हड़ताल (नाटक) : जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक : प्रेमचन्द, बी० ए०

Strife (Play in Hindi) : John Galsworthy

हड़ताल (नाटक) : पात्र

जॉन ऐंथ्वनी : टिनार्थ के टीन के कारख़ाने का प्रधान
एडगार ऐंथ्वनी : उसका पुत्र
फ्रेडरिक वाइल्डर
विलियम स्केंटलबरी
ओलिवर वेंकलिन : बोर्ड के डाइरेक्टर
हेनरी टेंच : मन्त्री
फ्रांसिस अंडरवुड : मैनेजर
साइमन हार्निस : ट्रेड यूनियन का एक अधिकारी
डेविड रॉबर्ट
जेम्स ग्रीन
डॉन बल्जिन
हेनरी टामस
जॉर्ज राउस : मज़दूरों की कमेटी
हेनरी राउस
लुइस
जागो
एवेंस
एक लुहार
डेविस
लाल बाल वाला युवक
ब्राउन : कारख़ाने के मज़दूर
फ्रॉस्ट : जॉन ऐंथ्वनी का ख़ानसामा
एनिड : जॉन ऐंथ्वनी की बेटी
एनी रॉबर्ट : डेविड रॉबर्ट की बीबी
मेज टॉमस : हेनरी टॉमस की बेटी
मिसेज़ राउस : जॉर्ज और हेनरी राउस की माँ
मिसेज़ बल्जिन : जॉन बल्जिन की बीबी
मिसेज़ यो : एक मज़दूर की बीबी
अंडरवुड परिवार की एक सेविका
जॉन : मैज का छोटा भाई
मज़दूरों का एक समूह

हड़ताल (नाटक) : अङ्क पहला-दृश्य १

(मैनेजर के घर का भोजनालय)

दोपहर का समय है, अन्डरवुड के भोजनालय में तेज़ आग जल रही है। आतिशदान के एक तरफ़ दुहरे दरवाज़े हैं, जो बैठक में जाते हैं। दूसरी तरफ़ एक दरवाज़ा है, जो बड़े कमरे में जाता है। कमरे के बीच में, एक लम्बी खाने की मेज़ है। उस पर कोई मेज़पोश नहीं है। वह लिखने की मेज़ बना ली गई है। उसके सिरे पर सभापति के स्थान पर जॉन ऐंथ्वनी बैठा हुआ वह एक बुड्ढा, बड़े डीलडौल का आदमी है। दाढ़ी मूँछ मुड़ी हुई, रंग लाल, घने सफ़ेद बाल और घनी काली भौंहें। चालढाल से वह सुस्त और कमज़ोर मालूम होता है, लेकिन उसकी आँखें बहुत तेज़ हैं। उसके पास पानी का एक गिलास रक्खा हुआ है। उसकी दाहिनी तरफ़ उसका बेटा एडगार बैठा अखबार पढ़ रहा है। उसकी उम्र ३० साल की होगी। सूरत से उत्साही मालूम होता है। उसके बाद वेंकलिन झुका हुआ दस्तावेज़ों को देख रहा है, उसकी भौंहें उभरी हुई हैं और बाल खिचड़ी हो गए हैं। टेंच जो मन्त्री है, खड़ा उसे मदद दे रहा है। वह छोटे कद का दुबला, और कुछ ग़रीब आदमी है। वह गल-मुच्छे रक्खे हुए है। वेंकलिन की दाहनी तरफ़ मैनेजर अन्डरवुड बैठा है। वह शान्त मनुष्य है जिसके जबड़े की हड्डी लम्बी और गठी हुई है और आँखें स्थिर हैं। आतिशदान के पीछे स्केन्टलबरी बैठा हुआ है, जो भारी भर कम, पीला, सुस्त आदमी है। उसके बाल सफेद हैं, और कुछ गंजा है। उसके और सभा-पति के बीच में दो खाली कुर्सियाँ हैं।

वाइल्डर

[वह दुबला मुर्दा और चिड़चिड़ा आदमी है। उसकी सफ़ेद मूँछे झुकी हुई हैं। आग के सामने खड़ा है।]

इस आग के मारे नाक में दम है। क्यों टेंच, यहाँ कोई परदा होगा?

स्केटलबरी

जंगला!

टेंच

हाँ अवश्य मिस्टर वाइल्डर।

[वह अन्डरवुड की तरफ़ देखता है।]

शायद मैनेजर–शायद मिस्टर अन्डरवुड–

स्केंटलबरी

अन्डरवुड यह तुम्हारे आतिशदान––

अन्डरवुड

[काग़ज़ों को देखते देखते चौंककर]

परदा? शायद! मुझे खेद है।

[वह कुछ मुसकुराकर द्वार की ओर जाता है।]

हम तो आज कल यहाँ यह शिकायत कम सुनते हैं कि आग बहुत तेज़ है।

[वह इस तरह धीरे-धीरे और चबा चबाकर बोलता है, जैसे मुंह में पाइप लिए हुए हो]

वाइल्डर

[दुखी होकर]

तुम्हारा मतलब मजूरों से है अच्छा!

[अन्डरवुड बाहर चला जाता है]

स्केंटलबरी

बड़े दुखी हैं, बेचारे।

वाइल्डर

यह उन्हीं का दोष है स्केंटलबरी।

एडगार

[अपना अख़बार ऊपर उठाकर]

इस अख़बार से तो मालूम होता है कि उन्हें बहुत तकलीफ़ है।

वाइल्डर

अजी वह रद्दी अख़बार है, इसे वेंकलिन को दे दो। उस के उदार विचारों से मेल खाता है। ये सब हमें शायद दानव कहते होंगे। इस रद्दी अख़बार के एडीटर को गोली मार देना चाहिए।

एडगार

[पढ़ता है]

अगर उन सभ्य पुरुषों का बोर्ड, जो लन्दन में आराम कुर्सियों पर बैठे हुए टिनार्थ के टीन के कारख़ाने को चलाते हैं, इतनी दया करे कि यहाँ आकर इस हड़ताल में मजदूरों की दुर्दशा को अपनी आँखों से देखे–

वाइल्डर

अब तो हम आ गए हैं।

एडगार

[पढ़ता हुआ]

"तो हमें विश्वास नहीं होता कि उनके पाषाण हृदय भी द्रवित न हो जायँ।"

[वेंकलिन उस के हाथ से पत्र ले लेता है]

वाइल्डर

बदमाश! मैं इस आदमी को उस समय से जानता हूँ जब उस के पास झंझी कौड़ी भी न थी। शैतान ने उन लोगों को धमका-धमका कर ख़ूब धन जोड़ लिया है, जिन के विचार उस के विचारों से नहीं मिलते।

[ऐंथ्वनी कुछ कहता है, जो सुनाई नहीं पड़ता।]

वाइल्डर

तुम्हारे पिता जी क्या कहते हैं?

एडगार

वह कहते हैं–"पतीली और बर्तन"

वाइल्डर

अच्छा!

[वह स्केन्टलबरी के बग़ल में बैठ जाता है।]

स्केन्टलवरी

[मुँह से हवा निकालकर]

अगर जंगला न आएगा तो मैं उबल जाऊँगा।

[अन्डरवुड और एनिड एक जंगला लेकर आते हैं और आग के सामने रख देते हैं। एनिड का क़द लम्बा, चेहरा दृढ़ और छोटा, और अवस्था २८ साल है।]

एनिड

इसे और पास रक्खो फ्रेंक। इस से काम चल जायगा मिस्टर वाइल्डर? इस से बड़ा हमारे पास नहीं है।

वाइल्डर

बहुत अच्छी तरह, धन्यवाद।

स्केन्टलबरी

[आनन्द से साँस लेकर घूमता हुआ]

आपने बड़ी दया की देवी जी।

एनिड

पिता जी, आप को किसी और चीज़ की जरूरत है?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

तुम्हें कुछ चाहिए एडगार?

एडगार

हाँ मुझे एक "जे" निब दे दो।

एनिड

वह मिस्टर स्केंटलबरी के पास रक्खी हुई है।

स्केंटलबरी

[निबों की एक छोटी सी डिबिया उठाकर]

अच्छा! तुम्हारे भाई साहब “जे” निब से लिखते हैं। मैनेजर साहब किस निब से लिखते हैं?

[विशेष नम्रता से]

तुम्हारे पति किस निब से लिखते हैं मिस्टर अन्डरवुड।

अन्डरवुड

पर की क़लम से।

स्केंटलबरी

बतख का पर भी कितनी अच्छी चीज़ है।

[वह पर की क़लमों को दिखाता है]

अन्डरवुड

[रुखाई से]

धन्यवाद! एक मुझे दे दीजिए।

[वह एक क़लम लेता है।]

खाने में क्या देर है एनिड?

एनिड

[दुहरे दरवाज़े पर रुकती है।]

हम यहाँ दीवानख़ाने में खाना खायँगे। इसलिए कमरे में जल्दी करने की ज़रूरत नहीं।

[वेंकलिन और वाइल्डर सिर झुकाते हैं और वह चली जाती है।

स्केंटलबरी

[यकायक चौंककर]

अच्छा खाना! वह होटल-भयंकर! कल रात को तुमने भुनी हुई चर्बी खाई थी?

वाइल्डर

साढ़े १२ बज गए! क्यों टच तुम जलसे की कार्यवाही नहीं पढ़ोगे?

टेंच

[रज़ामन्दी के लिए सभापति की ओर देखकर, एक स्वर में तेज़ी से पढ़ता है]

"बोर्ड के एक जलसे की कार्यवाही जो ३१ जनवरी को कम्पनी के दफ्तर नं॰ ५१२ केनन स्ट्रीट में हुआ। उपस्थित मिस्टर ऐंथ्वनी सभापति, मिस्टर वाइल्डर, विलियम स्केंटलबरी, ओलिवर वेंकलिन, और एडगार ऐंथ्वनी। मैनेजर के वह पत्र पढ़े गए जो उसने २०, २३, २५ और २८ जनवरी को कम्पनी के कारख़ानों की हड़ताल के विषय में लिखे थे। वह पत्र पढ़े गए जो मैनेजर को २१, २४, २६, व २९ जनवरी को लिखे गए। सेन्टल यूनियन के प्रतिनिधि मिस्टर साइमन हार्निस का पत्र पढ़ा गया जिसमें उन्होंने बोर्ड से बातचीत करने की अनुमति माँगी थी। मज़दूरों की कमेटी का पत्र पढ़ा गया जिस पर डेविड राबर्ट, जेम्स ग्रीन, जॉनबल्जिन, हेनरी टामस, जाॅर्ज राउस के दसखत थे, जिसमें उन्होंने बोर्ड से बात चीत करनी चाही थी। यह निश्चय हुआ कि सातवीं फ़रवरी को मैनेजर के मकान पर बोर्ड की एक विशेष बैठक हो जाय, जिसमें मिस्टर साइमन हार्निस और मज़दूरों की कमेटी से उसी जगह इस मामले पर बातचीत की जाय। १२ बैनामे मंजूर हुए, नौ सार्टीफ़िकेट और एक बक़ाया के सार्टीफ़िकेट पर दसखत किये और मुहर लगाई।

[वह रजिस्टर को सभापति की ओर बढ़ा देता है।]

ऐंथ्वनी

[लम्बी साँस लेकर]

अगर आप लोग उचित समझें तो उस पर दसखत कर दें।

[क़लम को मुश्किल से घुमाकर हस्ताक्षर कर देता है]

वेंकलिन

क्यों टेंच, यूनियन की यह क्या चाल है? मजूरों से तो उन का मेल नहीं हुआ। हार्निस किस लिए मिलना चाहता है?

टेंच

उसे आशा है कि हम में कोई समझौता हो जायगा? वह आज शाम को मज़दूरों से कुछ बातचीत करेगा।

वाइल्डर

हार्निस! ठीक! वह एक ही घुटा हुआ, काइयाँ आदमी है। मैं इन पर विश्वास नहीं करता। मुझे ऐसा मालूम होता है, कि हमने नर्मी करने में भूल की। मज़दूर लोग यहाँ कब तक आ जायँगे?

अन्डरवुड

आते ही होंगे।

वाइल्डर

अच्छी बात है, अगर हम तैयार नहीं हैं, तो उन्हें रुकना पड़ेगा––अगर थोड़ी देर तक अपनी एड़ियाँ ठंढी कर लें, तो उन्हें कोई हानि न होगी!

स्केंटलबरी

[आहिस्ता से]

बेचारे ग़रीब हैं। बर्फ़ गिर रही है, क्या मौसिम है।

अन्डरवुड

[अपने मतलब से रुक रुककर]

इस घर से ज्यादा गर्म जगह इन जाड़ों में उन्हें न मिली होगी।

वाइल्डर

खैर मुझे आशा है, हम इस मामले को इतनी जल्द तै कर लेंगे कि मुझे साढ़े ६ की गाड़ी मिल जाय। मैं कल अपनी बीबी को स्पेन ले जा रहा हूँ।

[गप-शप करने के विचार से]

मेरे बाप के कारखाने में भी सन् ६९ में हड़ताल हुई थी। ठीक यही फ़रवरी का महीना था मज़दूर लोग उन्हें गोली मार देना चाहते थे।

वेंकलिन

अच्छा! इस जीवरक्षा के दिनों में जिन महीनों में चिड़ियां अण्डे देती हैं, उनमें शिकार खेलना मना है।

वाइल्डर

मालिकों के लिए जीवरक्षा के दिन थे। वह जेब में पिस्तोल रखकर दफ्तर जाया करते थे।

स्केंटलबरी

[कुछ डरकर]

सच।

वाइल्डर

[बातचीत का अन्त करने के लिए]

नतीजा यह हुआ कि उन्होंने एक मजदूर के पैर में गोली मार दी।

[बेअख्तियार जाँघ को स्पर्श करके]

सच! ईश्वर बचाए!

ऐंथ्वनी

[एजिन्डा को ऊपर उठाकर]

हमें यह विचार करना है कि इस हड़ताल के सम्बन्ध में बोर्ड का क्या निश्चय होगा।

सब चुप हो जाते हैं]

वाइल्डर

यह सत्यानाशी तिरमुखी लड़ाई है––यूनियन, मज़दूर और हम।

वेंकलिन

यूनियन से हमें कोई मतलब नहीं।

वाइल्डर

मेरा तो यह अनुभव है, कि यूनियन हमेशा बीच में कूद पड़ता है। उसका बुरा हो! अगर यूनियन मजूरों की सहायता से मुँह मोड़ना चाहता है और वैसा कर भी रहा है, तो फिर उसने क्यों इन आदमियों को हड़ताल करने ही दिया?

एडगार

ऐसे एक दर्जन अवसर आ चुके।

वाइल्डर

लेकिन मैं इसे कभी समझ नहीं सका। यह मेरी समझ से बाहर है। वे कहते हैं कि इंजिनियरों और भट्ठी वालों की माँग बहुत ज़्यादा है––बात ठीक है, लेकिन यह इस बात के लिए काफ़ी नहीं है कि यूनियन उनकी सहायता से मुँह मोड़ ले। इसका क्या मतलब है?

अन्डरवुड

हार्पर और टाइनवेल के कारखानों में हड़ताल होने का डर।

वाइल्डर

[विजय-गर्व से]

अच्छा! तो दूसरी हड़तालों से डरते हैं! बस अब बात समझ में आ गई। लेकिन हमें पहले यह क्यों न बतलाया गया?

अन्डरवुड

बतलाया गया था।

टेंच

आप उस दिन बोर्ड में न आए थे।

स्केंटलबरी

मज़दूर लोग समझ गए कि अगर यूनियन ने हाथ खींच लिया, तो फिर उनका कहीं ठिकाना नहीं है। यह पागलपन है।

अन्डरवुड

यह राबर्ट की करतूत है।

बाइल्डर

यह हमारा सौभाग्य है कि मज़दूरों को राबर्ट जैसा कट्टर उपद्रवी नेता मिल गया।

[सब चुप हो जाते हैं]

वेंकलीन

[ऐंथ्वनी को देखकर]

अब!

वाइल्डर

[चिड़-चिड़ाता हुआ बोल उठता है]

पूरी आफ़त है। हम लोग जिस स्थिति में पड़ गए हैं, मैं उसे नहीं पसन्द करता। मैं बहुत दिनों से यही कहता आ रहा हूँ।

[वेंकलिन को देखकर]

जब वेंकलिन और मैं क्रिसमस के पहिले यहाँ आए थे, तो ऐसा मालूम होता था कि मज़दूर लोग राह पर आ जायँगे। तुम्हारा भी तो यही विचार था अन्डरवुड।

अन्डरवुड

हाँ।

वाइल्डर

लेकिन वे राह पर नहीं आए, और हमारी दशा दिन-दिन बिगड़ती जाती है––हमारे ग्राहक टूटते जाते हैं––हिस्सों का दर घटता जाता है।

स्केंटलबरी

[सिर हिलाकर]

हा हा!

वेंकलिन

क्यों टेंच, इस हड़ताल से हमें कितना घाटा हुआ?

टेंच

पचास हजार से ऊपर।

स्केंटलबरी

[दुख से]

यह बात है!

वाइल्डर

इस घाटे का पूरा होना कठिन है।

टेंच

और क्या।

वाइल्डर

किसे मालूम था कि मज़दूर लोग इस तरह अड़े रहेंगे––किसी ने मुँह तक नहीं खोला।

[टेंच को क्रोध से देखता है]

स्केंटलबरी

[सिर हिलाकर]

मैं लड़ाई झगड़े से हमेशा भागता हूँ और हमेशा भागूँगा।

ऐंथ्वनी

हम उनके पैरों नहीं पड़ सकते।

[सब उसकी तरफ़ ताकने लगते हैं]

वाइल्डर

पैरों कौन पड़ना चाहता है?

[ऐंथ्वनी उसकी तरफ ताकता है]

मैं सोच समझ कर काम करना चाहता हूँ। जब मज़दूरों ने राबर्ट को दिसम्बर में बोर्ड के पास भेजा था तब अवसर था। हमें उसको मिला लेना चाहिए था; इसके बदले सभापति ने-

[ऐंथ्वनी के सामने आँखें नीची करके]

हमने उसे झिड़क दिया। अगर उस वक्त ज़रा चतुराई से काम लेते तो सब हमारे पंजे में आ जाते।

ऐंथ्वनी

समझौता नहीं हो सकता!

वाइल्डर

यही तो बात है। यह हड़ताल अक्तूबर से अब तक चली आ रही है और जहाँ तक मैं समझता हूँ, शायद छः महीने और चले। तब तक तो हम चौपट ही हो जायँगे। अगर आँसू पोंछने की कोई बात है, तो यही कि मज़दूर लोग और भी चौपट हो जायँगे।

एडगार

[अन्डरवुड से]

क्यों फ्रैंक, आज कल उनकी असली हालत क्या है?

अन्डरवुड

[उदासीन भाव से]

बहुत खराब!

वाइल्डर

लेकिन यह कौन समझ सकता था कि वे इतने दिनों तक बिना सहायता के डटे रहेंगे!

अन्डरवुड

जो उन्हें जानते हैं वे समझे हुए थे।

वाइल्डर

मैं हाथ मारकर कहता हूँ कि यहाँ उन्हें कोई नहीं जानता! अच्छा, टिन का क्या रंग है? दिन दिन तेज़ होता जाता है। जब हमारा कारखाना चलने भी लगेगा तो हमें बज़ार भाव के ऊपर चुकाए हुए माल को लेना पड़ेगा।

वैंकलिन

इसके बारे में आप क्या कहते हैं सभापति महोदय?

ऐंथ्वनी

लाचारी है!

वाइल्डर

ईश्वर जाने कब तक हम नफ़ा न दे सकेंगे!

स्केंटलबरी

[ज़ोर देकर]

हमें हिस्सेदारों का ख़याल रखना चाहिए।

[सभापति की ओर फिर कर]

सभापति महोदय, हमें हिस्सेदारों का ख़याल रखना चाहिए।

[ऐंथ्व्नी मुँह में कुछ कहता है]

स्केंटलबरी

आप क्या कह रहे हैं?

टेंच

सभापति कहते हैं कि उन्हें आप का ख़याल है।

स्केंटलबरी

[फिर शिथिल होकर]

काटे खाता है!

वाइल्डर

यह अब दिल्लगी की बात नहीं है। सभापति महोदय को नफ़े की चिन्ता न हो, लेकिन मैं बरसों तक नफ़े को तिलांजली नहीं दे सकता। हम से यह नहीं हो सकता कि कम्पनी के धन को मलियामेट करते रहें।

एडगार

[कुछ लज्जित होकर]

मेरा विचार है कि हमें मजूरों की दशा का अधिक ध्यान रखना चाहिए।

[ऐंथ्वनी के सिवा सब अपनी अपनी जगहों पर बैठे इशारेबाज़ी करने लगते हैं]

स्केंटलबरी

[लम्बी सांस लेकर]

मित्र पर, हमें यहाँ अपने निजी मनोभावों का विचार न करना चाहिये। इससे काम न चलेगा।

एडगार

[व्यंग से]

मैं अपने लोगों के मनोभावों का विचार नहीं कर रहा हूँ, मजूरों के भावों का विचार कर रहा हूँ।

वाइल्डर

इसका जवाब तो यही है कि हम भी रोज़गारी आदमी। हैं, परोपकार करने नहीं बैठे हैं।

वैंकलिन

इसी का तो रोना है।

एडगार

मजूरों की यह सब दुर्दशा देखकर यह ज़रूरी नहीं है कि हम इस मामले को इतना बढ़ाएँ-यह...यह निर्दयता है।

[किसी की ज़बान नहीं खुलती, मानो एडगार ने कोई ऐसी चीज़ खोलकर सामने रख दी है जिसका मौजूद होना कोई भला आदमी स्वीकार नहीं कर सकता]]

वैंकलिन

[व्यंगमय हँसी के साथ]

यह तो उचित नहीं है कि हम अपनी नीति की बुनियाद दया जैसी शौक़ की बातों पर रक्खें।

एडगार

मुझे ऐसे मामलों से घृणा है।

ऐंथ्वनी

हमने तो राड़ नहीं मोल लिया था।

एडगार

इतना तो मैं भी जानता हूँ साहब, लेकिन हम लोग अब बहुत दूर बढ़े जा रहे हैं।

ऐंथ्वनी

हर्गिज़ नहीं।

[सब एक दूसरे का मुँह ताकते हैं]

वैंकलिन

सभापति महोदय, शौक़ की बात अलग है, हमें यह देखना है कि हम कर क्या रहे हैं।

ऐंथ्वनी

मजूरों से एकबार दबे तो फिर हमेशा दबते रहना पड़ेगा। कभी इसका अन्त न होगा।

वैंकलिन

मैं इसे मानता हूँ, लेकिन-

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है

लेकिन आप इसे अटल सिद्धान्त का विषय बना रहे हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर स्वीकार करता है]

मगर महोदय, फिर वही शौक़ की बात आ गई। हम यहाँ सिद्धान्तों की रक्षा करने नहीं बैठे हैं। हिस्सों का मूल्य घट गया है।

वाइल्डर

और अब की नफ़ा बाँटने के समय तक आधा ही रह जायगा।

स्केंटलबरी

[घबराकर]

अजी नहीं, ऐसी बुरी दशा क्या होगी

वाइल्डर

[धमका कर]

वह तो आगे ही आएगी।

[ऐंथ्वनी की बात सुनने के लिये आगे को झुककर]

मैं कुछ सुन नहीं सका

एडगार

[तेज़ी से]

पिता जी कहते हैं जो कुछ करना चाहिए वह करो और दूसरे झगड़ों में न पड़ो।

वाइल्डर

छी!

स्केंटलबरी

[हाथ ऊपर उठाकर]

सभापति वैरागी है-मैं हमेशा कहता आता हूँ कि सभापति वैरागी हैं।

वाइल्डर

हमारी तो लुटिया ही डूब जायगी।

वैंकलिन

[मधुर स्वर में]

सभापति महोदय, क्या आप सचमुच केवल एक-एक सिद्धान्त के लिए अपने जहाज़ को डुबा दोगे?

ऐंथ्वनी

वह डूबेगा नहीं।

स्केंटलबरी

[घबराकर]

जब तक मैं बोर्ड में हूँ तब तक तो मुझे आशा है न डूबेगा।

ऐंथ्वनी

[आँखें मार कर]

ज़रा समझ बूझकर, स्केंटलबरी।

स्केंटलबरी

क्या आदमी है!

ऐंथ्वनी

मैं ने उन्हें हमेशा ललकारा है और कभी नीचा नहीं देखा।

वैंकलिन

हमारा और आपका सिद्धान्त एक है महोदय। लेकिन हम सब लोहे के नहीं बने हैं।

ऐंथ्वनी

हमें केवल अटल रहना चाहिए।

वाइल्डर

[उठकर भाग के पास जाता है]

और जितनी जल्द हो सके तबाह हो जाना चाहिए।

ऐंथ्वनी

तबाह हो जाना दब जाने से कहीं बढ़कर है।

वाइल्डर

[चिड़कर]

यह आपको अच्छा लगता होगा, लेकिन मुझे तो नहीं अच्छा लगता, और जहाँ तक मैं समझता हूँ, और कोई भी इसे पसन्द नहीं करता।

[ऐंथ्वनी उसके मुख की ओर ताकता है-सब चुप हो जाते हैं]

एडगार

हड़ताल जारी रहने का मतलब यह है कि मजूरों के बाल बच्चे भूखों मर जायँ। मेरी समझ में नहीं आता हम इस बात को कैसे भूल सकते हैं।

[वाइल्डर यकायक आग की ओर मुँह फेर लेता है और स्केंटलबरी इस ख़याल को दूर रखने के लिये हाथ फैलाता है]

वैंकलिन

फिर वही दया और धर्म की बात आ गई!

एडगार

क्या आप का ख़याल है कि व्यापारियों के लिये सज्जनता का नाम लेना ही पाप है?

वाइल्डर

मजूरों के लिये मुझे भी उतना ही दुख है जितना दूसरों को हो सकता है, लेकिन अगर वे अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारें तो यह हमारा दोष नहीं। हमारे लिये अपनी और हिस्सेदारों की चिन्ता काफ़ी है।

एडगार

[चिढ़कर]

अगर हिस्सेदारों को एक या दो बार नफ़ा न मिले तो वे मर न जायँगे। यह तो ऐसा कारण नहीं कि हम लोग अपनी हार मान लें।

स्केंटलबरी

[बहुत घबराकर]

भाई जान, तुम तो ऐसी बातें करते हो मानों मुनाफ़ा कोई चीज़ ही नहीं। मुझे नहीं मालूम कि हम कितने पानी में हैं।

वाइल्डर

इस मामले में केवल एक बात सोचने की है। हम इस हड़ताल के हाथों तबाह नहीं होना चाहते।

ऐंथ्वनी

हम कदम पीछे न हटायेंगे।

स्केंटलबरी

[निराशा का संकेत करके]

ज़रा आपकी सूरत देखिए।

[ऐंथ्वनी अपनी कुरसी पर फिर टिककर बैठ रहा है। सब लोग उसकी ओर देखते हैं]

वाइल्डर

[अपनी जगह पर लौटकर]

अगर सभापति की यही राय है तो मेरी समझ में नहीं आता कि हम लोग यहाँ आए क्या करने।

ऐंथ्वनी

मजूरों से यह कहने के लिये कि हमसे कोई आशा मत रक्खो।

[दृढ़ता से]

जब तक उनसे सीधी सादी भाषा में यह न कह दिया जायगा उन्हें इसका विश्वास न आएगा।

वाइल्डर

ठीक! मुझे बिलकुल आश्चर्य न होगा अगर उस पाजी राबर्ट ने यही बात कहने के लिये हमें यहाँ बुलाया हो। कपटी आदमियों से मुझे चिड़ है।

एडगार

[क्रोध से]

हमने उसके आविष्कार का कुछ भी मूल्य नहीं दिया। मैं जभी से यह कहता चला आता हूँ।

वाइल्डर

हमने उसे ५००) उसी वक्त दिए और दो साल बाद २००) बोनस दिया। क्या इतनी रक़म काफ़ी नहीं है? वह और क्या चाहता है?

