एक बड़ा घंटा : चीनी लोक-कथा
The Great Bell : Chinese Folktale
ताकतवर बादशाह युंग लो अपने बड़े सिंहासन पर बैठा हुआ था। उसके चारों तरफ सैंकड़ों नौकर खड़े हुए थे। पर वह बहुत दुखी था क्योंकि वह देश के लिये कोई अच्छा काम नहीं कर पा रहा था। वह परेशानी में पड़ा अपने रेशमी पंखे के साथ खेल रहा था और अपने हाथ के लम्बे नाखूनों को बड़ी बेचैनी से काट रहा था।
आम तौर पर वह एक खुश रहने वाला बादशाह था पर इस समय वह बहुत दुखी था। वह बोला — “देखो तो, दक्षिण से हटा कर पेकिंग ला कर मैंने कितनी बड़ी राजधानी चुनी है और उसे बहुत अच्छी बनाया है। इसके चारों तरफ मैंने दीवार बनवायी है जो “चीन की दीवार” से भी मोटी और बड़ी है। इसमें मैंने बीसियों मन्दिर और महल बनवाये हैं।
मैं इसमें अक्लमन्द और विद्वानों को चीन की बुद्धिमानी भरी किताबें लिखने के लिये लाया जिन्होंने अब तक 23 हजार किताबें लिख दी हैं और जो कहीं भी आदमियों के द्वारा लिखा जाने वाले विद्या के संग्रहों में सबसे बड़ा संग्रह है।
मैंने कितने घंटाघर बनवाये कितने पुल और कितने बड़े बड़े स्मारक बनवाये। पर अफसोस की बात यह है कि अब जब मैं मध्य चीन के राजा की हैसियत से बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा हूँ तो अब मेरे पास अपनी जनता के लिये करने के लिये कुछ और नहीं है। इससे तो अच्छा यह है कि अब मेरी आँखें बन्द हो जायें और मैं ऊपर के ड्रैगन का मेहमान बन जाऊँ बजाय इसके कि मैं इस आलसीपने में जी कर अपने बच्चों के लिये एक आलसी निकम्मे राजा का उदाहरण छोड़ कर जाऊँ।”
यह सुन कर युंग लो का एक बहुत ही वफादार दरबारी मिंग लिन घुटनों के बल बैठ गया और जमीन से तीन बार सिर छुआ कर बोला — “यौर मैजेस्टी, अगर आप अपने वफादार नौकर की कुछ सुनने की कोशिश करें तो मैं आपको एक बहुत ही बढ़िया सलाह देने की हिम्मत करूँ जिसके लिये पेकिंग के बहुत सारे लोग़ आपके बच्चे और आने वाली पीढ़ियाँ खड़े हो कर आज भी और आगे भी आपको दुआ देंगे।”
बादशाह बोले — “मुझे बस एक बार ऐसी भेंट के बारे में बता दो। मैं न केवल उसे इस शाही शहर को दे दूँगा बल्कि इतनी अच्छी सलाह के बदले में धन्यवाद के तौर पर तुम्हें शाही मोर का पंख भी दे दूँगा।”
दरबारी ने खुश हो कर कहा — “यह पंख पहनना मेरे इस छोटी सी बात के लिये ठीक नहीं होगा जबकि मुझसे ज़्यादा अक्लमन्द लोगों को इससे वंचित रखा गया है।
पर अगर यह बात आपको खुश करे तो यौर मैजेस्टी याद करिये कि इस राज्य के उत्तरी जिले में एक घंटाघर बनवाया गया था जो अभी तक खाली पड़ा है। उस शहर की जनता को वहाँ एक बहुत बड़ा घंटा चाहिये जो दिन में उन्हें हर घंटे की आवाज सुना सके और उन्हें उनके काम के घंटे बता सके ताकि उस समय में वे खाली न बैठें।
हालाँकि पानी वाली घड़ी घंटों का समय बताती है पर वहाँ कोई ऐसी घड़ी नहीं है जिससे सारी जनता को समय का पता चल जाये।”
बादशाह बोले — “यह तो बड़ा अच्छा सुझाव है तो अब बताओ कि हममें से कौन सबसे अच्छा घंटा बना सकता है ताकि तुम्हारा बताया हुआ यह काम पूरा कराया जा सके। मैंने सुना है कि हमारे शाही शहर के लायक घंटा बनाने वाले में किसी कवि की चतुराई और तारों की विद्या की जानकारी होनी चाहिये।”
