सेब वाली लड़की : इतालवी लोक-कथा
Seb Wali Ladki : Italian Folk Tale
एक बार एक राजा और एक रानी थे जो इसलिये बहुत दुखी रहते थे क्योंकि उनके कोई बच्चा नहीं था। रानी बराबर पूछती रहती — “मेरे भी उसी तरीके से बच्चे क्यों नहीं होते जैसे इस सेब के पेड़ के ऊपर सेब लगते है?”
सो हुआ यह कि एक दिन बजाय एक लड़के को जन्म देने के उस रानी ने एक सेब को जन्म दिया। पर यह सेब दुनिया के सब सेबों से ज़्यादा लाल और ज़्यादा सुन्दर था। राजा ने उस सेब को एक सोने की तश्तरी में रख कर अपनी बालकनी में रख दिया।
राजा के महल की सड़क के दूसरी तरफ भी एक राजा रहता था।
एक दिन वह दूसरा राजा अपनी खिड़की में खड़ा बाहर देख रहा था तो उसने देखा कि उसके सामने वाले राजा की बालकनी में एक बहुत ही सुन्दर नहायी धोयी लड़की खड़ी अपने बालों में कंघी कर रही थी। वह लड़की सेब जैसी गोरी और गुलाबी थी।
उसको देख कर तो उसका मुँह खुला खुला रह गया और वह उसकी तरफ देखता का देखता रह गया।
पर जैसे ही उस लड़की को यह लगा कि कोई उसको देख रहा है तो वह वहाँ से भागी और तश्तरी में रखे सेब के अन्दर जा कर गायब हो गयी।
राजा को तो उससे पागलपन की हद तक प्यार हो गया था। सो उसके दिमाग ने कुछ काम किया और वह सड़क पार करके उस दूसरे राजा के महल की तरफ चल दिया। वहाँ जा कर उसने महल का दरवाजा खटखटाया तो रानी ने दरवाजा खोला।
राजा बोला — “रानी जी आप मेरे ऊपर एक कृपा करें।”
रानी बोली — “कहिये। पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आते हैं।”
राजा बोला — “आपकी बालकनी में जो सेब रखा है वह आप मुझे दे दें।”
रानी बोली — “राजा साहब क्या आप जानते हैं कि आप क्या कह रहे हैं? मैं उस सेब की माँ हूँ और आपको पता होना चाहिये कि मुझे उसके लिये कितना इन्तजार करना पड़ा।”
पर राजा को तो ना सुनना नहीं था इसलिये सेब के माता पिता को उस सेब को उस दूसरे राजा को देना ही पड़ गया ताकि पड़ोसियों में आपस में सम्बन्ध अच्छे रह सकें।
इस तरह वह राजा उस सेब को ले कर अपने घर आ गया और उसको ले जा कर सीधा अपने कमरे में चला गया। वहाँ उसने उस तश्तरी को अपने कमरे की एक मेज पर रख दिया। उसके नहाने धोने के लिये सब कुछ बाहर रख दिया।
अब वह लड़की रोज सुबह उस सेब में से नहाने और अपने बाल ठीक करने के लिये उस सेब में से निकलती और वह राजा उसको देखता रहता।
बस यही था जो वह सेब में से बाहर निकल कर करती थी। न तो वह कुछ खाती थी और न कोई बात करती थी। बस केवल नहाती थी और अपने बाल बनाती थी और फिर सेब के अन्दर चली जाती थी।
यह राजा अपनी सौतेली माँ के साथ रहता था। उसकी माँ को कुछ शक हुआ जब उसने देखा कि उसका बेटा लगातार अपने कमरे में अकेले ही रह रहा था। कहीं बाहर निकलता ही नहीं था।
उसने सोचा “चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े पर मुझे यह जरूर मालूम करना है कि मेरा बेटा अपने कमरे में अकेला बैठा-बैठा क्या करता रहता है।”
उसी समय किसी और राजा ने उनके राज्य पर हमला कर दिया सो उस राजा को लड़ाई के लिये जाना पड़ गया।
जब उसको अपना सेब छोड़ना पड़ा तो उसका दिल टूट गया। उसने अपने एक बहुत ही भरोसे के नौकर को बुलाया और उससे कहा — “मैं अपने कमरे की चाभी तुम्हारे पास छोड़े जा रहा हूँ। ज़रा ध्यान रखना कि कोई मेरे कमरे में न जाने पाये।
