सीख : हिमाचल प्रदेश की लोक-कथा

Seekh : Lok-Katha (Himachal Pradesh)

किलटे में बूढ़े पिता को तीर्थ कराने के बहाने ढोलू दरिया के किनारे ले जाकर खड़ा हो गया था। जैसे ही किलटे सहित बूढ़े पिता को दरिया में फैंकने को हुआ तो साथ आया बेटा बोल उठा- “पिता जी, किलटा तो मत फैकिए।”

“क्यों बेटा?”

“जब आप बूढ़े हो जाएंगे तो इसी किलटे में लाकर आपको भी तो फैंकना है।”

ढोलू के पांव तले जमीन खिसक गई। एकाएक अब पिता को उठाए घर की ओर उसके पांव तेजी से बढ़ चले थे। वृद्ध पिता की दिलो जान से सेवा करने का मन ही मन उसने दृढ़ संकल्प कर लिया था।

(साभार : कृष्ण चंद्र महादेविया)

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