दरबारी बोला — “हाँ यह सच है ओ ताकतवर बादशाह। तो मेरी सलाह यह है कि क्वान यू जिसने शाही तोप बनायी थी वह इस बड़े घंटे को भी बनाने लायक है। आपके सब लोगों में वही एक आपका यह काम करने लायक है क्योंकि वही अकेला इस काम को न्यायपूर्वक कर सकता है।”
उस दरबारी ने जिसने इस काम के लिये क्वान यू का नाम सुझाया था उसके दिमाग में उसका नाम सुझाने के दो उद्देश्य थे। एक तो वह बादशाह युंग लो का दुख दूर करना चाहता था जो केवल इसलिये दुखी था क्योंकि वह अपनी जनता के लिये कुछ कर नहीं पा रहा था।
और दूसरे वह क्वान यू को ऊँचा पद दिलवाना चाहता था। क्योंकि क्वान यू की एकलौती बेटी की शादी मिंग लिन के एकलौते बेटे से कई साल पहले ही तय हो चुकी थी। मिंग लिन के लिये यह बहुत बड़ी बात होती अगर उसकी बहू का पिता बादशाह के नीचे काम करने लगता तो।
मिंग लिन ने फिर से तीन बार झुकते हुए कहा — “आपके सारे राज्य में क्वान यू सब लोगों से अच्छा काम कर सकता है।”
“ठीक है तब क्वान यू को मेरे पास जल्दी से ले कर आओ ताकि मैं उसे उसका काम ठीक से समझा सकूँ।”
बहुत खुश हो कर मिंग लिन उठा और बादशाह के सोने के सिंहासन से कुछ पग पीछे गया क्योंकि अगर वह बादशाह के सामने पीठ कर के गया तो यह उसके लिये उचित नहीं था। पर क्वान यू ने यह काम यानी घंटा बनाने का काम बड़े डर के साथ लिया।
जब मिंग लिन ने उसे यह खबर सुनायी तो उसने कहा — “क्या कोई बढ़ई जूता बना सकता है?”
मिंग लिन जल्दी से बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। अगर वे टापू पर रहने वाले छोटे छोटे बौनों के पैर के नाप के और लकड़ी के हों तो। घंटा और तोप दोनों ही एक सी धातु के बनते हैं। तुम इस नये काम को आसानी से कर लोगे।”
जब क्वान यू की बेटी को पता चला कि उसका पिता किस नये काम को लेना चाहता है तो वह बहुत डर गयी। वह बोली — “आदरणीय पिता जी। इस काम को करने की हामी भरने से पहले अच्छी तरह सोच लीजिये। तोप बनाने में तो आप सफल रहे पर दूसरे कामों के बारे में कौन जानता है। अगर आप इसमें असफल रहे तो आप बड़े बादशाह जी के गुस्से के भागी बनेंगे।”
उसकी महत्वाकांक्षी माँ बीच में बोली — “ओ लड़की सुन। सफलता और असफलता के बारे में तू क्या जानती है। तू अपना मन खाना बनाने और बच्चों के कपड़े सिलने में लगा।
अब तेरी शादी होने वाली है। और जहाँ तक तेरे पिता का सवाल है उनको अपने काम की चिन्ता करने दे। बेटियों को अपने पिता के मामले में टाँग नहीं अड़ानी चाहिये।”
सो बेचारी को आई को क्योंकि यही उसका नाम था चुप कर दिया गया। वह भी अपने गालों पर आँसू की एक बूँद छिपाये हुए वहाँ से अपना काम करने चली गयी। वह अपने पिता को बहुत प्यार करती थी। यह सब सुन कर उसके दिल में अपने पिता के लिये किसी खतरे की आशंका जाग गयी थी।
इस बीच क्वान यू को मना किये गये शहर में बुलाया गया जो पेकिंग के बीच में था और जहाँ बादशाह का शाही महल था। वहाँ पहुँच कर उसने स्वर्ग के बेटे से अपने लिये आदेश सुने।
अपनी बात कह कर युंग लो ने आखीर में कहा — “और याद रखना कि घंटा इतना बड़ा हो कि उसकी आवाज हर घंटे पर 33 मील दूर तक जानी चाहिये। इस काम के लिये तुम्हें सोना और पीतल उचित मात्रा में मिलाने होंगे क्योंकि वे दोनों मिल कर आवाज को ताकत और गहराई देंगे।
