लड़की जो आम चीज़ों से सन्तुष्ट नहीं थी : अमरीकी लोक-कथा

The Girl Who Was Not Satisfied with Simple Things : American Lok-Katha

(Folktale from Native Americans, Iroquois Tribe/मूल अमेरिकी, इरक्वॉइ जनजाति की लोककथा)

एक बार एक लड़की थी जो आम बातों से सन्तुष्ट नहीं होती थी। उसके पिता उसके लिये कोई भी दुलहा ढूँढने में नाकामयाब रहे थे क्योंकि वह किसी लड़के को पसन्द ही नहीं करती थी।

वह किसी को मोटा बताती तो किसी के लिये वह कहती —
“आपने देखा उसके जूते कितने गन्दे थे।” तो किसी के लिये कहती
— “मुझे उसके बोलने का ढंग नहीं अच्छा लगा।”

एक रात जब उनके घर में माँ शाम का खाना बनाने के बाद आग बुझाने वाली थी कि एक अजनबी नौजवान ने दरवाजा खटखटाया।

माँ ने कहा — “अन्दर आओ।”

पर वह नौजवान वहीं बाहर ही खड़ा रहा और उस लड़की की तरफ देख कर बोला — “मैं तुमसे शादी कर के तुम्हें ले जाने आया हूँ।”

यह नौजवान बहुत सुन्दर था। आग की रोशनी में उसका चेहरा चमक रहा था। कमर में उसने काले और पीले रंग की चौड़ी सी पेटी बाँध रखी थी जो पानी की तरह चमक रही थी। उसके सिर पर दो लम्बे पंख लगे हुए थे और उसकी चाल भी शान शौकत वाली थी।

उस लड़के की बात सुन कर लड़की की माँ कुछ परेशान हो गयी। वह अपनी बेटी से बोली — “मेरी बेटी, तुम तो इस पूरे गाँव में से किसी भी लड़के से शादी नहीं कर रही थीं फिर क्या तुम इस अजनबी नौजवान से शादी करोगी जिसकी जात पाँत का भी तुमको पता नहीं है?”

पर उस लड़की से तो कुछ कहने से फायदा ही नहीं था क्योंकि उसको तो वह लड़का देखते ही पसन्द आ गया था। उसने अपने कपड़े बाँधे और उस रात में उस सुन्दर अजनबी के पीछे पीछे चल दी।

वह लड़की उस अजनबी के पीछे पीछे अँधेरे में थोड़ी दूर तो चली पर फिर उसको डर लगने लगा। उसको लग रहा था कि वह अपनी माँ का घर छोड़ कर इस अजनबी के साथ अकेली क्यों चली आयी जबकि वह तो इसको जानती भी नहीं।

उसी समय उसके पति ने अँधेरे में फुसफुसाते हुए लड़की से कहा — “डरो नहीं। हम अभी थोड़ी ही देर में अपने लोगों में आ जायेंगे।”

लड़की बोली — “पर यह कैसे हो सकता है। मुझको तो लगता है कि हम नदी की तरफ जा रहे हैं।”

उस नौजवान ने फिर उसकी बाँह पकड़ी और बोला — “बस मेरे पीछे पीछे आ जाओ। इस पहाड़ी के नीचे जा कर ही मेरे आदमियों की जगह है।”

दोनों एक पहाड़ी के नीचे उतरे और एक घर के पास आ गये जिसके दरवाजे के ऊपर दो बड़े बड़े सींग लगे हुए थे जैसे कि किसी बड़े बारहसिंगे के सिर पर लगे रहते हैं।

पति बोला — “यही हमारा घर है। अभी तुम सो जाओ कल तुम मेरे लोगों से मिलना।”

लड़की वहाँ सारी रात डरती रही। उसने घर के बाहर अजीब अजीब आवाजें सुनीं। लड़की ने महसूस किया कि उस घर में मछली की बू भी आ रही थी।

लड़की को रात भर नींद नहीं आयी। वह सारी रात अपनी आँखें खोले और अपने को कम्बल में कस कर लपेटे सुबह का इन्तजार करती रही।

