एक मछियारे के बेटे के कारनामे : ब्राज़ील की लोक-कथा
The Adventures of a Fisherman’s Son : Lok-Katha (Brazil)
यह एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिसको नदी में रहने वाले एक बड़े साइज़ का आदमी ने उसके पिता से एक सौदे में ले लिया था।
बहुत पुरानी बात है कि एक आदमी अपनी पत्नी के साथ एक नदी के किनारे ताड़ के पेड़ों की छाँव में एक मिट्टी की बनी झोंपड़ी में रहता था।
उन दोनों के कई बच्चे थे। वे नहीं जानते थे कि वे उनको कैसे सँभालें। उनकी उस छोटी से झोंपड़ी में हमेशा भीड़ लगी रहती। आदमी को केवल इन सबका खाना जुटाने के लिये ही सुबह से ले कर शाम तक बहुत काम करना पड़ता।
एक दिन उनका सातवाँ बेटा अपने पिता से बोला — “पिता जी कल जब मैं नदी के किनारे खेल रहा था तो मुझे एक छोटा सा पिल्ला मिला। मैं हमेशा से एक पिल्ला पालना चाहता था। क्या मैं उसे घर ले आऊँ?”
पिता को अपने परिवार के लिये ही खाना जुटाने में बहुत परेशानी होती थी फिर वह इस पिल्ले को कहाँ से खिलायेगा। इसके अलावा उसकी झोंपड़ी में उसी के अपने परिवार के लिये रहने की जगह नहीं थी फिर वह इस पिल्ले को कहाँ रखेगा। यही सोच कर वह अपने बच्चे की बात सुन कर दुखी था।
पर बच्चे की इच्छा को देखते हुए उसने उसको दुखी मन से उस पिल्ले को घर लाने की इजाज़त दे दी।
यही सब सोचते सोचते उस दिन बड़े भारी दिल से वह नदी पर मछली पकड़ने गया। उसने नदी में मछली पकड़ने के लिये अपना जाल फेंका पर सब बेकार। उस दिन उसके जाल में एक भी मछली नहीं फँसी।
उसने नदी के दूसरी तरफ भी जाल फेंका पर वहाँ भी जाल फेंकने से कोई खास फायदा नहीं हुआ। उधर भी उसके जाल में एक छोटी सी मछली भी नहीं फँसी।
अचानक उसने एक आवाज सुनी जो उसे नदी की तली से आती लग रही थी। वह आवाज बहुत गहरी थी।
वह आवाज कह रही थी — “जब तुम घर पहुँचोगे तो अगर तुम मुझे वह दोगे जो तुमको अभी नया नया मिला है तो मैं तुम्हें “एक मछियारे की खुशकिस्मती” दूँगा। उससे तुम वे सब तरह की मछलियाँ पकड़ सकोगे जो भी तुम पकड़ना चाहोगे।”
उस मछियारे को अपने सातवें बेटे की बात याद आयी जो उसने उससे सुबह ही कही थी।
उसने सोचा “नयी चीज़ तो जो जब मैं अपने घर पहुँचूँगा और मैं अपने घर में पाऊँगा वह तो वह पिल्ला ही होगा जो मेरा सातवाँ बेटा घर ले कर आया होगा।
यह तो उस पिल्ले को घर में लाने से बचने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है जिसे मैं अपने घर में रखना ही नहीं चाहता था।” सो उसने उस आवाज की बात मान ली और उससे हाँ कर दी।
उसी आवाज ने फिर कहा — “तुमको हमारे इस सौदे के ऊपर अपने खून से सील लगानी पड़ेगी।”
आदमी ने अपने तेज़ चाकू से अपनी उँगली ज़रा सी काटी उसको दबा कर कुछ बूँद खून निकाला और नदी में डाल दिया।
उस गहरी आवाज ने फिर से कहा — “अगर तुम अपनी इस कसम को तोड़ोगे तो नदी के बड़े साइज़ के आदमी का शाप तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के ऊपर हमेशा हमेशा के लिये पड़ेगा।”
उसके बाद मछियारे ने वहाँ अपना मछली पकड़ने वाला जाल फेंका जहाँ उसने इस आदमी को बताया था तो उसका जाल तो तुरन्त ही इतनी सारी मछलियों से भर गया कि उसको तो उसे पानी में से बाहर निकालना मुश्किल हो गया।
उसने उस जाल को पानी में से बाहर निकालने की तीन बार कोशिश की पर वह इतना भारी था कि उसको लग रहा था कि वह तो बस टूट ही जायेगा।
आदमी बोला — “यह तो बहुत ही अच्छा सौदा था। अब तो मेरे पास मेरे परिवार के खाने के लिये बहुत सारा खाना है और जो बचेगा उसे मैं बेच दूँगा।”
इसी खुशी के साथ मछियारा वे इतनी सारी मछलियाँ ले कर घर पहुँचा तो उसके बच्चों में से एक बच्चा उससे मिलने आया और खुशी से बोला — “पिता जी बताइये तो आज हमारे घर में क्या नया है जो जब नहीं था जब आप यहाँ से गये थे?”