इसके बाद यह कि इतने बड़े घंटे की आवाज बहुत मीठी भी होनी चाहिये। इसके लिये तुम इनमें ठीक अनुपात में चाँदी भी मिलाना। इसके अलावा इसके चारों तरफ संतों की कहावतें खुदी होनी चाहिये।”
अब जब क्वान यू ने बादशाह से अपनी हिदायतें ले लीं तो वह शहर की किताबों की दूकानों पर गया कि कहीं से उसे कोई ऐसी किताब मिल जाये जिसमें ऐसे घंटे को बनाने का तरीका लिखा गया हो। उसने उन सब लोगों को अच्छी मजदूरी देने का भी वायदा किया जिनका ऐसी चीज़ बनाने में जैसी कि वह बना रहा था कोई अनुभव हो।
बहुत जल्दी ही उसका घंटा बनाने का काम शुरू हो गया। उसके कारखाने में बड़ी बड़ी आग जलने लगीं। सोने चाँदी पीतल और और भी कई धातुओं के ढेर वहाँ दिखायी देने लगे जिन्हें घंटा बनाने के लिये उसे तौल कर मिलाना था।
जब भी कभी क्वान यू बाजार में चाय पीने जाता तो उसके सारे दोस्त उसके बड़े घंटे के बारे में उससे कई सवाल पूछते। “क्या वह दुनियाँ का सबसे बड़ा घंटा होगा?”
वह जवाब देता — “नहीं नहीं रे। यह कोई जरूरी नहीं है पर हाँ उससे सबसे मीठी आवाज निकलनी चाहिये क्योंकि हम चीनी लोग साइज़ को ज़्यादा महत्व नहीं देते बल्कि शुद्धता को ज़्यादा महत्व देते हैं। हम बड़ेपन को नहीं बल्कि गुणों को ज़्यादा महत्व देते हैं।”
“वह कब खत्म होगा?”
“देवता ही जानते हैं कि वह कब खत्म होगा क्योंकि मैं इस काम में कम अनुभवी हूँ। हो सकता है कि मैं धातुएँ ठीक से न मिला पाऊँ।”
हर कुछ दिन बाद स्वर्ग का बेटा बादशाह खुद भी अपने कुछ लोगों को उससे ऐसे ही कुछ सवाल पूछने के लिये भेजा करता था क्योंकि बादशाह को भी उसके साथियों की तरह से उत्सुकता होती थी। परन्तु क्वान यू उन्हें बड़ी नर्मी से जवाब देता कि उसे खुद को यह पता नहीं था कि घंटा कब तक तैयार होगा।
आखिर एक ज्योतिषी से पूछने के बाद क्वान यू ने उसे बनाने का एक दिन निश्चित किया। तब एक दूसरा दरबारी आया जिसने बहुत शानदार कपड़े पहन रखे थे वह बोला कि ठीक समय पर बादशाह क्वान यू के घर आयेंगे और उस घंटे का बनाना देखेंगे जिसे उन्होंने अपनी जनता के लिये बनवाया है।
यह सुन कर क्वान यू तो बहुत डर गया क्योंकि उसे लगा कि उसके सब कुछ पढ़ने के बावजूद अपनी शुभ इच्छा रखने वालों की सलाह लेने के बाद भी उसके धातु के मिश्रण में कहीं कुछ गड़बड़ रह गयी है जिसे वह अभी साँचे में पलटने वाला था।
थोड़े में कहो तो उसे अभी अभी एक सच पता चला था कि इस दुनियाँ में लोग हजारों सालों से सीख रहे हैं कि केवल पढ़ने और सलाहों से किसी आदमी को किसी काम में कुशलता नहीं आती। कुशलता केवल सालों के अभ्यास और अनुभव से आती है। सो इस निराशा के कगार पर खड़े क्वान यू ने एक आदमी को पैसे दे कर मन्दिर भेजा कि वह वहाँ जा कर देवताओं से हर भाषा में उसकी सफलता की प्रार्थना करे।
उसकी बेटी को आई भी अपने पिता की तरह डरी हुई थी जब उसने अपने पिता के चेहरे पर डर के भाव देखे क्योंकि केवल एक वही थी जिसने उसको बादशाह का यह काम लेने के लिये सावधान किया था। देवताओं की प्रार्थना करने लिये पिता के वफादार नौकर के साथ वह भी मन्दिर गयी थी।