पर जब सुबह हुई तो सूरज ही नहीं निकला। साँवला आसमान केवल हल्की हल्की रोशनी से भरा हुआ था।

उसके पति ने उसको पहनने के लिये एक नयी पोशाक दी। वह पोशाक उसके पति की पोशाक की तरह से सीपी के मोतियों (Wampum) से सजी हुई थी।

पोशाक दे कर उस नौजवान ने उस लड़की से कहा कि इससे पहले कि वह उसके आदमियों से मिले वह उस पोशाक को पहन ले। पर वह लड़की इतनी डरी हुई थी कि वह उस पोशाक को हाथ भी नहीं लगा पा रही थी। वह बोली — “इस पोशाक में से तो मछली की बू आ रही है। मैं इसे नहीं पहनूँगी।”

उसका पति यह सुन कर गुस्सा तो हुआ पर बोला कुछ नहीं।

कुछ देर बाद ही घर के दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए वह फुसफुसाया — “मुझे कुछ देर के लिये बाहर जाना है। तुम यहाँ से कहीं जाना नहीं और जो कुछ भी देखो उससे डरना भी नहीं।”

इतना कह कर वह घर से बाहर चला गया। वह लड़की वहीं अपनी किस्मत पर रोती हुई सी बैठी रह गयी।

वह सोचने लगी कि अगर वह आम लोगों की तरह से आम चीज़ों से खुश रहती तो आज उसके साथ ऐसा न हुआ होता।

उसने अपनी माँ के घर में आग के बारे में सोचा। उसने उन सादा अच्छे दिल वाले आदमियों के बारे में सोचा जिन्होंने कभी उससे शादी करने की इच्छा प्रगट की थी।

उसी समय सींग वाला एक बड़ा साँप घर के दरवाजे में से अन्दर घुसा। तो वह तो डर के मारे वहीं जमी की जमी बैठी रह गयी। वह उसके पास आया और उसकी आँखों में देर तक देखता रहा।

उसके शरीर के चारों तरफ चमकीले काले और पीले रंग की धारियाँ थीं। कुछ देर बाद वह वहाँ से चला गया।

उसके जाने के बाद वह लड़की उठ कर उसके पीछे पीछे गयी और बाहर की तरफ झाँका। उसने देखा कि उसके चारों तरफ तो साँप ही साँप हैं। कुछ चट्टानों पर लेटे पड़े थे और कुछ गुफा के बाहर रेंग रहे थे।

अब उसको लगा कि उसका पति जो दिखायी दे रहा था वह वह नहीं था। वह तो आदमी भी नहीं था वह आदमी की शक्ल में साँप था। अब यह लड़की बेवकूफ तो थी पर वह थी बहुत हिम्मत वाली।

वह जान गयी थी कि उसको अपने पति की दी हुई जादुई पोशाक नहीं पहननी चाहिये वरना वह खुद भी साँप बन जायेगी। पर वह उससे बचे कैसे?

वह सोचती रही और सोचती रही पर क्योंकि वह रात भर नहीं सोयी थी सो वह आँख बन्द कर के लेट गयी। न जाने कब उसको नींद आ गयी और वह सो गयी। जब वह सो रही थी तो उसको लगा कि उसके सपने में एक बूढ़ा आदमी आया।

वह बड़ी साफ और गहरी आवाज में बोला — “मेरी बच्ची, मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।”

लड़की बोली — “पर बाबा मैं क्या करूँ?”

बूढ़े ने जवाब दिया — “तुम तो बस जो मैं कहूँ वह करो। तुम तुरन्त ही यह जगह छोड़ दो और गाँव के किनारे की तरफ भाग जाओ। वहाँ तुमको एक ऊँची पहाड़ी मिलेगी।

तुम उस पहाड़ी पर चढ़ जाना और पीछे मुड़ कर नहीं देखना नहीं तो तुम्हारे पति के लोग तुमको रोक लेंगे। जब तुम उस पहाड़ी के ऊपर पहुँच जाओगी तब मैं तुम्हें वहाँ मिल जाऊँगा।”

