झरने की कहानी : पैराग्वे की लोक-कथा

The Legend of Waterfall : Lok-Katha (Paraguay)

बूढ़ा सरदार अगुआरा जानता था कि वह एक खुशकिस्मत आदमी था। और दूसरे पिताओं की तरह वह यह भी जानता था कि उसकी बेटी दुनियाँ की सबसे सुन्दर लड़की थी।

बहुत सारी जातियों के नौजवान उसकी बेटी येती का हाथ माँगने के लिये आये। पड़ोस के सरदारों ने उससे शादी करने के लिये बहुत सारी जायदाद और पैसा देने के लिये भी कहा पर उन सबको वापस भेज दिया गया।

जब येती पैदा हुई थी तो उस जाति के जादू टोना करने वाले एक जादूगर ने उसके बारे में यह कहा था कि उसका प्यार उसको नीचे गिरा देगा और उसकी मौत की वजह बनेगा। इसलिये आये हुए उम्मीदवारों में से किसी को भी येती से बात करने तक का भी मौका नहीं दिया गया। पर वह बूढ़ा सरदार बेचारा और करता भी। इस सबको करने के लिये उसकी अपनी वजह थी।

बस सरदार को तो उन सबसे इतना ही कहने की जरूरत थी कि उसकी बेटी ने अपनी ज़िन्दगी टूपा के नाम लिख दी है और सारे लड़के उसकी ज़िन्दगी से बिल्कुल दूर कर दिये गये। कहानी खत्म? सरदार अगुआरा ने तो यह कहानी ऐसे ही लिखने की सोचा था।

वह अपनी बेटी पर निगाह रखने की कितनी भी कोशिश करता पर वह हर पल और हर दिन तो उस पर इस तरह निगाह नहीं रख सकता था।

एक बदकिस्मत शाम को जब येती जंगल में घूम रही थी तो एक चीता अचानक उसके रास्ते में आ गया। दूसरे लोग और नौजवान तो उससे केवल शादी ही करना चाहते थे पर इस चीते ने तो उसको खुद को खाने की सोचा।

उसको देखते ही येती बहुत ज़ोर से चीख पड़ी और उसकी चीख सारे जंगल में गूँज गयी पर वह अपने घर से बहुत दूर थी इसलिये उसका पिता उसकी वह चीख नहीं सुन सका।

वह चीता धीरे धीरे उसके पास तक आ गया और फिर तो सब कुछ बहुत जल्दी हो गया। चीता उस लड़की के ऊपर कूदा ही था कि तभी रास्ते के किनारे किनारे जो झाड़ियाँ लगी हुई थीं उनके बीच से रास्ता बनाता हुआ एक भाला आया और उसने उस बड़े से चीते को मार दिया।

येती ने उन झाड़ियों के पीछे दो बहुत ही सुन्दर काली आँखें देखीं। ऐसी आखें उसने पहले कभी नहीं देखी थीं। वे कैवूरी की आँखें थीं। कैवूरी किसी दूसरे कबीले का बहुत ही निडर बहादुर और ताकतवर शिकारी था।

उसने लड़की की तरफ देखा और जो कुछ भी उसके दिमाग में सबसे पहले आया वह वही बोला — “देखो डरो नहीं, मैं तुमको कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।”

यह सोचते हुए कि उसने उस चीते से उसकी अभी अभी जान बचायी है ये उसके लिये कोई सबसे अच्छे शब्द नहीं थे पर कैवूरी को जवान लड़कियों के साथ बात करने की आदत नहीं थी न इसी लिये उसके मुँह से यही शब्द निकल पाये। ऐसा क्यों?