वह बड़ा दिन आया। बादशाह और उनके दरबारी लोग इकठ्ठा हुए। इस मौके के लिये बादशाह एक मंच पर बैठे। तीन नौकर बादशाह को सुन्दर पेन्ट किये हुए पंखे झल रहे थे क्योंकि कमरा बहुत गर्म था। नक्काशी किये गये पीतल के एक कटोरे में एक बहुत बड़ा बर्फ का टुकड़ा पिघल रहा था जो वहाँ की गर्म हवा को बादशाह के पास तक पहुँचने से पहले ही ठंडा कर देता था। क्वान यू की पत्नी और बेटी उसी कमरे में पीछे खड़े हुए थे। वे उस बड़े से बर्तन को ध्यान से देख रहे थे जिसमें घंटा बजाने वाली धातु पिघल रही थी। उनको यह अच्छी तरह मालूम था कि क्वान यू का भविष्य इस काम के सफलतापूर्वक पूरा हो जाने पर ही आधारित था।
दीवार के चारों तरफ क्वान यू के दोस्त लोग और नगर के दूसरे उत्सुक लोग इकठ्ठा थे। बादशाह के नौकर लोग भी थे जो अपनी गर्दनें उठा उठा कर अन्दर की तरफ होने वाली क्रिया को देखने की कोशिश कर रहे थे। डर के मारे वे बात करने से भी घबरा रहे थे।
क्वान यू भी इस सिलसिले में इधर उधर भागा फिर रहा था। अपना अन्तिम हुक्म दे कर वह कभी खाली साँचे की तरफ ध्यान से देख लेता था। फिर बादशाह के सिंहासन की तरफ देख लेता था कि कहीं बादशाह के चेहरे पर बेचैनी का कोई चिन्ह तो नहीं है।
आखिर सब कुछ तैयार हो गया। सब साँस रोके हुए खड़े थे और इस इन्तजार में थे कि कब क्वान यू पिघली धातु को साँचे में डालने का इशारा करेगा – धीरे से सिर को झुकायेगा और उंगली उठायेगा। और फिर चमकती हुई धातु अपनी जेल से मुक्त हो कर उस रास्ते से गुजरेगी जो उसे मिट्टी के साँचे की जगह ले कर जायेगा।
घंटा बनाने वाले ने अपनी आँखें ढक लीं क्योंकि वह इतनी तेज़ी से बहती हुई धातु को देखने में डर रहा था। कहीं ऐसा न हो कि उसकी सारी आशाएँ अचानक से ही धातु के ठीक से ठंडा न होने में ही टूट जायें।
उसने एक लम्बी साँस ली और फिर नजर उठा कर ऊपर की तरफ देखा तो वहाँ सचमुच में कुछ तो गलत हो गया था। यह बात उसने पल भर में ही जान ली थी कि बस अब बदकिस्मती का साया उसके ऊपर आ पड़ा था।
हाँ यकीनन। जब मिट्टी का वह साँचा टूट गया। छोटे से छोटा बच्चा भी यह देख सकता था कि बड़ा घंटा एक सुन्दर चीज़ बनने की बजाय धातु का एक भद्दा सा ढेर बन कर रह गया था।
युंग लो बोला — “अफसोस यह तो बहुत ही बड़ी असफलता हो गयी पर इस निराशा में भी मैंने एक सीख सीखी है जो कि सचमुच सोचने लायक है कि देखो इसमें वे सारी धातुएँ हैं जिनसे यह देश बना हुआ है – सोना चाँदी और दूसरी धातुएँ।
उन्हें सबको ठीक अनुपात में मिलाया गया था ताकि उनसे एक सुन्दर घंटा बन सके एक शुद्ध घंटा बन सके जिसे पश्चिम के लोग भी देखने और सुनने के लिये रुक जायें। पर अगर उन्हें अलग कर दिया जाये तो वह एक ऐसी चीज़ होगी जो आँखों और कानों से छिपी रहेगी।
ओह मेरे चीन। समय समय पर यहाँ आपस में कितनी लड़ाइयाँ होती रही हैं जिन्होंने देश को कमजोर और गरीब बना दिया है। अगर ये सब आदमी चाहे वह छोटे हों या बड़े सोना हों या चाँदी या कोई साधारण धातु एक साथ मिल जायें तो यह भूमि अपने नाम “मध्य साम्राज्य” को सार्थक कर देगी।”
सब दरबारियों ने बादशाह युंग लो के इस भाषण पर खूब तालियाँ बजायीं पर क्वान यू तो बस जमीन पर बैठा ही रह गया जहाँ वह बादशाह के पैरों पर गिर कर लेट गया।
