शानदार राजकुमारी : इतालवी लोक-कथा
The Mincing Princess : Italian Folk Tale
बहुत समय के बाद आज यह कहानी फिर से कही जा रही है कि एक राजा था जिसकी एक बेटी थी जो शादी के लायक थी। वह लड़की बहुत सुन्दर थी।
एक दिन राजा ने उसको बुलाया और उससे कहा — “बेटी अब तुम्हारी उम्र शादी के लायक हो गयी है इसलिये अब तुमको शादी कर लेनी चाहिये।
मैं अपने सभी साथी राजाओं और दोस्तों को यह खबर भिजवा देता हूँ कि फलाँ दिन एक बड़ा जश्न मनाया जायेगा और वे सब उसमें जरूर आयें। जब वे सब यहाँ आ जायेंगे तो तुमको उनमें से अपनी पसन्द का दुलहा चुनने का मौका मिल जायेगा।”
बेटी ने हाँ कर दी और राजा ने यह सन्देश सबको भिजवा दिया। तय किया हुआ दिन भी आ पहुँचा। सारे राजा उस दिन वहाँ आ पहुँचे थे। उन सबके परिवार भी वहाँ आये थे।
जो भी राजा और राजकुमार वहाँ आये थे राजकुमारी ने उनमें से राजा गारनर के बेटे को पसन्द किया। सब लोगों ने बहुत खुशियाँ मनायीं।
दोपहर हुई तो सब लोग खाना खाने बैठे। खाने में 57 चीज़ें बनी थीं। मीठे में अनार भी परोसे गये। अब अनार हर देश में तो मिलते नहीं और राजा गारनर के देश में तो उनका नाम भी कोई नहीं जानता था सो राजकुमार ने जब अनार उठाया तो उसका एक दाना नीचे गिर पड़ा।
यह सोच कर कि वह दाना बहुत कीमती होगा वह उसको उठाने के लिये नीचे झुका। उधर राजकुमारी राजकुमार पर से अपनी नजर ही नहीं हटा पा रही थी सो उसने यह देख लिया कि राजकुमार नीचे से अनार का एक दाना उठाने की कोशिश कर रहा था।
उसको गुस्सा आ गया और वह गुस्से में भर कर मेज से उठी और अन्दर चली गयी। अपने कमरे में जा कर उसे अन्दर से बन्द करके बैठ गयी।
उसका पिता उसके पीछे पीछे यह देखने के लिये गया कि उसकी बेटी को क्या हो गया है। वह वहाँ गया तो उसने देखा कि उसकी बेटी तो अपने कमरे में बैठी रो रही है।
राजा ने अपनी बेटी के रोने की वजह जाननी चाही तो वह बोली — “पिता जी, मैं उस लड़के को बहुत पसन्द करती हूँ पर मुझे अब लगा कि वह तो बहुत ही छोटे दिमाग का आदमी है और अब मैं उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती।”
राजा खाने की जगह वापस आया। सब राजाओं को धन्यवाद दिया और उनको गुड बाई कह कर विदा कर दिया। पर यह बात राजा गारनर के बेटे के लिये कुछ जरा ज़्यादा ही हो गयी सो उसने राजकुमारी को सबक सिखाने की कुछ और तरकीब सोची।
बाकी सारे राजा तो वहाँ से अपने अपने घर चले गये पर राजा गारनर का बेटा महल से जाने के बाद अपने घर नहीं गया। असल में वह भी राजकुमारी को बहुत पसन्द करने लगा था। वह उसको किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता था सो उसने एक तरकीब सोची।
बाहर निकल कर उसने एक किसान का वेश रखा और काम की तलाश में महल के आस पास चक्कर काटने लगा। राजा को एक माली की जरूरत थी और क्योंकि वह राजकुमार बागीचों के बारे में कुछ जानता था सो उसने राजा से प्रार्थना की वह उसको अपने बागीचे में माली का काम दे दे।
राजा को वह लड़का पसन्द आ गया सो उसके बारे में कुछ जानकारी हासिल करने के बाद उसकी तनख्वाह निश्चित कर दी गयी और उसे नौकरी पर रख लिया गया।
बागीचे में ही उसको एक छोटा सा मकान दे दिया गया और वह अपने एक बक्से के साथ उस मकान में चला गया।
राजकुमार के बक्से में उसकी वह भेटें थीं जो वह अपनी होने वाली पत्नी के लिये ले कर आया था पर अब जब राजकुमारी ने उसको स्वीकार ही नहीं किया तो वे सब भेंटें अभी उसी के पास थीं।
जब वह अपना बक्सा ले कर उस मकान में आया तो उसने यही दिखाया कि उस बक्से में उसके पहनने के कपड़े थे। उस मकान में पहुँच कर उसने अपने मकान की खिड़की के सामने एक शाल टाँग लिया जो सुनहरे तारों की कढ़ाई से कढ़ा हुआ था।
राजकुमारी के महल की खिड़की बागीचे की तरफ खुलती थी और उसी बागीचे में वह माली रहता था। सो एक दिन जब उसने अपनी खिड़की से बागीचे में झाँका तो उसको माली के घर की खिड़की पर टँगा वह सोने के तारों से कढ़ाई किया गया शाल दिखायी दे गया।
उसने माली को बुलाया और उससे पूछा — “यह जो शाल तुम्हारी खिड़की पर फैला हुआ है किसका है?”