पिता बोला — “एक नया पिल्ला?”
“ओह नहीं पिता जी। आप बिल्कुल भी ठीक से नहीं बता पाये। हमारा एक छोटा भाई।”
यह सुन कर तो वह मछियारा फूट फूट कर रो पड़ा — “उफ़ यह मैंने क्या किया। अब मैं क्या करूँ? उफ़ अब मैं क्या करूँ? मैं तो नदी के उस बड़े साइज़ के आदमी से अपना वायदा तोड़ भी नहीं सकता।”
मछियारे की पत्नी ने जब इस सौदे के बारे में सुना जो उसके पति ने नदी के बड़े साइज़ के आदमी के साथ किया था तो उसका तो दिल ही टूट गया।
उसने बेचारी ने बहुत सोचा बहुत सोचा पर वह इस सौदे से बचने का कोई तरीका नहीं सोच पायी। उसने अपने उस छोटे से बच्चे को रोते हुए गुड बाई कहा, अपना आशीर्वाद दिया और उसे मछियारे की गोद में दे दिया।
मछियारा उसको ले कर नदी की तरफ गया और वहाँ पहुँच कर उसे नदी में उसी जगह फेंक दिया जहाँ से वह गहरी आवाज आ रही थी। नदी की गहराइयों में पड़ा बड़े साइज़ का आदमी तो उस नये पैदा हए बच्चे का इन्तजार ही कर रहा था।
जैसे ही मछियारे ने बच्चे को नदी के पानी में फेंका उसने उसे अपने हाथों में लपक लिया और उसके अपने सोने चाँदी और सीपी के बने महल में ले गया जिसमें हीरों से जड़ी सजावट की चीज़ें लगी हुई थीं।
वहाँ वह बच्चा उनकी पूरी देखभाल में पलने लगा। समय गुजरता रहा और बच्चा बड़ा होता रहा। अब वह बड़ा लड़का हो गया था। वह अब पन्द्रह साल का सुन्दर लड़का हो गया था। वह लम्बा था। उसकी आँखें काली और नदी की तरह गहरी थीं। उसके बाल नदी की गहराइयों की तरह ही गहरे थे।
हालाँकि उसके ये सारे साल बहुत आराम में गुजरे थे पर उसने कभी कोई आदमी नहीं देखा था। उसने तो नदी का वह बड़े साइज़ का आदमी भी नहीं देखा था जो उसको वहाँ ले कर आया था और उसको पाल रहा था। उसको तो बस उसकी आवाज ही सुनायी देती थी जिसमें वह महल में हुक्म चलाता था।
एक दिन नदी के बड़े साइज़ के आदमी की आवाज ने कहा — “मुझे बहुत लम्बी यात्रा पर जाना है। मैं तुम्हारे पास महल के सारे दरवाजों की चाभियाँ छोड़ जाता हूँ पर किसी के साथ तुम कोई गड़बड़ी नहीं करना। अगर तुम करोगे तो तुमको अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।”
उसके बाद कई दिन बीत गये। उसके बाद उसको नदी के बड़े साइज़ की आवाज सुनायी नहीं पड़ी। उस आवाज के बिना उसे सारे महल में बहुत सूना सूना लगता था। वहाँ सब कुछ बहुत शान्त और अकेला था।
आखिर पन्द्रह दिन के बाद उसने बड़े साइज़ के आदमी की दी हुई चाभियों में से एक चाभी निकाली और उसको महल के उस दरवाजे में लगा कर देखा जिस दरवाजे में भी वह लग गयी। उस दरवाजे से हो कर वह महल के एक ऐसे कमरे में पहुँच गया जिसमें वह पहले कभी नहीं आया था।
उस कमरे में एक बहुत बड़ा शेर था। वह शेर बहुत मोटा था और खूब खाया पिया था। पर उस समय उसके खाने के लिये वहाँ भूसे के सिवा और कुछ नहीं था। लड़के ने वहाँ किसी को नहीं छेड़ा और दरवाजा बन्द कर के बाहर आ गया।
