जंगली लड़का और नीच बड़े साइज़ का आदमी : ब्राज़ील की लोक-कथा

The Forest Lad and the Wicked Giant : Lok-Katha (Brazil)

एक बार की बात है कि एक आदमी अपनी पत्नी और अपने एक बहुत छोटे बच्चे को ले कर जंगल में रहने चला गया। उन्होंने अपना घर वहीं बना लिया।

वहाँ उन्होंने अपने हाथ से अपना मिट्टी का घर बनाया और जंगल से घास ले कर उस पर छत डाल ली। खाने के लिये वे जंगल के फल चुन लाते थे और कुछ जंगली जानवर मार लेते थे। वे लोग वहाँ साधुओं की तरह रहते थे। यानी वे वहाँ अकेले ही रहते थे उनका किसी से मिलना जुलना भी नहीं था।

बच्चा धीरे धीरे बड़ा होता रहा। जब वह अच्छा मजबूत बड़ा लड़का हो गया तो उसने अपने पिता से जंगल की बहुत सारी बातें सीखीं। वह अब अक्लमन्द भी हो गया था और ताकतवर भी वह अपनी माँ से अपने पुराने समय के बारे में सुनता रहता था जब वे जंगल में आने से पहले बड़े शहर में रहते थे। उसको ये ही कहानियाँ ही सुनने में सबसे अच्छी लगती थीं।

अक्सर जब उसका पिता जंगल में शिकार के लिये जाता था तो वह लड़का अपने पिता से मिन्नतें कर के अपनी माँ के पास घर रह जाता। उसके पिता के बाहर चले जाने के बाद उसकी माँ अपनी झोंपड़ी के सामने जमीन पर बैठ जाती और उसको अपनी पुरानी बातें सुनाती रहती।

एक दिन जब लड़के का पिता अपने शिकार पर से वापस लौटा तो उस लड़के ने अपने पिता से कहा — “पिता जी मैं यहाँ जंगल में अकेले रहते रहते थक गया हूँ। चलिये शहर में रहने वापस शहर चलते हैं।”

उसका पिता बोला — “लगता है कि तेरी माँ तुझे वहाँ की कहानियाँ सुनाती रही है। मै देखता हूँ कि वह तुझे आगे से शहर की कोई बात न बताये।

हमने शहर अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिये छोड़ा था। आगे से ख्याल रखना कि मैं तेरे मुँह से शहर वापस जाने के बारे में एक शब्द भी न सुनूँ।”

उसके बाद से जब भी पिता शिकार के लिये जाता वह तो उसको अपने साथ ले जाता सो अब उसके पास कोई मौका नहीं था जब वह शहर की वे कहानियाँ सुनता जिनको वह अपनी माँ के मुँह से सुनना पसन्द करता था।

फिर भी उसकी माँ ने उसे जो कुछ भी शहर के बारे में सुनाया था वह सब उसके दिमाग में छिपा पड़ा था।

इसके अलावा रात को जब भी जंगल में भयानक तूफान आता या फिर जंगली जानवर अपनी भयानक आवाजों से उसको सोने नहीं देते तो वह झोंपड़ी के फर्श पर अपनी चटाई पर पड़ा पड़ा जागता रहता और शहर की उन कहानियों के बारे में सोचता रहताा जो उसको उसकी माँ ने सुनायी थीं।

कुछ समय बाद एक दिन उसके पिता को बुखार आया और उसी में वह मर गया।

अब वह लड़का और उसकी माँ जंगल में अकेले रह गये तो लड़के ने माँ से कहा कि चलो माँ हम लोग शहर अपने घर वापस चलते हैं। हमको अब यहाँ जंगल में अकेले नहीं रहना चाहिये। मुझे अपनी ज़िन्दगी शहर में अपने तरीके से जीनी चाहिये जैसा कि तुमने मुझे बताया – उत्सव, नाच, बड़े बड़े टूर्नामैन्ट, लड़कियों के घरों के छज्जों के नीचे रात को गाना।

लड़के की शहर जाने की जिद इतनी ज़्यादा और जल्दी जाने की थी कि उसकी माँ उसको मना नहीं कर सकी। हालाँकि माँ भी दिल से शहर वापस जाना नहीं चाहती थी पर फिर भी वह अपने बच्चे की जिद के सामने झुक गयी।

उन्होंने अपना सामान बाँधा जो केवल एक घोड़ा और एक तलवार थे और शहर चल दिये।

जब लड़का और उसकी माँ शहर पहुँचे तो रात हो रही थी। वे लोग एक सड़क से दूसरी सड़क पर घूमते रहे पर वहाँ उनको कोई आदमी नजर नहीं आया।

