सुनहरी बाँसुरी : चीनी लोक-कथा

Sunehri Bansuri : Chinese Folktale

यह बात बहुत पुरानी है। चीन के एक छोटे से पहाड़ी गाँव में एक लड़की अपनी माँ के साथ रहती थी। वह अपनी माँ की इकलौती बेटी थी। उसके पिता का देहांत हो गया था। माँ अपनी बेटी का पालन-पोषण करती थी। लड़की को लाल रंग बहुत पसंद था, इसलिए सब उसे 'सिंदूरी' कहकर पुकारते थे। सिंदुरी बहुत सुंदर थी। थोड़ी बड़ी होने पर वह अपनी माँ के काम में हाथ बँटाने लगी। एक दिन माँ-बेटी खेत में हल चला रही थीं कि तभी तेज आँधी आई। आँधी में एक ड्रैगन आसमान से उड़ता हुआ आया और सिंदूरी को लेकर उड़ गया। माँ अपनी बेटी को बचाने के लिए दूर तक दौड़ी, लेकिन उसे बचा नहीं पाई। अपनी बेटी को खोकर माँ पागलों की तरह इधर-उधर घूमने लगी। अपनी बेटी की चिंता में उसके बाल सफेद हो गए, चेहरा झुर्रियों से भर गया। एक दिन वह अपनी बेटी को याद करते हुए जंगल की ओर जा रही थी। वहीं लाल सरस फल के पेड़ में उसका कपड़ा फँस गया। उसने अपने कपड़े को पेड़ से हटाया तो उसके पास एक बहुत ही सुंदर सरस का फल आकर गिरा। उसने उस फल को उठा लिया और अपने घर ले जाकर एक कोने में रख दिया। रात होने पर वह अपनी बेटी को याद करते हुए सो गई।

तभी चमत्कार हुआ और सरस के फल से एक नौजवान निकला। सुबह होने पर बुढ़िया ने अपने घर में एक सुंदर नौजवान को पाया तो वह हैरानी से उसकी ओर देखते हुए बोली, 'तुम कौन हो, बेटा ?' नौजवान युवक बोला, 'माँ, मुझे पता है कि आप अपनी बेटी की याद में दिन-रात खोई रहती हैं। मेँ ड्रैगन से आपकी बेटी छुड़ाकर लाऊँगा।' नौजवान की बात सुनकर बुढ़िया खुशी से बोली, 'सच बेटा! तुम्हारा क्या नाम है ? तुम तो मेरे लिए देवदूत बनकर आए हो।' युवक बोला, 'मेरा नाम चिन पी है।'

इसके बाद चिन पी बुढ़िया से आज्ञा लेकर ड्रेगन की तलाश में निकल पड़ा। वह कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई। वह चिन पी से बोला, 'मुझे पता है, वह ड्रैगन कहाँ रहता है ? यहाँ से थोड़ी दूर पर पहाड़ है। पहाड़ के दूसरे छोर पर ड्रैगन की गुफा है। ढलान पर बने उस घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर लगातार सात रातें और सात दिन चलकर तुम ड्रैगन की गुफा तक पहुँच जाओगे।' उस व्यक्ति का धन्यवाद कर वह ड्रैगन की तलाश में चल पड़ा। चिन पी के पास जादुई शक्तियाँ भी थीं। वहाँ उसने देखा कि लाल कपड़ों में एक सुंदरी बैठी रो रही है। चिन पी समझ गया कि वही सिंदूरी है। तभी ड्रैगन अपनी जीभ लपलपाता हुआ वहाँ आया और सिंदूरी को अपनी पूँछ से मारते हुए बोला, 'ओ सुंदरी मत कर इनकार, हो जा विवाह के लिए तैयार, नहीं तो मैं तुझको दूँगा मार।' सिंदूरी गुस्से से बोली, 'मैं तुमसे कभी विवाह नहीं करूँगी। चाहे तुम मुझे मार ही क्यों न डालो।' इसके बाद ड्रैगन ने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली। उसकी जीभ से आग बाहर निकली। आग की गरमी से सिंदूरी छटपटाने लगी और बेहोश हो गई। यह देखकर चिन पी को बहुत गुस्सा आया। वह मन में सोचने लगा कि ड्रैगन को मारने के लिए मेरी शक्तियाँ कम हैं। मुझे ड्रैगन को मारने के लिए नई तरकीब ढूँढ़नी होगी।

