लालची लोमड़ा : आयरिश लोक-कथा
The Greedy Fox : Irish Folktale
एक बार की बात है कि कौनमारा में एक स्त्री रहती थी। उसका पति एक मछियारा था। क्योंकि उसकी किस्मत बहुत अच्छी थी सो उसकी स्त्री का घर हमेशा किस्म किस्म की मछलियों से भरा रहता था। वह उनको बाजार में बेचने के लिये तैयार रहती।
एक बार तो वह बहुत नाराज हुई जब उसने देखा कि एक लोमड़ा उसकी मछलियाँ खा जाता है। वह रात को किसी समय आता और उसकी सबसी अच्छी मछलियों को खा जाता। सो उसने अपना एक बड़ा सा डंडा लिया और मछलियों के पास उनकी पहरेदारी के लिये बैठ गयी।
एक दिन जब वह एक स्त्री के साथ सूत कात रही थी तो उसका घर में अचानक ही अँधेरा हो गया और दरवाजा भी अचानक से ही खुल गया जैसे कोई तूफान आया हो। और इसके साथ आया एक बहुत बड़ा लाल लोमड़ा जो सीधा आग के पास गया और फिर घूम कर उन पर चिल्लाया।
पास में ही एक छोटी लड़की मछलियाँ छाँट रही थी बोली —
“अरे यह तो लोमड़ा है।”
लोमड़ा बोला — “तू रुक जा मैं सिखाता हूँ तुझे इज़्ज़त करना।” यह कह कर वह उसके ऊपर कूद पड़ा और उसे खरोंच लिया। जहाँ जहाँ उसने उसको खरोंचा था वहाँ वहाँ से उसके खून निकलने लगा।
तब लोमड़ा बोला — “अब समझ में आया तेरी। अब तू आगे से घर आये किसी भी भले आदमी से जो तुझसे मिलने आता है ठीक से बात करेगी।”
कह कर वह दरवाजे की तरफ चला गया और उसे बन्द कर दिया ताकि कोई अन्दर से बाहर न जा सके। वह बेचारी लड़की डर के मारे बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। वह वहाँ से बाहर जाने के लिये बहुत बेचैन होने लगी।
उसी समय वहाँ से एक आदमी गुजर रहा था। उसने रोने चिल्लाने की आवाज सुनी तो उसने दरवाजा खोलने के लिये उसमें धक्का दिया और अन्दर आने की कोशिश करने लगा कि लोमड़ा देहरी पर खड़ा हो गया और वह उसको अन्दर न आने दे। यह देख कर आदमी ने उसे अपने डंडे से बहुत ज़ोर से मारा।
अब लोमड़े से तो उस आदमी का कोई मुकाबला नहीं था। लोमड़ा तुरन्त ही कूदा और आदमी के मुँह पर काट लिया इससे वह आदमी वहाँ से चिल्लाता हुआ जितनी जल्दी हो सकता था भाग लिया।
लोमड़ा बोला — “अब मेरे खाने का समय हो गया है।” कह कर वह मछलियाँ देखने चल दिया जो मेज पर रखी हुई थीं। “मुझे आशा है कि आज की मछलियाँ बहुत अच्छी होंगी। अब मुझे तंग मत करना मैं अपना खाना खाने जा रहा हूँ और मुझे बीच में टोकना भी नहीं। और वह स्त्री पर गुर्राता हुआ मेज पर कूद गया।
स्त्री चिल्लायी — “ओ बालों वाले जंगली जानवर दूर हट।” और उसने उसको अपने चिमटे से मारा। पर लोमड़ा केवल मुस्कुराया और वहाँ रखी सब मछलियों को फाड़ता और खाता हुआ घूमने लगा।
यह देख कर स्त्री और लड़की दोनों ने उसे डंडे से मारना शुरू कर दिया। पर लोमड़ा उनकी तरफ घूरता रहा फिर वह उन दोनों पर ही कूद पड़ा और उनके सिर और बाँहों को फाड़ दिया। वहाँ से उनके खून निकलने लगा। वे दोनों डर गयीं और घर से बाहर भागने लगीं।
पर स्त्री एक खास किस्म का जादुई पानी ले कर वापस लौटी तो उसने देखा कि लोमड़ा अभी भी उसकी मछलियाँ खा रहा था। वह बेआवाज आगे बढ़ी और बिना कुछ कहे सुने उसने वह पानी उसके ऊपर डाल दिया।
जैसे ही वह पानी उसने लोमड़े के ऊपर डाला कि वहाँ से बहुत घना काला धुआँ उठने लगा और सारे कमरे में भर गया। सिवाय लोमड़े की दो आँखों के और कुछ दिखायी नहीं दे रहा था। और वे तो ऐसी दिखायी दे रही थीं जैसे दो जलते हुए अंगारे। पर जब धुआँ साफ हो गया तो लोमड़ा वहाँ से उठ कर भाग गया। उस दिन के बाद से मछलियाँ खाने वहाँ कोई नहीं आया।
1. Druid water means Magical water.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)