टेंच

[असन्तोष के भाव से]

कम्पनी ने उसके आविष्कार से एक लाख पैदा किया और उसके हत्थे चढ़े कुल ७२०)। इसी तरह उसके दिन कट रहे हैं।

वाइल्डर

वह तो आग लगाने वाला आदमी है। मुझे इन पंचायतों से घृणा है, लेकिन अब हार्निस यहाँ आ गया है, और हमें चाहिए कि उसकी मार्फ़त सारे झगड़े तै कर लें।

ऐंथ्वनी

नहीं।

[सब के सब फिर उस की ओर देखते हैं]

अन्डरवुड

राबर्ट मज़दूरों को इस पर राजी न होने देगा।

स्केंटलबरी

ख़ूनी आदमी है, ख़ूनी।

वाइल्डर

[ऐंथ्वनी की ओर देखकर]

और वह अकेला ही नहीं है।

[फ़ास्ट बड़े कमरे से अन्दर आता है]

फ्रास्ट

[ऐंथ्वनी से]

यूनियन के मिस्टर हार्निस आए हुए हैं। मज़दूर लोग भी आ गए हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

[अन्डरवुड जाता है और हार्निस को लेकर लौटता है। हार्निस डाढ़ी मोंछ मुड़ाए हुए है, उसका रंग पीला है, गाल पिचके हुए, आँखें तेज़ और ठुड्डी गोल-फ्रास्ट चला जाता है।]

अन्डरवुड

[टेंच की कुर्सी की तरफ इशारा करके]

वहाँ सभापति के बगल में बैठ जाव मिस्टर हार्निस।

[हार्निस के आते ही बोर्ड के लोग एक दूसरे के पास आ जाते हैं और उस की तरफ़ देखते हैं जैसे मवेशी किसी कुत्ते को देखे।]

हार्निस

[सब को ग़ौर से देख कर और सिर झुका कर]

धन्यवाद।

[वह बैठ जाता है। नाक से बोलता है]

महाशयगण, मुझे आशा है कि आज हम लोग इस मामले को तै करेंगे।

वाइल्डर

ये तो इस बात पर मुनहसर है कि तुम किसे तै करना कहते हो। आदमियों को अन्दर क्यों नहीं बुला लेते?

हार्निस

[चतुराई से]

मज़दूर लोग आप लोगों से कहीं ज्यादा न्यायपर हैं। हमारे सामने अब यह प्रश्न है कि हमें उन लोगों की फिर मदद करनी चाहिए या नहीं।

[वह ऐंथ्वनी के सिवा और किसी से नहीं बोलता। उसका रुख ऐंथ्वनी की तरफ़ है]

ऐंथ्वनी

तुम्हारा जी चाहे तुम उनकी मदद करो। हम खुद मज़दूर रख लेंगे और तुम से कोई सरोकार न रक्खेंगे।

हार्निस

यह नहीं हो सकता मिस्टर ऐंथ्वनी, आप को बग़ैर पंचायत की मदद के मज़दूर न मिलेंगे और आप इसे जानते हैं।

ऐंथ्वनी

यही देखना है।

हार्निस

मैं आप से सफाई के साथ बातें करना चाहता हूँ। हम आप के मज़दूरों की मदद से इस लिए हाथ खींचने पर मज़बूर हुए कि उन की कुछ माँगें बज़ार दर से बढ़ी हुई हैं। मुझे आशा है कि आज हम लोग उन से वह शर्तें उठवा लेंगे। अगर उन्हों ने ऐसा किया, तो मैं आप लोगों से साफ़ कहता हूँ कि हम फिर उन की मदद करने लगेंगे। इस लिये मैं चाहता हूँ कि आज हम लोग कुछ न कुछ तय करके ही उठें। क्या हम लोग इस पुराने ढंग की खींचा-तानी का अन्त नहीं कर सकते? इस से आप लोगों को क्या मिल रहा है? आप लोग यह क्यों नहीं मानते कि ये बेचारे आप ही लोगों जैसे मनुष्य हैं, और उसी तरह अपना भला चाहते हैं जैसे आप लोग अपना भला चाहते हैं-

[कटु स्वर में]

आप की मोटर गाड़ियाँ, और शामपेन और लम्बी लम्बी दावतें।

ऐंथ्वनी

अगर मज़दूर लोग काम पर आ जायँ तो हम उन के साथ कुछ रिआयत कर देंगे।

हार्निस

[व्यंग से]

आप लोगों की भी यही राय है साहब? आप-आप-आप?

[डाइरेक्टर लोग जवाब नहीं देते]

ख़ैर, मैं यही कह सकता हूँ कि इस ध्वनि में रईसों का घमंड और रोष भरा हुआ है जिसका मेरे खयाल में अब ज़माना नहीं रहा-लेकिन मालूम होता है मैं ग़लती पर था।

ऐंथ्वनी

यह वही ध्वनि है जिस में मज़दूर लोग बातें करते हैं। अब तो यह देखना है कि कौन ज़्यादा दिनों तक अड़ सकता है-वह लोग हमारे बिना, या हम लोग उनके बिना?

हार्निस

मुझे आश्चर्य है कि आप लोग व्यापारी होकर भी शक्ति के इस तरह बरबाद होने पर लज्जित नहीं होते। इसका नतीजा जो कुछ होगा वह आप से छिपा नहीं है।

ऐंथ्वनी

क्या होगा?

हार्निस

समझौता-यही बराबर होता है।

स्केंटलबरी

आप मज़दूरों को यह नहीं समझा सकते कि हमारा और उन का एक ही स्वार्थ है?

हार्निस

[घूमकर व्यंग से]

अगर यह बात ठीक होती तो मैं उन्हें समझा सकता था।

वाइल्डर

देखो हार्निस, तुम बुद्धिमान हो और साम्यवादियों के उन गोरखधंधों को नहीं मानते जिनकी आजकल धूम मची हुई है। उनके और हमारे दिल में ज़रा भी अन्तर नहीं है।

हार्निस

मैं आप से एक बहुत सीधा सादा, छोटा सा प्रश्न करता हूँ। आप मजूरों को उस से एक कौड़ी भी ज्यादा देंगे जितना आपको लाचार होकर देना पड़ेगा?

[वाइल्डर चुप रहता है]

वैंकलिन

[उसी स्वर में]

मेरा तुच्छ विचार तो यह है कि आदमियों को उतनी ही मज़दूरी देना जितना ज़रूरी हो, वाणिज्य का क, ख, ग, है।

हार्निस

[व्यंग से]

हाँ, मालूम तो यही होता है कि वह वाणिज्य का क, ख, ग, है और यही वाणिज्य का क, ख, ग, आप के हित को मज़दूरों के हित से अलग किए हुए है।

स्केंटलबरी

[धीरे से]

हमें कुछ निश्चय कर लेना चाहिए।

हार्निस

[रुखाई से]

तो यह तय हो गया कि बोर्ड मज़दूरों के साथ कोई रिआयत न करेगा?

[वैंकलिन और वाइल्डर कुछ बोलने के लिये आगे झुकते हैं पर रुक जाते हैं]

ऐंथ्वनी

[सिर हिलाकर]

हाँ।

[वैंकलिन और वाइल्डर फिर आगे को झुकते हैं और स्केंटलबरी यकायक गुर्रा उठता है]

हार्निस

शायद आप कुछ कहने जा रहे थे?

[लेकिन स्केंटलबरी कुछ नहीं बोलता]

एडगार

[यकायक सिर उठाकर]

हमें मज़दूरों की इस दशा पर बहुत खेद है।

हार्निस

[बेपरवाही से]

मज़दूरों को आप की दया की ज़रूरत नहीं है साहब, वह केवल न्याय चाहते हैं।

ऐंथ्वनी

तो उन्हें न्यायी बनाओ।

हार्निस

'न्यायी' की जगह 'दीन' कहिए मि॰ ऐंथ्वनी। मगर वह क्यों दीन बनें? यह संयोग की बात है कि उनके पास धन नहीं है, नहीं तो वे आप लोगों ही जैसे मनुष्य वे लोग भी हैं।

ऐंथ्वनी

ढोंग है!

हार्निस

ख़ैर, मैं पाँच साल अमेरिका में रह चुका हूँ। इस से आदमी के विचारों पर असर पड़ता ही है।

स्केंटलबरी

[मानो अपनी अधूरी गुर्राहट की कसर निकालने के लिये]

मज़दूरों को भीतर बुलाकर सुनना चाहिए कि वह क्या कहते हैं।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है और अन्डरवुड इकहरे दरवाज़े से बाहर जाता है]

हार्निस

[बेपरवाही से]

आज शाम को मेरी उन लोगों से बात चीत होगी इसलिए मैं आपसे अर्ज़ करूँगा कि जब तक वह पूरी न हो जाय आप लोग कोई तोड़ न करें।

[ऐंथ्वनी फिर सिर हिलाता है, और अपना ग्लास उठाकर पीता है]

[अन्डरवुड फिर अन्दर आता है। उसके पीछे-पीछे राबर्ट, ग्रीन बलजिन, टामस, और राउस आते हैं। वे हाथ में हाथ मिला कर एक क़तार में चुपचाप खड़े हो जाते हैं। राबर्ट दुबला, औसत् क़द का आदमी है, उसकी पीठ कुछ झुकी हुई है। उसकी ख़सख़सी भूरी दाढ़ी है, गाल की हड्डियाँ ऊँची, गाल पिचके हुए, आँखें तेज़ और छोटी। वह एक पुराना, चरबी के दाग़ों से भरा हुआ नीले सर्ज का कोट पहिने हुए है। उसके हाथ में पुरानी टोपी है। वह सभापति के समीप ही खड़ा होता है। उसके बाद ग्रीन है। उसका चेहरा मुरझाया और मुड़ा हुआ है, छोटी सफ़ेद बकरियों की सी डाढ़ी है और नीचे झुकी हुई मूछें, शान्त और निष्कपट आँखों के ऊपर लोहे की ऐनक लगाए हुए है। वह एक ओवर कोट पहिने है, जो पुराना होने से हरा हो गया है। कपड़े का कालर है उसके बाद

बलजिन है जो एक लम्बा मज़बूत, काली मूछों वाला और मज़बूत कल्ले का आदमी है। वह एक लाल मफ़लर पहिने है और अपनी टोपी को इस हाथ से उस हाथ बदलता रहता है। उसके बग़ल में टामस है। वह बुड्ढा आदमी है जिसकी मूछें पकी हुई हैं, डाढ़ी घनी और चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ी हुई हैं। उसके दाहिनी तरफ़ राउस है वह पाँचों से छोटा है और सिपाही सा दीखता है, उसकी आँखें चमकदार हैं]

अन्डरवुड

[इशारा करके]

राबर्ट, दीवार से मिली हुई वह कुर्सियाँ हैं, उन्हें खींच लो और बैठो।

राबर्ट

धन्यवाद, मिस्टर अन्डरवुड हम बोर्ड के सामने खड़े ही रहेंगे।

[वह कड़ी आवाज़ में बातें करता है और उसका उच्चारण विदेशियों जैसा है]

कैसा मिज़ाज है मिस्टर हार्निस? आज शाम तक तो आशा न थी कि आप से भेंट होगी।

हार्निस

[दृढ़ता से]

तो हम फिर मिल लेंगे राबर्ट।

राबर्ट

बड़े आनन्द की बात है। हमारा कुछ संदेशा है। उसे आप अपनी सभा तक पहुँचा दीजिएगा।

ऐंथ्वनी

ये लोग क्या चाहते हैं?

राबर्ट

[तीव्र स्वर में]

ज़रा फिर कहिए, मैं चेयरमैन की बात नहीं सुन पाया।

टेंच

[सभापति की कुर्सी के पीछे से]

सभापति यह जानना चाहते हैं कि आदमियों को क्या कहना है।

राबर्ट

हम यहाँ यह सुनने के लिए आए हैं कि बोर्ड को क्या कहना है। पहिले बोर्ड को बोलना चाहिए।

ऐंथ्वनी

बोर्ड को कुछ नहीं कहना है।

राबर्ट

[मजूरों की पंक्ति की ओर देखकर]

ऐसी दशा में हम डाइरेक्टरों का समय नष्ट नहीं करना चाहते। हमें इस क़ीमती ग़ालीचे पर से अपने पैर उठा लेने चाहिए।

[वह घूमता है और मज़दूर भी धीरे-धीरे चलते हैं, मानो सम्मोहित हो गए हों।]

वेंकलिन

[नर्मी से]

सुनो राबर्ट, तुमने हमें इस जाड़े पाले में इतना ही कहने के लिए तो नहीं बुलाया। हमने कितना लम्बा सफ़र किया है।

टॉमस

[जो वेल्स का रहनेवाला है]

नहीं साहब, और मैं यह कहता हूँ-

राबर्ट

[तीव्र कंठ से]

हाँ हाँ टामस, बोलो क्या कहते हो? डाइरेक्टरों से बातें करने के लिए तुम मुझ से कहीं अच्छे हो।

[टामस चुप हो जाता है]

टेंच

सभापति कहते हैं कि मज़दूरों ही ने इस बैठक के लिए कहा था। इसलिए बोर्ड सुनना चाहता है कि वे क्या कहते हैं।

राबर्ट

अगर मैं उनकी दुःख कहानी कहने लगूँ तो आज पूरी न होगी। और आप में से कुछ लोग पछतायँगे कि लंदन के महल छोड़कर न आते तो अच्छा होता।

हार्निस

तुम्हारा मतलब क्या है जी? बेमतलब की बातें न करो।

राबर्ट

आप मतलब की बात चाहते हैं मिस्टर हार्निस, तो आज इस बैठक के पहिले ज़रा यहाँ की सैर कीजिए।

[वह मज़दूरों की ओर देखता है, उनमें से कोई नहीं बोलता]}} तो तुम्हें बड़े अच्छे-अच्छे दृश्य दिखाई देंगे।

हार्निस

बहुत अच्छा दोस्त, मगर देखो टाल मत देना।

राबर्ट

[मज़दूरों से]

हम लोग मिस्टर हार्निस को टालेंगे नहीं। भोजन के साथ थोड़ी शाम्पेन भी लीजियेगा। आप को इस की ज़रूरत पड़ेगी।

हार्निस

अच्छा, अब कुछ काम करना चाहिए।

टामस

यह समझ लीजिए कि हम जो कुछ माँगते हैं वह सीधा सादा न्याय है।

राबर्ट

[जहरीले स्वर में]

लंदन से न्याय? क्या बकते हो हेनरी टॉमस, पागल तो नहीं हो गए हो?

[टॉमस चुप है]

हम खूब जानते हैं कि हम क्या हैं-मरभूके कुत्ते-जिन्हें कभी संतोष ही नहीं होता-सभापति ने मुझ से लंदन में क्या कहा था? "तुम जानते ही नहीं कि तुम क्या कह रहे हो। तुम मूर्ख, गवाँर आदमी हो। और उन आदमियों के विषय में कुछ नहीं जानते जिनके पक्ष में तुम खड़े हो।

एडगार

आप तो विषय से दूर चले जा रहे हैं।

ऐंथ्वनी

[हाथ उठाकर]

राबर्ट, मालिक एक ही हो सकता है।

राबर्ट

तो फिर हम ही मालिक होंगे।

[सब चुप हो जाते हैं, ऐंथ्वनी और राबर्ट एक दूसरे से आँखें मिलाते हैं]

अन्डरवुड

राबर्ट, अगर तुम्हें डाइरेक्टरों से कुछ नहीं कहना है, तो ग्रीन या टॉमस को मज़दूरों की तरफ़ से क्यों नहीं बोलने देते।

[ग्रीन और टॉमस् चिन्तित भाव से राबर्ट को, एक दूसरे को, और दूसरे आदमियों को देखते हैं]

ग्रीन

[जो अँगरेज़ है]

महाशयो, अगर आप लोगों ने मेरी बात मानी होती-

टॉमस

मुझे जो कुछ कहना है, वही हम सब को कहना है-

राबर्ट

तुम्हें जो कुछ कहना हो कहो, हेनरी टामस्।

स्केंटलबरी

[तीव्र आत्मिक अशान्ति के भाव से]

ये बेचारे अपनी आत्मा की रक्षा भी नहीं कर सकते।

राबर्ट

और क्या? आत्मा के सिवा उनके पास और है ही क्या? क्योंकि देह का तो आप लोगों ने उद्धार कर दिया, मिस्टर स्केंटलबरी।

[चुभती हुई आवाज़ में, मानो मिस्टर का शब्द निकालना ही आपत्ति है।]

[मज़दूरों से]

क्यों तुम लोग बोलते हो या मैं ही तुम्हारी तरफ़ से बोलूँ?

राउस

[चौंक कर]

राबर्ट, या तो तुम्हीं बोलो या दूसरों को ही बोलने दो।

राबर्ट

[व्यंग के भाव से]

धन्यवाद जार्ज राऊस!

[ऐंथ्वनी की तरफ़ रुख़ करके]

सभापति और डाइरेक्टरों के बोर्ड ने हमारी विपत्ति-कथा सुनने के लिए लंदन से यहां आकर हमारा सम्मान किया है। यह उचित नहीं है कि हम उन्हें और देर यहाँ इन्तज़ार में रक्खें।

वाइल्डर

इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद।

राबर्ट

हमारी कथा सुन लेने के बाद आप ईश्वर को धन्यवाद न देंगे, मिस्टर वाइल्डर, चाहे आप कितने ही बड़े धर्मात्मा हों। संभव है आप के लंदनी ईश्वर के पास मज़दूरों की बातें सुनने के लिए समय न हो। मैंने सुना है कि वह ईश्वर बड़ा धनवान् है, लेकिन यदि वह मेरी बात सुने तो उसे उस से कहीं ज्यादा ज्ञान होगा जितना केंसिंगटन में हो सकता है।

हार्निस

देखो राबर्ट, जिस तरह तुम अपने ईश्वर को पूज्य समझते हो, वैसे ही दूसरे आदमियों के ईश्वर को भी समझो।

राबर्ट

यह ठीक है साहब, हमारा यहाँ दूसरा ही ईश्वर है। मैं समझता हूँ कि वह मिस्टर वाइल्डर के ईश्वर से भिन्न है। हेनरी टॉमस से पूछो वह बतलायेंगे कि उनका और वाइल्डर का ईश्वर एक है या दो।

[टॉमस् अपना हाथ उठाता है, और सिर ऊँचा कर लेता है, जैसे कोई भविष्य वाणी कर रहा हो।]

वेंकलिन

राबर्ट, ईश्वर के लिए, मूल विषय ही पर रहो।

राबर्ट

मेरे विचार में तो यही मूल विषय है, मिस्टर वेंकलीन। अगर आप धन के ईश्वर को श्रम की गलियों में ले आएँ और इसका ध्यान रक्खें कि वह क्या-क्या देखता है, तो मैं आप की सज्जनता का कायल हो जाऊँगा, हालाँ कि आप रेडिकल (स्वतन्त्रतावादी) हैं।

ऐंथ्वनी

मेरी बात सुनो राबर्ट,

[राबर्ट चुप हो जाता है]

तुम यहाँ आदमियों की तरफ़ से बोलने आए हो जैसे मैं बोर्ड की तरफ़ से बोलने आया हूँ।

[वह धीरे धीरे इधर-उधर ताकता है]

[वाइल्डर, वेंकलिन और स्केंटलबरी विरोध के भाव प्रगट करते हैं और एडगार ज़मीन की तरफ ताकता है। हार्निस के चेहरे पर हलकी मुसकुराहट आ जाती है।]

अब बोलो तुम क्या कहते हो?

राबर्ट

जी हाँ ठीक है-

[इसके बाद जो कुछ होता है उसमें वह और ऐंथ्वनी एक दूसरे पर आँख जमाए रहते हैं। मज़दूर लोग और डाइरेक्टर भिन्न-भिन्न रीति से अपने छिपे हुए उद्वेग प्रगट करते हैं, मानो वे ऐसी बातें सुन रहे हैं जो वे खुद न कहते।]

मज़दूर लंदन तक जाने की सामर्थ्य नहीं रखते और उन्हें विश्वास नहीं है कि वे जो कुछ लिखकर देंगे उसे आप लोग न मानेंगे। पत्रव्यवहार का हाल भी उन्हें मालूम है।

[वह अन्डरवुड और टेंच को घूर कर देखता है।]

और डाइरेक्टरों की बैठकों का हाल भी उनसे छिपा नहीं है। "मैनेजर से कैफ़ियत तलब करो-मैनेजर से पूछा जाय, कि मज़दूरों की हालत क्या है। क्या हम उन्हें और कुछ दबा सकते हैं?

अन्डरवुड

[धीमी आवाज़ में]

कमर के नीचे वार मत करो, राबर्ट।

राबर्ट

क्या यह कमर के नीचे है, मिस्टर अन्डरवुड? मज़दूरों से पूछो जब मैं लंदन गया था तो मैंने सब हाल साफ़-साफ़ कह दिया था। पर उसका फल क्या हुआ? मुझ से कह दिया गया कि तुम खुद नहीं जानते क्या कहते हो। मुझ में यह सामर्थ्य नहीं है कि वही बात सुनने के लिए फिर लंदन जाऊँ।

ऐंथ्वनी

तुम्हें आदमियों के विषय में क्या कहना है?

राबर्ट

पहिले मुझे उन की दशा बतलानी है। आप लोगों को इसकी ज़रूरत नहीं है कि मैनेजर से पूछें। अब आप उन्हें और नहीं दबा सकते। हममें से हर एक भूकों मर रहा है।

[मज़दूर लोग चकित हो-होकर एक दूसरे के कान में कुछ कहने लगते हैं। राबर्ट चारों तरफ़ देखता है।]

आपको आश्चर्य होगा कि मैं यह क्यों कह रहा हूँ? हम सभी का बुरा हाल है। इधर कई हफ्तों से हमारी जो दशा है उससे हीन अब हो ही नहीं सकती। आप लोग यह न समझें कि कुछ दिन और अड़े रहने से आप हमें काम करने पर मज़बूर कर देंगे। इसके पहिले हम लोग प्राण दे देंगे। मज़दूरों ने आप लोगों को यह अंतिम सूचना देने को बुलाया है, कि आप लोग उन की माँगें स्वीकार करते हैं या नहीं? मैं मन्त्री के हाथ में काग़ज का ताव देख रहा हूँ।

[टेंच कुछ घबरा जाता है]

यह वही है न मिस्टर टेंच? यह तो बहुत बड़ा नहीं है।

[सिर हिलाकर]

हाँ।

राबर्ट

उस काग़ज़ पर एक वाक्य भी ऐसा नहीं है जिसे हम छोड़ सकें।

[आदमियों में कुछ हलचल होती है, राबर्ट चमक कर उनकी तरफ़ देखता है]

आप लोग इसे मानते हैं न?

[मज़दूर लोग अनिच्छा से स्वीकार करते हैं। ऐंथ्वनी टेंच से काग़ज लेकर पढ़ता है।]

एक वाक्य भी नहीं। इन में से कोई माँग ऐसी नहीं है जो अनुचित कही जा सके। हम ने कोई बात ऐसी नहीं माँगी है जिस का हमें हक न हो। मैं ने लंदन में जो कुछ कहा था वही अब फिर कहता हूँ। उस कागज़ पर कोई ऐसी बात नहीं है जिसे माँगने या देने में किसी शरीफ़ आदमी को संकोच हो।

[कुछ सोचने लगता है]

ऐंथ्वनी

इस काग़ज़ पर एक माँग भी ऐसी नहीं है, जो हम लोग पूरी कर सकें।

[इन शब्दों के बाद जो हलचल मच जाता है, उसमें रॉबर्ट डाइरेक्टरों को ध्यान से देखता है और ऐंथ्वनी मज़दूरों को। वाइल्डर यकायक उठ जाता है और आग की तरफ़ जाता है।]

राबर्ट

यह आप दिल से कहते हैं।

ऐंथ्वनी

हाँ।

[वाइल्डर आग के पास खड़ा स्पष्ट रूप से घृणा का भाव दिखाता है।]

राबर्ट

[गहरी निगाह से देखता हुआ पर उदासीन भाव से]

आप लोग खूब जानते हैं कि कम्पनी की दशा आदमियों की दशा से अच्छी है या नहीं।

[डाइरेक्टरों के चेहरों को ग़ौर से देख कर]

आप लोग खूब जानते हैं कि आप यह अन्याय कर सकते हैं या नहीं। लेकिन मैं यह आप से कहूँगा अगर आप लोग सोचते हैं कि मज़दूर जौ भर भी दबेंगे तो आप लोग भयंकर भूल करते हैं।

[स्केंटलबरी के चेहरे पर आँखें जमा देता है।]

यह बड़े शर्म की बात है, कि यूनियन हमारी मदद नहीं कर रहा है। इस से आप लोग यह सोचते होंगे कि हम लोग एक शुभ महूर्त में आप के पैरों पर गिर पड़ेंगे। आप लोग सोचते हैं कि इन आदमियों के बाल बच्चे हैं इसलिए यह दो एक हफ्तों ही का मामला है-

ऐंथ्वनी

हमारे क्या विचार हैं अगर तुम इसे मन ही में रक्खो तो अच्छा।

राबर्ट

हाँ, मैं जानता हूँ कि इस से हमें कुछ फ़ायदा नहीं है। मिस्टर ऐंथ्वनी, मैं आप की इतनी तारीफ़ ज़रूर करूँगा कि आप जो कुछ कहते हैं स्पष्ट कहते हैं।

[ऐंथ्वनी की ओर देख कर]

मुझे आप की ओर से कोई भ्रम नहीं है।

ऐंथ्वनी

[व्यंग से]

धन्यवाद!

राबर्ट

और मैं भी जो कुछ कहता हूँ स्पष्ट ही कहता हूँ। सुन लीजिए, मज़दूर लोग अपनी बीबी-बच्चों को किसी देहात में भेज देंगे और चाहे भूखों मर जायँ, मगर हार न मानेंगे। मैं आप को सलाह देता हूँ मिस्टर ऐंथ्वनी, कि आप कम्पनी का सर्वनाश देखने के लिए तैयार रहिए। आप सोचते होंगे कि यह लोग मूर्ख हैं। लेकिन हम हवा का रुख़ देख रहे हैं। आप की दशा बहुत अच्छी नहीं है।

ऐंथ्वनी

कृपा कर के हमारी दशा के बारे में अपनी राय मत प्रगट करो। जाओ और अपनी दशा पर फिर विचार करो।

राबर्ट

[आगे बढ़कर]

मिस्टर ऐंथ्वनी, अब आप जवान नहीं हैं। जब से मुझे याद है, आप हमेशा अपने मज़दूरों को शत्रु समझते आए हैं। मैं यह नहीं कहता कि आप कमीने या निर्दयी आदमी हैं, लेकिन आप ने कभी उन्हें अपने विषय में एक शब्द कहने का भी अवसर नहीं दिया। आप उन्हें चार बार नीचा दिखा चुके हैं। मैंने यह भी सुना है कि आपको लड़ाई अच्छी लगती हैं। लेकिन मैं आपसे कहे देता हूँ कि यह आपकी आख़िरी लड़ाई है।

[टेंच रॉबर्ट की आस्तीन छूता है]

अन्डरवुड

रॉबर्ट, रॉबर्ट!

राबर्ट

क्या रॉबर्ट रॉबर्ट कर रहे हो? जब सभापति अपने मन की बात मुझ से कहते हैं तो मैं क्यों अपनी बात न कहने पाऊँ?

वाइल्डर

आज क्या होने वाला है?