येती की ही तरह से जब कैवूरी पैदा हुआ था तो उस कबीले के एक जादू टोना जानने वाले ने भी उसके पिता सरदार जुरूमी से कैवूरी के बारे में यही कहा था कि उसका प्यार ही उसको नीचे गिरायेगा और उसके लिये उसकी मौत बन कर आयेगा।

इसलिये हालाँकि कैवूरी बहुत ही निडर बहादुर ताकतवर और एक शानदार लड़ने वाला था फिर भी उसके पिता ने उसको उन बहुत सारी लड़कियों से दूर रखा हुआ था जो उससे शादी करना चाहती थीं।

पर किस्मत की बात, दोनों ही सरदार वहाँ नहीं थे जहाँ उनके बच्चे मिले। जैसे ही उन दोनों ने एक दूसरे को देखा तो दोनों ने ही अपने अपने दिलों में एक दूसरे के लिये कुछ खास महसूस किया।

यह पहली नजर का प्यार था। उस लड़के ने भी इतने सुन्दर बाल और किसी की पलकों के इतने सुन्दर बाल कभी नहीं देखे थे। और उस लड़की ने कभी किसी नौजवान का इतना सुन्दर मजबूत शरीर और इतनी काली आँखें नहीं देखी थीं।

येती जब उसकी तरफ देखते हुए होश में आयी तो बोली — “मेरे पिता तुमको मेरी जान बचाने के लिये बहुत बड़ा इनाम देंगे।”

कैवूरी बोला — “अच्छा? कौन हैं तुम्हारे पिता जी?”

येती मुस्कुरा कर बोली — “मेरे पिता सरदार अगुआरा हैं और वह तुमको बहुत प्यार करेंगे।”

इस बार उसके दिल ने कोई अजीब सी बात महसूस नहीं की बल्कि एक ठंडी लहर उसकी रीढ़ की हड्डी से हो कर गुजर गयी। क्योंकि उसके सामने तो उसके कबीले के दुश्मन कबीले के सरदार की बेटी खड़ी थी।

कैवूरी बोला — “मैं तुम्हें तुम्हारे पिता के सामने नहीं ले जा सकता। वह मुझे देखते ही मार देंगे क्योंकि मैं सरदार जुरूमी का बेटा हूँ – उनके सबसे बड़े दुश्मन का बेटा।

इसके अलावा मुझे कोई इनाम भी नहीं चाहिये। मेरे लिये तुमसे मिलना ही काफी है। पर मुझे लगता है कि तुमने मेरा दिल चुरा लिया है।”

येती बोली — “अगर तुम मुझे मेरे गाँव तक नहीं ले जाओगे तो क्या मेहरबानी कर के तुम मुझे जंगल की हद तक छोड़ दोगे? मेरे पैर में चोट लग गयी है और मैं बहुत तेज़ नहीं चल सकती।”

“हाँ वहाँ तक तो मैं तुमको ले जा ही सकता हूँ। चलो, मैं तुमको वहाँ तक ले चलता हूँ।” और कैवूरी येती को उठा कर जंगल की हद तक ले चला। हर कदम पर उसका प्यार येती के लिये बढ़ता ही जा रहा था।

जब वे दोनों जंगल की हद के पास पहुँचे तो कैवूरी ने येती को अपना प्यार जता ही दिया। वह बोला —“मैं अपने पिता से कहूँगा कि वह गुस्से को एक तरफ उठा कर रख दें ताकि हम लोग एक साथ रह सकें।

अब समय आ गया है कि हमारे कबीलों की यह दुश्मनी खत्म हो जानी चाहिये और हम लोगों को मिलजुल कर रहना चाहिये। हम लोगों के मिलने से दोनों कबीलों के एक होने का समय शुरू होगा।” येती ने हाँ में हाँ मिलायी — “हाँ यह तो ठीक है।”

और इस समझौते पर दोनों के चुम्बन की मुहर लग गयी। इस जवान जोड़े के लिये तो उनके इस चुम्बन ने उनकी दुनियाँ ही हिला दी थी। इससे केवल उनकी अपनी दुनियाँ ही नहीं बल्कि यह धरती भी हिल गयी थी।

दोनों के लिये उनकी ज़िन्दगी बहुत ही खुशी से गुजर सकती थी पर टूपा इस सबसे बिल्कुल भी खुश नहीं था। उसको उन जादू टोना करने वालों की कही हुई बात का पता था। उसको तो यह भी पता था कि आगे क्या होने वाला है।

मौत, उदासी और बर्बादी कभी किसी को अच्छे नहीं लगते पर उस समय उन दोनों नौजवानों ने इस सबके बारे में सोचा ही नहीं। कैवूरी बोला — “कल सुबह ही मैं अपने पिता से कहूँगा कि वह तुम्हारे पिता के पास अपना एक दूत भेजें। वह हमारे लोगों में शान्ति और एक साथ मिल कर रहने का ऐलान करेगा।”

