सियार राजा : लोककथा (उत्तराखंड)

Siyar Raja : Lok-Katha (Uttarakhand)

एक बड़ा सुन्दर जंगल था । जंगल में एक स्थान पर रिस-रिस कर पानी जमा होता था । जंगल के सभी जानवर वहाँ आकर पानी पीते थे । उसी जंगल में एक सियार भी रहता था । उसकी शैतानियों से छोटे-बडे़ सभी जानवर परेशान थे । उस सियार ने पानी जमा होने वाले स्थान पर खुदाई कर एक बावली बना दी । अब उस बावली में बहुत सारा पानी जमा हो गया । बावली के किनारे सियार ने पत्थरों से चिनाई कर एक बडा आसन बना दिया । वह उस आसन पर बैठ गया । पानी पीने के लिए आने वाले जानवरों को सियार ने बताया- ’’आप इस बावली का पानी पी सकते हो किन्तु आपको पानी पीने से पहले मुझे नमस्कार करते हुए ’सियार राजा की जय’ कहना होगा । मेरी प्रशंसा में और कुछ भी कहना चाहो तो कह सकते हो ।‘‘

उस बावली में छोटा, बडा कोई भी जानवर आता उसे पानी पीने से पहले सियार की प्रशंसा करनी पड़ती थी । उसने बावली के चारों ओर गन्दगी फैलाना शुरू कर दिया था । जो जानवर पानी पीने से पहले सियार को नमस्कार नहीं करता सियार अपने आसन से उस पर पत्थर फेंकता था ।

एक दिन एक दुबला पतला बैल उस बावली में पानी पीने आया । उसने पानी पीने से पहले सियार की प्रशंसा नहीं की । सियार को गुस्सा आया । वह अपने आसन से उस बैल पर पत्थर फेंकने ही वाला था कि बैल ने सियार को संकेत कर दिया कि वह बिना पानी पिये बोल नहीं सकता । वह पानी पीने लगा । पानी पीने के बाद वह सियार से बोला -’’आपकी इस बावली में बडे-छोटे सभी जानवर पानी पीने आते हैं । हम आपके सात जन्मों तक ऋण नहीं चुका सकते हैं । आप राजा हैं । आपको इस वीरान जंगल में नहीं होना चाहिए । ’’ आपका तो हीरे जेवरातों का सिंहासन होना चाहिए ।‘‘

’’हीरे जेवरात मेरे पास कहाँ से आएंगे ? ‘‘- सियार ने अपनी जिज्ञासा प्रकट की ।

’’हमारे मालिक की चार खम्भों वाली तिबार ( प्राचीन बैठक कक्ष ) है । संक्रान्ति के दिन वहाँ ढोल-दमो बजेगें,भीड़ जमा होगी । उस दिन आप हमारे मालिक की तिबार में बैठना । तिबार में बैठकर आप ’गबजा अर गुन्दरू ओ ओ’’ बार-बार कहते रहना । ऐसा कहने से हमारा मालिक आपको खूब हीरे जेवरात देगा । ’’

सक्रान्ति के दिन उस बैल के मालिक के यहाँ बहुत भीड़ थी । ढोल दमो बज रहे थे । गबजा और गुन्दरू बैल के मालिक के दो खतरनाक कुत्ते थे । जेवरात के लालच में सियार तिबार में बैठकर ऊंची आवाज में ‘गबजा अर गुन्दरू ओ ओ‘ कहने लगा । दोनों कुत्ते दौड़कर वहाँ आ गए । भीड़ के कारण सियार भाग भी नहीं पाया । सियार को गबजा और गुन्दरू दोनों ने मार दिया । सियार की मौत के बाद जंगल के सब जानवर खुश हो गए । वे अब आराम से बावली से पानी पीने लगे ।

(साभार : डॉ. उमेश चमोला)

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