सूरज का टापू : चीनी लोक-कथा
The Island of the Sun : Chinese Folktale
एक बार की बात है कि चीन के एक गाँव में एक किसान रहता था जिसके दो बेटे थे। उसका बड़ा बेटा बहुत ही मतलबी और लालची था जबकि उसका छोटा बेटा बहुत दयालु और दानवीर था। कुछ समय बाद किसान मर गया। उसके बड़े बेटे ने उसकी सारी जमीन ले ली और छोटे भाई के लिये एक टोकरी और एक तेज़ चाकू छोड़ दिया जिससे वह आग जलाने के लिये लकड़ी काट सके।
सो वह अब जंगल जाता आग जलाने के लिये लकड़ी काटता और थोड़े से चावल के लिये बाजार में बेच देता। वह गरीब था उसके पास और कुछ नहीं था।
एक दिन वह छोटा भाई जंगल से होता हुआ पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया। वहाँ जा कर वह एक चट्टान पर जा कर बैठ गया और डूबते हुए सूरज को देखने लगा।
जब वह वहाँ अकेला बैठा था तो उसने अपने ऊपर हवा का एक बहुत ज़ोर का झोंका महसूस किया तो उसने ऊपर देखा तो उसने देखा कि एक बहुत ही चमकीला चिड़ा बहुत जल्दी से उसी की तरफ उड़ता हुआ नीचे चला आ रहा है। उसने हवा के झोंके की तेज़ी महसूस की और अगले ही पल वह चिड़ा उसके सामने बैठा था।
चिड़े ने उससे पूछा — “तुम यहाँ बिल्कुल अकेले क्यों बैठे हो?”
लड़का बोला — “मैं बहुत गरीब हूँ मेरे पास कुछ नहीं है।”
चिड़ा बोला — “यह सच है या झूठ?”
लड़का बोला — “मैं सच कहता हूँ मैं बहुत गरीब हूँ मेरे पास कुछ नहीं है।”
वह ताकतवर चिड़ा बोला — “तब तुम मेरी पीठ पर चढ़ जाओ और मैं तुमको सूरज के टापू पर ले चलता हूँ। वहाँ से तुम चलने से पहले सोने एक टुकड़ा उठा लेना।”
सो वह लड़का उस चिड़े की पीठ पर बैठ गया और चिड़ा उसको ले कर उड़ चला। चिड़ा पहाड़ से दूर उड़ चला। वह जंगलों के ऊपर उड़ा। वह पानियों के ऊपर उड़ा। वह सूरज के टापू की तरफ उड़ा।
जैसे ही वह चिड़ा सूरज के टापू पर आ कर उतरा तभी वहाँ सूरज डूबा तो वह टापू सूरज की सुनहरी चमकीली रोशनी में डूब गया। लड़के ने वहाँ से एक सोने का एक टुकड़ा उठा लिया और उसको अपनी टोकरी में रख लिया। वह फिर से बड़े चिड़े की पीठ पर बैठ गया और चिड़ा उड़ चला।
बड़ा चिड़ा अब टापू से दूर उड़ चला। बड़ा चिड़ा पानियों के ऊपर उड़ा। बड़ा चिड़ा जंगलों के ऊपर उड़ा। बड़ा चिड़ा पहाड़ पर वापस आया।
लड़का उस सोने के टुकड़े को ले कर जंगल के बाहर आया। वहाँ आ कर उसने उससे एक छोटी सी जमीन खरीदी। उस जमीन पर उसने सूअर गाय और मुर्गियाँ पालीं। फिर वह वहाँ मेहनत करता रहा और अच्छी तरह रहने लगा।
एक दिन उसका बड़ा भाई वहाँ आया तो उसने उससे पूछा कि उसको वह धन और वह जमीन कहाँ से मिली। छोटे भाई ने उसे सब बता दिया।
“मुझे भी यह चाहिये। तुम मुझे अपनी टोकरी और वह चाकू दो।” छोटे भाई ने उसको अपना चाकू और टोकरी दे दी। बड़े भाई ने वह चाकू और टोकरी उठायी और उसी पहाड़ की तरफ चल दिया जिसकी तरफ उसका भाई गया था।
वहाँ जा कर वह भी एक चट्टान पर बैठ गया और उस चिड़े का इन्तजार करने लगा।
जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो उसने भी अपने ऊपर से हवा का एक बहुत ज़ोर का झोंका महसूस किया तो उसने ऊपर देखा तो उसने देखा कि एक चमकीला चिड़ा बहुत जल्दी से उसी की तरफ उड़ता हुआ नीचे आ रहा है। उसने भी हवा के झोंके की तेज़ी महसूस की और अगले ही पल वह चिड़ा उसके सामने बैठा था।
चिड़े ने उससे पूछा — “तुम यहाँ बिल्कुल अकेले क्यों बैठे हो?”
बड़ा भाई बोला — “मैं बहुत गरीब हूँ मेरे पास कुछ नहीं है।”
चिड़ा बोला — “यह सच है या झूठ?”
बड़ा भाई बोला — “यह सच है कि मैं बहुत गरीब हूँ मेरे पास कुछ नहीं है मुझे सोना चाहिये।”
वह ताकतवर चिड़ा बोला — “तब तुम मेरी पीठ पर चढ़ जाओ और मैं तुमको सूरज के टापू पर ले चलता हूँ। वहाँ से तुम चलने से पहले सोने का एक टुकड़ा उठा लेना।”
सो वह लड़का उस चिड़े की पीठ पर बैठ गया और चिड़ा उसको ले कर उड़ चला। चिड़ा पहाड़ से दूर उड़ चला। वह जंगलों के ऊपर उड़ा। वह पानियों के ऊपर उड़ा। वह सूरज के टापू की तरफ उड़ा।
जैसे ही वह चिड़ा सूरज के टापू पर आ कर उतरा तभी वहाँ सूरज डूबा तो वह टापू सूरज की सुनहरी चमकीली रोशनी में डूब गया। सारा टापू सुनहरा हो गया। बड़े भाई ने वहाँ से सोने का एक टुकड़ा उठा कर अपनी टोकरी में रख लिया।
पर उस एक टुकड़े को देख कर उसे लगा कि उसकी टोकरी तो अभी खाली है वह तो उसमें अभी काफी सोना भर सकता था सो उसने एक और टुकड़ा उठा कर रख लिया। उसको अभी भी अपनी टोकरी खाली लगी तो उसने फिर तीसरा टुकड़ा उठा लिया फिर चौथा फिर पाँचवाँ।
इस तरह से वह तब तक उन सोने के टुकड़ों को उठाता रहा जब तक कि उसकी टोकरी उनसे भर नहीं गयी। जब उसकी टोकरी भर गयी तो वह वापस जाने के लिये मुड़ा और जैसे ही वह मुड़ा तो उसने देखा कि वह चिड़ा तो उड़ कर चला गया है और सूरज निकल रहा है।
वह वहीं खड़ा रह गया और जल कर बिल्कुल कड़क हो गया।
छोटे भाई ने बड़े भाई की जायदाद भी ले ली। उसने जमीन को बहुत मेहनत और प्यार से जोता। उसकी जमीन में बहुत पैदावार हुई जिसको उसने अपने गाँव वालों के साथ भी बाँटा। सच है लालच बुरी बला है।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)