छोटे आदमियों की भेंटें : अमरीकी लोक-कथा

The Gifts of Little People : American Lok-Katha

(Folktale from Native Americans, Iroquois Tribe/मूल अमेरिकी, इरक्वॉइ जनजाति की लोककथा)

एक बार एक लड़का था जिसके माता पिता मर गये थे। वह अपने चाचा के साथ रहता था जो उसको बहुत अच्छी तरह से नहीं रखता था। वह उसको फटे और मैले कपड़े पहनाता था इसलिये उस लड़के का नाम “मैले कपड़े” पड़ गया था।

पर यह लड़का, यानी कि मैले कपड़े, शिकार करने में बहुत होशियार था। जबकि उसका चाचा बहुत आलसी था और अपने आप शिकार करने नहीं जाता था। वह अपने भतीजे को शिकार के लिये भेज देता था।

सो वह बेचारा अपने आलसी चाचा के लिये खाना इकठ्ठा करने के लिये घंटों जंगल में रहता और उसके खाने के लिये शिकार कर के लाता।

एक दिन यह लड़का एक नदी के पास से जा रहा था। उसकी कमर से उसकी उस दिन की शिकार की हुई दो गिलहरियाँ लटक रहीं थीं। उस समय वह एक ऐसी पहाड़ी के पास से गुजर रहा था जो पानी में से ऊपर की तरफ निकली हुई थी।

यहीं वे छोटे आदमी, यानी जोगेओ20 लोग़ अक्सर अपने ढोल बजाया करते थे। गाँव के बहुत सारे लोग इस जगह आने से डरते थे। पर उस लड़के को अपनी माँ के वे शब्द याद थे जो उसने कई साल पहले उससे कहे थे — “तुम जब भी अच्छे इरादे से कहीं जाते हो तो तुमको डरना नहीं चाहिये।”

उस नदी के किनारे एक बड़ा सा पेड़ खड़ा हुआ था। उसने उसकी शाखाओं में कुछ हिलता हुआ सा देखा। उसने उस तरफ देखा तो देखा कि एक काली गिलहरी एक शाख से दूसरी शाख पर कूद रही थी।

तभी उस मैले कपड़े ने एक छोटी सी आवाज सुनी — “फिर से मारो भाई। तुमने तो अभी तक उसको मारा ही नहीं है।”

मैले कपड़े ने नीचे देखा तो दो छोटे शिकारियों को खड़े पाया।

उनमें से एक ने फिर से उस गिलहरी को तीर मारा जो उस पेड़ पर कूद रही थी पर वह उस काली गिलहरी तक नहीं पहुँच पाया उससे थोड़ा सा ही दूर रह गया।

मैले कपड़े ने सोचा इस तरह तो ये कभी भी इस गिलहरी को नहीं मार पायेंगे। मुझे ही इनकी सहायता करनी चाहिये। सो उसने अपनी कमान खींची और उस काली गिलहरी की तरफ एक तीर चला दिया। वह गिलहरी तुरन्त ही नीचे आ गिरी और मर गयी। वे छोटे शिकारी उस गिलहरी की तरफ दौड़े।

एक ने पूछा — “यह तीर किसका है?”

उन्होंने ऊपर देखा तो एक लड़के को खड़ा पाया।

उनमें से एक शिकारी बोला — “ओह, तुम तो बड़े अच्छे शिकारी हो। क्योंकि यह गिलहरी तुमने मारी है इसलिये यह गिलहरी तुम्हारी है।”

मैले कपड़े ने जवाब दिया — “धन्यवाद। पर यह गिलहरी तुम्हारी है और साथ में ये गिलहरियाँ भी जो मैंने आज ही मारी हैं ये भी तुम ही ले लो।”

यह सुन कर वे दोनों शिकारी बहुत खुश हुए। वे बोले —
“चलो हमारे घर चलो ताकि हम तुम्हारा ठीक से धन्यवाद कर सकें।”

मैले कपड़े ने अपने चाचा के बारे में सोचा पर अभी तो दिन निकला ही निकला था सो वह उन आदमियों के घर जाने के बाद भी कुछ और शिकार कर सकता था।

यह सोच कर वह उनके घर जाने के लिये तैयार हो गया और उनसे बोला — “ठीक है। चलो, मैं तुम्हारे घर चलता हूँ।”

वे दोनों छोटे आदमी उस मैले कपड़े को नदी की तरफ ले गये। वहाँ एक बहुत ही छोटी सी नाव खड़ी थी – उसके एक जूते जितनी बड़ी। पर उसके नये दोस्तों ने उससे उसी नाव में बैठ जाने के लिये कहा।

डरते हुए उसने उस नाव में कदम रखा। तो जैसे ही उसने उस नाव में कदम रखा वह भी उन्हीं छोटे आदमियों जितना छोटा हो गया। वे दोनों छोटे आदमी भी उस नाव में बैठ गये।

उन छोटे आदमियों ने पतवार चलानी शुरू की तो वह नाव तो हवा में उड़ने लगी। वह नाव उस पेड़ के ऊपर उड़ती हुई एक पहाड़ी की गुफा की तरफ चल दी जहाँ वे जोगेओ लोग रहते थे। वहाँ जा कर उन दोनों छोटे आदमियों ने दूसरे आदमियों को अपनी कहानी सुनायी तो वहाँ के लोगों ने उस लड़के का अपने दोस्त की तरह से स्वागत किया।

