पहला बिल्ला : चीनी लोक-कथा

The First Cat : Chinese Folktale

यह बहुत पहले की बात है जब दुनियाँ बनी ही बनी थी तब यहाँ हजारों जानवर रहते थे पर आदमी केवल दो ही थे – एक पति पत्नी और साथ में एक शैतान था।

दोनों आदमी दिन में सारे दिन खाना उगाने का काम करते ताकि वे अपने लिये काफी खाना उगा सकें। जब रात होती तो वे अपने घर चले जाते। उस समय वहाँ जंगली जानवरों को शिकार करने का मौका भी मिल जाता।

दूसरी तरफ शैतान को दिन अच्छा नहीं लगता था सो वह शाम होने तक अपनी सीली हुई अँधेरी गुफा में छिपा रहता। वह वहाँ से रात होने पर ही निकलता और फिर सुबह होने तक उससे जितना हंगामा मचाया जा सकता था मचाता और फिर अपनी सीली हुई अँधेरी गुफा में चला जाता।

आदमी उस शैतान के इन कामों से नफरत करते। पेड़ पौधे भी उससे डरते। यहाँ तक कि देवता भी उससे डरते और उसके सामने नहीं आते थे। पर शैतान को इस बात की कोई चिन्ता नहीं थी कि बाकी की दुनियाँ उसके बारे में क्या सोचती थी क्योंकि उसके पास बुरे चूहों की पूरी की पूरी एक फौज थी।

और वह यह भी अच्छी तरह जानता था कि कोई भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था, यहाँ तक कि स्वर्ग की ताकत भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी।

एक दिन जब पौधों पर खूब फूल लदे हुए थे और दुनियाँ में सब जगह शान्ति ही शान्ति थी शैतान ने कुछ करने के इरादे से अपनी गुफा के दरवाजे से बाहर झाँका। जैसे ही उसने बाहर झाँका तो उसकी नजर उस जगह पर पड़ी जहाँ आसमान धरती से मिलता था, यानी क्षितिज पर ।

बस उसके दिमाग में तुरन्त ही एक प्लान घूम गया। उसको मालूम था कि क्षितिज स्वर्ग के देवता ने बनाया था ताकि धरती और आसमान एक साथ मिल कर रहें।

उसने आदमियों को यह भी कहते सुना था कि अगर यह क्षितिज नहीं रहा तो आसमान ऊपर उड़ जायेगा और यह धरती उलटी हो जायेगी और एक ऐसे समय में लुढ़क जायेगी जिसका कोई अन्त ही नहीं होगा।

इससे उसके दिमाग में आया कि देखा जाये कि अगर यह क्षितिज नष्ट कर दिया जाये तो वाकई में क्या होगा। सो जब रात हुई तो शैतान ने अपनी चूहों की फौज को बुलाया और उनके साथ एक मीटिंग की।

जब वे सब आ गये तो वे सब शैतान की बात को ध्यान से सुनने के लिये अपने अपने पिछले पैरों पर खड़े हो गये। शैतान बोला — “मैंने तुम लोगों से पहले भी कई काम लिये हैं और वे काम तुम लोगों ने बहुत अच्छी तरह से किये हैं। पर अबकी बार का मेरा यह काम सबसे ज़्यादा गर्मी फैलाने वाला काम है। तुमको इसे बहुत अच्छी तरीके से करना पड़ेगा।”

फिर उसने क्षितिज की तरफ इशारा किया जो चाँद की रोशनी में धुँधला सा दिखायी दे रहा था और फिर एक चालाकी भरी मुस्कुराहट से बोला — “मैं चाहता हूँ कि सुबह होने से पहले पहले ही तुम सब लोग मिल कर उस जोड़ को काट दो।

सुबह के सूरज निकलने से पहले ही वह पूरी तरीके से गर्म हो जाना चाहिये। समझ में आ गया? जाओ और जा कर अपने काम पर लग जाओ।”

चूहों ने खुशी से किलकारी मारी और दूर क्षितिज की तरफ दौड़ गये। वे वहाँ सुबह होने से तीन घंटे पहले ही पहुँव गये और तेज़ी से अपने काम में लग गये।

हालाँकि उन चूहों के मुँह तो छोटे छोटे थे पर उनके दाँत बहुत तेज़ थे। सुबह तक आसमान और धरती केवल बहुत ही पतले आधे कुतरे हुए धागों से जुड़े रह गये। बाकी सब धागे चूहों ने काट दिये थे।

सुबह होते ही चूहे अपनी रक्षा के लिये भागे और एक सीली हुई गुफा में जा कर घुस गये।

आदमी और स्त्री अगले दिन धरती के ज़रा से हिलने की वजह से और दिनों से जल्दी जाग गये। वे अपने अपने बिस्तरों से उठ कर बाहर की तरफ भागे तो उन्होंने देखा कि धरती तो आसमान से अलग होती जा रही थी।

