शिक्षित बेटियां मजबूत समाज : श्याम सिंह बिष्ट
Shikshit Betyian Majboot Samaj : Shyam Singh Bisht
मुनि के पापा जैसे ही खेतों से हल जोत के आए, तो पास बैठी मुनि की माँ बोली -
अजी सुनों कल सुबह जल्दी उठना,
मुनि का कल पास वाले स्कूल मैं दाखिला कराना है, जिस से आने वाले इसके भविष्य मैं, हमारी मुनि को किसी की कोई यह बात ना सुननी पड़े की इसके माता , पिता ने इसको नहीं पढ़ाया। और तो और तुमने देखा ही होगा, कल वह पड़ोस वाली शांति दीदी,
जब अपनी सहेलियों की जमा चौकड़ी के साथ बैठी थी तो, उनसे मेरे बारे में कह रही थी:
"बहना वो जो मुनि की ममी है ना, उसको पढ़ना, लिखना बिल्कुल भी नहीं आता, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस के बराबर है ।"
वो तो भला हो मैंने सुन लिया। वरना कल आने वाले भविष्य में मेरी मुनि को भी सब लोग यही बोलकर इसका उपहास करेंगे ।
हाँ मैं आपसे कह देती हूँ-
अब मैं आपकी एक बात भी नहीं सुनूँगी, तुम्हें कल ही मेरी मुनि को स्कूल मैं दाखिला कराना है, यदि आप मेरी बात नहीं मानोगे तो मैं कह देती हूँ, मैं अपने मायके चली जाऊँगी, मुनि को साथ लेकर ।
तुम्हे तो पता ही है, मुनि के पापा -
आज के समय में पढ़ा लिखा होना कितना जरूरी है, मुनि को आज शिक्षित करना कितना जरूरी है, मैं नहीं चाहती कि मुनि भी हमारी तरह अनपढ़ रहे ।
मुनि के पापा, यह सब बात सुनकर बोले-
ठीक है भाग्यवान, मैं कल ही मुनि का दाखिला करा दूंगा ।
यह सब बात सुनकर पास खड़ी मुनि खुशी से फूले न समा रही थी, उसको अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करने का माध्यम मिल गया था,
और वह माध्यम था शिक्षा ।।