तीन भाई : इतालवी लोक-कथा

Teen Bhai : Italian Folk Tale

एक बार की बात है कि इटली देश में तीन भाई रहते थे। उनमें से दो भाइयों के पास कपड़े नहीं थे और एक भाई के पास कमीज नहीं थी।

मौसम बहुत खराब था और उन्होंने शिकार पर जाने का फैसला किया। उन्होंने तीन बन्दूकें उठायीं जिनमें से दो टूटी हुई थीं और एक की नली ही नहीं थी।

बन्दूकें ले कर वे शिकार के लिये चल दिये। चलते चलते वे एक घास के मैदान में आ गये। वहाँ उनको एक बड़ा खरगोश दिखायी दे गया। उन्होंने उसको गोलियाँ मारनी शुरू कीं पर वे उसे पकड़ नहीं सके।

उनमें से एक बोला — “अब हम क्या करें?”

फिर उनको याद आया कि वहीं पास में ही उनकी एक गौडमदर रहती थी सो वे उसके घर गये और वहाँ जा कर उसका दरवाजा खटखटाया। उन्होंने उससे उस बड़े खरगोश को पकाने के लिये एक बरतन माँगा जिसको उन्होंने अभी तक पकड़ा ही नहीं था।

गौडमदर घर पर नहीं थी फिर भी उसने जवाब दिया — “मेरे बच्चों, देखो रसोईघर में जाओ। वहाँ पर तीन बरतन रखे हैं। उनमें से दो तो टूटे हुए हैं और एक का तला ही नहीं है। तुमको जो पसन्द आये वह बरतन ले लो।”

“धन्यवाद गौडमदर।” कह कर वे रसोईघर में गये और उन्होंने वह बरतन उठा लिया जिसका तला नहीं था। उस बरतन में उन्होंने उस बड़े खरगोश को पकने के लिये रख दिया।

जब बड़ा खरगोश उसमें पक रहा था तो उनमें से एक बोला — “चलो गौडमदर से चल कर पूछते हैं अगर उसके बागीचे में कुछ हो रहा हो तो। उसको तोड़ कर उसका सूप बनाते हैं।”

सो उन्होंने उससे जा कर पूछा कि क्या उसके बागीचे में कुछ था। वह बोली — “हाँ हाँ मेरे बच्चों मेरे बागीचे में अखरोट के तीन पेड़ लगे हैं। उनमें से दो तो सूख गये हैं और तीसरे में फल कभी आये ही नहीं। जितने भी फल तुम उनमें से गिरा सकते हो गिरा लो।”

सो उन तीन भाइयों में से एक भाई गौडमदर के बागीचे में गया और वहाँ जा कर उन तीनों पेड़ों में से वह पेड़ हिलाया जिसमें कभी फल लगे ही नहीं थे। पेड़ हिलाने से एक बहुत ही छोटा सा अखरोट उसके सिर पर गिर पड़ा। इससे उसके पैर की एड़ी टूट गयी।

फिर उन्होंने और अखरोट उठाये और बड़े खरगोश के पास चल दिये जो अब तक पक चुका था। उस सबको देख कर एक भाई बोला — “अब हम इतने सामान का क्या करें?”

सो वे पास के एक गाँव में गये वहाँ बहुत सारे लोग बीमार थे। वहाँ जा कर उन्होंने गाँव में एक नोटिस लगा दिया कि कोई भी जो चाहे फलाँ जगह से खरगोश का सूप मुफ्त में ले सकता है।

यह नोटिस पढ़ कर हर आदमी खरगोश का सूप लेने चल दिया। वह सूप उन्होंने सलाद की टोकरी में लिया और उसको बाँटने लगे। एक आदमी जो उस गाँव का नहीं था उसने यह सूप इतना सारा पिया कि वह तो मरने वाला ही हो गया।

तब उन तीनों भाइयों ने तीन डाक्टर बुलवाये – एक अन्धा था, दूसरा बहरा था और तीसरा गूँगा था।

अन्धा डाक्टर अन्दर गया और बोला — “अपनी जीभ दिखाओ।”

बहरे डाक्टर ने पूछा — “ज़रा बताओ तो तुम कैसे हो?”

गूँगे डाक्टर ने कहा — “मुझे एक कागज पैन्सिल दो।”

तीनों भाइयों ने उसको एक कागज पैन्सिल दे दी तो उसने उस पर लिखा —

तुम दवा बेचने वाले के पास जाओ
क्योंकि उसको अपना काम आता है
दो सैन्ट का तो तुम उससे वह खरीदो जिसका मुझे नाम नहीं पता
उसको तुम वहाँ रख दो जहाँ तुम चाहो
यह ठीक हो जायेगा हालाँकि मुझे पता नहीं कब
अब मैं चलता हूँ और इसको तुम्हारे हवाले छोड़ता हूँ

यह इटली की एक बहुत ही लोकप्रिय लोक कथाओं में से एक है।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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