माली बोला — “राजकुमारी जी, यह शाल मेरा है।”
राजकुमारी ने उससे फिर पूछा — “क्या तुम इस शाल को मुझे बेचोगे? मैं तुम्हारा यह शाल खरीदना चाहती हूँ।”
माली बोला — “ओह नहीं, कभी नहीं। यह शाल बेचने के लिये नहीं है।” कह कर वह वहाँ से चला गया।
यह सुन कर राजकुमारी ने अपनी दासियों से कहा कि वे उस माली को वह शाल उसे बेचने पर मनायें।
दासियों ने माली को उस शाल के बदले में कितने भी पैसे देने के लिये कहा। यहाँ तक कि उसको अगर पैसा नहीं चाहिये तो उस के बराबर की कीमत की कोई और चीज़ लेने के लिये भी कहा पर किसी का कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि वह तो उस शाल को किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार ही नहीं था।
जब उसको बहुत कहा गया तो वह बोला — “मैं यह शाल बेचता तो नहीं, हाँ उनको यह शाल मैं भेंट कर सकता हूँ अगर वह मुझको अपने महल के पहले कमरे में सोने दें तो।”
यह सुन कर वे दासियाँ बहुत ज़ोर से हँस पड़ीं और यह बात राजकुमारी से कहने के लिये दौड़ गयीं। राजकुमारी से बात करते समय वे कह रही थीं कि वह अगर इतना ही बेवकूफ है जो आपके महल के पहले कमरे में सोना चाहता है तो उसे सोने दीजिये। कोई अक्लमन्द आदमी ऐसा क्यों करेगा। वह जरूर ही कोई बेवकूफ है।
और फिर इसके लिये तो हमको कुछ देना भी नहीं पड़ेगा। इसमें हमारा कुछ नुकसान भी नहीं होगा और आपको शाल भी मिल जायेगा। सो राजकुमारी राजी हो गयी।
जब सारा घर सो रहा था तो राजकुमारी की दासियाँ उस माली को राजकुमारी के महल के अन्दर ले गयीं और उसके महल के पहले कमरे में उसको सोने के लिये छोड़ गयीं।
अगले दिन उन्होंने माली को सुबह सवेरे जल्दी उठाया और उसको महल के बाहर छोड़ आयीं। इसके बदले में माली ने अपना शाल राजकुमारी को दे दिया।
एक हफ्ते बाद उस माली ने एक और शाल उस खिड़की पर टाँग दिया। यह शाल उस पहले वाले शाल से भी ज़्यादा खूबसूरत था। जब राजकुमारी ने यह शाल देखा तो वह अपनी दासियों से बोली — “मुझे तो यह शाल चाहिये।”
जब माली से इस शाल को राजकुमारी को बेचने के बारे में बात की गयी तो माली बोला कि में इस शाल को बेचता तो नहीं पर अगर राजकुमारी जी मुझे अपने महल के दूसरे कमरे में एक रात सोने की इजाज़त दें तो मैं उनको यह शाल भेंट कर सकता हूँ।”
राजकुमारी की दासियों ने राजकुमारी से कहा — “जब आपने उसको अपने महल के पहले कमरे में सोने दिया तो अब आप उसको अपने महल के दूसरे कमरे में भी सोने दे सकती हैं।”
सो अगले दिन माली राजकुमारी के महल के दूसरे कमरे में सो गया और इसके बदले में उसने उसको अपना वह दूसरा शाल दे दिया।
फिर एक हफ्ता गुजर गया। तीसरे हफ्ते माली ने सोने के तारों से कढ़ी हुई और हीरे मोती से सजी हुई एक बहुत ही खूबसूरत पोशाक अपनी खिड़की पर टाँग दी।
जब राजकुमारी ने अपनी खिड़की से उस पोशाक को माली के घर की खिड़की पर टँगा देखा तो उससे रहा नहीं गया। माली से उसकी कीमत पूछने पर उसने कहा कि यह पोशाक तो बिल्कुल भी बिकाऊ नहीं थी।
