सनोरिया : आदिवासी लोक-कथा

Sanoriya : Adivasi Lok-Katha

एक किसान खेत में सूरजमुखी के बीज बो रहा था। उस समय भीषण गर्मी पड़ रही थी और सिर पर सूरज चमक रहा था। किसान पसीने से तरबतर था। बीज बोते-बोते संयोगवश एक बीज किसान की छाती पर चिपक गया। किसान जब थक गया तो वहीं खेत के किनारे एक पेड़ की ठंडी छाया में सो गया। थोड़ी ही देर में उसे गहरी नींद आ गई।

किसान शाम से लेकर सुबह तक सोता रहा। इस बीच उसके पसीने की नमी पाकर उसके छाती पर चिपका बीज अंकुरित हो गया तथा उसने एक पौधे का रूप ले लिया। जब वह नींद से जागा तो उसने अपनी छाती पर सूरजमुखी का पौधा उगा देखा। वह इस चमत्कार से चकित हो गया। उसने गाँव जाकर सभी को अपनी छाती पर उगा पौधा दिखाया। जिसने भी देखा उसने इसे भगवान का चमत्कार और आशीर्वाद कहा।

उस किसान के परिवार से विकसित सहरिया समुदाय सूरजमुखी के पौधे के कारण सनोरिया गोत्र का कहलाया।

(साभार : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं, संपादक : शरद सिंह)

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