एक पल के लिये तो वे कुछ बोल ही नहीं सके क्योंकि उनको लग रहा था वे किसी समय भी मर जायेंगे पर फिर उनको लगा कि अब तो यह काम उन्हीं का था कि वे दुनियाँ को बचायें।

आदमी लोहे की मोटी मोटी सुइयाँ और इतना मजबूत धागा जो समुद्र के अन्दर तूफानों में भी ठहर सके लाने के लिये घर के अन्दर भागा। उनको ले कर वे दोनों क्षितिज के पास पहुँचे और क्षितिज की मरम्मत करनी शुरू करने में लग गये।

इस काम में उनको सारा दिन लग गया। हालाँकि वह पूरी तरीके से मजबूती से नहीं सिला गया था फिर भी उन्होंने जितना उनसे हो सकता था उतनी अच्छी तरीके से उसको सिलने की कोशिश की और उनकी इस कोशिश से आसमान और धरती एक बार फिर से आपस में एक दूसरे से बँध गये थे।

सारा दिन काम कर के वे थके हारे घर लौटे पर जैसे ही वे घर लौटे तो उन्होंने अपने घर के भंडारघर से चीं चीं कीे और फड़ फड़ की आवाजें सुनी।

उनके आसमान और धरती की मरम्मत करने से गुस्सा हो कर शैतान ने कुछ चूहे उस आदमी के घर के भंडारघर में रखे खाने के सामान को नष्ट करने के लिये भेज दिये थे यह उसी की आवाज थी।

उन चूहों को इस तरह अपना खाने का सामान खराब करते देख कर वह आदमी बहुत गुस्सा हुआ।

उसने एक बहुत मोटी डंडी उठा ली और स्त्री ने लोहे का एक फावड़ा उठा लिया और उन दोनों ने निडर हो कर उन चूहों को मारना शुरू कर दिया। कुछ चूहे तो बहुत जल्दी भाग गये पर कुछ फर्श पर ही गिर पड़े।

दोनों पति पत्नी क्षितिज की सिलाई के काम से बहुत थके हुए थे सो उन्होंने उन चूहों को तो वहीं फर्श पर छोड़ दिया और दोनों जा कर सो गये। और बहुत गहरी नींद सो गये।

जब वे सुबह सवेरे उठे तो यह देखने के लिये खिड़की की तरफ दौड़े गये कि आसमान अपनी जगह पर था कि नहीं। उन्होंने यह देख कर सन्तोष की साँस ली कि वह वहीं अपनी जगह पर ही था।

पर अपने चावल का खेत देख कर उनका दिल डूब गया क्योंकि रात भर में चूहों ने उनकी चावल की सारी फसल खा ली थी। अब अगर उन्होंने थोड़ी बहुत सब्जियाँ न बचायी होतीं तो वे तो तभी मर जाते क्योंकि उनके खाने के लिये तो और कुछ था ही नहीं।

यह देख कर उन्होंने क्षितिज के देवता से सहायता माँगी। उनके घर के मन्दिर में क्षितिज के देवता की एक मूर्ति थी। उन्होंने उस मूर्ति के सामने उनके लिये जौस की डंडियाँ32 जलायीं उनको फलों की टोकरियाँ भेंट में दीं। उन्होंने उनके सामने घुटनों टेक कर प्रार्थना की और उनसे सहायता माँगी।

धीरे से एक कोहरा उनके मन्दिर में छा गया और उसमें से एक आवाज आयी — “मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था कि तुम मेरे पास आओगे। मेरी मरम्मत करने के लिये तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। अब उसको कोई नष्ट नहीं कर सकेगा।

और तुमको अब उन चूहों की भी चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मुझे मालूम है कि उनको कैसे काबू में रखना है। तुम एक बिल्ला ढूँढो। जब तुमको एक बिल्ला मिल जाये तो तुम उसको अपने घर में और खेत पर रख लो। फिर तुमको कोई चूहा कभी परेशान नहीं करेगा।”

“पर यह बिल्ला क्या होता है और यह हमको कब, कहाँ और कैसे मिलेगा?”

क्षितिज के देवता पहले तो कुछ हिचकिचाये फिर बोले — “मुझे मालूम है कि एक बिल्ला स्वर्ग में तो है पर मैं यह नहीं बता सकता कि धरती पर तुमको बिल्ला कहाँ मिलेगा। मुझे यह भी मालूम है कि चीता धरती के सारे जानवरों को जानता है। शायद वह तुम्हारी कुछ सहायता कर सके। मेरी दुआऐं तुम्हारे साथ हैं।”

कमरे में से देवता की आवाज धीमी पड़ती गयी और उसके बाद तो मन्दिर से कोहरा भी छँट गया।

आदमी और स्त्री को मालूम था कि एक चीता उनके घर के पास ही एक गुफा में रहता था पर वे हमेशा उससे दूर ही रहते थे। उसने भी उनको कभी परेशान नहीं किया था।