ऐंथ्वनी

[वाइल्डर की ओर देखकर दृढ़ता से मुसकुराता है।]

हाँ हाँ कहो रॉबर्ट, जो कुछ जी में आवे कहो।

रॉबर्ट

[ज़रा ठहर कर]

अब मुझे कुछ नहीं कहना है।

ऐंथ्वनी

यह बैठक पाँच बजे तक के लिए स्थगित है।

वेंकलिन

[अन्डरवुड से धीमी आवाज़ में]

इस तरह तो हम कुछ भी न तै कर सकेंगे।

रॉबर्ट

[चुटकी लेकर]

हम सभापति और डाइरेक्टरों को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने दया करके हमारी दशा सुन ली।

[वह धीरे-धीरे द्वार की तरफ़ जाता है; मज़दूर लोग भौंचक्के होकर एक जगह जमा हो जाते हैं; तब राउस अपना सिर उठाकर रॉबर्ट के सामने से होता हुआ बाहर चला जाता है। उसके पीछे और आदमी भी चले जाते हैं।]

रॉबर्ट

[दरवाज़े पर हाथ रखकर-कटुता से]

बन्दगी साहबो।

[चला जाता है]

हार्निस

[चुटकी लेता हुआ]

आप लोगों ने जो रवादारी का भाव प्रगट किया है, उस पर मैं आपको बधाई देता हूँ। आपके आज्ञानुसार मैं फिर ५॥ बजे आऊँगा। बन्दगी।

[वह कुछ सिर झुकाकर ऐंथ्वनी को ध्यान से देखता है। ऐंथ्वनी भी स्थिर भाव से उसकी ओर ताकता है। तब हार्निस और अन्डरवुड दोनों बाहर चले जाते हैं। एक क्षण सन्नाटा छाया रहता है। अन्डरवुड ड्योढ़ी में फिर आता है।]

वाइल्डर

[बुरी तरह चिढ़कर]

अब?

[दुहरे दरवाज़े खुल जाते हैं]

एनिड

[ड्योढ़ी में खड़ी होकर]

भोजन तैयार है,

[एडगार यकायक उठ कर अपनी बहिन के पास होता हुआ बाहर चला जाता है]

वाइल्डर

क्यों स्केंटलबरी, भोजन करने आते हो?

स्केंटलबरी

[कठिनता से उठकर]

हाँ-हाँ इसके सिवा और क्या करना है।

[वे दुहरे दरवाज़े से बाहर चले जाते हैं]

वैंकलिन

[आहिस्ता से]

क्यों सभापति जी क्या आप सचमुच अंत तक लड़ना चाहते हैं?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

वैंकलिन

होशियार रहिए। कब दबना चाहिए, यह जान लेना सब से बड़ी सिद्धि है।

[ऐंथ्वनी कोई जवाब नहीं देता]

वैंकलिन

[बड़ी गंभीरता से]

यही विनाश का मार्ग है। मिसेज़ अंडरवुड, तुम्हारे पिता जी ने पुराने ज़माने के ट्रोजनों को भी मात कर दिया।

[वह दुहरे दरवाज़े से चला जाता है]

एनिड

मैं पिता जी से कुछ बातें करना चाहती हूँ फ्रैंक।

[अन्डरवुड और वेंकलिन दोनों बाहर चले जाते हैं। टेंच मेज़ की चारों तरफ़ घूमकर फैले हुए कलमों और काग़ज़ों को सँभाल कर रख रहा है।]

एनिड

क्या आप नहीं आ रहे हैं दादा?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं कहता है। एनिड टेंच की तरफ़ मार्मिक भाव से देखती है।]

एनिड

क्यों मिस्टर टेंच, आप कुछ भोजन करने नहीं जा रहे हैं?

टेंच

[हाथ में काग़ज़ लिए हुए]

धन्यवाद!

[वह पीछे ताकता हुआ धीरे-धीरे चला जाता है।]

एनिड

[दरवाज़े को बन्द करके]

दादा, मामल तै हो गया न?

ऐंथ्वनी

नहीं

एनिड

[बहुत निराश होकर]

अरे! क्या आप लोगों ने कुछ नहीं किया?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है।]

एनिड

फ्रैंक कहते हैं कि रॉबर्ट के सिवा और सबके सब कुछ समझौता करना चाहते हैं। सच!

ऐंथ्वनी

मैं नहीं करना चाहता।

एनिड

हम लोगों के लिए यह स्थिति बहुत ही भयंकर है। अगर आप मैनेजर की स्त्री होते, और यहाँ का सारा हाल अपनी आँखों से देखते, तो आपकी आँखें खुल जातीं।

ऐंथ्वनी

सच?

एनिड

हमें सारी दुर्गति देखनी पड़ती है। आपको मेरी नौकरानी एनी का ख्याल आता है, जिसने रॉबर्ट से विवाह किया था?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

उसकी दशा बहुत ही खराब है। उसको दिल की बीमारी है। जब से हड़ताल शुरू हुई, उसे ठीक भोजन भी नहीं मिल रहा है। मेरी आँखों देखी बात है, दादा।

ऐंथ्वनी

ग़रीब है बेचारी, उसे जिस चीज़ की ज़रूरत हो दे दो।

एनिड

राबर्ट उसे हम लोगों से कोई चीज़ न लेने देगा।

ऐंथ्वनी

[सामने ताकता हआ]

अगर मज़दूर लोग जान देने पर तुले हैं तो मेरा क्या दोष है?

एनिड

सब के सब कष्ट में हैं, दादा। मेरी ख़ातिर से इसे बन्द कर दो।

ऐंथ्वनी

[उसे तीव्र दृष्टि से देखकर]

बेटी, तुम इस बात को न समझ सकोगी।

एनिड

अगर मैं डाइरेक्टर होती, तो कुछ न कुछ ज़रूर करती।

ऐंथ्वनी

क्या करतीं?

एनिड

इस झगड़े का कारण यही है, कि आपको दबना बुरा लगता है। यह बिलकुल-

ऐंथ्वनी

हाँ-हाँ कहो।

एनिड

बिलकुल अनावश्यक है।

ऐंथ्वनी

तुम क्या जानती हो कि कौन सी बात आवश्यक है? अपने उपन्यास पढ़ो, गाना गाओ, गपशप करो, मगर मुझे यह बतलाने की चेष्टा मत करो कि इस टंटे का कारण क्या है।

एनिड

मैं यहाँ रहती हूँ और सब कुछ आँखों से देखती हूँ।

ऐंथ्वनी

तुम ने कभी सोचा है कि जिन लोगों पर तुम्हें इतनी दया आ रही है, उनके और हमारे बीच में कौन सी दीवार खड़ी है?

एनिड

[उदासीनता से]

मैंने आपका मतलब नहीं समझा, दादा।

ऐंथ्वनी

अगर वह लोग जिन्हें ईश्वर ने आँखें दी हैं परिस्थिति को न देखें और अपने हक़ के लिए खड़े होने का साहस न करें तो थोड़े ही दिनों में तुम्हारी और तुम्हारे बाल बच्चों की दशा इन्हीं आदमियों जैसी हो जायगी।

एनिड

मज़दूरों की जो दशा है उसे आप नहीं जानते।

ऐंथ्वनी

खूब जानता हूँ।

एनिड

आप नहीं जानते, दादा; अगर आप जानते तो आप-

ऐंथ्वनी

तुम खुद इस प्रश्न की सीधी सादी बातों को नहीं जानती हो। अगर हम मज़दूरों की शर्तों को आँखें बन्द करके मानते चले जायँ तो समझती हो तुम्हारी क्या दशा होगी? यह दशा होगी।

[वह अपना हाथ गले पर रखता है और उसे दबाता है।]

पहले तुम्हारे कोमल मनोभाव बिदा हो जायँगे। तुम्हारी सभ्यता और तुम्हारी सुख सामग्रियों का कहीं पता न लगेगा।

एनिड

मैं नहीं चाहती कि समाज में भिन्न भिन्न श्रेणियाँ बन जायँ।

ऐंथ्वनी

तुम——नहीं चाहती——कि समाज में——भिन्न-भिन्न श्रेणियाँ बन जायँ?

एनिड

[उदासीनता से]

और मेरी समझ में यह नहीं आता कि इस मामले से उसका क्या सम्बन्ध है।

ऐंथ्वनी

यह समझने के लिए तुम्हें एक या दो पुश्त चाहिए।

एनिड

यह सब कुछ आप और रॉबर्ट के कारण हो रहा है दादा, और आप इसे जानते हैं।

[ऐंथ्वनी अपना नीचे का होंठ निकाल लेता है।]

इससे कम्पनी का सर्वनाश हो जायगा।

ऐंथ्वनी

इस विषय में मैं तुम्हारी राय नहीं मांगता।

एनिड

[चिढ़कर]

यह मुझसे नहीं हो सकता कि रॉबर्ट की स्त्री यों कष्ट भोगे और मैं खड़ी तमाशा देखती रहूँ! और दादा, बच्चों का भी तो ख़्याल कीजिए। मैं आपको जताए देती हूँ।

ऐंथ्वनी

[निर्दयता से मुसकुरा कर]

आख़िर तुम्हारी क्या मनशा है?

एनिड

इसे आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

[ऐंथ्वनी केवल उसकी ओर ताकता है।]

एनिड

[बदली हुई आवाज़ में उसकी आस्तीन खींचती हुई]

दादा, आपको मालूम है यह चिन्ता आपके लिए हानिकारक है। आपको याद है डाक्टर फ़िशर ने क्या कहा था?

ऐंथ्वनी

कोई बूढ़ा आदमी बूढ़ी औरतों की सी बातें सुनना पसन्द नहीं करता।

एनिड

लेकिन अगर आपके लिए यह सिद्धान्त की ही बात हो तब भी आप बहुत कुछ कर चुके।

ऐंथ्वनी

तुम्हारा यह खयाल है!

एनिड

अब इन बातों में न पड़िए दादा, आपको हमारा ख्याल करना चाहिए।

[उसके चेहरे से याचना का भाव प्रकट होता है।]

ऐंथ्वनी

रखता हूँ।

एनिड

यह भार आप सह न सकेंगे।

ऐंथ्वनी

[आहिस्ता से]

मैं अभी मरूँगा नहीं विश्वास रक्खो।

[टेंच काग़ज़ लेकर फिर आता है। वह उनकी तरफ़ कनखियों से देखता है। तब हिम्मत करके आगे बढ़ता है।]

टेंच

क्षमा कीजिएगा, मैडम; मैंने सोचा खाना खाने के पहले इन काग़ज़ों को निबटा दूँ।

[एनिड उकता कर उसी तरफ़ देखती है, अपने बाप की ओर देखकर यकायक लौट पड़ती है, और दीवान- खाने में चली जाती है]

टेंच

[बहुत डरता हुआ ऐंथ्वनी के सामने काग़ज़ और क़लम रखता है।]

कृपा कर इन क़ाग़जों पर दसख़त कर दीजिए।

[ऐंथ्वनी क़लम लेकर दस्तख़त करता है]

टेंच

[सोख़ते का एक टुकड़ा लिए एडगार की कुर्सी के पीछे खड़ा हो जाता है और डरते-डरते बोलना शुरू करता है।

यहाँ मुझे हुजूर ही ने नौकर रक्खा।

ऐंथ्वनी

क्या बात है?

टेंच

यहाँ जो कुछ होता है वह सब मुझे देखना पड़ता है। कम्पनी ही मेरा आधार है। अगर इसमें कुछ गड़बड़ हुआ तो मैं कहीं का न रहूँगा।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

और मेरे घर में हाल ही में दूसरा बच्चा हुआ है इस लिये इस समय मैं और भी चिन्तित हूँ। हमारी तरफ़ बाज़ार का भाव भी बड़ा तेज़ है।

ऐंथ्वनी

[कठोर विनोद के साथ]

हमारी तरफ़ भी तो बाज़ार भाव उतना ही तेज़ है।

टेंच

जी नहीं।

[बहुत डरकर]

मुझे मालूम है कि कंपनी की आप को बड़ी चिन्ता है।

ऐंथ्वनी

हाँ है। मैंने ही इसे खोला था।

टेंच

जी हाँ। अगर हड़ताल जारी रही तो बहुत बुरा होगा। मैं समझता हूँ कि डाइरेक्टरों की समझ में अब यह बात आने लगी है।

ऐंथ्वनी

[व्यंग से]

सच? मैं जानता हूँ कि इस विषय में आप के विचार बड़े कट्टर हैं और कठिनाइयों का सामना करना आपकी आदत है, लेकिन मैं समझता हूँ कि डाइरेक्टर लोग इसे पसन्द नहीं करते क्योंकि अब उन्हें असली हाल मालूम होने लगा है।

ऐंथ्वनी

[कठोरता से]

शायद तुम्हें भी पसन्द न होगा।

टेंच

[फीकी हँसी के साथ]

यह बात नहीं है, हुजूर। मेरे बाल बच्चे अवश्य हैं, और पत्नी भी बीमार है। मेरी दशा में इन बातों का ख़्याल करना लाचारी है।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है।]

लेकिन मैं यह नहीं कह रहा था, अगर आप मुझे क्षमा करें।

[हिचकता है है।]

ऐंथ्वनी

तो फिर कहते क्यों नहीं? मेरे पिता मुझ से कहा करते थे कि आदमी जब बुड्ढा हो जाता है तो उसके दिल पर हरेक बात का गहरा असर पड़ता है।

ऐंथ्वनी

[पिताभाव से]

क्या कहते हो टेंच, कहो?

टेंच

मुझे कहते अच्छा नहीं लगता, हुजूर।

ऐंथ्वनी

[कठोरता से]

तुमको बतलाना पड़ेगा।

टेंच

[ज़रा दम लेकर निर्भयता से बोलता हुआ]

मेरा ख़्याल है कि डाइरेक्टर लोग आपको दग़ा देंगे।

ऐंथ्वनी

[चुपचाप बैठा रहता है]

घंटी बजाओ।

[टेंच डरता हुआ घंटी बजाता है, और आग के पास खड़ा हो जाता है।

टेंच

यह बात कहने के लिए मुझे क्षमा कीजिए। मैं केवल आप के ख्याल से कह रहा था।

[फ्रॉस्ट बड़े कमरे से आता है, वह मेज़ के पाए के पास पाता है, और ऐंथ्वनी की तरफ देखता है। टेंच अपनी घबराहट को छिपाने के लिए काग़ज़ों को संभालने लगता है।]

ऐंथ्वनी

मेरे लिए ह्विस्की और सोडा लाओ।

फ्रॉस्ट

खाने के लिए भी कुछ लाऊँ, हुज़ूर?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है,-फ्रॉस्ट छोटी मेज़ के पास जाता है और शराब तैयार करता है।]

टेंच

[धीमी आवाज़ में बिल्कुल गिड़गिड़ा कर]

अगर आप कोई समझौता कर लेते, तो मेरा चित्त बहुत कुछ शान्त हो जाता।

[वह सिर उठाकर ऐंथ्वनी को देखता है, जो स्थिर भाव से बैठा रहता है।]

सचमुच इस से मुझे बड़ी चिन्ता हो रही है। मुझे कई रातों से अच्छी नींद नहीं आई।

[ऐंथ्वनी उसके चहरे की ओर ताकता है, तब धीरे से सिर हिलाता है।]

टेंच

[निराश होकर]

आप को मंजूर नहीं है?

[वह काग़ज़ों को सँभालता रहता है। फ्रॉस्ट ह्विस्की और सोडा एक किश्ती में लाता है और ऐंथ्वनी के दहने हाथ के पास रख देता है। वह ऐंथ्वनी को चिन्तित आँखों से देख कर अलग खड़ा हो जाता है।]

फ्रॉस्ट

क्या आप कोई चीज़ न खायेंगे?

[ऐंथ्वनी सिर हिलाकर नहीं करता है।]

आपको मालूम है कि डॉक्टर ने आप से क्या कहा था?

ऐंथ्वनी

हाँ मालूम है।

[फ्रॉस्ट यकायक उसके समीप चला जाता है, और धीमी आवाज़ में बोलता है।]

फ्रॉस्ट

हुजूर, इस हड़ताल ने आप को बहुत चिन्ता में डाल रक्खा है। आप नाहक इस के पीछे इतने हैरान हो रहे हैं।

[ऐंथ्वनी कुछ शब्द मुँह से निकालता है जो सुनाई नहीं देते।]

बहुत अच्छा, हुज़ूर।

[वह घूमकर हॉल में चला जाता है। टेंच दोबारा बोलने की चेष्टा करता है, लेकिन सभापति से आँखें मिल जाने के कारण आँखें नीची कर लेता है। तब उदास भाव से घूम कर वह भी चला जाता है। ऐंथ्वनी अकेला रह जाता है। वह गिलास उठाता है, उसे हिलाता है, और एक साँस में पी जाता है। तब गहरी साँस लेकर उसे रख देता है और अपनी कुर्सी पर तकिया लगा लेता है।]

पर्दा गिरता है

हड़ताल (नाटक) : अङ्क दूसरा-दृश्य १

(रॉबर्ट के घर का बावर्चीखाना)

साढ़े तीन बजे हैं। रॉबर्ट के झोंपड़े के रसोई घर में धीमी आग जल रही है। कमरा साफ़ और सुथरा। ईंट का फर्श है, सफ़ेद पुती हुई दीवारें हैं, जो धुएँ से काली हो गई हैं। सजावट के सामान बहुत थोड़े हैं। चूल्हे के सामने एक दरवाज़ा है जो अन्दर की तरफ़ खुलता है। दरवाजे के सामने बर्फ से भरी हुई गली है। लकड़ी की मेज़ पर एक प्याला और एक तश्तरी, एक चायदान, छुरी, और रोटी और पनीर की एक रकाबी रक्खी हुई है। चूल्हे के पास एक पुरानी आरामकुर्सी है जिस पर एक चीथड़ा लपेटा हुआ है। उस पर मिसेज़ रॉबर्ट बैठी हुई हैं। वह एक दुबली और काले बालों वाली औरत है, अवस्था ३५ के लगभग होगी। आँखों से दीनता बरसती है। उस के बालों में कंघी नहीं की हुई है, पीछे की तरफ़ एक फीते से बाँध दिए गए हैं। भाग के पास ही मिसेज़ यो हैं। उसके बाल लाल और मुँह चौड़ा है मेज़ के पास मिलेज़ राउस बैठी हैं। वह एक बुड्ढी औरत है, बिल्कुल सफ़ेद, बाल सन हो गए हैं। दरवाज़े के पास मिसेज़ बल्जिन इस तरह खड़ी है मानो जानेवाली हो। वह एक छोटी-सी पीले रंग की दुबली-पतली औरत है। एक कुर्सी पर कुहनियों को मेज़ पर रक्खे और चेहरे को हाथों से थामे मैज टॉमस बैठी हुई है। वह बाईस साल की रूपवती स्त्री है। उसके गाल की हड्डियाँ ऊँची हैं, आँखें गहरी, और बाल काले और उलझे हुए। वह न बोलती है, हिलती है, केवल बातें सुन रही है।

मिसेज़ यो

बस, उसने मुझे छः पेन्स दिये और इस हफ़्ते में मुझे पहिली बार इन्हीं पैसों के दर्शन हुए यह आग बहुत मन्द है। मिसेज़ राउस, आकर हाथ पैर सेंक लो। तुम्हारा चेहरा बर्फ़ की तरह सफ़ेद हो गया है, सच।

मिसेज़ राउस

[काँपती हुई शान्त भाव से]

होगा। लेकिन असली सर्दी तो उसी साल पड़ी जिस दिन मेरे बूढ़े पति यहाँ नौकर हुए। ७९ का साल था जब कि तुम में से किसी का जन्म भी न हुआ होगा, न मैज टॉमस का, न मिसेज़ बल्जिन का।

[उनकी ओर बारी-बारी से देखती है]

क्यों एनी रॉबर्ट, उस वक्त तुम्हारी क्या उम्र थी?

मिसेज़ रॉबर्ट

सात साल।

मिसेज़ राउस

बस सात साल! तब तो तुम बिलकुल बच्ची थीं।

मिसेज़ यो

[घमंड से]

मेरी उम्र दस साल की थी। मुझे याद है।

मिसेज़ राउस

[शान्त भाव से]

तब कम्पनी को खुले हुए तीन साल भी न हुए थे दादा तेज़ाब घर में काम करते थे। वहीं उन की टाँग सड़ गई थी। मैं उनसे कहती थी, दादा, तुम्हारी टाँग सड़ गई है; वह कहते थे सड़े या गले, मैं खाट पर नहीं पड़ सकता। और दो दिन के बाद उन्होंने खाट पकड़ ली और फिर न उठे। ईश्वर की मर्जी थी! तब हर्जाने वाला क़ानून न था।

मिसेज़ यो

क्या उस जाड़े में कोई हड़ताल नहीं हुई थी?

[विकट हास्य के भाव से]

यह जाड़ा तो मेरे लिए बहुत बुरा है। क्यों मिसेज़ रॉबर्ट, सर्दी खूब पड़ रही है या अभी जी नहीं भरा? क्यों मिसेज बल्जिन, भूख लगी है न?

मिसेज़ बल्जिन

चार दिन हुए हमने रोटी और चाय खाई थी।

मिसेज़ यो

शुक्र की धुलाई वाला काम तुम्हें मिला या नहीं?

मिसेज़ बल्जिन

[दुखी होकर]

उन्होंने मुझे काम देने का वादा तो किया था, लेकिन शुक्रवार को गई तो कोई जगह ही न थी। अब मुझे अगले हफ़्ते में फिर जाना है।

मिसेज़ यो

अच्छा! वहाँ भी आदमियों की भरमार है। मैं तो यो को बर्फ़ के मैदान में भेज देती हूँ कि अमीरों को बर्फ़ पर चलाएँ। जो कुछ मिल जाय वही सही। उन्हें घर की चिन्ता से तो छुट्टी मिल जाती है।

मिसेज़ बल्जिन

[रूखी और उदास आवाज़ से]

मर्दो को तो जाने दो, लड़कों का हाल और भी बुरा है। मैं तो उन्हें सुला देती हूँ। पड़े रहने से भूख कुछ कम लगती है, लेकिन रो-रोकर सब नाक में दम कर देते हैं।

मिसेज़ यो

तुम्हारे लिए तो इतनी कुशल है कि बच्चे छोटे छोटे हैं। जो पढ़ने जाते हैं उन्हें तो और भी भूख लगती है। क्या बल्जिन तुम्हें कुछ नहीं देते?

मिसेज़ बल्जिन

[सिर हिलाकर नहीं करती है, तब कुछ सोचकर]

कुछ बस ही नहीं चलता तो क्या करें?

मिसेज़ यो

[बनावट से]

क्या कम्पनी में उनके हिस्से नहीं हैं?

मिसेज़ राउस

[उठकर काँपती हुई, किन्तु प्रसन्नसुख से]

अच्छा अब चलती हूँ, एनी रॉबर्ट।

मिसेज़ रॉबर्ट

ठहरो, जरा चाय तो पीती जाव।

मिसेज़ राउस

[कुछ मुसकुरा कर]

रॉबर्ट आएगा तो वह भी तो चाय पिएगा। मैं तो जाकर खाट पर पड़ रहूँगी। खाट ही पर बदन में गर्मी आवेगी।

[लड़खड़ाती हुई द्वार की ओर चलती है]

मिसेज़ यो

[उठकर उसे हाथ का सहारा देती हुई]

आओ अम्मा, मेरा हाथ पकड़ लो। यही तो हम सब की गति होगी।

मिसेज़ राउस

[हाथ पकड़ कर]

अच्छा खुश रहो बेटियो।

[दोनों चली जाती हैं, पीछे मिसेज़ बल्जिन भी जाती है।]

मैज

[अब तक चुप रहने के बाद बोलती है]

देखा एनी! मैंने जॉर्ज राउस से कहा-जब तक यह हड़ताल बन्द न हो जाय मेरे पीछे न पड़ो। तुम्हें शर्म नहीं आती कि तुम्हारी माँ मर रही है और घर में लकड़ी का नाम नहीं। हम चाहे भूखों मर ही जायँ लेकिन तुम्हें तम्बाकू पीने को चाहिए। उसने कहा-मैज, मैं क़सम खाता हूँ कि इन तीन हफ़्तों से न तम्बाकू की सूरत देखी न शराब की। मैंने कहा फिर क्यों अपनी ज़िद पर अड़े हुए हो? बोला, "मैं रॉबर्ट की बात को नहीं दुलख सकता।" बस जहाँ देखो रॉबर्ट-रॉबर्ट! अगर वह न बोले, तो आज हड़ताल बन्द हो जाय। उस की बातें सुन कर सभों पर नशा चढ़ जाता है,

[वह चुप हो जाती है मिसेज़ रॉबर्ट के मुख से दुःख का भाव प्रगट होता है।]

तुम यह कब चाहोगी कि रॉबर्ट हार जाय! वह तुम्हारा स्वामी है। साये की तरह सब के पीछे लगा रहता है।

[मिसेज़ रॉबर्ट की ओर देखकर मुँह बनाती है।]

जब तक राउस रॉबर्ट से अलग न हो जायगा मैं उस से बात न करूँगी। अगर वह उस का साथ छोड़ दे, तो फिर सब छोड़ दें। सब यही चाह रहे हैं कि कोई आगे चले। दादा उन से बिगड़े हुए हैं-सब के सब मन में उन्हें गालियाँ देते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

तुम्हें राबर्ट से इतनी चिढ़ है!

[दोनों चुप चाप एक दूसरे की ओर ताकती हैं]

मैज

क्यों न चिढ़ूँ? जिनकी माँ और बच्चे इधर-उधर ठोकरें खाते फिरते हों उन्हें यह जिद शोभा नहीं देती- सब कायर हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

मैज!

मैज

[मिसेज़ रॉबर्ट को चुभती हुई आँखों से देखकर]

समझ में नहीं आता तुम्हें कैसे मुँह दिखाता है।

[आग के सामने बैठकर हाथ सेंकती है]

हार्निस फिर आ गया। आज सभों को कुछ न कुछ निश्चय करना पड़ेगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[नर्म, धीमी आवाज़ में]

रॉबर्ट इंजिनियरों और भट्टीवालों का पक्ष न छोड़ेंगे। यह उचित नहीं है।

मैज

मैं बातों में नहीं आने की। यह उसका घमड है!

[कोई द्वार खटखटाता है। दोनों औरतें घूमकर उधर देखती हैं। एनिड अन्दर आती है। वह एक गोल ऊन की टोपी पहिने हुए है, और गिलहरी की खाल का एक जाकिट। वह दरवाज़ा बन्द करके आती है।]

एनिड

मैं अन्दर आऊँ, ऐनी!

मिसेज़ रॉबर्ट

[झिझक कर]

आप हैं मिस एनिड! मैज, मिसेज़ अंडरवुड को कुर्सी दो।

[मैज एनिड को वही कुर्सी देती है जिस पर आप बैठी हुई थी।]

एनिड

धन्यवाद! अब तबीयत कुछ अच्छी है?

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ मालकिन, अब तो कुछ अच्छी हूँ।

एनिड

[मेज़ की ओर इस तरह देखती है, मानो उस से कह रही है, तुम चली जाव]

तुम ने मुरब्बे क्यों लौटा दिए? यह तुम ने अच्छा नहीं किया।

मिसेज़ रॉबर्ट

आप ने मुझ पर बड़ा अनुग्रह किया, लेकिन मुझे उस की जरूरत नहीं थी।

एनिड

ठीक है! यह रॉबर्ट की करतूत होगी। है न? तुम लोगों को इतना कष्ट सहते उन से कैसे देखा जाता है।

[चौंक कर]

कैसा कष्ट?

एनिड

[चकित होकर]

क्या मैं कुछ झूठ कहती हूँ?

मैज

कौन कहता है कि हमें कष्ट है, मिसेज़ रॉबर्ट?

