तालाब का रक्षक : अफ्रीकी लोक-कथा

Talaab Ka Rakshak : African Folk Tale

मध्य अफ्रीका देश में बहुत दूर एक जगह पर एक झील थी। उस झील के एक तरफ पानी को निकलने को जगह मिल गयी थी सो वहाँ से वह पानी निकल कर मैदानों की तरफ चल पड़ा था।

तंग पहाड़ी रास्तों से होता हुआ, पहाड़ियों की चोटी से नीचे गिरता हुआ, कत्थई ज़मीन और हरे घास के सपाट मैदानों से होता हुआ वह पानी तीन चट्टानों के बीच में आ कर रुक गया।

वहाँ वह नदी चारों तरफ घूमती रही ताकि वह वहाँ से निकल जाये, गोल गोल और तेज़, पर वह वहाँ से निकल ही नहीं सकी और वहाँ पर उसका एक भँवर बन गया जिसमें पानी नीचे की तरफ डूबता चला जाता है।

उस भँवर में पास में लगे पेड़ों के लाल और सुनहरी पत्ते भी डूबते चले जा रहे थे। और वे डंडियाँ भी डूबती चली जा रही थीं जो पानी के उस पार से पानी में आ गिरी थीं। और वे तितलियाँ भी जो पानी के किनारे लगे सफेद खुशबूदार फूलों पर मँडराती थीं।

उस भँवर की तली में एक बहुत बड़ा रुपहले रंग का पानी का अजगर रहता था। वह वहाँ कुंडली मार कर बैठा रहता था।

जब सूरज निकलता तो उस साँप की आँखें उसकी चमकीली किरनों को देख कर झपकतीं और उसकी सुन्दर पर भयानक जीभ लपलपाती। वह रुपहला अजगर उस तालाब का चौकीदार था।

पर यह कोई मामूली अजगर नहीं था क्योंकि उसकी ठंडी भीगी खाल को केवल छूने से ही लोगों के बहुत सारे रोग और दर्द ठीक हो जाते थे। पर ठीक तो वे ही होते थे न जो उसके घर में, यानी तालाब की तली में, जा कर उसको छू कर आते थे।

एनगोसा उसी तालाब के किनारे बैठी हुई थी और उस तालाब में तेज़ घूमते भँवरों को देख रही थी। सूरज उसकी कत्थई खाल पर चमक रहा था और उसके काँपते हुए शरीर को गरम कर रहा था।

उसकी माँ बीमार थी, बहुत बीमार। ऐनगोसा जानती थी कि वह अगर उसके लिये कोई सहायता ले कर नहीं गयी तो वह मर जायेगी।

पर उस भँवर की उन भयानक लहरों में से हो कर नीचे उतरना, फिर उस रुपहले अजगर को छूना, फिर उसकी काली आँखों में देखना, और फिर उसकी लपलपाती हुई जीभ , , , उफ़, धूप की गरमी से गरम होते हुए भी ऐनगोसा डर से काँप गयी। वह बहुत डरी हुई थी। वह क्या करे।

पानी के नीचे से अजगर ने ऐनगोसा की तरफ देखा और देखा कि वह सुन्दर थी। उसने यह भी जान लिया कि वह उससे क्यों डर रही थी सो वह उसको कुछ तसल्ली देना चाहता था पर वह उसको तसल्ली कैसे दे। ऐनगोसा तो उससे बहुत दूर बैठी थी।

तभी ऐनगोसा ने अपने पीछे रोने की आवाज सुनी। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी छोटी बहिन खेतों में से हो कर भागी चली आ रही थी।

उसने पुकारा — “ऐनगोसा, ऐनगोसा। जल्दी कर माँ की हालत बहुत खराब है। लगता है हमारी माँ अब मरने ही वाली है। ”

यह सुन कर ऐनगोसा को अपनी माँ की बहुत सारी बातें याद आ गयीं – कैसे उसकी माँ उसको सहलाया करती थी और जब एक बार मगर ने उसको पानी में खींच लिया था तो कैसे वह उसके पास बैठ कर सारी सारी रात उसके लिये लोरियाँ गाया करती थी।

