अब मैं तुमको इस बक्से से बाहर निकाल रही हूँ।”

राजकुमार बोला — “तुम इतनी सुन्दर हो कि मै यहाँ हमेशा के लिये रह सकता हूँ और तुम्हारी आँखों में देखता रह सकता हूँ।”

राजकुमारी फिर मुस्कुरायी और बोली — “पर दिन में तो तुम एक बड़ी खरगोश को ही देखोगे। और रात तो हमेशा रहती नहीं। इसके अलावा वह बड़े साइज़ का आदमी कभी भी यहाँ वापस आ सकता है। अभी तो वह केवल शिकार खेलने गया है क्योंकि उसको लगता है कि तुम उसके शाम के खाने के लिये काफी नहीं हो। तुम बेवकूफ न बनो। मैं तुमको इस गुफा से बाहर जाने का रास्ता बताती हूँ। बस फिर तुम जल्दी जल्दी अपने घर भाग जाना।”

राजकुमार ने उसको उसकी मेहरबानी के लिये बहुत बहुत धन्यवाद दिया और उसकी सलाह के अनुसार ही काम किया। राजकुमारी ने उसको गुफा से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया और वह उसी रास्ते से जल्दी जल्दी अपने घर दौड़ गया।

पर जब वह घर पहुँचा तो उसने देखा कि उसका पिता तो मर चुका था। सारे महल में शोक छाया हुआ था।

राजकुमार को इतना ज़्यादा दुख हुआ कि उसको लगा कि वह तो अब उस महल में रह ही नहीं पायेगा। अपने पिता के दफ़न के बाद वह एक खानाबदोश की तरह से घूमने चल दिया।

चलते चलते राजकुमार एक नदी के पास पहुँचा। वहाँ उसने एक मछियारे से अपने कपड़े बदल लिये जो उसी नदी के किनारे पर मछलियाँ पकड़ रहा था। क्योंकि वह एक राजकुमार की तरह से पहचाना नहीं जाना चाहता था।

अब वह एक मछियारा लग रहा था। इसी शक्ल में वह एक राज्य से दूसरे राज्य में घूमता रहा। वह अपने खाने के लिये मछली पकड़ लेता था और इसी से अपना काम चलाता था।

इस बीच उसने देखा कि उसका मछली पकड़ने वाला जाल जो उस मछियारे ने उसको अपने कपड़ों के साथ दिया था वह जाल तो बहुत ही आश्चर्यजनक जाल था। समुद्र की सबसे बड़ी मछली भी उस जाल को नहीं तोड़ सकती थी।

वह बोला “लगता है कि इस जाल को तो नौसा सिन्होरा का आशीर्वाद मिला हुआ है।”

अपने घूमने के दौरान वह एक शहर में आया जहाँ एक उत्सव मनाया जा रहा था। वहाँ का महल बहुत सारे चमकीले रंगों की झंडियों से सजाया गया था।

हर शाम को राजा का दूत सवार हो कर शहर की सड़कों पर यह कहता घूमता “हमारे राज्य की राजकुमारी दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी है। हमारे राज्य की राजकुमारी दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी है।”

राजकुमार को अभी भी वह राजकुमारी याद थी जिसने उसको उस बड़े साइज़ वाले आदमी की गुफा में रखे बक्से में से बाहर निकाला था।

उस दूत की बात को सुन कर राजकुमर ने सोचा कि यह राजकुमारी उस राजकुमारी से ज़्यादा सुन्दर नहीं हो सकती। मुझे उसे अपनी आँख से देख कर ही यह पता करना पड़ेगा कि वह दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी है या नहीं। सो राजकुमार उस राजकुमारी को देखने के लिये महल के दरवाजे तक गया। जल्दी ही वह महल के छज्जे पर आ गयी और छज्जे पर लगे बारजे से नीचे झाँकने लगी।

वह बहुत सुन्दर थी पर उसकी नाक थोड़ी सी टेढ़ी थी। गुफा की राजकुमारी से उसकी तुलना बिल्कुल भी नहीं की जा सकती थी।

