जादू का थैला, टोपी और बिगुल : परी कहानी

The Knapsack, the Hat, and the Horn : Fairy Tale

एक समय की बात है। एक गाँव में तीन भाई रहते थे। वे बहुत ही गरीब थे। एक बार उस गाँव में ऐसा अकाल पड़ा कि लोगों को भूखों मरना पड़ा। उन भाइयों की हालत तो पहले से ही खराब थी, अकाल के बाद तो और भी बुरी हो गई। बिना अन्न के जिंदा रहना मुश्किल हो गया, तो अंत में तीनों भाइयों ने निर्णय लिया कि अपना गाँव छोड़कर काम की तलाश में बाहर जाएँ और कुछ पैसा कमाकर ही वापस अपने गाँव आएँ। शायद बाहर निकलने पर भाग्य साथ दे दे।

तीनों भाई एक साथ अपना-अपना भाग्य आजमाने निकल पड़े। दिन भर चलते रहे, पर न ही उन्हें कोई काम मिला और न ही उनके भाग्य का सितारा चमका। उस रात उन तीनों को एक पेड़ के नीचे भूखे ही सोना पड़ा। अगले दिन तड़के ही उठकर वे काम की तलाश में निकल पड़े। जब वे एक पहाड़ी से गुजर रहे थे, उन्हें सूरज की रोशनी में वह पहाड़ी चमकती हुई नजर आई। तीनों भाई जब उस पहाड़ी के नजदीक पहुँचे तो उन्होंने देखा कि वह पहाड़ी तो चाँदी की है। उनमें से सबसे बड़ा भाई बोला, 'मुझे अपनी चाहत की चीज मिल गई। मैं इसमें से खूब सारी चाँदी अपनी चादर में बाँधकर वापस आने गाँव जाकर चैन की जिंदगी बिताऊँगा। शहर में जाकर अपनी जिंदगी बरबाद करने से क्या फायदा।' इतना कहकर उसने अपनी चादर खोली और जितनी चाँदी कह ले जा सकता था, उतनी चादर में भरकर वापस अपने गाँव जाने के लिए तैयार हो गया, पर बाकी दोनों छोटे भाइयों ने वापस जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे अपने बड़े भाई से बेहतर पाना चाहते थे। सो उन्होंने उस चाँदी में से कुछ नहीं लिया और शहर जाने के लिए आगे बढ़ गए। दोनों भाई पानी पीकर जी रहे थे, क्योंकि खानेवाली कोई चीज खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। इसी तरह वे दो दिन और अपने भाग्य की तलाश में चलते रहे। दो दिन बाद जब वे एक जंगल से गुजर रहे थे तो उन्हें कुछ चमकती हुई चीज नजर आई। जब उस चमकती चीज के पास जाकर दोनों ने देखा तो पाया कि वह सोने की पहाड़ी है। दूसरा भाई उस सोने की पहाड़ी के सामने खड़ा हो गया और अपने छोटे भाई से बोला, 'मुझे जिस चीज की इच्छा थी, वह मुझे मिल गई। अब मुझे कहीं और नहीं जाना है। मैं इसी में से कुछ सोना लेकर अपने गाँव वापस चला जाऊँगा और गाँव में ही एक सुनार की दुकान खोलकर आराम और शांति की जिंदगी बिताऊँगा।' इतना कहकर उसने भी अपनी फटी हुई चादर जमीन पर बिछाई और उसमें जितना सोना आया, उतना उठाकर अपने गाँव की ओर चल दिया।

सबसे छोटा भाई बोला, 'चाँदी और सोना, इन दोनों में से मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं अभी और अपने भाग्य को आजमाना चाहता हूँ। शायद मुझे तुम दोनों से कुछ और बेहतर मिल जाए।' इतना कहकर उसने अपने बड़े भाई से विदा ली और शहर की ओर चल पड़ा। चलते-चलते उसे तीन दिन बीत गए, तो वह एक घने जंगल में पहुँचा। जंगल इतना बड़ा और घना था कि उसे बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं मिल रहा था। वह भूखा-प्यासा उसी जंगल में भटकने लगा। उसने एक ऊँचे से पेड़ पर चढ़कर देखना चाहा कि इस जंगल से बाहर जाने का रास्ता कहाँ से है, पर उसे पेड़ों की ऊँची-ऊँची चोटियों के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। भूख के कारण उसका बुरा हाल हो रहा था। पेड़ से नीचे उतरते हुए वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि काश, यहाँ कुछ खाने को मिल जाता। बिना कुछ खाए-पिए तो वह मर ही जाएगा।