पर दूत होने के बारे में तो तुम जानते ही हो न। पुराने समय में दूत का काम हमेशा ही सबसे सुरक्षित काम नहीं था, हालाँकि ऐसा होना चाहिये था पर ऐसा था नहीं। लोग हर समय ही यह नहीं कहते थे कि “यह दूत है इसे मत मारो।” सो कई बार दूत मारे भी जाते थे।

हालाँकि हमें मालूम है कि वे बेचारे तो अपना काम कर रहे हैं पर फिर भी ऐसा होता था, और फिर ऐसा ही हुआ। सरदार अगुआरा ने सरदार जुरूमी के दूत को मार दिया।

अब कोई शान्ति नहीं थी, अब कोई एक साथ मिल कर रहने की बात नहीं थी और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि अब कोई शादी नहीं थी।

एक मरे हुए दूत ने सरदार अगुआरा के विचारों को बिना किसी शक के बता दिया था कि वह अपनी बेटी की शादी कैवूरी से नहीं करना चाहता था। बस सब कुछ खत्म।

गुआरानी देश में कुछ भी अच्छा नहीं था। कोई भी देख सकता था कि विरोधी घटनाएँ किस तरह एक के ऊपर एक जमा होती जा रही थीं।

दो सरदार थे जो अपने घमंड में चूर थे। दो जादू टोना करने वाले थे जिन्होंने उदासी, मौत और बर्बादी का ऐलान कर रखा था। दो प्यार करने वाले थे जिनके सितारे खराब थे। और इन सबके ऊपर था वह मरा हुआ दूत।

सो सब कुछ बहुत ही खराब था। और यह तो तुम्हें याद ही होगा कि उन जादू टोना करने वालों ने उदासी, मौत और बर्बादी बता रखी थी।

दूत को मारने के बाद सरदार अगुआरा ने अपनी बेटी को एक पहरे वाले घर में रख दिया। उसका तो अपनी बेटी से कोई बात करने का भी मूड नहीं था। और कुछ ऐसा भी नहीं लगता था कि किसी और को भी उससे बात करने का कोई मौका मिल सकता था।

येती बहुत रोयी, बहुत चिल्लायी, दरवाजे में बहुत घूँसे मारे पर किसी से कुछ काम नहीं चला। अगर पहरेदारों ने कुछ सुना भी तो वे कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि उनके किसी भी काम से उनका सरदार नाराज हो सकता था और वे उसको नाराज नहीं कर सकते थे।

येती जमीन पर गिर पड़ी और टूपा को याद करने लगी कि वही उसको कोई रास्ता दिखाये। टूपा ने तो कुछ भी नहीं कहा पर येती को अपने नीचे जमीन कुछ काँपती सी लगी।

इस बीच वहाँ से कुछ दूर एक गाँव में सरदार जुरूमी कुछ औैैर ही सोच रहा था। जिन दूतों के शरीर के हिस्से काट दिये गये थे उनको देख कर वह खुश नहीं था क्योंकि इससे लड़ाई होने की उम्मीद ज़्यादा थी और लड़ाई के लिये तो बहुत तैयारी करनी पड़ती है।

खुशकिस्मती से अगर कोई सरदार हो तो उसको काम तो बहुत ही कम करना पड़ता है क्योंकि काम करने के लिये और बहुत सारे लोग होते हैं पर फिर भी देखना तो पड़ता ही है।

स्त्रियाँ रात को आग जलाती हैं। छोटी लड़कियाँ तीरों को जहर में बुझाती हैं। आदमी लोग अपने चाकुओं, कुल्हाड़ियों और भालों पर धार रख कर उनको तेज़ करते हैं।

छोटे लड़के अपने चेहरे लड़ाई के रंग से रँगते हैं और हमेशा ऐसे दिखायी देते हैं जैसे बहुत काम कर रहे हों ताकि वे कहीं लड़ाई वाली किसी मुश्किल में न पड़ जायें।