मैज

[अपना शाल सिर पर डाल कर]

हमारे बीच में बोलने वाली आप कौन होती हैं? हम नहीं चाहते कि आप हमारे घर में आकर ताक झाँक करें।

एनिड

[उसे क्रोध से देखकर लेकिन बग़ैर उठे हुए]

मैं तुमसे नहीं बोलती।

मैज

[ग़ुस्से से भरी हुई, नीची आवाज़ में]

आप का दया-भाव आप को मुबारक रहे। आप समझती हैं कि आप हम लोगों में मिल सकती हैं; लेकिन यह आप की भूल है। जाकर मैनेजर साहब से कह देना।

एनिड

[कठोर स्वर में]

यह तुम्हारा घर नहीं है।

मैज

[द्वार की ओर घूमकर]

नहीं यह मेरा घर नहीं है। मेरे मकान में कभी न आइयेगा।

[वह चली जाती है, एनिड मेज को उँगलियों से खटखटाती है]

मिसेज़ रॉबर्ट

मैज टामस् को क्षमा कीजिए, हुजूर। वह आज बहुत दुःखी है।

एनिड

[उस की ओर देख कर]

उस की क्या बात है, मैं तो समझती हूँ सब के सब मूर्ख हैं, काठ के उल्लू।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

हाँ हैं तो।

एनिड

क्या रॉबर्ट बाहर गए हैं?

मिसेज़ रॉबर्ट

जी हाँ।

एनिड

यह उन्हीं की करतूत है कि कोई बात तै नहीं होती! झूठ तो नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[एनिड की ओर ताकती हुई और एक हाथ की उँगलियों को अपनी छाती पर हिलाते हुए]

लोग कहते हैं कि तुम्हारे बाप

एनिड

मेरे बाप अब बुड्ढे हो गए हैं और तुम बुड्ढे आदमियों का स्वभाव जानती हो।

मिसेज़ रॉबर्ट

मुझे खेद है कि मैंने यह बात छेड़ी।

एनिड

[और नर्मी से]

तुमने वाजिबी बात कही। तुम को इस का खेद क्यों हो? मैं जानती हूँ कि इस में रॉबर्ट का भी दोष है और मेरे पिता का भी।

मिसेज़ रॉबर्ट

मुझे बूढ़े आदमियों पर दया आती है, हुजूर। बुढ़ापे से ईश्वर बचाए। मैं तो मिस्टर ऐंथ्वनी को हमेशा बहुत ही नेक आदमी समझती थी।

एनिड

[भावुकता से]

तुम्हें याद नहीं है वह तुम्हें कितना चाहते थे? अब बतलाओ एनी मैं क्या करूँ? मुझे कोई नहीं बताता। तुम्हें जिन चीज़ों की ज़रूरत है वह यहाँ एक भी मयस्सर नहीं।

[आग के पास जाकर वह डेगची उतार लेती है और कोयला ढूंढने लगती है।]

और तुम इतनी मनहूस हो कि झोल और सारी चीज़ें लौटा दी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

हाँ हुज़ूर।

एनिड

[झुँझला कर]

क्या तुम्हारे यहाँ कोयला भी नहीं है?

मिसेज़ रॉबर्ट

कृपा कर के पतीली को फिर ऊपर रख दो। रॉबर्ट आयेंगे तो उन्हें चाय के लिए देर हो जायगी। चार बजे उन्हें मज़रों से मिलना है।

एनिड

[डेगची ऊपर रख कर]

इस का अर्थ यह है कि वह फिर मजूरों का मिज़ाज गर्म कर देंगे। क्यों ऐनी तुम उन को मना नहीं कर सकतीं?

[मिसेज़ रॉबर्ट दीन भाव से मुसकुराती है]

तुम ने कभी आजमाया है?

[ऐनी कोई उत्तर नहीं देती]

क्या वह जानते हैं कि तुम्हारी क्या हालत है?

मिसेज़ रॉबर्ट

मेरा दिल कमज़ोर है, हुजूर और कोई बीमारी नहीं

एनिड

जब तुम हमारे साथ थीं तब तो तुम्हें कोई रोग न था।

मिसेज़ रॉबर्ट

[गर्व से]

रॉबर्ट मुझ पर बड़ी दया रखते हैं?

एनिड

लेकिन तुम्हें जिस चीज़ की ज़रूरत हो, वह मिलनी चाहिए और तुम्हारे पास कुछ नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[विनीत भाव से]

सब यही कहते हैं, कि तुम्हारी सूरत मरने वालों की सी नहीं है।

एनिड

बेशक नहीं है। अगर तुम्हें अच्छा भोजन-अगर तुम चाहो तो मैं डॉक्टर को तुम्हारे पास भेज दूँ? उन की दवा से तुम्हें अवश्य लाभ होगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ आपत्ति कर के]

हाँ हुजूर।

एनिड

मैज टॉमस को यहाँ मत आने दिया करो, वह तुम्हें और दिक़ करती है। मुझ से मजूरों की कौन सी बात छिपी है? मुझे उनकी दशा देख कर बड़ा दुःख होता है, लेकिन तुम जानती हो कि उन्होंने बात को कितना बढ़ा दिया है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[उँगुलियों को बराबर हिलाती हुई]

लोग कहते हैं मजूरी बढ़वाने के लिए कोई दूसरा उपाय नहीं है।

एनिड

[तत्परता से]

यही तो कारण है, कि यूनियन उन की मदद नहीं करता मेरे स्वामी को मजूरों का बड़ा ख्याल है। लेकिन वह

कहते हैं उन की मजूरी कम नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

यह बात है?

एनिड

ये लोग यह नहीं सोचते कि इन की मुँह माँगी मजूरी देकर कम्पनी कैसे चलेगी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[बल पूर्वक]

लेकिन नफ़ा तो बहुत हो रहा है, हुजूर।

एनिड

तुम लोग सोचती हो कि हिस्सेदार लोग बड़े मालदार हैं लेकिन यह बात नहीं है। उन में से बहुतों की दशा मजूरों से अच्छी नहीं है।

[मिसेज़ रॉबर्ट मुसकुराती है]

उन्हें भलमनसी का निवाह भी तो करना पड़ता है।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ हुज़ूर।

एनिड

तुम लोगों को कोई टैक्स या महसूल नहीं देना पड़ता। और सैकड़ों बातें हैं जो उन्हें करनी पड़ती हैं और तुम्हें नहीं करनी पड़ती। अगर मज़र लोग शराब और जुए में इतना न उड़ा दें तो चैन से रह सकते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

ये लोग तो कहते हैं कि काम इतना कठिन है, कि मन बहलाने के लिए कुछ न कुछ होना चाहिए।

एनिड

लेकिन इस तरह की बुरी बुरी बातें तो नहीं?

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ चिढ़ कर]

रॉबर्ट तो कभी छूते भी नहीं और जुआ तो उन्होंने कभी जिन्दगी में नहीं खेला।

एनिड

लेकिन वह मामूली मजूर-वह इंजीनियर हैं, ऊँचे दर्जे के आदमी हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ बीबी। रॉबर्ट कहते हैं कि और किसी तरह के मन बहलाव का मजूरों के पास कोई सामान ही नहीं है।

एनिड

[सोच कर]

हाँ कठिन तो है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ इर्ष्या से]

लोग तो कहते हैं ये भद्र लोग भी यही बुराइयाँ करते हैं।

एनिड

[मुसकुरा कर]

मैं इसे मानती हूँ एनी, लेकिन तुम खुद जानती हो यह बिलकुल गप है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[बड़े कष्ट से बोल कर]

बहुत से आदमी तो कभी शराबख़ाने की तरफ़ ताकते ही नहीं। लेकिन उन की बचत भी बहुत कम होती है। और यदि कोई बीमार पड़ गया तो वह भी गायब हो जाती है।

एनिड

लेकिन उन के क्लब भी तो हैं?

मिसेज रॉबर्ट

क्लब एक परिवार को हफ़्तों में केवल १८ शिलिंग देता है। और इतने में क्या होता है। रॉबर्ट कहते हैं मजूर लोग हमेशा फ़ाकेमस्त रहते हैं। कहते हैं आज का ६ पेन्स कल के १ शिलिंग से अच्छा है।

एनिड

लेकिन इसी को तो जुआ कहते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

[आवेश के प्रवाह में]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूरों का सारा जीवन जन्म से लेकर मरने तक जुआ ही है।

[एनिड प्रभावित होकर आगे झुक जाती है। मिसेज़ राबर्ट का आवेश बढ़ता जाता है यहाँ तक अन्तिम शब्दों में वह अपने ही दुःख से विकल हो जाती है।]

रॉबर्ट कहते हैं कि मज़ूर के घर जब बच्चा पैदा होता है तो उस की साँसें गिनी जाने लगती हैं, भय होता है इस साँस के बाद दूसरी साँस लेगा भी या नहीं। और इसी तरह उस का जीवन कट जाता है। और जब वह बुड्ढा हो जाता है, तो अनाथालय या क़ब्र के सिवा उसके लिए दूसरा ठिकाना नहीं। वह कहते हैं कि जब तक आदमी बहुत चालाक न हो और कौड़ी-कौड़ी पर निगाह न रक्खे और बच्चों का पेट न काटे वह कुछ बचा नहीं सकता। इसी लिए तो वह बच्चों से चिढ़ते हैं। चाहे मेरी इच्छा भी हो।

एनिड

हाँ-हाँ जानती हूँ।

मिसेज़ रॉबर्ट

नहीं बीबी, आप नहीं जानतीं। आप के बच्चे हैं और उनके लिए आप को कभी चिन्ता न करनी पड़ेगी।

एनिड

[नम्रता से]

इतनी बातें मत करो एनिड।

[इच्छा न रहने पर भी कहती है]

लेकिन रॉबर्ट को तो उस आविष्कार के लिए काफ़ी रुपए दिये गए थे।

मिसेज़ रॉबर्ट

[अपना पक्ष सँभालती हुई]

रॉबर्ट ने जो कुछ जोड़ा था वह सब ख़र्च हो गया। वह बहुत दिनों से इस हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। वह कहते हैं जब दूसरे लोग कष्ट उठा रहे हैं, तो मैं एक पैसा भी अपने पास नहीं रख सकता। मगर सब का यह हाल नहीं है। बहुत से तो किसी से कोई मतलब ही नहीं रखते। हाँ, उन की आमदनी होती रहे!

एनिड

जब उन्हें इतना कष्ट है, तो इसके सिवा और कर ही क्या सकते हैं।

[बदली हुई आवाज़ में]

लेकिन रॉबर्ट को तुम्हारा तो ख़्याल करना ही चाहिए। डेगची खौल गई है; चाय बना दूँ?

[चायदानी उठाती है और उस में चाय पाकर पानी डाल देती है]

तुम भी तो एक प्याला लो।

मिसेज़ रॉबर्ट

नहीं बीबी, मुझे क्षमा करो।

[कोई आवाज़ सुन रही है जैसे किसी की आहट हो]

मैं चाहती हूँ कि रॉबर्ट से आप की भेंट न हो।

[वह आपे से बाहर हो जाते हैं।]

एनिड

लेकिन मैं तो बिना मिले न जाऊँगी, ऐनी। मैं बिलकुल शांत रहूँगी वादा करती हूँ।

मिसेज़ रॉबर्ट

उन के लिए यह जीवन और मरण का प्रश्न है।

एनिड

[बहुत कोमलता से]

मैं उन्हें बाहर ले जा कर बातें करूँगी। हम तुम्हें दिक़ नहीं करेंगी।

मिसेज़ रॉबर्ट

[क्षीण स्वर में]

नहीं बीबी।

[वह ज़ोर से चौंक पड़ती है, रॉबर्ट यकायक अन्दर आ जाता है।]

रॉबर्ट

[अपनी टोपी उतार कर चुटकी लेता हुआ]

अन्दर आने के लिये क्षमा करना। तुम किसी लेडी से बातें कर रही हो।

एनिड

मि॰ रॉबर्ट, मैं आप से कुछ बातें करना चाहती हूँ।

रॉबर्ट

मुझे किस से बातें करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है?

एनिड

आप तो मुझे जानते हैं। मैं मिसेज़ अंडरवुड हूँ।

रॉबर्ट

[द्वेष भरे हुए अभिवादन के साथ]

हमारे सभापति की बेटी!

एनिड

[तत्परता से]

मैं यहाँ आप से कुछ बातें करने आई हूँ। एक मिनट के लिए ज़रा बाहर चले आइए।

[वह मिसेज़ रॉबर्ट की ओर ताकती है]

रॉबर्ट

[अपनी टोपी लटकाता हुआ]

मुझे आप से कुछ नहीं कहना है, देवी जी।

एनिड

लेकिन मुझे बहुत ज़रूरी बातें करनी हैं।

[वह द्वार को ओर चलती है]

रॉबर्ट

[यकायक कठोर होकर]

मेरे पास कुछ सुनने के लिए समय नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

डेविड!

एनिड

बहुत कम समय लूँगी, मि॰ रॉबर्ट।

रॉबर्ट

[कोट उतार कर]

मुझे खेद है कि मैं एक महिला की–मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी की बात भी नहीं सुन सकता।

एनिड

[दुबिधे में पड़ जाती है फिर यकायक दृढ़ होकर]

मिस्टर रॉबर्ट, मैंने सुना है कि मज़ूरों की दूसरी सभा होनेवाली है।

[रॉबर्ट सिर झुकाकर स्वीकार करता है।]

मैं आप के पास भिक्षा माँगने आई हूँ। ईश्वर के लिए कुछ समझौता करने की चेष्टा करो। थोड़ा सा दब जाओ चाहे अपनी ही ख़ातिर क्यों न दबना पड़े।

रॉबर्ट

[आप ही आप]

मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी मुझ से यह कहती हैं कि कुछ दब जाऊ, चाहे अपनी ख़ातिर क्यों न हो।

एनिड

सब की ख़ातिर, अपनी पत्नी की ख़ातिर!

रॉबर्ट

अपनी पत्नी की ख़ातिर, सब की खातिर-मिस्टर ऐंथ्वनी की ख़ातिर।

एनिड

आप को मेरे पिता से क्यों इतनी चिढ़ है? उन्हों ने तो आप से कभी कुछ नहीं कहा।

रॉबर्ट

कभी कुछ नहीं कहा?

एनिड

जिस तरह आप अपनी राय नहीं बदल सकते उसी तरह वह भी अपनी राय नहीं बदल सकते।

रॉबर्ट

अच्छा! मुझे यह आज मालूम हुआ कि मेरी भी कोई राय है।

एनिड

वह बूढ़े आदमी हैं और आप-

[उस को अपनी तरफ़ ताकते देख कर वह रुक जाती है]

रॉबर्ट

[आवाज़ ऊँची किए बग़ैर]

अगर मैं मिस्टर ऐंथ्वनी को मरते देखूँ और मेरे हाथ उठाने से उन की जान बचती हो, तो भी मैं एक उँगली न हिलाऊँगा।

एनिड

आप-आप।

[वह रुक जाती है और अपने होंठ काटने लगती है।]

रॉबर्ट

हाँ, मैं एक उँगली भी न उठाऊँगा, और यह सच है!

एनिड

[रुखाई से]

यह तुम ऊपरी मन से कह रहे हो।

रॉबर्ट

नहीं, मैं दिल से कह रहा हूँ।

एनिड

लेकिन क्यों ऐसा कहते हो?

रॉबर्ट

[चमक कर]

इस लिए कि मिस्टर ऐंथ्वनी अन्याय का झंडा उठाए हुए हैं।

एनिड

वाहियात बात।

[जिसेज़ रॉबर्ट उठने की चेष्टा करती है लेकिन अपनी कुर्सी पर गिर पड़ती है।]

एनिड

[तेज़ी से आगे बढ़ कर]

एनी!

रॉबर्ट

मैं नहीं चाहता कि आप मेरी पत्नी की देह में हाथ लगायें।

एनिड

[एक प्रकार की घृणा से पीछे हट कर]

मैं समझती हूँ कि तुम पागल हो गए हो।

रॉबर्ट

एक पागल आदमी का घर किसी महिला के लिए अच्छी जगह नहीं है।

एनिड

मैं तुम से डरती नहीं।

रॉबर्ट

[सिर झुकाकर]

मिस्टर ऐंथ्वनी की बेटी भला किसी से डर सकती है। मिस्टर ऐंथ्वनी उन में से दूसरों की तरह कायर नहीं हैं।

एनिड

[चौंककर]

तो शायद तुम इस झगड़े को बढ़ाए रखना वीरता समझते हो।

रॉबर्ट

क्या मिस्टर ऐंथ्वनी ग़रीब स्त्रियों और बच्चों की गरदन पर छुरी चलाना वीरता समझते हैं? मैं समझता हूँ मिस्टर ऐंथ्वनी धनी आदमी हैं। क्या वह उन लोगों से लड़ने में अपनी बहादुरी समझते हैं जो दाने दाने को मुहताज हैं? क्या वे इसे बहादुरी समझते हैं कि बच्चों को दुःख से रुलाया जाय और औरतें सर्दी के मारे ठिठुरें।

एनिड

[अपना हाथ उठा कर मानो कोई वार बचा रही है]

मेरे पिता जी अपने सिद्धान्त पर चल रहे हैं। और आप इसे जानते हैं।

रॉबर्ट

मैं भी वही कर रहा हूँ।

एनिड

आप हमें शत्रु समझते हैं, और अपनी हार मानते

आप की कोर दबती है।

रॉबर्ट

मिस्टर ऐंथ्वनी भी तो हार नहीं मानते। चाहे मुँह से कुछ ही क्यों न कहें।

एनिड

बहर हाल आप को अपनी पत्नी पर दया करनी चाहिए।

[मिसेज़ रॉबर्ट जो कि छाती को हाथ से दबाए हुए है, हाथ उठा लेती है, और साँस रोकना चाहती है]

रॉबर्ट

इस के सिवा मुझे और कुछ नहीं कहना है।

[वह रोटी उठा लेता है, दरवाज़े की कुंडी खटकती है और अन्डरवुड अन्दर आता है। वह खड़ा होकर उन की तरफ़ ताकता है। एनिड फिर कर उस की तरफ देखती है, और दुबिधे में पड़ जाती है।]

अंडरवुड

एनिड!

रॉबर्ट

[व्यंग से]

आप को अपनी बीबी के लिए यहाँ आने की ज़रूरत न थी, मिस्टर अंडरवुड। हम शुहदे नहीं हैं।

अंडरवुड

इतना मालूम है, रॉबर्ट। मिसेज राबर्ट तो अब अच्छी हैं।

[रॉबर्ट बिना जवाब दिए मुँह फेर लेता है]

आओ एनिड।

एनिड

मिस्टर राबर्ट, मैं आप की पत्नी की खातिर एक बार आप से फिर विनय करती हूँ।

रॉबर्ट

[मीठी छुरी चला कर]

अगर आप बुरा न मानें तो अपने पिता और स्वामी की ख़ातिर यह विनय कीजिए।

[एनिड जवाब देने की इच्छा को दबा कर चली जाती है। अन्डरवुड दरवाज़ा खोलता है, और उसके पीछे पीछे चला जाता है। राबर्ट आग के पास जाता है, और उठती हुई चिंगारियों के सामने हाथ उठाता है।]

रॉबर्ट

कैसा जी है, प्रिये? अब तो कुछ अच्छी हो न?

[मिसेज़ रॉबर्ट कुछ मुसकुराती है। वह अपना ओवरकोट लाकर उसे उढ़ा देता है।]

[घड़ी देख कर]

चार बजने में दस मिनट हैं।

[मानो उसे कोई बात सूझ जाती है]

मैंने उन के चेहरे देखे हैं, उस बुड्ढे डाकू के सिवा और किसी में दम नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

ज़रा ठहर जाव और कुछ खालो डेविड, आज तो तुमने दिन भर कुछ नहीं खाया।

रॉबर्ट

[गले पर हाथ रख कर]

जब तक ये भेड़िए यहाँ से चले न जायँगे मुझ से कुछ न खाया जायगा।

[इधर से उधर टहलता है]

मुझे मजूरों से अभी बहुत माथा पच्ची करनी पड़ेगी। किसी में हिम्मत नहीं है। सब कायर हैं। बिलकुल अन्धे। कल की किसी को फिकर ही नहीं।

मिसेज़ रॉबर्ट

यह सब औरतों के कारण हो रहा है, डेविड।

रॉबर्ट

हाँ औरतों को ही वह सब बदनाम करते हैं। जब अपना पेट काँ कूँ करता है, तो औरतों की याद आती है। औरत उन्हें शराब पीने से नहीं रोकती। लेकिन एक शुभ कार्य में जब कुछ तकलीफ़ होती है तो चट औरतों की दुहाई देने लगते हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

लेकिन उनके बच्चों का तो ख़्याल करो, डेविड।

रॉबर्ट

अगर वे ग़ुलाम पैदा करते चले जायँ और जिन्हें पैदा करते हैं उनके भविष्य की कुछ भी चिंता न करें-

मिसेज़ रॉबर्ट

[साँस भर कर]

बस रहने दो डेविड, उस की चर्चा ही मत करो। मुझ से नहीं सुना जाता। मैं नहीं सुन सकती।

रॉबर्ट

सुनो, जरा सुनो।

मिसेज़ रॉबर्ट

[हाँफती हुई]

नहीं-नहीं, डेविड, मुझसे मत कहो।

रॉबर्ट

हैं हैं! तबियत को सँभालो

[व्यथित होकर]

मूर्ख, बुरे दिन के लिये एक पैसा भी नहीं रखते। जानते ही नहीं। कौड़ी कफ़न को नहीं! इन्हें खूब जानता हूँ, इनकी दशा देख कर मेरा दिल टूट गया है। शुरू-शुरू में तो सब काबू में न आते थे लेकिन अब सभों ने हिम्मत हार दी।

मिसेज़ रॉबर्ट

तुम यह आशा कैसे कर सकते हो, डेविड, वे भी तो आदमी हैं।

रॉबर्ट

कैसे आशा करूँ! जो कुछ मैं कर सकता हूँ उसकी आशा दूसरों से भी कर सकता हूँ। मैं तो चाहे भूखों मर जाऊँ सिर कभी न झुकाऊँगा। जो काम एक आदमी कर सकता है, वह दूसरा आदमी भी कर सकता है।

मिसेज़ रॉबर्ट

और औरतें कहाँ जायँगी?

रॉबर्ट

यह औरतों का काम नहीं है।

मिसेज़ रॉबर्ट

(द्वेष के भाव से चमक कर]

नहीं, औरतें मरा करें, तुम्हें उनकी क्या परवाह। जान दे देना ही उनका काम है।

रॉबर्ट

[आँख हटा कर]

मरने की कौन बात है, कोई नहीं मरेगा जब तक हम इनको मजा न चखा देगें।

[दोनों की आँखें फिर मिल जाती हैं, और वह फिर अपनी आँख हटा लेता है।]

इतने दिनों से इसी अवसर का इन्तज़ार कर रहा हूँ कि इन डाकुओं को नीचा दिखाऊँ। और सब के सब अपना सा मुँह लिए घर लौट जायँ। मैं उन की सूरत देख चुका हूँ। विश्वास मानो सब घुटने टेकने को तैयार हैं।

[खूंटी के पास जाकर अपना कोट उतार लेता है]

मिसेज़ रॉबर्ट

[उसके पीछे आँखें लगाए हुए नर्मी से]

अपना ओवर कोट ले लो डेविड, बाहर बड़ी ठंड होगी।

रॉबर्ट

[उस के पास आ कर आँखें चुराए हुए]

नहीं नहीं, चुपचाप लेटी रहो मैं बहुत जल्द आऊँगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[व्यथित होकर किन्तु कोमल भाव से]

तुम इसे लेते ही क्यों न जाव।

[वह कोट उठाती है, लेकिन रॉबर्ट उसे फिर उड़ा देता है। वह उस से आँखें मिलाना चाहता है लेकिन नहीं मिला सकता। मिसेज़ रॉबर्ट कोट में लिपटी हुई पड़ी रहती है, उस की आँखों में जो रॉबर्ट के पीछे लगी हुई हैं द्वेष और प्रेम दोनों मिले हुए हैं। वह फिर अपनी घड़ी देखता है, और जाने के लिए घूमता है। ड्योढ़ी में उस की जैन टॉमस से मुठभेड़ हो जाती है। यह एक दस साल का लड़का है जिस के कपड़े बहुत ढीले हैं और हाथ में एक छोटी सी सीटी लिए हुए है।]

मिसेज़ रॉबर्ट

कहो जैन कैसे चले?

जैन

दादा आ रहे हैं, बहन मैज भी आ रही है।

[वह मेज़ पर बैठ जाता है, फिर अपनी सीटी घुमाने लगता है और तीन ऊट पटांग स्वर बजाता है। तब कोयल की बोली की नक़ल करता है। दरवाज़ा खटकता है और बूढ़ा टॉमस अन्दर आता है।]

टॉमस

मैडम को परनाम करता हूँ। अब तो आप कुछ अच्छी हैं।

मिसेज़ रॉबर्ट

हाँ मिस्टर टॉमस्, धन्यवाद।

टॉमस

[शंकित होकर]

रॉबर्ट अन्दर हैं?

मिसेज़ रॉबर्ट

अभी वह जलसे में गये हैं मिस्टर टॉमस्।

टॉमस

[मानो उस के दिल का बोझ हल्का हो जाता है गपशप करने की इच्छा।]

यह बहुत बुरा हुआ मैडम। मैं उन शे यह कहने आया था कि हमें लंदन वालों शे शमझौता कर लेना चाहिए। ये दुःख की बात है, कि वह जलशे में चले गए। वहां दीवारों से सर टकराना पड़ेगा। देख लेना।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ उठ कर]

वह समझौता तो नहीं करेंगे, मिस्टर टॉमस्।

टॉमस

तुम्हें रंज नहीं करना चाहिए, मैडम। यह तुम्हारे लिए बुरा है। मेरी बात मानो, अब उन का शाथ देने वाला कोई नहीं है। बश इंजिनियर लोग और जॉर्ज राउश उन के शाथ हैं।

[गम्भीरता से]

इस हड़ताल में अब धरम नहीं है, मेरी बात मानो। मुझे आकाशवाणी हुई है और मैंने उस से शंका शमाधान किया है।

[जैन सीटी बजाता है]

हिश! दूसरे क्या कहते हैं इस की मुझे परवा नहीं है। मैं तो यही कहता हूँ कि धरम इस हड़ताल को बन्द कर देना चाहता है। मेरी समझ में तो यही आता है। और यह मेरी राय है, कि हमारा हित इसी में है। अगर मेरी राय न होती, तो मैं न कहता। लेकिन यह मेरी राय है, मेरी बात मानो।

मिसेज़ रॉबर्ट

[अपने उद्वेग को छिपाने की चेष्टा कर के]

अगर आप लोग दब गए तो न जाने रॉबर्ट का क्या हाल होगा।

टॉमस्

यह उन के लिए लज्जा की बात नहीं है! आदमी जो कुछ कर शकता है, वह उन्होंने किया। लेकिन वह मानव शुभाव को पलट देना चाहते हैं। बिलकुल सीधी सी बात है। कोई दूसरा होता तो वह भी यही करता। लेकिन जब धरम मना कर रहा है तो उन्हें उस की बात माननी चाहिए।

[जैन कोयल की नक़ल करता है]

क्या चें चें लगा रक्खी है।

[द्वार के पास जाकर]

यह देखो मेरी बेटी आ गई। तुम्हारा जी बहलायेगी। अच्छा अब परनाम करता हूँ, मैडम। रंज मत करना। कुढ़ना बुरा है। मेरी बात मानो।

[मैज अन्दर आती है और खुले हुए द्वार पर खड़ी होकर सड़क की ओर देखती है]

मैज

दादा, आप को देर हो जायगी। जलसा शुरू हो रहा है।

[उस की आस्तीन पकड़ लेती है]

ईश्वर के लिए दादा अब की बार और उन का साथ दो ।

टॉमस

[अपनी आस्तीन छुड़ा कर रोब से]

क्या बकती है, बेटी। मैं वही करूँगा जो उचित है।

[वह चला जाता है, मैज जो अभी ड्योढ़ी के बीच में थी धीरे धीरे अन्दर आती है, मानो उस के पीछे कोई और आ रहा है।]

राउस

[दालान में आकर]

मैज।

[मैज मिसेज़ रॉबर्ट की तरफ पीठ कर के खड़ी हो जाती है और सिर उठा कर हाथ पीछे किए हुए उस की तरफ देखती है।]

राउस

[जिस के चेहरे से क्रोध और घबराहट झलक रही है]

मैज, मैं जलसे में जा रहा हूँ।

[मैज, वहीं खड़ी अनादर भाव से मुसकुराती है]

मेरी बात सुनती हो?