पर काफी कुछ कहने सुनने के बाद माली ने कहा कि वह उसको भी बेचेगा तो कभी नहीं पर वह उसको राजकुमारी को भेंट दे सकता है अगर राजकुमारी उसको अपने महल के तीसरे कमरे में सोने की इजाज़त दे तो। तीसरा कमरा यानी राजकुमारी के सोने के कमरे के बिल्कुल बराबर वाला कमरा।
राजकुमारी ने सोचा “इसमें इतना डरना किस बात का? यह गरीब माली तो लगता है कि बस पागल है। इससे मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचने वाला।” सो पिछली रातों की तरह से इस रात भी उसको राजकुमारी के महल के तीसरे कमरे में नीचे फर्श पर सुला दिया गया।
जब वह वहाँ लेट गया तो उसने सोने का बहाना किया और उस समय का इन्तजार करने लगा जब महल में सब कोई सो जाने वाला था।
जब उसने पक्का कर लिया कि महल में सब लोग सो गये तो उसने ठंड से काँपना शुरू कर दिया। ठंड की वजह से उसके दाँत भी ज़ोर ज़ोर से बजने लगे।
इस काँपने में वह राजकुमारी के सोने के कमरे से जा टकराया। उसके काँपते हाथ पैर जब उसके दरवाजे को छूते थे तो ढोल के से बजने की आवाज आती थी।
इस आवाज से राजकुमारी जाग गयी और फिर दोबारा सो भी नहीं पायी। उसने माली को चुप रहने को भी कहा पर वह कुछ कराहता हुआ सा बोला — “मुझे बहुत ठंड लग रही है राजकुमारी जी।” और यह कह कर वह और ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा।
जब वह माली को किसी तरह भी शान्त नहीं कर सकी तो उसको डर लगा कि महल में सोने वाले दूसरे लोग उसकी आवाज सुन लेंगे और माली के साथ किये गये सौदे के बारे में जान जायेंगे।
सो वह उठी और उसने यह सोचते हुए अपना दरवाजा खोला कि यह तो बहुत ही सीधा लड़का है यह मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। अब वह सीधे दिमाग वाला था या नहीं, यह तो पता नहीं, पर उस रात के बाद से राजकुमारी को बच्चे की आशा हो गयी।
राजकुमारी के गुस्से और शरम की कोई हद नहीं थी। इस बात की चिन्ता करके कि अभी या देर से लोग उसके बच्चे के बारे में जान तो जायेंगे ही सो उसने माली से कहा — “अब तुम्हारे लिये यहाँ करने के लिये कुछ नहीं बचा सिवाय इसके कि तुम यहाँ से मेरे साथ भाग चलो।”
“तुम्हारे साथ? इससे तो मैं मर जाना ज़्यादा पसन्द करूँगा।”
“ठीक है तो फिर यहीं रहो जब तक सबको पता न चल जाये।”
पर फिर भी किसी तरह उसने माली को अपने साथ भाग जाने पर तैयार कर लिया। उसने अपने कुछ सामान की एक गठरी बाँधी, थोड़ा सा पैसा साथ में लिया और वे दोनों पैदल ही एक रात वहाँ से भाग निकले।
रास्ते में उनको गाय चराने वाले मिले, भेड़ चराने वाले मिले, वे खेतों से गुजरे, वे मैदानों से निकले। ये सब देख कर राजकुमारी ने पूछा — “ये सब जानवर किसके हैं?”
माली बोला — “ये सब जानवर राजा गारनर के हैं।”
“ओह बेचारी मैं।”
माली ने पूछा — “क्यों? तुम बेचारी क्यों? क्या बात है?”
राजकुमारी बोली — “बेचारी मैं इसलिये कि मैंने उसके बेटे से शादी करने से मना कर दिया।”
माली बोला — “यह तुमने बहुत बुरा किया।”
राजकुमारी ने फिर पूछा — “और यह जमीन किसकी है?”
