माफ़ूमीरा की कहानी : ब्राज़ील की लोक-कथा
The Legend of Mafumeira : Lok-Katha (Brazil)
जंगल में बहुत अन्दर जा कर एक प्रकार का सबसे लम्बा पेड़ था। उसकी पत्तियों भरी मोटी बड़ी लम्बी शाखाएँ आसमान तक जाती थीं और लोगों को आक्सीजन देती थीं। उसका तना बहुत ही चौड़ा था और ऐसे बहुत सारे बड़े बड़े पेड़ उस जंगल में सैंकड़ों सालों से खड़े थे। ये ताकतवर पेड़ वहाँ माफ़ूमीरा कहलाते थे। ऐसी बहुत सारी कहानियाँ हैं जो यह बताती हैं कि इन पेड़ों की आत्मा होती है जो जंगल की रक्षा करती है। ऐसी ही एक कहानी एक अडाओ नाम के आदमी ने सुनायी।
बहुत समय पहले अडाओ और उसके दो दोस्तों ने यह तय किया कि वे अपनी कमाई जंगल के पेड़ काट कर और उसकी लकड़ी को वहीं के किसानों और मकान बनाने वालों को बेच कर के करेंगे।
सो तीनों दोस्त जंगल गये और वहाँ जा कर उन्होंने अपने रहने के लिये एक केबिन बनाया और एक सुबह अपना पहला पेड़ काटने पहुँचे।
एक पेड़ से उन तीनों दोस्तों को इतनी सारी लकड़ी मिल जाती थी जिसको बेचने से वे एक महीने के रहने का ईमानदारी का पैसा कमा लेते। किसान भी खुश थे और मकान बनाने वाले भी। वे एक पेड़ काटते थे और दो पेड़ लगाते थे जिससे वे आगे चल कर बहुत बड़े बड़े माफ़ूमीरा पेड़ बन जायें।
अडाओ जब भी कोई पेड़ लगाता तभी यह कहता — “इस तरह से हम जंगल को खुश और तन्दुरुस्त रख पा रहे हैं। अगर हम जंगल की देखभाल करेंगे तो जंगल भी हमारी देखभाल करेगा।”
इस तरह से अडाओ और उसके दोनों दोस्त जंगल में खुशी खुशी रह रहे थे। उनको अपना सादा सा केबिन और अपने मजदूर दोनों बहुत अच्छे लगते थे।
वे हमेशा एक महीने में केवल एक ही माफ़ूमीरा का पेड़ काटते थे और जंगल की इज़्ज़त करने के लिये दो पेड़ लगा देते थे। पर अडाओ को पता ही नहीं चला कि कब वहाँ की चीज़ें बदलने लगीं। अडाओ के दोस्तों ने पेड़ों की तरफ किसी दूसरी ही नजर से देखना शुरू कर दिया।
एक ने पूछा — “हम एक महीने में केवल एक ही पेड़ क्यों काटते हैं जबकि हम कई पेड़ काट सकते हैं।”
दूसरा बोला — “अगर हम एक से ज़्यादा पेड़ काटें तो हम काफी पैसा कमा सकते हैं।”
अडाओ को अपने दोस्तों के मुँह से यह सुन कर बहुत दुख होता था क्योंकि वह जंगल की बहुत इज़्ज़त करता था अपनी जरूरत से ज़्यादा पेड़ नहीं काटना चाहता था। पर उसके दोस्त सुन ही नहीं रहे थे।
सो उन्होंने अपनी अपनी बचत इकठ्ठी की और उससे एक बड़ा ट्रैक्टर और कुछ और लकड़ी काटने वाले औजार खरीद लिये। अपने नये औजार ले कर वे जंगल की तरफ चले और वहाँ जा कर एक पेड़ के बाद दूसरा पेड़ काटना शुरू कर दिया।
बड़े बड़े ताकतवर पेड़ एक के बाद एक नीचे गिरने शुरू हो गये। सारा जंगल माफ़ूमीरा के पेड़ों के नीचे गिरने की आवाज से भर गया और उसके साथ भर गया अडाओ का दिल दुख से। जब उससे नहीं रहा गया तो उसने कहा — “दोस्तों यह सब तुम लोग क्या कर रहे हो। हमको इस तरह से जंगल की बेइज़्ज़ती नहीं करनी चाहिये।”
