एक चरवाहे और एक जुलाही की कहानी : चीनी लोक-कथा
The Cowherd and the Weaver Girl : Chinese Folktale
एशिया महाद्वीप के चीन देश की यह प्रेम लोक कथा करीब 2000 साल से वहाँ कही सुनी जाती रही है।
एक बार की बात ही कि एक बहुत ही गरीब लड़का था। उसका नाम था नियू लैंग। उसके माता पिता तभी मर गये थे जब वह बहुत छोटा था सो वह अपने जीजा के साथ नान्यांग के पश्चिम में रहता था।
उसका जीजा बहुत नीच किस्म का आदमी था। वह उससे घर का सारा काम करवाता था। एक बार पतझड़ के मौसम में नियू लैंग के जीजा ने उसको दस गाय चराने के लिये भेजा पर वह केवल नौ गायें ही घर वापस ला सका।
यह देख कर नियू लैंग बहुत चिन्तित हुआ। उसकी समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। वह जब परेशान सा इधर उधर घूम रहा था तो उसको एक बूढ़ा मिल गया। उस बूढ़े ने उससे पूछा कि वह इतना उदास क्यों है।
यह जान कर कि वह इतना उदास क्यों है उस बूढ़े ने उसे बताया कि फ़ू नियू पहाड़ी पर एक बूढ़ी बीमार गाय पड़ी है। जब वह थोड़ी ठीक हो जाये तो वह उसे वहाँ से घर ले आये। सो नियू लैंग उस पहाड़ी पर गया और उस गाय को ढूँढा। वह गाय उसको वहाँ मिल गयी। नियू लैंग ने उसको तीन दिन तक खूब खिलाया पिलाया और ठीक कर लिया।
चौथे दिन गाय ने उसे बताया कि वह तो स्वर्ग में एक परी थी पर उसको मनुष्यों की दुनियाँ में गाय बनने की सजा दे दी गयी थी। महीने में एक बार ओस से नहाने से वह तन्दुरुस्त हो सकती थी। नियू लैंग ने उसकी ठीक से देखभाल की। उसको रोज नहलाया और रोज उसके पास ही सोता था। कुछ दिनों में ही गाय तन्दुरुस्त हो गयी और नियू लैंग उसको घर ले आया।
पर जब वह उसको ले कर घर आया तो उसके जीजा ने उसको घर से बाहर निकाल दिया। नियू लैंग ने अपनी वह बूढ़ी गाय अपने साथ ली और उसका घर छोड़ दिया।
एक दिन उसने कई सुन्दर लड़कियाँ एक नदी में खेलती देखीं। उनमें एक लड़की ज़ी नू थी। अपनी जादुई गाय की सहायता से वह उससे मिला तो उसको पता चला कि वह स्वर्ग के बादशाह की कई बेटियों में से एक थी।
दोनों को एक दूसरे से देखते ही प्यार हो गया और वे साथ साथ रहने लगे। ज़ी नू कपड़ा बुनती थी। यही काम वह स्वर्ग में भी करती थी और नियू लैंग खेत पर काम करता था। वे बहुत दिनों तक खुशी खुशी साथ साथ रहे। उनके दो बच्चे हुए।
पर स्वर्ग की देवी ज़ी नू की माँ को पता चल गया कि उसकी बेटी ज़ी नू ने धरती के एक लड़के से शादी कर ली थी। वह बहुत गुस्सा हुई और उसने ज़ी नू को स्वर्ग वापस आने का हुक्म दिया। ज़ी नू को स्वर्ग वापस जाना पड़ा।
नियू लैंग ने जब ज़ी नू को घर में नहीं देखा तो वह बहुत परेशान हुआ कि ज़ी नू कहाँ चली गयी। कि अचानक उसकी गाय ने कहा कि अगर वह उसको मार दे और उसकी खाल ओढ़ ले तो वह अपनी पत्नी को ढूँढने के लिये स्वर्ग तक जा सकता था।
नियू लैंग अपनी गाय को मारना नहीं चाहता था पर फिर रोते हुए उसने गाय को मार दिया उसकी खाल ओढ़ ली और अपने दोनों बच्चों को ले कर ज़ी नू को ढूँढने स्वर्ग चल दिया।
ज़ी नू की माँ को यह भी पता चल गया कि वह लड़का जिससे उसकी बेटी ने शादी की थी उसको ढूँढता हुआ स्वर्ग तक आ पहुँचा है। तो वह यह देख कर और भी बहुत गुस्सा हुई।
सो उसने आसमान में एक बहुत चौड़ी नदी बनायी ताकि वह दोनों प्रेमियों को हमेशा के लिये अलग कर सके। यह नदी “आकाश गंगा” थी।
नियू लैंग उस नदी को पार नहीं कर सका। अब ज़ी नू उस आकाश गंगा के एक तरफ बैठी रहती है और दुखी सी कपड़ा बुनती रहती है जबकि नियू लैंग अपने दोनों बच्चों को लिये हुए आकाश गंगा के दूसरी तरफ बैठा हुआ उसको देखता रहता है।
पर साल में एक बार दुनियाँ की सारी मैनाएँ उन दोनों पर दया करती हैं। वे वहाँ तक उड़ कर जाती हैं सिगनस नक्षत्र के डैनैब तारे पर उस नदी पर एक पुल बनाती हैं जिससे कि वे प्रेमी एक रात के लिये मिल पाते हैं।
यह सातवे चाँद की सातवीं रात होती है। इस रात वे दोनों मिलते हैं और एक साथ बैठ कर रोते हैं। इस दिन धरती पर बारिश होती है और लोग समझते हैं कि वह बारिश उन दोनों के आँसू हैं।
उस दिन से हर सातवें चाँद के महीने में सातवीं रात को इस कहानी के अनुसार लड़कियाँ घर से बाहर निकलती हैं तारों की तरफ देखती हैं आकाश गंगा के डैनैब तारे के दोनों तरफ देखती हैं और भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहे। चीन में यह दिन किक्सी त्यौहार के नाम से मनाया जाता है।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)