मछियारे के वेश में जो राजकुमार था वह बोला — “यह राजकुमारी किसी भी तरह से दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी नहीं है। मैं एक राजकुमारी को जानता हूँ जो इससे कहीं ज़्यादा सुन्दर है।”

जो लोग उसके पास खड़े थे उन्होंने जब यह सुना तो उन्होंने उसका कहा शाही चौकीदारों को बताया। शाही चौकीदारों ने उसको बड़ी बेदर्दी से पकड़ा और राजा के पास ले गये।

राजा बोला — “तो तुम वह मछियारे हो जो यह कहते हो कि मेरी बेटी दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी नहीं है। तुमने कहा मैंने सुना कि तुम एक ऐसी राजकुमारी को जानते हो जो इससे ज़्यादा सुन्दर है। मैं एक न्यायप्रिय राजा हूँ नहीं तो यह कहने पर मैं तुमको तुरन्त ही मार देने का हुक्म दे देता पर न्यायप्रिय होने के नाते मैं ऐसा नहीं करूँगा। मैं तुमको जो कुछ तुमने कहा है उसको साबित करने का एक मौका देता हूँ। अगर तुम अपने कहे को साबित न कर सके और उस राजकुमारी को मुझे न दिखा सके जो मेरे दरबार की नजर में मेरी बेटी से ज़्यादा सुन्दर है तो तुम अपनी ज़िन्दगी से हाथ धो बैठोगे। याद रखना कि उसकी सुन्दरता को साबित करने के लिये उसे तुम्हें यहाँ मेरे दरबार में लाना पड़ेगा।”

राजकुमार बोला — “बहुत बहुत धन्यवाद योर मैजेस्टी। अगर आप मुझे इस शर्त को पूरा करने के लिये दो हफ्ते देंगे और अगर आप उस रात को उत्सव मनाने का वायदा करें तो मैं अपके दरबार के सामने दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी लाने की कोशिश करूँगा।”

मछियारे की बात सुन कर राजा तो आश्चर्यचकित रह गया। उसको तो यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस जैसा मछियारा बहुत सारी राजकुमारियों को जानता भी होगा। फिर भी उसने उसको वहाँ से जाने और राजकुमारी को लाने की इजाज़त दे दी।

राजकुमार जल्दी से अपने घर लौटा और एक बार फिर से जंगल की ओर उसी रास्ते पर चल दिया जिस पर एक बार पहले वह अपने बीमार पिता के लिये बड़ी खरगोश ढूँढने गया था। उसे जल्दी ही वह जगह मिल गयी जहाँ उस बड़ी खरगोश ने उसका रास्ता काटा था। फिर उसने उस रास्ते को भी याद करने की कोशिश की जिस पर चल कर वह उसका पीछा करते करते जंगल में अन्दर तक चला गया था।

जब वह जंगल में गया तो उसको लगा कि वहाँ तो बाढ़ आयी थी। पानी ने वे सब निशान मिटा दिये थे जहाँ गुफा का रास्ता था। जहाँ भी उसको लगा कि वहाँ गुफा हो सकती थी वहाँ वहाँ उसने खोदा भी पर उसको वहाँ कोई भी ऐसी जगह नहीं मिली जो किसी गुफा के घुसने की जगह हो सकती थी।

तब उसने पास में ही एक नयी जगह खोदा तो उसको एक रास्ता मिला जिसके शुरू में ही एक बहुत बड़ा दरवाजा था। गुफा के अन्दर जाने का रास्ता उस दरवाजे के पीछे था।

राजकुमार ने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस दरवाजे को खटखटाया तो वह दरवाजा बहुत ही ज़रा सा खुला और उसमें से एक छोटी सी बुढ़िया का चेहरा दिखायी दिया।

वह बुढ़िया बोली — “मैं राजकुमारी की आमा हूँ। मुझे लगता है कि तुम वही राजकुमार हो जिससे वह उसके ऊपर जो मुसीबतें टूट पड़ी हैं उनसे उसको आजाद करवाने की उम्मीद कर रही है।”

