ताश खेलने वाला : यूनानी लोक-कथा

The Cardplayer : Greece/Greek Folk Tale

एक बार एक आदमी था जो ताश खेलने का बहुत शौकीन था। एक दिन उसने अपनी पत्नी से कहा — “एक दिन क्राइस्ट को दोपहर का खाना खिलाने के लिये बुलाओ।”

उसकी पत्नी ने क्राइस्ट को खाने का न्यौता भेजा। क्राइस्ट ने कहा “ठीक है मैं आऊँगा।” सो दोपहर को क्राइस्ट अपने सारे शिष्यों के साथ ताश खेलने वाले के घर खाना खाने आये।

जब ताश खेलने वाले की पत्नी ने इतने सारे लोग देखे तो वह बोली — “मेरे पास इतनी सारी रोटी तो नहीं है।”

क्राइस्ट बोले — “मेरा खयाल है कि होगी। यह देखो मेरे पास यह रोटी है आज हम यही खायेंगे।”

खाने की मेज लगायी गयी और वे सब खाना खाने बैठे। क्राइस्ट ने रोटी को आशीर्वाद दिया और सबने खाना खाया। वह रोटी काफी ही नहीं बल्कि जरूरत से भी ज़्यादा थी।

खाना खाने के बाद क्राइस्ट ने शराब पी और ताश खेलने वाले से पूछा कि वह क्राइस्ट से क्या चाहता था। क्राइस्ट के शिष्यों ने उसको सलाह दी कि वह उनसे स्वर्ग का राज्य माँग ले।

पर ताश खेलने वाले ने कहा — “मेरे घर में एक सेब का पेड़ है। मेरे घर बहुत सारे लोग आते हैं और उस पेड़ से वे सेब तोड़ कर ले जाते हैं। सो मैं यह चाहता हूँ कि जो कोई भी इस पेड़ से सेब तोड़े वह इससे चिपक जाये और जब तक मैं उसे न छुड़ाऊँ वह उस पेड़ से न छूटे।”

क्राइस्ट बोले — “जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा।”

क्राइस्ट ने शराब का दूसरा प्याला पिया और फिर पूछा — “बोलो तुम्हारी क्या इच्छा है कि मैं तुम्हें क्या और दूँ?”

क्राइस्ट के शिष्यों ने उससे फिर कहा स्वर्ग का राज्य माँग लो पर वह फिर बोला — “नहीं, अबकी बार मैं आपसे यह माँगता हूँ कि मैं जब भी ताश खेलूँ तो बस मैं ही जीतूँ।”

क्राइस्ट बोले — “जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा।”

क्राइस्ट ने शराब का तीसरा प्याला पिया और फिर पूछा — “अब तुम्हारी क्या इच्छा है कि मैं तुम्हें क्या दूँ?”

इस बार उसने कहा — “स्वर्ग का राज्य।”

क्राइस्ट बोले — “जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा।”

क्राइस्ट यह कह कर वहाँ से चले गये और वह आदमी ताश खेलने चला गया। अब क्या था वह आदमी तो क्राइस्ट के वरदान से जिसके साथ भी ताश खेलता था उसी को जीत लेता था। कुछ समय बाद क्राइस्ट को तो सूली पर चढ़ा दिया गया और वह आदमी ताश खेलता रहा।

जब क्राइस्ट स्वर्ग के राज्य में पहुँचे तो उन्होंने उस ताश खेलने वाले को स्वर्ग लाने के लिये एक देवदूत भेजा। वह देवदूत नीचे धरती पर आया और ताश खेलने वाले से कहा — “तुम अब काफी खेल चुके अब तुम्हारी ज़िन्दगी खत्म। चलो स्वर्ग चलो।”

ताश खेलने वाला बोला — “ठीक है। मैं चलता हूँ। तब तक तुम इस सेब के पेड़ से थोड़े से सेब खाओ और बस मैं तुम्हारे साथ अभी चलता हूँ।”

वह देवदूत उस पेड़ से सेब तोड़ने गया पर जैसे ही उसने उस पेड़ को छुआ वह उससे चिपक गया। उसने ताश खेलने वाले से कहा कि वह उसको उस पेड़ से छुड़ा ले।

ताश खेलने वाले ने कहा — “ठीक है मैं तुमको छुड़ाने आता हूँ पर जब मैं चाहूँगा तभी आऊँगा उससे पहले नहीं।” और यह कह कर वह इधर उधर घूमता रहा।

जब वह इधर उधर घूमते घूमते थक गया तब वह देवदूत के पास आया और बोला — “मैं अब तुमको इस पेड़ से छुड़ाता हूँ और तुम्हारे साथ चलता हूँ।” कह कर उसने देवदूत को उस पेड़ से छुड़ाया और उसके साथ चल दिया।

रास्ते में नरक पड़ा। वहाँ हैडेस अपने बारह छोटे साथियों के साथ बैठा था तो ताश खेलने वाला उससे बोला — “मैं तुमसे ताश की एक बाजी खेलना चाहता हूँ। अगर मैं हार गया तो मैं तुम्हारे पास हमेशा के लिये रह जाऊँगा और अगर तुम हार गये तो तुम मुझे अपने ये बारह छोटे साथी दे देना।”

हैडेस राजी हो गया और उसने ताश खेलना शुरू कर दिया। अब क्राइस्ट के वरदान के साथ उससे कोई जीत तो सकता नहीं था सो वह जीत गया और हैडेस से वह उसके बारह छोटे साथी ले कर चल दिया।

अब वह स्वर्ग आया। जब क्राइस्ट ने उस आदमी के साथ दूसरे लोगों को आते देखा तो उस आदमी से कहा — “मैंने तो केवल तुमको ही आने को कहा था पर तुम तो बहुत सारे लोगों को अपने साथ ले आये हो।”

वह आदमी बोला — “मैंने भी तो खाने के लिये केवल आपको ही बुलाया था और आप तेरह लोग मेरे घर आये थे। मैं भी अपने साथ बारह लोगों को ले कर आया हूँ।”

यह सुन कर क्राइस्ट ने सारे तेरह लोगों को स्वर्ग में आने की इजाज़त दे दी।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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