चिड़ियों का राजा : सुरीनाम की लोक-कथा

The King of the Birds : Lok-Katha (Suriname)

यह लोक कथा दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के सुरीनाम देश में कही सुनी जाती है। यह बहुत पहले की बात है कि एक बार बहुत सारी चिड़ियाँ एक बड़ी मीटिंग के लिये इकठ्ठा हुईं। उस मीटिंग में सब साइज़, शक्ल और रंग की चिड़ियें थीं – बहुत छोटी, बड़ी, बहुत बड़ी और बहुत बहुत बहुत बड़ी। काली, पीली, भूरी, कत्थई, सफेद आदि आदि रंगों की।

उनमें से कुछ चिड़ियें बीज खाती थीं, कुछ कीड़े मकोड़े खाती थीं, कुछ छोटे जानवर खाती थीं, कुछ मछली खाती थीं और कुछ दूसरी चिड़ियें ऐसी भी थीं जो कुछ दूसरी ही चीज़ें खाती थीं।

उनमें से कुछ गर्मी के मौसम की चिड़ियें थीं, कुछ ठंडे मौसम की चिड़ियें थी। कुछ ऐसी चिड़ियें थीं जो केवल एक जगह ही रहती थीं और कुछ ऐसी चिड़ियें थीं जो मौसम के साथ साथ कभी यहाँ और कभी वहाँ रहती थीं।

सारी चिड़ियों के पंख थे पर फिर भी कुछ आसमान में उड़ती थीं जबकि कुछ जमीन के पास रहना पसन्द करती थीं। आसमान में उड़ने वालों में भी कुछ चिड़ियें नीची उड़ती थीं और कुछ बहुत ऊँची। कुछ चिड़ियें दूर तक उड़ सकती थीं जबकि कुछ बहुत छोटी उड़ान भरती थीं।

आवाजों के मामले में कुछ चिड़ियें चिल्लाती थीं, कुछ चीं चीं करती थीं, कुछ गाती थीं और कुछ बहुत कठोर आवाज में बोलती थीं पर इस समय सब एक साथ बोल रही थीं।

वे सब बात करना चाह रही थीं और उनमें से कोई भी किसी की भी सुनने को तैयार नहीं था कि तभी “गरज” की एक आवाज सुनायी दी। शेर की गरज ने सबको चुप कर दिया था।

शेर सब जंगली जानवरों का राजा था और वह सब जानवरों पर राज करता था। पर उसको यह भी साफ साफ पता था कि वह आसमान पर किसी तरह भी राज नहीं कर सकता था क्योंकि वह उड़ नहीं सकता था। इसी लिये उसने आज चिड़ियों की यह मीटिंग बुलायी थी।

इस मीटिंग में वह चिड़ियों का राजा चुनना चाहता था। यह विचार ही उन चिड़ियों के लिये एक साथ बात करने का मौका बन गया था।

शेर चिड़ियों से बोला — “तुम लोगों को कोई तरीका निकालना चाहिये जिससे तुम लोग अपना राजा चुन सको।” फिर उसने सलाह दी — “शायद कोई मुकाबला कर के ....।”

नाइटिन्गेल चिड़िया बोली — “हाँ यह तो है। हम कोई मुकाबला रख सकते हैं जैसे कि सबसे अच्छा कौन गा सकता है। पर अगर पहले मैंने गाया तो सारी चिड़ियाँ मुझे ही अपना राजा बनाना चाहेंगी। इस तरह से यह मुकाबला ठीक नहीं रहेगा और मैं अपने सारे दोस्तों को खो दूँगी।”

बाज़ चुप बैठा रहा। वह भी चिड़ियों का राजा बनना चाहता था। वह जानता था कि अगर यह मुकाबला हुआ कि कौन सबसे ऊँचा उड़ सकता है। और सबसे ऊँचा उड़ने में तो वह यकीनन जीत ही जायेगा और राजा बन जायेगा।

पर यह सब उसने चिड़ियों से नहीं कहा क्योंकि वह भी अपने दोस्तों से बना कर रखना चाहता था।

पर उसने अपने पास बैठे एक बहुत छोटे से कुनीबर चिड़े से कहा — “भगवान ने हम सबको पंख दिये हैं। शायद हमारा राजा वह होना चाहिये जो सबसे ऊँचा उड़ सकता हो ताकि वह सबसे ऊँचा उड़ कर अपने पूरे राज्य को देख सके।”

