स्नीम का भूत : आयरिश लोक-कथा

The Ghost of Sneem : Irish Folktale

मार्टिन डौयल की बुढ़िया पत्नी ने एक बार बताया कि उसका पति कहीं एक बहुत बड़े मकान पर काम कर रहा था जो स्नीम से कुछ ही दूरी पर था।

एक शाम जिस भले आदमी ने मार्टिन को यह काम दिया था उसने मार्टिन को रात में किसी काम से स्नीम भेजा। मार्टिन ने कहा कि “इस समय देर हो चुकी है और सड़क भी अकेली ही है। मेरी माँ की देखभाल करने वाला भी सिवाय मेरे और कोई नहीं है। अगर मुझे कुछ हो गया तो उसकी देखभाल करने वाला तो कोई नहीं बचेगा। अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो मैं कल सुबह चला जाऊँ।”

भले आदमी ने कहा — “उससे काम नहीं बनेगा। मुझे उसको एक चिठ्ठी भेजनी है जो उसको आज रात ही मिलनी चाहिये।”

मार्टिन बोला — “मैं यह खतरा मोल नहीं ले सकता। मैं नहीं जा सकता।”

मार्टिन का एक चाचा का बेटा था जेम्स। वह ये सब बातें सुन रहा था। वह सामने आया और बोला — “मैं जाऊँगा। मैं किसी भूत या आत्मा से नहीं डरता। और मैं तो उस सड़क पर कई रातों में गया हूँ।”

भले आदमी ने उसे धन्यवाद दिया और उसे एक तलवार दे कर बोला — “लो यह तलवार लो अगर तुम्हें कभी इसकी जरूरत पड़े तो।” फिर उसने उसको चिठ्ठी दी और बताया कि उसको उसे कहाँ देना है।

जेम्स वहाँ से चल दिया और वहाँ से उसने एक बहुत ही छोटा सा रास्ता ले लिया। जब उसने देखा कि वह स्नीम के आधे रास्ते में पहुँच चुका है तो उसने देखा कि सड़क पर एक भूत उसके सामने खड़ा है और उसकी तरफ आ रहा है।

जब भी वह भूत उसकी तरफ आता तो जेम्स उसकी तरफ अपनी लोहे की तलवार से शोर करता आगे बढ़ता। क्योंकि आयरलैंड के लोहारों के बनाये लोहे के फलों में बहुत ताकत होती थी।

भूत जेम्स की तरफ चलता चला आ रहा था। आखिर वे दोनों स्नीम के पास के एक चौराहे तक आ गये। वहाँ पहुँच कर भूत गायब हो गया। यह देख कर जेम्स जल्दी जल्दी स्नीम की तरफ चल दिया।

वहाँ जा कर उसे पता चला कि वह भला आदमी जिसको उसे वह चिठ्ठी देनी थी वह तो वहाँ से करीब छह मील दूर ब्लैकवाटर पुल के पास चला गया है – स्नीम और कैनमेयर के बीच में। यह जगह बहुत खराब थी। बूढ़ों ने तो यहाँ तक कह रखा था कि उस जगह कोई रात ऐसी नहीं बीतती जिस रात ब्लैकवाटर पुल के पास कोई भूत, या बिना सिर के आदमी या कोई आत्मा न दिखायी देते हों।

जेम्स इस जगह को जानता था पर उसने पक्का इरादा कर लिया था कि वह वहाँ वह चिठ्ठी दे कर जरूर आयेगा। जब वह पुल के पास आया और उसको पार करने लगा एक भूत ने उसके ऊपर हमला किया।

यह भूत पहले वाले भूत से ज़्यादा ताकतवर था। वह जेम्स पर दोगुना तेज़ भागा तो जेम्स ने भी अपनी तलवार से उसके ऊपर हमला किया। तभी उसने एक बिना सिर वाला आदमी देखा जो सामने से सड़क पार कर पहाड़ी की चोटी की तरफ जा रहा था। अजीब बात तो यह थी कि उस तरफ कोई रास्ता नहीं था।

भूत ने उस पर हमले बन्द करने बन्द कर दिये थे और वह उस बिना सिर वाले आदमी के पीछे भाग गया था।

जेम्स ने पुल पार किया और थोड़ी ही दूर आगे चला था कि उसको एक अजनबी मिला। दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते की। अजनबी ने जेम्स से पूछा कि वह कहाँ रहता था।

जेम्स बोला — “मैं ड्रमफादा से आया हूँ।”

जेम्स ने पूछा — “क्या तुम्हें मालूम है कि इस समय क्या बजा है।”

“नहीं मुझे नहीं मालूम पर जब मैं उस घर से गुजर रहा था तो वहाँ उसके नीचे मुर्गे अपनी बाँग देने वाले हो रहे थे। क्या तुमने वहाँ कुछ देखा?”

जेम्स बोला — “हाँ देखा।” और उसे बताया कि कैसे एक भूत ने वहाँ उस पर हमला किया था और फिर कैसे वह उस पहाड़ी तरफ एक बिना सिर वाले आदमी के पीछे पीछे भाग गया था।”

अजनबी बोला — “ओह। वह बिना सिर का शरीर तो पुल के आस पास रात को हमेशा ही घूमता रहता है। सैंकड़ों लोगों ने उसे वहाँ देखा है। वह पहाड़ की चोटी की तरफ भाग गया और मुर्गे बोलने के समय में गायब भी हो गया। और वह भूत भी मुर्गे की बाँग के समय भाग गया जिसने तुम पर हमला किया था।”

अजनबी चलता रहा। जेम्स ने चिठ्ठी दी। जिस आदमी को वह चिठ्ठी मिली थी उसने उसको बहुत धन्यवाद दिया और अच्छे पैसे दिये। जेम्स वहाँ से ठीक से वापस लौट आया।

पर वह बोला — “अगर मेरे पास तलवार न होती तो अब तक तो मैं कभी का मर जाता।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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