पर उसके वे दोनों दोस्त तो सुन ही नहीं रहे थे। बल्कि उन्होंने उन पेड़ों को काट कर और उनके तख्ते बना बना कर एक के बाद एक अपने ट्रैक्टर में भर लिये। वे इस समय केवल पैसे के बारे में ही सोच रहे थे उनको जंगल की बिल्कुल चिन्ता नहीं थी।
अडाओ के दोनों दोस्त पेड़ काटने में इतने होशियार हो गये थे कि अब वे पेड़ इतनी जल्दी जल्दी काट रहे थे कि अडाओ अब समय से उनकी जगह दूसरे नये पेड़ भी नहीं लगा पा रहा था। उसको मालूम था कि उसके दोस्त गलत काम कर रहे थे पर वह उनको रोक भी नहीं पा रहा था क्योंकि लालच ने उनकी आँखों पर पट्टी बाँध रखी थी।
उसको लग रहा था कि जंगल को नष्ट होने से बचाने की बस केवल उसी की इच्छा थी उसके दोस्तों की नहीं। और इस सबसे उसका दिल बहुत दुखी था।
पर वह अकेला नहीं था। माफ़ूमीरा की आत्मा यह सब देख रही थी और सुन रही थी। और वह आत्मा इस बात से बहुत नाराज थी कि पेड़ इस बेइज़्ज़ती के साथ काटे जा रहे थे।
उस रात जब अडाओ अपने केबिन में अपने पलंग पर लेटा हुआ था उसने जंगल में उन ताकतवर पेड़ों के हिलने डुलने की आवाज सुनी। और साथ में उसको यह भी यकीन था कि उसको वहाँ किसी के होने का भी एहसास हुआ जैसे उसके चारों तरफ कोई हो। उस रात हवा में उसको फुसफुसाते हुए शब्द सुनायी पड़े।
“तुम जंगल के साथ इस तरीके का व्यवहार नहीं कर सकते। तुमको इसकी सजा जरूर मिलेगी। मैं माफ़ूमीरा की आत्मा हूँ और मैं यहाँ यहाँ के पेड़ों और जानवरों की रक्षा के लिये हूँ।”
अगले दिन वैसा नहीं हो पाया जैसा प्लान किया गया था। अडाओ के दोनों दोस्त अगली सुबह पेट के दर्द के साथ उठे और उसमें उनको कोई भी दवा फायदा नहीं कर रही थी।
इतनी तकलीफ होने के बावजूद लालच उनको उनके पलंग से खींच कर उठा कर ले गया। उन्होंने लकड़ी काटने के औजार उठाये और उस दिन के काम की तैयारी की। पर जब वे ट्रैक्टर चलाने बैठे तो ट्रैक्टर ही नहीं चला।
एक बोला — “मुझे ट्रैक्टर की चिन्ता नहीं है। न चलता है तो न चले। मैं फिर भी पेड़ काटने जाऊँगा।”
दूसरा बोला — “मुझे भी अपने पेट के दर्द की चिन्ता नहीं है।” उसने अपनी कुल्हाड़ी उठायी और अपने पास वाला माफ़ूमीरा का पेड़ काटने चल दिया।
बेचारे अडाओ ने उन दोनों से बहुत प्रार्थना की कि वे जो करने जा रहे हैं वह न करें बल्कि अपना सारा दिन जंगल में पौधे लगाने में लगायें पर दोनों में से कोई नहीं सुन रहा था।
सो वे पेड़ काटने चल दिये। जैसे ही उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी उठायी जंगल में बहुत तेज़ हवा चली। उस हवा से माफ़ूमीरा के पेड़ हिलने लगे चटकने लगे और जैसे कराहने लगे। बहुत जल्दी ही बारिश पड़ने लगी।
हवा और बारिश ने उनका सारा केबिन तोड़ फोड़ दिया ट्रैक्टर उलटा कर दिया। एक दोस्त के हाथ से उसकी कुल्हाड़ी गिर गयी जिससे उसकी टाँग बुरी तरह से जख्मी हो गयी।
हवा तेज़ और और तेज़ होती गयी। जिससे उनके केबिन का कुछ भी नहीं बचा सिवाय कुछ टूटे फूटे तख्तों के। उनका ट्रैक्टर भी बह गया क्योंकि पास की एक नदी में बाढ़ आ गयी थी।
