होशियार राजकुमारी : एस्टोनिया लोक-कथा

The Clever Princess : Lok-Katha (Estonia)

यह लोक कथा यूरोप महाद्वीप के ऐस्टोनिया देश में कही सुनी जाती है।

यह बात वहाँ के राजा को ही नहीं बल्कि हर एक आदमी को मालूम थी कि राजा की बेटी बहुत सुन्दर थी।

और राजा को ही नहीं बल्कि हर एक आदमी को यह भी मालूम था कि राजकुमारी हाजिर जवाब और बोलने में बहुत ही चतुर थी। वह अपनी बातों से किसी को भी नहीं बल्कि राजा को भी चुप कर सकती थी।

यह सब देखते हुए यह जाहिर था कि राजा को उससे बहुत परेशानी थी। और वह परेशानी यह थी कि उसकी बेटी से कोई शादी नहीं कर सकता था जब तक कि उसकी बेटी की ज़बान काबू में न हो।

सो राजा ने वह सब कुछ किया जो वह उन हालात में कर सकता था। इस सिलसिले में उसने एक ऐलान कर दिया कि वह अपनी बेटी की शादी उसी से करेगा जो उसको बहस में हरायेगा।

यह सब आसान तो नहीं था पर फिर भी बहुत से राजकुमार वहाँ अपनी अपनी किस्मत आजमाने आये। और इतने सारे राजकुमार वहाँ आये कि लोग देख कर दंग रह गये।

जैसे ही एक उम्मीदवार हार कर महल छोड़ कर जाता था दो और आ जाते थे।

जब इतने सारे राजकुमार राजकुमारी का हाथ माँगने आ रहे थे तो राजकुमारी की दासी को जैसे वह पहले बनाया करती थी राजकुमारी के बालों को वैसे ही बाल बनाने का समय ही नहीं मिल पा रहा था।

राजा की इस घोषणा से पहले राजकुमारी के बाल बहुत सुन्दर थे। पर अब समय न मिलने की वजह से उनकी खूबसूरती कम होती जा रही थी।

और जबसे यह बातचीत शुरू हुई थी तबसे, क्योंकि राजकुमार बहुत सारे थे इसलिये यह बातचीत दिन के साथ रात में भी चलती थी, तो राजकुमारी को पूरा आराम भी नहीं मिल पाता था इसलिये उसकी आँखों के नीचे गहरे गड्ढे भी पड़ गये थे।

बातचीत में हर एक के साथ वह जीत जाती इसलिये हर राजकुमार को महल छोड़ कर जाना ही पड़ जाता। इस चक्कर में महल के रोजाना के काम काज में रुकावट आने लगी क्योंकि महल में रोज बहुत सारे आदमी आते।

हालत इतनी खराब हो गयी कि राजा को एक और ऐलान करवाना पड़ा — “कोई भी नौजवान जो राजकुमारी से शादी की इच्छा से महल में आता है वह अगर राजकुमारी से बहस में हार गया तो उसको कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी।”

राजा की इस नयी घोषणा से आने वाले नौजवानों की गिनती में एकदम से बहुत उतार आ गया। पहली बार राजकुमारी बहुत दिनों के बाद मुस्कुरायी। बहुत दिनों के बाद उसने अपने बाल अपने तरीके से बनवाये। पर राजा के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं थी।

वह सोचने लगा — “अगर मेरी बेटी को कोई नहीं हरा सका तो मेरी बेटी तो कुँआरी ही रह जायेगी।”

उसी समय कुछ ऐसा हुआ कि एक नौजवान भिखारी ने राजा का यह ऐलान सुना तो उसने सोचा “मैं राजकुमारी से बहस में अच्छा क्यों नहीं हो सकता। अगर मैं जीत गया तो मुझे महल में रहने को मिल जायेगा और अगर मैं हार गया तो देखता हूँ कि राजा मुझे क्या सजा देता है।”

यह सोच कर वह भिखारी राजा के महल की तरफ चल दिया। जब वह जा रहा था तो रास्ते में उसने एक मरा हुआ कौआ देखा। उसने उसको देख कर मजा लेते हुए सोचा “क्या पता यह किस काम आ जाये।” और उसने वह कौआ अपनी जेब में रख लिया।

वह फिर महल की तरफ चल दिया। आगे जा कर उसको बीच सड़क पर पड़ा एक पुराना टब मिला।

उसको देख कर उसे याद आयी कि उसकी माँ ने कहा था कि कोई भी चीज़ बर्बाद नहीं करनी चाहिये चाहे वह टूटा हुआ टब ही क्यों न हो, क्या पता यह कब काम आ जाये। यही सोच कर उसने वह टब उठा कर अपनी पोटली में रख लिया और फिर आगे चल दिया।

महल जाते समय उसको कई और चीज़ें भी मिलीं सो उसने वे सब चीज़ें अपनी पोटली में उठा कर रख लीं और महल की तरफ चलता रहा।

फिर उसको एक डंडा मिला, एक हूप25 मिला और बूढ़े बकरे का एक सींग मिला। हर चीज़ को उठाते हुए उसने यही सोचा कि पता नहीं कौन सी चीज़ कब काम आ जाये इसलिये उसने वे सब चीज़ें उठा कर अपनी पोटली में रख लीं।

सो जब तक वह महल पहुँचा उसकी पोटली कई चीज़ों से भर गयी थी। जब वह महल के दरवाजे पर पहुँचा तो वहाँ खड़े दरबान ने उससे पूछा — “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

उस नौजवान ने जवाब दिया — “मैं यहाँ राजकुमारी जी से मिलने और उनसे शादी करने आया हूँ। क्या तुम अभी भी मुझसे बदतमीजी से बात करोगे जबकि मैं तुम्हारा होने वाला राजकुमार हूँ?”