उसका सिर झुका हुआ था वह सिसकते हुए बोला — “आह यौर मैजेस्टी। मैंने पहले ही कहा था कि इस काम के लिये आप मुझे नियुक्त न करें। अब आपको मेरी अयोग्यता का पता चल गया होगा। इस असफलता के लिये आप चाहें तो मेरी जान ले लें।”
बादशाह ने कहा — “उठो क्वान यू। मैं एक नीच मालिक कहलाया जाऊँगा अगर मैं तुम्हें एक और मौका नहीं दूँ। उठो और जा कर देखो कि इस असफलता की सीख से तुम्हारी दूसरी कोशिश असफल न हो।”
सो क्वान यू उठा क्योंकि जब बादशाह कुछ कहता है तो उसकी आज्ञा का पालन तो होना ही चाहिये।
अगले दिन उसने अपना काम फिर से शुरू कर दिया पर उसका दिल अभी भी बहुत भारी था क्योंकि उसे अपनी गलती ही पता नहीं थी इसलिये वह यही नहीं जानता था कि वह अपने काम में किस गलती को सही करे।
कई महीनों तक वह दिन रात कोशिश करता रहा। अपनी पत्नी से एक शब्द भी नहीं बोला और जब उसकी बेटी ने उसे सूरजमुखी के बीज खिलाने की कोशिश की जो उसने खुद भूने थे तो वह उसकी तरफ देख कर केवल एक दुखभरी मुस्कान से मुस्कुरा दिया। वह किसी भी तरह उसके साथ हँस नहीं सका और न ही उसे हँसा सका जैसे वह पहले किया करता था।
महीने के हर पहले और 15वें दिन वह मन्दिर जाता था और देवताओं से अपनी सफलता की प्रार्थना करता था। को आई भी उसके इस काम में सहायता करती थी वह मुस्कुराती मूर्तियों के सामने अगर बत्ती जलाती और रोती।
एक बार फिर युंग लो क्वान लू के कारखाने में बैठा हुआ था। एक बार फिर उसके दरबारी उसके चारों तरफ खड़े हुए थे। पर इस समय क्योंकि जाड़ा था उनको रेशमी पंखों की जरूरत नहीं थी। बादशाह को पूरा विश्वास था कि इस बार क्वान यू अवश्य ही सफल होगा। उसने पिछली बार क्वान यू के साथ बहुत नर्मी से व्यवहार किया था। उसका विश्वास था कि पिछली बार की दया से कम से कम इस बार तो जनता को फायदा होगा।
एक बार उसने फिर इशारा किया। एक बार फिर सबकी गर्दनें सारस की गर्दनों की तरह उस क्रिया को देखने के लिये ऊपर को उठीं। पर अफसोस जब साँचा हटाया गया तो यह घंटा भी पहले से कोई ज़्यादा अच्छा नहीं था। वास्तव में यह एक बहुत ही बुरी असफलता थी। घंटे मे दरार थी और देखने में वह बहुत भद्दा था क्योंकि सोना चाँदी और दूसरी धातुओं ने आपस में मिलने से इनकार कर दिया था।
क्वान यू बहुत ज़ोर से रोते हुए बादशाह के पैरों पर गिर पड़ा। उसके इस रोने ने सबके दिल हिला दिये। इस बार वह बादशाह के आगे तीन बार झुका नहीं क्योंकि उस भद्दे मिश्रण को देख कर उसकी बादशाह से आँख मिलने की हिम्मत ही नहीं हुई। आखिर जब उसका बादशाह की तरफ देखने का मौका आया तो उसे युंग लो का गुस्से से भरा चेहरा नजर आया। और तब उसने उनकी गुस्से से भरी आवाज सुनी जैसे वह उसे सपने में सुन रहा हो।
“ओ दुखी क्वान यू। क्या यह तुम हो जिस पर मैंने कितनी दया की है। तुमने दो बार मेरे विश्वास को धोखा दिया है। पहली बार तो मुझे तुम्हारे लिये अफसोस था और मैं उस काम को भूल जाना चाहता था पर इस बार मैं तुम्हारे लिये दुखी नहीं हूँ बल्कि मुझे तुम्हारे ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा है। मैंने जो कुछ तुमसे कहा है उसे तुम ध्यान में रखना।
मैं तुम्हें एक तीसरा मौका और देता हूँ। अगर इस बार तुमने घंटा ठीक से नहीं बनाया तो लाल पैन्सिल से मैं तुम्हारी और मिंग लिन जिसने तुम्हारी सिफारिश की थी दोनों के लिये सजा लिखूँगा।” जब बादशाह चले गये उसके बहुत देर बाद तक भी क्वान लू अपने नौकरों से घिरा हुआ जमीन पर ही लेटा रहा। पर जितने लोगों ने उसको फिर से उठाने की कोशिश की उनमें सबसे ऊपर उसकी बेटी थी। पूरे हफ्ते वह ज़िन्दगी और मौत के बीच झूलता रहा। और फिर एक दिन ऐसा आया जो उसके पक्ष में था।
एक बार फिर से वह ठीक हो गया। एक बार फिर से वह अपने काम में लग गया। फिर भी सारा समय जब वह काम करता रहता तो उसका दिल भारी भारी सा रहता क्योंकि उसको लगता रहता कि वह जल्दी ही घने जंगल में जाने वाला है – पीले स्रोत के क्षेत्र में जहाँ से कोई यात्री वापस नहीं लौटता। क्वान यू की बेटी को आई भी अपने पिता के लिये एक खतरे का एहसास कर रही थी।
एक दिन उसने अपने माँ से कहा — “अवश्य ही पिताजी के सिर पर से कोई रैवन उड़ गया है माँ। वह तो उस कहावत के समान हैं अन्धा आदमी अन्धे घोड़े पर आधी रात को एक गहरे गड्ढे की तरफ आये। उफ़, वह उसे कैसे पार करेंगे।”
यह बेटी अपने प्यारे पिता को बचाने के लिये कुछ भी कर सकती थी। दिन रात वह यही सोचती रहती कि वह अपने पिता को कैसे बचाये। पर किसी तरह भी वह किसी नतीजे पर न पहुँच सकी जिससे वह अपने प्यारे पिता को बचा सके।
तीसरी बार घंटा बनाने के दिन से एक दिन पहले को आई अपने पीतल में जड़े शीशे के सामने बैठी हुई थी और अपने लम्बे काले बालों की चोटी गूँथ रही थी कि अचानक एक छोटी सी चिड़िया खिड़की के अन्दर उड़ कर आयी और उसके सिर पर बैठ गयी।
तुरन्त ही उस लड़की ने कुछ फुसफुसाहट की आवाज सुनी जैसे कोई परी उससे कुछ कह रही हो “तुम हिचकिचाओ नहीं। तुम जाओ और मशहूर बाजीगर से सलाह लो जो आजकल शहर में आया हुआ है। तुम इस बाजीगर के लिये अपने जेड और दूसरे बहुमूल्य रत्न बेच दो क्योंकि यह आदमी बिना बहुत सारा पैसा लिये तुमसे बात भी नहीं करेगा।”
यह कह कर चिड़िया कमरे से बाहर उड़ गयी पर को आई को सब कुछ समझ में आ गया। उसने तुरन्त ही अपना एक भरोसे का आदमी अपने रत्नों को दे कर उन्हें बेचने के लिये बाजार भेजा। साथ में उसने उससे यह कह दिया कि किसी भी हालत में वह उसकी माँ को यह बात न बताये।
उसके बाद जब उसके पास बहुत सारा पैसा आ गया तो वह उस बाजीगर से मिलने गयी जो उन साधुओं से भी अक्लमन्द और चतुर था जो ज़िन्दगी और मौत का ज्ञान रखते थे।
जब सफेद दाढ़ी वाले ने उसे बुलाया तब उसने उससे विनती की कि वह यह बताये कि वह अपने पिता की जान कैसे बचा सकती है क्योंकि अगर तीसरी बार भी उन्होंने घंटा न बनाया तो बादशाह ने उन्हें मौत की सजा देने के लिये कहा है।
ज्योतिषी ने उससे कुछ और सवाल पूछने के बाद अपने कछुए के खोल से बना चश्मा पहना और अपनी किताब में काफी देर तक कुछ ढूँढता रहा। उसने सितारों का काफी देर तक अध्ययन किया। फिर वह को आई की तरफ घूमा जो बड़ी बेचैनी से उसके जवाब का इन्तजार कर रही थी।
वह बोला — “तुम्हारे पिता की किस्मत में असफलता के सिवा और कुछ नहीं है क्योंकि जब कोई आदमी कोई असम्भव काम करने की सोचता है तो उसको अपनी किस्मत से कुछ और की आशा नहीं करनी चाहिये।