उन्होंने सारे घरों के दरवाजे खटखटाये पर उनके अन्दर से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। आखिर वे उस सड़क पर पहुँच गये जिस पर उनका पुराना मकान था।

लड़का तो उस मकान को देख कर बहुत खुश हो गया कि उसका मकान कितना बड़ा और सुन्दर था। लड़के ने सोचा “कोई आश्चर्य नहीं कि मेरी माँ इतने सुन्दर मकान में जरूर लौटना चाहती होगी। वह उस जंगल की छोटी सी झोंपड़ी में रही भी कैसे होगी।” उस सुन्दर घर के दरवाजे खुले पड़े थे। लड़का और उसकी माँ उस घर में घुसे और एक कमरे से दूसरे कमरे में घूम घूम कर उसे देखा। सब कुछ वहाँ वैसा ही पड़ा था जैसा वे लोग उसको छोड़ कर गये थे।

माँ ने अपनी सारी चीज़ें पहचान लीं। वे सब वहाँ वैसी ही थीं जैसी वह उनको छोड़ कर गयी थी। घर में केवल एक कमरा था जो बन्द था और वह अन्दर से बन्द था। लड़का और उसकी माँ उस रात अपने घर में सोये।

सुबह वे फिर शहर की सूनी सड़कों पर घूमे पर वहाँ उनको न तो कोई दिखायी ही दिया और ना ही किसी की आवाज ही सुनायी दी। वह शहर तो मरे हुओं का सा शहर लग रहा था।

कुछ देर बाद उनको भूख लग आयी। अब शहर के अन्दर तो कोई था नहीं जिससे वे कोई खाने का सामान खरीदते सो जैसे कि उस लड़के को अपनी सारी ज़िन्दगी आदत पड़ी हुई थी वह खाना ढूँढने के लिये शहर के बाहर जंगल चला गया।

माँ अपने पुराने घर में अपने बेटे का इन्तजार करने के लिये लौट आयी। जैसे ही वह ऊपर गयी तो उसने वह बन्द कमरा खुला हुआ देखा। उस कमरे में एक बड़े साइज़ का आदमी खड़ा था। यह तो इतने बड़े साइज़ का आदमी था कि उसने इससे पहले इतने बड़ा बड़े साइज़ का आदमी कभी देखा ही नहीं था। उसके घर के कमरे बहुत ऊँचे ऊँचे थे फिर भी वह बड़े साइज़ का आदमी उनमें बहुत झुक कर खड़ा हो पा रहा था।

वह बड़े साइज़ का आदमी इतनी ज़ोर से चिल्लाया कि उसकी आवाज से सारा घर हिल गया — “तुम कौन हो और यहाँ मेरे घर में क्या कर रही हो?”

लड़के की माँ जो इतने साल जंगल में रही थी इतनी आसानी से डर जाने वाली नहीं थी सो वह भी उस बड़े साइज़ के आदमी पर अपनी सबसे तेज़ आवाज में चिल्लायी — “तुम कौन हो और तुम मेरे घर में क्या कर रहे हो?”

इससे कोई यह तो सोच ही सकता है कि वह बड़े साइज़ का आदमी उसको उसकी इस हरकत पर तुरन्त ही मार देता पर हुआ इसका उलटा।

उस स्त्री के इस जवाब ने उसको इतना खुश कर दिया कि वह बहुत ज़ोर से हँस पड़ा और इतनी ज़ोर से हँसा कि उसको गिरने से बचने के लिये दीवार का सहारा लेना पड़ गया।

जब उसकी हँसी थोड़ी सी रुकी तो वह बोला — “तो तुम यह समझती हो कि यह घर तुम्हारा है? तो मैं बताता हूँ कि हम लोग क्या करें। तुम मुझे अच्छी लगीं तो अगर तुम मेरी पत्नी बन जाओ तो क्यों न हम दोनों इस मकान में साथ साथ रह लेते हैं।”

बड़े साइज़ के आदमी को इस तरह से बोलते सुन कर लड़के की माँ भी थोड़ा आश्चर्य में पड़ गयी। जब वह भी उस आश्चर्य से बाहर निकली तो बोली — “मैं अकेली नहीं हूँ। मेरा बेटा मेरे साथ है। वह हम लोगों के लिये खाना लाने के लिये अभी जंगल गया है। बस वह किसी भी पल आता ही होगा।”