उसके बाद पन्द्रह दिन और बीत गये। लड़के ने फिर से एक चाभी ली और उसने महल का एक और दरवाजा खोला। वह इस दरवाजे से भी पहले कभी नहीं गया था। यह दरवाजा भी एक कमरे में खुलता था। इस कमरे में बहुत सारे कवच और तलवार आदि रखे हुए थे।
वहाँ कटारें थीं। चाकू थे। तलवारें थीं। बहुत तरीके के कवच थे जिनको उस लड़के ने कभी देखा भी नहीं था। वह उनके बारे में कुछ जानता भी नहीं था। उसे उन चीज़ों को देखने की इच्छा भी हुई पर उसने उनमें से किसी चीज़ को छेड़ा नहीं।
अगले दिन उसने एक कमरा और खोला जिसमें बहुत सारे घोड़े रखे हुए थे। इस बार एक काले रंग का घोड़ा उससे बोला — “हमको इस माँस की जगह भूसा खाना बहुत अच्छा लगता है जो शायद गलती से हमारे पास छोड़ दिया गया है। लगता है शेर के पास हमारा भूसा होगा।
मेहरबानी कर के यह माँस शेर को दे दो और उससे हमारा भूसा हमें ला कर दे दो। अगर जैसा मैं तुमसे कह रहा हूँ तुम वैसा ही करोगे तो मैं हमेशा हमेशा के लिये तुम्हारा नौकर बन जाऊँगा।”
लड़का वहाँ से वह माँस उठा कर शेर के पास ले गया। शेर तो अपने सामने भूसे की जगह उस माँस को देख कर बहुत खुश हो गया। लड़के ने वहाँ से भूसा उठाया और घोड़ों के पास ले गया।
पर तभी उसको याद आया कि आवाज ने तो उससे कहा था कि वह वहाँ किसी चीज़ को न छेड़े। “अब तो इस काम के लिये मेरी जान ले ली जायेगी।” यह सोच कर तो वह रोने और सुबकने लगा।
वहाँ के घोड़ों को यह सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ।
वह काला घोड़ा बोला — “मैंने तुमको इस मुसीबत में डाला है तो अब मैं ही तुमको यहाँ से बाहर निकालूँगा। बस तुम मुझ पर यहाँ से बाहर जाने के लिये भरोसा रखना।”
काले घोड़े ने उससे कहा कि वह वहाँ से कुछ और कपड़े ले ले एक तलवार ले ले और एक बन्दूक ले ले और उसकी पीठ पर चढ़ जाये।
वह आगे बोला — “मैं यहाँ इस नदी की गहरायी में इतने दिनों तक रहा हूँ इसलिये मेरी चाल इस नदी से भी ज़्यादा तेज़ है। अगर पहले मुझे अपने भागने के बारे में कोई शक था भी तो क्योंकि अब मैंने यह भूसा खा लिया है तो मुझे पूरा यकीन है कि मैं अब दुनियाँ की किसी भी नदी से बहुत तेज़ भाग सकूँगा।”
और यह सच था। जब नदी का बड़े साइज़ का आदमी घर वापस आया और उसे पता चला कि लड़के ने उसकी चीज़ों के साथ कुछ छेड़छाड़ की है तो वह उसके पीछे जितनी तेज़ी से भाग सकता था भाग लिया।
पर वह काला घोड़ा उस लड़के को उस बड़े साइज़ के आदमी की पहुँच से जल्दी ही बहुत दूर ले गया। वे दोनों तब तक भागते रहे जब तक वे एक राज्य में नहीं आ गये।
उस राज्य के राजा के तीन बहुत सुन्दर बेटियाँ थीं। लड़के ने तुरन्त ही इस राजा के पास नौकरी करनी चाही।
राजा बोला — “मैं नहीं जानता कि तुम मेरे लिये क्या कर सकते हो क्योंकि तुम्हारे हाथ तो इतने कोमल और गोरे हैं कि मैं सोच ही नहीं पा रहा हूँ कि मैं तुम्हें क्या काम दूँ।
शायद तुम मेरी तीन बेटियों के लिये रोज सुबह मेरे बागीचे से फूलों का एक एक गुलदस्ता ला कर दे दो।”
