सर्व शक्तिशाली राजा : असमिया लोक-कथा

Sarv Shaktishali Raja : Lok-Katha (Assam)

मूसक वंश के महाराजा ने अपनी छोटी व प्यारी राजकुमारी सुहिम की शादी दुनिया के सर्व शक्तिशाली राजा के साथ करने का प्रस्ताव दरबार में रखा तो राज दरबार के पंडितों ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा कि सूर्य जैसा सर्व शक्तिशाली और कोई नहीं है। यह बात सुनकर दरबारीगण लाव-लश्कर के साथ राजकुमारी सुहिम के विवाह प्रस्ताव लेकर सूर्य के पास चले गए। और उनके सामने राजा का प्रस्ताव पढ़कर सुनाया। उनके प्रस्ताव को सुनकर सूर्य उल्टा हँसते हुए बोले- “मैं भला उतनी शक्तिशाली कहाँ हूँ? मुझसे शक्तिशाली तो नील गगन के बादल हैं जो पल भर में मेरी तेज किरणों को निस्तेज बना देते हैं। आप लोग यह प्रस्ताव लेकर बादल के पास चले जाइए।”

सूर्य को धन्यवाद देते हुए वे लोग विवाह का प्रस्ताव लेकर बादल के पास जा पहुँचे और राजकुमारी सुहिम के विवाह प्रस्ताव को उनके सामने रखा। बादल ने जब यह प्रस्ताव सुना तो हँसते हुए कहा- “मैं भला उतना शक्तिशाली कहाँ हूँ? वायु के झोंके मेरे घनत्व को नाश कर देते हैं। वे मुझे उड़ाते हुए यहाँ से वहाँ लेकर जाते हैं, मुझसे शक्तिशाली तो वायु हैं। आप लोग राजकुमारी का विवाह प्रस्ताव वायु के सामने रखें।

वे लोग वहाँ से वायु के पास पहूँचे। वायु ने प्रस्ताव सुनकर मुस्कुराते हुए कहा- “मैं भला उतनी शक्तिशाली कहाँ हूँ? मुझसे शक्तिशाली तो वह सफेद चादर ओढ़ा हुआ हिमालय है, जो मेरे प्रभाव व वेग को रोककर निष्क्रिय बनाकर निस्तब्ध बैठा रहता है।”

अब वे लोग सुहिम के विवाह प्रस्ताव लेकर हिमालय के पास पहुंचे। हिमालय प्रस्ताव सनकर हौले से मस्काया फिर कहा- “मेरा निश्चल होकर बैठने के सिवा और कोई काम नहीं है। मुझसे शक्तिशाली तो आपके ही वंशज हैं। आप लोग जैसे सर्व शक्तिशाली इस सूर्य मंडल में और कोई नहीं है। मेरे शरीर को तार-तारकर आप लोग मुझ पर राज कर सकते हैं। अब आप ही बताइए, मैं आप लोगों से शक्तिशाली कैसे हो सकता हूँ?

हिमालय की बात सुनकर सब अवाक हो गए। जिस प्रकार कस्तूरी अपनी नाभि के अंदर से निकलने वाली सुगंध से अनभिज्ञ होकर उसकी तलाश में जंगल-जंगल भटकती रहती है। ठीक वैसे ही वे लोग सुयोग्य वर की तलाश में यहाँ से वहाँ भटक रहे थे। आखिरकार राजकुमारी सुहिम को मूसक वंश का एक अति सुंदर युवक वर के रूप में मिल गया और विवाह पश्चात दोनों सुखमय और आनंदमय जीवन बीताने लगे।

सीख– अपनी चीजों की अहमियत पहचानकर उनका सम्मान करना चाहिए।

(साभार : डॉ. गोमा देवी शर्मा)

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