“यह भी राजा गारनर की है।”
राजकुमारी फिर बोली — “ओह बेचारी मैं।”
अब तक चलते चलते राजकुमारी बहुत थक गयी थी। चलते चलते वे एक नौजवान के घर पहुँचे। उस नौजवान ने उनको बताया कि वह राजा गारनर के नौकर का बेटा था। यह घर राजा के महल के पास ही था।
उसका सारा घर धुँए से काला हुआ पड़ा था। उसमें एक पुराना पलंग पड़ा था, एक स्टोव रखा था और एक घर को गरम रखने वाली अंगीठी थी।
उस घर के बराबर में ही एक जानवर रखने का बाड़ा और एक मुर्गीखाना था। वह नौजवान रात को ही अपना मकान माली को दे कर चला गया।
माली ने वहाँ जाते ही राजकुमारी से कहा — “मुझे बहुत भूख लगी है। एक मुर्गा मारो और उसे मेरे लिये पका दो।”
राजकुमारी ने वैसा ही किया। वह रात उन्होंने वहाँ उस छोटे से मकान में ही गुजारी।
सुबह को माली वहाँ से यह कह कर चला गया कि वह शाम होने से पहले घर वापस आ जायेगा। अब राजकुमारी उस मकान में अकेली थी कि अचानक उसने दरवाजे पर दस्तक सुनी। उसने दरवाजा खोला तो वहाँ राजा गारनर का बेटा अपने शाही कपड़ों में सजा खड़ा था।
उसने राजकुमारी से पूछा — “तुम कौन हो और यहाँ तुम क्या कर रही हो?”
बड़ी मुश्किल से राजकुमारी की आवाज निकली — “मैं आपके नौकर के बेटे के दोस्त की पत्नी हूँ।”
राजकुमार बोला — “हो सकता है पर तुम मुझे कोई ईमानदार स्त्री नहीं लगती। अगर तुम चोर हो तो? क्योंकि अक्सर ही यहाँ कोई न कोई मेरी मुर्गियाँ चुराने आता रहता है।”
फिर राजकुमार ने मुर्गियों को आवाज दी और उनको गिन कर बोला — “अरे इसमें तो एक मुर्गी कम है। कल तक तो यहाँ सब थीं।”
कह कर उसने वहाँ रखा सारा सामान छानना शुरू कर दिया। जब वह स्टोव के पास आया तो उसको मुर्गी के कुछ पंख पड़े मिल गये। ये उस मुर्गी के पंख थे जो कल रात राजकुमारी ने माली के लिये पकायी थी।
उन पंखों को देख कर राजकुमार ने कहा — “इसका मतलब यह है कि तुम चोर हो। तुमने मेरी एक मुर्गी चुरा कर खा ली है। भगवान को धन्यवाद दो कि मैंने तुमको पकड़ा है, अगर किसी और ने पकड़ा होता तो उसने तुमको कानून के हवाले कर दिया होता। पर चलो, मैं तुमको राजा के दरबार में नहीं ले जाता। अब आगे से कुछ मत चुराना।”
यह सब सुन कर राजकुमारी की आँखों से तो झर झर आँसू बह निकले। तभी रानी वहाँ आ गयी और उसने देखा कि वह बेचारी लड़की तो रोये जा रही है।
वह उसको धीरज बँधाते हुए बोली — “तुम चिन्ता न करो बेटी। यह मेरा बेटा भी बस बड़ा ही अजीब आदमी है। चलो जब तक तुम यहाँ हो तुम मेरे पास काम कर लेना।
मेरे पोता होने वाला है तो मुझे उसके लिये कुछ कपड़े तैयार करवाने हैं। तुम उनकी सिलाई में मेरी सहायता कर देना।” यह कह कर रानी उसको बच्चे के लिये कुछ कपड़े सिलने के लिये दे कर चली गयी।
शाम को जब माली घर आया तो राजकुमारी बहुत रोयी और उसको दिन में हुई राजकुमार और रानी की घटना बतायी और बोली कि इस सबकी जिम्मेदार केवल वह खुद है।
माली ने किसी तरह उसे शान्त किया और उसे वहीं रहने के लिये मना लिया।
राजकुमारी ने पूछा — “लेकिन हम यहाँ रहेंगे कैसे। अभी हमारे बच्चा होगा तो हमारे पास तो इतना भी नहीं है कि हम उसको कुछ पहना सकें।”
माली बोला — “जब रानी यहाँ कल आयें और तुमको सिलाई का और काम दें तो तुम उनके कपड़ों में से एक पोशाक निकाल कर छिपा लेना।”
सो अगले दिन जब रानी उसको कपड़े दे कर वापस जा रही थी तो राजकुमारी ने उतनी देर इन्तजार किया जब तक रानी ने अपना मुँह पूरी तरह से नहीं फेर लिया। फिर जैसे ही रानी का मुँह पूरी तरह से फिरा उसने उन पोशाकों में से एक पोशाक चुरा कर रख ली।
कुछ मिनट बाद ही वहाँ राजकुमार आ गया और अपनी माँ से बोला — “माँ, आपके साथ यहाँ कौन काम कर रहा है?”
