जादुई शीशा : स्पेनी लोक-कथा
The Magic Mirror : Spanish Folk Tale in Hindi
एक बार ग्रेनेडा के राजा ने सोचा कि वह शादी करेगा। तो सबसे पहले यह खबर उसके नाई को दी गयी। उसके बाद उसके रात के पहरेदार को और उसके बाद उस शहर की सब बूढ़ी स्त्रियों को दी गयी।
नाई ने यह खबर अपने सब जानने वालों को दी जिन्होंने यह खबर अपने सब दोस्तों को दी। उस रात रात वाले पहरेदार ने यह खबर बहुत ज़ोर से चिल्ला चिल्ला कर सब नौजवान लड़कियों को दी जिससे वे खुशी के मारे सारी रात सो न सकें।
बड़ी बूढ़ी स्त्रियाँ नौजवान लड़कियों को हमेशा याद दिलाती रहीं कि राजा ने शादी करने का फैसला कर लिया है।
बूढ़ी स्त्रियाँ नाई से पूछतीं — “राजा अपनी पत्नी कैसे चुनेगा।”
तो नाई जवाब देता — “राजा के लिये अच्छी पत्नी ढूँढने के लिये तो मुझे बहुत मुश्किल होगी।”
स्त्रियाँ आश्चर्य से कहतीं — “क्या तुम? क्या तुम राजा की पत्नी चुनोगे? मगर राजा की पत्नी ढूँढने में तुम क्या करोगे?”
इस पर नाई जवाब देता — “मैं एक अकेला ही आदमी तो हूँ जो शाही चेहरे को छूता हूँ। और इससे ज़्यादा क्या। मेरे पास एक जादुई शीशा है। अगर किसी लड़की का बहुत सुन्दर चेहरा है पर उसका चरित्र अच्छा नहीं है तो उसके चरित्र के धब्बे उस शीशे की सतह पर धब्बों की शक्ल में दिखायी दे जायेंगे। इससे पता चल जायेगा कि वह लड़की कैसी है।”
सब स्त्रियों ने पूछा — “लड़की चुनने की क्या कई शर्तों में से यह भी एक शर्त है?”
नाई बोला — “कई नहीं बस यही एक शर्त है। कोई भी लड़की जो 18 साल से ऊपर की हो वह राजा से शादी करने के लिये ठीक है। पर वे सब रानी बनने के लायक होनी चाहिये। हर लड़की मेरे साथ शीशा देखेगी और जिसके चेहरे के साथ कोई धब्बा दिखायी नहीं देगा वही राजा की रानी बनेगी।”
इस तरह जो भी ग्रेनेडा की रानी बनेगी उस पर यह एक शर्त लगायी गयी और सबको बतायी गयी। बड़ी अजीब सी बात कि कोई भी लड़की नाई के पास उस शीशे में अपना चेहरा देखने के लिये नहीं आयी।
दिन और हफ्ते निकलते चले गये और राजा को अभी अपनी पत्नी को पाने का कहीं कुछ अता पता भी नहीं था। कुछ स्त्रियों ने कुछ लड़कियों को नाई के पास जाने के लिये कहा भी कि वे वहाँ जा कर उस शीशे में अपना चेहरा देखें पर किसी की ऐसी कोई हिम्मत ही नहीं पड़ी।
राजा बहुत सुन्दर था। उसकी प्रजा भी उसको बहुत प्यार करती थी। इसलिये यह एक बड़े आश्चर्य की बात थी कि उसके दरबार में आने वाली कोई भी लड़की उसकी पत्नी बनना नहीं चाहती थी।
बहुत सारी लड़कियों ने बहुत सारे बहाने बनाये जैसे कि कुछ ने कहा कि उनकी शादी तो पहले ही पक्की हो चुकी है। कुछ ने कहा कि वे नाई की दूकान में जाना ही पसन्द नहीं करतीं। कुछ ने अपनी दोस्तों को कहा कि वे अकेली रहना ज़्यादा पसन्द करेंगीं।
हर सुबह राजा नाई से पूछता कि क्या कोई लड़की उसके शीशे में अपना चेहरा देखने के लिये आयी पर नाई का जवाब वही रहता कि बहुत सारी लड़कियाँ तो यही देखती रहतीं हैं कि दूसरे कितने लोग उसकी दूकान के अन्दर आते हैं पर वे खुद नहीं आतीं।
राजा नाई से बोला — “ओह ग्रेनेडा ओह ग्रेनेडा। क्या इस देश में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो राजा की पत्नी बन सके। मुझे मालूम है कि दूसरे देशों के राजाओं को शादी करने में कोई मुश्किल नहीं पड़ती फिर मुझे इतनी मुश्किल क्यों पड़ रही है।”
नाई ने जवाब दिया — “योर मैजेस्टी, एक बात सम्भव हो सकती है। पहाड़ों की तरफ एक भेड़ चराने वाली रहती है वह इस शीशे में देखने का खतरा मोल ले सकती है। पर क्या आप उतनी नीची लड़की से शादी करेंगे?”