[दोनों साँय-साँय जल्द जल्द बातें करते हैं]

मैज

हाँ सुनती हूँ। जाव और हिम्मत हो, तो अपनी माँ को मार डालो।

[राउस उस की दोनों बाहें पकड़ लेता है वह सिर को पीछे किए हुए स्थिर खड़ी रहती है। वह उसे छोड़ देता है और चुपचाप खड़ा हो जाता है।]

राउस

मैंने रॉबर्ट का साथ देने की क़सम खाई है। तुम चाहती हो, कि मैं अपने क़ौल से फिर जाऊँ।

मैज

[मन्द स्वर में उस की हँसी उड़ाकर]

खूब प्रेम करते हो।

राउस

मेरी बात सुनो, मैज!

मैज

[मुसकुरा कर]

मैंने सुना है कि प्रेम वही करते हैं जो उन की प्रेमिका कहती है।

[जैन कोयल की बोली बोलता है।]

लेकिन मालूम होता है, यह भ्रम है।

राउस

तुम चाहती हो कि मैं उन्हें दग़ा दूँ।

मैज

[अपनी आँखें आधी बन्द कर के]

मेरी खातिर से दो।

राउस

[हाथ से माथा पीट कर]

चलो! यह मैं नहीं कह सकता।

मैज

[जल्दी से]

मेरी ख़ातिर से करो।

राउस

[दाँतों को दबा कर]

मेरे साथ कुलटाओं की चाल मत चलो, मैज!

मैज

[जैन की तरफ जल्दी से अपना हाथ बढ़ा कर]

मैं बच्चों का पेट भरने के लिए यह कर रही हूँ।

[क्रोध से भरी हुई कनबतियों में]

मैज, ओ मैज!

मैज

[उस का मुँह चिढ़ा कर]

लेकिन तुम मेरे लिए अपना वचन नहीं तोड़ सकते।

राउस

[रूँधे हुए कंठ से]

नहीं मैज, तोड़ सकता हूँ। खुदा की क़सम!

[वह घूमता है और क़दम बढ़ाता चला जाता है।]

[मैज के चेहरे पर हल्की सी मुसकुराहट आ जाती है। वह खड़ी उस के पीछे ताकती है। तब मैज के पास आती है।]

मैज

रॉबर्ट को तो मैंने मार लिया।

[वह देखती है कि मिसेज़ रॉबर्ट फिर कुरसी पर लेट गई है।

मैज

[उस के पास जा कर और उस के हाथों को छू कर]

अरे! तुम तो पत्थर की तरह ठंढी हो रही हो! एक घूँट ब्रांडी पी लो। जैन, दौड़ 'लायन' की दूकान पर।

कहना मैंने मिसेज़ रॉबर्ट के लिये मँगवाई है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[क्षीण स्वर में]

मैं अभी उठ बैठूँगी मैज, जैन को चाय तो दे दो।

मैज

[जैन को एक टुकड़ा रोटी देकर]

ले, नटखट कहीं के! सीटी बन्द कर।

[आग के पास जाकर]

आग तो ठंढी हुई जाती है।

मिसेज़ रॉबर्ट

[कुछ मुसकुरा कर]

उस से होता ही क्या है!

[जैन सीटी बजाने लगता है।]

मैज

मत-मत-नहीं मानेगा-आऊँ।

[जैन सीटी बन्द कर देता है]

मिसेज़ रॉबर्ट

[मुसकुरा कर]

उसे खेलने क्यों नहीं देती, मैज!

मैज

[आग के पास घुटनियों के बल बैठी हुई कान लगाए हुए]

बस टुकुर टुकुर ताका करो! यही स्त्री का काम है। मुझ से तो यह नहीं हो सकता। सुनते सुनते जी ऊब गया। बस बैठी मुँह ताका करो! सुनती हो जलसे में सभों का शोर! मुझे तो सुनाई दे रहा है

[वह कुहनियों के बल मेज़ पर झुक जाती है और ठुड्डी हाथों पर रख लेती है। उस के पीछे मिसेज़ रॉबर्ट आगे झुकी हुई खड़ी है। हड़तालियों के जल्से की आवाजें सुन कर उस की घबड़ाहट और मनोव्यथा बढ़ती जाती है।]

पर्दा गिरता है

हड़ताल (नाटक) : अङ्क दूसरा : दृश्य २

(कारखाना के बाहर का दृश्य)

[चार बज चुके हैं। झुट पटासे का समय है। एक खुले हुए कीचड़ से भरे मैदान में मज़दूर जमा हैं। आगे काँटेदार तारों का बाड़ा है जिस के उस पार एक नहर की ऊँची पटरी है। नहर में एक नौका बँधी हुई है। दूरी पर दलदल है और बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियाँ हैं। कारखाने की ऊँची दीवार नहर से इस मैदान में होती हुई जाती है। दीवार के कोने में पीपों और तख्तों का एक भद्दा सा मंच है। उस पर हारनेस खड़ा है। इस भीड़ से कुछ दूर हटकर रॉबर्ट दीवार का तकिया लगाए खड़ा है। ऊँची पटरी पर दो मल्लाह निश्चिन्त लेटे हुए सिगरेट पी रहे हैं।]

हारनेस

[हाथ फैलाकर]

बस, मैंने तुम लोगों से साफ़ साफ़ कह दिया। मैं अगर कल तक बोलता रहूँ तब भी इस से ज्यादा और कुछ नहीं कह सकता।

जागो

[साँवला रंग, चेहरा पीला, स्पेनियों की सी सूरत, छोटी खसखसी डाढ़ी]

महाशय, आप से एक बात पूछता हूँ! वह लोग हम में से किसी को फोड़ सकते हैं?

बलजिन

[धमका कर]

मुँह धो रक्खें!

[मजूरों के गिरोह में लोग बक-झक करने लगते हैं]

ब्राउन

[गोल चेहरा]

पाएँगे कहाँ?

इवैन्स

[ठिगना, चंचल, दिलजला, सूरत से लड़ाका]

घर के भेदियों की कभी कमी नहीं रहती। ऐसे आदमी हमेशा रहेंगे जो पहले अपनी जानकी खैर मनाते हैं।

[फिर मजूरों के गिरोह में हलचल मच जाता है। कुछ लोग खिसकने लगते हैं। बूढ़ा टॉमस गिरोह में मिल जाता है और सामने खड़ा होता है।]

हारनेस

[हाथ उठा कर]

ऐसे गुर्गे उन लोगों को नहीं मिल सकते। लेकिन इस से आप का कोई लाभ नहीं। आप लोग ज़रा न्याय से काम लीजिए। तुम्हारी माँगों का नतीजा यह होता कि हमें एक साथ एक दर्जन हड़तालों का सामना करना पड़ता। और हम इस के लिये तैयार न थे। 'पञ्चायत' का उद्देश्य है 'न्याय' किसी एक के लिये नहीं, सब के लिये। किसी ईमानदार आदमी से पूछो –– वह साफ़ कह देगा तुम से भूल हुई! मैं यह नहीं कहता कि तुम्हें जितना पाने का हक़ है, तुम उस से ज्यादा माँग रहे हो, लेकिन इस समय तुम ज़रूर बहुत आगे जा रहे हो। तुमने अपने लिये गड्ढा खोद लिया है। अब सवाल यह है तुम वहीं पड़े रहोगे या जोर लगाकर बाहर निकलोगे।

लुइस

[सजीला आदमी, काली मूछें]

आप ने खूब कहा महाशय, दोनों में कौन सी बात पसन्द करते हो?

[गिरोह के लोग फिर खिसकने लगते हैं, और राउस जल्दी से आकर टॉमस के पास खड़ा हो जाता है।]

हारनेस

अपनी माँगों को काट छाँट कर ठीक कर लो, फिर हम तुम्हारे लिये जान देने को तैयार हैं। लेकिन अगर तुम्हें इन्कार है तो फिर यह आशा मत रक्खो कि मैं यहाँ आकर अपना समय नष्ट करूँगा। मैं उन आदमियों में नहीं हूँ जो अंट संट बका करते हैं। शायद यह बात आप लोगों को मालूम होगी। मेरा विश्वास है कि तुम लोग अपनी धुन के पक्के हो। अगर यह ठीक है तो तुम लोग काम पर आने का निश्चय करोगे चाहे कोई तुम्हें कितनी ही उल्टी सलाह दे।

[रॉबर्ट पर आँखें गड़ो देता है।]

फिर हम देखेंगे कि कैसे तुम्हारो शतें नहीं पूरी होतीं। बोलो क्या मंजूर है? हम से मिलकर विजय पाना चाहते हो, या इसी तरह भूखों मरना?

[मजूरों में देर तक काँव काँव होती है]

जागो

[गुर्राकर]

वही बातें कीजिए जिन का आप को ज्ञान है।

हारनेस

[ऊँचे स्वर से]

ज्ञान?

[उद्गार को रोक कर]

मित्रवर, मुझ से कोई बात छिपी नहीं है। जो कुछ तुम पर बीत रही है, वह मुझ पर बीत चुकी है, उस वक्त बीत चुकी है जब-

[एक लौंडे की तरफ इशारा करके]

मैं उस लौंडे से बड़ा न था। तब पंचायतें वह न थीं जो आज हैं। ये कैसे इतनी बलवान हो गईं? इसी मेल ने उन्हें इतना बलवान बना दिया है। विश्वास मानों, सब कुछ सह चुका हूँ। मेरी आत्मा पर अब तक उस की निशानी बनी हुई है। तुम पर जो कुछ पड़ी है वह मैं सब जानता हूँ। लेकिन पूरा एक टुकड़े से बड़ा होता है, और तुम केवल एक टुकड़ा हो। अगर तुम हमारा साथ दोगे तो हम भी तुम्हारा साथ देंगे।

[अपनी आँखों से उन की टोलियों का अनुमान कर के वह कान लगाए खड़ा रहता है। आदमियों में और ठाँय ठाँय होने लगती है। उन की छोटी छोटी टोलियाँ बन जाती हैं। ग्रीन, बलजिन और लुइस बातें करते हैं।]

लुइस

यूनियन का यह आदमी बहुत सोच समझकर बातें करता है।

ग्रीन

[धीरे से]

हा! अगर किसी ने मेरी बातों पर कान दिया होता तो मैं गत दो महीनों से यही कहता चला आता हूँ।

[मल्लाह हँसते दिखाई देते हैं]

लुइस

[उन की ओर उँगली उठा कर]

बाड़े के उस पार उन दोनों गधों को देखो।

बलजिन

[उदास क्रोध से]

अगर इन सभों ने खिल खिल किया तो दाँत तोड़ कर पेट में डाल दूँगा।

जागो

[यकायक]

आप कहते हैं कि भट्ठी वालों को काफ़ी मजूरी मिलती है?

हारनेस

मैं ने यह नहीं कहा कि उन्हें काफ़ी मजूरी मिलती है, मैं ने यह कहा कि उन्हें उतनी ही मजूरी मिलती है जितनी

ऐसे ही कामों के लिये दूसरे कारख़ाने में मिलती है।

इवैन्स

यह झूठी बात है।

[हलचल मच जाता है]

हारपर के कारख़ाने का नाम तो आप ने सुना होगा?

हारनेस

[शीतल व्यंग से]

दोस्त, झूठ का व्यापार तुम्हारे घर होता होगा। हारपर के यहाँ ओसरी देर तक रहती है, हिसाब लगाने से मजूरी एक ही पड़ती है।

हेनरी राउस

[अपने भाई जार्ज की हूबहू नक़ल। हाँ रङ्ग साँवला है]

सनीचर को ओवर टाइम के लिये आप दूनी मजूरी का समर्थन करेंगे?

हारनेस

हाँ, करेंगे।

जागो

आप ने हमारे चन्दों का क्या किया?

हारनेस

[रुखाई से]

हम बता चुके हैं कि हम उन का क्या करेंगे?

इवेन्स

बस, करेंगे, जब सुनिए करेंगे। आप हमारे साथियों को तोड़ना चाहते हैं।

[हलचल]

बलजिन

[चिल्लाकर]

क्या झगड़ा मचा रहे हो?

[इवैन्स क्रोध से इधर उधर ताकता है]

हारनेस

[ऊँचे स्वर से]

जिन के आँखें हैं, उन्हें मालूम है कि पंचायतें न चोर हैं न दगाबाज़, मुझे जो कुछ कहना था कह चुका। अब तुम अपना लेखा डेवढ़ा समझ लो। जब मेरी ज़रूरत हो घर से बुला लेना।

[वह कूदकर नीचे आता है, लोग रास्ता छोड़ देते हैं, वह उन के बीच से होता हुआ निकल जाता है एक मल्लाह अपने पाइप को हिला हिलाकर उस की ओर मखौल के आप से देख रहा है। मजूरों की टोलियाँ बन जाती हैं और बहुत सी आँखें रॉबर्ट की ओर उठती हैं जो दीवार के सहारे अकेला खड़ा है।]

इवैन्स

यह चाहता है कि तुम थूक कर चाटो। बस यही इसकी मंशा है। वह चाहता है कि तुम हमारी बातों को दुलख दो। थूक कर तो न चाटेंगे चाहे भूखों मर जायँ।

बलजिन

थूक कर चाटने की बात कौन कर रहा है? ज़रा ज़बान सँभाल कर बोलो-समझ गए।

लोहार

[एक युवक, जिस के बाल काले और बाहें लम्बी हैं]

औरतें क्या करेंगी?

इवैन्स

जो हम झेल सकते हैं वह औरतें भी झेल सकती हैं, या इस में कोई सन्देह है?

लोहार

घर में स्त्री नहीं है न?

इवैन्स

चाहता भी नहीं।

टॉमस

[ऊँचे स्वर से]

भाइयो, हमें यह अख़तियार दो कि लंदन शे शमझौता कर सकें।

डेवीज़

[साँवला, सुस्त और उदास]

मंच पर चढ़ जाव। अगर तुम्हें कुछ कहना है तो मंच पर चढ़ कर कहो।

["टामस" का शोर मच जाता है। लोग उसे ढकेल कर मंच की तरफ़ लाते है। वह ज़ोर लगा कर उस पर चढ़ता है और टोपी उतार कर लोगों के चुप हो जाने का इन्तज़ार करता है। सब चुप हो जाते हैं।]

लाल बालों वाला युवक-हाँ बूढ़े दादा, टॉमश।

[कोई बैठे हुए गले से हँसता है। दोनों मल्लाह बातें करते हैं। फिर सन्नाटा छा जाता है और टॉमस बोलने लगता है।]

टॉमस

हम शब एक शाथ डूब रहे हैं और पिरकिरती ने हमें इश गहराई में डाल दिया है।

हेनरी राउस

लन्दन ने डाला है, लन्दन ने।

इवैन्स

पंचायत ने डाला है।

टॉमस

न लन्दन ने डाला है, न पंचायत ने डाला है, यह पिरकिरती का काम है। पिरकिरती के शामने शिर झुकाने में किशी का भी अपमान नहीं हो शकता। क्योंकि पिरकिरती बहुत बड़ी चीज़ है, आदमी की इश के शामने कोई गिन्ती नहीं। मैं ने जितना जमाना देखा है, उतना यहाँ और किशी ने न देखा होगा। मेरी बात मानो, पिरकिरती से लड़ना बहुत बुरी बात है। दूशरों को कष्ट में डालना बुरी बात है जब इश शे किशी का कोई उपकार न हो।

[कोई हँसता है। टॉमस झल्लाकर बोलता है]

तुम हँश किश बात पर रहे हो? मैं कहता हूँ यह बुरी बात है। हम एक शिद्धान्त के लिये लड़ रहे हैं। किशी को यहाँ यह कहने का शाहश नहीं हो शकता कि मैं शिद्धान्त का भक्त नहीं हूँ। लेकिन जब पिरकिरती कहती है 'बश, इशके आगे क़दम मत उठाओ' तो कान में तेल डालकर बैठना अच्छी बात नहीं।

[रॉबर्ट हँस पड़ता है। कुछ लोग धीमे स्वर में उस का समर्थन करते हैं]

इश पिरकिरती का रुख देख कर चलना चाहिए। आदमी का धरम है कि वह शच्चा, ईमानदार और दयालु बने। धरम तुम्हें यही उपदेश देता है।

[रॉबर्ट से क्रोध के साथ]

और मेरी बात सुना डेविड रॉबर्ट, धरम कहता है कि पिरकिरती के सामने ताल ठोंके बिना तुम यह सब कुछ कर शकते हो।

जागो

और पंचायत?

टॉमस

मैं पंचायत का कुछ भरोशा नहीं करता। उन लोगों ने हमारी कुछ परवाह नहीं की। हम से कहते थे 'जो हम कहें वह करो'। मैं बीश शाल से भट्ठी वालों का जमादार हूँ!

[जोश के साथ]

मैं पंचायत से पूछता हूँ 'क्या तुम मेरी तरह दावे के शाथ कह सकते हो कि भट्टी वाले जो काम करते हैं उशकी ठीक मजूरी क्या है? पच्चीश शाल से मैं पंचायत को बराबर चन्दा देता आता हूँ और-

[बिगड़ कर]

उश का कुछ नतीजा नहीं! यह बेईमानी नहीं तो और क्या है, चाहे मिशटर हारनेश लाख बातें बनावें।

[लोग बड़बड़ाते हैं]

इवैन्स

सुनो सुनो!

हेनरी राउस

कहते चलो, कहते चलो! तो फिर इसे धता क्यों नहीं बताते!

टॉमस

मेरी बात शुनो, अगर कोई आदमी हमारा विश्वाश नहीं करता तो क्या मैं उशका विश्वाश कर शकता हूँ?

जागो

बिलकुल ठीक!

टॉमस

समझ लो कि वह शब बेईमान हैं, और अपने पैरों पर खड़े हो।

[लोग बड़बड़ाते हैं]

लोहार

यही तो हम लोग कर रहे हैं, या कुछ और?

टॉमस

[और जोश में आकर]

मुझे शिखाया गया था कि अपने पैरों पर खड़े हो। मुझे शिखाया गया था कि अगर तुम्हारे पाश कोई चीज़ खरीदने के लिये पैशे नहीं हैं तो उधर आँख उठा कर मत देखो। दूशरों के धन पर मौज करना कोई अच्छी बात नहीं। हम शच्ची लड़ाई लड़े, और अगर हार गए तो इश में हमारा कोई दोष नहीं। हमें यह अख़तियार दे दो कि हम लंदन से अपने बूते पर शमझौता कर लें। अगर इश में शफल न हों तो हमें चाहिये कि अपनी हार मरदों की तरह शहें, यह नहीं कि कुत्तों की मौत मरें, या दूसरे की दुम के पीछे लगे रहें कि वे हमारा उद्धार कर देंगे!

इवैन्स

[दबी आवाज़ से]

यह कौन चाहता है?

टॉमस

[गरदन उठा कर]

कौन बोलता है? अगर मैं किशी से भिडूं और वह मुझे दे पटके तो मैं किशी की गुहार न लगाऊँगा, धूल झाड़ कर फिर उठूँगा। अगर वह मुझे शफ़ाई के शाथ पटक देगा तो धूल झाड़ता हुआ अपनी राह लूँगा। ठीक है या नहीं?

[सब लोग हँसते हैं]

जागो

पंचायत की क्षय!

हेनरी राउस

पंचायत की जय!

[और लोग शोर में मिल जाते हैं।]

इवैन्स

थूक कर चाटने वाले!

[बलजिन और लोहार इवैन्स को घूँसा दिखाते हैं।]

टॉमस

[सिर हिलाकर]

मैं बूढ़ा आदमी हूँ, यह शमझ लो।

[सब चुप हो जाते हैं, फिर बकबक होने लगता है]

लुइस

बूढ़ा उल्लू, पंचायत का विरोधी!

बलजिन

मेरा बस चले तो इन भट्ठी वालों का सिर तोड़ के रख दूँ।

ग्रीन

अगर लोगों ने पहले मेरी बातों पर कान दिया होता-

टॉमस

[माथ पोंछकर]

अब मैं उस बात पर आ रहा हूँ जो मैं कहने जा रहा था

डेवीज़

[दबी ज़बान से]

अब उस का समय भी है!

टॉमस

[धार्मिक भाव से]

धर्म कहता है-'यह लड़ाई बन्द कर दो!

जागो

झूठी बात है! धर्म कहता है-लड़ाई छिड़ी रहे।

टॉमस

[गर्व से]

शच! मुझे ईश्वर ने कान दिए हैं।

लाल बालों वाला युवक

हाँ, बहुत बड़े बड़े।

[हँसता है]

जागो

तब तुम्हारे कानों ने तुम्हें धोखा दिया!

टॉमस

[झल्लाकर]

या तुम शच्चे हो, या मैं शच्चा हूँ। तुम दोनों तरफ़ नहीं जा शकते।

लाल बालों वाला युवक

लेकिन धर्म तो जा सकता है।

["शेवर" हँसता है। गिरोह में दबी ज़बान से बातें होने लगती हैं।]

टॉमस

["शेवर" की ओर आँखें जमा कर]

आह! तुम शब के शब अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार रहे हो। इश लिये मैं तुम को जताए देता हूँ कि अगर तुम धर्म की जड़ काटोगे तो मैं तुम्हारा शाथ न दूँगा, और न कोई दूशरा ईश्वरभक्त आदमी शाथ दे शकता है।

[वह मंच से उतर जाता है। जागो मंच की ओर जाता है। "उसे मत जाने दो" की आवाजें सुनाई देती हैं।

जागो

उसे मत जाने दो? कहते शर्म भी नहीं आती।

[वह मंच पर चढ़ जाता है]

मुझे तुम लोगों से बहुत कुछ नहीं कहना है। इस मामले को सीधे सादे ढंग से देखो, इतनी दूर तो तुम मज़े से चले आए, अब तुम सफ़र से मुँह मोड़ रहे हो। क्या यह भलमंसी है? अब हम सब एक नाव में थे। अब तुम दो नावों पर बैठना चाहते हो। हम इंजिनियरों ने अब तक तुम्हारा साथ दिया। अब तुम हमें दग़ा दे रहे हो। अगर हमें यह पहलेसे मालूम होता तो हम तुम्हारे साथ चलते ही क्यों? बस मुझे इतना ही कहना है। बूढ़े टॉमस ने बैबल की दुहाई दी है, पर बैबल का आशय ठीक नहीं समझा। अगर तुम लंदन या हारनेस की शरण जाते हो तो इस का यह आशय है कि तुम अपनी चमड़ी बचाने के लिये हमें गच्चा दे रहे हो-मगर तुम धोखा खावोगे भाइयो, यह भले आदमियों का काम नहीं है।

[वह मंच से उतर पड़ता है। उस के छोटे से भाषण के समय मजूरों में व्यग्र अशान्ति रहती है। राउस आगे बढ़कर मंच पर कूद कर चढ़ जाता है। चेहरा क्रोध से तिलमिलाया हुआ है। मजूरों के दल में अप्रसन्नता की भनभनाहट।]

राउस

[बहुत उत्तेजित होकर]

भाइयो, मैं कोरा बक्की नहीं हूँ, मैं जो कहता हूँ वह मेरे हृदय से निकल रहा है आदमी का स्वभाव देखिए। क्या यह हो सकता है कि किसी की माता भूखों तड़प रही हो और वह टुकुर टुकुर देखा करे? क्या अब हम से ऐसा हो सकता है?

रॉबर्ट

[आगे बढ़कर]

राउस!

राउस

[उसे रोष से देख कर]

सिम हारनेस ने जो कुछ कहा वाजिब कहा। मैं ने अपनी राय बदल दी है।

इवैन्स

अरे! तो क्या तुम उधर मिल गए?

[लोग चकित हो कर ताकने लगते हैं]

लुइस

[अन्योक्ति के भाव से]

क्यों भाई, यह क्यों पलट गया?

राउस

[आपे से बाहर हो कर]

उस ने वाजिब कहा। उस ने कहा 'तुम हमारा साथ दो, और हम तुम्हारा साथ देंगे। इतने दिनों से हम इसी मामले में ठोकरें खा रहे हैं। और यह किस का दोष है?

[रॉबर्ट की तरफ उँगली दिखाता है]

उस आदमी का! वह कहता था-"नहीं, लुटेरों से लड़ो, उन का गला घोंट दो।" लेकिन उन का गला नहीं घुटा, हमारा और हमारे घर वालों का गला घुट गया। यह सच्ची बात है। भाइयो, मैं बाणी का बहादुर नहीं हूँ, मुझ में जो रक्त और मांस है वह बोल रहा है। मेरा हृदय बोल रहा है।

[कठोर, पर कुछ लज्जित भाव से रॉबर्ट को देख कर]

वह महाशय अभी फिर बोलेंगे, लेकिन मेरी बात मानो, उन की बातों पर कान मत दो।

[लोग साँसें भरने लगते हैं]

उस आदमी की बाणी में आग भरी हुई है।

[रॉबर्ट हँसता हुआ नजर आता है]

सिम हारनेस ठीक कहता है। पंचायत के बिना हम हैं क्या-मुट्ठी भर सूखी पत्तियाँ,-या धुएँ की एक फूँक। मैं बाणी का बहादुर नहीं हूँ, लेकिन मेरी बात मानो, इस झगड़े को बंद करो। बाल बच्चों को भूखों मारने से यह कहीं अच्छा है।

[समर्थन की आवाजें विरोध की आवाज़ों को दबा देती हैं]

इवैन्स

तुम ने यह चोला क्यों बदला जी?

राउस

[क्रोधातुर भाव से]

सिम हारनेस समझ बूझ कर बोलता है। हमें अख़तियार दो कि लंदन वालों से समझौता करलें। मैं बोलना नहीं जानता, लेकिन कहता हूँ इस सत्यानासी बिपत्ति का अन्त कर दो।

[वह अपने मफलर को लपेटता है, सिर को पीछे की ओर झटक कर मंच से उतर पड़ता है। मजूर दल तालियाँ बजाता हुआ आगे बढ़ता है। आवाजें आती हैं-"बस, इतना बहुत है, यूनियन की जाय!" "हारनेस की जय!" उसी वक्त रॉबर्ट मंच पर आता है। सब चुप हो जाते हैं।]

लोहार

हम तुम्हारी बात नहीं सुनना चाहते। मत बको।

हेनरी राउस

नीचे आवो।

[यों हाँक लगाते हुए समूह मंच की ओर चलता है]

इवैन्स

[झल्लाकर]

बोलने दो! बोलने दो! रॉबर्ट! रॉबर्ट!

बलजिन

[दबी जबान से]

अच्छा हो कि यह ख़िसक जाय। कहीं मैं उस की खोपड़ी न तोड़ डालूँ।

[रॉबर्ट समूह के सामने खड़ा हो कर उसे अपनी आँखों से तौलता है; यहाँ तक कि धीरे धीरे लोग चुप हो जाते हैं। वह बोलना शुरू करता है। दोनों में से एक मल्लाह उठ कर खड़ा हो जाता है।]

रॉबर्ट

तो तुम लोग मेरी बात नहीं सुनना चाहते? तुम राउस और उस बूढ़े आदमी की बात सुनोगे। मेरी बात न सुनोगे। तुम यूनियन के साइमन हारनेस की बात सुनोगे जिस ने तुम्हारे साथ इतना सुन्दर व्यवहार किया है; शायद तुम लंदन वाले आदमियों की बात भी सुनोगे। मेरी बात न सुनोगे। अच्छा! तुम साँसे खींच रहे हो! क्यों? तुम यही तो चाहते हो कि तुम्हारी गर्दन उन के पैरों के नीचे हो?