यह सुन कर वह छोटा सा कुनीबर चिड़ा तुरन्त ही सब चिड़ियों के बीच में पहुँच गया और बोला — “मेरे साथी चिड़ो, भगवान ने हम सबको पंख दिये हैं। पर हमारा राजा वही होना चाहिये जो सबसे ऊँचा उड़ सके ताकि वह सबसे ऊँचा उड़ कर अपने पूरे राज्य की देखभाल कर सके।”

जो कुछ उसने सब चिड़ियों से कहा वह बाज़ को बहुत अच्छा लगा।

वे चिड़ियाँ भी जो उड़ना नहीं जानती थीं इस बात पर राजी हो गयीं कि उनका राजा ऐसा ही होना चाहिये जो इतना ऊँचा उड़ सके कि वह अपने सारे राज्य पर नजर रख सके।

और एक आवाज में बोलीं — “हाँ, हमारा राजा वही होना चाहिये जो सबसे ऊँचा उड़ सके।”

पर किसी ने कुनीबर को अपनी जगह छोड़ कर वहाँ से बाज़ जहाँ बैठा था वहाँ जाते नहीं देखा। और न ही किसी ने उसको बाज़ की पीठ पर चढ़ते देखा। पर वह तो बाज़ की पीठ पर चढ़ा बैठा था।

बाज़ यह सोच सोच कर बहुत खुश था कि अब वह राजा हो जायेगा और इस खुशी में उसको अपनी पीठ पर बैठा हुआ कुनीबर चिड़े का बोझ भी बिल्कुल भी पता नहीं चला क्योंकि वह तो घरों में आने वाली चिड़िया से भी बहुत हलका था।

उधर कुनीबर चिड़े ने बाज़ के पंख कस कर पकड़ रखे थे।

बस इसी मुकाबले में हिस्सा लेने के लिये सब चिड़ियों ने अपने अपने पंख फड़फड़ाये और आसमान की तरफ उड़ चलीं। बाज़ भी उड़ चला। बाज़ जल्दी ही जंगल के सब पेड़ों के ऊपर पहुँच गया। वहाँ उसने एक चक्कर लगाया ताकि दूसरी चिड़ियों को भी उड़ने का समय मिल सके। हर बार जब दूसरी चिड़ियें उसके पास तक आ जातीं तो वह चक्कर काटता हुआ और ऊपर तक उड़ जाता।

अब वह इतना ऊँचा पहुँच गया था कि वहाँ तक अब कोई चिड़िया नहीं पहुँच पा रही थी। उसकी तो खुशी का पारावार न रहा जब नीचे से उसने सारी चिड़ियों को यह कहते सुना — “बाज़ ही हमारा राजा होना चाहिये।”

अब सब चिड़ियों ने नीचे जमीन पर उतरना शुरू कर दिया। बाज़ सबसे आखीर में नीचे उतरा और एक शाख पर आ कर बैठ गया।

जैसे ही बाज़ शाख पर बैठा सब चिड़ियों ने देखा कि कुनीबर चिड़ा बाज़ की पीठ से उतरा और हवा में उड़ कर सब चिड़ियों के बीच में जा कर बैठ गया। वह वहाँ कुछ बोला नहीं बस मुस्कुराने लगा।

एक चिड़िया बोली — “बाज़ सबसे ऊँचा उड़ा था वही हमारा राजा होना चाहिये।”

लेकिन तभी दूसरी चिड़िया ने उनको याद दिलाया कि मुकाबला यह नहीं था कि कौन सबसे ऊँचा उड़ता है पर मुकाबला यह था कि आसमान में सबसे ऊँचा कौन जा सकता है। कुनीबर आसमान में सबसे ऊँचा चला गया था और उसको तो उड़ना भी नहीं पड़ा। उसने अपना दिमाग इस्तेमाल किया और बाज़ को उड़ने दिया। कुनीबर क्योंकि बाज़ की पीठ पर था इसलिये वह बाज़ से ऊँचा था।”

बाज़ ने भी माना कि होशियार कुनीबर उससे ऊँचा था। इस तरह से होशियार कुनीबर सब चिड़ियों का राजा बन गया। सच है होशियारी बड़ी चीज़ है।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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