अब कहीं जा कर अडाओ के दोस्तों को कुछ होश आया और वे डर गये। वे चिल्लाये “अब हमको यहाँ से भागना चाहिये। इस जंगल ने तो हमारे सारे औजार बर्बाद कर दिये। अब तो हमारे पास कुछ भी नहीं रह गया है। अब हम क्या करेंगे।”
अडाओ के दोनों दोस्त वहाँ से जितनी तेज़ भाग सकते थे भाग लिये और फिर कभी वापस नहीं लौटे।
अपनी ज़िन्दगी की चिन्ता करते हुए भी अडाओ वहीं रुका रहा जहाँ था। हवाएँ उसको धक्का देती रहीं बारिश उसके ऊपर पड़ती रही उसके कपड़े भिगोती रही जब तक कि उसको ठंड नहीं लगी। वह ज़ोर से चिल्ला कर बोला — “मैं यह जंगल छोड़ कर नहीं जाऊँगा। मैं यहीं ठहरूँगा और जंगल में उन पेड़ों के बदले में नये पेड़ लगाऊँगा जिनको मेरे दोनों लालची दोस्तों ने काट दिये हैं। मैं यह काम मरते दम तक करूँगा और मेरा दिमाग कोई नहीं बदल सकता।”
उसके ऐसा कहते ही हवाएँ रुक गयीं और बारिश भी अचानक रुक गयी। बादल छँट गये और धूप निकल आयी। धूप ने जंगल की सारी जमीन सुखा दी।
अडाओ बहुत कृतज्ञ था कि तूफान थम गया था और जैसे ही वह अपने आपमें लौटा और अपने कपड़े सुखाये वह जमीन में नये पेड़ लगाने चला गया।
वह सारा दिन गाते गाते मेहनत से काम करता रहा। उसने बहुत सारे पेड़ लगाये और हर बार जब भी वह नया पेड़ लगाता था तो बस वह यही प्रार्थना करता था कि उसका लगाया वह पेड़ कल को एक बड़े मजबूत माफ़ूमीरा के पेड़ में बड़ा हो जाये।
सारा दिन और सारी रात अडाओ जंगल में नये पेड़ लगाने का काम करता रहा जब तक कि वह बिल्कुल थक नहीं गया और उसे भूख नहीं लग आयी। वह थोड़ा डर भी गया क्योंकि वह थक कर बिल्कुल चूर हो चुका था। अब उसे खाने और सोने की जरूरत थी।
खाने और घर की चिन्ता में उसे याद आया कि उसका तो केबिन भी तूफान में बिल्कुल टूट फूट चुका था। वह उस साफ जगह से अपने केबिन की जगह लौटा तो यह देख कर दंग रह गया कि उसका केबिन तो बिल्कुल साबुत का साबुत खड़ा था जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो।
एक छोटी सी आग अँगीठी में जल रही थी और मेज पर खाना रखा था।
जब अडाओ ने अपना केबिन ऐसा देखा तब उसको पता चला कि वह तूफान माफ़ूमीरा की आत्मा का पैदा किया हुआ था। वह दयालु आदमी खाना खाने बैठ गया। यह सब देख कर उसकी आँखों में आँसू आ गये। उन आँसू भरी आँखों से वह आग की तरफ देखता रहा।
उसने कसम खायी कि जब तक वह ज़िन्दा है तब तक वह उस जंगल में नये पेड़ लगाता ही रहेगा। इसके अलावा वह हर महीने केवल एक ही पेड़ काटेगा क्योंकि उसको बस इतना ही चाहिये था। और यही उसने किया भी।
लोगों का कहना है कि अडाओ सौ साल तक जिया और उसी जंगल में अपनी आखिरी साँस ली। लोगों का यह भी कहना है कि उसकी आत्मा माफ़ूमीरा की आत्मा में जा कर मिल गयी जैसे और लोगों की मिलती है जो जंगल में मरते हैं।
ये आत्माएँ जंगल की उन लोगों से रक्षा करती हैं जो जंगल के पेड़ों और जानवरों की बेइज़्ज़ती करते हैं। यही माफ़ूमीरा की कहानी है और इसी लिये जंगलों की इज़्ज़त करनी चाहिये और उन्हें सुरक्षित रखना चाहिये।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)