पादरी की आत्मा : आयरिश लोक-कथा
Spirit of a Priest : Irish Folktale
पुराने समय में आयरलैंड में बड़े बड़े स्कूल थे जहाँ लोगों को हर तरीके की शिक्षा दी जाती थी और उस समय के वहाँ के गरीब से गरीब लोग भी आज के अच्छे पढ़े लिखे आदमियों से ज़्यादा जानते थे।
ऐसे ही समय में एक बच्चा अपनी होशियारी से सबको चकित किये दे रहा था। उसके गरीब माता पिता मेहनत मजदूरी कर के अपना और अपने बच्चों का पेट पालते थे।
पर यह बच्चा पैसे से जितना गरीब था ज्ञान का उतना ही अमीर था। राजाओं और महाराजाओं के बच्चे भी उससे ज्ञान में आगे नहीं थे।
कई बार वह अपने मास्टरों को भी नीचा दिखा देता था क्योंकि वे जब भी कोई चीज़ उसे सिखाने की कोशिश करते वह उनको कुछ ऐसी बात बता देता जो उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी होती। उसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह बहस में बहुत होशियार था। वह पहले काले को सफेद साबित करता और फिर जब दूसरे को इस बात का विश्वास हो जाता कि हाँ यह तो सफेद ही है तो फिर अपनी होशियारी से उसी सफेद को काला साबित कर देता था।
जब वह बच्चा बड़ा हो गया तो उसके माता पिता उससे बहुत खुश रहते थे। उन्होंने सोच लिया कि वे उसको पादरी बनायेंगे और उन्होंने एक दिन उसको पादरी बना दिया। क्योंकि इतना अक्लमन्द आदमी उस समय पूरे आयरलैंड में कोई नहीं था इसलिये कोई उसका मुकाबला भी नहीं कर सकता था।
अगर कोई बिशप भी उससे बात करने की कोशिश करता तो उसे तुरन्त ही पता चल जाता कि वह तो उसके आगे कुछ भी नहीं जानता।
उस समय में आजकल की तरह के स्कूल और मास्टर नहीं हुआ करते थे। चर्च के पादरी लोग ही लोगों को पढ़ाया करते थे और क्योंकि यह पादरी उस समय का सबसे अक्लमन्द पादरी था इसलिये बहुत सारे देशों के राजा अपने अपने बेटों को इस पादरी के पास पढ़ने के लिये भेजते थे।
धीरे धीरे इस पादरी में घमंड आने लगा और वह यह भी भूल गया कि वह क्या था और किसकी मेहरबानियों से आज इस जगह पहुँचा था। उसके अन्दर बहस करने की चतुरता का घमंड घर करता चला गया।
वह यह साबित करता चला गया कि न तो कहीं स्वर्ग है और न ही कहीं नरक है, न कहीं आत्मा है और न ही कहीं परगेटरी ही है। यहाँ तक कि कहीं भगवान भी नहीं है।
वह हमेशा यह कहा करता था — “आत्मा को किसने देखा है? अगर तुम मुझे एक भी आत्मा दिखा दो तो मैं विश्वास कर लूँगा कि आत्मा है।”
लेकिन उस जैसे होशियार आदमी को यह कौन समझाता कि आत्मा को देखा नहीं जा सकता। और फिर सारे लोग यही मानने लग गये।
उसने शादी भी की पर उसकी शादी कराने वाला दुनियाँ भर में कोई पादरी ही नहीं मिला तो शादी की सब रस्में उसे खुद ही पूरी करनी पड़ीं।
लोग आपस में तरह तरह की बातें करते पर ऊपर से कोई कुछ नहीं कह सकता था क्योंकि सब राजाओं के लड़के उसी से पढ़ते थे और सब उसी का पढ़ाया बोलते थे।
वे सब तो उसी के चेले थे और उसी की बातों में विश्वास करते थे। वे सोचते थे कि वह जो कुछ कहता था ठीक ही कहता था। इस तरह दुनियाँ में बुराई फैलती जा रही थी।
कि एक रात स्वर्ग से एक देवदूत आया और पादरी से बोला
— “तुम्हारी ज़िन्दगी अब केवल चौबीस घंटों की और है।”
पादरी यह सुन कर काँप गया और उसने देवदूत से उसे इस धरती पर रहने के लिये कुछ और ज़्यादा समय देने की प्रार्थना की परन्तु देवदूत अपनी बात का पक्का था इसलिये पादरी को उससे ज़्यादा समय नहीं मिल पाया।
फिर भी उस देवदूत ने उससे पूछा — “तुम जैसे पापी को और ज़्यादा समय क्यों चाहिये?”