उसी समय उसे एक पेड़ के नीचे एक मैले से कपड़े पर कुछ खाने का सामान रखा हुआ दिखाई दिया। पहले तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, पर जब उसने नजदीक जाकर देखा तो सचमुच ही खाने का सामान था। इस जंगल में खाने का इतना अच्छा सामान देखकर वह हैरान रह गया। वह इस खाने को भगवान् की दया समझकर उसपर टूट पड़ा और थोड़ी ही देर में सबकुछ चट कर गया। भूख से इतना परेशान था कि उसने यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह किसका खाना है और यहाँ पर कैसे आया। खाना खत्म करने पर उसने वह गंदा सा कपड़ा भी उठाकर अपनी जेब में रख लिया और आगे चल दिया। चलते-चलते रात होने लगी। अब उसे फिर भूख सताने लगी। उसने सोचा, क्यों न इस कपड़े को बिछाकर ईश्वर से प्रार्थना करूँ। उसने कपड़ा बिछाया और आँखें मीचकर प्रार्थना करने लगा। थोड़ी देर बाद जब उसने आँखें खोली तो उस कपड़े पर तरह-तरह का खाने का सामान रखा हुआ था। उसे विश्वास हो गया कि उसकी मेहनत बेकार नहीं गई। उसे अपने दोनों भाइयों से अच्छी चीज हाथ लगी है। अगर वह और मेहनत करे तो इससे भी अच्छा कुछ और मिल सकता है। यह गंदा कपड़ा कोई मामूली चीज नहीं था। वह एक जादू का कपड़ा था, पर वह इससे संतुष्ट नहीं हुआ और इससे भी अधिक पाने की लालसा से आगे चल दिया। और भी अच्छे भाग्य की खोज में वह एक जगह से दूसरी जगह घूमता रहा। घूमते-घूमते वह एक और जंगल में जा पहुँचा। वहाँ उसने लकड़ी से कोयला बनानेवाले आदमी को देखा, जो खाने के लिए उन्हीं जलती हुई लकड़ियों पर लोहे के काले बरतन में बिना छिले आलू उबाल रहा था। वह उस आदमी को देखकर बोला, 'तुम्हें इस अकेली जगह में रहना बुरा नहीं लगता? रोज-रोज उबले नमकीन आलू खाने से तुम्हारा मन नहीं भरता?'
कोयला बनानेवाला बोला, 'हमारे लिए तो सब दिन एक से हैं।'
लड़के ने पूछा, 'आज तुम मेरे अतिथि हो, क्या तुम मेरे साथ शाम को भोजन करना पसंद करोगे?'

वह आदमी बोला, 'बहुत-बहुत धन्यवाद, पर मैं तुम्हारे खाने में से कुछ लेना नहीं चाहता, क्योंकि वह तो तुम्हारे लिए है। अगर मैंने भी खाया तो तुम्हारे लिए कम पड़ जाएगा।'

लड़का बोला, 'घबराओ नहीं, मेरे पास बहुत कुछ है। मैं खाने के लिए तुम्हें आमंत्रित कर रहा हूँ।' इतना कहकर लड़के ने अपनी जेब से मैला कपड़ा निकालकर जमीन पर बिछाया और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगा। देखते-ही-देखते उस कपड़े पर अच्छे-अच्छे व्यंजनों के ढेर लग गए। बेचारा कोयला बनानेवाला आँखें फाड़े सबकुछ देखता रह गया। उस मजदूर को जिंदगी में पहली बार इतना स्वादिष्ट खाना खाने को मिला था।

मजदूर ने लड़के से कहा, 'अगर तुम मुझे अपना कपड़ा दे दो, जो मुझे इस जंगल में भी इतना अच्छा खाना खिला सके, तो मैं तुम्हें एक जादू का थैला दूंगा। यह थैला मैला और फटा हुआ जरूर है, पर इसमें बहुत बड़ी शक्ति छुपी है। तुम मुसीबत के समय जितनी बार इस थैले को थपथपाओगे, उतनी बार छह शक्तिशाली आदमी तुम्हारे सामने आकर खड़े हो जाएंगे। तुम उन्हें जो भी आज्ञा दोगे, वे सबकी सब पूरी करेंगे।'