इस बार वे पहली बार एक इतने ताकतवर और इज़्ज़तदार जानवर से बात करने जा रहे थे इसलिये वे बड़ी हिचक के साथ उसकी गुफा तक गये।

जब वे वहाँ पहुँचे तो चीता अपनी गुफा के बाहर ही बैठा धूप सेक रहा था। जब वे उसके पास तक पहुँचे तो उसने अपना सिर भी नहीं उठाया और अपने पंजे के इशारे से उनको अपने सामने बैठने के लिये कहा।

दोनों बड़ी नम्रता के साथ उसके सामने उसके इतने पास जमीन पर बैठ गये कि वे अपनी परछाईं तक उसकी बड़ी बड़ी पीली आँखों में देख सकते थे।

चीता गुर्रा कर बोला — “बोलो मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?”

आदमी बोला — “हमको आपको परेशान करने के लिये बहुत अफसोस है पर शैतान के चूहे हम लोगों को भूखा मारने पर तुले हुए हैं इसलिये हमको एक बिल्ला चाहिये। इसी लिये हम आपके पास आये हैं।”

अपने आपसे बोलते हुए चीता बोला — “एक बिल्ला? तुम लोग बिल्ला ढूँढ रहे हो? मेरे पास यहाँ कोई बिल्ला विल्ला नहीं है पर हाँ मैं एक बिल्ला बना सकता हूँ। अगर तुम कुछ देर इन्तजार करो तो मैं एक बिल्ला पैदा कर सकता हूँ।”

कह कर चीते ने अपने काले तीखे पंजों से अपने शरीर के एक तरफ का हिस्सा खुजाया और वह वहाँ जब तक खुजाता रहा जब तक कि उसके शरीर में इतना गहरा छेद नहीं हो गया कि उसमें से उसका जिगर नहीं दिखायी देने लगा।

फिर चीता सिकुड़ कर लेट गया और उसने अपना जिगर निकाल कर उस आदमी और स्त्री के सामने रख दिया। फिर उसने अपने शरीर का वह छेद मोम से बन्द कर दिया।

वह जिगर उनको दे कर वह बोला — “तुम लोग इस जिगर को ले जाओ यही तुम्हारा बिल्ला है।”

पति ने आश्चर्य से कहा — “आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मैंने बिल्ला पहले कभी नहीं देखा था पर अगर आप यह कह रहे हैं कि यह बिल्ला है तो मैं उस पर विश्वास किये लेता हूँ।

पर एक जिगर की शक्ल का बिल्ला चूहों को कैसे भगा सकता है? बजाय इसके कि यह चूहे को खाये चूहा तो खुद ही इस जिगर को खा जायेगा।”

चीता गुस्से से गुर्रा कर बोला — “तुम मेरा विश्वास करो यही बिल्ला है। तुम इसको घर ले जाओ औेर फिर चूहे तुमको कभी परेशान नहीं करेंगे। अब तुम जाओ और मुझे आराम करने दो।”

वह आदमी और स्त्री उसका कहा न मानने की हिम्मत नहीं कर सके सो उन्होंने उस जिगर को एक तिनकों की बनी चटाई में लपेटा और गुफा से जितनी जल्दी चल सकते थे चल दिये।

रास्ते में वे बात करते आ रहे थे कि अब उनको क्या करना चाहिये। क्या यह जिगर वही बिल्ला था जिसके बारे में क्षितिज के देवता ने कहा था? जब वे बात कर रहे थे तो स्त्री ने उस चटाई में कुछ हिलता हुआ महसूस किया।

उसने वह चटार्ई जमीन पर रख कर खोली तो उसमें से एक कत्थई रंग का पीले धब्बे वाला बिल्ला निकला। वह उनकी टाँगों से लिपट गया और प्यार से आवाजें निकालने लगा।

आदमी खुश हो कर बोला — “यही बिल्ला होना चाहिये। जल्दी करो इसको घर ले चलो ताकि हम यह देख सकें कि चूहे इसके बारे में क्या सोचते हैं।”

जब वे अपने घर के पास अपने चावल के खेत में पहुँचे तो वह बिल्ला उस स्त्री के हाथों में से निकल कर खुश खुश म्याऊँ म्याऊँ करता हुआ खेत के उस पार भाग गया। उसको वहाँ चूहे मिलने लगे तो वह उनको हवा में उछालता और फिर अपने पंजों में पकड़ लेता।

डर के मारे चूहे वहाँ से भागने लगे। बहुत जल्दी ही यह बात शैतान की फौज में फैल गयी कि कोई पुराना जानवर आदमी और स्त्री के घर में उनका इन्तजार कर रहा है।

इसलिये चूहे ऐसे घरों से दूर ही रहते हैं जहाँ बिल्ले रहते हैं। और यह कहानी यह भी बताती है कि बिल्ला चीते जैसा क्यों लगता है।

Joss sticks – incense sticks burned in Chinese temples

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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