एक बार जब उसको बिच्छू ने काट लिया था तो कैसे वह उसके लिये कई कई मील पैदल जा कर उसके दर्द को ठीक करने के लिये लाल मूली की जड़ ले कर आयी थी।

कैसे उसकी माँ ने एक बार एक बालों वाले बबून को खूब पीटा था जब उसने उसके छोटे भाई को चुराने की कोशिश की थी।

एक बार जब बहुत सूखा पड़ा था और सारे आदमी भूखे मर रहे थे तब कैसे उसकी माँ ने अपना मक्का का दलिया छिप कर अपने बच्चों से बाँट कर खाया था।

यही सोचते सोचते ऐनगोसा उठी और उस भँवर के पास जा कर रुक गयी।

अजगर ने ऐनगोसा के सामने एक बार अपनी जीभ लपलपायी और फिर शान्त हो गया। उसकी काली आँखें बन्द थीं। ऐनगोसा ने अपना हाथ बढ़ाया और उसकी ठंडी भीगी खाल को छुआ।

फिर पानी को अपनी बाँहों और टाँगों से हटाते हुए वह पानी की सतह के ऊपर आ गयी और खेतों से हो कर अजगर की दवा वाले गुणों से अपनी माँ को छूने के लिये अपने घर भाग गयी।

उस रात जब लाल रंग का पूनम का चाँद पहाड़ों के ऊपर निकला तो उस अजगर ने अपने रुपहले शरीर की कुंडली खोली और धीरे से पानी की सतह के ऊपर आया। और जमीन पर एक नौजवान ने कदम रखा।

उसका सुन्दर ऊँचा सिर काले घुँघराले बालों से ढका हुआ था। उसकी कत्थई आँखों मे कोई डर नहीं था। उसकी बाँहें और टाँगें बहुत मजबूत थीं। वह तो एक सरदार का बेटा था।

जैसे ही वह बाहर आया उसने अपने आपको देखा और फिर धरती को देखा तो उसने देखा कि धरती कितनी अच्छी थी।

खेतों में से होते हुए वह एक आधे गोलाकार में लगी हुई झोंपड़ियों के पास आ गया। उम झोंपड़ियों के आस पास जानवर चर रहे थे। उनकी काली और सफेद खाल चाँदनी में मुलायम और रेशमी लग रही थी। एक बकरी अपने मेमने के साथ खेल रही थी।

उस नौजवान ने पुकारा — “ऐनगोसा, ऐनगोसा। तुम्हारी हिम्मत ने मुझे बचा लिया। जब पानी वाली जादूगरनी ने मेरे ऊपर अपना जादू डाला था तो मैं उस तालाब की तली में डूब गया था। उसके बाद तो हमेशा के लिये रोज मुझे उस तालाब का चौकीदार ही रहना था।

पर तुम्हारी हिम्मत की वजह से कम से कम अब मैं रात को अपना पुराना आदमी का रूप रख सकता हूँ। रात को मैं अपने आपको उन लोगों को दिखा सकता हूँ जो बहादुर हैं और सुन्दर हैं।

तुम यकीनन बहादुर हो जो मुझसे मेरे अजगर के रूप में मिलने आयीं। और मैं देख रहा हूँ कि तुम सुन्दर भी हो। आओ मेरे पास आओ। ”

ऐनगोसा अपनी झोंपड़ी से बाहर निकली तो सरदार का बेटा सफेद, नीले और हरे चाँद पत्थर की माला बन कर उसके गले में जा पड़ा। वे चाँद पत्थर एक चाँदी के तार मे पिरोये हुए थे।

अब ऐनगोसा अपना सारा दिन उस भँवर के किनारे बैठ कर संगीत बजा कर बिताती है क्योंकि अजगर आदमियों का संगीत सुनना बहुत पसन्द करते हैं।

और रात को वह अपने चाँद पत्थरों की माला को अपने गले में पहन लेती है और सरदार के बेटे का पानी में से निकलने का इन्तजार करती है।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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