तूफ़ानी पितरेल पक्षी का गीत (रूसी कहानी) : मैक्सिम गोर्की
The Song of the Stormy Petrel (Russian Story) : Maxim Gorky
समुद्र की रूपहली सतह के ऊपर हवा के झोंकों से तूफ़ान के बादल जमा हो रहे हैं और बादलों तथा समुद्र के बीच तूफ़ानी पितरेल चक्कर लगा रहा है, गौरव और गरिमा के साथ, अन्धकार को चीरकर कौंध जाने वाली विद्युत रेखा की भाँति।
कभी वह इतना नीचे उतर आता है कि लहरें उसके पंखों को दुलराती हैं, तो कभी तीर की भाँति बादलों को चीरता और अपना भयानक चीत्कार करता हुआ ऊँचे उठ जाता है, और बादल उसके साहसपूर्ण चीत्कार में आनन्दातिरेक की झलक देख रहे हैं।उसके चीत्कार में तूफ़ान से टकराने की एक हूक ध्वनित होती है ! उसमें ध्वनित है उसका आवेग, प्रज्ज्वलित क्षोभ और विजय में उसका अडिग विश्वास।
गंगाचिल्लियाँ भय से बिलख रही हैं पानी की सतह पर तीर की तरह उड़ते हुए, जैसे अपने भय को छिपाने के लिए समुद्र की स्याह गहराइयों में ख़ुशी से समा जाएँगी। ग्रेब पक्षी भी बिलख रहे हैं। संघर्ष के संज्ञाहीन चरम आह्लाद को वे क्या जानेंॽ बिजली की तड़प उनकी जान सोख लेती है।
बुद्धु पेंगुइन चट्टानों की दरारों में दुबक रहे हैं, जबकि अकेला तूफ़ानी पितरेल ही समुद्र के ऊपर रूपहले झाग उगलती फनफनाती लहरों के ऊपर गर्व से मण्डरा रहा है !
तूफ़ान के बादल समुद्र की सतह पर घिरते आ रहे हैं। बिजली कड़कती है। अब समुद्र की लहरें हवा के झोंको के विरूद्ध भयानक युद्ध करती हैं, हवा के झोंके अपनी सनक में उन्हें लौह-आलिंगन में जकड़ उस समूची मरकत राशि को चट्टानों पर दे मारते हैं और वह चूर-चूर हो जाती है।
तूफ़ानी पितरेल पक्षी चक्कर काट रहा है, चीत्कार कर रहा है। अन्धकार चीरती विद्युत रेखा की भाँति, तीर की तरह तूफ़ान के बादलों को चीरता हुआ तेज़ धार की भाँति पानी को काटता हुआ। दानव की भाँति, तूफ़ान के काले दानव की तरह निरन्तर हंसता, निरन्तर सुबकता वह बढ़ा जा रहा है — वह हंसता है तूफ़ानी बादलों पर और सुबकता है अपने आनन्दातिरेक से !
बिजली की तड़क में चतुर दानव पस्ती के मन्द स्वर सुनता है। उसका विश्वास है कि बादल सूरज की सत्ता मिटा नहीं सकते, कि तूफ़ान के बादल सूरज की सत्ता को कदापि, कदापि नहीं मिटा सकेंगे।
समुद्र गरजता है… बिजली तड़कती है, समुद्र के व्यापक विस्तार के ऊपर तूफ़ान के बादलों में काली-नीली बिजली कौंधती है, लहरें उछलकर विद्युत अग्निबाणों को दबोचती और ठण्डा कर देती हैं, और उनके सर्पिल प्रतिबिम्ब, हाँफते और बुझते समुद्र की गहराइयों में समा जाते हैं।
तूफ़ान ! शीघ्र ही तूफ़ान टूट पड़ेगा ! फिर भी तूफ़ानी पितरेल पक्षी गर्व के साथ बिजली के कौंधों के बीच गरजते-चिंघाड़ते समुद्र के ऊपर मण्डरा रहा है और उसके चीत्कार में चरम आह्लाद के प्रतिध्वनि है — विजय की भविष्यवाणी की भाँति….
आए तूफ़ान, अपनी पूरी सनक के साथ आए।