शैतान का नाच : कैनेडा की लोक-कथा

Shaitan Ka Naach : Lok-Katha (Canada)

फ्रैंकोइ के घर में सभी लोग बहुत अच्छे थे, धार्मिक सब पर दया करने वाले। उनके पास ज़्यादा कुछ भी नहीं था फिर भी वे बहुत उदार थे।

उनके यहाँ नाच हमेशा तो नहीं होता था परन्तु इस समय उनका बेटा दूर देश से हो कर लौटा था इसीलिये उसके राजी खुशी लौट आने की खुशी में वे एक दावत करना चाहते थे।

वैसे तो उनके यहाँ हमेशा ही बारहवीं रात के अगले दिन एक दावत जरूर होती थी जिसमें आने के लिये किसी को बुलावा भेजने की जरूरत नहीं होती थी, उसमें कोई भी आ सकता था पर आज की दावत की बात ही कुछ और थी।

कभी कभी माँ कैथरीन को इतने सारे लोग देख कर कुछ परेशानी जरूर होती थी फिर भी वह खुशी खुशी सब का अपने घर में स्वागत करती थी। आखिर वे सब फ्रैंकोइ के दोस्त थे न।

उस दावत में एक वायलिन बजाने वाला भी आया करता था। वह केवल वायलिन ही अच्छी नहीं बजाता था बल्कि एक अच्छा गायक भी था। उसका नाम डेडे था।

वह अपना वायलिन रात को 9 बजे के करीब शुरू करता था और सभी लोग उसका वायलिन सुन कर मस्त हो जाया करते थे। आज की दावत के बाद फ्रैन्कोइ का बेटा एक नाच करना चाहता था सो वह अपने माता पिता से उस नाच करने की इजाज़त माँगने गया। इस रात वे उसका दिल नहीं तोड़ना चाहते थे इसलिये उन्होंने उसको नाच की इजाज़त दे दी।

तुरन्त ही कमरे के बीच की जगह नाच के लिये तैयार कर ली गयी और पिता फ्रैंकोइ ने अपनी पत्नी कैथरीन के साथ नाच शुरू कर दिया।

उनके बाद उनका बेटा पियरे अपनी पत्नी मान्डा बरटन के साथ आया। उन्होंने भी नाचा मगर उनके माता पिता का नाच उनके नाच से ज़्यादा अच्छा था।

डेडे बहुत अच्छा वायलिन बजा रहा था, साथ में वह अपनी एड़ी से ताल भी देता जा रहा था। वहाँ कई तरह के नाच हो रहे थे और वह सभी तरह को नाचों के लिये बहुत अच्छा वायलिन बजा रहा था।

बीच बीच में वह थोड़ी सी शराब पी लेता था जिससे वह अपना काम और ज़्यादा अच्छी तरह कर पा रहा था। लगता था कि वह अब अगले 24 घंटों तक अपना वायलिन बिना थके बजाता रहेगा।

रात के 11 बजे सभी लोग साँस लेने के लिये रुके कि अचानक सभी ने छोटी छोटी घंटियों की आवाज सुनी और बरफ पर चलती हुई स्ले की आवाज भी।

कुछ पल बाद ही किसी ने दरवाजा खटखटाया।

पियरे बोला — “अन्दर आ जाओ।”

दरवाजा खुला और एक लम्बा, घुंघराले बालों वाला और नुकीली दाढ़ी वाला बड़ा सुन्दर सा नौजवान कमरे में दाखिल हुआ। उसकी आँखें काली और चमकीली थीं, उसके कपड़े भी शानदार थे। कुल मिला कर वह एक भले घर का भला सा नौजवान लग रहा था।

उसकी स्ले भी शीशे की तरह चमक रही थी। उसमें बढ़िया चमकदार काला घोड़ा जुता हुआ था जिस पर सफेद लगाम लगी थी और सुन्दर साज सजा हुआ था जो 5–6 सोने के सिक्कों से कम की कीमत का नहीं होगा। वह वहाँ बिल्कुल ही अजनबी था क्योंकि और दूसरा कोई भी उसको वहाँ नहीं जानता था।

लोगों ने उसको स्ले का घोड़ा खोलने के लिये कहा परन्तु उसने मना कर दिया कि उसकी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह वहाँ बहुत देर तक रुकने वाला नहीं है।

उसने बताया कि उसने देखा कि इस घर में लोग खुशियाँ मना रहे हैं सो वह भी एक दो नाच नाचने के लिये वहाँ आ गया था।

लोगों ने उससे उसके गरम कपड़े उतारने के लिये कहा तो उसने अपना क्लोक और टोपी तो उतार दी पर हाथ के दस्ताने नहीं उतारे।

लोगों ने समझा कि शायद यह कुलीन भला आदमी होने की वजह से अपने दस्ताने नहीं उतार रहा इसलिये उन्होंने इस बात पर न तो ज़्यादा ध्यान दिया और न ही ज़ोर। वह इतना सुन्दर था कि क्या आदमी और क्या औरतें, किसी की भी निगाहें उसके चेहरे से नहीं हट पा रहीं थीं। लोग सोच रहे थे कि उसके साथ कौन नाचेगा परन्तु क्योंकि वह एक सभ्य कुलीन नौजवान था। वह जानता था कि उसे क्या करना है।

वह फ्रैंकोइ की बेटी ब्लांच के पास गया और उससे बोला — “क्या आप मेरे साथ नाचना पसन्द करेंगी?”