“तुम चिन्ता न करो मैं तुम्हारे बेटे को बहुत जल्दी मार दूँगा जैसे मैंने इस शहर के दूसरे लोगों को मारा है।”

लड़के की माँ बोली — “तुम मेरे बेटे को इतनी आसानी से नहीं मार सकते जितनी आसानी से तुम उसको मारने की सोचते हो। वह बड़े घने जंगल में पल कर बड़ा हुआ है और इस शहर के लोगों से बहुत ज़्यादा ताकतवर है। उसकी इस ताकत के अलावा उसके पास माँ के प्यार का जादू का कवच भी है।”

“मैं नहीं जानता कि माँ के प्यार के जादू का कवच क्या होता है। और मुझे याद भी नहीं पड़ता कि मैंने उसे कहीं देखा भी है। फिर भी मैं तुमको पसन्द करता हूँ,। और क्योंकि मैं तुमको पसन्द करता हूँ इसलिये मैं तुम्हारे बेटे को इस तरह से मारने की कोशिश करूँगा जिससे उसको कम से कम कष्ट हो। मुझे लगता है कि तुमने अभी यह कहा था कि बस वह अभी किसी भी पल आता होगा। तो तुम ऐसा करो कि यहाँ लेट जाओ और बीमार होने का बहाना करो। जब तुम्हारा लड़का आये तो उससे कहना कि तुम्हारी आँखों में बहुत दर्द है। और क्योंकि तुम बहुत सालों तक जंगल में रही हो इसलिये तुम यह तो तुम जानती ही होगी कि आँखों के दर्द की सबसे अच्छी दवा जंगल में रहने वाले कोबरा का तेल है।

सो यह कह कर उस लड़के को कोबरा का तेल लाने के लिये फिर से जंगल भेज देना और मैं वायदा करता हूँ कि एक बार वह यहाँ से गया तो वह फिर वहाँ से कभी वापस नहीं आ पायेगा। मैं अब कमरे के अन्दर जा रहा हूँ और उसको बन्द कर लूँगा ताकि लड़का मुझे देख ही न सके। पर मैं दीवार में से सुनता रहूँगा कि तुमने मेरा कहा किया कि नहीं।”

उसी समय उसने लड़के के कदमों की आहट और उसकी खुशी की आवाज सुनी। वह तुरन्त ही कमरे के अन्दर चला गया और अन्दर से उसका दरवाजा बन्द कर लिया।

लड़के की माँ अपनी आँखों पर कपड़ा ढक कर लेट गयी और ज़ोर ज़ोर से कराहने लगी। उसने सोचा कि “बड़े साइज़ के आदमी को तो मेरे लड़के की ताकत और होशियारी का बिल्कुल पता ही नहीं है।” सो वह अपने कराहने कै बीच बीच में मुस्कुराती रही। लड़का जैसे ही कमरे में घुसा तो माँ के कराहने की आवाज सुन कर उसने उससे पूछा — “अरे यह मेरे पीछे तुम्हें क्या हो गया माँ।”

उसकी माँ ने उससे वही कहा जो बड़े साइज़ के आदमी ने उससे कहने के लिये कहा था कि उसकी आँखों में दर्द हो गया है और केवल जंगल के कोबरा का तेल ही उसको ठीक कर सकता है सो उसको कोबरा का तेल चाहिये।

लड़के को पता था कि कोबरा का तेल लाने में कितना खतरा था पर उसने ज़िन्दगी में कभी अपनी माँ की बात नहीं टाली थी सो वह तुरन्त ही वापस जंगल की तरफ चल दिया। काफी खतरों का सामना करने के बाद उसने कोबरा का तेल हासिल कर लिया।

तेल ले कर वह शहर की तरफ चला तो रास्ते में उसको एक बुढ़िया मिली जो अपने कन्धे पर एक बहुत बड़ा डंडा लिये जा रही थी। उस डंडे से कई ज़िन्दा मुर्गियाँ नीचे सिर किये लटकी हुई थीं। वह उनको बाजार ले जा रही थी।

वास्तव में वह होली मदर थी जो उस लड़के की माँ की प्रार्थना पर उसकी सहायता करने आयी थी।

वह बुढ़िया बोली — “मेरे बच्चे तुम कहाँ जा रहे हो?”