लड़का उसे अपना कपड़ा देने के लिए राजी हो गया। उसने अपना कपड़ा उसके हाथ पर रखा और उससे उसका जादू का थैला लेकर आगे चल दिया। कुछ दूर जाने पर वह इस जादू वाले थैले की सच्चाई परखना चाहता था। उसने थैले को थपथपाया तो उसके सामने छह सिपाही आकर खड़े हो गए और उससे पूछने लगे, 'हमें क्या आज्ञा है, मालिक?' वह लड़का बोला, 'उस कोयला बनानेवाले मजदूर से मेरा जादू का कपड़ा वापस लाओ।' इतना सुनते ही वह छहों सिपाही उसका जादू का कपड़ा वापस लेकर आ गए। जादू का कपड़ा और जादू का थैला लेकर वह फिर और कुछ अच्छा पाने की इच्छा से आगे चल दिया। उसे पूरा विश्वास था कि अपनी मेहनत और बुद्धि से वह इससे भी बेहतर पा सकता है। सूरज डूबने से पहले वह एक दूसरे कोयला बनानेवाले के पास पहुँचा। वह मजदूर भी जलती हुई लकड़ियों पर लोहे के बरतन में कुछ आलू अपने रात के भोजन के लिए उबाल रहा था। उसके पास पहुँचकर लड़के ने पूछा, 'क्या तुम मेरे साथ भोजन करोगे?'
लड़के के पास खाने का कुछ भी सामान न देखकर मजदूर ने पूछा, 'तुम मुझे कहाँ से खिलाओगे? तुम्हारे पास तो कुछ भी नहीं है।'

लड़के ने झट से अपनी जेब से मैला सा कपड़ा निकाला और उसे जमीन पर बिछाकर प्रार्थना करने लगा। देखते-ही-देखते उसके कपड़े पर खाने की बहुत सी चीजों के ढेर लग गए। बेचारा कोयला बनानेवाला मजदूर यह सब देखकर बहुत हैरान हुआ। खाने की इतनी अच्छी-अच्छी चीजें देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। जैसे ही उस लड़के ने उसे अपने साथ खाने पर बुलाया, वह खाने पर टूट पड़ा। उसने पहली बार पेट भरकर भोजन किया था। खाना खाने के बाद वह मजदूर लड़के से बोला, 'मेरे पास एक पुरानी टोपी है। इस टोपी में एक बहुत खास बात यह है कि अगर इस टोपी को सिर पर पहनकर थोड़ा सा घुमाओ तो इससे बारह सिपाही निकलते हैं, जो चारों ओर से गोलियों की बौछार करते हैं और उन गोलियों के आगे कोई भी टिक नहीं सकता। अब मुझे इस टोपी की जरूरत नहीं है, क्योंकि मुझे गोलियों की नहीं, खाने की जरूरत है। मैं तुम्हें यह टोपी दे सकता हूँ, अगर तुम अपना यह कपड़ा मुझे दे दो, क्योंकि इस जंगल में मेरे लिए अच्छा खाना कभी नहीं बन सकता।'

लड़के ने बिना किसी विरोध के उस मजदूर की बात मान ली। उसकी टोपी लेकर अपना कपड़ा उस मजदूर को दे दिया और वहाँ से उठकर चल दिया। थोड़ी दूर पहुँचने के बाद उसने अपने पुराने थैले को थपथपाया, तो उसमें से छह सिपाही उसके सामने आकर खड़े हो गए। लड़के ने उन्हें आदेश दिया कि वे सब उस मजदूर से उसका कपड़ा वापस लेकर आएँ। छहों सिपाही कुछ ही मिनटों में उसका कपड़ा लेकर उसके सामने हाजिर हो गए। अपना जादुई कपड़ा लेकर वह लड़का अब आगे चल दिया। फिर पेड़ के नीचे उसने अपनी रात गुजारी और सुबह तड़के ही उठकर अपना भाग्य आजमाने चल दिया। कुछ ही दूर चलने पर उसे कोयला बनानेवाला तीसरा मजदूर मिला, जो उन्हीं पहलेवाले दो मजदूरों की तरह अपने लिए आलू उबाल रहा था। उस मजदूर ने लड़के को अपने साथ बिना मसालेवाले उबले हुए आलू खाने के लिए आमंत्रित किया, तो लड़के ने उसे धन्यवाद दिया और खुद उसे खाना खाने के लिए आमंत्रित किया। लड़के ने फिर अपना कपड़ा जमीन पर बिछाया और प्रार्थना करने लगा। थोड़ी देर में उस कपड़े पर खाने की बहुत सी चीजें आ गई। यह सब देखकर उस मजदूर को बहुत ही हैरानी हुई। मजदूर ने लड़के के साथ पेट भर भोजन किया और ऐसे बढ़िया तथा स्वादिष्ट भोजन के लिए लड़के को धन्यवाद दिया। जब वह लड़का खाना खाकर वहाँ से चलने लगा तो उस मजदूर ने लड़के से कहा, 'अगर तुम मुझे अपना मैला सा कपड़ा दे दो, तो मैं इसके बदले में तुम्हें अपना बिगुल दे सकता हूँ। इस बिगुल की खासियत यह है कि अगर तुम गुस्से से इस बिगुल को बजाओगे तो इसके बजने से महलों व घरों की दीवारें गिरने लगेंगी और जब तुम इसे बजाना बंद करोगे, तो दीवारें गिरनी भी बंद हो जाएँगी।'

