सांस्कृतिक महोत्सव डोटल गाँव : श्याम सिंह बिष्ट
Sanskritik Mahotsav Dotal Gaanv : Shyam Singh Bisht
डोटल गांव सेवा समिति दिल्ली एक ऐसा नाम जो परदेस में रहकर भी अपने लोगों अपनी संस्कृति अपनी विरासत, अपने शहर में रह रहे समस्त परिवार को अपने गांव से जोड़ने का कार्य बखूबी विगत वर्षों से करते आ रही है, यह समिति गांव से जुड़े हर उस मुद्दे को परिपूर्ण रूप से, निस्वार्थ भाव से पूरा करती है, चाहे गांव को सड़क से जोड़ने का कार्य हो,या गांव में कोई दैविक अनुष्ठान ही करवाना हो, सेवा समिति के माध्यम से हर कोई अपने गांव से आज भी जुड़ा हुआ है, हम सभी जानते हैं गांव में पलायन या यह कहें कि उत्तराखंड में पलायन अहम मुद्दा है, यदि गांव से हो रहे पलायन को रोकना है, तो हमें इस बात पर अधिक ध्यान देना होगा कि हम गांव में लघु उद्योगों को बढ़ावा दें,
वहां के निवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे पास कई विकल्प हैं जैसे कि उच्च नस्ल के पशुपालन , दुग्ध उत्पादन, जैविक खेती, (जिसकी आजकल शहर में बहुत अधिक मांग है) कुटीर उद्योग, (जैसे बॉस से बनी वस्तुएं बनाना ), घर की सजावट में काम आने वाले वस्तुओं को बनाना, या किचन में उपयोग होने वाले मसालों की खेती करना, हम गांव की सीढ़ीदार खेती में नींबू की खेती, रीठ(रीठूं ) की खेती, व वहां की जलवायु के उपयुक्त ऐसी कोई भी फसल उगा सकते हैं जिसकी शहर के बाजारों में अत्यधिक मांग आवश्यकता है ।
यहां यह ध्यान देने की बात है कि हम वहां के लोगों को किस प्रकार रोजगार दे सकते हैं, जब भी हम लोग अपने गांव जाएं गांव जाकर वहां के लोगों को इकट्ठा करके, उपरोक्त हर उस बात पर चर्चा करें जिससे गांव में लोगों को रोजगार मिल सके यदि यथा संभव हो तो हम लोग ग्राम प्रधान, या सरकार से अपने गांव के लोगों को किस प्रकार रोजगार दे सकते हैं इन बातों पर अहम मुद्दों पर एक आम बैठक बुलाकर चर्चा की जा सकती है,
अपने गांव जाएं सिर्फ छुट्टियां मनाने नहीं अपितु वहां की मूलभूत समस्याओं को उजागर करने के लिए चाहे वह कोई भी समस्या क्यों ना हो, चाहे रास्ते का कार्य हो, पानी की समस्या हो, या बिजली की समस्या हो, आदि ?