लड़के ने उसको अपनी कहानी सुनायी और उसको अपना लाया कीमती तेल दिखाया जो वह कोबरा से निकाल कर लाया था।

बुढ़िया बोली — “वह दिन आ रहा है बेटा वह दिन आ रहा है जब सचमुच में तुमको कोबरा के तेल की जरूरत पड़ेगी पर वह दिन आज का दिन नहीं है।

आज के दिन तो तुम्हारा मुर्गी के तेल से ही काम चल जायेगा। तुम मेरी एक मुर्गी मार लो और उसका तेल इस्तेमाल कर लो। पर यह कोबरा का तेल मेरे पास छोड़ दो ताकि मैं इसे उस दिन के लिये सुरक्षित रख लूँ जिस दिन तुमको इसकी जरूरत पड़ेगी।”

लड़के ने उस बुढ़िया की सलाह मानी और उसकी एक मुर्गी मार ली। फिर उसने अपना लाया कोबरा का तेल उसको दिया और उस मुर्गी का तेल ले कर अपनी माँ के पास चल दिया।

क्योंकि उसकी माँ की आँखों को तो कुछ हुआ नहीं था सो मुर्गी के तेल से ही उसकी आँखें उसी तरह से ठीक हो गयीं जैसे कोबरा के तेल से होतीं। पर लड़के और बुढ़िया के अलावा एक और था जो इस भेद को जानता था।

जब लड़का बाहर चला गया तो बड़े साइज़ का आदमी कमरे से बाहर निकला और उसकी माँ से बोला — “सचमुच तुम्हारा बेटा बहुत बहादुर है। मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि वह कोबरा के तेल की खोज में जाने की भी हिम्मत भी कर सकता है। उसको लाने की बात तो छोड़ो।”

लड़के की माँ बोली — “तुम नहीं जानते कि हम एक दूसरे को कितना प्यार करते हैं।”

बड़े साइज़ का आदमी बोला — “मैं तुम्हारे बेटे की ताकत और होशियारी का एक और सबूत चाहता हूँ। कल तुम उससे अपनी कमर के दर्द की शिकायत करना कि मेरी कमर में बहुत दर्द है और अपने बेटे को अपनी कमर के दर्द को ठीक करने के लिये साही का तेल लाने के लिये भेजना। यह मेरा हुक्म है।”

सो अगले दिन जैसा कि बड़े साइज़ के आदमी ने उससे कहने के लिये कहा था उसने अपने बेटे से कहा कि आज मेरी कमर में बहुत दर्द है। और वह इसके अलावा और कुछ नहीं कर सकती कि वह उसको ठीक करने के लिये उसके ऊपर साही का तेल लगाये। लड़का बेचारा फिर जंगल गया और उसने एक साही का तेल निकाल लिया।

जब वह घर वापस आ रहा था तो उसको रास्ते में एक बुढ़िया मिली जो वास्तव में नौसा सिन्होरा थी। वह भी मुर्गियाँ लिये जा रही थी।

उसने लड़के से पूछा — “तुम कहाँ जा रहे हो बेटे?”

लड़के ने उसको अपनी कहानी सुनायी और बताया कि वह अपनी माँ के कमर के दर्द के लिये जंगल से साही का तेल ले कर जा रहा था ताकि उसको लगा कर उसका कमर का दर्द ठीक हो सके।

तो उस बुढ़िया ने उससे कहा — “यह साही का तेल तुम मेरे पास छोड़ दो मेरे बेटे। यह मैं तुम्हारे लिये कल तक रखूँगी जब तुमको इसकी बहुत जरूरत पड़ेगी। आज तो तुम्हारा काम एक मुर्गी के तेल से ही चल जायेगा।”

सो उस लड़के ने अपना लाया साही का तेल उसको दिया उसकी एक मुर्गी मारी और उसका तेल ले कर अपने घर की तरफ चल दिया।

उसकी माँ को तो कोई बीमारी थी ही नहीं सो एक बार फिर वह उस मुर्गी के तेल से ठीक हो गयी जैसे वह साही के तेल से ठीक हो जाती।

अबकी बार बड़े साइज़ का आदमी कमरे से निकल कर बाहर आया और लड़के से कहा — “ओ लड़के तू तो सचमुच ही बहुत ताकतवर और होशियार है।”

अब लड़के ने तो कोई बड़े साइज़ का आदमी पहले कभी देखा नहीं था सो उसे देख कर उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। इससे पहले कि वह अपने आश्चर्य से बाहर आता कि उसने लड़के को एक रस्सी से कस कर बाँध लिया।

वह बोला — “अगर तू वाकई बहुत ताकतवर है तो मेरी इस रस्सी को तोड़। और अगर तू इस रस्सी को नहीं तोड़ पाया तो मैं अपनी तलवार से तेरे पाँच टुकड़े कर दूँगा।”