सोने में चाँदी नहीं मिल सकती न ही पीतल लोहे से मिल सकती है जब तक कि किसी कुँआरी कन्या का खून उस पिघली हुई धातुओं में न मिलाये जायें। पर जिस लड़की का खून उनमें मिलाया जाये वह खुद भी शुद्ध और साफ होनी चाहिये।”
बड़ी निराशा से को आई ने ज्योतिषी का जवाब सुना। वह दुनियाँ और उसकी सुन्दरता को बहुत प्यार करती थी। वह अपनी चिड़ियों को बहुत प्यार करती थी और सो अपनी सहेलियों को भी। अपने पिता को भी इसके अलावा उसकी शादी भी होने वाली थी। इसके अलावा कोई दूसरी लड़की क्वान यू के लिये अपनी जान भला क्यों देगी। वह अपने पिता को बहुत प्यार करती थी इसलिये उसे ही अपने पिता के लिये जान देनी पड़ेगी।
जब तीसरी कोशिश का समय आया और तीसरी बार युंग लो क्वान यू के कारखाने में अपने दरबारियों से घिरा अपने सिंहासन पर बैठा तो इस बार उसके चेहरे पर सन्तोष की भावना थी। दो बार उसने अपने नीचे काम करने के लिये माफ कर दिया था। अब इस बार उस पर कोई दया नहीं दिखायी जायेगी।
अगर अबकी बार घंटा अपने साँचे से ठीक से न निकला तो क्वान यू को कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी चाहे वह मौत की ही सजा क्यों न हो। इसी लिये युंग लो के चेहरे पर कुछ कठोरता का भाव था क्योंकि वह क्वान यू को बहुत प्यार करता था और उसे मरने के लिये नहीं भेजना चाहता था।
उधर क्वान यू ने खुद ने सफलता की आशा बहुत पहले ही छोड़ दी थी क्योंकि जबसे वह दोबारा असफल हुआ था तबसे आज तक कुछ भी नहीं बदला था। उसने अपने धन्धे के सारे मामले सिलटा दिये थे। अपनी सम्पत्ति का काफी बड़ा हिस्सा अपनी प्यारी बेटी के नाम कर दिया था।
उसने ताबूत भी खरीद लिया था जिसमें उसका शरीर दफ़नाया जायेगा और उसे अपने घर के एक कमरे में सुरक्षित रूप से रखवा दिया था।
उसने एक पादरी को भी तय कर लिया था। कुछ संगीतज्ञों को भी चुन लिया जो उसके दफ़न पर उसके लिये संगीत बजाते। और एक आदमी को भी तय कर लिया था जो अन्तिम समय में उसका सिर काटेगा।
उसने उससे कह रखा था कि वह उसकी खाल की एक पर्त नहीं काटेगा क्योंकि जब वह आध्यात्मिक दुनियाँ में घुसेगा तब यह उसके लिये अच्छी किस्मत ले कर आयेगा बजाय इसके कि उसका सिर पूरी तरह से काट दिया जाये।
इस तरह हम कह सकते हैं कि क्वान यू पूरी तरह से मरने के लिये तैयार था। यहाँ तक कि तीसरी कोशिश की पहली रात को उसे एक सपना भी दिखायी दिया जिसमें उसने देखा कि वह मौत की सजा देने वाले के सामने झुक रहा है और उससे अपना समझौता याद दिला रहा है।
जितने लोग भी क्वान यू के कारखाने में उस समय जमा थे उनमें सबसे कम को आई ही उत्साहित थी। जहाँ वह अपनी माँ के साथ खड़ी हुई थी सबसे छिप कर वह वहाँ से दीवार के साथ साथ चल कर उस टैंक के पास जा खड़ी हुई जिसमें घंटा बनाने के लिये सारी धातुएँ उबल रही थीं। अब वह उस इशारे का इन्तजार करने लगी जब उन पिघली हुई धातुओं को उस टैंक में से उँडेला जाने वाला था।
को आई ने बादशाह की तरफ देखा कि वह कब इशारा करते हैं। आखिर उसने बादशाह का हिलता हुआ सिर देखा वह तुरन्त ही अपनी साफ आवाज में चिल्लाती हुई कि “पिता जी केवल आपके लिये। यही एक तरीका था।” कूद कर उस पिघली हुई धातु के मिश्रण में गिर गयी।