लड़के ने बिना कुछ कहे अपना कपड़ा उस मजदूर को दे दिया और उससे उसका बिगुल ले लिया। थोड़ी दूर चलने के बाद उसने पहले की ही तरह अपने थैले को थपथपाया। छह सिपाही उसका कपड़ा लेकर वापस आ गए। अब लड़के ने सोचा कि अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से वह संसार का सबसे शक्तिशाली आदमी हो गया है। अब मुझे वापस अपने घर लौट जाना चाहिए। इसके अलावा वह यह भी जानने के लिए बेचैन था कि उसके दोनों बड़े भाई किस हाल में हैं।

कई दिनों तक यात्रा करने के बाद वह अपने गाँव पहुँचा। उसके दोनों बड़े भाइयों ने चाँदी और सोने की दुकानें खोल ली थीं और रहने के लिए सुंदर घर बना लिये थे। दोनों ही बड़े आराम की जिंदगी बिता रहे थे। जब वह अपने फटे-पुराने कपड़ों में अपने बड़े भाई के घर में घुसा तो उसके भाई ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। फिर दूसरे भाई ने भी उसके गंदे और पुराने कपड़ों को देखकर उसका मजाक उड़ाया और बोला, 'क्या तुम हमारे वही भाई हो जिसने सोने-चाँदी को देखकर नाक सिकोड़ी थी और हमसे अच्छे भाग्य की तलाश में हम दोनों को छोड़कर चला गया था? जो राजा बनने चला था और भिखारी बना हमारे सामने खड़ा है। इतना कहकर उसका हाथ पकड़कर उसे अपने घर से निकाल दिया।

उसे अपने दोनों भाइयों पर बहुत गुस्सा आया। उसने अपने कंधे से अपने पुराने थैले को उतारकर थपथपाया तो छह सिपाही उसके सामने आकर खड़े हो गए। लड़के ने आदेश दिया कि मेरे दोनों भाइयों की खूब पिटाई करो और उन्हें इतना मारो कि छठी का दूध याद आ जाए। सिपाहियों ने ऐसा ही किया। बेचारे दोनों भाइयों की मार-मारकर हालत खराब कर दी। वहाँ के लोगों ने जब उन दोनों की सहायता करने की कोशिश की तो सिपाहियों ने उनकी भी मुरम्मत कर दी। दोनों भाई सोने-चाँदी के प्रसिद्ध दुकानदार थे। अतः उन्होंने अपने भाई की शिकायत राजा के पास कर दी। राजा ने उस लड़के को पकड़ने के लिए एक सेनापति को अपने दल के साथ बाहर जाने का आदेश दिया, और कहा, "इस शांति को भंग करने वाले को शहर से बाहर निकाल दिया जाए !" परन्‍तु लड़के के सिपाहियों ने सेनापति और उसके सैनिकों को ऐसा खदेड़ा कि वे लहूलुहान होकर पीछे हटने को विवश हो गए।