यह सुन कर तो वह नौकर बहुत ज़ोर से हँस पड़ा और बोला
— “हमारी इतनी सुन्दर राजकुमारी तुमसे शादी क्यों करने लगी? इससे पहले कि राजा के सिपाही तुमको देख लें तुम यहाँ से भाग जाओ।”

पर वह नौजवान भिखारी तो वहाँ उस नौकर की ना सुनने के लिये नहीं आया था। सो उसने उससे प्रार्थना की कि वह कम से कम राजकुमारी को यह तो बता दे कि कोई उससे शादी करने की इच्छा से खड़ा है।

काफी मिन्नतों के बाद वह नौकर उसको अन्दर ले जाने के लिये राजी हो गया। राजकुमारी को भी कई हफ्ते बीत गये थे किसी से बहस किये सो उसने उस नौजवान की प्रार्थना मान ली और उसको अन्दर बुला भेजा।

जैसे ही उस नौजवान ने राजकुमारी को देखा तो बोला —
“सलाम, ओ मेरी राजकुमारी जिसके हाथ और दिल दोनों बर्फ के हैं।”

राजकुमारी ने तुरन्त ही उसको काटा — “मेरे दिल के साथ कोई गड़बड़ नहीं है। और जहाँ तक मेरे हाथों का सवाल है वे इतने गर्म हैं कि किसी कौए को भी भून सकते हैं।”

राजकुमारी ने सोचा कि उसकी यह बात उस नौजवान को चुप कर देगी पर उसको तो यह पता ही नहीं था कि वह नौजवान कितना होशियार है या फिर उसकी पोटली के अन्दर क्या है।

उस नौजवान ने आश्चर्य से पूछा — “क्या कहा? एक कौए को भूनने के लिये आपके हाथ काफी गर्म हैं? यह तो अच्छा है एक कौआ मेरे पास भी है। देखते हैं कि आपके हाथ इस कौए को भून सकते हैं या नहीं।”

राजकुमारी भी इतनी बेवकूफ नहीं थी। उसको आश्चर्य तो बहुत हुआ कि उसके पास कौआ कहाँ से आया पर उसने उसको अपने चेहरे पर झलकने नहीं दिया। वह हार मानने वाली भी नहीं थी।

वह बोली — “हम उसको अभी और यहीं भूनेंगें अगर हमारे पास कोई टब हो जिसमें हम उस चिड़िया को रख कर भून सकें।”

नौजवान भिखारी ने पूछा — “तो आपको टब चाहिये?

इत्तफाक की बात है कि मेरे पास टब भी है। अरे वह यहीं तो था कहाँ गया।” कह कर वह अपनी पोटली में टब ढूँढने लगा।

जब वह भिखारी अपनी पोटली में टब ढूँढ रहा था तब भी वह राजकुमारी शान्त बैठी थी।

जब भिखारी ने वह टब निकाला तो राजकुमारी ने उसमें एक दरार देख ली तो वह हँस कर बोली — “तुम क्या सोचते हो कि किसी टूटे बर्तन में चिड़ि,,या पकेगी? यह तो शाह की बेइज़्ज़ती है।”

वह नौजवान मुस्कुराया और बोला — “ओ मेरी राजकुमारी, इस दरार को बन्द करने के लिये मेरे पास एक हूप और एक डंडा है।”

यह सुन कर राजकुमारी की बाँयी आँख फड़कने लगी और फिर तो वह फड़कनी रुकी ही नहीं।

राजकुमारी के पेट में हलचल सी होने लगी। उसने सोचा इस भिखारी के पास तो सब चीज़ों का जवाब है पर वह इस बात को अभी भी मानना नहीं चाहती थी।

वह बोली — “ओ भिखारी, तुम तो बड़े चिकने हो। तुम मेरे शब्दों को टेढ़ा कर देते हो और तुम किसी भी तरह फाँसे नहीं जाते।”

भिखारी मुस्कुराया — “चिकना और साथ में टेढ़ा भी। ओ राजकुमारी शायद ऐसा कुछ मेरी पोटली में भी है। हाँ यह है न वह। देखिये बकरे का यह टूटा हुआ सींग चिकना भी है फिर भी यह कितनी सुन्दरता से मुड़ा हुआ है। है न राजकुमारी जी?”

भिखारी अपने सवाल के जवाब का इन्तजार कर रहा था पर वहाँ तो कोई जवाब नहीं था। राजकुमारी इसके आगे कुछ नहीं कह सकी।

राजा के साथ सारे लोग आश्चर्य में पड़ गये। राजा ने अपने ऐलान के मुताबिक अपनी बेटी की शादी उस भिखारी से कर दी। सब उस शाही शादी में शामिल हुए।

और फिर उसके बाद तो किसी को कुछ याद ही नहीं रहा। शादी के बाद जब मेहमान जाने लगे तो राजा ने एक और ऐलान किया —

“मेरे मेहमानों, अपने दामाद से मैंने एक सबक सीखा है कि कभी यह मत कहो कि तुम अपना उद्देश्य हासिल नहीं कर सकते और अपने सपने पूरे नहीं कर सकते। अगर तुम अपनी अक्लमन्दी इस्तेमाल करो तो तुम सब कुछ हासिल कर सकते हो।”

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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