पिघली हुए सफेद धातुओं के मिश्रण ने उसका प्यार से स्वागत किया और उसे पूरा का पूरा ऐसे निगल लिया जैसे वह पिघली हुई आग उसका मकबरा हो।
और क्वान यू। उसका क्या। वह पागल सा पिता। वह तो अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी को अपनी जान देने पर बिल्कुल ही पागल हो गया। उसकी अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिये उसने अपनी जान जो दे दी थी।
वह उसको बचाने के लिये आगे बढ़ा पर वह उसका केवल एक छोटा सा रत्न जड़ा जूता ही पकड़ सका क्योंकि वह तो हमेशा के लिये उसमें अदृश्य हो चुकी थी – एक छोटा सा सुन्दर जूता जो उसे हमेशा के लिये उसके बलिदान की याद दिलाता रहता।
अपने इस गहरे दुख में जिसमें उसने अपने इस पल को छिपा रखा था वह खुद भी उसी पिघली हुई धातु की नदी में कूद जाता अगर उसके नौकरों ने उसे न पकड़ लिया होता जब तक कि बादशाह ने अपना इशारा दोबारा न किया होता और पिघली धातु साँचे में न डाली जाती होती।
सबकी दुखी आँखें उस पिघली धातु की नदी पर रुकी हुई थीं जो मिट्टी के साँचे में जा कर गिरने वाली थी और जिसमें को आई का कोई पता नहीं था।
तो बच्चों। यह है पेकिंग के घंटे की वह समय के साथ धुँधली पड़ी कहानी जिसे कवियों ने कहानी कहने वालों ने और माँओं ने लाखों बार कहा है क्योंकि तुमको यह मालूम होना चाहिये कि इस तीसरी बार घंटा बनाने में जब मिट्टी का साँचा हटाया गया तो उस घंटे ने दिखाया कि वह दुनियाँ का सबसे सुन्दर घंटा था जो शायद ही कभी किसी ने देखा हो।
जब वह घंटा घंटाघर पर लटकाया गया तो वहाँ के लोग बहुत खुश हुए। चाँदी और सोना लोहा और पीतल उस लड़की के खून से आपस में बँधे हुए थे और बजने पर वह दूसरे शहरों के घंटों से ही नहीं बल्कि दुनियाँ भर के घंटों से भी बहुत ज़्यादा मीठी आवाज निकाल रही थी।
और यह बड़ी अजीब सी बात थी कि उसकी गहरी आवाज में से उस लड़की के नाम की आवाज आ रही थी जिसने ज़िन्दा ही 10 हजार साल पहले अपना बलिदान दिया था – को आई को आई। ताकि सब लोग उसके गुणों को याद रख सकें।
और यह केवल उन्हीं लोगों की समझ में आता है जो घंटा बजने के समय उसके पास खड़े होते हैं कि उसकी गहरायी में से एक फुसफुसाहट सी निकलती है – “सीह सीह।” जो भी उसे सुनता है उसके मुँह से निकलता है “अफसोस। को आई अपने जूते के लिये रो रही है। बेचारी छोटी सी को आई।”
मेरे प्यारे छोटे बच्चों। अब यह कहानी यहीं खत्म होती है पर फिर भी अभी एक बात और बची है जिसे तुम्हें जानना ही चाहिये और उसे भूलना नहीं चाहिये। बादशाह के हुक्म से उस बड़े घंटे के ऊपर एक पुराने साहित्य की कहावत लिखी हुई थी जो घंटे के न बजने के समय में भी लोगों को नसीहत देती थी।
युंग लो ने दुख के मारे हुए पिता से कहा — “देखो। तुम्हारी सारी अक्लमन्दी की कहावतों में सारे साधुओं की मूल्यवान कहावतों में कोई भी कहावत ऐसी नहीं है जो मेरे बच्चों को प्यार का इतना मीठा सन्देश दे सके जैसा कि तुम्हारी बेटी ने दिया।
हालाँकि उसने तुम्हें बचाने के लिये अपनी जान दी लेकिन उसके गीत तो तुम्हारे मर जाने के बाद भी गाये जायेंगे। और तभी तक नहीं बल्कि जब घंटा नष्ट हो जायेगा तभी भी।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)