लड़के ने अपनी सारी ताकत लगा कर उस रस्सी को तोड़ने की कोशिश की पर वह उसे नहीं तोड़ सका। वह इतना ताकतवर भी नहीं था जो उस रस्सी को तोड़ सकता। यह देख कर बड़े साइज़ का आदमी हँसने लगा।

जब लड़के की माँ ने देखा कि उसके बेटे से रस्सी नहीं टूट पा रही है तो वह बड़े साइज़ के आदमी के सामने अपने घुटनों पर बैठ गयी और रो कर बोली — “तुम मेरे साथ कुछ भी कर लो पर मेरे बेटे को छोड़ दो।”

बेरहम बड़े साइज़ का आदमी उस स्त्री की प्रार्थना सुन कर बहुत हँसा।

जब लड़के की माँ ने देखा कि वह उसको अपने बेटे को मारने से नहीं रोक पा रही है तो वह फिर उससे बोली — “अगर तुम मेरी यह इतनी बड़ी प्रार्थना नहीं सुन रहे तो मैं तुमसे एक बहुत ही छोटी सी प्रार्थना करती हूँ। कम से कम तुम वही मान लेना। जब तुम मेरे बेटे को पाँच टुकड़ों में काटोगे तो तुम उसको अपनी तलवार से नहीं बल्कि उसके पिता की तलवार से काटना। वह तलवार हम अपने जंगल के उस घर से ले कर आये हैं जहाँ हम रहते थे। उसके बाद उसके शरीर को उसके पिता के घोड़े से बाँध देना उसे भी हम जंगल से ले कर आये हैं। फिर उसको खुला छोड़ देना ताकि वह इधर उधर घूम सके। हो सकता है कि वह वापस जंगल ही चला जाये जहाँ से मैं अपने बदकिस्मत बेटे को तुम्हारे पास यहाँ मरने के लिये ले कर आयी थी।”

उस बड़े साइज़ वाले आदमी ने वैसा ही किया। उसने लड़के के पिता की तलवार से उस लड़के को पाँच हिस्से किये और उनको उसके पिता के घोड़े से बाँध दिया।

घोड़ा लड़के के शरीर को ले कर जंगल की तरफ दौड़ लिया। शहर से बाहर जा कर उसको एक बुढ़िया मिली जो वास्तव में नौसा सिन्होरा थी।

उसने लड़के के शरीर के पाँचों हिस्से लिये और उन पर साही का तेल मल दिया। इससे वे सारे हिस्से ठीक से जुड़ गये।

तब उसने लड़के से पूछा — “क्या तुम्हें किसी चीज़ की कमी महसूस हो रही है?”

लड़के ने अपनी टाँगें महसूस कीं अपनी बाँहें महसूस कीं अपने कान महसूस किये अपने बाल महसूस किये फिर बोला — “मेरे पास सब कुछ है सिवाय आँखों की रोशनी के।”

बुढ़िया ने कोबरा का तेल निकाला और उसकी आँखों पर मल दिया। तुरन्त ही उसकी आँखों की रोशनी भी वापस आ गयी और वह देखने लगा।

तब उसने देखा कि वह बुढ़िया तो होली मदर थी। वह तुरन्त ही उसका आशीर्वाद लेने के लिये उसके पैरों पर झुका पर वह तो तब तक गायब हो गयी थी।

अपनी नयी ताकत के साथ अब वह लड़का शहर की तरफ चल दिया। शहर पहुँचते पहुँचते उसको रात हो गयी थी। बड़े साइज़ का आदमी तब तक सो गया था।

उसने अपने पिता की तलवार ली और उसे बड़े साइज़ के आदमी के शरीर में घुसेड़ दिया। बड़े साइज़ के आदमी ने बिना जागे हुए ही यह कहते हुए करवट ली “ओह आज मच्छर बहुत हैं।” और फिर सो गया।

लड़के ने देखा कि बड़े साइज़ के आदमी की अपनी बड़ी तलवार जमीन पर पड़ी हुई थी। उसने उसे उठाने की कोशिश की पर वह तो इतनी भारी थी कि वह तो उसे उठा ही नहीं सका। पर फिर किसी तरह से खिसकाते हुए उसने उसे बड़े आदमी के शरीर में घोंप दिया। इससे वह बड़े साइज़ का आदमी तुरन्त ही मर गया।

जब लड़के की माँ ने अपने बेटे से उसकी कहानी सुनी और बड़े साइज़ के आदमी को वहाँ मरा पड़ा देखा तो उसने कहा — “माँ के प्यार के कवच का जादू होली मदर की सहायता से लड़के को सब खतरों से बचायेगा।”

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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