बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियाँ : आयरिश लोक-कथा

The Giant’s Stairs : Irish Folktale

पैसेज और कौर्क के बीच की सड़क पर एक बहुत पुराना बहुत बड़ा मकान है जिसको रोनेन की कोर्ट कहते हैं। इसको बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि इसमें बहुत सारी चिमनियाँ हैं और बहुत सारे तिकोने हिस्से हैं।

यहाँ मौरिस रोनेन और उसकी पत्नी मारगरेट गोल्ड का घर था। उनका एक ही बेटा था जिसका नाम था फिलिप। यह नाम उन्होंने स्पेन के एक राजा के नाम पर रखा था।

माता पिता को अपने बेटे पर बहुत गर्व था। एक सुबह जब बच्चा केवल सात साल का था वह घर में नहीं था। कोई यह भी नहीं बता सका कि वह कहाँ गया था।

उसको ढूँढने के लिये सब दिशाओं में नौकर भेजे गये – कुछ पैदल कुछ घोड़े पर वे सब बिना उसकी किसी खबर के वापस लौट आये। कोई यह भी नहीं बता सका कि वह वहाँ से कैसे गायब हुआ। उसके ढूँढने वाले को बहुत बड़ा इनाम देने का ऐलान भी किया गया पर फिर भी उसका कोई पता नहीं चला। बरसों बीत गये।

इसी समय कैरीगालीन के पास रोबिन कैली नाम का एक लोहार रहता था। वह एक ऐसा आदमी था जो बहुत सारे काम करता था। पड़ोस के लड़के लड़कियों में उसकी बहुत इज़्ज़त थी। क्योंकि घोड़ों का जूता बनाने के अलावा जो कि वह बहुत अच्छा करता था लोहे के हल भी बनाता था।

वह नौजवान लड़कियों के लिये उनके सपनों का मतलब भी बताता था। उनकी शादियों में “आर्थर ओ ब्रैडले” भी गाया करता था। उसका स्वभाव भी बहुत अच्छा था।

अब एक दिन ऐसा हुआ कि एक दिन रोबिन को खुद को ही एक सपना आया और बच्चा फिलिप उसके सामने उस काली रात में उसके सामने प्रगट हुआ। रोबिन को लगा कि फिलिप एक सफेद घोड़े पर बैठा हुआ है और वह उससे कह रहा है कि एक बड़े साइज़ वाले आदमी महोन मैकमहोन ने उसे अपने पास नौकर रख लिया है। वह उसे दूर ले गया है। उसका दरबार चट्टान के सख्त दिल में लगता था।

मेरी नौकरी के सात साल अब पूरे हो गये हैं। अब मेरा यहाँ का समय खत्म हो गया है सो रोबिन अगर तुम आज की रात मुझे उससे छुड़ा लो तो यह मेरे लिये भी अच्छा होगा और तुम्हारे लिये भी।”

रोबिन ने सोते में भी चालाकी से काम लिया वह बोला — “मगर मैं यह कैसे जानूँगा कि यह सच है या सपना।”

लड़का बोला — “लो यह निशान लो।” जैसे ही उसने यह कहा कि उसके सफेद घोड़े ने अपने पिछले एक पैर से उसके माथे पर उसे यह सोच कर ज़ोर से मारा जैसे वह कोई लाश हो। रोबिन इतनी ज़ोर से चिल्लाया जैसे उसका दिमाग बाहर निकल आयेगा और जाग गया।

उसने देखा कि वह तो अपने बिस्तर में पड़ा है पर उसके माथे पर घोड़े के पिछले पैर के जूते का एक निशान पड़ा है। वह खून जैसा लाल था। रोबिन कैली ने अपने आपको दूसरों के सपने सुनने पर ऐसी उलझन में पहले कभी नहीं पाया था जैसा कि उसको अपने सपने के बाद लग रहा था। उसको पता नहीं था कि वह अब अपने सपने का क्या मतलब निकाले।

रोबिन उस बन्दरगाह को अच्छी तरह जानता था जिसे “बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियाँ” कहा करते थे। वहाँ बहुत सारी चट्टानें थीं जो एक के ऊपर एक लगी हुई थीं और ऐसा लगता था जैसे वे गहरे पानी में से एक सीढ़ी के रूप में कैरिगमहोन की पहाड़ी के ऊपर जा रही थीं।