[बलजिन को मंच की ओर आते देख कर शान्त करुणा से]

क्यों जान बलजिन, तुम मेरे दाँत तोड़ना चाहते हो? मुझे बोलने दो, फिर शौक से तोड़ो, अगर तुम्हें इस में आनन्द आए।

[बलजिन चुपचाप और झल्लाया हुआ खड़ा हो जाता है]

क्या मैं झूठा हूँ, कायर हूँ, दगाबाज़ हूँ? मुझे विश्वास है कि अगर ये बातें मुझ में होतीं तो तुम शौक़ से मेरी बात सुनते।

[भनभनाहट बन्द हो जाती है और सन्नाटा छा जाता है]

यहाँ कोई ऐसा आदमी है जिसे हड़ताल से उतना धक्का पहुँचा हो जितना मुझे पहुँच रहा है? तुम में कोई ऐसा है जिस ने यह झगड़ा शुरू होने के बाद से ८०० पौंड की चपत खाई हो? अगर कोई है तो सामने आवे। टॉमस ने कितना बल खाया है-दस पौंड, पाँच पौंड, या कितना? तुम ने अभी उन की बातें सुनी हैं। आप ने फरमाया है "कोई यह नहीं कह सकता कि मैं नियम का पक्का नहीं हूँ।

[तीक्ष्ण व्यंग के साथ]

"लेकिन जब प्रकृति कहता है, बस! तो हमें उस की आज्ञा माननी चाहिए।" मैं तुम से कहता हूँ क्या आदमी प्रकृति से यह नहीं कह सकता "अगर तेरा क़ाबू हो तो हमें यहाँ से जौ भर हटा दे?"

[अहङ्कार के भाव से]

उन का सिद्धान्त उन का पेट है। मगर टॉमस साहब कहते हैं-"आदमी निष्कपट, सच्चा, न्यायी और दयालू होकर भी प्रकृति की आज्ञा-पालन कर सकता है"। मैं तुम से कहता हूँ प्रकृति न निष्कपट है, न सच्ची, न्यायी न दयालु। तुम लोग जो पहाड़ी के ऊपर रहते हो और बर्फ़ीली रात को अंधेरे में थके माँदे घर जाते हो-क्या तुम्हें क़दम क़दम पर दाँतों पसीना नहीं आता? क्या तुम इस दयालु प्रकृति की कोमल दयालुता के भरोसे आराम से लेटते हुए जाते हो? ज़रा एक बार आज़माकर देखो और तुम्हें मालूम हो जायगा कि प्रकृति कितनी दयालु है।

[घूँसा तान कर]

प्रकृति की जो यह सेवा करता है वही मर्द है। टॉमस साहब फरमाते हैं-घुटने टेक दो, सिर झुका दो, यह व्यर्थ का झगड़ा मिटा दो! तब तुम्हारा शत्रु एक टुकड़ा तुम्हारे सामने फेंक देगा।"

जागो

कभी नहीं।

टॉमस

मैं ने यह नहीं कहा।

रॉबर्ट

[चुभती हुई आवाज़ में]

मित्रवर, तुम ने चाहे यह न कहा हो पर तुम्हारा मतलब यही था। और धर्म के विषय में तुम ने क्या कहा? तुम ने कहा-"धर्म इसे मना करता है"। "प्रकृति भी इसे मना करती है"। अगर धर्म और प्रकृति में इतनी एकता है तो मुझे यह बात आज ही मालूम हुई है। उस युवक ने-

[राउस की ओर इशारा कर के]

कहा है कि मेरी बाणी में नरक की आग भरी हुई है। अगर ऐसा होता तो मैं उस सारी आग को इस घुटना टेकने वाले प्रस्ताव को जलाने और झुलसने में लगा देता। घुटना टेकना कायरों और नमक हरामों का है।

हेनरी राउस

[जार्ज राउस को बढ़ते देख कर]

ज़रा इस की खबर लो, जार्ज। इस की बातें न सुनो।

रॉबर्ट

[उंगली दिखा कर]

वहीं खड़े रहो, जार्ज राउस। यह निजी झगड़े चुकाने का मौका नहीं है।

[राउस ठहर जाता है]

लेकिन बोलने वालों में से एक रहा जाता है। मि॰ साइमन हारनेस। मि॰ हारनेस या पंचायत, किसी ने भी हमारे साथ बड़ा उपकार नहीं किया है। उन्हों ने कहा अपने साथियों को तिलांजलि दे दो, नहीं तो हम तुम्हें तिलांजलि दे देंगे। और यही उन्होंने किया हमें मँझधार में छोड़ दिया।

इवैन्स

बेशक छोड़ दिया।

रॉबर्ट

साइमन हारनेस साहब बड़े चतुर आदमी हैं लेकिन मौक़ा निकल गया।

[दृढ़ विश्वास से]

मगर साइमन हारनेस साहब जो चाहे कहें, टामस साहब जो चाहे कहें, राउस साहब जो चाहे कहें, मैदान हमारे हाथ है।

[समूह और समीप आ जाता है और उत्सुक हो कर उस की ओर देखता है।]

तुम से पेट की तकलीफ नहीं सही जाती। तुम भूल गए कि यह लड़ाई किस लिए छिड़ी। मैं तुम से कितनी ही बार बतला चुका हूँ; आज एक बार और बताए देता हूँ। यह इस देश के रक्त और मांस और रक्त चूसने वालों की लड़ाई है-एक तरफ़ वह लोग हैं जो मुँह से निकलने वाले हरेक साँस और हाथ से चलने हरेक चोट के साथ अपनी देह घुलाते हैं, दूसरी तरफ़ वह जन्तु है जो उन का मांस खाकर मोटा हो रहा है और दयालु प्रकृति के नियमानुसार दिन दिन फूलता चला जाता है। यह जन्तु पूँजी है! यह वह चीज़ है जो आदिमियों के माथे का पसीना और उन के मस्तिष्क की पीड़ा अपने दामों मोल लेती है। क्या मुझ से यह बात छिपी है? क्या मेरे मस्तिष्क का रत्न सात सौ पौंड में नहीं खरीद लिया गया और उस से घर बैठे एक लाख पौंड नफ़ा नहीं हुआ? यह वह चीज़ है जो तुम से अधिक से अधिक लेना, और तुम्हें कम से कम देना चाहती है। यह पूँजी है! यह वह चीज़ है जो तुम से कहती है-"प्यारो, हमें तुम्हारी दशा पर बड़ा दुख है, हम जानते हैं तुम बड़े कष्ट में हो," लेकिन तुम्हारे उद्धार के लिये अपने नफ़े की एक कौड़ी भी नहीं छोड़ती। यह पूँजी है! मुझ से कोई बतलाए उन में से कौन गरीबों की मदद के लिये इंकम टैक्स पर एक पाई भी बढ़ाने पर राज़ी होगा? यह पूँजी है! एक सुफ़ेद चेहरा और पत्थर का दिल रखने वाला देव! तुम ने उसे पछाड़ लिया है। क्या इस अन्त के समय तुम इस नश्वर देह के कष्ट से मैदान छोड़ दोगे? आज सवेरे जब मैं लन्दन के उन महानुभावों से मिलने गया तो मैंने उन के हृदय तक बैठ कर देखा। उन में से एक का नाम स्कैंटल-बरी है-माँस का एक लोंदा जो हमें खाकर परचा है। वह दूसरे हिस्सेदारों की तरह जो बिना हाथ पाँव हिलाए आनन्द से सालाना नफ़ा लेते चले जाते हैं बैठा हुआ था-एक बड़ा मोटा बैल जो उसी वक्त चौंकता है जब उस के रातिब में बाधा पड़ती है। मैं ने उस की आँखें देखीं और मुझे मालूम हुआ कि उस के दिल में डर समाया हुआ है। अपनी, अपने नफ़े की, अपने मेहनताने की और हिस्सेदारों की शंका उसे मारे डालती थी। एक को छोड़ कर और सब घबड़ाए हुए हैं, उन बालकों की भाँति जो रात को जंगल में भटक गए हों और पत्ती के ज़रा से खड़कने पर चौंक पड़ते हों। मैं तुम से आज्ञा माँगता हूँ।

[वह ज़रा दम लेकर हाथ फैलाता है यहाँ तक कि बिलकुल सन्नाटा छा जाता है]

कि मुझे उन महाशयों से यह कहने का पूरा अख़तियार दे दो "कि आप लोग लन्दन सिधारें, मजूरों को आप से कुछ नहीं कहना है!"

[कुछ भनभनाहट होती है]

मुझे यह अखतियार दो और मैं क़सम खाकर कहता हूँ कि एक सप्ताह में तुम्हारी सब माँगें पूरी हो जायँगी।

इवैन्स, जागो आदि

हाँ, इन को पूरा अख़तियार दो, पूरा अख़तियार!! शाबाश शाबाश !!

रॉबर्ट

यह लड़ाई हम इस छोटी सी चार दिन की ज़िन्दगी के लिये नहीं लड़ रहे हैं।

[भनभनाहट बन्द हो जाती है]

अपने लिये, अपनी इस छोटी सी नश्वर देह के लिये नहीं, उन लोगों के लिये जो हमारे बाद हमेशा आते रहेंगे।

[हार्दिक व्यथा से]

भाइयो, अगर उन का कुछ भी ख़याल है तो उस के सिर पर एक पत्थर और मत लुढ़कावो, आकाश पर और भयंकर अन्धकार मत फैलाओ कि वे सागर की उद्दाम तरंगों में समा जायँ। मैं उन के लिये बड़ी से बड़ी बातें झेलने को तय्यार हूँ, हम सब इस के लिये तैयार हैं। इस में किसे इन्कार हो सकता है।

[दाँत पीस कर]

अगर हम इस उजले मुँह और लाल ओठ वाले दैत्य की गर्दन मरोड़ सके, जो आदि से हमारा और हमारे बाल बच्चों का जीवन रक्त चूस रहा है!

[शान्त हो कर लेकिन अत्यन्त गम्भीरता और विह्वलता के साथ]

अगर हम में इतना जीवट नहीं है कि इस दैत्य को छाती से छाती और आँख से आँख मिला कर इतनी दूर खदेड़ें कि वह हमारे पैरों पर गिर पड़े, तो वह सदैव इसी भाँति हमारा रक्त चूसता चला जायगा। और हम हमेशा इसी तरह कुत्तों से भी अधम बने पड़े रहेंगे।

[सम्पूर्ण निश्शब्दता। रॉबर्ट धीरे धीरे देह को हिलाता खड़ा रहता है। उस की आँखें आदमियों के चेहरों को उत्तेजित कर रही हैं]

इवैन्स और जागो

[यकायक]

रॉबर्ट!

[यही ध्वनि और कण्ठों से निकलती है]

[समूह कुछ खिसकता है। मैज पटरी के नीचे नीचे आकर मंच के निकट खड़ी हो जाती है और रॉबर्ट की ओर देख कर कुछ कहना चाहती है यकायक संदेहमय सन्नाटा छा जाता है]

रॉबर्ट

बूढ़े महाशय कहते हैं, "प्रकृति के पैरों को चूमो।" मैं कहता हूँ प्रकृति को ठोकर मारो, देखें वह हमारा क्या बिगाड़ सकती है।

[मैज को देखता है। उस की भवें सिकुड़ जाती हैं। वह आँखें हटा लेता है]

मेज

[मंच के पास आ कर धीमी आवाज़ से]

तुम्हारी स्त्री मर रही है।

[रॉबर्ट उस की ओर घूरता है मानो उत्थान के शिखर पर से नीचे गिर पड़ा हो।]

रॉबर्ट

[कुछ बोलने की चेष्टा कर के]

मैं तुम से कहता हूँ-उन्हें जवाब दो-उन्हें जवाब दो

[समूह की भनभनाहट में उसकी आवाज़ दब जाती है]

टॉमस

[आगे बढ़कर]

क्या तुम ने उस की बात नहीं सुनी?

रॉबर्ट

क्या बात है?

टॉमस

तुम्हारी स्त्री मर गई है जी।

[रॉबर्ट हिचकता है, तब सिर हिलाकर नीचे कूद पड़ता है, और पटरी के नीचे-नीचे चला जाता है। लोग उसके लिए रास्ता छोड़ देते हैं। खड़ा हुआ मल्लाह अपनी लालटेन खोलता है और उसे जलाने लगता है। अंधेरा हुआ जाता है।]

मैज

उन्होंने व्यर्थ इतनी जल्दी की। एनी रॉबर्ट तो मर गईं।

[तब उस सन्नाटे में जोश के साथ]

क्या तुम सब के सब अन्धे हो गए हो? अभी और कितनी औरतों का खून करना चाहते हो?

[समूह उसके पास से हट जाता है। लोग छोटी छोटी टुकड़ियों में घबराए हुए जमा हो जाते हैं। मैज जल्दी से पटरी के नीचे चली जाती है। लोग चुपचाप उसके पीछे ताकते रहते हैं।]

लुइस

तुम सब इसी अग्निकुंड में जलोगे।

वल्जिन

[गुर्राकर]

मैं तुम्हारे दाँत तोड़ दूँगा।

ग्रीन

अगर तुम ने मेरी बात मानी होती-

टॉमस

उसे धर्म से विमुख होने का यह दण्ड मिला है। मैंने, उस से कह दिया था कि यही होनेवाला है।

इवैन्स

इसी लिए तो हमें और भी उसका साथ देना चाहिए।

[ताली बजती है]

क्या इस विपत्ति में तुम उस का साथ छोड़ दोगे? उस की स्त्री मर गई है, क्या इस दशा में तुम उस से दगा करोगे?

[समूह एक साथ तालियाँ भी बजाता है और कुड़कुड़ाता भी है।]

राउस

[मंच के सामने आकर]

उस की स्त्री मर गई! क्या अब भी तुम्हें कुछ नहीं सूझता? तुम लोगों के घर में भी तो स्त्रियाँ हैं, उनकी रक्षा कैसे होगी? बहुत दिन न बीतेंगे कि तुम लोगों पर भी यही विपत्ति आवेगी।

लुइस

ठीक ठीक!

हेनरी राउस

तुम ने सच कहा, जॉर्ज, बिलकुल सच!

[लोग दबी ज़बान से हामी भरते हैं]

राउस

हम लोग अन्धे नहीं हैं, अन्धा रॉबर्ट है! तुम लोग कब तक उस का मुँह ताकते रहोगे?

हेनरी राउस, बल्जिन, डेविस

उसे धता बताना चाहिए।

[और लोग भी यही हाँक लगाते हैं]

इवैन्स

[झल्लाकर]

गिरे हुए आदमी को ठोकर मारते तुम्हें शर्म नहीं आती?

हेनरी राउस

ज़बान बन्द करो।

[बल्जिन को घूँसा तानते देखकर इवैन्स हाथ फैला देता है। मल्लाह जिसने लालटेन जला ली है, उसे सिर के ऊपर उठाता है]

राउस

[मंच पर कूदकर]

उसी की ख़ूनी ज़िद ने तो उस की यह हालत की। क्या तुम अब भी उस आदमी के पीछे पीछे चलोगे जिसे ख़ुद नहीं मालूम कि मैं कहाँ जा रहा हूँ?

इवैन्स

उस की स्त्री मर गई है।

राउस

तो यह उसकी अपनी ही करनी का फल तो है। मैं कहता हूँ अब भी उस का साथ छोड़ दो, नहीं तो वह इसी तरह तुम्हारी स्त्रियों और माताओं की जान ले लेगा।

डेविस

उस का बुरा हो!

हेनरी राउस

अब उस की कौन सुनता है!

ब्राउन

बहुत सुन चुके।

लुहार

हद से ज्यादा।

[सब लोग यही रट लगाने लगते हैं सिर्फ इवैन्स, जागो और ग्रीन चुप रहते हैं। ग्रीन लुहार से बहस करता दिखाई देता है।]

[चिल्लाकर]

भाइयो, हम पंचायत के साथ मेल कर लेंगे।

[तालियाँ बजती हैं]

इवैन्स

[झल्लाकर]

अरे दग़ाबाज़ो!

बल्जिन

[गुस्से में भरा हुआ उसके सामने जाकर]

तू किसे दग़ाबाज़ कह रहा है, गधे?

[इवैन्स घूँसा उठाता है, वार बचाता है, और घूँसा चलाता है। दोनों लड़ने लगते हैं। दोनों मल्लाह लालटेन उठाए तमाशा देख रहे हैं। बूढा टामस आगे बढ़ता है, और उनमें बीच बिचाव करता है।]

टॉमस

तुम्हें यों झगड़ा करने में शर्म नहीं आती?

[लुहार, ब्राउन, लुइस और लालबालों वाला युवक इवैन्स और बल्जिन को अलग कर देते हैं। स्टेज पर बहुत हलकी रोशनी है।]

पर्दा गिरता है

हड़ताल (नाटक) : तीसरा अंक-दृश्य १

(मैनेजर के घर का दीवान खाना)

[पाँच बज गए हैं। अन्डरवुड के दीवानखाने में, जो सुरुचि के साथ सजा हुआ है, एनिड सोफ़ा पर बैठी हुई बच्चे का फ्राक सी रही है। एडगार एक छोटी सी लम्बी टांग की मेज़ पर कमरे के बीच में बैठा हुआ एक चीनी की संदूकची को घुमा रहा है। उसकी आँखें दुहरे दरवाज़ों की तरफ़ लगी हुई हैं जो दीवानख़ाने में खुलता है।]

एडगार

[चीनी की डिबिया को रख कर और अपनी घड़ी को एक नज़र देखकर]

ठीक पाँच बजे हैं। फ्रक के सिवा और सब वहाँ आकर बैठे हुए हैं। वह कहाँ हैं?

एनिड

उन्हें एक शर्तनामे के विषय में गैस ग्वायन के मकान तक गए हैं। क्या तुम्हें उन की ज़रूरत होगी?

एडगार

उन से क्या काम निकलेगा। यह तो डाइरेक्टरों का काम है।

[इकहरे दरवाजे की तरफ़ इशारा कर के जिस पर पर्दा पड़ा हुआ है]

दादा अपने कमरे में हैं?

एनिड

हाँ!

एडगार

मैं चाहता हूँ कि वे वहीं बैठे रहें।

[एनिड आँख उठाती है]

यह बड़ा बेहूदा काम है, बहन।

[उस छोटी संदूक़ची को फिर उठा लेता है, और उसे बार बार घुमाता है]

एनिड

मैं आज तीसरे पहर रॉबर्ट के घर गई थी।

एडगार

यह तो अच्छी बात न थी।

एनिड

वह अपनी स्त्री को मार डालता है।

एडगार

तुम्हारा मतलब है कि हम लोग मारे डालते हैं।

एनिड

[चौंककर]

रॉबर्ट को मान जाना चाहिए।

एडगार

मजूरों के पक्ष में भी बहुत कुछ कहा जा सकता है।

एनिड

मुझे अब उन पर उस की आधी दया भी नहीं आती जितनी वहां जाने के पहिले आती थी। वे हम लोगों के विरुद्ध जातिभेद फैलाते हैं। बेचारी ऐनी की दशा ख़राब थी-आग बुझी जाती थी। और खाने को उसके लायक कुछ न था।

[एडगार इस सिरे से उस सिरे तक टहलने लगता है]

लेकिन फिर भी रॉबर्ट का दम भर रही थी। जब हम यह सारी दुर्दशा आँखों से देखते हैं, और अनुभव करते हैं कि हम कुछ कर नहीं सकते, तो आँखें बन्द कर लेनी पड़ती हैं।

एडगार

अगर बन्द हो सकें!

एनिड

जब मैं वहाँ गई तो मैं सोलहो आना उनके पक्ष में थी। लेकिन ज्यों ही मैं वहाँ पहुँची, तो मेरे मन में कुछ और ही भाव आने लगे। लोग कहते हैं कि मजूरों पर दया करनी चाहिए। वे नहीं जानते इसे व्यवहार में लाना कितना कठिन है। मुझे तो निराशा होती है।

एडगार

शायद।

एनिड

मजूरों को इस दशा में पड़े देख कर बड़ा दुःख होता है। मुझे तो अब भी आशा है कि दादा कुछ रियायत करेंगे।

एडगार

वह कुछ न करेंगे।

[निराश होकर]

यह उन का धर्म हो गया है। इसका सत्यानाश हो! मैं जानता हूँ जो कुछ होनेवाला है! उन्हें बहुमत से हारना पड़ेगा।

एनिड

डाइरेक्टरों की इतनी हिम्मत नहीं है।

एडगार

है क्यों नहीं, सबों के होश उड़े हुए हैं।

एनिड

[क्रोध से]

वह माननेवाले नहीं हैं।

एडगार

[कंधा हिलाकर]

बहिन, अगर तुम्हें राएँ कम मिलेंगी तो मानना ही पड़ेगा।

एनिड

ओह !

[घबराकर खड़ी हो जाती है]

लेकिन क्या वह इस्तीफ़ा दे देंगे?

एडगार

अवश्य। यह तो उन के सिद्धान्तों की जड़ ही काट देता है।

एनिड

लेकिन एडगार, इस कम्पनी पर उन्हों ने अपना तन मन सब अर्पण कर दिया। उन के लिए तो कुछ रह ही न जायगा। भयंकर समस्या खड़ी हो जायगी।

[एडगार अपने कंधे हिलाता है]

देखो टेड, वह बहुत बूढ़े हो गए हैं। उन सबों को मना करना।

एडगार

[अपने भावों को छिपाने के लिए उबल पड़ता है]

इस हड़ताल में मैं सोलहो आना मजूरों के पक्ष में हूँ।

एनिड

वह तीस साल से इस कंपनी के सभापति हैं। सब उन्हीं का किया हुआ है और सोचो उन्हें कैसी कैसी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ी हैं। उन्हीं ने उन का बेड़ा पार लगाया। टेड तुम उन्हें-

एडगार

तुम चाहती क्या हो? तुम ने अभी कहा कि तुम्हें आशा है, दादा कुछ रियायत करेंगे। अब तुब चाहती हो कि रियायत न करने में मैं उनका साथ दूँ। यह खेल नहीं है, एनिड।

एनिड

[तेज़ होकर]

तो मेरे लिए भी दादा के हाथों से उन सब अख्तिआरों के निकल जाने का भय खेल नहीं है, जो उनके जीवन के आधार हैं। अगर वह राजी न हुए, और उन्हें हार माननी पड़ी, तो उनकी कमर ही टूट जायगी।

एडगार

तुम्हीं ने तो कहा है कि आदमियों को इस दशा में देख कर बड़ा दुःख होता है।

एनिड

लेकिन यह भी तो सोचो, टेड, कि दादा से यह चोट सही न जायगी। तुम्हें किसी तरह उन लोगों को रोकना चाहिए। और सब उनसे डरते हैं। अगर तुम उन की तरफ़ हो जाव तो कोई उन का कुछ नहीं कर सकता।

एडगार

[माथे पर हाथ रखकर]

अपने धर्म के विरुद्ध तुम्हारे धर्म के विरुद्ध! ज्यों ही अपनी बात आ जाती है-

एनिड

यह अपनी बात नहीं है, दादा की बात है।

एडगार

हम हों या हमारा परिवार एक ही बात है। अपनी बात आई, और खेल बिगड़ा।

एनिड

[चिढ़कर]

तुम दिल्लगी कर रहे हो और मैं सच कहती हूँ।

एडगार

मुझे उनसे उतना ही प्रेम है, जितना तुमको है मगर यह बिलकुल दूसरी बात है।

एनिड

मजूरों की क्या दशा होगी यह हम कुछ नहीं जानते। यह सब अनुमान है। लेकिन दादा का कोई ठिकाना नहीं। क्या तुम्हारा यह मतलब है कि वह तुम्हें मजूरों से-

एडगार

हाँ उनसे कहीं प्रिय हैं।

एनिड

तब तुम्हारी बात मेरी समझ में नहीं आती।

एडगार

शायद!

एनिड

अगर अपनी ख़ातिर करना पड़ता तो और बात थी। लेकिन अपने बाप के लिये मैं इसे शर्म की बात नहीं समझती। मालूम होता है तुम इस का मर्म नहीं समझ रहे हो।

एडगार

खब समझ रहा हूँ।

एनिड

उनको बचाना तुम्हारा मुख्य धर्म है।

एडगार

कह नहीं सकता।

एनिड

[मिन्नत करके]

हरे टैड, जीवन से उन का यही एक संबंध रह गया है। यह उन के प्राण ही लेकर छोड़ेगा।

एडगार

[उद्गार को रोककर]

हाँ, है तो ऐसा ही।

एनिड

बचन दो।

एडगार

मुझसे जो कुछ हो सकेगा करूँगा।

[वह दुहरे दरवाजों की ओर घूमता है]

[पर्देदार दरवाजा खुलता है, और ऐंथ्वनी अन्दर आता है। एडगार दुहरे दरवाजों को खोलकर चला जाता है।]

[स्केंटलबरी की धीमी आवाज़ यह कहते हुए सुनाई देती है "पाँच बज गए। यह झगड़ा खतम न होगा। हमें उस होटल में फिर भोजन करना पड़ेगा।" दरवाज़े बन्द हो जाते हैं ऐंथ्वनी आगे बढ़ता है।]

ऐंथ्वनी

मैं ने सुना तुम रॉबर्ट्स के घर गई थीं।

एनिड

जी हाँ।

ऐंथ्वनी

तुम जानती हो कि इस खाई के पार करने की चेष्टा करना कितना कठिन है।

[एनिड कुरते को छोटी मेज़ पर रख देती है, और उसके सामने ताकती है]

जैसे कोई चलनी को बालू से भरे!

एनिड

ऐसा न कहिए दादा।

ऐंथ्वनी

तुम समझती हो कि अपने दस्तानेदार हाथों से तुम देश की विपत्ति को दूर कर सकती हो।

[वह आगे बढ़ जाता है]

एनिड

दादा।

[ऐंथ्वनी दुहरे दरवाज़े पर रुक जाता है।]

मुझे तुम्हारी ही चिन्ता है।

ऐंथ्वनी

[और नम्र होकर]

बेटी, मैं अपनी रक्षा आप कर सकता हूँ।

एनिड

तुम ने सोचा है, अगर वहाँ-

[उँगली दिखाती है]

तुम्हारी हार हो गई तो क्या होगा?

ऐंथ्वनी

मेरी हार हो क्यों?

एनिड

दादा, उन लोगों को इस का अवसर न दीजिए। आप का जी अच्छा नहीं है। आप के वहाँ जाने की ज़रूरत ही क्या है।

ऐंथ्वनी

[उदास मुसकुराहट के साथ]

मैदान छोड़कर भाग जाऊँ।

एनिड

लेकिन उन लोगों का बहुमत हो जायगा।

ऐंथ्वनी

[दरवाज़े पर हाथ रखकर]

यही तो देखना है।

एनिड

मैं आप के पैरों पड़ती हूँ, दादा।

[ऐंथ्वनी उस की ओर प्यार से देखता है]

वहां न जाइएगा।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है। वह दरवाज़ा खोलता है। आवाज़ों की भिनभिनाहट सुनाई देती है।]

स्केटलबरी

उसे साढ़े छः बजेवाली गाड़ी पर भोजन मिल जाता है न?

टेंच

जी नहीं। मैं तो समझता हूँ नहीं मिलता।

वायल्डर

मैं तो सब कुछ कह डालूँगा। इस दुविधे से जी भर गया।

एडगार

[चौंक कर]

क्या?