रोज उस सेब वाली लड़की के लिये पानी और कंघा बाहर रख देना और इस बात का भी ध्यान रखना कि उसको और भी जो चाहिये वह उसको मिल जाये। और हाँ भूलना नहीं कि वह मुझे सब बताती रहे।”
हालाँकि यह गलत था क्योंकि वह तो कभी बोली ही नहीं थी पर राजा ने सोचा कि नौकर को यह झूठ बताना जरूरी था।
“अगर मेरे पीछे उसका बाल भी बाँका हुआ तो मैं तुमको जान से मार दूँगा।”
नौकर बोला — “आप बिल्कुल बेफिकर रहिये, राजा साहब। मैं अपनी तरफ से उनकी बहुत अच्छी तरह से देखभाल करूँगा।”
जैसे ही राजा चला गया उसकी सौतेली माँ ने अपनी हर कोशिश की कि वह राजा के कमरे में घुस जाये पर उसको मौका ही नहीं मिला।
एक बार उसने नौकर की शराब में अफीम मिला दी और जब वह उसको पी कर सो गया तो उसने उसके पास से राजा के कमरे की चाभी चुरा ली।
फिर उसने राजा के कमरे का दरवाजा खोला और अपने बेटे के इस अजीब से बरताव को जानने के लिये उसका सारा कमरा उलट पुलट कर दिया ताकि उसको यह पता चल जाये कि वह ऐसा क्यों कर रहा था।
पर जितना वह ढूँढती थी उतना ही उसको कुछ नहीं मिल पा रहा था। बहुत सारी साधारण चीज़ों में उसको केवल एक ही अलग सी चीज़ दिखायी दी, और वह था एक शानदार सेब जो एक सोने के कटोरे में रखा था।
उसको लगा कि शायद यही सेब होगा जिसके बारे में वह हमेशा सोचता रहता होगा।
रानियाँ हमेशा ही एक छोटा सा चाकू अपने कपड़ों में छिपा कर रखती हैं सो उसने अपना वह चाकू निकाला और उस सेब को चारों तरफ से गोदना शुरू किया।
उसके सेब को हर गोदने से खून की एक धारा सी बह निकली। यह देख कर सौतेली माँ डर गयी और उस सेब को वहीं छोड़ कर वहाँ से भाग ली। चाभी उसने नौकर की उसी जेब में रख दी जहाँ से उसने निकाली थी।
जब नौकर की आँख खुली तो उसको तो पता नहीं था कि क्या हुआ। वह राजा के कमरे में गया तो देखा कि वहाँ तो सारी जगह खून बिखरा पड़ा था।
उस बेचारे के मुँह से निकला — “उफ, अब मैं क्या करूँ?” और वह भी वहाँ से भाग लिया। वहाँ से भाग कर वह अपनी एक चाची के पास गया जो एक परी थी और उसके पास बहुत तरीके के जादुई पाउडर थे।
उसने जब जा कर अपनी उस चाची को अपना सारा किस्सा सुनाया तो उसने दो जादुई पाउडर मिलाये – एक तो उन सेबों के लिये जिन पर जादू किया गया होता है और दूसरा उन लड़कियों के लिये जिन पर जादू किया गया होता है।
उसने उन दोनों पाउडरों को मिलाया और उस पाउडर को नौकर को दे कर कहा कि वह जा कर उसको सेब के ऊपर छिड़क दे।
नौकर भागा भागा आया और वह पाउडर उसने उस सेब पर छिड़क दिया। सेब टूट कर खुल गया और सेब में से वह लड़की बाहर निकल आयी। पर उसके सारे शरीर पर पट्टियाँ बँधी थीं और कई जगह प्लास्टर बँधा था।
राजा घर आया तो वह लड़की पहली बार उससे बोली — “क्या तुम विश्वास करोगे कि तुम्हारी सौतेली माँ ने मेरे सारे शरीर पर चाकू मारे?
पर तुम्हारे नौकर ने मेरी बड़ी सेवा की जिससे मैं ठीक हो सकी। मैं 18 साल की हूँ और एक जादू में थी। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी पत्नी बन सकती हूँ।”
“अरे यह तुम क्या कहती हो कि मैं पसन्द करूँ तो? मैं तो कब से तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”
बस फिर क्या था दोनों तरफ से शादी की तैयारियाँ शुरू हो गयीं और दोनों की शादी हो गयी।
दोनों महलों में खूब आनन्द मनाया। इस आनन्द मनाने के समय में केवल एक ही आदमी नहीं था – और वह थी राजा की सौतेली माँ।
(साभार : सुषमा गुप्ता)