यह सुन कर राजकुमार तो परेशान हो गया और बोला — “क्या हो गया मेरी राजकुमारी को जिसने मेरी जान बचायी। मैं सचमुच में राजकुमार हूँ पर मुझे आश्चर्य है कि आपने मुझे एक मछियारे की पोशाक में भी पहचान लिया।”

बुढ़िया आमा बोली — “राजकुमारी ने मुझे बताया था कि मैं तुमको तुम्हारी आँखों में मुस्कुराहट देख कर तुम्हें पहचान लूँगी। मैंने तुम्हारे कपड़ों की तरफ तो देखा ही नहीं। हालाँकि तुम्हारा चेहरा उदास है पर तुम्हारी आँखों में मुस्कुराहट है। आओ गुफा में आ जाओ और फिर मैं तुम्हें बताती हूँ कि क्या हुआ।”

यह सुन कर राजकुमार अन्दर चला गया। उसके गुफा में जाते ही बुढ़िया ने गुफा का दरवाजा बन्द कर दिया।

बुढ़िया बोली — “तुम्हारे जाने के बाद जैसे ही वह बड़े शरीर वाला आदमी वापस लौटा वह राजकुमारी पर बहुत नाराज हुआ क्योंकि उसने तुमको यहाँ से बच कर भाग जाने में सहायता की थी। उसने उसको बड़ी बेरहमी से पकड़ा और जिस बक्से में तुम बन्द थे उसी बक्से में उसने तुम्हारी जगह उसको बन्द कर दिया। जब राजकुमारी ने तुमको बक्से में से बाहर निकाला था उसने उस बक्से की चाभी उसी समय फेंक दी थी। बड़े साइज़ के आदमी ने उसको ढूँढने की बहुत कोशिश की पर वह उसको कहीं नहीं मिली।

इससे वह और भी ज़्यादा गुस्सा हो गया। अब क्योंकि वह उस बक्से को बन्द नहीं कर सकता है तो सारा दिन वह उस बक्से के ऊपर बैठा रहता है जब तक राजकुमारी बड़ी खरगोश के रूप में रहती है।

रात को जब वह वहाँ से चला जाता है तो वह गुफा के दरवाजे के चारों तरफ एक बहती हुई नदी बनाता है और गुफा के दरवाजे पर पहरा देने के लिये एक मछली तैनात कर देता है।

यह मछली ऊपर नीचे तैरती रहती है और राजकुमारी को बहुत बुरे बुरे नामों से पुकारती रहती है कि जब वह अपने रूप में भी होती है तो उन बुरे नामों को सहन न करने की वजह से तभी भी वह बक्से में ही बन्द रहती है और अपने कानों में रुई ठूँसे रहती है।

तुम यहाँ अच्छे समय पर आये हो। बड़े साइज़ का आदमी अभी अभी गुफा के बाहर गया है। जैसे ही तुम गुफा के अन्दर घुसे होगे तो गुफा के बाहर पानी ऊपर चढ़ गया होगा क्योंकि मुझे मछली की आवाज सुनायी पड़ रही है।”

यहाँ तक कि जब बुढ़िया बोल रही थी राजकुमार भी मछली की आवाज सुन पा रहा था। वह राजकुमारी के लिये इतने बुरे बुरे शब्द बोल रही थी कि राजकुमार खुश था कि राजकुमारी अपने कानों में रुई लगाये हुए बक्से में बन्द बैठी थी।

वह आमा से बोला — “आप भी राजकुमारी के साथ जा कर बक्से में ही बैठ जाइये। मैं बहुत अच्छा तैराक हूँ। मैं जा कर गुफा का दरवाजा खोलता हूँ और बाहर तैर जाता हूँ।

बक्सा लकड़ी का बना हुआ है सो वह पानी के ऊपर तैर जायेगा। आप दोनों बक्से के अन्दर होंगी सो आप लोग भी सुरक्षित रूप से पानी के ऊपर तैर जायेंगी।”

बुढ़िया आमा ने कुछ शक से पूछा — “पर तुम इस मछली से बच कर कैसे तैरोगे?”