राजा बोला — “ठीक है उस भली भेड़ चराने वाली को आने दो और मेरे दरबार में उसको अपने शीशे में अपना चेहरा देखने दो।”
सो नाई उस भेड़ चराने वाली को ले कर दरबार में आया। सारे शहर में यह ढिंढोरा पिटवा दिया गया कि आज दरबार में एक भेड़ चराने वाली का इम्तिहान लिया जायेगा।
तुरन्त ही शाही दरबार शानदार स्त्रियों से और राजा के परिवार के नाइट्स से भर गया। जब वह भेड़ चराने वाली लड़की दरबार में घुसी तो वह अपने आपको इतने सारे अमीरों से घिरी हुई देख कर बहुत शरमा रही थी।
राजा ने उसका बड़े प्यार से स्वागत किया और उससे कहा कि अगर उसको राजा से शादी करनी है तो उसको एक जादुई शीशे में देखना पड़ेगा। अगर उसने कभी भी कोई भी बुरा काम किया होगा तो यह शीशा उतने ही धब्बे अपने ऊपर दिखा देगा।
भेड़ चराने वाली लड़की ने कहा — “गलतियाँ हर एक से होती हैं राज साहब और मैं कोई अलग नहीं हूँ,। मैंने अपने भेड़ों के झुंड के साथ कुछ गलतियाँ की हैं पर मैं यह सोचती हूँ कि उन्हें मेरी वे गलतियाँ माफ कर देनी चाहिये क्योंकि वे रोज मुझे अपनी देखभाल करने देती हैं।
क्योंकि अगर इनको कोई खतरा महसूस होता भी है तो भी ये अपनी सुरक्षा के लिये मेरे ही पास दौड़ी आती हैं। मैं अपनी भेड़ों से बहुत प्यार करती हूँ और उनके लिये हमेशा सबसे अच्छा करने को तैयार रहती हूँ।
सच तो यह है कि मेरी रानी बनने की कोई इच्छा नहीं है फिर भी मुझे उस शीशे में देखने में कोई डर नहीं है।”
कह कर वह शीशे की तरफ बढ़ी और उसने उसमें देखा। शायद अपनी शक्ल देख कर वह शरमा गयी।
दरबार की दूसरी स्त्रियाँ उसके चारों तरफ घिर आयीं। उन्होंने देखा कि शीशे ने तो कोई धब्बा नहीं दिखाया तो उन्होंने उससे वह शीशा छीन लिया और एक दूसरे को उनको अपना चेहरा देखने के लिये देने लगीं।
वे उस शीशे में अपना चेहरा देखती जाती थीं और कहती जाती थीं — “अरे देखो तो जब हम लोग भी इस शीशे में अपना चेहरा देख रही हैं तो इस शीशे पर भी कोई धब्बा नहीं है। लगता है कि यह कोई जादू का शीशा नहीं है बल्कि ऐसे ही सादा सा शीशा है। यह तो हमारे साथ चाल खेली गयी है।”
राजा बोला — “ओ स्त्रियों तुम सब लोग ठीक कहती हो। इस शीशे में कोई जादू नहीं है पर अगर तुम लोगों में अपने चरित्र में उतना ही विश्वास होता जितना इस भेड़ चराने वाली लड़की को है जो अब मेरी रानी बनने जा रही है तो तुम लोगों ने शीशे में देखने से कभी मना नहीं किया होता। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरी पत्नी तुम सब लड़कियों में सबसे अच्छी है।”
(साभार : सुषमा गुप्ता)