आप अपने समस्त प्रश्नों को आपके द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के समकक्ष रख सकते हैं और उनका यह कर्तव्य, दावित्व, है कि वह आपके उचित प्रश्नों का जवाब परिपूर्ण रूप, सटीक माध्यम से आप को दें ।
गांव में हो रहे या चल रहे कुसंगतिओं को आप कभी बढ़ावा ना दें, इसकी रोकथाम के लिए वहां के लोगों को समझाएं और भविष्य में इसके क्या परिणाम हो सकते हैं, उनको इसकी जानकारी दें,क्योंकि हमें यहां यह नहीं भूलना चाहिए की -
(गांव का समाज भी हमारा ही समाज है)
गांव के लोगों द्वारा एक ऐसी संस्था बनानी चाहिए जिससे आस-पास के गांव में हो रहे अच्छे कार्यों पर बाज की तरह एक पैनी नजर रखी जा सके जिससे हम लोग आसपास के गांव में हो रहे अच्छे कार्यों से कुछ सीखे व अपने गांव को भी एक आत्मनिर्भर, विकसित गांव बना सके ( विकसित गांव विकसित देश ) ।।
विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी डोटल गांव सेवा समिति ने
अपने गांव में अपने सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करवाया, यह आयोजन 28 मई से प्रारंभ होकर 31 मई 2019 तक चला ।
28 मई को डोटल गांव में कत्यूरी जागर
29 मई को गोलू देवता मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, पूजा, कलश यात्रा
30 मई को हवन व भंडार
31 मई को गांव मैं सांस्कृतिक महा उत्सव का आयोजन करवाया गया ।
4 दिन तक चला यहां आयोजन अपने आप में समस्त क्षेत् वासियों के लिए एक प्रसंता व अपने आप को गर्व महसूस करने का आयोजन रहा ।
सर्वप्रथम दिन समस्त क्षेत्र वासियों ने रात्रि पहर मैं, काले से हूए आसमान में चांद, तारों की रंगीन जमा चौकड़ी के साथ, ठंडी, ठंडी हवाओं की बीच ऊँचे पहाड़ पर स्थित कालिका मंदिर, जिसकी प्रतयदर्शी स्वयं कालिका माता हो, कालिका मंदिर में आयोजित जागिरी लगने के बाद अपने देवी, देवताओं के दर्शन किए, उनके आशीर्वाद से इस आयोजन का शुभारंभ किया ।
अगले दिन प्रातः काल में जब सूर्य की रोशनी चारों ओर विस्तृत अंधेरे को मिटाकर, रोशनी फैलाए हुए थी, पंछियों ने चहचहाना जब शुरू कर दिया था, ठंडी हवाओं का वेग जब अपने चरम पर था, मंदिरों की घंटियों के बीच का शंखनाद शुभारंभ हो चुका था, समस्त क्षेत्रीय जनता सफेद वस्त्र व गेंहुए रंग को ओढ़े हुए गोलू देवता की प्राण प्रतिष्ठा व कलश यात्रा को यादगार बनाने के लिए अपने हर उस समय को अपने देव के चरणों में समर्पित करने को आतुर हो चुकी थी ।
अपने देव, देवी की जय, जय कार के नारे लगाते हुए कलश यात्रा व मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का शुभारंभ हुआ,जहां नव युवकों का जोश , बुद्धिजीवियों का दिशानिर्देश, यादगार व कभी ना भुलाने का यादगार क्षण पूरे गांव के लिए अपने आप में गर्व महसूस करने का क्षण बना ।
30 मई को विधिपूर्वक हवन व भंडारे का शुभारंभ हुआ सभी ने अपने देवी देवताओं के आशीर्वाद से भंडारा ग्रहण किया व अगले दिन होने वाले सांस्कृतिक महोत्सव की तैयारी की ।
31 मई को होने वाला सांस्कृतिक महोत्सव जहां बाहर से आए हुए कलाकारों ने भी अपनी कलाकारी के जौहर दिखाए वही गांव में व दिल्ली से आए परिवारों के बच्चों ने व नौजवानों ने अपनी कलाकारी के जरिए गांव के लोगों का मन मोह लिया।
दोपहरी से लेकर मध्य रात्रि तक चला यह सांस्कृतिक महोत्सव समस्त गांव व आसपास के क्षेत्र वासियों के लिए यह कभी ना भुलाने वाला यादगार मिसाल बना ।
इस सांस्कृतिक महोत्सव के द्वारा हमें जहां एक दूसरे से जोड़ने का मौका मिला वही अपने गांव की संस्कृति वहां के रहन-सहन वहां रहे, रहे लोगों को पहचानने कि हमारी युवा पीढ़ी को जहां जानकारी मिली वहीं इस सांस्कृतिक महोत्सव ने हमें इस बात की शिक्षा दी चाहे बेशक हम शहर, देश, प्रदेश के किसी भी कोने में रहें हम अपने गांव की जड़ों को कभी ना भूलें,
धन्य है वह लोग जो इस प्रकार के सांस्कृतिक महोत्सव निस्वार्थ भाव से करवातें हैं और अपने गांव वहाँ रह रहे लोगों से जुड़े रहते हैं ।
उन समस्त प्रत्यक्ष दर्शकों को भी मेरा नमन जो इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बने ।