राजकुमार बोला — “उसके लिये आप चिन्ता न करें। मेरे पास मछली पकड़ने वाला एक जाल है जो इतना मजबूत है कि सबसे बड़ी और सबसे भयानक ताकतवर मछली भी उस जाल को नहीं तोड़ सकती। मैं उस जाल में उस मछली को पकड़ लूँगा। आप बस थोड़ा इन्तजार करें और देखें कि क्या होता है।

इस बीच आप राजकुमारी के कानों से रुई निकाल लें और उसको बता दें कि मैं आ गया हूँ। अब वह डरे नहीं और कुछ देर तक के लिये बस उसी बक्से में बन्द रहे।”

राजकुमार के कहने के अनुसार बुढ़िया आमा उस बक्से में बन्द हो गयी और राजकुमार ने गुफा का दरवाजा खोल दिया।

मछली राजकुमार की तरफ भयानक रूप से दौड़ी पर राजकुमार ने उसको अपने मजबूत जाल में तुरन्त ही पकड़ लिया। जाल में मजबूती के साथ पकड़ कर राजकुमार पानी की सतह के ऊपर तैर गया और नदी के किनारे तक पहुँच गया।

वहाँ जा कर उसने मछली को मार दिया उसकी खाल निकाल कर अपनी जेब में रख ली।

जैसा कि राजकुमार ने कहा था इतने में बक्सा भी तैरता हुआ ऊपर आ गया। राजकुमार ने उसके ऊपर भी अपना जाल डाल कर उसको किनारे पर खींच लिया। बुढ़िया आमा और सुन्दर राजकुमारी दोनों उस बक्से में से बाहर निकल आयीं।

राजकुमारी इतनी सुन्दर थी कि राजकुमार तो उसके सामने अपने घुटनों पर गिर पड़ा। राजकुमारी की सुन्दरता ने राजकुमार की आँखें चौंधिया रखी थीं।

राजकुमारी बोली — “इस सारे समय मुझे मालूम था कि तुम जरूर आओगे। मुझे यह भी मालूम था कि तुम मुझको मेरी मुश्किलों से जरूर आजाद कराओगे पर तुमको यहाँ आने में बहुत देर हो गयी।”

तब राजकुमार ने उसको अपनी कहानी बतायी कि उसके संग क्या हुआ था। फिर वह बोला — “तुमने बड़े साइज़ के आदमी से मेरी ज़िन्दगी बचायी। मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हारी ज़िन्दगी बचाने के काम आ सका। पर अब मैं तुमसे फिर से अपनी ज़िन्दगी बचाने की प्रार्थना करता हूँ।”

तब उसने उसको उत्सव की बात बतायी तो राजकुमारी बोली मैं तुम्हारे साथ उस उत्सव में जरूर जाऊँगी। यह तो मेरे लिये बहुत अच्छी बात है कि वह उत्सव रात को है।

राजकुमारी और उसकी आमा राजकुमार के साथ उस राज्य की ओर तुरन्त ही चल दीं जिस राज्य का राजा यह दावा करता था कि उसकी बेटी ही दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी है।

जिस रात वे वहाँ पहुँचे वही रात उत्सव की रात थी। वहाँ के राजा को विश्वास था कि या तो राजकुमार उस राजकुमारी को ले कर ही नही आ पायेगा या फिर वह राजकुमारी ही इतनी सुन्दर नहीं होगी जितनी सुन्दर उसकी अपनी बेटी थी सो उसने अपनी सारी फौज को इस बात के लिये तैयार कर रखा था कि जैसे ही राजकुमार आये वे उसका गला काट दें।

किसी को यह विश्वास ही नहीं था कि एक मछियारा किसी राजकुमारी को भी ले कर वहाँ आ सकता है किसी सुन्दर राजकुमारी की बात तो छोड़ो।