[यह आवाजें तुरन्त बन्द हो जाती हैं। ऐंथ्वनी दरवाज़े को बन्द करता हुआ उनके बीच से निकल जाता है। एनिड भय के भाव के साथ लपक कर दरवाज़े के पास आ जाती है। वह मुठिये को पकड़ लेती है। और उसे घुमाने लगती है। तब वह आतश खाने के पास जाती है, और उस के जंगले को पैरों से खटखटाती है। एकाएक वह घंटी बजाती है। फ्रॉस्ट उस दरवाज़े से आता है जो बड़े कमरे में खुलता है।]

फ्रॉस्ट

हाज़िर हूँ।

एनिड

देखो फ्रॉस्ट, मज़दूर आज आयें तो उन्हें यहाँ लाना। हाल में बड़ी ठंडक है।

फ्रॉस्ट

मुरग़ीख़ाने में न ले जाऊँ, हुज़ूर।

एनिड

नहीं। मैं उन का अनादर नहीं करना चाहती। ज़रा सी बात में बुरा मान जाते हैं।

फ्रॉस्ट

जी हाँ, हुज़ूर।

[रुक कर]

मिस्टर ऐंथ्वनी ने आज दिन भर कुछ नहीं खाया।

एनिड

मुझे मालूम है।

फ्रॉस्ट

बस, दो गिलास ह्विस्की और सोडा पिया।

एनिड

सच! तुम्हें उन को ये चीज़ें न देनी चाहिए थीं।

फ्रॉस्ट

[गम्भीरता से]

हुज़ूर, मिस्टर ऐंथ्वनी का मिज़ाज समझ में नहीं आता। उन्हें यह नहीं मालूम होता कि अब वह जवान नहीं हैं, इन चीज़ों से उन्हें हानि होगी। जो कुछ जी में आता है वही करते हैं।

एनिड

हम सब भी तो यही चाहते हैं।

फ्रॉस्ट

हाँ, हुज़ूर।

[धीरे से]

हड़ताल के बारे में मैं कुछ कहना चाहता हूँ। क्षमा कीजिएगा। मैं समझता हूँ कि और लोग मिस्टर ऐंथ्वनी की बात मान जायँ और पीछे से मजूरों की मांगें पूरी कर दें तो झगड़ा मिट जाय। मुझे मालूम है कि कभी कभी उन के साथ यह चाल ठीक पड़ती है।

[एनिड सिर हिलाती है]

अगर उन की बात काटी जाती है तो वह झल्ला उठते हैं।

[इस भाव से मानो उस ने कोई नई बात खोज पाई हो]

मैं ने अपनी ही दशा में देखा है, कि जब मुझे क्रोध आ जाता है तो पीछे उस पर पछताता हूँ।

एनिड

[मुसकुरा कर]

तुम्हें कभी क्रोध भी आता है, फ्रॉस्ट?

फ्रॉस्ट

हाँ, हुज़ूर, कभी-कभी बहुत क्रोध आता है।

एनिड

मैं ने नहीं देखा।

फ्रॉस्ट

[शान्त भाव से]

नहीं हुज़ूर आता है।

[एनिड द्वार के पीछे की तरफ पैरों से खेलती है]

[दर्द भरी आवाज़ में]

आप तो जानती हैं, मैं मिस्टर ऐंथ्वनी के साथ उसी वक्त से हूँ जब मैं १५ साल का था। इस बुढ़ापे में कोई उन्हें छेड़ता है तो मुझे दुःख होता है। मैं ने मिस्टर वैंकलीन से इस विषय में बातचीत की थी।

[धीमे स्वर में]

वह डाइरेक्टरों में सब से समझदार मालूम होते हैं। लेकिन उन्हों ने मुझ से कहा "यह तो ठीक है, फ्रॉस्ट, लेकिन यह हड़ताल बड़े जोखिम की बात है।" मैं ने कहा-"बेशक दोनों तरफ़ के लिए जोखिम की बात है। लेकिन मालिक की कुछ ख़ातिरदारी तो कीजिए। बस ज़रा पुचारा दे दीजिए। यह समझिए कि अगर किसी के सामने पत्थर की दीवार आ जाय तो वह उस से सिर नहीं टकराता, उस के ऊपर से होकर निकल जाता है।" इस पर वह बोले, "तुम अपने मालिक को यह सलाह क्यों नहीं देते?"

[फ्रॉस्ट अपने नहों की ओर ताकता है]

बस इतनी बात हुई, हुज़ूर! मैं ने आज मिस्टर ऐंथ्वनी से कहा, "ज़रा सी बात के लिये आप क्यों जान खपाते हैं?" तो मुझ से बोले, "बक-बक मत करो, फ्रॉस्ट, जो तुम्हारा काम है वह करो, या एक महीने की नोटिस लो।" इन बातों के लिए क्षमा कीजिएगा, हुज़ूर।

एनिड

[दुहरे दरवाज़ों के पास जाकर और कान लगा कर]

क्यों, फ्रॉस्ट, तुम रॉबर्ट को जानते हो?

फ्रॉस्ट

हाँ हुज़ूर, उस की बातों से तो कुछ नहीं मालूम होता लेकिन उस की सूरत देखकर हम कह सकते हैं कि वह कैसा आदमी है।

एनिड

[रुक कर]

हाँ।

फ्रॉस्ट

वह इन मामूली सीधे सादे साम्यवादियों में नहीं है। वह गुस्सेवर है, उस के अन्दर आग भरी हुई है। आदमी को अख़्तियार है कि वह जो राय चाहे रक्खे। लेकिन जब वह ज़िद पकड़ लेता है, तब वह उपद्रव करने लगता है।

एनिड

मैं समझती हूँ दादा का भी रॉबर्ट के विषय में यही ख़याल है।

फ्रॉस्ट

इसी से तो मिस्टर ऐंथ्वनी उस से चिढ़ते हैं।

[एनिड उस की ओर चुभती हुई निगाह डालती है। उसे चिन्तित देखकर खड़ी खड़ी अपने ओंठ काटने लगती है और दुहरे दरवाज़ों की ओर ताकती है।]

दोनों आदमियों में खींचा तानी हो रही है। मुझे रॉबर्ट से ज़रा भी सहानुभूति नहीं है। मैं ने सुना है कि औरों की तरह वह भी मामूली मजूर है। अगर उस ने कोई नई चीज़ निकाली है तो दूसरों से उस की दशा अच्छी भी तो है। मेरे भाई ने एक नए क़िस्म की कल बना डाली। किसी ने उसे पुरस्कार नहीं दिया। लेकिन फिर भी उस का प्रचार चारों तरफ़ हो रहा है।

[एनिड दुहरे दरवाज़ों के और समीप आ जाती है।]

एक क़िस्म का आदमी होता है, जो सारे संसार से इस लिये जला करता है कि विधाता ने उसे अमीर क्यों न बनाया। मैं तो यह कहता हूँ कि शरीफ़ अपने से छोटे आदमियों को उसी तरह अपने बराबर समझता है जैसे वह खुद छोटा होता तो समझता।

एनिड

[कुछ अधीर हो कर]

हाँ मैं जानती हूँ, फ्रॉस्ट, तुम ज़रा अन्दर जाकर पूछो कि आप लोग चाय पीना चाहते हैं? कहना मैं ने भेजा

फ्रॉस्ट

बहुत अच्छा, हुज़ूर।

[वह दरवाज़े खोलता है और अन्दर जाता है। जोशीली, बल्कि गुस्से से भरी हुई बातचीत की क्षीणक आवाज़ सुनाई देती है।]

वायल्डर

मैं आप से सहमत नहीं हूँ।

वैंकलिन

रोज़ ही तो यह विपत्ति सिर पर सवार रहती है।

एडगार

[अधीर होकर]

लेकिन प्रस्ताव क्या है?

स्कैंटलबरी

हाँ, आप के पिता जी क्या कहते हैं? क्या चाय लाए हो? मेरे लिए मत लाना।

वैंकलिन

मेरी समझ में सभापति ने यह कहा है-

[फ्रॉस्ट फिर दरवाज़े को बन्द करता हुआ अन्दर आता है]

एनिड

[दरवाजे से हटकर]

क्या वे अब चाय न पिएंगे?

[वह छोटी मेज़ के पास जाती है और बच्चे के फ्रॉक की तरफ़ ताकती हुई चुपचाप खड़ी रहती है।]

[एक टहलनी हॉल से अन्दर आती है।]

टहलनी

मिस टॉमस आई हैं, हुज़ूर।

एनिड

[सिर उठा कर]

टॉमस्? कौन मिस टॉमस्? क्या वह?

टहलनी

हाँ, हुज़ूर।

एनिड

[ऊपरी मन से]

अच्छा! वह कहाँ है?

टहलनी

ड्योढ़ी में।

एनिड

कोई ज़रूरत नहीं-

[कुछ हिचकिचाती है]

क्या उसे जवाब दे दूँ, हुजूर?

एनिड

मैं बाहर आती हूँ। नहीं उसे अन्दर बुला लो एलिन।

[टहलनी और फ्रॉस्ट बाहर जाते हैं। एनिड अपने ओंठ सिकोड़ कर छोटी मेज़ पर बैठ जाती है, और बच्चे का फ्रॉक सीने लगती है। टहलनी मैज टॉमस को अन्दर लाती है, और चली जाती है। मैज दरवाजे के पास खड़ी हो जाती है।]

एनिड

चली आओ, क्या बात है? किस लिए आई हो? मिसेज़ रॉबर्ट के पास से एक संदेशा लाई हूँ।

एनिड

सँदेशा? क्या?

मैज

उसने आप से कहा है कि उस की माँ की ख़बर लेती रहिएगा।

एनिड

यह बात मेरी समझ में आई नहीं।

मैज

[रुखाई से]

सँदेशा तो यही है।

एनिड

लेकिन-क्या बात है! क्यों?

मैज

एनी रॉबर्ट मर गई है।

[दोनों चुप हो जाती हैं]

एनिड

[घबराकर]

लेकिन अभी एक ही घंटा हुआ मैं उसके पास से चली आती हूँ।

मैज

ठंढ और भूख से मर गई।

एनिड

[उठकर]

हटो, मुझे तो विश्वास नहीं आता। बेचारी का दिल-तुम मेरी तरफ इस तरह क्यों देख रही हो? मैं ने तो उसे मदद देनी चाही थी।

मैज

[अपने क्रोध को दबाकर]

मैंने समझा शायद आप जानना चाहती हैं।

एनिड

[उत्तेजित होकर]

तुम मुझपर अन्याय कर रही हो। क्या तुम देखती नहीं हो कि मैं तुम लोगों की मदद करनी चाहती हूँ?

मैज

जब तक मुझे कोई नहीं सताता, मैं उसे नहीं सताती।

एनिड

[रूखेपन से]

मैंने तुम्हारे साथ क्या बुराई की है? तुम मुझसे इस तरह क्यों बोल रही हो?

मैज

[वेदना से विह्वल होकर]

तुम अपना विलास छोड़कर हमारी टोह लेने जाती हो! तुम चाहती हो कि हम लोग एक सप्ताह भूखों मरें।

एनिड

[अपनी बातपर अड़कर]

बे सिर पैर की बातें न करो।

मैज

मैंने उसे मरते देखा। उसके हाथ ठिठुर कर काले हो गए थे।

एनिड

[शोक से विकल होकर]

ओफ्! फिर उसने क्यों मुझसे मदद नहीं ली? इस व्यर्थ के अभिमान से क्या फ़ायदा!

मैज

देह को गर्म रखने के लिए कुछ नहीं है तो अभिमान ही सही।

एनिड

[झल्लाकर]

मैं तुम्हारी बातें नहीं सुनना चाहती। तुम क्या जानती हो मुझे कितना दुःख हो रहा है? अगर मैं तुमसे अच्छी दशा में हूँ तो इसमें मेरा क्या अपराध है?

मैज

हम आपकी दौलत नहीं चाहते।

एनिड

तुम न कुछ समझती हो और न समझना चाहती हो। यहाँ से चली जाव।

मैज

[कटुता से]

आप मीठी मीठी बातें भले ही करें, लेकिन आप ही ने उसकी जान ली। आप और आप के बाप ने।

एनिड

[क्रोध और आवेश से]

क्यों कोसती हो? मेरे पिता तो इस मनहूस हड़ताल के कारण आप ही बेहाल रो रहे हैं!

मैज

[कठोर गर्व के साथ]

तब उनसे कह दो मिसेज़ रॉबर्ट मर गई। इससे उन्हें फ़ायदा होगा।

एनिड

चली जाव।

मैज

जब कोई हमारे पीछे पड़ता है तो हम भी उसके पीछे पड़ जाते हैं।

[वह यकायक तेज़ी से एनिड की तरफ बढ़ती है, उसकी आँखें छोटी मेज़ पर रक्खे हुए बच्चे के फ्रॉक पर जमी हुई हैं। एनिड फ्रॉक को उठा लेती है, मानो वह बच्चा ही

मैज

हो। दोनों आँखें मिलाए एक गज़ के अन्तर पर खड़ी हो जाती है।]

मैज

[कुछ मुसकरा कर फ्रॉक की तरफ़ इशारा करते हुए]

अच्छा यह बात है! यह उसके बच्चे का फ्रॉक है। यह बहुत अच्छा है कि आपको उसकी माँ की रक्षा करनी पड़ेगी। उसके बच्चों की नहीं। बुढ़िया बहुत दिनों तक आपको कष्ट न देगी।

एनिड

चली जाव।

मैज

मैं आपसे उसका सँदेशा कह चुकी।

[वह फिर कर हॉल में चली जाती है। जब तक चली नहीं जाती एनिड निश्चल खड़ी रहती है तब मेज़ पर झुक कर उस फ्रॉक के ऊपर अपना सर झुका लेती है जिसे वह अभी तक लिए हुए है। दुहरे दरवाज़े खुलते हैं और ऐंथ्वनी मन्द गति से आते हैं। वह अपनी लड़की के सामने से होकर जाते हैं और एक आराम कुर्सी पर बैठ जाते हैं। उनका चेहरा लाल है]

एनिड

[अपने आवेश को छिपाकर]

क्या बात है, दादा?

[ऐंथ्वनी सिर हिला देते हैं पर कुछ बोलते नहीं।]

क्या बात है?

[ऐंथ्वनी जवाब नहीं देते एनिड दुहरे दरवाज़ों के पास जाती है। वहाँ एडगार आता हुआ उससे मिल जाता है। दोनों आहिस्ता आहिस्ता बातें करने लगते हैं] क्या बात है, टेड?

एडगार

वही बेहूदा वाइल्डर! व्यक्तिगत आक्षेप करने लगा। साफ़ गालियाँ दे रहा था।

एनिड

उसने कहा क्या?

एडगार

कहता था दादा इतने बुड्ढे और दुर्बल हो गए हैं कि उन्हें कुछ सूझता ही नहीं। दादा अभी उसके जैसे छः आदमियों के बराबर हैं।

एनिड

और क्या।

[दोनों ऐंथ्वनी की ओर देखते हैं]

[दरवाज़े खुल जाते हैं। वेंकलिन स्केंटलबरी के साथ आता है।]

स्केंटिलबरी

[एक स्वर में]

मुझे यह बात पसन्द नहीं है।

वेंकलिन

[आगे बढ़कर]

प्रधान जी, वाइल्डर ने आपसे माफ़ी मांगी है। कोई आदमी इसके सिवा और क्या कर सकता है?

[वाइल्डर, जिसके पीछे-पीछे टेंच है, अन्दर आता है और ऐंथ्वनी के पास जाता है।]

वाइल्डर

[बेदिली से]

मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूँ, महाशय। मुझे खेद है।

[ऐंथ्वनी सिर हिलाता है]

एनिड

क्यों मिस्टर वेंकलिन, तुमने कुछ निश्चय नहीं किया?

[वेंकलिन सिर हिलाता है]

वेंकलिन

प्रधान जी, हम सब यहाँ हैं। अब आप क्या कहते हैं? हम इस मामले पर विचार करें या दूसरे कमरे में चले जायँ।

स्केंटिलबरी

हाँ-हाँ हमें विचार करना चाहिए। कुछ न कुछ निश्चय करना ज़रूरी है।

[वह छोटी कुर्सी से घूमकर सब से बड़ी कुर्सी पर बैठ जाता है। और आराम का साँस लेता है।]

वाइल्डर और वेंकलिन भी बैठते हैं और टेंच एक सीधे तकिए की कुर्सी खींचकर प्रधान के पास रजिस्टर और कलम लेके बैठ जाता है।]

एनिड

[धीरे से]

मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ, टेड।

[दोनों दुहरे दरवाज़ों से बाहर चले जाते हैं]

वेंकलिन

सच्ची बात यह है, प्रधान जी, अब इस भ्रम से अपने को तसकीन देना कि हमारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता उचित नहीं है। अगर आम जलसे के पहिले इस हड़ताल का अन्त नहीं हो जाता तो हिस्सेदार लोग हमारी बुरी गति बनायेंगे।

स्केंटिलबरी

[चौंककर]

क्या! क्या बात है?

वेंकलिन

यह तो होगा ही।

ऐंथ्वनी

बनाने दो।

वाइल्डर

तो हम अपनी जगह पर रह चुके।

वेंकलिन

[ऐंथ्वनी से]

मुझे उसी नीति के लिए बलिदान हो जाने में कोई भय नहीं है जिस पर मुझे विश्वास हो। लेकिन किसी दूसरे के सिद्धान्तों के लिए जलना मुझे मंज़ूर नहीं।

स्केंटिलबरी

बात तो सच्ची है, प्रधान जी, आपको इसकी फ़िक्र करनी चाहिए।

ऐंथ्वनी

दूसरे कारखानेवालों के हित के विचार से हमें दृढ़ रहना चाहिए।

वेंकलिन

उसकी भी एक सीमा है।

ऐंथ्वनी

शुरू में तो आप लोग जोश से भरे हुए थे।

स्केंटिलवरी

[रोनी सूरत बनाकर]

हमने समझा था मजदूर लोग दब जायँगे, लेकिन यह ख़याल ग़लत निकला।

ऐंथ्वनी

दबेंगे।

वाइल्डर

[उठकर कमरे में इस सिरे से उस सिरे तक टहलता हुआ]

व्यवसायी आदमी हूँ, और मज़दूरों को भूखों मार डालने के सन्तोष के लिए अपने नाम में बट्टा नहीं लगाना चाहता।

[आँखों में आँसू भरकर]

यह मुझसे नहीं होगा। ऐसी दशा में हम हिस्सेदारों को कैसे मुँह दिखा सकेंगे।

स्केंटिलबरी

हियर हियर हियर!!

वाइल्डर

[अपने को धिक्कार कर]

अगर कोई मुझसे यह आशा रक्खे कि मैं उनसे यह कहूँगा मैंने तुम्हें ५० हज़ार पौंड की चपत दी, और चाहे इतना ही घाटा और हो जाय, तो भी अपनी टेक न छोड़ँगा तो-

[ऐंथ्वनी की ओर देख कर]

मुझसे यह न होगा। यह उचित नहीं है। मैं आपका विरोध नहीं करना चाहता-

वेंकलिन

[नम्रता से]

देखिए, प्रधान जी, हम लोग बिलकुल स्वाधीन नहीं हैं। हम सब एक कल के पुर्ज़े हैं। हमारा काम केवल इतना है कि जितना लाभ कम्पनी को हो सके उतना होने दें। अगर आप मुझ पर आक्षेप लगायें कि तुम्हारा कोई सिद्धान्त नहीं है तो मैं कहूँगा कि हम केवल प्रतिनिधि हैं। बुद्धि कहती है कि अगर यह हड़ताल चलती रही तो हमें जितनी हानि होगी वह मजूरी की बचत से न पूरी होगी। वास्तव में, प्रधान जी, जिन अच्छी से अच्छी शर्तों पर हो सके यह झगड़ा बन्द कर देना चाहिए।

ऐंथ्वनी

ऐसा नहीं हो सकता!

[सब के सब सन्नाटे में आ जाते हैं।]

वाइल्डर

तो इधर भी हड़ताल ही समझिए।

[निराशा से अपने हाथों को पटक कर]

मेरा स्पेन का जाना हो चुका!

वेंकलिन

[व्यंग मिले हुए स्वर में]

प्रधान जी, आपने अपनी विजय का फल देख लिया?

वाइल्डर

[आकस्मिक आवेश के साथ]

मेरी स्त्री बीमार है!

स्केंटिलबरी

यह तो आपने बुरी सुनाई।

वाइल्डर

अगर मैं उसे इस भयंकर शीत से न निकाल ले गया तो ईश्वर ही जाने क्या होगा।

[एडगार दुहरे दरवाज़े से अन्दर आता है, वह बहुत गम्भीर दिखाई देता है।]

एडगार

[अपने बाप से]

आपने सुना मिसेज रॉबर्ट मर गई।

[सब उसकी तरफ़ ताकने लगते हैं मानो इस समाचार की गुरुता पर विचार करते हों]

एनिड आज शाम को उसके घर गई थी। वहाँ न कोयला था, न खाना था और न कोई और चीज़ थी। बस हद हो गई!

[सन्नाटा हो जाता है। सब एक दूसरे से आँखे चुराते हैं। केवल ऐंथ्वनी बेटे की तरफ़ घूर कर देखता है]

स्केंटिलवरी

क्या आपका ख़याल है, हम लोग उस ग़रीबिन की कुछ मदद कर सकते थे?

वाइल्डर

[उत्तेजित होकर]

औरत बीमार थी। कोई नहीं कह सकता कि उसकी जिम्मेदारी हमारे ऊपर है। कम से कम मुझ पर नहीं है।

एडगार

[गर्म होकर]

मैं कहता हूँ कि हम सब ज़िम्मेदार हैं।

ऐंथ्वनी

लड़ाई लड़ाई है!

एडगार

औरतों से नहीं!

वेंकलिन

बहुधा औरतों के ही माथे जाती है।

एडगार

अगर यह हमको मालूम है, तो हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

ऐंथ्वनी

यह अताइयों के समझने की बात नहीं है।

एडगार

आप मुझे जो चाहें कहेँ, मैं इससे ऊब गया हूँ। हमें मामले को इतना तूल देने का कोई अधिकार न था।

वाइल्डर

मुझे यह बात रत्ती भर भी पसन्द नहीं। वह औंधी खोपड़ी वाला साम्यवादी पत्र इस मामले को तोड़ मरोड़ कर अपना मतलब गांठेगा। देख लेना। कोई ऊट-पटाँग कहानी गढ़ कर यह दिखायेगा कि औरत भूखों मर गई। मेरा इसमें कोई दोष नहीं।

एडगार

आप इससे किनारे नहीं रह सकते। हममें से कोई नहीं रह सकता।

स्केंटिलवरी

[कुर्सी के बाजू पर घूँसा मार कर]

लेकिन मैं तो इसका विरोध करता हूँ।

एडगार

आप जितना विरोध चाहें करें, आप सच को झूठ नहीं कर सकते।

ऐंथ्वनी

बस। अब मत बांधो।

एडगार

[क्रोध से उनके सामने खड़े होकर]

जी नहीं, मैं आपसे वही कहता हूँ जो मेरे दिल में है। अगर हम यह सोचें कि मज़दूरों को कष्ट नहीं हो रहा है, तो यह झूठ है। और अगर उन्हें कष्ट हो रहा है, तो यह मानी हुई बात है कि औरतों को ज्यादा कष्ट हो रहा है और बच्चोंकी दशा तो कुछ कही नहीं जा सकती। मानव स्वभाव का इतना ज्ञान हमको है।

[स्केंटिलबरी कुर्सी से खड़ा हो जाता है]

मैं यह नहीं कहता कि उन्हें सताने का हमारा इरादा था। मैं यह नहीं कहता, लेकिन मैं यह ज़रूर कहता हूँ कि हमारा सच की ओर से आंखें बन्द कर लेना बेजा था। हमने इन आदमियों को नौकर रक्खा है, और इस अपराध से नहीं बच सकते। मर्दों की तो मुझे ज्यादा परवाह नहीं है, लेकिन मैं औरतों को इस तरह मारना नहीं चाहता। इससे तो यह कहीं अच्छा है कि मैं बोर्ड से इस्तीफ़ा दे दूँ।

[ऐंथ्वनी के सिवा और सब खड़े हो जाते हैं। ऐंथ्वनी कुर्सी की बाँह पकड़े पुत्र की ओर ताकता हुआ बैठा रहता है।]

स्केंटिलबरी

भाई जान, आप जिन शब्दों में अपने भाव प्रकट कर रहे वह मुझे पसंद नहीं।

वेंकलिन

आप हद से आगे बढ़े जा रहे हैं।

वाइल्डर

मेरा भी ऐसा ही विचार है।

एडगार

[आपे से बाहर होकर]

इन बातों की ओर से आँखें मीच लेने से काम न चलेगा। अगर आप लोग औरतों का ख़ून अपनी गरदन पर लेना चाहते हो तो लें। मैं नहीं लेना चाहता।

स्केंटिलबरी

बस-बस, भाई जान।

वाइल्डर

"हमारी" गर्दन कहिए 'मेरी' गर्दन नहीं। मैं अपनी गर्दन पर यह पाप नहीं लेना चाहता।

एडगार

हम लोग बोर्ड में ५ मेम्बर हैं अगर हम चार इसके विरुद्ध थे तो हमने क्यों इस मामले को इतनी दूर जाने दिया? इसका कारण आप लोग खूब जानते हैं। हमें आशा थी कि हम मर्दों को भूखों मार डालेंगे, लेकिन हुआ यह कि हम औरतों की जान लेने लगे।

स्केंटिलवरी

[उन्मत्त होकर]

मैं इसे नहीं मानता, किसी तरह नहीं। मेरे हृदय में दया है, हम सभी सज्जन हैं।

एडगार

[श्लेषक भाव से]

हमारी सज्जनता में कोई बाधा नहीं है। यह हमारी कल्पना का दोष है, मि॰ स्केंटिलबरी।

स्केंटिलबरी

वाहियात! मेरी कल्पना तुम्हारी कल्पना से घट कर नहीं है।

एडगार

जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं है।

वाइल्डर

मैंने पहले ही कहा था!

एडगार

तो फिर क्यों नहीं रोका?

वाइल्डर

तो क्या बात रह जाती?

[ऐंथ्वनी की ओर देखता है।]

एडगार

अगर आप और मैं और हम सब ने जो कह रहे हैं कि हमारी कल्पना इतनी अच्छी है-

स्केंटिलबरी

[घबड़ा कर]

मैंने यह नहीं कहा।

एडगार

[अनसुनी करके]

इसकी जड़ काट दी होती तो यह मामला कब का ठण्ढा हो गया होता और यह दुखिया इस तरह एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर न मरती। कौन कह सकता है कि अभी एक दर्जन और औरतें इसी तरह फ़ाके नहीं कर रही हैं।

स्केंटिलवरी

भाई साहब, खुदा के लिये इस शब्द का इस-इस-बोर्ड के जल्से में प्रयोग न कीजिए। यह—यह भयंकर है।

एडगार

कोई वजह नहीं कि मैं इसका प्रयोग न करूँ।

स्केंटिलबरी

तो मैं तुम्हारी बातें न सुनूंगा मैं कान ही न दूँगा। मुझे दुख होता है।

[अपने कान बन्द कर लेता है]

वेंकलिन

हम में से कोई समझौते के विरुद्ध नहीं है, सिवाय तुम्हारे पिता के।

एडगार

मुझे विश्वास है कि अगर हिस्सेदारों को मालूम हो जाय कि-

वेंकलिन

मेरा ख़याल है कि आपको उनकी कल्पना में भी यही दोष मिलेगा। अगर किसी स्त्री का दिल कमज़ोर है तो क्या इस लिये-

एडगार

ऐसे उपद्रवों में सभी के दिल कमज़ोर हो जाते हैं, यह बच्चा भी जानता है। अगर हमने डकैतों की चाल न चली होती तो इस तरह उसके प्राण न जाते, और यह तबाही न नज़र आती जो चारों तरफ़ फैली हुई है। जिसे ज़रा सी भी बुद्धि है वह समझ सकता है।

[जब तक एडगार बोलता है ऐंथ्वनी उसकी तरफ देखता रहता है। वह अब उठना चाहता है लेकिन एडगार को फिर बोलते देखकर रुक जाता है]

मैं मजूरों की, अपनी, या किसी दूसरे की सफ़ाई नहीं दे रहा हूँ।

वेंकलिन

शायद आप को सफ़ाई देनी पड़े। अदालत की निष्पक्ष जूरी शायद हमारे ऊपर कुछ भद्दे आक्षेप करे! हमें अपनी आबरू की रक्षा भी तो करनी है।

स्केंटिलबरी

[कानों को बन्द किए हुए]

अदालत की जूरी! नहीं, नहीं, यह वैसा मामला नहीं है।

एडगार

मुझ से अब और कायरता न होगी।

वेंकलिन

कायरता कड़ा शब्द है, मि॰ एडगार ऐंथ्वनी। अगर यह घटना हो जाने पर हम आदमियों की मांगे पूरी कर दें तो वह अलबत्ता हमारी कायरता सी मालूम होगी। हमें बहुत सावधान रहना चाहिए।

वाइल्डर

बेशक। हमें अफ़वाहों के सिवा, इस मामले की कोई ख़बर नहीं है। सब से सुगम उपाय यह है कि सारी बात मि॰ हारनेस पर छोड़ दें कि वह हमारी तरफ़ से तय कर दें। यह सीधा रास्ता है, और उसी पर हमें आ जाना चाहिए था।

स्केंटिलबरी

[गर्व से]

ठीक!