वे सीढ़ियाँ ऐसे लोगों के लिये कोई ऐसी बुरी भी नहीं थीं जिनकी टाँगें लम्बी हों। वे एक बीच वाले साइज़ के घर तक जाती थीं जहाँ तक वे एक दो बार की कूद में ही पहुँच जाते थे। रोबिन के दिमाग पर उसके सपने ने यही छाप छोड़ी और वह इसकी सच्चाई की जाँच करने के लिये उधर चल दिया। उसको ऐसा लगा कि इससे पहले कि वह अपने इस काम पर जाये कि उसको एक लोहे का हल अपने साथ ले लेना चाहिये। क्योंकि अपने अनुभव से उसे पता था कि वह एक बहुत ही अच्छा हराने वाला हथियार था। कई मौकों पर उसने बड़ी शान्ति से दूसरे को चुप कर दिया था।

सो उसने अपने एक कन्धे पर हल रखा और वह वहाँ से चल दिया। शाम ठंडी थी। वह हौक्स ग्लैन से मौन्क्सटाउन चल दिया।

यहाँ उसका एक दोस्त टौम क्लैन्सी रहता था। जब उसने रोबिन का सपना सुना तो उसने रोबिन से वायदा किया कि वह इस काम के लिये अपनी नाव इस्तेमाल करने ही नहीं देगा बल्कि उसको बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियों तक खेने में भी सहायता करेगा।

शाम को बहुत बढ़िया खाना खा कर वे दोनों चल दिये। बहुत सुन्दर शान्त रात थी। उसकी छोटी सी नाव तेज़ी से बहती हुई चल दी। कभी तो पतवार के पानी में डूबने की आवाज कभी किसी दूर नाविक के गाने की आवाज और कभी देर से आने वाले यात्री की आवाज धरती आसमान और समुद्र की शान्ति तोड़ जाती थी।

समुद्र उनके अनुकूल था सो कुछ ही मिनटों में दोनों बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियों के काले साये के नीचे पहुँच गये।

रोबिन ने बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियों पर जाने का रास्ता ढूँढना शुरू किया क्योंकि लोगों का कहना था कि वह किसी को भी मिल सकता था जो उसे आधी रात के समय ढूँढता। पर उसको तो ऐसा घुसने का कोई रास्ता कहीं दिखायी नहीं दिया।

उसका धीरज छूटता जा रहा था शायद इसलिये कि वह वहाँ नियत समय से पहले ही पहुँच गया था। वह बहुत देर तक शक में पड़ा रहा कि वह क्या करे जिसे बताया नहीं जा सकता।

जब वह बिल्कुल ही बेचैन हो गया तो वह अपने साथी से बोला
— “यह हम कैसे बेवकूफ लोगों का जोड़ा है टौम क्लैन्सी जो केवल एक सपने को देख कर ही यहाँ चला आ रहा है।”

टौम बोला — “और यह सब किया किसने है। तुमने खुद ने न।”

जैसे ही वह यह बोला कि उन्होंने पहाड़ की चोटी से आती रोशनी की एक किरन देखी। वह रोशनी देखते देखते बढ़ने लगी जब तक कि किसी राजा के महल के पोर्च के बराबर उसने पानी की सतह पर जगह नहीं घेर ली।

तो उन्होंने अपनी नाव उसी तरफ खे दी। रोबिन कैली ने अपना हल पकड़ा और बहादुरी से उसमें घुस गया। उसके हाथ और दिल दोनों बहुत मजबूत थे।

वह घुसने का दरवाजा तो बहुत ही विचित्र था। सारा का सारा दरवाजा ऐसा लगता था जैसे वह किसी बहुत ही बदसूरत चेहरों का मिला जुला बना हो। जैसे एक चेहरे की ठोढ़ी दूसरे की नाक हो। किसी की आँख दूसरे का खुला हुआ मुँह हो। और माथे पर पड़ी लाइनें किसी की शानदार दाढ़ी हो आदि आदि।

रोबिन जितना ज़्यादा इन शक्लों के बारे में सोचता जाता था वह उसे और ज़्यादे डरावने लगते जाते थे। चेहरों की इस भीड़ में इन पत्थरों के चहरों ने एक भयानक दृश्य बना दिया था।