पादरी ने दीनता भरी आवाज में कहा — “देवदूत, मुझ पर रहम करो, मुझ पर दया करो, मेरी आत्मा पर तरस खाओ।”
देवदूत ने मुस्कुरा कर पूछा — “तो तुम्हारी आत्मा भी है? परन्तु इस बात का तुमको पता कैसे चला कि तुम्हारी आत्मा भी है?”
पादरी बोला — “जबसे तुम मेरे सामने आये हो तभी से यह मेरे शरीर के अन्दर फड़फड़ा रही है। मैं भी कितना बेवकूफ था कि मुझे इसका पहले पता ही नहीं चला।”
“तुम सचमुच में बेवकूफ हो। तुम्हारे पढ़ने लिखने का क्या फायदा अगर तुम यही पता न चला सके कि तुम्हारी एक आत्मा भी है।” देवदूत बोला।
पादरी बोला — “ओह मेरे भगवान, अच्छा यह बताओ मरने के कितनी देर बाद मैं स्वर्ग पहुँच जाऊँगा?”
देवदूत हँस कर बोला — “तुम स्वर्ग कभी नहीं पहुँचोगे क्योंकि तुम तो स्वर्ग को मानते ही नहीं।”
पादरी बोला — “क्या मैं परगेटरी जा सकता हूँ?”
देवदूत बोला — “पर तुम तो परगेटरी को भी नहीं मानते। तुम तो सीधे नरक जाओगे।”
अबकी बार पादरी के हँसने की बारी थी। वह बोला — “पर मैं तो नरक को भी नहीं मानता इसलिये तुम मुझे वहाँ भी नहीं भेज सकते।”
यह सुन कर देवदूत कुछ परेशान सा हुआ और बोला — “मैं बताता हूँ कि मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ। तुम अगर चाहो तो अभी धरती पर सौ साल तक और रह सकते हो और सभी खुशियों को भोग सकते हो, या फिर चौबीस घंटों के बाद तकलीफ के साथ मर सकते हो।
मैं तुमको परगेटरी ले जाऊँगा फैसले के दिन तक का इन्तजार करने के लिये। पर इस बीच अगर तुमको कोई ऐसा आदमी मिल जाता है जो भगवान में विश्वास करता हो, स्वर्ग नरक में विश्वास रखता हो, तो तुम्हारी ज़िन्दगी कुछ सुधर सकती है।” यह कह कर वह देवदूत वहाँ से गायब हो गया।
पादरी को निश्चय करने में पाँच मिनट भी नहीं लगे। उसने सोच लिया था कि उसे क्या करना था। चौबीस घंटे तो उसके लिये बहुत होते थे वह करने के लिये जो देवदूत ने उसको बताया था। वह तुरन्त ही एक बहुत बड़े कमरे में पहुँचा जहाँ उसके बहुत सारे चेले और राजाओं के लड़के बैठे थे। उसने उनसे कहा कि तुम सब लोग सब सच बोलना। तुम लोग मेरे खिलाफ बोल रहे हो इस बात से ज़रा भी नहीं डरना। यह बताओ कि तुम्हारा क्या विश्वास है कि आदमी के आत्मा होती है क्या?