दोनों तरफ लड़ाई की तैयारियाँ होने लगीं तो आसमान भी काला पड़ने लगा। उन दोनों जादू टोना करने वालों में से एक जादू टोना करने वाले ने धीरे से कहा — “टूपा को अपने आदमियों की लड़ाई अच्छी नहीं लगती।” पर यह बात उसने ज़ोर से नहीं कही। वह यह बात ज़ोर से कह ही नहीं सकता था क्योंकि जब तुमने एक बार उदासी, मौत और बर्बादी का ऐलान कर दिया तो सचमुच की उदासी, मौत और बर्बादी आने पर तुम अपनी वह बात नहीं बदल सकते। उसके लिये बहत देर हो चुकी होती है। अब तो आग जलाने का, तीरों को जहरीला बनाने का, हथियारों को तेज़ करने का समय था। बस सब जगह मारो मारो मारो की ही आवाज सुनायी पड़ेगी।

जब दोनों तरफ के लोग लड़ाई के लिये इकठ्ठा हो गये तब सब को यही लग रहा था कि बस अब दिन अच्छे नहीं हैं। शायद उनको इस बारे में दोबारा सोचना चाहिये। पर नहीं, उन्होंने भी यह नहीं सोचा।

जब तुम्हारे पैरों के नीचे से जमीन खिसकने लगे तो अक्लमन्दी इसी में है कि अपनी हिफाजत के लिये भाग लो। पर यहाँ यह भी नहीं हुआ।

आसमान जो थोड़ा गहरे रंग का हो गया था अब काला होने लगा मानो गुस्से से भरी भीड़ से भी आगे निकल जाना चाहता हो। बादल गरजने लगे, बिजली कड़कने लगी पर किसी ने उसकी तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया।

उन लोगों का दिमाग बदलने के लिये टूपा के हाथ में जो कुछ भी था उसने करने की कोशिश की पर वह उनका दिमाग नहीं बदल सका।

सब दिशाओं में तीर चलने लगे। जहरीले तीरों का जो काम था वह उन्होंने बहुत अच्छी तरह से किया। लोग उनसे मरने लगे। भाले इधर उधर चलने लगे और कुल्हाड़ियाँ लोगों को काटने लगीं।

कैवूरी अपने लोगों को सँभाले हुए था। वह इधर उधर लोगों को मार रहा था। उसके केवल तीन काम थे – अपने पिता के दूत की मौत का बदला लेना, अपने प्यार को पाना और ससुर जी के आगे आने वाली समस्याओं को रोकना।

इधर येती अपने उस पहरे वाले घर में बिल्कुल भी खुश नहीं थी। सो जैसे बहुत समय से कहानियों में और लड़कियाँ करती रही हैं वह अपनी पिछली खिड़की से अपना प्यार ढूँढने निकल पड़ी। पर उसकी बदकिस्मती से उसका प्यार तो लड़ाई के मैदान में था जिसके चारों तरफ खून ही खून था, मौत ही मौत थी, बर्बादी ही बर्बादी थी। फिर भी येती अपने प्यार में अन्धी हो कर लड़ाई के मैदान की तरफ चल दी।

अब तुम सोच सकते हो कि उसका पिता उसकी इस बात से कितना खुश हुआ होगा।

येती लड़ाई के मैदान में जा कर एक बड़े से पत्थर पर बैठ गयी। वहाँ से उसको लड़ाई के मैदान का सब कुछ साफ साफ दिखायी दे रहा था पर कोई भी सुन्दर लड़की उस सबको नहीं देख सकती थी – चारों तरफ तीर, भाले, कुल्हाड़ी, कटे सिर, खून आदि फैले पड़े थे।

जहर अपना काम बड़े अच्छे से कर रहा था। जहर भरे तीरों से चारों तरफ लोग मर मर कर गिर रहे थे। उस सबको देख कर येती की आँखों में आँसू आ गये। ऐसा लगता है कि आँसू बहा कर शायद उसने कुछ अच्छा ही किया।

जब येती के आँसू नीचे गिर रहे थे तो टूपा ने उसके उन आँसुओं का एक नाला बना दिया। वह जितना ज़्यादा रो रही थी वह नाला उतना ही बड़ा होता जा रहा था।

येती के पास तो रोने के लिये बहुत चीजें, थीं, जैसे उसके दाँये हाथ को बहादुर और साहसी कैवूरी था। तभी उसने देखा कि कैवूरी के हाथ में कुल्हाड़ी थी और वह उसके पिता की तरफ बढ़ा चला जा रहा था। कैवूरी कुल्हाड़ी चलाने में बहुत अच्छा था।