लड़के की आँखें नदी की गहरायी की तरह गहरी और काली थीं सो अगली सुबह जब वह राजकुमारियों के लिये राजा के बागीचे से तीन फूलों के गुलदस्ते ले कर उनके पास गया तो राजा की सबसे छोटी बेटी तुरन्त ही उससे प्यार करने लगी।
उसकी दोनों बड़ी बहिनें उस पर हँसने लगीं तो उसने कहा — “मुझे कोई चिन्ता नहीं कि तुम लोग क्या कहती हो। वह उन राजकुमारों में से किसी भी राजकुमार से बहुत सुन्दर है जिन्होंने हमारे छज्जों के नीचे प्रेम गीत गाये हैं।”
उसी रात पड़ोसी राज्यों से दो राजकुमार उन तीनों राजकुमारियों के छज्जे के नीचे प्रेम गीत गाने आये। राजा की दोनों बड़ी बेटियाँ इस पर बहुत खुश थीं।
पर सबसे छोटी राजकुमारी का प्रेम तो उसके दिल में और उसकी आँखों में था इसलिये उन दोनों राजकुमारों ने उसी की बहुत तारीफ की।
नदी वाले लड़के ने भी उन दोनों राजकुमारों के प्रेम गीत सुने। उसने सोचा “काश मैं भी इन दोनों राजकुमारों के जैसा होता और मैं भी इनके जैसा गीत गा सकता।”
तभी उसने अपनी परछाँई बागीचे में लगे फव्वारे के पानी में देखी तो उसने देखा कि वह भी काफी कुछ उनके जैसा ही लग रहा था। उसने सोचा कि वह भी उन राजकुमारियों के छज्जों के नीचे गीत गायेगा।
पर उसको तो यही पता नहीं था कि वह गा सकता था या नहीं। पर सच तो यह था कि उसकी आवाज में नदी की बहने की आवाज का संगीत था। सो वह वहाँ गाने पहुँच गया। जब उन दोनों राजकुमारों ने उसका गाना सुना तो उनका गाना रुक गया। उसका गाना तो उनके गाने से कहीं अच्छा था।
तीनों राजकुमारियों को तो यह पता ही नहीं था कि वह गाना कौन गा रहा है पर सबसे छोटी राजकुमारी को पता चल गया कि वह गाना कौन गा रहा है।
अगले दिन टूर्नामैन्ट था। नदी के लड़के ने तो पहले कभी कोई भी और किसी भी किस्म का टूर्नामैन्ट देखा नहीं था सो वह नहीं जानता था कि उसे क्या करना है। पर कुछ पल उसे देखने के बाद ही उसने सोच लिया कि वह भी उसमें हिस्सा लेगा।
वह अपने उस काले घोड़े को लेने गया जो उसे नदी की गहराइयों से निकाल कर बाहर ले कर आया था और वे हथियार लाने गया जो वह अपने साथ ले कर आया था।
उसने अपने साथ लाये कपड़े पहने, अपने काले घोड़े पर सवार हुआ, अपनी तलवार उठायी और टूर्नामैन्ट मे हिस्सा लेने जा पहुँचा। वह एक ऐसे घोड़े और ऐसे हथियारों को ले कर टूर्नामैन्ट के मैदान में पहुँचा तो वहाँ बैठा हर आदमी यही सोचने लगा कि यह कौन है।
सिवाय सबसे छोटी राजकुमारी के उसको कोई नहीं पहचान पाया। और जैसे ही उसने उसे देखा तो उसने अपने सिर से अपना पीला रिबन निकाल कर दे दिया।
अगले दिन जिन लोगों ने टूर्नामैन्ट में हिस्सा लिया था वे सब उस जंगली जानवर को ढूँढने के लिये चले जो अक्सर शहर में लोगों को परेशान करने आ जाता था।
पर उनमें से किसी को भी वह जानवर नहीं मिला। बाद में उन सबको पता चला कि केवल नदी के लड़के ने ही उस जंगली जानवर को मार दिया था।