[एडगार की तरफ़ फिरकर]

और आपके विषय में मैं इतना ही कहता हूँ कि जिन शब्दों में आपने इस मामले को बयान किया है, वह मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है। आपको उन शब्दों को वापस लेना चाहिए। आप हमारी राय को जानते हुए भी यहाँ फाके और कायरता की चर्चा करते हैं। आप के बाप के सिवा हम सब लोगों की यह राय है कि मेल ही सब से अच्छी नीति है। आप का कथन बिलकुल अनुचित और अविचार से भरा हुआ है। और मैं इसके सिवा और कुछ न कहूँगा कि मुझे इससे कष्ट हुआ है—

[वह अपना हाथ अपने प्रस्ताव पत्र के बीच में रखता है]

एडगार

[दुराग्रह से]

मैं एक शब्द भी वापस न लूंगा।

[वह कुछ और कहने जा रहा है लेकिन स्केंटिलबरी फिर कानों पर हाथ रख लेता है। सहसा टेंच याददाश्त के रजिस्टर को उठाकर घुमाने लगता है। फिर सबको यह ज्ञान हो जाता है कि हम कोई अस्वाभाविक काम कर रहे हैं और सब एक-एक करके बैठ जाते हैं। केवल एडगार खड़ा रहता है]

वाइल्डर

[इस भाव से मानो कोई आक्षेप मिटाने की चेष्टा कर रहा है]

मैं मिस्टर एडगार ऐंथ्वनी की बातों की परवा नहीं करता। पुलीस की जूरी! यह विचार ही लचर है। मैं प्रधान जी के प्रस्ताव में यह संशोधन करना चाहता हूँ कि यह झगड़ा तुरन्त फ़ैसले के लिए मिस्टर साइमन हार्निस के सुपुर्द कर दिया जाय। उन्हीं शर्तों पर जो आज उन्हों ने बतलाई थीं। कोई समर्थन करता है?

[टेंच रजिस्टर में लिखता है।]

वेंकलिन

मैं समर्थन करता हूँ।

वाइल्डर

तो मैं प्रधान से निवेदन करूँगा कि वह इस बोर्ड के सामने रक्खें।

ऐंथ्वनी

[लम्बी साँस लेकर धीरे-धीरे]

हमारे ऊपर चोटें की गई हैं।

[वाइल्डर और स्केंटिलबरी की अोर व्यंग भरे हुए तिरस्कार से देखकर]

मैं इसे अपनी गर्दन पर लेता हूँ। मेरी अवस्था ७६ वर्ष की है। बत्तीस साल हुए इस कम्पनी का जन्म हुआ था। उसके जन्म ही से मैं इसका प्रधान हूँ। मैंने इसके अच्छे दिन भी देखे और बुरे दिन भी। इसके साथ मेरा सम्बन्ध उस साल शुरू हुआ जब यह युवक पैदा हुआ।

[एडगार सिर झुकाता है ऐंथ्वनी अपनी कुर्सी को पकड़ कर फिर कहना शुरू करता है]

मैं ५० साल से मजूरों के साथ व्यवहार कर रहा हूँ। मैंने हमेशा उन्हें ठोकर मारी है। खुद कभी ठोकर नहीं इस कम्पनी के मजूरों से चार बार भिड़ चुका हूँ और चारों ही बार मैंने उन्हें नीचा दिखाया है। लोग कहते हैं मुझमें पहला सा दम दावा नहीं है।

[वाइल्डर की ओर ताकता है]

कुछ भी हो, मुझमें अब भी अपनी तोपों के पास डटे रहने की हिम्मत है।

[उसका स्वर और ऊँचा हो जाता है, दुहरे दरवाजे खुलते हैं और एनिड पाती है। अन्डखुड उसको रोकता हुआ पीछे-पीछे आता है।

मजदूरों के साथ हमने न्याय का व्यवहार किया है। उनको ठीक मजदूरी दी गई है। हम हमेशा उनकी शिकायतें सुनने के लिए तैयार रहे हैं। कहा जाता है जमाना बदल गया; जमाना बदल गया हो, लेकिन मैं नहीं बदला। और न बदलूँगा। कहा जाता है कि स्वामी और सेवक बराबर है। लचर है। एक घर में केवल एक स्वामी हो सकता है। जहाँ दो आदमी होंगे उनमें जो अधिक योग्य होगा उसी की चलेगी। कहा जाता है कि पूँजी और श्रम के स्वार्थ में कोई अन्तर नहीं है। लचर बात! उनके स्वार्थों में धुओं का अन्तर है। कहा जाता है कि बोर्ड कल का सिर्फ एक पुर्जा है। लचर बात! हमी कल हैं। हमी इसका मस्तिष्क हैं और इसकी नसें हैं। यह हमारा काम है कि इसको चलाएँ और बिना किसी डर या रियायत के इसका निश्चय करें कि हमें क्या करना है। मॅजूरों से डरें! हिस्सेदारों से डरें! अपने ही साया से डरें। इसके पहिले मैं मर जाना चाहता हूँ।

[वह दम लेता है और अपने पुत्र से आँखें मिला कर फिर कहता है]

मजूरों के साथ निबटारा करने का सिर्फ एक रास्ता है और वह है दमन। आजकल की अधकचरी बातों और अधकचरे व्यवहारों ही ने हमें इस दशा में डाल दिया है। दया और नर्मी जिसे यह युवक अपनी समाज-नीति कहता है, इसकी जड़ है। यह नहीं हो सकता कि तुम चने भी चबाव और शहनाई भी बजाओ। यह अधकचरी भावुकता, इसे चाहे साम्यवाद कहो कुछ और कोरी गप है। स्वामी स्वामी है, और सेवक सेवक है। तुम उनकी एक बात मानो और वह छः और माँ गेंगे।

[रुखाई से मुसकुराकर]

वे ओलिवर ट्विस्ट की भाँति कभी संतुष्ट नहीं होते। मैं उनकी जगह पर होता तो मैं भी वैसाही करता। लेकिन मैं उनकी जगह पर नहीं हूँ। मेरी बातों को गिरह बाँध लो। अगर तुम उनसे यहाँ दबे, वहाँ दबे, तो एक दिन तुम्हें मालूम होगा कि तुम्हारे पैरों के नीचे जमीन खिसक गई है, और तुम दिबालिएपन के दल-दल में फँस गए हो। और तुम्हारे साथ वह लोभ भी दलदल में डूब रहे होंगे जिनके सामने तुमने घुटने टेके हैं। मुझ पर यह इल्ज़ाम लगाया जाता है कि मैं स्वेच्छाचारी शासक हूँ, जिसे अपनी टेक के सिवा और किसी बात की चिंता नहीं है––लेकिन मैं इस देश का भविष्य सोचता हूँ जिस पर अव्यवस्था की काली बाढ़ का संकट आनेवाला है। जिस पर जन शासन का संकट आनेवाला है, और न जाने कौन कौन से संकट आनेवाले हैं। अगर मैं अपने आचरण में इस विपत्ति को

अपने देश पर लाऊँ तो मैं अपने भाइयों को मुह न दिखा सकूँगा।

[ऐंश्वनी सामने की ओर शून्य में ताकता और पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। फ्रॉस्ट बड़े कमरे से आता है और ऐंथ्वनी के सिवा और सब लोग उसकी ओर चिंतित हो होकर ताकते हैं।]

फ्रॉस्ट

[ऐथ्वनी से]

हुजूर, मजदूर लोग यहाँ आ गए।

[ऐंथ्वनी उसे चले जाने का इशारा करना है] क्या उन लोगों को यहाँ लाऊँ?

ऐंथ्वनी

ठहरो।

[फ्रॉस्ट चला जाता है ऐथ्वनी घूमकर अपने पुत्र की ओर ताकता है]

अब मैं उस आक्षेप पर आता हूँ जो मेरे ऊपर किया गया हैं।

[एडगार घृणा का संकेत करता है और सिर कुछ झुकाकर चुपचाप खड़ा रहता है]

एक औरत मर गई है। मुझसे कहा जाता है कि उसका खून मेरी गर्दन पर है। मुझसे कहा जाता है और भी कितनी ही औरतों बच्चों को भूखों मरने और एड़ियाँ रगड़ने का अपराध भी मेरी गर्दन पर है।

एडगार

मैंने हमारी पर गर्दन कहा था।

ऐंथ्वनी

एक ही बात है।

[उसका स्वर ऊँचा होता जाता है। और मनोद्वेग उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है]

मुझे यह नई बात मालूम हुई कि अगर मेरा द्वन्द्वी एक सच्ची लड़ाई में जिसका कारण मैं नहीं हूँ, नीचा देखे तो यह मेरा दोष है। अगर मैं कुश्ती खा जाऊँ, और यह सम्भव है, तो मैं शिकायत न करूंगा। वह मेरा जिम्मा होगा। और यह उसका है। मैं चाहूँ भी तो इन मजूरों को उनकी स्त्रियों और बच्चों से अलग नहीं कर सकता। सच्ची लड़ाई सच्ची लड़ाई है। उन्हें चाहिए कि लड़ाई छेड़ने के पहले उसका नतीजा सोच लिया कर।

एडगार

[धीमे स्वर में]

लेकिन क्या यह सच्ची लड़ाई है, पिता जी? उनको देखिए और हमको देखिए। उनके पास केवल यही एक हथियार है।

ऐंथ्वनी

[कठोरता से]

और तुम इतने निर्लज्ज हो कि उन्हें यह हथियार चलाना सिखाते हो। आजकल यह रिवाज सा चल पड़ा है कि लोग अपने शत्रुओं का पक्ष लेते हैं। मैंने अभी वह कला नहीं सीखी है। यह मेरा दोष है कि उन्होंने अपनी पंचायत से भी लड़ाई ठान ली?

एडगार

दया भी तो कोई चीज़ है।

ऐंथ्वनी

और न्याय का पद उससे भी ऊँचा है।

एडगार

मगर एक आदमी के लिए जो न्याय है, वह दूसरे के लिए अन्याय है।

ऐंथ्वनी

[अपने उद्गार को दबाकर]

तुम मुझ पर अन्याय का दोष लगाते हो जिसमें पशुता है, निर्दयता है—

[एडगार घृणासूचक संकेत करता है। सब डर जाते हैं।

बैंकलिन

ठहरिए, ठहरिए, प्रधान जी।

ऐंथ्वनी

[कठोर स्वर में]

यह मेरे ही पुत्र के शब्द हैं। यह उस युग के शब्द हैं, जिसे मैं नहीं समझता। यह दुर्बल संतानों के शब्द हैं।

[सब लोग भुनभुनाने लगते हैं। ऐंथ्वनी प्रबल प्रयत्न से अपने ऊपर काबू पाता है]

एडगार

[धीरे से]

ये बातें मैंने अपने विषय में भी तो कही थीं, दादा।

[दोनों एक दूसरे की ओर देर तक ताकते हैं। और ऐंथ्वनी अपना हाथ एक ऐसे संकेत से फैलाता है मानो उन व्यक्तियों को हटा देना चाहता हो। तब अपने माथे पर हाथ रख लेता है और इस तरह हिलता है मानो उसे चक्कर आ गया हो। लोग उसकी तरफ बढ़ते हैं लेकिन वह उन्हें पीछे हटा देता है।]

एंथ्वनी

इसके पहिले कि मैं इस संशोधित प्रस्ताव को बोर्ड के सामने रक्खू, मैं एक शब्द और कहना चाहता हूँ।

[वह एक-एक के चेहरे की ओर देखता है]

अगर आप उसे स्वीकार करते हैं तो उसका यह आशय होगा कि हमने जो कुछ करने की ठानी थी वह हम पूरा न कर सकेंगे। इसका यह आशय है कि पूँजी के साथ हमारा जो कर्तव्य है, उसे हम पूरा न कर सकेंगे, इसका यह आशय है कि हमेशा ऐसे ही हमले होते रहेंगे और हमको हमेशा दबना पड़ेगा। धोखे में न आइए। यदि अब की बार आप मैदान छोड़कर भागे तो फिर आपके कदम कभी नहीं जमेंगे। आपको कुत्तों की तरह अपने ही आदमियों के कोड़ों के सामने भागना पड़ेगा। अगर आपको यही मंजूर है तो आप इस संशोधन को स्वीकार करें।

[वह फिर एक-एक के चेहरे को और देखता है और अन्त में एडगार की तरह आँखें जमा देता है। आँखें जमीन को भोर किए बैठे हैं। ऐंथ्वनी संकेत करता है और टेंच उसके हाथ में कार्यवाही का रजिस्टर देता है। वह पढ़ता है]

मि० वाइल्डर ने प्रस्ताव किया और मिस्टर बैंकलिन ने उसका समर्थन किया। "मजदूरों की माँगें तुरंत मिस्टर साइमन हार्निस के हाथों में दे दी जायँ कि आज सुबह उन्होंने जो शर्ते बताई थीं उनके अनुसार मामले को तय कर दें।"

[यकायक ज़ोर से]

जो लोग पक्ष में हैं हाथ उठावें।

[एक मिनट तक कोई नहीं हिलता। तब ज्योंही ऐंथ्वनी फिर बोलना चाहता है वाइल्डर और वेंकलिन जल्दी से हाथ उठा देते हैं। तब स्केंटिलबरी और सब से पीछे एडगार हाथ उठाते हैं। एडगार अब भी सिर नहीं उठाता।]

जो लोग इसके विपक्ष में हों?

[ऐंथ्वनी अपना ही हाथ उठा देता है]

[स्पष्ट स्वर में]

संशोधन स्वीकार हो गया। मैं बोर्ड से इस्तीफा देता हूँ।

[एनिड लम्बी साँस लेती है और सन्नाटा छा जाता है। ऐंथ्वनी स्थिर बैठा हुआ है उसका सिर धीरे धीरे भुक रहा है। यकायक वह साँस लेता है मानो उसका सारा जीन उसके भीतर उमड़ पड़ा हो]

पचास साल! सज्जनों आपने मेरे मुँह में कालिख लगा दी। मजदूरों को लाव।

[वह सामने ताकता हुआ स्थिर बैठा रहता है। सभासद गण जल्दी से एकत्र हो जाते हैं। टेंच सहमी हुई आवाज़ से बड़े कमरे में अावाज़ देता है। अन्डरवुड

ज़बरदस्ती एनिड को कमरे से खींच ले जाता है]

वाइल्डर

[घबराकर]

उनसे क्या कहना होगा? अभी तक हार्निस क्यों नहीं आया? क्या उसके आने के पहिले हमें आदमियों से मिलना चाहिए? मैं नहीं––

टेंच

आप लोग अन्दर आ जायें।

[टॉमस, ग्रीन, बल्जिन और राउस अन्दर आते है और छोटी मेज़ के सामने एक कतार में खड़े हो जाते हैं। टेंच बैठ जाता है और लिखता है। सब आँखें ऐश्वनी की ओर लगी हुई हैं जो बिलकुल शान्त है]

बैंकलिन

[छोटी मेज़ के पास आकर सशंक मैत्री के साथ]

देखो टॉमस, अब क्या करना है? तुम्हारी सभा ने

क्या तय किया?

राउस

सिम हार्निस के पास हमारा जवाब है। वह आप से बतलायेंगे। हम उनकी राह देख रहे हैं। वह हमारी तरफ़ से जवाब देंगे।

बैंकलिन

यही बात है, टॉमस?

टॉमस

[रुखाई से]

जी हाँ! रॉबर्ट न आयेंगे। उनकी बीवी मर गई है।

स्केटिलवरी

हाँ हाँ, हम सुन चुके। गरीब औरत!

फ्रॉस्ट

[बड़े कमरे से आकर]

मिस्टर हानिस आए हैं।

[हानिस के आने पर वह चला जाता है]

[हार्निस के हाथ में कागज़ का एक टुकड़ा है वह डाइरेक्टरों को सलाम करता है मज़दूरों की तरफ देखकर सिर हिलाता है और कमरे के बीच में छोटी मेज़ के पीछे खड़ा हो जाता।]

हार्निस

सज्जनो!

[सब को सलाम करता है]

[टेंच उस कागज़ को लिए जिस पर वह लिख रहा है, आ जाता है और सब धीमे स्वरों में बातें करने लगते हैं]

वाइल्डर

हम तुम्हारी राह देख रहे थे, हार्निस। आशा है, कि हम कुछ तय—

फ्रॉस्ट

[बड़े कमरे से आकर]

रॉबर्ट आए हैं।

[वह चला जाता है]

[रॉबर्ट जल्दी से अन्दर आता है और ऐश्वनी की ओर ताकता हुश्रा खड़ा हो जाता है। उसका चेहरा उदास और मुरझाया हुआ है]

रॉबर्ट

मिस्टर ऐंथ्वनी, मुझे खेद है कि मुझे जरा देर हो गई। मैं ठीक वक्त पर यहाँ आ जाता लेकिन एक बात हो गई इसलिए न आ सका।

[मज़दूरों से]

कोई बात चीत हुई?

टॉमस

नहीं! लेकिन तुम क्यों आए, भले आदमी?

रॉबर्ट

आप लोगों ने आज हमें अपनी अवस्था पर फिर विचार करने के लिए आदेश दिया था। हमने उस पर विचार कर लिया है। हम यहाँ मजदूरों का जवाब देने के लिए आए हैं।

[ऐंथ्वनी से]

आप लंदन जायँ, आप से हमें कुछ नहीं कहना है। हम अपनी शतों में जो भर भी कमी न करेंगे। और न हम काम पर आयेंगे जब तक हमारी सब शर्त न मान लो जायेंगी।

[ऐथ्वनी उसकी भोर ताकता है लेकिन बोलता नहीं। मज़दूरों में हलचल होती है जैसे सत्र घबरा गए हों।]

हार्निस

रॉबर्ट!

रॉबर्ट

[उसकी ओर क्रोध से देखकर फिर ऐंथ्वनी से]

अब तो आप साफ-साफ समझ गए। क्या यह साफ और सीधा जवाब है! आप का यह सोचना ग़लत था कि हम घुटने टेक देंगे। आप देह पर विजय पा सकते हैं लेकिन आत्मा पर विजय नहीं पा सकते। आप लंदन लौट जायें, आदमियों को आप से कुछ नहीं कहना है।

[दुविधे से ज़रा रुक कर वह स्थिर ऐंथ्वनी की ओर एक क़दम बढ़ता है]

एडगार

रॉबर्ट, हम सब तुम्हारे लिए दुखी हैं। लेकिन

रॉबर्ट

महाशय, अपना दुख आप अपने पास रक्खें। मगर अपने बाप को बोलने दीजिए।

हार्निस

[कागज़ का टुकड़ा हाथ में लिए हुए छोटी मेज़ के पीछे से बोलता]

रॉबर्ट! रॉबर्ट!

[ऐंथ्वनी से, आवेश के साथ]

आप क्यों नहीं जवाब देते?

हार्निस

रॉबर्ट!

रॉबर्ट

[तेज़ी से मुड़कर]

क्या बात है?

हार्निस

[गम्भीरता से]

तुम बिना प्रमाण के बातें कर रहे हो। तुम्हारे हाथ में अब फैसला नहीं रहा।

[वह टेंच को इशारा करता है। टेंच डाइरेक्टरों को इशारा करता है। वे उसके शर्तनामे पर हस्ताक्षर कर देते हैं।]

इस काग़ज को देखो।

[कागज़ को ऊपर उठाकर]

इंजीनियरों और भट्ठीवालों की शर्तों के सिवा और सब शर्ते मंजूर की गई। शनीचर के दिन समय के ऊपर काम करने के लिए दूनी मजदूरी। रात की टोलियाँ बदस्तूर! यह शर्ते मंजूर कर ली गई हैं मजदूर लोग से काम करने जायेंगे। हड़ताल समाप्त हो गई।

रॉबर्ट

[कागज़ को पढ़कर श्रादमियों पर बिगड़ता है। वे उसके पास से हट जाते हैं। केवल राउस अपनी जगह पर खड़ा रहता है। भीषण शान्ति के साथ।]

तुम लोगों ने मुझे दगा दी। तुम्हारे लिये मैंने मौत की भी परवाह न की। तुम मुझे चरका देने के लिए इसी अवसर का इंतजार कर रहे थे!

[मज़दूर लोग एक साथ जवाब देते है]

राउस

यह झूठ है।

टॉमस

कहाँ तक तुम्हारा साथ देते?

ग्रीन

अगर तुमने मेरी बात मानी होती।

बल्जिन

[दबी ज़बान से]

जबान बन्द करो।

रॉबर्ट

तुम इसी अवसर का इन्तज़ार कर रहे थे।

हार्निस

[डाइरेक्टरों का शतनामा लेकर और उसे टेंच को देकर]

बस मामला तय हो गया। मित्रो ! अब तुम लोग जा सकते हो।

[मज़दूर लोग धीरे-धीरे चले जाते हैं।

वाइल्डर

[नीची और उखड़ी हुई आवाज़ में]

अब तो यहाँ हमारे ठहरने की जरूरत नहीं मालूम होती।

[दरवाज़े तक जाता है]

मैं उस गाड़ी के लिए अब भी कोशिश करूंगा। तुम आते हो, स्केंटिलबरी?

स्कैंटिलबरी

[वैकलिन के साथ उसके पीछे जाता हुआ]

हाँ––हाँ, जरा ठहरो।

[रॉबर्ट को बोलते हुए सुनकर वह ठहर जाता है]

रॉबर्ट

[ऐंथ्वनी से]

लेकिन आपने तो उन शतों पर दसखत ही नहीं किया। वह लोग अपने प्रधान के बिना कोई शर्त नहीं कर सकते। आप उन शर्तों पर कभी दसखत न कीजियेगा।

[ऐंथ्वनी चुपचाप उसकी ओर ताकता है]

खुदा के लिए! यह न कहिए कि आपने दसखत कर दिया।

[आवेशमय करुणा से]

मुझे इसका विश्वास था।

हार्निस

[डाइरेक्टरों का शर्तनामा दिखाकर]

वोर्ड ने हस्ताक्षर कर दिया।

[रॉबर्ट हस्ताक्षरों को बेदिली के साथ देखता है, उसके हाथ से कागज़ छीन लेता है और अपनी आँखें बन्द कर लेता है।]

स्कैंटिलबरी

[हाथ की आड़ करके टेंच से]

प्रधान जी की खबर रखना। उनकी तबियत अच्छी नहीं है। उन्होंने आज भोजन भी नहीं किया। अगर स्त्रियों और बच्चों के लिए कोई फंड खोला जाय, तो मेरी तरफ़ से २० पाउंड लिख देना।

[वह अपनी भारी देह को सँभालता हुआ जल्दी से बड़े कमरे में चला जाता है और वेंकलिन, जो रॉबर्ट और ऐंध्वनी को चेहरा मरोड़-मरोड़ कर देख रहा है पीछे पीछे जाता है। एडगार सोफा पर बैठा हुआ ज़मीन की तरफ़ ताकता रहता है। टेंच दफ्तर में लौटकर कार्यवाही का रजिस्टर लिखता है। हार्निस छोटी मेज़ के पास खड़ा रॉबर्ट को गम्भीर भाव से देखता रहता है।]

रॉबर्ट

तो अब आप इस कंपनी में प्रधान नहीं है।

[पागलों की तरह हँसकर]

हा हा––हा! उन सबों ने आप को निकाल बाहर किया। अपने प्रधान को भी निकाल बाहर किया। हा––हा हा!

[भीषण धैर्य के साथ]

सो हम दोनों निकाल दिए गए, मिस्टर ऐंथ्वनी।

[एनिड दुहरे दरवाज़े से लपकी हुई अपने बाप के पास आती है और उसके पास झुक जाती है]

हार्निस

[रॉबर्ट के पास आकर और उसकी आस्तीन पकड़कर]

तुम्हें शर्म नहीं आती, रॉबर्ट? चुपके से घर जाव, भले आदमी, घर जाव।

रॉबर्ट

[हाथ छुड़ाकर]

घर!

[दोनों साथ-साथ जाते हैं]

एनिड

[धीमी आवाज़ में अपने बाप से]

दादा, अपने कमरे में आइए, अपने कमरे मे आइए।

[ऐंथ्वनी ज़ोर लगा कर उठता है। वह रॉबर्ट की तरता फिरता है जो उसकी तरफ़ ताक रहा है। दोनों कई सेकंड तक एक दूसरे को टकटकी लगाए देखते रहते हैं। ऐश्वनी हाथ उठाता है जैसे सलाम करना चाहता हो। लेकिन हाथ गिर पड़ता है। रॉबर्ट के मुख पर शत्रु भाव की जगह आश्चर्य अंकित हो जाता है। दोनों अपने सिर सम्मान के भाव से झुका लेते हैं। ऐश्वनी धीरे-धीरे अपने पर्देदार दरवाज़े की तरफ जाता है। एका-एक वह लड़खड़ाता है जैसे गिरने गिरने हो रहा हो। फिर सँभल जाता। एनिड और एडगार जो कमरे में से दौड़ कर पाया है। उसको सहारा देते हैं । रॉबर्ट कई सेकंड तक एंथ्वनी को ध्यान से देखता हुआ खड़ा रहता है, तब बड़े कमरे में चला जाता है।]

टेंच

[हार्निस के पास आकर]

मेरे सिर से एक बड़ा बोझ उतर गया, मिस्टर हार्निस। लेकिन कितना दर्दनाक माजरा था।

[माथे से पसीना पोंछता है]

[हार्निस जो शान्त और दृढ़ है टेंच की योर देख कर मुसकुराता है]

कितनी झाँव झाँव हुई! उसका यह कहने से क्या बतलब था कि हम दोनों निकाल दिए गए? माना उस बेचारे की बीबी मर गई, लेकिन उसे प्रधान से इस तरह न बोलना चाहिए था।

हार्निस

एक औरत तो मर ही गई उस पर हमारे दोनों रत्नों को नीचा देखना पड़ा।

[यकायक अन्डरवुड आता है]

टेंच

[हार्निस की ओर देखकर यकायक उद्विग्न होकर]

आपने देखा यह तो वही शर्ते हैं, जो आपने और मैंने लिखी थीं और हड़ताल शुरू होने से पहिले दोनों पक्षों को दिखाई थीं। फिर यह झगड़ा किस लिए हुआ?

हार्निस

[धीमे स्वर में]

यही तो दिल्लगी है।

[अन्डरवुड दरवाजे ही पर खड़ा खड़ा हाँ का संकेत करता है]


पर्दा गिरता है

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