लड़के के नये दोस्तों ने उससे कहा — “तुम कुछ समय के लिये हमारे साथ ही रहो ताकि हम तुम्हें कुछ सिखा सकें।” फिर उन लोगों ने उस लड़के को ऐसी बहुत सारी बातें सिखायीं जो उसको मालूम ही नहीं थीं।

उन्होंने उसको चिड़ियों के बारे में और जंगली जानवरों के बारे में बहुत सारी बातें बतायीं। उन्होंने उसको मक्का, काशीफल और बीन्स के बारे में बहुत कुछ बताया जिन पर आदमी लोग जीते हैं।

उन्होंने उसको स्ट्रौबैरी के बारे में भी बताया जो हर जून में घास में अंगारे की तरह चमकती हैं और उसके एक खास रस के बारे में भी बताया जिसको वे छोटे लोग बहुत पसन्द करते थे।

आखीर में उन्होंने उसको एक नाच सिखाया और कहा कि वह नाच वह अपने लोगों को जा कर सिखा दे जिसे वह अँधेरे में नाचें ताकि वे छोटे आदमी भी उनके साथ वहाँ छिप कर नाच सकें। यह नाच उन जोगेओ आदमियों को उनकी दी हुई भेंट देने के धन्यवाद के बदले में होगा।

चार दिन गुजर गये थे और उस लड़के को मालूम था कि अब उसको अपने घर वापस जाना चाहिये। उसने अपने नये दोस्तों से कहा कि वह अब अपने घर जाना चाहता है सो वह दो शिकारियों के साथ अपने घर की तरफ रवाना हुआ।

जब वे सब जा रहे थे तो उसके दोस्तों ने कई पौधों की तरफ इशारा कर के उसे उनके फायदे बताये। लड़के ने भी उन पौधों की तरफ गौर से देखा और उनके नाम याद कर लिये।

पर फिर जैसे ही उसने मुड़ कर अपने दोस्तों की तरफ देखना चाहा तो उसने अपने आपको अपने गाँव के पास के एक खेत में अकेला खड़ा पाया।

मैले कपड़े तो गाँव में ऐसे सोच कर लौटा था जैसे इन चार दिनों में पता नहीं उसका गाँव कितना बदल गया होगा। और यह सच भी था। जगह तो वही थी पर फिर भी वह गाँव अब वैसा नहीं था जैसा वह छोड़ कर गया था।

जब वह गाँव में घुसा तो लोग उसकी तरफ ऐसे देखने लगे जैसे वह कोई अजनबी हो। फिर एक स्त्री उसके पास आयी और बोली
— “ओ अजनबी तुम्हारा स्वागत है। तुम हो कौन यह तो बताओ।”

लड़का आश्चर्य से बोला — “अरे तुम मुझे नहीं जानतीं? मैं मैले कपड़े।”

स्त्री बोली — “यह कैसे हो सकता है तुम्हारे कपड़े तो बहुत सुन्दर हैं।”

उस स्त्री के कहने पर उसने अपने कपड़ों की तरफ देखा तो आश्चर्य से उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसके वे फटे कपड़े तो पता नहीं कहाँ गायब हो गये थे और वह तो बहुत सुन्दर कपड़े पहने हुए था।

उसके मैले कपड़े तो गायब हो चुके थे और अब वह हिरन की मुलायम खाल के कढ़े हुए कपड़े पहने था।

उसने उस स्त्री से पूछा — “मेरे चाचा कहाँ हैं? वह यहाँ सामने वाले घर में रहते थे और उनके एक भतीजा था मैले कपड़े।”

तभी एक बूढ़ा आदमी भीड़ में से बोला — “ओह वह आलसी आदमी? वह तो बरसों पहले मर गया। पर तुम जैसा अच्छा आदमी उस जैसे आलसी आदमी के बारे में क्यों पूछ रहा है?”

इस पर उस मैले कपड़े ने अपनी तरफ देखा तो पाया कि वह अब लड़का नहीं रह गया है। वह तो एक सुन्दर जवान बन गया है जो अपने गाँव वालों के बराबर में खड़ा हो सकता है।

वह उनसे बोला — “क्योंकि वह मेरे चाचा थे। अब मुझे पता चला कि उन छोटे आदमियों ने मुझे कई भेंटें दीं हैं जिन्हें मैं सोच भी नहीं सकता।” और फिर उसने अपने गाँव वालों को अपनी कहानी सुनायी।

सब अक्लमन्द आदमियों और औरतों ने उसकी कहानी सुनी और उसकी कहानी से बहुत सी बातें सीखीं।उस रात गाँव के सब लोगों ने जोगेओ लोगों की भेंटों का धन्यवाद करने के लिये खूब नाच किया।

उस रात के अँधेरे में उन्होंने उन छोटे आदमियों की छोटी छोटी आवाजें भी सुनी। वे छोटे आदमी भी यह जान कर बहुत खुश थे कि वे आदमी उनकी भेंटों का धन्यवाद कर रहे थे।

आज भी वे छोटे आदमी उस गाँव के लोगों के दोस्त हैं और आज भी वहाँ के लोग उन छोटे लोगों को धन्यवाद के रूप में वह नाच वहाँ करते हैं।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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