जब लड़की की आँख खुली तो उसको लगा कि उसको उस बूढ़े की बात मान लेनी चाहिये। सो वह बाहर गयी पर तभी उसने अपने पति को घर आते देखा। अभी भी वह एक सुन्दर नौजवान के रूप में था।

उसको मालूम था कि उसको तुरन्त ही यहाँ से भाग जाना चाहिये नहीं तो वह यहाँ उम्र भर के लिये कैद हो जायेगी।

सो वह एक चिड़िया की तरह उड़ कर अपने पति के घर के दरवाजे से बाहर निकल गयी और उस पहाड़ी की तरफ भाग गयी।

उसके पीछे पीछे उसका पति चिल्लाया — “वापस आ जाओ।”

पर वह लड़की तो चलती चली गयी, चलती चली गयी और उसने वापस मुड़ कर भी नहीं देखा। वह जितनी तेज़ भाग सकती थी उतनी तेज़ भागी जा रही थी।

अपने पीछे उसने सरकंडों के पेड़ों (Reed) में सरसराहट की आवाज भी सुनी पर फिर भी उसने वापस मुड़ कर नहीं देखा। पहाड़ी उसके पास आती जा रही थी।

उसने अपने पति की एक बार फिर फुसफुसाहट सुनी —
“वापस आ जाओ ओ मेरी प्रिय पत्नी, वापस आ जाओ। आओ मेरे लोगों से मिल लो।” पर अब तक वह पहाड़ी के पास तक आ पहुँची थी और बस अब उस पर चढ़ने ही वाली थी।

वह उस बूढ़े के वायदे को याद कर के अपनी पूरी ताकत लगा कर उस पहाड़ी पर चढ़ती गयी चढ़ती गयी। वह अब उस पहाड़ी के ऊपर तक आ पहुँची थी। वहाँ आ कर उसको लगा कि बस अब वह बूढ़ा आदमी आ कर उसको सँभाल ले।

ऐसा ही हुआ वहाँ उस बूढ़े आदमी ने उसके हाथ पकड़ कर उसको उठा लिया। अब उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसको पता चला कि वह तो नदी पार कर के उस पहाड़ी के ऊपर तक चढ़ आयी है।

उसके पीछे बहुत सारे सींगों वाले साँप थे। उस बूढ़े आदमी ने उन साँपों को भगाने के लिये बहुत सारी बिजली उनकी तरफ फेंकी जो उन साँपों को जा कर लगी। अब उसको पता चल गया कि वह बूढ़ा आदमी हैनो था “बिजली वाला” (Heno, the Thunderer) ।

इसके बाद पूरे आसमान में बिजली चमकने लगी बादल गरजने लगे। उन साँपों ने नदी पार कर भागना चाहा पर हैनो की बिजली ने सबको मार डाला।

कुछ देर बाद तूफान थम गया और वह लड़की वहाँ बारिश में भीगी खड़ी रह गयी।

हैनो ने उस लड़की की तरफ देखा और बोला — “मेरी बच्ची, तुम बहुत बहादुर हो। तुमने इन सब राक्षसों को इस धरती पर से हटाने में मेरी बड़ी सहायता की है। शायद मैं तुम्हें फिर बुलाऊँ क्योंकि तुम्हारे इस काम ने तुमको और ज़्यादा ताकतवर बना दिया है।”

उसके बाद उस बूढ़े ने अपना हाथ उठाया तो एक बादल का टुकड़ा धरती पर आ गया। वह और वह लड़की दोनों उस बादल पर चढ़ गये और उस लड़की के गाँव आ गये।

ऐसा कहा जाता है कि फिर उस लड़की ने उस आदमी से शादी कर ली जिसका दिल बहुत अच्छा था। दोनों के कई बहुत अच्छे अच्छे बच्चे भी हुए। यह भी कहा जाता ही कि उसका बाबा, यानी हैनो, भी उससे मिलने के लिये उसके घर कई बार आया।

वह लड़की भी कई बार अपने बाबा के साथ उड ,कर गयी और धरती के बोझ को उतारने उसकी सहायता की। जब वह बूढ़ी हो गयी तो उसने अपने पोतों और पोतियों को समझाया कि आदमी को हमेशा आम चीज़ों से ही खुश रहना चाहिये।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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