वे बोले — “मास्टर जी, पहले तो हम लोग मानते थे कि आदमी के अन्दर आत्मा होती है परन्तु अब जबसे हमने आपसे पढ़ा है कि कहीं कोई आत्मा नहीं है तबसे हम इसमें विश्वास नहीं करते। अब तो कहीं कोई स्वर्ग नहीं है, कहीं कोई नरक नहीं है और कहीं कोई भगवान भी नहीं है, यही आपने हमें सिखाया है।”
पादरी डर के मारे पीला पड़ गया और ज़ोर से बोला —
“देखो, मैंने तुम लोगों को जो कुछ भी सिखाया था वह गलत था।
भगवान है और एक अमर आत्मा भी है। पहले मैं जिनमें विश्वास
नहीं करता था आज उनको मैं मानता हूँ।”
वहाँ बैठे सभी लोग ज़ोर ज़ोर से हँस पड़े क्योंकि वे समझे कि उनका मास्टर उनको बहस करने के लिये उकसा रहा है। सो वे भी ज़ोर से चिल्लाये — “साबित कीजिये, साबित कीजिये। भगवान को किसने देखा है और आत्मा को भी किसने देखा है?” और कमरा एक बार फिर ठहाकों से भर गया।
पादरी कुछ कहने के लिये उठा और उसने कुछ कहा भी पर सब कुछ उन ठहाकों के शोर में दब कर रह गया। वह चिल्लाता रहा — “भगवान है, आत्मा भी है, स्वर्ग भी है और नरक भी है।”
परन्तु किसी ने उसकी एक न सुनी।
उसने सोचा कि शायद उसकी पत्नी उसका विश्वास कर लेगी परन्तु उसने कहा कि वह भी उसी की सिखायी हुई बातों को मानती है। और ऐसा एक पत्नी को करना भी चाहिये क्योंकि पति पत्नी के लिये भगवान से भी ऊँचा होता है।
इसको सुन कर तो वह बहुत निराश हो गया और घर घर जा कर पूछने लगा कि क्या वे भगवान में विश्वास करते थे। पर सबसे उसको एक ही जवाब मिला “हम तो उसी में विश्वास करते हैं जो आपने हमें सिखाया है।”
अब तो पादरी डर के मारे बिल्कुल पागल सा हो गया क्योंकि समय बीतता जा रहा था और उसको कोई एक भी आदमी भगवान में विश्वास करने वाला नहीं मिल रहा था।
वह अकेला ही एक कमरे में जा कर बैठ गया और रोने लगा। कभी कभी डर के मारे वह चिल्ला पड़ता क्योंकि उसके मरने का समय पास आता जा रहा था।
इतने में एक बच्चा आया और बोला — “भगवान तुम्हारी रक्षा करे।”
बच्चे के ये शब्द सुनते ही पादरी में जान आ गयी। उसने
तुरन्त बच्चे को गोद में उठा लिया और उतावली से उससे पूछा —
“बेटा क्या तुम भगवान को मानते हो?”
बच्चा बोला — “मैं यहाँ उसी के बारे में जानने के लिये तो आया हूँ। क्या आप मुझे यहाँ का सबसे अच्छा स्कूल बतायेंगे?”
पादरी बोला — “सबसे अच्छा स्कूल और सबसे अच्छा मास्टर तो तुम्हारे पास ही है बेटा।” यह कह कर उसने उसको अपना नाम बता दिया।
बच्चा बोला — “नहीं नहीं, मैं इस आदमी के पास नहीं जाना चाहता क्योंकि मैंने सुना है कि वह भगवान को नहीं मानता, स्वर्ग और नरक को भी नहीं मानता। यहाँ तक कि अपने शरीर में रह रही आत्मा को भी वह नहीं मानता क्योंकि वह उसको देख नहीं सकता। परन्तु मैं उसको बहुत जल्दी नीचा दिखा दूँगा।”
पादरी को उस बच्चे की बात सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ।
उससे रहा नहीं गया तो उसने उससे पूछ ही लिया — “तुम उसको कैसे नीचा दिखाओगे बेटा?”