राजा ने कहा, "यह आवारा लड़का अभी तक काबू में नहीं लाया गया है," और अगले दिन उसके खिलाफ एक और बड़ा दल भेजा, युवक ने उनके खिलाफ और भी अधिक पुरुषों को खड़ा कर दिया, और जल्दी से उसने अपनी टोपी अपने सिर पर दो बार घुमाई, और भारी बंदूकें बजने लगीं, और राजा के लोगों को पीटा गया और उन्हें भगा दिया गया। "और अब," उसने कहा, "मैं तब तक समझौता नहीं करूँगा जब तक राजा मुझे अपनी बेटी को पत्नी के रूप में नहीं देता, और मैं उसके नाम पर पूरे राज्य पर शासन करूंगा ।"

उसने राजा को इस बारे में बता दिया और राजा ने अपनी बेटी से कहा, "आवश्यकता पड़ने पर सब कुछ करना पड़ता है, - यदि मैं शान्ति चाहता हूं और अपने सिर पर मुकुट बचाए रखना चाहता हूं, तो मुझे तुम्हें उसको देना ही पड़ेगा ।

शादी का जश्न मनाया गया, लेकिन राजा की बेटी इस बात से नाराज थी कि उसका पति एक आम आदमी है, जिसने एक जर्जर टोपी पहनी राखी है, और एक पुराना थैला रख रखा है । वह उससे छुटकारा पाने के लिए कुछ करना चाहती थी, और रात-दिन सोचा करती थी कि वह इसे कैसे पूरा कर सकती है। फिर उसने मन ही मन सोचा, "क्या यह संभव है कि उसकी अद्भुत शक्तियाँ थैले में हों?" और जब लड़के का मन कोमल हो गया, तब उसने कहा, “तू उस कुरूप थैले को अलग रख दे, वह तुझे इतना विकृत कर देता है, कि मैं तुझ पर लज्जित होने से बच नहीं सकती।”

"प्रिय," उसने कहा, "यह थैला मेरा सबसे बड़ा खजाना है; जब तक मेरे पास है, तब तक पृथ्वी पर कोई शक्ति नहीं है जिससे मैं डरता हूँ।” और उसने उसे वह अद्भुत गुण प्रकट किया जिसके साथ वह संपन्न था। फिर उसने अपने आप को उसकी बाहों में फेंक दिया जैसे कि वह उसे चूमने जा रही थी, लेकिन उसने चतुराई से उसके कंधों से थैला निकाल लिया, और उसे लेकर भाग गई। जैसे ही वह अकेली थी, उसने उसे थपथपाया, और योद्धाओं को अपने पूर्व मालिक को पकड़ने और उसे शाही महल से बाहर निकालने का आदेश दिया। और उन्होंने उसकी बात मानी, और झूठी पत्नी ने उसके पीछे और भी पुरूष भेजे, जो उसे देश से बहुत दूर भगाने वाले थे। वह तबाह ही हो जाता अगर उसके पास छोटी टोपी नहीं होती। टोपी को दो बार घुमाने से पहले उसने अपने हाथ मुश्किल से आज़ाद किये । तुरंत तोप गरजने लगी, और सब कुछ नष्ट कर दिया, और राजा की बेटी खुद आकर दया की भीख माँगने के लिए मजबूर हो गई।

जैसे ही उसने इस तरह की तरसयोग विनती की, और अपने आप को सुधरने का वायदा किया, वह उसकी बात मान गया । उसने उसके साथ दोस्ताना व्यवहार किया, और ऐसा व्यवहार किया जैसे कि वह उससे बहुत प्यार करती है, और कुछ समय बाद उसे बेवकूफ बनाने में कामयाब रही, उसने उसे विश्वास दिलाया कि अगर किसी को भी उसकी शक्ति वाला थैला मिल जाए, तो वह भी कुछ नहीं कर सकता, जब तक पुरानी टोपी उसके पास है ।

जब वह भेद जान गई, तो उसके सो जाने तक प्रतीक्षा करती रही, और फिर उस ने टोपी उतारकर गली में फेंक दी। परन्तु वह बिगुल उसके पास था, और उसने बड़े क्रोध में अपनी सारी शक्ति से उसे फूंका। तुरन्त सब किले, दीवारें, नगर और गांव ढहने लगे, और राजा और उसकी बेटी कुचलकर मर गए । और यदि वह बिगुल थोड़ी देर और फूंकता, तो सब कुछ नाश हो जाता, और एक पत्थर भी दूसरे पर खड़ा न रहता। फिर किसी ने उसका विरोध नहीं किया, और उसने अपने आप को सारे देश का राजा बना लिया।

(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)