जब वे इस खबर के साथ राजमहल लौटे कि वह जानवर मारा जा चुका है तो राजा ने कहा कि कल हम एक बहुत बड़ा उत्सव मनायेंगे जैसा इस महल में पहले कभी नहीं मनाया गया होगा। यहाँ जितने भी लोग इस टूर्नामैन्ट में हिस्सा लेने आये हैं वे सब कल चिड़ियें मारने जायेंगे जो हमारी मेज की शोभा बढ़ायेंगीं।
सो अगले दिन सारे लोग चिड़िया मारने चले। पर वह केवल नदी का लड़का ही था जिसने चिड़ियें मारीं। और दूसरा कोई भी चिड़िया नहीं मार सका। यह देख कर वे दो राजकुमार उम्मीदवार बहुत निराश हुए। वे सबसे छोटी राजकुमारी के उम्मीदवार थे।
उन्होंने आपस में एक सौदा किया — “हम इस अजनबी को अपनी इज़्ज़त इस तरह से नहीं ले जाने देंगे। सो उत्सव के समय तुम कहना कि तुमने जंगली जानवर मारा और मैं कहूँगा कि मैंने चिड़ियें मारीं।”
सो उस रात जब उत्सव मनाया गया तो एक राजकुमार राजा के सामने जा कर खड़ा हुआ और उसने उसे अपनी जंगली जानवर को मारने की कहानी बतायी। फिर दूसरा राजकुमार खड़ा हुआ और उसने उसे अपनी चिड़ियें मारने की कहानी सुनायी।
पर वहाँ बैठे सब कुलीन लोग यह जानते थे कि वे दोनों ही कहानियाँ झूठी थीं। उन्होंने उस उम्मीदवार को ढूँढने के लिये वहाँ चारों तरफ देखा जिसने यह सब किया था तो वह तो उनको वहाँ कहीं दिखायी ही नहीं दिया।
क्यों? क्योंकि उस नदी के लड़के ने अपने बागीचे के नौकर वाले कपड़े पहन रखे थे और वह उस दावत वाले कमरे में दूसरे नौकरों के साथ नीचे की तरफ खड़ा हुआ था। इसलिये उसको कोई पहचान ही नहीं सका।
जब राजा ने उन दोनों राजकुमारों की कहानियाँ सुनी तो वह उनके काम से बहुत खुश हुआ और बोला — “जिस राजकुमार ने जंगली जानवर मारा है वह मेरी एक बेटी से शादी करेगा और जिस राजकुमार ने चिड़ियें मारी हैं वह मेरी दूसरी बेटी से शादी करेगा।”
सबसे छोटी राजकुमारी ने नदी वाले लड़के को नौकरों के बीच खड़ा देखा तो वह उसकी आँखों में देख कर मुस्कुरायी।
वह लड़का राजा के सामने आया और राजा को प्रणाम किया और बोला — “ओ राजा, ये कहानियाँ जो अभी आपने सुनी हैं वे दोनों झूठी हैं। जैसा कि यहाँ बैठे ये सारे कुलीन लोग आपको गवाही दे सकते हैं।
वह मैं था जिसने जंगली जानवर मारा और वह भी मैं ही था जिसने चिड़ियों को मारा। इसलिये आपकी एक बेटी मेरी है।” वहाँ बैठे सारे कुलीन लोगों ने उस लड़के को उसके बागीचे के कपड़े पहने होने के बावजूद उस रूप में भी पहचान लिया।
वे सब एक साथ बोले — “हाँ यही वह लड़का है। यह सच बोल रहा है। यही हम सब में वह शानदार बहादुर लड़का है जिसने जंगली जानवर और चिड़ियों को मारा है। इनाम इसी को मिलना चाहिये।”
यह सुन कर सबसे छोटी राजकुमारी का दिल खुशी से भर गया। अगले दिन ही उन दोनों की शादी हो गयी।
नदी के बड़े शरीर वाले आदमी को भी इस बात का पता चला तो उसने हीरे और मोती का एक हार राजकुमारी और उस लड़के के लिये शादी की भेंट में भेजा जिसको वह अपने महल में लाया था। अफसोस कि मछियारे और उसकी पत्नी को यह कभी पता नहीं चल सका कि उनका बेटा कितना खुशकिस्मत था।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)