उस धुँधलके में जिसमें ये चेहरे दिखायी दे रहे थे वह धुँधलका अब खत्म होता जा रहा था सो वह एक अँधेरे रास्ते पर आगे बढ़ा तभी उसे एक बहुत तेज़ पत्थरों के लुढ़कने की आवाज सुनायी दी। उसे ऐसा लगा जैसे वह चट्टान उसके घुसने के बाद में दरवाजा बन्द कर रही हो और हमेशा के लिये ज़िन्दा निगल जाना चाहती हो। अब रोबिन को डर लगने लगा।

वह बोला — “रोबिन रोबिन। अगर तुमने यहाँ आने की बेवकूफी की है तो तुम क्या समझते हो कि तुम क्या हो।”

पर पहले की तरह से वह बस यह बोला ही था कि उसने दूर के अँधेरे में एक छोटी सी रोशनी चमकती देखी जैसे आधी रात में कोई तारा चमक रहा हो।

अब वापस जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था क्योंकि रास्ते में बहुत सारे मोड़ थे घुमाव थे। इससे उसको लग रहा था कि वह अब लौट कर वापस नहीं जा पायेगा। सो वह आगे की तरफ रोशनी की तरफ चल दिया।

चलता चलता वह एक बहुत बड़े कमरे में आ गया उसमें केवल एक लैम्प जल रहा था जो उसकी छत से लटक रहा था। वह उसी के सहारे वहाँ तक आ पाया था।

रोबिन क्योंकि अँधेरे में से रोशनी में आ रहा था सो उसको जल्दी ही उसमें बहुत बड़े बड़े साइज़ की शक्लें दिखायी देने लगीं। वे सब पत्थर की एक बहुत बड़ी मेज के चारों तरफ बैठी हुई थीं। ऐसा लगता था जैसे वे लोग किसी गम्भीर विषय पर बात कर रहे थे। पर उस शान्ति में कोई भी शब्द सुनायी नहीं पड़ रहा था। मेज के सिरहाने की तरफ महोन मैकमहोन खुद बैठा हुआ था। जिसकी शान वाली दाढ़ी नीचे तक आ रही थी। समय के बीतने के साथ साथ वह पत्थरों में जा कर बढ़ रही थी।

वही पहला आदमी था जिसने रोबिन को देखा। उसने खड़े हो कर इतनी जल्दी से एक झटके में अपनी दाढ़ी पत्थर के नीचे से निकाली कि वह तो पल में ही सारी चूर चूर कर बिखर गयी।

उसने कड़कती आवाज में पूछा — “तुम किसे ढूँढ रहे हो।”

रोबिन से जितनी हिम्मत से जवाब दिया जा सकता था उसने उतनी हिम्मत से जवाब दिया क्योंकि अन्दर से तो उसका दिल डूबा जा रहा था — “मैं यहाँ फिलिप रोनेन को लेने आया हूँ जिसकी सेवा का समय आज की रात खत्म हो चुका है।”

“और तुम्हें भेजा किसने है।”

रोबिन बोला — “मैं यहाँ अपनी तरफ से आया हूँ।”

महोन बोला — “तब मेरे नौकरों में से तुम उसको खुद ही पहचान लो। और अगर तुम किसी गलत आदमी को चुन लोगे तो तुम मर जाओगे। आओ मेरे पीछे पीछे आओ।”

वह रोबिन को एक और बहुत बड़े कमरे मे ले गया जिसमें बहुत सारी रोशनी हो रही थी। उस रोशनी के दोनों तरफ वहुत सुन्दर सुन्दर लड़के बैठे हुए थे। सब लड़के सात साल की उम्र के से थे पर उससे बड़ा और कोई नहीं लग रहा था। सबने हरे रंग के कपड़े पहने हुए थे और सबने एक जैसे कपड़े पहने हुए थे। महोन बोला — “यह लो। यहाँ से तुम फिलिप महोन को ले जाने के लिये आजाद हो। याद रखना कि बस तुम्हारे पास एक ही मौका है।”

रोबिन दुखी हो कर बहुत उदास हो गया। उसको फिलिप को देखे बहुत दिन हो गये थे। उसको बच्चे की कोई चीज़ याद नहीं थी। सो वह कमरे में महोन के साथ साथ चल दिया। जैसे उसको किसी बात से कोई मतलब ही नहीं था।

उसकी इस्तरी की गयी पोशाक आज चलते समय इतनी ज़्यादा आवाज कर रही थी जितनी कि हर कदम पर उसकी स्ले भी उतनी ज़्यादा आवाज नहीं करती थी।

