शार्क का राजा : अमरीकी लोक-कथा
The King of Sharks : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Hawaii/मूल अमेरिकी, हवाई की लोककथा)
एक दिन शार्क मछलियों के राजा ने एक बहुत सुन्दर लड़की को समुद्र में तैरते देखा। तो उसको देखते ही उसको उससे प्यार हो गया।
सो उसने अपने आपको एक बहुत सुन्दर नौजवान आदमी के रूप में बदला, सरदारों जैसा पंखों का एक शाल (Cape) ओढ़ा और उस लड़की के गाँव तक उस लड़की के पीछे पीछे चला गया। गाँव वाले तो एक विदेशी सरदार को अपने गाँव में देख कर बहुत ही खुश हो गये। उन्होंने उसकी बड़ी आवभगत की। उसको दावत खिलायी, उसके लिये खेलों का इन्तजाम किया। उस नौजवान ने सारे खेल जीत लिये।
उसके बाद जब उस नौजवान ने उस लड़की से शादी की इच्छा प्रगट की तब तो वह लड़की भी बहुत ही खुश हो गयी।
अब वह शार्क का राजा एक झरने के पास एक घर में अपनी पत्नी के साथ खुशी खुशी रहने लगा। वह अपने आदमी के रूप में झरने के नीचे वाले तालाब में रोज तैरता था।
कभी कभी वह पानी में अन्दर इतनी ज़्यादा देर तक रहता था कि उसकी पत्नी को डर लगने लगता। पर शार्क के राजा ने उसको समझाया कि वह उस तालाब की तली में अपने बेटे के लिये जगह बना रहा था इसलिये उसको डरने की कोई जरूरत नहीं है।
बच्चा होने से पहले शार्क का राजा ने एक पंख लगा शाल अपनी पत्नी को दिया और फिर अपने लोगों में लौट गया। पर वह अपनी पत्नी से यह वायदा ले गया कि वह अपने बेटे को हमेशा वह पंख लगा शाल ओढ़ा कर रखेगी।
जब बच्चा पैदा हुआ तो उसकी माँ ने उसकी पीठ पर एक निशान देखा जो उसको शार्क के मुँह जैसा लगा। तब उसको पता चला कि उसका पति कौन था।
बच्चे का नाम नानावे रखा गया। जैसे जैसे वह बच्चा बड़ा होता गया वह भी अपने पिता की तरह अपने घर के पास उस झरने के नीचे वाले तालाब में रोज तैरता।
कभी कभी जब उसकी माँ उसको उस तालाब में तैरते देखती तो उसको लगता कि जैसे पानी के नीचे कोई आदमी नहीं बल्कि कोई शार्क तैर रही हो।
हर सुबह नानावे तालाब के किनारे खड़ा होता, पंखों वाला शाल उसके कंधों पर पड़ा रहता और वह आते जाते मछियारों से पूछता कि वे उस दिन मछलियाँ कहाँ पकड़ेंगे।
वे मछियारे सीधे स्वभाव से उसको बता देते कि वे उस दिन मछली कहाँ पकड़ेंगे। बस फिर नानावे उस तालाब में कूद जाता और घंटों के लिये गायब हो जाता।
असल में वह उस तालाब में जा कर वहाँ की मछलियों को सावधान कर देता ताकि वे पकड़ी न जायें। इससे मछियारों ने देखा कि वे रोज कम और कम मछलियाँ पकड़ पा रहे थे।
इससे गाँव के लोग भूखे रहने लगे तो गाँव के सरदार ने गाँव के लोगों को गाँव के मन्दिर में बुलाया।
उसने गाँव के लोगों से कहा — “ऐसा लगता है कि हम लोगों में कोई बुरा देवता है जो हमारे मछियारों को मछलियाँ पकड़ने में रुकावट डाल रहा है। उसको ढूँढने के लिये मैं अब अपना जादू इस्तेमाल करने वाला हूँ।”
यह कह कर सरदार ने जमीन पर कुछ पत्तियाँ बिछा दीं फिर उसने गाँव के हर आदमी को उन पत्तियों के ऊपर चलने के लिये कहा।
उसने बताया कि जब लोग उन पत्तियों पर चलेंगे तो अगर वह आदमी होगा तब तो उसके पाँवों से वे पत्तियाँ कुचल जायेंगीं जबकि अगर वह कोई देवता होगा तो उसके पाँव पत्तियों के ऊपर कोई निशान नहीं छोड़ेंगे।
यह सुन कर नानावे की माँ बहुत डर गयी क्योंकि उसको मालूम था कि उसका बेटा तो देवता का बेटा था और अगर लोगों को यह पता चल गया तो वे उसको मार देंगे।
जब पत्तों पर चलने की नानावे की बारी आयी तो वह उनके ऊपर बहुत तेज़ी से दौड़ा पर इस तेज़ी से दौड़ने की वजह से वह फिसल गया।
एक आदमी ने उसको गिरने से चोट लगने से बचाने के लिये उसका पंखों वाला शाल पकड़ लिया जो वह हमेशा ओढ़े रहता था। उसके पकड़ने पर वह शाल उसके कन्धों से खिसक गया और नीचे गिर पड़ा और सारे लोगों ने उसकी पीठ पर शार्क के खुले हुए मुँह वाला निशान देख लिया।
उन्होंने नानावे को गाँव से बाहर निकाल दिया पर वह उनके हाथों से फिसल गया और तालाब में डुबकी मार गया। इस पर लोगों ने उस तालाब को भरने के लिये उस तालाब में बड़े बड़े पत्थर फेंके।
इतने सारे पत्थर फेंकने के बाद उन्होंने सोचा कि शायद नानावे मर गया पर नानावे की माँ को मालूम था कि उसके पिता ने उसके रहने के लिये उस तालाब की तली में एक जगह बनायी थी। और वह जगह थी एक रास्ता जो उस तालाब में से समुद्र में जा कर खुलता था।
बस नानावे ने एक शार्क का रूप रखा और समुद्र में जा कर अपने पिता शार्क के राजा से मिल गया।
पर उस दिन के बाद उन मछियारों ने फिर कभी किसी से यह नहीं कहा कि वे उस दिन मछली पकड़ने कहाँ जा रहे थे। उनको डर था कि अगर कहीं किसी शार्क ने यह सुन भी लिया तो वह उन मछलियों को वहाँ से भगा देगा और वे मछलियाँ नहीं पकड़ पायेंगे और वे अब भूखों मरना नहीं चाहते थे।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)