राजकुमार ने राजकुमारी को बक्से में छिपाया हुआ था और उसकी आमा उस बक्से को अपने सिर रख कर ला रही थी। जब वह गरीब मछियारा आमा के साथ राजा के सामने जा कर खड़ा हुआ तो राजा के दरबार में एक बहुत ज़ोर का ठहाका गूँज गया। “हमको तो पता था कि यह मछियारा कभी भी एक राजकुमारी को अपने साथ नहीं ला सकेगा और वह भी हमारी राजकुमारी से ज़्यादा सुन्दर राजकुमारी को। देखो तो वह उसकी जगह किसको ले कर आया है।”

और यह कह कर तो वे लोग इतना हँसे इतना हँसे कि उनसे खड़ा भी नहीं हुआ गया।

राजा के सिपाही मछियारे को मारने के लिये उसको पकड़ने के लिये आगे बढ़े तो राजकुमार गिड़गिड़ाया — “मेहरबानी कर के मुझे कुछ पल का समय तो दीजिये।”

सुन कर राजा ने अपना सिर हाँ में हिलाया कि उसको अभी न पकड़ा जाये।

राजकुमार ने मछियारे के कोट की जेब में हाथ डाला और उस बड़ी मछली की चाँदी की खाल निकाली जो उसने बड़े साइज़ के आदमी की गुफा के दरवाजे पर बहती हुई नदी में पकड़ी थी। उस खाल के टुकड़ों से तो बहुत सुन्दर रुपहला बादल सारे कमरे में भर गया।

पर राजा को तो अभी भी कोई राजकुमारी दिखायी नहीं दी तो उसने फिर अपने सिपाहियों को इशारा किया कि वे मछियारे को पकड़ लें।

वे फिर उसको पकड़ने के लिये आगे बढ़े तो राजकुमार फिर से गिड़गिड़ाया — “मेहरबानी कर के मुझे दो पल और दीजिये।” सो राजा फिर रुक गया।

उसके बाद उसने अपनी जेब से मछली की सुनहरी खाल के टुकड़े निकाले तो वहाँ का कमरा बहुत सुन्दर सुनहरी बादल से भर गया।

“बस एक मिनट और।” और फिर उसने अपनी जेब से जवाहरात जड़ी मछली की खाल के टुकड़े निकाले तो उस कमरे में चमकते हुए जवाहरातों का बादल भर गया। सब लोग यह देख कर आश्चर्य में पड़ गये पर राजकुमारी अभी भी कहीं नहीं थी।

जैसे ही ये सब बादल साफ हो गये तो वहाँ बुढ़िया आमा और मछियारे के बीच में दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी खड़ी थी। ऐसी सुन्दर राजकुमारी जैसी किसी ने न पहले कभी सचमुच में देखी थी और न किसी ने सपने में देखी थी।

यह देख कर राजा के सिपाही पीछे हट गये। राजा और उसके दरबारी सब फर्श की तरफ देखने लगे।

राजा बोला — “ओ मछियारे तुम अपनी शर्त जीत गये। मेरी बेटी दुनियाँ की सबसे सुन्दर राजकुमारी नहीं है। मैं देख रहा हूँ कि मेरी बेटी की नाक थोड़ी सी टेढ़ी है।”

राजकुमार राजकुमारी और बुढ़िया आमा राजकुमार के राज्य वापस चले गये। वहाँ जा कर राजकुमार और राजकुमारी की शादी हो गयी। शादी की बहुत बड़ी दावत हुई।

उसी पल से जबसे राजकुमारी के शरीर पर उन मछलियों की खाल के टुकड़े पड़े उस पर पड़ा जादू टूट गया और उसके बाद वह फिर कभी बड़ी खरगोश नहीं बनी।

वह और राजकुमार खुशी खुशी बहुत दिनों तक साथ साथ रहे। बड़े साइज़ के लोगों ने भी उनको फिर कभी परेशान नहीं किया हालाँकि वे भी उस जंगल से फिर हमेशा के लिये दूर ही रहे।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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