बच्चा बोला — “यह तो बड़ा आसान है। मैं उससे कहूँगा कि अगर तुम ज़िन्दा हो तो तुम अपना ज़िन्दा रहना साबित करो।”
पादरी बोला — “पर बेटे वह ऐसा कैसे कर सकता है? क्योंकि सभी जानते हैं कि वे ज़िन्दा हैं पर वे उसे दिखा तो नहीं सकते क्योंकि उसको देखा नहीं जा सकता।”
इस पर बच्चा बोला — “सो अगर हमारे अन्दर ज़िन्दगी है और हम उसे केवल इसलिये नहीं दिखा सकते क्योंकि वह छिपी हुई है तो हमारे अन्दर आत्मा भी तो हो सकती है जिसको हम केवल इसी लिये नहीं दिखा सकते क्योंकि वह हमारे अन्दर इसी तरह छिपी हुई हो।”
पादरी ने जब उस बच्चे के मुँह से ऐसे शब्द सुने तो उसने उसके सामने अपने घुटने टेक दिये और रो पड़ा क्योंकि अब उसे विश्वास हो गया था कि उसकी आत्मा अब सुरक्षित है।
कम से कम एक आदमी तो उसको भगवान में विश्वास रखने वाला मिला और उसने उस बच्चे को शुरू से ले कर आखीर तक की अपनी सारी कहानी सुना दी।
फिर बोला — “लो बेटे यह चाकू लो और इससे मेरी छाती को गोद दो और गोदते रहो जब तक तुम्हें मेरे चेहरे पर मौत का पीलापन नजर न आ जाये। फिर ध्यान से देखना जब मैं मरूँगा तो मेरे शरीर से एक ज़िन्दा चीज़ निकलेगी। उससे तुमको पता चल जायेगा कि मेरी आत्मा भगवान के पास पहुँच गयी है।
और जब तुम यह देखो तो तुम तुरन्त भाग कर मेरे स्कूल जाना और मेरे सभी शिष्यों को यह देखने के लिये बुला लाना। उनको बताना कि जो कुछ भी मैंने उनको ज़िन्दगी भर सिखाया वह सब गलत था क्योंकि कहीं भगवान है जो पापों की सजा देता है। स्वर्ग भी है और नरक भी है और हर आदमी के पास एक अमर आत्मा भी है।”
बच्चा बोला —“मैं कोशिश करूँगा।” कह कर वह बच्चा घुटनों के बल बैठ गया। पहले उसने प्रार्थना की फिर चाकू उठाया और पादरी की छाती में मारा और तब तक मारता रहा जब तक उसकी छाती का माँस चिथड़े चिथड़े नहीं हो गया।
परन्तु इतना सब होने के बावजूद भी पादरी मरा नहीं। हालाँकि उसको दर्द बहुत था पर चौबीस घंटे पूरे होने से पहले वह नहीं मरा। आखिर उसके चेहरे पर मौत का पीलापन झलकने लगा। उसी समय बच्चे ने देखा कि एक छोटी सी कोई ज़िन्दा चीज़, चार सफेद पंखों वाली, पादरी के शरीर से निकली और उसके सिर पर मँडराने लगी।
वह तुरन्त उसके शिष्यों को उनके मास्टर की आत्मा दिखाने के लिये बुला लाया। उन्होंने भी उसको तब तक देखा जब तक वह उड़ कर बादलों के उस पार नहीं चली गयी।
आयरलैंड की यह सबसे पहली तितली थी और आज वहाँ सब यह जानते हैं कि तितलियों में मरे हुए लोगों की आत्मा होती है और उस रूप में दर्द सहती हुई शान्ति पाने के लिये परगेटरी में घुसने का इन्तजार करती रहती हैं।
1. Bishop – a high status man in Church.
2. Purgatory - According to the Catholic Church doctrine, Purgatory is an intermediate state after
physical death in which those destined for heaven "undergo purification, so as to achieve the holiness
necessary to enter the joy of heaven.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)