ब्लांच पहले तो कुछ शरमायी फिर बोली — “खुशी से जनाब। पर मुझे ठीक से नाचना नहीं आता।” जबकि वह वहाँ सबसे अच्छा नाचना जानती थी।

पर वास्तव में वह नौजवान लग ही इतना अच्छा रहा था कि उसके साथ सबसे पहले नाचना आसान काम नहीं था।

दोनों ने नाचना शुरू किया। वह बहुत अच्छा नाच रहा था। नाच के किसी भी स्टैप को वह बार बार करते भी थकता नहीं था। हालाँकि उसने अपना नाच एक सादा से स्टैप से शुरू किया पर फिर भी उसके उसी स्टैप से ऐसा लग रहा था जैसे उसको हराना भी आसान काम नहीं था।

ब्लांच के बाद उसने और भी कई लड़कियों के साथ नाच किया। वह और सब लड़कियों के साथ नाचते समय भी उतना ही ताजा लग रहा था जितना कि वह अपने पहले नाच में ब्लांच के साथ लग रहा था।

इधर डेडे और उस नौजवान के बीच में भी कुछ मुकाबला सा होता नजर आ रहा था। ऐसा लगता था कि दोनों एक दूसरे को हराने की कोशिश में लगे थे।

डेडे उसके सामने कुछ कमजोर सा पड़ रहा था। उसके साथ डेडे को वायलिन बजाने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी। उसको इतनी ठंड में भी पसीना आ रहा था पर वह धीरे धीरे उसका साथ पकड़ता जा रहा था। उसकी एड़ी की ताल से धूल उड़ रही थी।

टन्न, अचानक ही डेडे की वायलिन का तार टूट गया। उसके पास एक और तार था सो उसने तुरन्त ही वह तार लगा लिया। इतनी देर में वह थोड़ा सुस्ता भी लिया।

उधर उतने समय में उस अजनबी ने भी कई लड़कियों से बातें कर लीं। डेडे नया तार लगा कर फिर से नये तरीके से तैयार हो गया था और नाच फिर से शुरू हो गया।

इतने में बीच में पियरे का दो साल का बेटा जाग गया। मान्डा मेहमानों की सेवा में लगी थी सो बच्चे की दादी कैथरीन ने उसको अपने घुटनों पर बिठा लिया और उसको बहलाने के लिये उसके सोने के कमरे के दरवाजे के बीच में बैठ गयी ताकि वह नाच देख कर बहल जाये।

पर जब भी वह नौजवान उधर से गुजरता तो वह बच्चा डर से चीख कर दादी के गले से लिपट जाता और चिल्लाता — “मैं जला, मैं जला।”

कैथरीन को यह सुन कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि बच्चा आज यह किस तरह की बात कर रहा है पर जब बच्चे ने ऐसा कई बार किया तो उसने इस अजीब बात की वजह जानने की कोशिश की। इतने में उसने क्या देखा कि उस अजनबी नौजवान की काली आँखें उस बच्चे को नफरत की निगाह से देख रहीं थीं। इस समय वह एक ऐसी लड़की के साथ नाच रहा था जिसके गले में सोने का क्रास पड़ा हुआ था।

इस बार जब वह कैथरीन के पास से गुजरा तो उसने उसे उस लड़की से यह कहते सुना कि “अच्छा हो यदि वह अपना क्रास उसकी तस्वीर लगे हीरे जड़े एक लाकेट से बदल ले।”

कैथरीन तुरन्त उठी और बिस्तर के सिरहाने रखा हुआ पवित्र जल उठा लायी। बच्चे को गोद में लिये लिये ही उसने अपनी उँगलियों से वह पवित्र जल लिया और उस नौजवान की तरफ क्रास बनाती चली आयी।

कैथरीन की इस बात ने जादुई असर किया। वह शैतान – वह अजनबी नौजवान, डर से चीखता हुआ कमरे की छत तक उछल गया। वह दरवाजे से बाहर भागना चाहता था पर दरवाजे पर क्रास लटका हुआ था।

पर उसको तो बाहर निकलना था सो गुस्से में भर कर जब वह बाहर भागा तो पत्थर की दीवार से टकरा गया पर फिर भी वह उसमें से छेद करता हुआ बाहर निकल गया।

उसके बाद तो लोगों ने बाहर बहुत ज़ोर का शोर सुना। शैतान और उसकी गाड़ी दोनों ही उस शोर के साथ गायब हो चुकी थीं और घोड़ों के पैरों के नीचे आग सी जलती जा रही थी।

लोग सहमे सहमे से बाहर निकले तो क्या देखते हैं कि जहाँ से उसकी गाड़ी गयी थी वहाँ की सारी बरफ पिघल गयी थी। यह कहने की जरूरत नहीं कि इसके बाद वहाँ पार्टी खत्म हो गयी।

अगले दिन उस दीवार के छेद को भरने के लिये एक आदमी बुलाया गया लेकिन ताज्जुब कि कोई भी पत्थर अपनी जगह पर टिक ही नहीं रहा था इसलिये वह छेद भी नहीं भरा जा सका।

उन्होंने बाद में घर को पादरी से पवित्र भी कराया पर वह छेद अभी भी वहीं मौजूद है।

वह पुराना घर आज भी वहीं मौजूद है। उस छेद के आगे अन्दर कमरे में आजकल एक अलमारी रखी हुई है। वहाँ रहने वाले लोग उस पर मोमबत्ती जलाते हैं और छेद के बाहर की तरफ चूल्हे में जलाने वाली लकड़ी का ढेर रखा रहता है।

पर उसके बाद फ्रैंकोइ के घर में फिर कभी कोई नाच नहीं हुआ।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)

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