चुपचाप चलते चलते वे कमरे के आखीर तक पहुँच गये और रोबिन को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था कि वह फिलिप को कैसे पहचाने। वह परेशान था। उसने सोचा कि अगर वह बड़े साइज़ के आदमी से दोस्ती कर लेता है तो शायद कुछ बात बन जाये। सो उसने उससे कुछ मीठे शब्द बोलने के लिये कोशिश की।

वह बोला — “यहाँ ये सब बच्चे बैठे हुए कितने अच्छे लग रहे हैं। हालाँकि ये यहाँ पर काफी दिनों से सूरज की धूप और ताजा हवा से दूर बन्द हैं। तुमने इनको बहुत ही प्यार से पाला होगा।” बड़े साइज़ का आदमी बोला — “ए। यह तो तुम ठीक कहते हो। सो मुझे अपना हाथ दो क्योंकि मेरा विश्वास है कि तुम बहुत ही ईमानदार लोहार हो।”

पहले तो रोबिन को उसका इतना बड़ा हाथ बिल्कुल अच्छा नहीं लगा सो उसने अपना हाथ देने की बजाय उसके हाथ में अपना हल पकड़ा दिया जिसको कि उसने पकड़ते हुए गोल गोल ऍंठ दिया जैसे कि वह कोई आलू का पौधा हो। सारे बच्चे यह देख कर बहुत ज़ोर से हँस पड़े।

उनकी इस हँसी के बीच में रोबिन को ऐसा लगा जैसे कि किसी ने उसका नाम लिया हो। उसने उसी लड़के पर हाथ रख दिया जिसको कि उसे लगा कि उसने उसका नाम लिया था और बोला — “अब इसी के नाम पर मैं जीता हूँ या मरूँगा। यही वह फिलिप रोनेन है।”

उसके साथियों ने खुश हो कर बोला — “हाँ यही फिलिप रोनेन है। हाँ यही फिलिप रोनेन है।” तभी सारे कमरे में अँधेरा छा गया। तोड़ फोड़ की आवाजें सुनायी देने लगीं। सब लोग परेशान हो गये पर रोबिन ने फिलिप को नहीं छोड़ा। फिर उसने अपने आपको साँवले धुँधलके में बड़े साइज़ के आदमी की सीढ़ियों के ऊपर लेटा पाया। फिलिप अभी भी उसकी बाँहों में था।

रोबिन को इस कहानी की बहुत सारी बातें लोगों को बताने के लिये थीं। एक सवाल तो रोबिन से हर आदमी ने यही पूछा कि “क्या तुमको यकीन है कि तुम असली फिलिप को ही साथ ले कर आये हो।”

हालाँकि बच्चा सात साल तक दूर रहा था पर उसकी शक्ल अभी भी वैसी ही थी जैसी कि उसको चुराने वाले दिन थी। इतने दिनों में न तो वह लम्बा ही हुआ था और न बड़ा ही हुआ था। इसके अलावा उसने अपने बीते हुए समय की बातें भी बतायीं। और वह ऐसे बतायीं जैसे कि वे कल ही हुई हों सात साल पहले नहीं।

रोबिन बोला — “क्या मैं यह यकीन के साथ कह सकता हूँ? यह तो एक बड़ा अजीब सा सवाल है। मैंने उसकी आँखें उसकी माँ की आखों की तरह से नीली देखीं उसके बाल उसके पिता के लोमड़े जैसे बालों की तरह देखे और उस निशान का तो कुछ कहना ही नहीं जो उसकी नाक के दाँयी तरफ है।”

रोबिन कैली से भी कई सवाल पूछे गये। रोनेन कोर्ट में रहने वाले जोड़े को तो इस बात में कोई शक ही नहीं था कि रोबिन ही उनके बेटे को बड़े साइज़ के आदमी महोन मैकमहोन से आजाद करा कर लाया था। उन्होंने उसको उसके उपकार जैसा ही इनाम भी दिया।

फिलिप रोनेन बूढ़ा होने तक ज़िन्दा रहा और वह जब तक रहा तब तक पीतल और लोहे का सामान बनाने के काम में चतुर रहा। लोगों का विश्वास था कि यह काम उसने महोन के पास सात साल रह कर ही सीखा था।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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