और फिर राजकुमारी की तरफ देख कर बोला — “अरे क्या यह चोर फिर यहाँ? आपको मालूम है क्या कि यह कुछ भी चुराने की हिम्मत कर सकती है?”
यह कह कर उसने राजकुमारी की छिपायी हुई बच्चे की पोशाक बाहर निकाल कर उसको दिखा दी। फिर बोला — “यह तो फर्शों के अन्दर जाने तक की भी ताकत रखती है माँ। आप कहाँ इसके चक्कर में पड़ीं।”
यह सुन कर राजकुमारी की आँखों से फिर से आँसू बहने लगे पर रानी उसकी तरफदारी करती हुई बोली — “ये मामले स्त्रियों के हैं तुम यहाँ उनके बीच में क्या कर रहे हो?”
राजकुमारी को रोता देख कर उसने उसको फिर तसल्ली दी और उसने राजकुमारी को अगले दिन महल में आने के लिये कहा ताकि वह अगले दिन वहाँ आ कर उसके लिये मोती की कुछ मालाएं बना दे।
राजकुमारी अपने उस छोटे से मकान में वापस लौट आयी और रात को अपने पति को उस दिन की घटना के बारे में बताया।
माली बोला — “तुम उसके बारे में बिल्कुल भी न सोचो। यह राजा तो बहुत पुराना कंजूस और बहुत ही नीच आदमी है पर हाँ यह ध्यान रखना कि तुम कल एक मोती की माला वहाँ से अपने बच्चे के लिये जरूर लेती आना।”
अगले दिन राजकुमारी रानी के पास उसकी मोती की माला बनवाने के लिये फिर महल गयी। जब रानी नहीं देख रही थी तो राजकुमारी ने एक मोती की माला अपनी जेब में रख ली।
कुछ ही देर में राजकुमार भी घर आ गया तो उसने अपनी माँ से कहा — “माँ आपने इसे फिर अपने पास काम करने के लिये रख लिया। यह फिर कुछ चुरा कर ले जायेगी। आप मेरी बात मानती क्यों नहीं हैं।”
फिर इधर उधर देख कर बोला — “क्या आपने इसको मोती दिये माँ? मैं शर्त लगा सकता हूँ कि कम से कम एक मोती की माला तो इसने जरूर ही चुरा ही ली होगी।”
और यह कह कर उसने राजकुमारी की जेब में हाथ डाल दिया और उसकी जेब से एक मोती की माला निकल आयी। यह देख कर तो राजकुमारी बेहोश हो गयी। रानी ने उसको नमक सुँघाया और उसको होश में ला कर उसको फिर से धीरज बँधाया।
अगले दिन जब वह रानी के यहाँ फिर काम कर रही थी तो उसको बच्चा होने वाला हो गया तो रानी ने उसको ले जा कर राजकुमार के पलंग पर लिटा दिया। कुछ ही देर में उसको लड़का हो गया।
तभी राजकुमार आ गया और उसको अपने पलंग पर लेटा देख कर चीखा — “माँ यह क्या? यह चोर मेरे बिस्तर में?”
अब रानी मुस्कुरा कर बोली — “बेटे, बस करो। अब तुम्हारी हँसी बहुत हो गयी।”
फिर उसने राजकुमारी से कहा — “बेटी, यह मेरा बेटा ही तुम्हारा पति है जिससे तुमने शादी करने से इनकार कर दिया था। वही तुम्हारे यहाँ माली बन कर तुम्हारा दिल जीत कर तुमको यहाँ ले आया है।”
अब सारा भेद खुल गया था। राजकुमारी को जब सब कुछ पता चला तो वह अपने किये पर बहुत शरमिन्दा हुई।
राजकुमारी के माता पिता को बुलवा लिया गया, साथ में पड़ोसी राजाओं को भी। पोते के जन्म की खुशी में तीन दिन तक दावत चलती रही और सारे राज्य में खूब खुशियाँ मनायीं गयीं।
(साभार : सुषमा गुप्ता)