अपने ससुर के मामले को निबटा कर वह अपने प्यार की तरफ बढ़ा।

अब यह तो मुझे पता नहीं कि क्या कैवूरी को यह उम्मीद थी कि जिसने अभी अभी उसके पिता का खून किया है उसको देख कर उसका प्यार अभी भी अपने होश में होगा या नहीं पर उसके पास यह सब देखने का मौका ही नहीं था। वह तो अपने प्यार के पीछे पागल था।

सरदार तो शायद मर गया था पर फिर भी अभी और बहुत सारे तीर चलाने वाले मौजूद थे। उन्होंने बहुत सारे तीर चला दिये और वे सब निशाने पर लगे।

येती और ज़ोर से रो पड़ी।

इस तरह हमको पता है कि कम से कम एक जादू टोना करने वाला तो सही था। हर जगह उदासी, मौत और बर्बादी ही दिखायी दे रही थी।

दुखी दिल से सरदार जुरूमी ने अपने बेटे के टूटे हुए शरीर को उठाया और उसको येती के पैरों के पास रख दिया। येती उससे लिपटती हुई उसके ऊपर गिर पड़ी और और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।

अब तुम सोच सकते हो कि इससे ज़्यादा बुरा और क्या होगा। पर तुमको दूसरे जादू टोना करने वाले की बात भी याद है न? येती मर गयी। क्या? तुमको और ज़्यादा विस्तार से जानना है? तो सुनो। सरदार जुरूमी कभी भी एक अच्छा ससुर नहीं बना। जब येती अपने कैवूरी के शरीर के ऊपर बेहोश हो गयी तो उस कमीने सरदार जुरूमी ने एक चाकू निकाला और .. ,। बस इतना ही कहना काफी है।

धरती काँप उठी और सबको बहरा करने वाली बिजली की कड़क पूरे जंगल में गूँज गयी। पत्थर के बड़े बड़े टुकड़े टूट गये। बड़े बड़े पेड़ उखड़ कर गिर पड़े। कोई चीज़ ज़ोर से जमीन से टकरायी और धरती हिल गयी।

इस सबसे यह साफ जाहिर होता था कि टूपा के लिये यह सब काफी था। तभी धरती फटी और उसमें एक बहुत बड़ी दरार पैदा हुई और वहाँ जो कुछ भी था वह दरार उस सबको निगल गयी। इनमें वे दोनों जादू टोना जानने वाले भी थे जिन्होंने यह सब बताया था।

येती के बारे में तो तुमको मालूम ही है कि उसका क्या हुआ। उसके आँसुओं से बना वह नाला उस दरार के ऊपर से बह कर नीचे गिर गया जिससे वहाँ एक बहुत सुन्दर झरना बन गया।

टूपा ने उस झरने को एक बहुत ही ताकतवर प्यार के टोटके का आशीर्वाद दिया। उस दिन से बहुत सारी स्त्रियाँ उस झरने का पानी पीने वहाँ जाती है और जो स्त्रियाँ उस पानी को पीती हैं उनका विश्वास है कि उस पानी को पीने से उनको उनका प्यार मिल जाता है और फिर वह उनके पास ही रहता है।

तुम सोच सकते हो कि बस अब तो कहानी खत्म हो गयी पर इस कहानी के साथ ऐसा नहीं है यह तो अभी और भी है। क्योंकि टूपा ने ऐसा नहीं किया कि “इसके बाद वे खुशी खुशी रहे।”

नहीं, यह कहानी ऐसे खत्म नहीं होती। क्या तुम्हें मालूम है कि उन आदमियों का क्या हुआ जो जब धरती फट गयी तो उससे बनी उस गहरी खाई में गिर पड़े थे? वे मरे नहीं थे।

उनको उस खाई में बहुत बहुत बहुत समय तक वहीं घूमते रहने की बद्दुआ मिली थी – लड़ते हुए, घाव खाते हुए, इधर से उधर घूमते हुए और दुख सहते हुए। मुझे लगता है कि उन दोनों जादू टोना जानने वालों की भी शायद यही हालत हुई होगी।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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