इसके बाद वह वहाँ से वापस चला गया। नदी के पास जाकर वह सोच में डूब गया कि सिंदूरी को ड्रैगन से कैसे मुक्त कराया जाए। तभी उसने देखा कि एक घोंघा नदी के पास छटपटा रहा था। चिन पी ने उसे पास जाकर देखा तो पाया कि उसे एक काँटा चुभ गया था। चिन पी ने घोंघे का काँटा निकाला। काँटा निकालते ही उसे राहत महसूस हुई। घोंघा चिन पी से बोला, 'तुमने मेरी बचाई जान, तुमको मैं दूँगा इनाम ।' इसके बाद वह नदी में गया और वहाँ से एक सुनहरी बाँसुरी लेकर आया । घोंघा बोला, 'इस बाँसुरी की सहायता से तुम ड्रैगन को आराम से मार सकते हो।' इसके बाद घोंघा समुद्र में चला गया। चिन पी ने उस सुनहरी बाँसुरी को अपने होंठों से लगाया कि मधुर आवाज पूरे वातावरण में गूंजने लगी। चिन पी ने देखा कि सारे पशु-पक्षी और पेड़-पौधे बाँसुरी की धुन पर थिरकने लगे हैं। वे सब तब तक थिरकते रहे, जब तक कि चिन पी ने बाँसुरी बजानी बंद नहीं की। अब चिन पी को समझ आ गया कि ड्रैगन को कैसे मारना है।

वह उस बाँसुरी को लेकर वापस ड्रैगन की गुफा में पहुँचा । सिंदूरी जंजीरों में जकड़ी सो रही थी। चिन पी ने सिंदूरी के ऊपर हाथ फेरा, जिससे कि जादुई बाँसुरी की धुन का उस पर कोई असर न हो। इसके बाद उसने बाँसुरी को अपने होंठों से लगाया। जैसे-जैसे बाँसुरी की तान तेज होती गई, वैसे-वैसे ड्रैगन उस बाँसुरी की धुन पर थिरकने लगा। बाँसुरी बजाते बजाते दो दिन बीत गए, लेकिन चिन पी के होंठों से बाँसुरी नहीं हटी।

अब तो ड्रैगन की जान निकलने को हो गई। उसने चिन पी से कहा कि मुझे छोड़ दो और इस बाँसुरी के स्वर से मुक्त कर दो। सिंदूरी को मैं मुक्त करता हूँ। सिंदरी चिन पी को देखकर समझ गई कि यह बहादुर युवक उसे ही ड्रैगन की कैद से मुक्त कराने के लिए आया है। वह उसकी बहादुरी और अच्छाई पर मुग्ध हो गई।

चिन पी ने दया कर बाँसुरी बजानी बंद कर दी। लेकिन यह क्या, बाँसुरी बंद करते ही ड्रैगन ने अपनी जीभ से चिंगारियाँ निकालकर चिन पी की ओर उछालनी शुरू कर दीं। चिन पी ने बड़ी मुश्किल से उन अंगारों से अपना बचाव किया। अब उसने अपने होंठों से जो बाँसुरी को लगाया तो वह तब तक नहीं हटी जब तक ड्रैगन के नाच नाचकर प्राण नहीं निकल गए। उसके मरते ही सिंदूरी की बेड़ियाँ अपने आप कट गईं।

चिन पी सिंदूरी को लेकर उसकी माँ के पास लौट आया। अपनी बूढ़ी माँ के गले लगकर सिंदूरी बहुत रोई । वह बोली, 'माँ, आपको बहुत दुःख भरा जीवन जीना पड़ा है। लेकिन अब मैं आ गई हूँ। अब सब ठीक हो जाएगा।' यह सुनकर बूढ़ी माँ मुसकराते हुए बोली, 'बेटी, अब सब सचमुच ठीक हो जाएगा।' इसके बाद उसने सिंदूरी का विवाह चिन पी से कर दिया। वे सभी खुशहाल जीवन जीने लगे ।

(साभार : रेनू सैनी)

  • चीन की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां